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बिहार की महिला वकीलों के लिए खुशखबरी, बार काउंसिल में मिलेगा 33 प्रतिशत रिजर्वेशन; जल्द जारी होगा नोटिफिकेशन

Dainik Jagran - March 17, 2025 - 4:51pm

विधि संवाददाता, पटना। बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बार काउंसिल में महिला वकीलों को 33 प्रतिशत आरक्षण का आश्वासन दिया है।

रविवार को अपने सम्मान में आयोजित समारोह में उन्होंने बताया कि जल्द ही बीसीआई द्वारा इससे संबंधित अधिसूचना जारी की जाएगी।

बिहार स्टेट बार काउंसिल से होगी शुरुआत

उन्होंने बताया कि सभी राज्य बार काउंसिल के चुनावों में महिला वकीलों को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए नियम बनाया जाएगा। इस पहल की शुरुआत बिहार स्टेट बार काउंसिल से होगी।

मनन भाजपा से राज्यसभा के सदस्य भी हैं। उनके लगातार सातवीं बार बीसीआई का अध्यक्ष चुने जाने पर बिहार बार काउंसिल के सदस्य प्रेमनाथ ओझा द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन हुआ था।

वकीलों के हित में करेंगे काम

मनन को शॉल, पुष्पगुच्छ और एक क्विंटल फूलों की माला भेंट की गई। कार्यक्रम में बिहार बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा, उपाध्यक्ष दीनानाथ यादव तथा सदस्य योगेश चंद्र वर्मा, नम्रता मिश्रा, नीतू झा आदि अधिवक्ताओं की सहभागिता रही।

मनन ने सभी अधिवक्ताओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए आश्वासन दिया कि वे वकीलों के हितों और उनकी बेहतरी के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।

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CAG नियुक्ति की प्रक्रिया पर उठे सवाल, तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

Dainik Jagran - National - March 17, 2025 - 3:55pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति के नियमों में संशोधन की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।  

याचिका में राष्ट्रीय लेखा परीक्षक चुनने के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश से मिलकर एक पैनल बनाने की मांग की है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

महाराष्ट्र में सीएजी के ऑडिट रोके जा रहे: याचिकाकर्ता

सुनवाई के दौरान एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने पीठ के समक्ष दलील दी कि 'संस्था की स्वतंत्रता' का सवाल है। प्रशांत भूषण ने दावा किया कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सीएजी द्वारा ऑडिट रोके जा रहे हैं, जहां भाजपा की सरकार है। हाल के दिनों में सीएजी ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है। पीठ ने उनसे हाल के वर्षों में सीएजी की स्वतंत्रता पर संदेह करने के कारण को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा।

प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि सीएजी की रिपोर्ट कम हो रही है। कर्मचारियों की संख्या घट रही है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई निदेशक और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों के संबंध में हस्तक्षेप किया था, ताकि उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके। प्रशांत भूषण ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि सीएजी के लिए भी इसी तरह के निर्देश आवश्यक हैं।

याचिकाकर्ता ने क्या की मांग?

याचिका में कहा गया कि न्यायालय यह निर्देश दे कि सीएजी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश वाली एक स्वतंत्र और तटस्थ चयन समिति के परामर्श से और पारदर्शी तरीके से की जाए। वहीं, सीएजी की नियुक्ति का निर्देश सूचना आयोगों और केंद्रीय सतर्कता आयोग सहित अन्य निकायों की नियुक्ति के समान होना चाहिए।

क्या काम करता है सीएजी?

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से संबंधित है जो केंद्र और राज्य स्तर पर पूरे देश की वित्तीय व्यवस्था प्रणाली को नियंत्रित/समीक्षा करता है।

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डिप्रेशन और कैंसर... वापसी के बाद भी आसान नहीं होगी सुनीता विलियम्स की जिंदगी; किन समस्‍याओं से जूझना पड़ सकता है?

Dainik Jagran - National - March 17, 2025 - 3:50pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Sunita Williams News नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की वापसी का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके लिए स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सफलतापूर्वक पहुंच गया है। वहां पहुंचने पर नए सदस्यों का स्वागत किया गया। 

अब अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स की वापसी की उम्मीद जगी है।

सुनीता विलियम्स (Sunita Williams News) व बुच विलमोर जून 2024 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर फंसे हैं। दोनों 8 दिनों के लिए ही स्पेस में गए थे, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के चलते दोनों 284 दिनों तक वहां फंसे रहे। 

स्पेस में इतने लंबे समय तक रहने के कई खराब असर भी होते हैं, आइए जानते हैं आखिर इससे शरीर पर क्या असर होता है....

शरीर पर क्या पड़ता है प्रभाव ?
  • अंतरिक्ष में ग्रैविटी न होने और तेज विकिरण (रेडिएशन) अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं।
  • लंबे समय तक स्पेस में रहने के चलते हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों में सिकुड़ना, आंखों की रौशनी कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
क्या इंसान के वजन पर पड़ता है असर? 
  • स्पेस में जाकर अक्सर वजन कम नहीं होता, लेकिन ग्रैविटी की कमी की वजह से शरीर में बदलाव आते हैं। माइक्रोप्रैविटी से शरीर के तरल पदार्थ ऊपर की ओर खिसकते हैं, जिससे चेहरा सूजा हुआ लग सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्री पतले दिख सकते हैं।
  • सुनीता ने बताया कि उनका वजन अंतरिक्ष में पहले जितना ही है।
स्पेस में रेडिएशन का क्या असर होता है? 

धरती पर वायुमंडल व चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फिल्ड) हमें रेडिएशन से बचाते हैं। लेकिन अंतरिक्ष में रेडिएशन का ज्यादा असर होता है। इससे डीएनए को नुकसान होता है, जिससे कैंसर व तंत्रिका तंत्र की समस्याएं हो सकती हैं। इससे दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है।

मेंटल हेल्थ पर कितना असर? 

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहना मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डालता है। डिप्रेशन, तनाव और चिंता का खतरा बढ़ना आम है। अंतरिक्ष यात्रियों को अक्सर धरती पर वापस आने पर साइकेट्रिस्ट की सलाह लेनी पड़ती है।

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