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Bihar News: शराब की टोह में उड़ने लगे ड्रोन, होटल-ढाबों पर विशेष नजर; होली पर प्रशासन की खास तैयारी
राज्य ब्यूरो, पटना। होली को लेकर शराब के अवैध निर्माण और तस्करी को रोकने के लिए शहरी क्षेत्र में ड्रोन की मदद ली जा रही है। दियारा क्षेत्र के अलावा शहरों के होटल, रेस्तरां, ढाबा और लाइन होटलों के आसपास यह ड्रोन विशेष नजर रख रहे हैं। इसके लिए करीब 45 ड्रोन को लगाया गया है, जो शराब की टोह ले रहे हैं।
ढाबा और लाइन होटल के आसपास लगे टैंकर, कंटेनर और ट्रक आदि की जांच हैंड हेल्ड स्कैनर से की जा रही है। इसके साथ ही शराब के संदिग्ध ठिकानों और संवेदनशील स्थलों के लिए विशेष गश्ती टीम भी लगाई गई है।
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के संयुक्त सचिव कृष्ण कुमार ने बताया कि पूरी कार्रवाई की मुख्यालय स्तर से मॉनीटरिंग की जा रही है। सभी जिलों से हर दिन कार्रवाई की अपडेट रिपोर्ट मांगी जा रही है। शराब पीकर हुड़दंग करने वालों को तुरंत गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
24 घंटे पेट्रोलिंग जारीहोली को लेकर प्रत्येक जिले में 24 घंटे पेट्रोलिंग के लिए तीन-तीन टीमें गठित की गई हैं। शराब की होम डिलीवरी की आशंका को देखते हुए सघन जांच करने को कहा गया है। सीमावर्ती इलाकों के चेकपोस्ट पर हर वाहन की सघन जांच करने का निर्देश दिया गया है, इसमें लापरवाही पर कार्रवाई की चेतावनी अधिकारियों को दी गई है।
उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह के निर्देश पर सभी जिलों में ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां पूर्व में जहरीली शराब से जुड़ी घटनाएं हुई हैं। इन इलाकों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। इसमें मुखबिरों की भी मदद ली जा रही है।
सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की छुट्टी कैंसिलहोली को लेकर पहले ही 16 मार्च तक सभी मद्यनिषेध पदाधिकारियों व कर्मियों का अवकाश रद किया जा चुका है। उत्पाद विभाग के अलावा थाना पुलिस के स्तर से भी शराब की तस्करी रोकने के लिए विशेष चौकसी के निर्देश दिए गए हैं।
अफवाह फैलाने वालों पर सख्ती, संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार गश्तीहोली के दौरान अफवाह फैलाने वाले और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों से सख्ती से निबटा जाएगा। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को ऐसे असामाजिक तत्वों पर विधि सम्मत कार्रवाई का निर्देश जारी किया है। होली को लेकर पुलिस पदाधिकारी व कर्मियों की छुट्टियां पहले ही 18 मार्च तक रद कर दी गई हैं।
पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद सभी जिलों में संवेदनशील और मिश्रित आबादी वाले स्थलों को चिह्नित कर वहां विशेष चौकसी और पुलिस बल की तैनाती की गई है। इसके लिए जिला पुलिस बल के अलावा बी-सैप और केंद्रीय बलों की लगभग पांच दर्जन से अधिक टुकडि़यां लगाई गई हैं।
जुमे की नमाज के दौरान उपद्रवी तत्वों पर विशेष नजर रखने को कहा गया है। त्योहार के दौरान डीजे, सार्वजनिक रूप से अश्लील गाना बजाने और सड़कों पर हुड़दंग जैसी घटनाओं को रोकने को लेकर गश्ती बढ़ाने को कहा गया है। डीजीपी कंट्रोल रूम और इंटरनेट मीडिया कंट्रोल रूम में डीएसपी से इंस्पेक्टर रैंक के अतिरिक्त पुलिस अफसरों की ड्यूटी लगाते हुए इसे 24 घंटे सक्रिय रखा गया है।
यह फेसबुक, एक्स और वाट्सएप आदि के वायरल संदेशों की डिजिटल पेट्रोलिंग करेंगे। इसके साथ ही जिला व क्षेत्र के अफसरों को नियमित अंतराल पर लगातार खैरियत प्रतिवेदन भेजने का निर्देश है।
डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि होली को लेकर सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से उपद्रवी व असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। डीजे पर प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने आम लोगों से यातायात नियमों का पालन करने के साथ ही रैश ड्राइविंग नहीं करने की अपील की है।
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राहत: मधुमेह की दवा के दामों में भारी कटौती, 60 वाली गोली 5.50 रुपये में मिलेगी
आइएएनएस, नई दिल्ली। मधुमेह में इस्तेमाल की जाने वाली दवा एम्पाग्लिफ्लोजिन का पेटेंट समाप्त होने के चलते भारत में इसके दाम में भारी कटौती हो गई है। इसकी कीमत में अब करीब 90 प्रतिशत की कमी आ गई है। पेटेंट खत्म होने से बाजार में इसकी जेनेरिक दवाएं आ गई हैं।
एम्पाग्लिफ्लोजिन बाजार में जार्डिएंस के नाम से बिकती हैजर्मनी की फार्मा कंपनी बोएहरिंगर इंगेलहेम द्वारा विकसित की गई एम्पाग्लिफ्लोजिन बाजार में जार्डिएंस के नाम से बिकती है। टाइप-2 मधुमेह के मरीज इस गोली का सेवन करते हैं और इससे रक्त शर्करा नियंत्रित होती है।
बाजार में एम्पाग्लिफ्लोजिन की जेनेरिक दवाएं लांचजार्डिएंस की पहले कीमत 60 रुपये प्रति टैबलेट थी, जिसे घटाकर अब 5.50 रुपये प्रति टैबलेट कर दिया गया है। मैनकाइंड, एल्केम और ग्लेनमार्क जैसी फार्मास्यूटिकल कंपनियों ने बाजार में एम्पाग्लिफ्लोजिन की जेनेरिक दवाएं लांच कर दी हैं।
मैनकाइंड फार्मा द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, एम्पाग्लिफ्लोजिन के 10 मिलीग्राम वेरिएंट की कीमत 5.49 रुपये प्रति टैबलेट और 25 मिलीग्राम वेरिएंट की 9.90 रुपये प्रति टैबलेट रखी गई है। एल्केम ने इसे एम्पोनार्म के नाम से लांच किया है और इसकी कीमत करीब 80 प्रतिशत कम रखी है।
नकल से बचाने के लिए दवा के पैक पर सुरक्षा बैंडकंपनी द्वारा जारी बयान के अनुसार, मरीजों को ध्यान में रखते हुए एल्केम ने इसकी नकल से बचाने के लिए दवा के पैक पर सुरक्षा बैंड दिया है। इसके साथ ही इंफोग्राफिक्स के रूप में मधुमेह प्रबंधन की जानकारी दी गई है। वहीं, ग्लेनमार्क फार्मा ने इसे ग्लेम्पा के नाम से 10 और 25 एमजी के दो वेरिएंट में पेश किया है।
Marburg Outbreak Ends In Tanzania, But Africa Faces A Rising Tide Of Health Crises - Health Policy Watch
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- Tanzania declares end of second Marburg virus disease outbreak By IANS Investing.com India
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तमिलनाडु सरकार की एक कंपनी के परिचालन में भारी गड़बड़ियां, ईडी ने बेहिसाब नकद लेनदेन का किया पर्दाफाश
पीटीआई, नई दिल्ली। तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड (टीएएसएमएसी) के परिचालन में ईडी को भारी गड़बड़ियां मिली हैं। छापे के बाद मिले साक्ष्यों से ईडी को पता चला है कि निविदा प्रक्रियाओं में हेरफेर की गई। डिस्टिलरी कंपनियों के माध्यम से एक हजार करोड़ रुपये के बेहिसाब नकद लेनदेन भी किया गया।
राज्य में शराब व्यापार पर इस कंपनी का एकाधिकार है। ईडी ने गुरुवार को बयान में दावा किया कि छह मार्च को टीएएसएमएसी के कर्मचारियों, डिस्टिलरी के कारपोरेट कार्यालयों और संयंत्रों पर छापेमारी के बाद मिले साक्ष्यों से भ्रष्ट आचरणों का संकेत मिलता है।
ठिकानों पर भी तलाशी ली गईआबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी से जुड़े प्रमुख सहयोगियों के ठिकानों पर भी तलाशी ली गई थी। ईडी को तलाशी के दौरान ट्रांसफर पोस्टिंग, परिवहन और बार लाइसेंस निविदाओं, कुछ डिस्टिलरी कंपनियों को पक्ष देने वाले इंडेंट आर्डर, टीएएसएमएसी अधिकारियों की मिलीभगत के साथ टीएएसएमएसी आउटलेट्स द्वारा प्रति बोतल 10-30 रुपये के अतिरिक्त शुल्क से संबंधित डाटा मिला।
डाटा से टीएएसएमएसी के निविदा आवंटन में हेरफेर का पता चला। टीएएसएमएसी द्वारा बार लाइसेंस निविदाओं के आवंटन के मामले में निविदा शर्तों में हेरफेर से संबंधित साक्ष्य पाए गए, जिसमें बिना किसी जीएसटी/पैन नंबर और केवाईसी दस्तावेज के आवेदकों को अंतिम निविदाएं आवंटित करने का मामला भी शामिल था।
डिस्टिलरीज ने बढ़ा-चढ़ाकर खर्च किएईडी ने कहा कि तलाशी में एसएनजे, कॉल्स, एसएआइएफएल और शिवा डिस्टिलरी जैसी डिस्टिलरी कंपनियों और देवी बाटल्स, क्रिस्टल बाटल्स और जीएलआर होल्डिंग जैसी बॉटलिंग कंपनियों से जुड़ी बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी भी पाई गई।
डिस्टिलरीज ने बढ़ा-चढ़ाकर खर्च किए और विशेष रूप से बोतल बनाने वाली कंपनियों के माध्यम से मनगढ़ंत फर्जी खरीदारी की ताकि बेहिसाब नकदी में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की जा सके। इन फंडों का इस्तेमाल घूस के रूप में किया गया था।
रिकॉर्ड में हेरफेरईडी ने पाया कि बॉटलिंग कंपनियों ने बिक्री के आंकड़े बढ़ा दिए, जिससे डिस्टिलरीज को अतिरिक्त भुगतान करने का मौका मिला। बाद में इसे नकद में निकाल लिया गया और कमीशन काटने के बाद वापस कर दिया गया। डिस्टिलरी और बॉटलिंग कंपनियों के बीच यह मिलीभगत वित्तीय रिकॉर्ड में हेरफेर के माध्यम से की गई थी।
अन्नामलाई ने स्टालिन पर बोला हमलाटीएएसएमएसी में हजार करोड़ रुपये की अनियमितताओं का पता लगाने के ईडी के दावों के बाद तमिलनाडु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने गुरुवार को कहा कहा, ईडी ने हजार करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी के बारे में बताया है, जिसका भुगतान रिश्वत के रूप में किया गया था।
भाजपा ने किया प्रदर्शनसिस्टम में हेराफेरी करके द्रमुक अपना खजाना भरने के लिए आम लोगों को लूट रही है। मुख्यमंत्री स्टालिन को खुद से यह भी पूछना चाहिए कि क्या उन्हें तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा ने 17 मार्च को टीएएसएमएसी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन की घोषणा की है।
...जब होली और हज यात्रियों के लिए रोकनी पड़ी थी ट्रेन, अप्रिय घटना से बचने के लिए उठाया था कदम; पढ़ें इनसाइड स्टोरी
पीटीआई, नई दिल्ली। दो मार्च, 1999 को होली वाले दिन, जब हज यात्रियों को उत्तर प्रदेश के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मऊ से दिल्ली के लिए ट्रेन में सवार होना था, तब किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन को ट्रेन को अस्थायी रूप से रोकने के लिए लोको पायलट पर निषेधाज्ञा लगानी पड़ी थी।
यह कदम हज यात्रियों का सामना रंगों का पर्व मना रहे लोगों से नहीं होने देने के लिए उठाया गया था। अब 26 वर्ष बाद फिर उसी तरह की स्थिति बनती दिख रही है। रमजान के दौरान विभिन्न राज्यों खासतौर पर उत्तर प्रदेश के संभल में प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए कमर कस रहा है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज और होली दोनों शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाए।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ने अपनी पुस्तक में किया जिक्रउत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह की पुस्तक 'थ्रू माई आइज: स्केचेस फ्राम ए काप्स नोटबुक' में 1999 में होली वाले दिन मऊ के अधिकारियों के सामने आईं चुनौतियों का विस्तार से जिक्र किया गया है।
उन्होंने पुस्तक में लिखा है कि रेलवे ने होली समाप्त होने तक दोपहर में पहुंचने वाली ट्रेन को कुछ घंटे विलंबित करने के अधिकारियों के आग्रह को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद मऊ के अधिकारियों ने लोको पायलट पर निषेधाज्ञा लगा दी।
भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआभारत के इतिहास में पहली बार धारा 144 का उपयोग एक चलती ट्रेन को रोकने के लिए किया गया। दंड प्रक्रिया संहिता की इस धारा का उपयोग आमतौर गैरकानूनी रूप से लोगों के जमा होने और शांति व्यवस्था में खलल रोकने के लिए किया जाता है।
अधिकारियों ने रेलवे से मदद मांगी थीमऊ जिले में सांप्रदायिक हिंसा के इतिहास को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने रेलवे से मदद मांगी थी। हालांकि रेलवे ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि ट्रेनों की समय-सारिणी में बदलाव नहीं किया जा सकता, चाहे स्थिति कितनी भी संवेदनशील क्यों न हो।
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Almost 100 arrested as Jewish protesters rally at Trump Tower over Mahmoud Khalil immigration detention - The Indian Express
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SC: तलाक के एक मामले में पत्नी को मिले फ्लैट पर नहीं लगेगी स्टांप ड्यूटी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
डिजिडल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक पति ने बिना गुजारा भत्ता चुकाए लंबे समय से लंबित तलाक के मामले में जीत हासिल की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसके हक में फैसला एक शर्त दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पति को मुंबई के पास स्थित अपने फ्लैट को अपनी पत्नी को हस्तांतरित करने के लिए सहमत होना पड़ेगा।
पति और पत्नी ने सुप्रीम में दायर की याचिकायह मामला कई अदालतों में नहीं चला क्योंकि पति और पत्नी दोनों ने तलाक के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत केस दायर किया। बता दें कि पति और पत्नी ने पहले मुंबई के बांद्रा फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की, हालांकि कार्यवाही के दौरान पति ने इस मामले को बांद्रा से दिल्ली के कड़कड़डूमा जिला न्यायालय में स्थानांतरित करने की याचिका दायर की।
इस स्थानांतरण याचिका के लंबित रहने के दौरान उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए भेजा गया। जब मध्यस्थता प्रक्रिया विफल हो गई, तो पति और पत्नी दोनों ने आपसी सहमति से विवाह को समाप्त करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अलग-अलग आवेदन दायर किए।
पति और पत्नी एक फ्लैट के स्वामित्व को लेकर लड़ रहे थे28 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तलाक का मामला आगे नहीं बढ़ सका क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष तलाक समझौता समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं था। पति और पत्नी दोनों मुंबई के पास एक फ्लैट के स्वामित्व को लेकर लड़ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पक्षों के बीच विवाद का कारण संयुक्त स्वामित्व वाला एक फ्लैट है।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट संबंधित फ्लैट को हासिल करने के लिए इस्तेमाल किए गए धन के स्रोत के बारे में दोनों पक्षों से पूछा। इसके बाद पति फ्लैट पर अपना अधिकार छोड़ने के लिए सहमत हो गया और उसकी पत्नी ने गुजारा भत्ता न मांगने पर सहमति जताई, इसके बाद दोनों का तलाक हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कही ये बातसुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह ध्यान देने योग्य है कि दोनों पक्ष उच्च शिक्षित और जीवन में अच्छी तरह से स्थापित हैं। अंततः पति ने अपनी पत्नी के पक्ष में फ्लैट पर अपने सभी अधिकारों को पूरी तरह से त्यागकर तलाक में समझौता कर लिया।
दरबार में बैठकर टोपी बुनता था औरंगजेब... मुगल वंश के सबसे क्रूर शासक को क्यों पड़ी थी इसकी जरूरत?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म छावा देखी होगी, तो इसमें औरंगजेब को दरबार में बैठे वक्त हाथ से कुछ बुनते हुए देखा जा सकता है। अगर इतिहास में आपकी रुचि थोड़ी कम हो, तो आपको आश्चर्य भी जरूर हुआ होगा कि इतना बड़ा शासक आखिर सिंहासन पर बैठकर क्या बुनता रहता है।
छावा सहित कई फिल्मों में दिखाई गई औरंगजेब की ये छवि कोई मनगढ़ंत नहीं है। औरंगजेब वाकई अपने दरबार में बैठकर टोपी बुना करता है। इतिहास की कई किताबों में इसका जिक्र भी किया गया है। लेकिन वह ऐसा करता क्यों था, इसकी वजह भी आपको बताते हैं।
बेहद क्रूर शासक था औरंगजेबपानीपत के मैदान में जब इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने मुगल साम्राज्य की नींव रखी, तो शायद किसी से सोचा भी नहीं होगा कि इस वंश में औरंगजेब जैसा कोई अत्यधिक क्रूर शासक भी जन्म लेगा। बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर और शाहजहां की तरह औरंगजेब को न तो कला और शान-ओ-शौकत का कोई लोभ था और न ही विलासिता का।
अपने भाइयों का कत्ल कर औरंगजेब 1658 में मुगल सिंहासन पर बैठा। उसने अपने शासनकाल में सख्त इस्लामी नीतियों, विस्तारवादी युद्ध और शरिया कानून लागू किया। हिंदुओं पर जजिया कर लगाया, मंदिरों तोड़े और लाखों लोगों का कत्ल-ए-आम किया। यही कारण है कि औरंगजेब के शासनकाल को मुगलिया सल्तनत का सबसे बुरा दौर कहा जाता है।
नमाज की टोपियां बुनता था- औरंगजेब अपनी निजी जिदंगी में भी पूर्वजों से काफी अलग था। उसने अत्यधिक खर्च को कम करने के लिए दरबार में संगीत और उत्सवों पर प्रतिबंध लगा दिया। वह शारीरिक श्रम के जरिए अपनी आजीविका कमाने पर जोर देता था।
- ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, औरंगजेब ने अपना कुछ समय नमाज की टोपियां (तकियाह) बुनने और हाथ से कुरान लिखने में बिताया। औरंगजेब अपने निजी खर्च के लिए शाही खजाने के इस्तेमाल के सख्त खिलाफ था। इसलिए वह अपनी बुनी हुई टोपियों को बेचता था और इससे मिलने वाले धन का इस्तेमाल निजी खर्च के लिए करता था।
हालांकि औरंगजेब द्वारा हर रोज टोपी बुनने की आदत को इतिहासकार अलग-अलग तरीके से देखते हैं। कुछ का मानना है कि इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप औरंगजेब सादा जीवन जीने की परंपरा का पालन करता था। वहीं कुछ का तर्क है कि ऐसा करके वह खुद को एक धर्मनिष्ठ और विनम्र शासक के रूप में पेश करना चाहता था।
औरंगजेब में भले ही अपने शासनकाल में क्रूरता का कोई पैमाना शेष न छोड़ा हो, लेकिन उसकी टोपी बुनने की आदत भी उसके चरित्र के साथ ही नत्थी हो गई है। कहते हैं कि अपने अंतिम दिनों में भी, औरंगजेब अपने सिद्धांतों पर चलता रहा। जब 1707 में उसकी मृत्यु हुई, तो उसने अपने वंशजों के लिए कोई भव्य मकबरा या विशाल संपत्ति नहीं छोड़ी। महाराष्ट्र में उसकी बेहद साधारण कब्र है।
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