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DMK ने लगाया गुमराह करने का आरोप तो धर्मेंद्र प्रधान ने साझा किया पत्र, सीएम स्टालिन को लिया आड़े हाथ

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 11:41pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमिलनाडु स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाने का विरोध कर रहा है। इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग का एक पत्र साझा किया है। यह पत्र 15 मार्च 2024 का है। इसमें कहा गया कि राज्य पीएम श्री स्कूल स्थापित करने के लिए बेहद उत्सुक है।

इससे पहले डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा था कि शिक्षा मंत्री का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। यह सदन को गुमराह करने वाला है। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने यह पत्र साझा किया।

सहमति पत्र किया साझा

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा कि कल डीएमके सांसदों और सीएम स्टालिन ने मुझ पर पीएम श्री स्कूलों की स्थापना पर तमिलनाडु की सहमति के बारे में संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया था। मैं अपने बयान पर कायम हूं। 15 मार्च 2024 को तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग का सहमति पत्र साझा कर रहा हूं।

जनता को जवाब देना होगा

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि डीएमके सांसद और माननीय सीएम जितना चाहें झूठ का अंबार लगा लें। मगर सीएम स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार को तमिलनाडु के लोगों को बहुत कुछ जवाब देना होगा। भाषा के मुद्दे को ध्यान भटकाने की रणनीति के रूप में उठाना और अपनी सुविधा के मुताबिक तथ्यों को नकारना उनके शासन और कल्याण घाटे को नहीं बचा पाएगा।

अचानक यह बदलाव क्यों?

प्रधान ने आगे पूछा कि एनईपी पर रुख में अचानक यह बदलाव क्यों? निश्चित रूप से सियासी स्वार्थ और डीएमके के राजनीतिक भाग्य को पुनर्जीवित करने की खातिर होगा। डीएमके की यह राजनीति तमिलनाडु और वहां के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बड़ा नुकसान है।

सुधा मूर्ति का किया जिक्र

धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने सुधा मूर्ति जी से पूछा कि आप कितनी भाषाएं जानती हैं? जवाब में उन्होंने कहा कि जन्म से वह कन्नड़ हैं, पेशे से उन्होंने अंग्रेजी सीखी, अभ्यास से उन्होंने संस्कृत, हिंदी, ओडिया, तेलुगु और मराठी सीखी। इसमें गलत क्या है?

सुधा मूर्ति जी पर इन भाषाओं को सीखने का किसने दबाव बनाया? कोई किसी पर कुछ नहीं थोप रहा है। यह एक लोकतांत्रिक समाज है। कई बार आपको बहुभाषी बनना चाहिए। इस बीच तमिलनाडु सीएम ने राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं करने का एलान किया है। 

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ECI ने सभी राजनीतिक दलों को लिखा लेटर, बातचीत के लिए किया आमंत्रित; चुनावी प्रक्रियाओं को मजबूत करने की पहल

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 11:33pm

पीटीआई, नई दिल्ली। मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने इस मामले को सुलझाने की मंगलवार को पहल की। चुनावी प्रक्रिया मजबूत करने के लिए आयोग ने राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया।

चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से चुनावी पंजीकरण अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के स्तर पर 'किसी भी अनसुलझे मुद्दे' को लेकर 30 अप्रैल तक सुझाव आमंत्रित किए हैं।

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को लिखा पत्र

आयोग ने मंगलवार को राजनीतिक दलों को अलग-अलग लिखे पत्र में पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ सदस्यों के साथ 'परस्पर सुविधाजनक समय पर बातचीत करने का सुझाव दिया है ताकि स्थापित कानून के अनुसार चुनावी प्रक्रियाओं को और मजबूत किया जा सके।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने पिछले हफ्ते दिए थे ये आदेश
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पिछले सप्ताह आयोग के एक सम्मेलन में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित रूप से संवाद करें। ऐसी बैठकों में प्राप्त सुझावों का समाधान पहले से मौजूद कानूनी ढांचे के भीतर करें तथा 31 मार्च तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करें।
  • आयोग ने राजनीतिक दलों से भी संवाद की इस प्रणाली का उपयोग करने का आग्रह किया था। इस प्रणाली के लिए आयोग द्वारा चिह्नित 28 प्रमुख हितधारकों में से एक राजनीतिक दल भी हैं।
  • निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को लिखे पत्र में कहा गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960, चुनाव संचालन नियम, 1961, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए विकेंद्रीकृत, मजबूत और पारदर्शी कानूनी ढांचा स्थापित किया है।
संसद में उठा EPIC नंबरों में दोहराव का मुद्दा

मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपिक) नंबरों में दोहराव का मुद्दा संसद में लगातार दूसरे दिन भी गूंजा। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी के मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की। कई राजनीतिक दलों ने मतदाता सूचियों को लेकर सवाल उठाए हैं।

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India-Qatar: भारत-कतर ने आर्थिक समझौतों पर किए हस्ताक्षर, इन क्षेत्रों में करेंगे एकसाथ काम

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 11:30pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत और कतर ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी की रूपरेखा एवं निवेश, वित्तपोषण साधनों के उपयोग के साथ आर्थिक नीतियों में आपसी सहयोग के प्रोत्साहन एवं विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए

वित्तीय और आर्थिक सहयोग के इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर दोनों देशों के बीच 18 फरवरी को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।

मंत्रालय ने कहा, 'एमओयू का उद्देश्य आर्थिक नीतियों, वित्तपोषण साधनों के उपयोग, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के प्रारूप एवं निवेश के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना और विकसित करना है।'

एमओयू से दोनों देशों में निवेश के लिए नए अवसरों की उम्मीद

इस एमओयू से दोनों देशों में निवेश के लिए नए एवं उभरते क्षेत्रों और अवसरों की तलाश होने की उम्मीद है। दोनों देशों के वित्त मंत्रालय आपस में संयुक्त सहयोग कॉ माडल और क्षेत्रों को बढ़ावा देंगे।

दोनों देश विशेषज्ञ कार्यशालाओं, संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों का आयोजन, संयुक्त कार्य के क्षेत्रों में दस्तावेजी और तकनीकी जानकारी के आदान-प्रदान और दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के बीच संवाद बनाए रखने की पहल करेंगे।

एक साथ काम करने और निवेश पर होगा काम

मंत्रालय ने कहा कि यह एमओयू दोनों पक्षों की एक साथ काम करने और निवेश, विकास और प्रगति के लिए नए अवसरों को खोलने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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'मेरा बेटा आतंकवादी नहीं था', जार्डन में मारे गए केरल के व्यक्ति के पिता ने सरकार से जांच की मांग की

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 11:30pm

पीटीआई, तिरुअनंतपुरम। इजराइल में प्रवेश की कोशिश करते समय कथित रूप से जार्डन के सशस्त्र बलों की गोली का शिकार हुए थामस गेब्रियल परेरा को मंगलवार को तिरुअनंतपुरम के थुंबा में एक गिरजाघर के कब्रिस्तान में दफना दिया गया। परेरा का शव मंगलवार सुबह तिरुअनंतपुरम लाया गया था।

पिता ने न्याय की मांग की

इस बीच मृतक के पिता ने न्याय की मांग करते हुए कहा कि मेरा बेटा आतंकवादी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक था। जब वह यहां से रवाना हुआ तो अपने साथ वीजा समेत सभी जरूरी दस्तावेज लेकर गया था। वह अकेला नहीं था, उसके साथ उसका साला भी था। बाद में ही हमें पता चला कि उसकी हत्या कर दी गई है।

परेरा के परिवार ने कहा कि मृतक के पास वैध वीजा और वापसी का टिकट था। उन्होंने मामले की सरकार से विस्तृत जांच की मांग की है। मृतक के पिता गेब्रियल परेरा ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें गहन जांच के लिए उनके हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया।

दस्तावेज अब तक परिवार को नहीं सौंपे गए

नेता प्रतिपक्ष ने थॉमस को दफनाये जाने के तुरंत बाद थुंबा के सेंट जान द बैपटिस्ट चर्च में उसके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। सतीशन ने मीडिया से कहा कि और अधिक जानकारी की आवश्यकता है क्योंकि मृतक का पासपोर्ट और अन्य यात्रा दस्तावेज अब तक परिवार को नहीं सौंपे गए हैं।

केरल वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया

भाजपा के वरिष्ठ नेता वी मुरलीधरन ने परेरा को श्रद्धांजलि देने के बाद कहा कि केंद्र सरकार ने शव को केरल वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया और उन्होंने मामले की जांच के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर से व्यक्तिगत रूप से बात की है।

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Manipur: मणिपुर में बड़ा हादसा, खाई में गिरी BSF की गाड़ी, तीन जवानों की मौत और 13 घायल

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 11:02pm

 पीटीआई, इंफाल। मणिपुर के सेनापति जिले में चंगौबुंग गांव के समीप खाई में ट्रक गिर जाने से उसमें सवार बीएसएफ के तीन जवानों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए। दो बीएसएफ जवानों की दुर्घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि एक की मौत अस्पताल के रास्ते में हुई।

मृत बीएसएफ जवानों के शवों को जिला अस्पताल में रखा गया है। घायल हुए जवानों में से कुछ की स्थिति गंभीर बताई गई है। राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने बीएसएफ जवानों की मौत पर शोक जताया है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

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GST दरें कम होने से खपत और रोजगार में होगी बढ़ोतरी, तंबाकू उत्पादों पर 35 फीसदी का नया जीएसटी स्लैब संभव

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 10:55pm

राजीव कुमार, नई दिल्ली। जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की कवायद में अधिकतर वस्तुओं की दरें कम हो सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में साफ संकेत दिया था कि अब अगली बारी जीएसटी दरों में कटौती की है। यह कटौती पूर्ण रूप से राज्यों की सहमति पर निर्भर करेगा।

पिछले दो साल से मंत्रियों के समूह इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन जीएसटी काउंसिल की पिछली तीन बैठकों से इस मुद्दे पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक चालू संसद सत्र के समाप्त होने के बाद अप्रैल के आखिर या मई के पहले सप्ताह में जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसमें जीएसटी की दरों को कम करने को लेकर चर्चाएं होंगी।

विरोध के कारण कम नहीं की जा सकीं जीएसटी की दरें

जीएसटी की दरों को कम करने के मसले पर राज्य कितने सहमत होंगे, इस बात को लेकर संशय है। काउंसिल की बैठक में राज्यों के विरोध की वजह से अब तक हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी दरें कम नहीं की जा सकी है।

जीएसटी की कीमतें कम होने पर इकोनॉमी को मिलेगी गति
  • जानकारों का कहना है कि वैश्विक चुनौतियों की वर्तमान परिस्थिति में जीएसटी की दरें कम करने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। डेलायट में टैक्स पार्टनर एम.एस. मनी के मुताबिक जिन वस्तुओं पर दरें कम होंगी, वे सस्ती हो जाएंगी और उनकी खपत बढ़ जाएंगी।
  • खपत बढ़ने से उन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा और इससे रोजगार भी निकलेंगे। पहले की तुलना में अधिक खपत से टैक्स कलेक्शन भी बढ़ सकता है। टैक्स कलेक्शन भी प्रभावित नहीं होगा
  • मतलब जीएसटी दरें कम करने से टैक्स कलेक्शन भी प्रभावित नहीं होगा। जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने के दौरान कोई भी उद्यमी नहीं चाहेगा कि जिन वस्तुओं की वह बिक्री करता है, उन पर दरें बढ़ें। दरें बढ़ने पर वह वस्तु महंगी हो जाएगी और बिक्री प्रभावित होगी।
लगातार बढ़ रहा जीएसटी कलेक्शन

हर उद्यमी चाहेंगे कि उनसे जुड़ी वस्तुओं की दरों में बढ़ोतरी नहीं हो। अभी कई ऐसी वस्तुएं हैं जिनके कच्चे माल और अंतिम उत्पाद पर जीएसटी की दरों में अंतर है। इससे तार्किक बनाया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक जीएसटी की दरों को कम करना अब इसलिए भी मुश्किल नहीं है क्योंकि जीएसटी का कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है।

तंबाकू के लिए 35 फीसदी का नया जीएसटी स्लैब लाया जाएगा

एक चर्चा यह भी चल रही है कि तंबाकू व अन्य नुकसानदेह उत्पादों के लिए 35 प्रतिशत का नया जीएसटी स्लैब लाया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि नए स्लैब के लिए जीएसटी कानून में संशोधन करना होगा और इसके लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़ सकती है। तर्कसंगत बनाने के दौरान रोटी पर पांच प्रतिशत और पराठे पर 12 प्रतिशत जीएसटी जैसे विवादित मसलों का भी हल निकालना होगा।

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'चीन के बाहर पैदा होगा मेरा उत्तराधिकारी', दलाई लामा ने बढ़ाई शी चिनफिंग की टेंशन; तिलमिला उठा ड्रैगन

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 10:53pm

रॉयटर्स, नई दिल्ली। दलाई लामा ने कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा होगा। अपनी नई पुस्तक में यह लिखकर आध्यात्मिक गुरु ने छह दशक से बीजिंग के साथ उनके विवाद को और हवा दे दी है, जो हिमालयी क्षेत्र में पड़ने वाले तिब्बत पर चीन के नियंत्रण के चलते उपजा था और वह देश छोड़कर भारत आ गए थे।

मुक्त संसार में पैदा होगा उत्तराधिकारी

मंगलवार को जारी हुई 'वायस फॉर वायसलेस' नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा कि दुनिया भर के तिब्बती चाहते हैं दलाई लामा नामक संस्था उनकी मृत्यु के बाद भी जारी रहे। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कहा था कि उनके साथ ही आध्यात्मिक गुरुओं का सिलसिला रुक जाएगा।

इस किताब में दलाई लामा ने पहली बार विशिष्ट रूप से साफ किया है कि उनका उत्तराधिकारी 'मुक्त संसार' में जन्म लेगा, जो चीन के बाहर है।

क्या भारत में पैदा होगा उत्तराधिकारी?

दलाई लामा ने पूर्व में कहा था कि केवल वही (दलाई लामा) तिब्बत से बाहर पुनर्जन्म ले सकते हैं, और संभवत: यह भारत हो सकता है जहां वह निर्वासन के बाद रह रहे हैं। उन्होंने लिखा, ''पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्वाधिकारी के कार्यों को आगे बढ़ाना होता है, इसलिए नया दलाई लामा मुक्त संसार में जन्म लेगा, ताकि दलाई लामा के वैश्विक करुणा की आवाज, तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु के साथ तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाले तिब्बती प्रतीक जैसे पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ाए।''

23 वर्ष की आयु में भारत आ गए थे दलाई लामा

मौजूदा 14वें दलाई लामा का मूल नाम तेनजिन ग्यात्सो है और वह 1959 में माओत्से तुंग के वामपंथियों के शासन के खिलाफ विफल विद्रोह करने के बाद 23 वर्ष की आयु में हजारों तिब्बतियों के साथ भागकर भारत आए थे। वहीं, 1989 में शांति का नोबल पुरस्कार पाने वाले दलाई लामा को चीन एक अलगाववादी कहता है।

चीन का खंडन

इस संबंध में चीन के प्रवक्ता माओ निंग ने मंगलवार को कहा, ''दलाई लामा राजनीतिक निर्वासन पर हैं, जिनके पास तिब्बती लोगों का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। जीवित बुद्ध दलाई लामा की वंशावली की स्थापना और विकास चीन में हुआ और उनकी धार्मिक स्थिति और नाम भी चीन सरकार द्वारा तय किए गए थे। ''

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