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अयोध्या की तर्ज पर विकसित होगा पुनौरा धाम, रामायण सर्किट का होगा हिस्सा; 143 करोड़ की योजना मंजूर
राज्य ब्यूरो, पटना। सीतामढ़ी में माता जानकी की जन्मभूमि पुनौरा धाम को अयोध्या की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। यह बिहार में रामायण सर्किट का हिस्सा होगा। पर्यटन विभाग ने पुनौराधाम के विकास के लिए करीब 143 करोड़ की योजना स्वीकृत की है।
इसमें 50 एकड़ से अधिक भूमि के अधिग्रहण पर 120 करोड़ की राशि खर्च होगी जबकि पर्यटकीय सुविधाओं के लिए 23.66 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई है। जमीन अधिग्रहण के बाद पुनौराधाम में भव्य मंदिर का निर्माण की योजना है, जिसके लिए एजेंसी के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
इन जिलों को भी रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगापर्यटन विभाग के अनुसार, पुनौरा धाम के अलावा बिहार के बक्सर, दरभंगा, वाल्मीकिनगर, मधुबनी आदि जिलों में रामायण सर्किट से जुड़े स्थलों को भी चिह्नित किया गया है। इसके अंतर्गत सीतामढ़ी के ही पंथपाकर मंदिर परिसर में पर्यटकीय सुविधाओं के विकास पर 23.66 करोड़ की योजना बनाई गई है।
बक्सर में होगा रामरेखा घाट का विकासबक्सर में रामरेखा घाट के विकास के लिए 13 करोड़ 24 लाख रुपये की योजना को स्वीकृति दी गई है। वाल्मीकिनगर में लव-कुश पार्क का निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान इसकी घोषणा की थी।
मधुबनी में पर्यटकीय सुविधाओं के लिए खर्च होंगे 31.13 करोड़मधुबनी में फुलहर स्थान में पर्यटकीय सुविधाओं पर 31.13 करोड़ की राशि खर्च होगी। लोकमान्यता है कि इसकी जगह पर भगवान राम और सीता पहली बार मिले थे। इसके अलावा दरभंगा में अहिल्या स्थान को भी विकसित कर रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगा।
पर्यटकों की सुविधा के लिए सीतामढ़ी, बक्सर और रोहतास जैसे जिलों में पर्यटन विभाग बजट होटल भी खोलेगा। इसके लिए 84.27 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। इसका उद्देश्य इन शहरों में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना है।
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कटारा हत्याकांड: 'राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए', मेडिकल बोर्ड को लेकर SC ने दिल्ली और UP सरकार लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नितीश कटारा हत्याकांड मामले में सजा काट रहे विकास यादव की बीमार मां की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने में देरी करने पर उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए। वर्ष 2002 में हुए हत्याकांड के मामले में 25 साल की जेल की सजा काट रहे यादव ने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी।
मेडिकल बोर्ड के गठन का दिया गया था आदेशजस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि बीते दो अप्रैल को दिए गए आदेश के बाद गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती यादव की मां की सेहत की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करने में 10 दिन लग गए।
कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरणअदालत ने कहा कि जब तक बोर्ड गठित किया गया, उसकी मां अस्पताल से डिस्चार्ज हो गई थी। यादव के वकील ने कहा कि सोमवार को उसकी मां फिर से भर्ती हुई है। पीठ ने कहा कि आपने मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन का समय लगा दिया। इसके लिए स्पष्टीकरण होना चाहिए। अब एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट द्वारा एक नए मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और तुरंत जांच करके रिपोर्ट दाखिल करें।
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Mukesh Sahani: '...तो एनडीए में आ जाएंगे मुकेश सहनी', BJP के सीनियर नेता का दावा; खुल गया बंद दरवाजा!
राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन में विधानसभा की सीटों के लिए संघर्ष कर रहे विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) के लिए एनडीए का दरवाजा भी खुला हुआ है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं।
दिलीप जायसवाल ने मंगलवार को उम्मीद जाहिर की कि अगर महागठबंधन में सहनी की बात नहीं बनती है तो वे एनडीए में वापस आ जाएंगे। डॉ. जायसवाल ने कहा कि मुकेश सहनी अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए महागठबंधन में गए हैं। अगर वहां उनका कद नहीं बढ़ा तो इधर आ जाएंगे।
'कद नहीं बढ़ा तो वे आ जाएंगे'हालांकि, जायसवाल ने ये भी स्वीकार किया कि चुनाव में सहनी का वोट बैंक बहुत मायने रखता है। प्रश्न था कि क्या आप मुकेश सहनी को एनडीए में आने का ऑफर दे रहे हैं? भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- कद नहीं बढ़ा तो वे आ जाएंगे।
2020 में क्या हुआ था?मालूम हो कि 2020 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के समय मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ थे, लेकिन टिकट बंटवारे के समय बैठक छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए।
उनकी विकासशील इंसान पार्टी को 11 सीटें दी गईं। चार विधायक बने। सहनी से तकरार बढ़ा तो वीआईपी के सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव हारे मुकेश सहनी को भाजपा ने विधान परिषद में भेजा। मंत्री भी बनाया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे महागठबंधन में चले गए।
तेजस्वी के अति पिछड़ा व दलित प्रेम का हुआ पर्दाफाश : भीम सिंहदूसरी ओर, भाजपा सांसद डॉ. भीम सिंह ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने गए तेजस्वी यादव अपने साथ संजय यादव और मनोज झा को लेकर गए। अत्यंत पिछड़ी या अनुसूचित जाति के किसी नेता को उच्च स्तरीय बैठक में ले जाने योग्य नहीं समझा।
कभी लालू प्रसाद खिल्ली उड़ाते हुए कहा करते थे कि ''अत्यंत पिछड़ा किस चिड़िया का नाम है''। तेजस्वी ने अपने आचरण से सिद्ध कर दिया है कि इस प्रकरण में वे अपने पिता का अनुसरण कर रहे, जो अत्यंत निंदनीय है।
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सड़कों के घटिया निर्माण की क्या है वजह? DPR कंसल्टेंट ने बताई अंदर की बात; अफसर भी हैरान
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा एनएचएआई के अफसरों की मौजूदगी में एक डीपीआर कंसल्टेंट ने कहा कि सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता का असली कारण सभी (अफसर, इंजीनियर, ठेकेदार) जानते हैं, लेकिन इसे दूर नहीं किया जा रहा है।
तीन दशक से डीपीआर कंसल्टेंसी करने के साथ ही नोएडा स्थित हाईवे इंजीनियर एकेडमी में इंजीनियरों को पढ़ाने वाले एमएस रावत के तेवर इतने तीखे थे कि उन्हें अपना प्रजेंटेशन जल्दी खत्म करना पड़ा। उनका प्रजेंटेशन 14 स्लाइड का था, लेकिन वह दसवीं स्लाइड से आगे नहीं बढ़ पाए। हाईवे निर्माण में उत्कृष्टता प्रदर्शित करने वालों को सम्मानित करने के लिए आयोजित समारोह में चर्चा के दौरान रावत की बातों का समर्थन दूसरे डीपीआर विशेषज्ञों ने भी किया।
दुनिया की सबसे खराब डीपीआर भारत में बनती हैकेंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पिछले कई वर्षों से यह कहते रहे हैं कि दुनिया में सबसे खराब क्वालिटी की डीपीआर भारत में बनती हैं और इसके कारण समय और लागत दोनों काफी बढ़ जाते हैं। रावत ने इसी का हवाला देते हुए कहा कि एक समूह के रूप में डीपीआर कंसल्टेंट पूरी तरह फेल करार दिए गए हैं। इसलिए उनकी रेटिंग की जरूरत ही नहीं है। मंत्री का कोई भी सेमिनार डीपीआर को दोष दिए बिना नहीं बीतता है। लेकिन इसकी कोई बात नहीं करता कि निर्धारित एक साल में बनने वाली डीपीआर पांच साल तक क्यों चलती रहती है। 2017 वाली डीपीआर में 2025 तक काम हो रहा है।
भारतमाला परियोजना के डीपीआर में भी लगे सात सालउन्होंने केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण भारतमाला परियोजना का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें भी सात साल से डीपीआर के मामले में कुछ नहीं बदला। जिस डीपीआर को सड़क निर्माण की रीढ़ की हड्डी और इंजीनियरों के लिए पवित्र पुस्तक माना जाता है, उस पर दस साल में खर्च 75 प्रतिशत कम हो गया है। डीपीआर को लेकर कामचलाऊ रवैये की यह वजह है। उस पर भी कंसल्टेंटों को पूरा पैसा नहीं मिलता है। 50 प्रतिशत राशि हासिल करने में पांच से छह साल तक लग जाते हैं।
रावत ने कहा कि इन सब हालात से अगस्त, 2021 में नितिन गडकरी को अवगत करा दिया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। एक अन्य डीपीआर कंसलटेंट रत्नाकर रेड्डी ने कहा कि डीपीआर में सबसे कम निविदा वाले नियम ने पूरी व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। बेंगलुरु में एक ऐसे कंसल्टेंट ने अविश्वसनीय कीमत पर टेंडर ले लिया जिसे उस क्षेत्र की कोई जानकारी नहीं थी। प्रतिस्पर्धात्मक निविदा के नाम पर प्रोजेक्टों की डीपीआर को लेकर सबसे अधिक गड़बड़ी हो रही है और यह डीपीआर की खराब क्वालिटी से लेकर निर्माण के घटिया स्तर की सबसे बड़ी वजह है।
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Bihar News: अब बिहार में गर्मियों में नहीं होगी पानी की किल्लत, नीतीश सरकार ने बनाया प्लान
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार सरकार ने आगामी ग्रीष्म ऋतु के दौरान संभावित जल संकट से निपटने की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) द्वारा इस संबंध में व्यापक कार्ययोजना तैयार की गयी है।
मंत्री नीरज कुमार सिंह के मुताबिक, चापाकलों की मरम्मति एवं रखरखाव के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिन पंचायतों में भू-जल स्तर नीचे चला गया है, वहां राइजर पाइप बढ़ाकर चापाकलों को क्रियाशील बनाए रखने की व्यवस्था की जा रही है।
मंत्री बोले- 1520 नए चापाकलों के निर्माण की अग्रिम स्वीकृति मिलीमंत्री नीरज सिंह ने बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1520 नए चापाकलों के निर्माण की अग्रिम स्वीकृति दी जा चुकी है। साथ ही, चापाकलों के मरम्मति के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप राज्यभर में कुल 1,20,749 चापाकलों की मरम्मति का कार्य शुरू कर दिया गया है।
सभी चापाकलों की मरम्मति की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही है और जिओ टैग्ड फोटोग्राफ एवं सामाजिक प्रमाणिकरण भी प्राप्त किए जा रहे हैं।
गर्मी में पेयजलापूर्ति की चुनौती से निपटने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं। सर्वप्रथम अकार्यरत चापाकलों की तत्काल मरम्मति कराने एवं जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में 'हर घर नल का जल' संरचनाओं के अतिरिक्त टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति कराने का उन्होंने निर्देश दिया है।
सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों और महादलित टोलों में चापाकलों को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है। साथ ही भूजल स्तर में सम्भावित गिरावट को देखते हुए पंचायत स्तर पर जल स्रोतों की स्थिति का दैनिक आधार पर आकलन किया जा रहा है।
टैंकर के माध्यम से भी पहुंचाया जा रहा पानीजिन क्षेत्रों में भूजल का स्तर अत्यधिक नीचे चले जाने से जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित होती हैं , वहां टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। जल संकटग्रस्त पंचायतों को प्राथमिकता के आधार पर जल वितरण का रूट चार्ट तैयार किया गया है, ताकि किसी भी गांव या टोले में पेयजल की कमी न हो।
पूरी व्यवस्था की जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष के माध्यम से निगरानी भी की जा रही है। इसके साथ ही विभाग के स्तर से जल गुणवत्ता को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
केमिकल वाले चापाकल को चिह्नित किया जा रहाइसके तहत उन जलस्रोतों को लाल रंग से चिह्नित किया जा रहा है, जिनमें आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन की मात्रा मान्य सीमा से अधिक पाई गई है। साथ ही, "हर घर नल का जल" योजना के तहत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ने का काम भी तेज कर दिया गया है।
इसके अलावा गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की विभाग द्वारा पहल की गई है। राज्य में कुल 261 कैटल ट्रफ (पशु प्याऊ) का निर्माण किया गया है और इनकी क्रियाशीलता सुनिश्चित करने के लिए इसका भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है।
विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने गर्मी के मौसम में राज्य के सुखाग्रस्त हिस्सों में सम्भावित भूजल स्तर में आने वाली गिरावट के कारण उत्पन्न पेयजल की समस्या से निपटने की तैयारियों पर पिछले दिनों सभी क्षेत्रीय कार्यपालक अभियंताओं के साथ बैठक भी की है।
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Bihar Jobs 2025: बीपीएससी में एक और भर्ती, 1711 पदों पर होगी नियुक्ति; इस तरह होगा सिलेक्शन
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों एवं अस्पतालों के 25 स्पेशियलिटी विभागों में सहायक प्राध्यापक के 1711 पदों पर नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार कर रहा है। वेबसाइट पर आवेदन के लिए लिंक व विस्तृत जानकारी अपलोड है। आवेदन के लिए लिंक वेबसाइट पर सात मई तक उपलबध होगा।
विभिन्न विभागों में भर्तियांएनाटॉमी के 69, निश्चेतना के 125, बायोकेमिस्ट्री के 60, दंत रोग के 23, नेत्र रोग के 64, नाक, कान एवं गला के 65, एफएमटी 59, माइक्रोबायोलॉजी के 60, औषधि के 120, हड्डी रोग के 76, स्त्री रोग एवं प्रसव के 120, मनोरोग के 63, फिजियोलॉजी के 62, फार्माकोलॉजी के 59 पदों के लिए आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं।
अन्य विभागों में भी अवसरवहीं, पीएसएम के 56, पैथोलॉजी के 84, शिशु रोग के 106, पीएमआर के 43, रेडियोलॉजी के 73, चर्म एवं रति रोग के 67, टीबी एंड चेस्ट के 68, जेरियाट्रिक्स के 36, रेडियोथेरेपी के 76, स्पोट्र्स मेडिसिन के तीन तथा इमरजेंसी मेडिसिन के 74 पदों के लिए भी आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं।
चयन प्रक्रिया और मानदंडआयोग के अनुसार, चयन का आधार शैक्षणिक योग्याता व साक्षात्कार में प्राप्त अंक होगा। एमबीबीएस, बीडीएस व भारतीय चिकित्सा परिषद की अनुशंसा के अनुसार, आवेदित स्पेशियलिटी विषय या विषय समूह में प्राप्त अंक के लिए पांच-पांच, एमडी, एमएस, एमडीएस या समकक्ष के लिए 10, स्पेशियलिटी में पीएचडी, डीएम, एमसीएच एवं डीएनबी के लिए 10, सरकारी क्षेत्र में कार्यानुभव के लिए 10 तथा साक्षात्कार के लिए अधिकतम छह अंक निर्धारित हैं।
न्यूनतम अर्हता अंकसहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति के पात्र होने के लिए अभ्यर्थी को न्यूनतम 18 अंक प्राप्त करना आवश्यक होगा।
फार्मासिस्ट के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन की तिथि बढ़ीबिहार तकनीकी सेवा आयोग ने स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट के दो हजार 473 पदों पर नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ा दिया है। अब 16 अप्रैल तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन अभ्यर्थियों ने ‘बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल’ से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया है, उन्हें आवेदन करने का अतिरिक्त अवसर दिया जाएगा। इस कारण अब रजिस्ट्रेशन के लिए किए गए आवेदन को मान्य कर दिया गया है।
बिहार तकनीकी सेवा आयोग के प्रभारी सचिव ने कहा है कि बिहार फार्मासिस्ट काउंसिल से रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र को विलोपित कर दिया गया है। निबंधन के लिए बिहार फार्मेसी काउंसिल में जमा आवेदन पत्र को साक्ष्य के रूप में मान्य करते हुए अभ्यर्थी 16 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। विस्तृत जानकारी वेबसाइट https://btsc.bihar.gov.in/ पर उपलब्ध है।
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