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Bihar Police News: 6 IPS अधिकारी ट्रेनिंग के लिए जाएंगे हैदराबाद, नामों की लिस्ट आई सामने
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार कैडर के छह आईपीएस अधिकारी प्रशिक्षण लेने राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद जाएंगे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 अप्रैल से 16 मई तक चलेगा।
इस दौरान अधिकारी मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम फेज तीन का प्रशिक्षण लेंगे। गृह विभाग ने इससे जुड़ा आदेश जारी करते हुए इन अधिकारियों के प्रतिस्थानी भी तय कर दिए हैं।
बिहार स्वाभिमान विशेष सशस्त्र पुलिस बल बगहा के समादेष्टा मिथिलेश कुमार की अनुपस्थिति में बगहा एसपी सुशांत कुमार सरोज, मुजफ्फरपुर रेल एसपी विनय तिवारी की अनुपस्थिति में मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी विश्वजीत दयाल और एमपीटीसी डुमरांव के प्राचार्य सह समादेष्टा महेंद्र कुमार बसंत्री की अनुपस्थिति में बी-सैप चार डुमरांव के समादेष्टा अजय कुमार पांडेय उनसे जुड़ी जिम्मेदारी संभालेंगे।
होमगार्ड सह अग्निशमन सेवाएं के डीआईजी सुधीर पोरिका, विशेष शाखा (जी) के एसपी विनीत कुमार और निगरानी ब्यूरो के एसपी मनोज कुमार की अनुपस्थिति में उनके प्रतिस्थानी आंतरिक व्यवस्था से तय किए जायेंगे।
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Patna News: पटना एयरपोर्ट को लेकर नया नियम आया सामने, नहीं मानने पर लगेगा भारी जुर्माना
जागरण संवाददाता, पटना। Patna News: ऐसा कोई उपकरण जिससे लेजर लाइट निकलती हो, उसका उपयोग पटना एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्र में नहीं किया जाएगा। शादी अथवा अन्य समारोह में बैंड-बाजा या डीजे बजाने से पूर्व संबंधित थाने से अनुमति लेने होगी। आश्वस्त करना होगा कि उसमें लगी लाइट हवाईअड्डा तक नहीं पहुंचेगी। इसके बाद ही थाने से अनुमति मिलेगी।
यह निर्देश विशेषकर एयरपोर्ट, फुलवारीशरीफ, गर्दनीबाग और सचिवालय थाना क्षेत्रों के लिए है, जो हवाईअड्डा के करीब हैं। इस संबंध में शुक्रवार को एसएसपी ने बैठक कर थानेदारों और एसडीपीओ को निर्देश दिए। बैठक के उपरांत थानेदारों ने डीजे बजाने को लेकर संचालकों से बंधपत्र भरवाया।
इसमें संचालकों ने रात 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजाने की शपथ ली। इसके अलावा उन्होंने पुलिस को आश्वस्त किया कि वे रात में लेजर लाइट का प्रयोग नहीं करेंगे।
ऐसा करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। गौर हो कि गुरुवार को पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान पुणे की फ्लाइट पर लेजर लाइट पड़ने की वजह से संतुलन बिगड़ गया था, जिसके कारण बड़ा हादसा हो सकता था।
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Patna News: आरपीएफ ने पटना जंक्शन से 6 शातिर अपराधियों को दबोचा, यात्रियों के लिए मुसीबत बन गए थे ये बदमाश
जागरण संवाददाता, पटना। Patna News: रेलवे सुरक्षा बल के इंस्पेक्टर शंकर अजय पटेल के नेतृत्व में शनिवार को पटना जंक्शन पर सघन छापेमारी अभियान चलाया गया। इस क्रम में आरपीएफ की ओर से पटना जंक्शन के बुकिंग काउंटर, प्लेटफार्म संख्या चार व करबिगहिया बुकिंग काउंटर के पास से संदिग्ध परिस्थिति में चार शातिर चोरों को गिरफ्तार कर लिया।
चार स्मार्ट मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गयाउनके पास से चार स्मार्ट मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गया। इस दौरान आरपीएफ ने कमला नेहरु नगर निवासी शत्रुघ्न पासवान के पुत्र चंदन पासवान, भोजपुर के बलिगांव निवासी नारायण साव, रामकृष्ण नगर जगनपुरा निवासी संदीप कुमार एवं मनिगाछी थाना क्षेत्र के जगदीशपुर निवासी बबलू साहनी को गिरफ्तार कर जीआरपी को सुपुर्द कर दिया गया।
चारों को जेल भेज दिया गयाजीआरपी की ओर से मामला दर्ज कर चारों को जेल भेज दिया गया। वहीं दूसरी ओर, प्लेटफार्म संख्या एक पर खड़ी ट्रेन संख्या 12742 के जनरल बोगी के यात्रियों का सामान गायब कर भाग रहे अपराधी सालिमपुर अहरा निवासी मनीष कुमार को आरपीएफ के अधिकारियों ने रंगे हाथ दबोच लिया।
उसके पास से बिटृटू कुमार का ड्राइविंग लाइसेंस, बब्लू कुमार का आधार कार्ड , एक स्मार्ट फोन एवं 634 रुपये नकद बरामद कर लिया गया।
वहीं, दूसरी ओर, महावीर मंदिर के पीछे से वाराणसी के मनोकामना घाट निवासी काशी गिरी को चार एंड्रोआयड स्मार्ट फोन के साथ गिरफ्तार कर जीआरपी को सुपुर्द कर दिया। छापेमारी टीम में निरीक्षक शंकर अजय पटेल, सत्येन्द्र कुमार , के के कनक, विपीन कुमार चतुर्वेदी, संदीप कुमार गौतम समेत अन्य सुरक्षा बल शामिल थे।
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Patna News: पटना में कैब चालक क्यों हुए नाराज? ले लिया बड़ा फैसला; सफर हो जाएगी महंगा
जागरण संवाददाता, पटना। Patna News: टैक्सी यानी कैब चलाने वाले चालक चार्ज घटने से नाराज हैं। उनका कहना है कि चार्जेज घटन से कैब चलाना घाटे का सौदा होता जा रहा है। बुकिंग कराने पर न्यूनतम किराया 45 रुपये है। इस पर जीएसटी देना पड़ता है।
कैब चालकों का कहना है कि अब गर्मी आ रही है। एसी चलने लगा है। अब टैक्सी चलाने की लागत बढ़ जाएगी। इस मुद्दे पर शनिवार को निजी टैक्सी तथा ओला, उबर सहित अन्य कंपनी के चालकों ने नो एसी अभियान चलाया। फैसला लिया गया बिना अतिरिक्त शुल्क के एसी नहीं चलाया जाएगा।
पटना कैब ड्राइवर यूनियन (इंटक) के संरक्षक अनिल द्विवेदी ने बताया कि कैब चालकों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। खर्च नहीं निकल पा रहा है। कंपनियों ने किराया घटा दिया है। उबर कम से कम 100 रुपये न्यूनतम राशि के बाद किलोमीटर के हिसाब से बुकिंग कराता है।
एसी चलाने के एवज में वसूली जाएगी अतिरिक्त राशिएक कंपनी ने न्यूनतम राशि की व्यवस्था हटा दी है। कोई सुनने वाला नहीं है। वाहन, ईंधन, चालक, एसी का खर्च जोड़ा जा सकता है। इसमें कंपनी की रायल्टी और जीएसटी मिलाकर 30 प्रतिशत हो जाता है। ऐसे में खर्च नहीं निकल रहा है। चालक और वाहन मालिक भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। ऐसी स्थिति में सवारी से एसी चलाने के एवज में हमलोगों ने अतिरिक्त शुल्क मांगने का फैसला लिया है।
पटना कैब ड्राइवर यूनियन (इंटक) के अध्यक्ष धनंजय सिंह ने बताया कि गर्मी बढ़ने के कारण सवारी एसी चलाने को कहती है। एसी चलाने पर टैक्सी चलाना घाटे का सौदा हो रहा है। कंपनियां ध्यान नहीं दे रही है। कैब चालक शशिकांत ने बताया कि साढ़े चार किलोमीटर दूरी की एक बुकिंग 72 रुपये आयी। तीस प्रतिशत काटने के बाद इसमें क्या लाभ होगा।
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Patna News: पटना में साइबर ठग गिरफ्तार, दिल्ली जल बोर्ड के नाम पर करता था धोखाधड़ी
राज्य ब्यूरो, पटना। Patna News: दिल्ली जल बोर्ड के लोगो का उपयोग कर साइबर ठगी किए जाने के मामले में सीबीआइ ने पटना से आरोपित बिट्टू कुमार को गिरफ्तार किया है। सीबीआइ ने उसे उस समय गिरफ्तार किया, जब वह पेट्रोल पंप पर नकदी निकालने के लिए डेबिट कार्ड बदल रहा था।
इसके अलावा सीबीआइ ने तीन स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें 11 मोबाइल, अन्य खाताधारकों के 14 डेबिट कार्ड, नकदी, नोट वेंडिंग मशीन और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है।
सीबीआइ ने बयान जारी कर बताया कि आरोपी बिट्टू कुमार को 17 अप्रैल को पटना में गिरफ्तार किया था। उसे पटना में कोर्ट में पेश किया गया, जहां से चार दिनों की ट्रांजिट रिमांड मंजूर की गई। इसके बाद उसे शनिवार को दिल्ली में सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।दरअसल, सीबीआइ को शिकायत मिली थी कि एक गिरोह दिल्ली जल बोर्ड का पानी कनेक्शन बंद होने, बकाया होने या कनेक्शन ठीक करने के नाम पर लोगों को वाट्सएप मैसेज भेजता था।
आरोपी के वाट्सएप अकाउंट में डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) के रूप में दिल्ली जल बोर्ड के लोगो का उपयोग किया जाता था, ताकि ग्राहकों का भरोसा जीता जा सके। भेजे गये मैसेज में एक लिंक होता था, जिस पर क्लिक करते ही उपभोक्ता के वाट्सएप अकाउंट से लेकर वित्तीय डेटा और अन्य मोबाइल डेटा तक उसकी पहुंच हो जाती थी। इसका इस्तेमाल कर वह ठगी करता था।
आरोपियों ने इस मामले में दिल्ली सीबीआइ की एक महिला अधिकारी रत्ना चौहान वर्मा से भी ठगी की थी। इस मामले की जांच जारी है।
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'टैरिफ वार के झटके झेल भी लेंगे और उबर भी जाएंगे', अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने खास बातचीत में क्या-क्या कहा?
रुमनी घोष, नई दिल्ली। 'अमेरिका में रह रहे कुछ एनआरआई रिश्तेदार फोन करके अनुरोध कर रहे हैं कि पैरासिटामोल के चार पैकेट और एक आई-फोन ले आना...' प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, जाने-माने अर्थशास्त्री और लेखक संजीव सान्याल का यह 'एक्स' पोस्ट अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और फिर उसे 90 दिनों के लिए रोकने के बीच की अवधि में दुनियाभर में फैली अनिश्चितता को बड़े ही रोचक अंदाज में बयां करता है।
इसे पढ़कर चेहरे पर जो हल्की सी मुस्कुराहट उभरती है, वह तनावभरे माहौल को हल्का करने में मदद करती है। वहीं, शब्दों की गहराई सही समय पर उचित कदम उठाए जाने की ओर भी इशारा करती है।
बहरहाल, दोनों ही स्थितियों से साफ है कि इससे भारत के लिए एक ऐसा अवसर पैदा हो रहा है, जो पहले कभी भी नहीं रहा है। अपनी बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले संजीव सान्याल कहते हैं, कि मैं यह नहीं कहूंगा कि भारत को झटके नहीं लगेंगे..., लेकिन हम झेल भी लेंगे और उससे उबर भी जाएंगे।
इस वक्त भारत का एक ही लक्ष्य है-अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड समझौता । ... और यदि हमने सही समय पर कुछ ऐसे जरूरी कदम उठा लिए तो अमेरिका-चीन के बीच सुपर पावर बनने के लिए चल रहे संघर्ष के दौरान भारत को अपना बाजार तैयार करने का एक मौका मिल सकता है। यह मौका कैसे मिल सकता है? और इसके लिए भारत को क्या-क्या कदम उठाने पड़ेंगे?
इन सारे सवालों को लेकर दैनिक जागरण की समाचार संपादक रुमनी घोष ने उनसे विस्तार से बातचीत की। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियों में से एक रोड्स स्कॉलरशिप लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर कर लौटे सान्याल ने मल्टीनेशनल बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री के बतौर अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 2017 में वह वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए और उन्होंने भारत के आर्थिक सर्वेक्षण के छह संस्करण तैयार करने में मदद की।
वर्ष 2022 से वह प्रधान मंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए। उन्होंने जी-7 व आर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक-कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की बैठकों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू टैरिफ युद्ध किस दिशा में जा रहा है?
पहली बात यह याद रखिए कि मूलत: इसका भारत के साथ कोई लेना-देना नहीं है। यह वैश्विक आर्थिक ढांचा है...दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इसी ढांचे पर दुनिया चल रही थी। यह ढांचा अब टूटने लगा है। आप इतिहास में झांकेंगे तो पाएंगे कि यह उथल-पुथल स्वाभाविक है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के पहले ब्रिटिश साम्राज्य के सामने जर्मनी, जापान और अमेरिका तीन शक्तियां उभरने लगीं।
युद्ध के बाद आर्थिक ढांचा टूटा और अमेरिका सामने आकर खड़ा हुआ। कुछ समय के लिए सोवियत संघ भी इस दौड़ में शामिल रहा, लेकिन वर्ष 1991 के बाद अमेरिका ने कब्जा कर लिया और हेजिमोन (सुप्रीम लीडर) बनकर उभरा। हालांकि अभी दुनिया को 'युद्ध' में तो नहीं उतरना पड़ा है, लेकिन पावर ट्रांजिशन (शक्ति स्थानांतरण) के दौर में टर्बुलेंस (अशांति) रहेगा। सभी पर असर पड़ेगा।
ट्रंप कभी टैरिफ लगा देते हैं, कभी रोक देते हैं? इतना कन्फ्यूशन (उलझन) और केयोस (घोर अव्यवस्था) क्यों?
ट्रंप की शैली से शायद दुनिया आश्चर्यचकित हैं, लेकिन अमेरिका की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया अपेक्षित था। इसे इस तरह से समझिए कि यह 'राइजिंग स्टार' को रोकने की कोशिश है। जो पहले नंबर पर काबिज है, वह अपनी जगह पर बने रहने की पुरजोर कोशिश करेगा। वहीं जो दूसरे नंबर पर है, वह पहले स्थान पर काबिज होने की कोशिश करेगा।
इससे पहले भी ऐसा हुआ है। पहले विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन के खिलाफ जर्मनी और अन्य देश इसी तरह से खड़े हुए थे। उसके पहले भी यह स्थिति बनी थी। नेपोलियन का दौर था। उस समय फ्रांस के सामने ब्रिटेन इसी तरह खड़ा हुआ था। अब फिर से 'ग्लोबल आर्डर' टूट रहा है। ऐसे में ट्रंप नहीं भी होते तो अमेरिका की ओर से कोई ओर इस कदम को उठाता।
यानी आप कहना चाह रहे हैं कि ट्रंप की शैली पर दुनिया सवाल उठा सकती है, लेकिन यह घटनाक्रम पहले से ही तय था? क्या माना जाए कि यह सबकुछ पहले से ही योजनाबद्ध तरीके से तय था?
बिलकुल। ट्रंप की शैली को लेकर दुनिया सवाल खड़े कर सकती है, लेकिन यह घटनाक्रम तय था। इसकी वजह से पूरी दुनिया में जो उथल-पुथल हो रहा है या आने वाले समय में होगा... वह भी तय है। यह सबकुछ योजनाबद्ध है या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता। कभी न कभी दुनिया को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता।
बतौर अर्थशास्त्री आप लोगों ने कितने समय पहले यह भांप लिया था कि विश्वभर में इस तरह की स्थितियां बनेंगी?
यह दिखाई दे रहा था...धीरे-धीरे स्थितियां बन रही थीं। बाजार उस परिस्थिति तक पहुंच गया था कि इस समय यह होना ही था। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी टैरिफ लगाया गया था। बाइडन प्रशासन ने भी टैरिफ बढ़ाया।
ब्रिटेन के सामने उभरते हुए अमेरिका ने एक ढांचा तैयार किया था। उससे अमेरिका को फायदा हुआ और चीन जैसे देशों को भी उभरने का मौका मिला। बीते 30 साल में भारत की अर्थव्यवस्था में जो उभार आया, वह भी इसी ढांचे की वजह से था, लेकिन अब न तो यह अमेरिका के लिए कारगर साबित हो रहा था और न ही भारत जैसे देश के लिए। ऐसे में इसके टूटने पर अफसोस नहीं होना चाहिए। यदि अमेरिका अभी यह कदम नहीं उठाता तो चीन बहुत आगे निकल जाता और उसे रोकना असंभव हो जाता।
अब क्या होगा? अंत कैसे होगा?
अभी हम बहुत अनिश्चित परिस्थिति में हैं। बहुत कुछ हो सकता है। किस तरह से इसका अंत होगा, यह बताना बहुत मुश्किल है। चीन की प्रतिक्रिया पर काफी कुछ निर्भर करेगा। अमेरिका ने पुराना ढांचा तोड़ दिया है। नया ढांचा बनाने में वह सफल होगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अमेरिका के ट्रेडिंग पार्टनर्स देशों का इस व्यवस्था के प्रति कितना लगाव होगा, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। इसमें भारत का भी एक बड़ा रोल है।
अभी तक तो भारत खामोश है... क्या हमने (भारत ने) कोई स्टैंड नहीं लिया है?
हमारा स्टैंड स्पष्ट है। भारत अमेरिका के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त बाजार समझौता) करना चाहता है। इसके लिए दोनों देशों के बीच बात चल रही है और हम इसी पर ही ध्यान देंगे।
क्या चीन, भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा सकता है? हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी?
नहीं। अभी भारत का एकमात्र लक्ष्य है अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करना। दुनिया में सभी देशों के लिए यह उथल-पुथल है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत पर इसका असर कम है।
फ्री ट्रेड का मतलब क्या? भारत और अमेरिका के बीच बिना टैक्स के व्यापार?
अमेरिका को जो भी चीजें हम निर्यात करते हैं तो उसमें से दो-तिहाई हिस्सा सेवाएं हैं। इस पर कोई टैक्स नहीं है। बचे हुए एक-तिहाई गुड्स में से फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रानिक्स को हटा दिया गया है, यानी इन पर टैक्स नहीं है। ऐसे में बचे हुए गुड्स पर टैरिफ का दबाव फिलहाल बहुत सीमित रहेगा। मैं यह नहीं कहूंगा कि टैरिफ का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
आने वाले समय में जब दुनियाभर में उथल-पुथल बढ़ेगी, तो भारत को भी झटका लगेगा, लेकिन यह झटका हमारी सहनशक्ति के भीतर होगा। हम उस झटके को झेल भी लेंगे और उससे उबर भी जाएंगे। हड़बड़ी की जरूरत नहीं है। जरूरी यह है कि हम अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड पर ध्यान दें और उसमें ही आगे बढ़ें। ऐसा फ्री ट्रेड, जिसमें हमें भी फायदा हो और उन्हें भी।
भारत के अन्य कई देशों से भी व्यापार संबंध हैं। क्या उस पर असर नहीं होगा?
असर तो होगा। अन्य देशों से व्यापार करते वक्त हमें उनकी स्थितियों के आधार पर ही नीतियां तय करनी पड़ेंगी।
हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दिशा और दशा तय करने वाले दो प्रमुख हस्तियों के दो अलग-अलग बयान हैं। एक ओर आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है टैरिफ के कारण उत्पन्न अनिश्चितता विकास के लिए नकारात्मक है। वहीं भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वीए नागेश्वरन का कहना है यह अनिश्चितता हमारे लिए अवसर भी लेकर आ सकती है? क्या दोनों टिप्पणियां विरोधाभासी नहीं है?
नहीं। कोई विरोधाभास नहीं है। बाजार में उथल-पुथल की वजह से लगने वाले झटकों से बचाव के लिए आरबीआइ को सतर्क रहना पड़ेगा। आरबीआइ का काम है कि वह 'शाक एब्जार्बर' बनकर रहे। सरकार का काम है कि इन स्थितियों की वजह से जो अवसर बन रहे हैं, उसका लाभ उठाना है।
अवसर के क्या मायने हैं?
अमेरिका और चीन या अन्य देशों के बीच जो सप्लाय चेन टूट गया है, उस मौके का फायदा उठाकर हमारे उद्योगपति और निर्यातक अमेरिका में निवेश करें। अमेरिका के उद्योगपतियों से यहां निवेश करवाएं। भारत के लिए एक नया बाजार तैयार करें। हम यूके के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तैयारी कर रहे हैं। यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है।...और सिर्फ उद्योगपति या निर्यातकों के लिए ही नहीं बल्कि नीति निर्माताओं, विज्ञानियों सहित हर क्षेत्र के लोगों को सोचना होगा। यानी 'आल आफ नेशन'... पूरे देश को एक साथ और एक दिशा में सोचना होगा।
आपने और आर्थिक सलाहकार परिषद ने सरकार को क्या सुझाव दिए हैं?
मैं प्रोसेस रिफार्म, यानी सरकारी प्रक्रियाओं में बदलाव के बारे सुझाव देता हूं। इनमें से एक है डी रेग्यूलेशन कमीशन, जो 'इज आफ डूइंग बिजनेस' पर काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पर कमेटी बनाए जाने की बात कही है। इस दौर में यह बहुत अहम है, ताकि व्यापार को बढ़ावा मिल सके।
पहले विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1929 में ग्रेट डिप्रेशन (विश्वव्यापी मंदी) शुरू हुआ था? यह मंदी 1939 तक चली थी। तब भी अमेरिकी टैरिफ जिम्मेदार था। क्या इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है?
वैश्विक मंदी आ सकती है...लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे पास मौद्रिक और राजकोषीय क्षमता दोनों है। इसकी वजह से भारत मंदी की स्थिति से उबरने में काफी हद तक सक्षम है।
मंदी की बात आते ही लोग 1991 के दौर में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा उठाए गए कदमों को याद कर रहे हैं। क्या वर्तमान में हम उतने ही तैयार हैं?
दोनों स्थितियों की कोई तुलना ही नहीं है। वर्ष 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था 300 मिलियन डालर की थी और अभी हमारी अर्थव्यवस्था 4.3 ट्रिलियन डालर की है। हम कोविड जैसे बड़े 'इकोनमिक शाक' से बाहर आ गए हैं। सरकार की ओर से यह बता देना चाहता हूं कि हमारे पास बहुत विकल्प हैं। फारेन एक्सचेंज रिजर्व है। मानिटरी क्षमता है। अन्य भी विकल्प हैं। हम इससे उबर जाएंगे।
टैरिफ लागू होने की स्थिति में भारतीय निर्यातकों ने निर्यात ऋण बीमा का विस्तार करने की मांग की है, ताकि अमेरिकी बाजार में पकड़ बनाई रखी जा सके। आपकी राय?
उद्योगपति और निर्यातक यदि कोई मांग लेकर आते हैं, तो हम निश्चित रूप से उस पर गौर करेंगे। यह समय एक होकर मिलकर चलने का है।
एशियाई देशों पर कितना असर रहेगा?
इस उथल-पुथल से बहुत ही जटिल परिस्थितियां बन सकती हैं। हर देश की स्थिति अलग-अलग है। बांग्लादेश में तो आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियां दोनों अलग-अलग असर डालेंगी। वियतनाम की इकानामी चीन से बहुत जुड़ी हुई है। जब अमेरिका, चीन पर दबाव डालेगा तो उसका असर वियतनाम पर भी पड़ेगा। बहुत अनिश्चितता होगी। वह देश, जिसकी अर्थव्यवस्था बहुत ही लचीले ढंग से आगे बढ़ेगी, वह इस परिस्थिति से खुद को बाहर निकाल ले जाएगी।
मंदी से बचाव के लिए भारत सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए?
हमें अपने माइक्रो इकानामिक सिस्टम (सूक्ष्म आर्थिक प्रणाली)को बरकरार रखना चाहिए। वैश्विक दबाव में उसका संतुलन नहीं बिगड़ना चाहिए। इसके अलावा फ्री ट्रेड पर जोर, इज आफ डूइंग बिजनेस सिस्टम (आसान व्यापार प्रणाली) को विकसित करना, जुडिशरी सिस्टम को तेज करना होगा। इंफोर्समेंट आफ कांट्रेक्ट बहुत धीमा व परेशानी भरा है। हालांकि यह दीर्घावधि प्लान है। इंफ्रास्ट्रक्चर में हमने बहुत काम किया है, लेकिन और ज्यादा सुधार की जरूरत है।
मंदी में आम आदमी और नौकरीपेशा लोग सबसे ज्यादा असहाय महसूस करते हैं। उन्हें नौकरी जाने या व्यवसाय डूबने का डर रहता है। उनकी सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम है?
देखिए, हमारे नेतृत्व द्वारा जो नीतियां बनाई जा रही हैं, वह इन परिस्थितियों में आम लोगों और नौकरीपेशा लोगों के लिए 'कुशन' का काम करेगी। पूरी कोशिश है कि भारत पर कम से कम असर हो।
आप कह रहे हैं कि भारतीय निवेशकों, निर्यातकों, उद्योगपतियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। भारत के पास यह अवसर कितने समय के लिए है और इसके लिए हमें क्या-क्या करना होगा?
सबसे पहले हर भारतीय को यह सोचना चाहिए कि यह उथल-पुथल हमेशा खराब नहीं होता है। मैं यह नहीं कहूंगा कि समस्या नहीं है, लेकिन यह हमारे लिए अवसर भी है। हमें इसे तलाशना होगा। इसके लिए पूरे देश को एक होकर आगे बढ़ना होगा।
चीन जितनी देर बाजार से बाहर है, उतनी देर भारत के उद्योपति और निवेशकों के लिए मौका है। यह स्थिति अनिश्चित काल के लिए नहीं रहेगी। पिछली बार जब इस तरह की स्थिति बनी थी, तब भारत की अर्थव्यवस्था इतनी छोटी थी कि हम उस दौड़ में ही नहीं थे। अब हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी टैरिफ वार में हमारे निर्यातकों के लिए बहुत बड़ा अवसर हो सकता है।
'सिर्फ कुछ समय के लिए ही चीन मैदान में नहीं होगा... उस दौरान ही भारत के लिए मौका है कि वह उस खाली जगह को घेरे। इसके लिए पूरे देश को एक होकर आगे बढ़ना होगा।'
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Chirag Paswan: 'मैं ज्यादा समय तक केंद्र में नहीं रहना चाहता', चिराग पासवान के बयान से सियासी हलचल तेज
राज्य ब्यूरो, पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान आगामी बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इसका संकेत उन्होंने शनिवार को अपने बयान से दिया।
चिराग ने अपने बयान में कहा कि मेरा प्रदेश मुझे बुला रहा है। मेरे पिता केंद्र की राजनीति में ज्यादा सक्रिय रहे थे, लेकिन मेरी प्राथमिकता बिहार है और मैं ज्यादा समय तक केंद्र में नहीं रहना चाहता।
उनके इस बयान पर उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता से कहा कि हमारे चिराग पासवान ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह केंद्र की राजनीति से दूरी बनाकर राज्य में सक्रिय राजनीति की ओर लौटना चाहते हैं। फिर विधानसभा चुनाव तो लड़ेंगे ही। राज्य की राजनीति में केंद्रीय भूमिका में चिराग से योग्य युवा नेता कोई नहीं हो सकता।
शनिवार को चिराग ने अपने बयान में साफ कहा कि उनकी पार्टी तमाम कार्यकर्ता और प्रदेश के युवा लगातार मांग कर रहे हैं कि वह बिहार की राजनीति के केंद्र में सक्रिय भूमिका निभाएं।
चिराग ने कहा कि मेरी सभाओं में युवाओं की भीड़ और कार्यकर्ताओं की मांग बताती है कि बिहार मेरी जिम्मेदारी है। मैं केंद्रीय मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाऊंगा, लेकिन बिहार मेरी प्राथमिकता रहेगा।
वैसे बता दें कि बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगा और पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगा।
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ITR Filing Last Date: आईटीआर फाइल करने की अंतिम तारीख कब है, रिफंड का क्या होगा? पढ़ लीजिए यहां सबकुछ
जागरण संवाददाता, पटना। आयकर विभाग की ओर से निर्धारित तिथि से आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। ऐसे में बगैर देर किए आपको आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है। इसे ससमय दाखिल करने से आपको रिफंड हो तो जल्द ही रिफंड मिलना आरंभ होगा। वर्ष 2024 में अप्रैल महीने में ही आयकर विभाग की ओर से ऑनलाइन फार्म जारी कर दिए गए थे।
आईटीआर जारी करने की अंतिम तिथि 31 जुलाईआईटीआर में किसी तरह का अंतर नहीं होने पर रिफंड जारी कर देता है। उन्होंने बताया कि आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित होती है।
फॉर्म 16 मई महीने में जारी होते हैंइससे उम्मीद की जा रही है कि फार्म जारी हो। इसके बाद जिनका टीडीएस नहीं कटा हो वैसे आयकरदाता आईटीआर दाखिल भी कर सकते है, क्योंकि फॉर्म 16 मई महीने में जारी होते है। आयकर विशेषज्ञ सीए आशीष रोहतगी व सीए रश्मि गुप्ता ने बताया कि आयकर विभाग की ओर से आइटीआर फार्म के लिए कवायद की जा रही होगी। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही यह फार्म आ आएं।
यदि आप ससमय आयकर रिटर्न दाखिल कर देते है तो आपका रिफंड भी जल्द मिल जाएगा। यदि इसमें देरी हुआ तो रिफंड में भी देरी हो सकता है। दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट डेडलाइन के अंदर आइटीआर फाइल होने के बाद रिटर्न की प्रक्रिया आरंभ करता है।
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भारत-अमेरिका के बीच होगा ट्रेड एग्रीमेंट, 19 चैप्टर में डील का मसौदा तैयार; वाशिंगटन में होगी बातचीत
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए दोनों देशों द्वारा अंतिम रूप दिए गए संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में लगभग 19 अध्याय शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इनमें वस्तु, सेवाओं और सीमा शुल्क सुविधा जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। वार्ता को और गति देने के लिए, प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए औपचारिक रूप से बातचीत शुरू करने से पहले कुछ मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने के लिए एक भारतीय आधिकारिक दल अगले सप्ताह अमेरिका का दौरा कर रहा है।
भारत के मुख्य वार्ताकार, वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल, दोनों देशों के बीच आमने-सामने की पहली वार्ता के लिए टीम का नेतृत्व करेंगे। अग्रवाल को 18 अप्रैल को अगले वाणिज्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह एक अक्टूबर से पदभार ग्रहण करेंगे।
तीन दिवसीय वार्ता होगीअधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन में अमेरिकी समकक्षों के साथ तीन दिवसीय भारतीय आधिकारिक टीम की वार्ता बुधवार (23 अप्रैल) से शुरू होगी। यह यात्रा एक उच्चस्तरीय अमेरिकी टीम के भारत दौरे के कुछ ही सप्ताह के भीतर हो रही है। यह बताती है कि बीटीए के लिए वार्ता गति पकड़ रही है।
पिछले महीने दोनों देशों के बीच वरिष्ठ अधिकारी स्तर की वार्ता हुई थी। दक्षिण और पश्चिम एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडनलिंच भारतीय अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण व्यापार चर्चा के लिए 25 से 29 मार्च तक भारत में थे।
शरद ऋतु तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का रखा लक्ष्यदोनों पक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुल्क पर नौ अप्रैल को घोषित 90 दिन की रोक का उपयोग करना चाहते हैं। इससे पहले, 15 अप्रैल को वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा था कि भारत अमेरिका के साथ जल्द से जल्द वार्ता को समाप्त करने का प्रयास करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार उदारीकरण का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। दोनों पक्षों ने इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिसका मकसद वर्तमान में लगभग 191 अरब डॉलर से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। व्यापार समझौते के तहत दो देश व्यापार होने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को काफी कम कर देते हैं और समाप्त कर देते हैं। वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है अमेरिका2021-22 से 2024-25 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका का लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत हिस्सा है। अमेरिका के साथ, भारत का 2024-25 में 41.18 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) था। 2023-24 में यह 35.32 अरब डॉलर, 2022-23 में 27.7 अरब डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब डॉलर और 2020-21 में 22.73 अरब डॉलर था।
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