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Waqf Bill: नये वक्फ कानून से बदलेगी मुकदमेबाजी की तस्वीर, जानिए संपत्तियों के विवाद कैसे सुलझेंगे
माला दीक्षित, नई दिल्ली। नया वक्फ कानून लागू हो गया है और नये कानून में वक्फ ट्रिब्युनल के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने का अधिकार दिया गया है जो कि वक्फ संपत्तियों के विवादों में मुकदमेबाजी की तस्वीर बदलेगा। अब तक हाईकोर्ट को ट्रिव्यूनल के आदेश की सिर्फ प्रक्रिया भर आंकने का अधिकार था, समीक्षा का नहीं।
बहुत से लोग नये वक्फ कानून में हाई कोर्ट में अपील दाखिल करने के दिए गए अधिकार पर कहते हैं कि पहले भी हाई कोर्ट में रिट दाखिल की जा सकती थी और हाई कोर्ट उस रिट पर सुनवाई करते हुए ट्रिब्युनल के आदेश को निरस्त कर सकता था, इसलिए इसमें नया क्या है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि रिट और अपील के क्षेत्राधिकार में अंतर है।
90 दिन में हाईकोर्ट में दी जा सकती है चुनौतीइलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एसआर सिंह भी कहते हैं कि रिट पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ट्रिब्युनल में पेश किये गये साक्ष्यों की समीक्षा नहीं कर सकता। वह सिर्फ यह देख सकता है कि ट्रिब्युनल ने आदेश देने में जो प्रक्रिया अपनाई थी वह सही थी कि नहीं। नये कानून में ट्रिब्युनल के आदेश को 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील दाखिल कर चुनौती दी जा सकती है। जबकि पुराने कानून में ट्रिब्युनल का आदेश अंतिम था उसके खिलाफ अपील दाखिल नहीं की जा सकती थी।
हाई कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर, या बोर्ड द्वारा आवेदन पर अथवा पीड़ित पक्ष की याचिका पर मामलों पर विचार कर सकता था। लेकिन हाई कोर्ट मामले पर सुनवाई रिट क्षेत्राधिकार में करता। मामले को अपील की तरह नहीं सुन सकता था जो कि अब सुन सकता है। वक्फ कानून में संशोधन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें वक्फ भूमि के दुरुपयोग और दूसरों की संपत्ति का अवैध अधिग्रहण उजागर हुआ।
वक्फ बोर्ड ने पूरे पूरे गांवों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था। कुछ उदाहरणों पर नजर डालें तो अगस्त 2024 में बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बिहार के गोविंदपुर में एक पूरे गांव के स्वामित्व का दावा किया जिससे कानूनी लड़ाई हुई। सितंबर 2024 में केरल में लगभग 600 ईसाई परिवारों की पैतृक संपत्ति को वक्फ होने का दावा किया गया और केरल के इन ईसाई परिवारों ने अपनी पैतृक भूमि पर वक्फ बोर्ड के दावे का विरोध किया।
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पीएम कृषि सिंचाई योजना को लेकर आया बड़ा अपडेट, 1600 करोड़ रुपये होंगे खर्च; जानिए किसे मिलेगा फायदा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि में सिंचाई के तौर-तरीकों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट (एम-सीएडीडब्ल्यूएम) के आधुनिकीकरण के बड़े कार्यक्रम को मंजूरी दे दी। अब यह कार्यक्रम पीएम कृषि सिंचाई योजना की एक उपयोजना के रूप में खेती में पानी के बेहतर इस्तेमाल का ढांचा तैयार करने में सहयोग देगा।
शुरुआत में इस पर 1600 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका उद्देश्य नहर जैसे खुले स्त्रोतों से पानी को अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिये खेतों तक जरूरत के अनुसार पहुंचाया जाएगा। सिंचाई के लिए उपयोग होने वाले पानी के नेटवर्क के आधुनिकीकरण के लिए यह अहम पहल है।
नहर से खेतों तक आएगा पानीकैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस कदम से किसानों को लघु सिंचाई का मजबूत ढांचा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इससे एक हेक्टेयर तक की जमीन को सिंचित करने के लिए पानी को नहर जैसे स्त्रोतों से पाइपों के जरिये खेतों तक लाने में मदद मिलेगी।
वाटर यूजर सोसाइटियों को ही इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाएगी। इन सोसाइटियो को एफपीओ और पैक्स जैसे मौजूदा उपक्रमों से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार मदद देगी। सरकार ने एक बयान में यह भी कहा है कि युवाओं को खेती से जोड़ने की दिशा में भी यह योजना सहायता प्रदान करेगी, क्योंकि इसके जरिये वे सिंचाई के आधुनिक तौर-तरीकों को सीख सकेंगे।
कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने शुरुआत में इससे संबंधित पूरे देश में पायलट प्रोजेक्टों को अपनी मंजूरी दे दी है। इन प्रोजेक्टों के अनुभव के आधार पर कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट का राष्ट्रीय प्लान अप्रैल 2026 में जारी किया जाएगा।
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किउल-गया रेलखंड पर चलने वाली 12 ट्रेनों की बदली टाइमिंग, यात्रियों के लिए आसान होगा सफर
जागरण संवाददाता, पटना। किउल-गया रेलखंड के दोहरीकरण व इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य पूरा हो जाने के कारण इस रेलखंड पर चलने वाली एक दर्जन ट्रेनों की समय सारणी में व्यापक परिवर्तन किया गया है। एक दर्जन ट्रेनों का समय पहले से दस मिनट से डेढ़ घंटा तक कम हो गया है। यह आदेश गुरुवार से ही लागू हो जाएगा।
इस संबंध में नवादा के सांसद विवेक ठाकुर एवं दानापुर के मंडल रेल प्रबंधक जयंत कुमार चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बताया कि अब इस रेलखंड पर चलने वाली ट्रेनें अपनी पूरी गति से चलेंगी। पहले जहां इस रेलखंड पर 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती थी अब 100 से 130 की गति से ट्रेनें चलेंगी।
इसका फायदा यह होगा कि ट्रेन किउल से पहले की तरह समय से चलेंगी परंतु गया पहुंचते-पहुंचते यह आधा घंटा से डेढ़ घंटा तक जल्दी पहुंचेगी। सांसद ठाकुर ने बताया कि नेउरा दनियावां बरबिघा रेल लाइन का निर्माण कार्य जुलाई तक पूरा हो जाएगा और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं।
किउल-गया रेलखंड पर स्पेशल फोकससांसद ने बताया कि रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के पहल पर किउल-गया रेलखंड पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस रेलखंड के नवादा स्टेशन को विशेष रूप से अमृत भारत योजना के तहत विकसित कर इसे विश्व स्तरीय बनाया जा रहा है। सभी तरह की यात्री सुविधाएं यहां मुहैया कराई जाएंगी।
उन्होंने बताया कि नवादा-गया के बीच के 10 रेल ओवर ब्रिज के निर्माण की अनुमति दे दी गई है। बुधवार को इसका डीपीआर बनाने का भी आदेश जारी कर दिया गया है। इससे इस रेलखंड के यात्रियों को ही नहीं सड़क मार्ग से चलने वालों को भी काफी फायदा होगा। अब किउल-गया रेलखंड ग्रैंड कार्ड का विकल्प नहीं बल्कि एक अलग से मुख्य रेलखंड माना जाएगा।
किउल से गया होते हुए दिल्ली व दिल्ली से हावड़ा के लिए ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। कल से ही हावड़ा से चलने वाली 03011 हावड़ा आनंद विहार र्गेड कार्ड के बदले सीतारामपुर से ही किउल होकर गाया होते हुए हावड़ा के लिए चलने लगेंगी। पहले से इसकी दूरी तो 80 किमी बढ़ जाएगी परंतु पहुंचेगी पुरानी समय से ही।
- गाड़ी सं. 63321 किउल-गया मेमू अब किउल से 04.30 बजे चलकर संशोधित समयानुसार विभिन्न स्टेशनों पर रुकते हुए 10.20 बजे के बजाए 09.05 बजे ही गया पहुंचेगी। वापसी में गया से 11.25 के बजाय 10.45 बजे चलकर 17.25 के बजाय 15.10 बजे किउल पहुंच जाएगी।
- गाड़ी सं. 53627 किउल-गया पैसेंजर किउल से 06.00 बजे चलकर 11.35 बजे के बजाए 10.20 बजे ही गया पहुंचेगी। वापसी में गया से 19.30 बजे चलकर 00.20 बजे के बजाए 23.50 बजे ही किउल पहुंचेगी।
- गाड़ी सं. 63355 किउल-गया मेमू किउल से 14.40 बजे के बजाए 14.05 बजे चलकर 20.35 बजे के बजाए 18.25 बजे ही गया पहुंचेगी। वापसी में गया से 07.20 बजे खुलेगी तथा 12.15 बजे के बजाए 11.40 बजे ही किउल पहुंचेगी।
- गाड़ी सं. 63323 किउल-गया मेमू किउल से 20.30 बजे चलकर 00.50 बजे के बजाए 00.35 बजे गया पहुंचेगी । वापसी में गया से 22.25 बजे चलकर 03.40 बजे के बजाए 02.35 बजे ही किउल पहुंचेगी। गाड़ी सं. 63315 झाझा-गया मेमू 21.00 बजे के बजाए 20.35 बजे ही गया पहुंचेगी।
- वापसी में गया से 05.00 बजे चलकर 11.55 बजे के बजाए 11.45 बजे झाझा पहुंचेगी। गाड़ी सं. 53403 रामपुर हाट-गया पैसेंजर 23.45 बजे के बजाए 22.10 बजे ही गया पहुंचेगी। वापसी में 15.10 बजे के बजाए 14.00 बजे ही गया पहुंचेगी।
- गाड़ी सं. 13023 हावड़ा-गया एक्सप्रेस अब गया 11.00 बजे के बजाए 10.55 बजे पहुंचेगी।
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राज्यों के लिए पंचायत विकास का रोडमैप बनेगा पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स, मंत्रालय ने साझा की रिपोर्ट
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा पहली बार बनाए गए पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स ने देश की समग्र तस्वीर दिखा दी है, लेकिन राज्य अब इसका उपयोग दर्पण के रूप में करते हुए ग्राम पंचायतों की सूरत संवार सकते हैं। चूंकि, स्थानीय स्तर पर पंचायतों की प्रगति धरातल पर आंकने का ऐसा कोई सफल फॉर्मूला अब तक सामने नहीं आया है, इसलिए केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य इस प्रक्रिया को अपनाएं।
साथ ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कमियों को चिन्हित कर एक्शन प्लान बनाएं। पंचायतों के विकास के लिए केंद्र की ओर से केंद्रीय वित्त आयोग की निधि अवश्य दी जाती है, लेकिन पंचायतों का विकास राज्यों का विषय है।
राज्यों से साझा की जाएगी रिपोर्ट2023-24 के डाटा के आधार पर जारी पहली रिपोर्ट में भी दक्षिण के राज्यों का दबदबा दिखाई दिया। हालांकि, ए प्लस श्रेणी में कोई भी राज्य अपनी जगह नहीं बना सका है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस रिपोर्ट में सत्यापित डाटा के आधार पर यह सामने आ चुका है कि किस विकास की किस थीम पर किस राज्य की किस पंचायत ने कितना काम किया है और अब क्या काम करने की आवश्यकता है।
यह रिपोर्ट राज्यों के साथ साझा कर उनसे आग्रह किया जाएगा कि वह अपनी पंचायतों का रिपोर्ट कार्ड देखकर जिला या ब्लॉक स्तर पर भी विकास की रणनीति बना सकते हैं। जिस पंचायत ने जिस थीम में अच्छा काम किया है, उसे बेस्ट प्रेक्टिस के रूप में चिन्हित कर अन्य पंचायतों में लागू कराया जा सकता है।
इतना ही नहीं, चूंकि अभी तक स्थानीय स्तर पर पंचायतों के प्रदर्शन को आंकने का कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है, इसलिए राज्य इस प्रक्रिया को राज्य स्तर पर अपना सकते हैं और पंचायतों को अपने तरीके से प्रोत्साहित कर सकते हैं। केंद्र सरकार भी बेहतर प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहन देगी।
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India stops transshipment facility for Bangladesh’s export cargo - BusinessLine
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- India ends transshipment facility for Bangladesh after Yunus backs Chinese economic role near Northeast The Indian Express
- India Ends Trans-Shipment Facility For Bangladesh To Export Goods To Other Countries NDTV
- After Yunus cosies up to China, India terminates trans-shipment facility for Bangladesh Times of India
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Patna Zoo: दही-भात के साथ डाभ पीने लगा चिम्पैंजी, गर्मी आते ही बदला वन्य प्राणियों का मैन्यू; देखें लिस्ट
मृत्युंजय मानी, पटना। गर्मी आते ही संजय गांधी जैविक उद्यान प्रशासन ने वन्य प्राणियों के मैन्यू में बदलाव कर दिया है। गर्मी बढ़ते ही बाघ का भोजन घट गया है।
11 किलो से बिफ भोजन घटकर नौ किलो पर आ गया है। चिम्पैंजी दही-भात के साथ डाभ पीने लगा है। इसके साथ तरबूजा सहित कई प्रकार के मौसमी फल दिए जा रहे हैं।
हाथी काे ईख के स्थान पर केला का थम मिलने लगा। भालू खीर खा रहा है। उद्यान प्रशासन सभी वन्य प्राणियों को गुलकोज, मल्टी विटामिन तथा लू से बचाव के लिए दवा देने की प्रक्रिया की शुरूआत कर दी है। शाकाहारी जानवरों को हरा घास की व्यवस्था की गई है।
वन्य प्राणियों के लिए की गई कुलर की व्यवस्थावन्य प्राणियों के नाइट हाउस में कुलर की हवा खिलाकर गर्मी से राहत दिलाई जा रही है। उनके बाड़े में पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
बाघ बाड़े के झरना में भी स्नान करते दिख जा रहा है। हाथी पानी में रहना पसंद करने लगी है। उसके लिए बाड़े के अंदर पानी की व्यवस्था की गई है। गैंडा भी ज्यादा समय में पानी में बीता रहा है।
शाकाहारी जानवरों को मौसमी फल दिया जा रहा है। घाड़ियाल अंडे देने के बाद काफी सक्रिय हो गए हैं। हिप्पोपोटामस पानी में उछल-कूद करते नजर आ रहा है।
उद्यान प्रशासन का जानवरों के केज के बाहरी भाग में पानी छिड़काव शुरू करा दिया है। सड़केें गीली रह रही है। सभी पशुपालकों को निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने केज के सामने पानी का नियमित रूप से छिड़काव कराएं।
वाहन से भी पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इससे दर्शकों को भी काफी राहत मिल रही है। पक्षियों को पीने के लिए दिए जाने वाले पानी का दो बार बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उद्यान निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण्एा के गाइड लाइन के अनुसार वन्य प्राणियों के कैलेंडर बना है।
उसके हिसाब से मैन्यू में बदलाव किया गया है। वन्य प्राणियों के स्वास्थ पर भी विशेष रूप से नजर रखी जा रही है।
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Bihar News: बढ़ गया सभी जिलों के अफसरों का काम, हर रोज सुबह 6:30 बजे पहुंचना होगा स्कूल; आ गया नया आदेश
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षण कार्य समेत तमाम गतिविधियों की निगरानी सख्त होने जा रही है।
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार हर दिन सुबह साढ़े छह बजे से अफसर विद्यालयों के निरीक्षण करने जाएंगे। ये निरीक्षी अधिकारी हर दिन की रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव को देंगे।
निरीक्षण में शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति, पहली कक्षा में नामांकन, विद्यालय परिसर की साफ-सफाई और मध्याह्न भोजन पर खास नजर होगी।
निरीक्षण अभियान में प्रत्येक प्रखंड और जिला स्तर के अधिकारी जाएंगे। इनमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तथा बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी होंगे।
ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे निरीक्षण रिपोर्टये सभी अधिकारी सुबह साढ़े छह बजे से पूर्वाह्न 11 बजे दिन तक विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण रिपोर्ट तय फार्मेट में ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।
निरीक्षण करने वाले अधिकारी 11 बजे के बाद अपने-अपने कार्यालय के कार्यों का निष्पादन करेंगे। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के प्रभारी पदाधिकारी प्रतिदिन अपराह्न में निरीक्षण करने वाली पदाधिकारी से विद्यालय निरीक्षण की अद्यतन सूचना दूरभाष से प्राप्त कर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को अवगत कराएंगे।
जिले के 282 शिक्षकों ने मार्च में नहीं बनाई ई-शिक्षा कोष पर हाजिरीबक्सर जिले के 282 शिक्षकों ने मार्च के महीने में ई शिक्षा कोष पर एक भी दिन आनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं की है। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) अमरेंद्र पांडेय ने इन शिक्षकों को विभागीय आदेशों की अवहेलना करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
डीईओ ने कहा है कि शिक्षकों को 24 घंटे के भीतर अपने कार्यों का संतोषजनक जवाब देना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा विभाग के अनुसार, ई शिक्षा कोष पोर्टल शिक्षकों की उपस्थिति को ट्रैक करने और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी।
इस पोर्टल के माध्यम से, शिक्षकों को प्रतिदिन अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है, लेकिन जिले के 282 शिक्षकों ने मार्च के महीने में इस नियम का पालन नहीं किया।
इससे विभाग को यह कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली शिक्षकों की पारदर्शिता और समयबद्धता को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
यह प्रणाली शिक्षकों को समय पर स्कूल आने और जाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे छात्रों की शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस घटना ने जिले में शिक्षा प्रणाली की निगरानी और जवाबदेही के महत्व को उजागर किया है। डीईओ ने इसे विभागीय निर्देश की अवहेलना और स्वेच्छाचारिता का परिचायक बताया है।
उन्होंने शिक्षकों को कठोर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। डीईओ ने कहा है कि भविष्य में भी इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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मिडिल क्लास के लिए RBI ने सुना दी गुड न्यूज, ऑटो और होम लोन होगा सस्ता, EMI भी होगी कम
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति से वैश्विक आर्थिकी में जिस तरह की अफरा-तफरी फैली है, उसे देखते हुए आरबीआई भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज बनाए रखने के लिए ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाएगा।
यही वजह है कि बुधवार को आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में इस साल लगातार दूसरी बार रेपो रेट (बैंकों के ब्याज दरों को तय करने वाला मानक दर) में 25 आधार अंकों (0.25 प्रतिशत) की कटौती करने का फैसला किया गया।
सस्ते हो सकते हैं ऑटो और होम लोनफरवरी, 2025 में भी इतनी ही कटौती की गई थी। इस तरह से इस साल रेपो रेट 6.50 प्रतिशत से घटकर अब छह प्रतिशत पर आ चुकी है। इससे आने वाले दिनों में ऑटो और होम लोन सस्ते हो सकते हैं। वहीं, आपकी ईएमआइ भी घटेगी। इससे आम जनता को मासिक किस्त में राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीतियों को लेकर आरबीआइ के रुख को अर्थव्यवस्था के लिए उदारवादी बनाने की बात कही है। यानी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना है। अभी तक आरबाआइ का रुख तटस्थ था।
मैं संजय हूं, महाभारत का संजय नहीं: संजय मल्होत्रामल्होत्रा से जब आरबीआऊ के नए रुख के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि केंद्रीय बैंक आने वाली समीक्षा नीतियों के जरिये या तो ब्याज दरों को इसी स्तर पर रखेगा या फिर इनमें कटौती करेगा। आगे नीतियों की दिशा ब्याज दरों को लेकर नीचे की तरफ (घटाने की तरफ संकेत) रहेगा। यह कहां जाकर रुकेगा, अभी नहीं कहा जा सकता। मैं संजय हूं, महाभारत का संजय नहीं हूं जो बहुत दूर की देख सके।
आरबीआई के इस बदले रुख के बारे में विशेषज्ञ अमेरिका की नई शुल्क नीति की वजह से वैश्विक स्तर पर छाई अनिश्चितता को मान रहे हैं। आरबीआइ अभी भारत की विकास दर की रफ्तार को बनाए रखना जरूरी मान रहा है। मल्होत्रा भी मान रहे हैं कि मौजूदा माहौल में विकास दर के मोर्चे पर वैश्विक कारोबार घटने और नीतिगत अनिश्चितता से कई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
लिहाजा उन्होंने वर्ष 2025-26 के लिए भारत के आर्थिक विकास दर लक्ष्य को पहले से घोषित 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान को 4.2 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया है।
इसमें अच्छी कृषि और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट को ध्यान में रखा गया है। हालांकि, जिस तरह से हालात बन रहे हैं, उससे आरबीआइ ने सचेत व चौकस रहने की बात भी कही है।रेपो रेट में लगातार दो बार कटौती और एसडीएफ (स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी-वह दर जिस पर आरबीआइ बैंकों की तरफ से अतिरिक्त फंड जमा करने पर ब्याज देता है) को घटाकर आरबीआइ ने 5.75 प्रतिशत कर दिया है।
इन दोनों फैसलों से बैंक अपने फंड का इस्तेमाल कर्ज वितरण में करने के लिए लगाएंगे। फरवरी, 2025 में जब तकरीबन पांच वर्षों में रेपो रेट घटाकर 6.25 प्रतिशत किया गया था, उसका अभी तक असर खुदरा कर्ज की दरों पर नहीं दिखा है। एचडीएफसी बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के बैंकिंग सिस्टम में अभी 1.33 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड है, जिसे कर्ज के तौर पर वितरित किया जा सकता है।
बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने आरबीआइ द्वारा नीतिगत दर में कटौती के निर्णय के कुछ ही घंटों के भीतर ऋण दर में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है। अन्य बैंकों द्वारा भी जल्द ही इसी तरह की घोषणा किए जाने की उम्मीद है। दोनों बैंकों ने कहा कि आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद दरों में संशोधन किया गया है।
रेपो रेट का इस तरह पड़ता है असररेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर देश का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआइ वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब आरबीआइ इस ब्याज दर में कटौती करता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसके बाद बैंक भी सस्ते ब्याज दर पर लोन देने लगते हैं। आम भाषा में कहें तो रेपो रेट कम होने पर होम लोन, कार लोन, कमर्शियल लोन या पर्सनल लोन की ईएमआइ में राहत मिल सकती है।
इसका सीधा-सीधा असर मध्य वर्ग परिवारों की जेब पर पड़ता है। आरबीआइ रेपो रेट में बदलाव करके नकदी के प्रवाह पर नियंत्रण करने की कोशिश करता है। यह फैसला महंगाई और अन्य कई चीजों को ध्यान में रखकर लिया जाता है।
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