Feed aggregator

'प्यार' का हवाला और 91 साल के बुजुर्ग को मिल गई जमानत; कोर्ट में गूंजी कविता: पढ़ें पूरा मामला

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 1:49pm

पीटीआई, कोच्ची। केरल में एक 91 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी 88 साल की पत्नी पर चाकू से हमला किया था। इस मामले में आरोपी थेवन को केरल हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। दरअसल, थेवन की पत्नी कुंजली ने उसकी वफादारी पर शक जताया था, जिससे नाराज होकर बुजुर्ग व्यक्ति ने पत्नी पर हमला कर दिया था।

थेवन पर पत्नी ने क्या आरोप लगाए थे?

थेवन के अनुसार, उसकी पत्नी कुंजली ने उस पर अन्य महिलाओं के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया था। इन आरोपों की वजह से बुजुर्ग व्यक्ति अपमानित और निराशा महसूस कर रहा था। 21 मार्च कों दोनों के बीच काफी ज्यादा लड़ाई हुई, जिसके बाद थेवन ने कुंजली पर चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

इस घटना के बाद आरोपी बुजुर्ग व्यक्ति को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वो न्यायिक हिरासत में था। आरोपी थेवन द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कानूनी तर्कों पर ध्यान दिया और थेवन को जमानत दे दी।

जज ने सुनाया अपना फैसला

न्यायमूर्ति ने 10 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा, "मैं इस पर और कोई चर्चा नहीं करना चाहता। 91 वर्षीय थेवन को बुढ़ापे में अपनी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली के साथ खुशी-खुशी रहने दें।"

91 वर्षीय थेवन को मानक शर्तों के साथ जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि थेवन को पता होना चाहिए कि बुढ़ापे में उसकी एकमात्र ताकत उसकी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली होगी और कुंजली को भी यह सोचना चाहिए कि उसकी एकमात्र ताकत 91 वर्षीय थेवन ही होगा।

कविता के जरिए सुनाया गया फैसला

अदालत ने कहा, "थेवन और कुंजली को पता होना चाहिए कि उम्र प्यार की रोशनी को कम नहीं करती है, बल्कि इसे और चमकदार बनाती है। 88 वर्षीय कुंजली अब भी अपने पति से प्यार करती हैं और यही कारण है कि वह अपने पति पर करीब से नजर रखती हैं।"

न्यायमूर्ति ने फैसला सुनाते हुए कहा, "जैसे-जैसे हमारे रिश्ते को समय होता जाता है, हमारा प्यार और गहरा हो जाता है।" इस दौरान अदालत ने दिवंगत मलयालम कवि एनएन कक्कड़ की एक कविता का जिक्र किया, जो प्यार और शांति को दर्शाती है।

केरल में एक ही परिवार के चार लोग फंदे से लटके मिले, पुलिस कर रही मामले की जांच

Categories: Hindi News, National News

बांड्स में गिरावट ‘ट्रंप मेल्टडाउन’ का प्रमुख कारण, राष्ट्रपति से टैरिफ की शक्ति लेने की भी होने लगी थी चर्चा

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 1:26pm

प्राइम टीम, नई दिल्ली।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते हुए उस दिन को ‘लिबरेशन डे’ यानी मुक्ति दिवस बताया था। आखिर हफ्ते भर में ऐसा क्या हो गया कि 9 अप्रैल को उन्हें अपने इस फैसले को ‘पॉज’ करना पड़ा। उन्होंने चीन के साथ व्यापार युद्ध को तो तेज किया, लेकिन बाकी देशों के खिलाफ मुश्किल से 13 घंटे पहले लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया।

राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोगी टैरिफ बढ़ोतरी स्थगित करने के उनके फैसले को रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लिविट ने अचानक हुए इस नीतिगत बदलाव को मोलभाव की रणनीति का हिस्सा बताने की कोशिश की। व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने ट्वीट किया, “आप इतिहास में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की सबसे बेहतरीन आर्थिक मास्टर रणनीति देख रहे हैं।”

लेकिन बहुत कम लोग इस ‘मास्टरस्ट्रोक’ को स्वीकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप पर हर मिनट दबाव जबरदस्त बढ़ रहा था। यह दबाव कंपनियों के सीईओ, खुद ट्रंप के दोस्त और रिपब्लिकन सीनेटर्स की तरफ से था। यह आशंका बढ़ने लगी कि अमेरिका के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है। अमेरिकी शेयर बाजारों के धराशायी होने के बाद बांड बाजार में भी जब बड़ी गिरावट का दौर शुरू हुआ तो ट्रंप आखिरकार उस दबाव के आगे झुक गए।

बुधवार को टैरिफ नीति में बदलाव की घोषणा करते समय खुद ट्रंप ने स्वीकार किया कि उन्होंने तब फैसला बदलने का निर्णय लिया जब लोग बांड मार्केट को लेकर असहज महसूस करने लगे। उन्होंने कहा, “बिजनेस थोड़ा घबराए हुए, थोड़ा डरे हुए हैं… आपको लचीलापन रखना पड़ता है।”

ट्रंप के यू-टर्न ने वॉल स्ट्रीट में जबरदस्त तेजी ला दी। यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि वह ट्रंप के ‘पॉज’ के साथ तालमेल बिठाते हुए जवाबी टैरिफ 90 दिनों के लिए स्थगित कर रहा है। हालांकि कॉरपोरेट जगत की हस्तियों, निवेशकों और अमेरिका के व्यापारिक साझेदार अब यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि ट्रंप टैरिफ के जरिए आखिर हासिल क्या करना चाह रहे हैं।

ट्रंप के सहयोगी मस्क भी टैरिफ के खिलाफ

अमेरिका के जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक पॉलिसी में विशिष्ट विजिटिंग स्कॉलर अजय छिब्बर कहते हैं, “ट्रंप ने अपना रुख इसलिए बदला क्योंकि शेयर बाजार में भारी गिरावट आ गई। उनके सबसे महत्वपूर्ण समर्थक एलन मस्क ने भी खुले तौर पर टैरिफ का विरोध किया और ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो को ‘ईंटों का बोरा’ (bag of bricks) कहा।”

छिब्बर के अनुसार, “वॉल स्ट्रीट के शीर्ष एक्जीक्यूटिव टैरिफ के खिलाफ थे। कुछ रिपब्लिकन सीनेटर और सांसद भी राष्ट्रपति से टैरिफ लगाने की शक्ति वापस लेने के लिए कानून बनाने की कोशिश कर रहे थे। जो भी हो, नुकसान हो चुका है क्योंकि ट्रंप के इस आगे-पीछे के रवैये ने भारी अनिश्चितता पैदा कर दी है।”

फैसला बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारण

अमेरिकी मीडिया की अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रंप के फैसला बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारण थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि ट्रंप के सलाहकार निजी तौर पर मानते हैं कि असली श्रेय तो बांड बाजार को जाना चाहिए। ट्रंप ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उन्हें डर था कि उनके टैरिफ लगाने का दांव जल्दी ही बड़े आर्थिक संकट में बदल सकता है। बीते दो दशकों आए दो बड़े आर्थिक संकट - 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट और 2020 की महामारी - के विपरीत, यह संकट पूरी तरह एक व्यक्ति के फैसलों का परिणाम होता।

दूसरा कारण है दबाव। वॉशिंगटन पोस्ट तथा अन्य अमेरिकी मीडिया के अनुसार ट्रंप को लगातार फोन आ रहे थे कि देश गंभीर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है। बड़ी कंपनियों के सीईओ इस बात को लेकर काफी चिंतित थे कि टैरिफ से उत्पन्न अस्थिरता अर्थव्यवस्था को मंदी में धकेल सकती है। रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी ट्रंप से अपनी चिंताओं को खुलकर साझा किया। बांड बाजार की स्थिति को लेकर ट्रंप पहले से ही सतर्क थे।

चीन के प्रतिवाद को तीसरा कारण माना जा रहा है। राष्ट्रपति और उनके सलाहकारों ने मीडिया से बातचीत में माना कि चीन द्वारा अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय ट्रंप के लिए एक अवसर बन गया ताकि वे अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने की योजना को स्थगित कर सकें। इससे उन देशों के प्रति मैत्री का संकेत भी गया। इस निर्णय के पीछे ट्रंप की नीति चीन को अलग-थलग करने और बाकी दुनिया को एकजुट करने की थी।

आगे क्या होगा, क्या करे भारत

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के नेतृत्व में ट्रंप के आर्थिक सलाहकार तमाम देशों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेंगे। यह प्रक्रिया कई महीने चलने की उम्मीद है। हालांकि दोनों मंत्रियों ने कहा है कि हर देश के साथ समझौते पर अंतिम फैसला ट्रंप ही करेंगे।

भारत के लिए छिब्बर की सलाह है, “भारत को चाहिए कि वह अपनी मौजूदा नीति पर ही कायम रहे और अमेरिका के साथ एक बेहतरीन सौदा करने की कोशिश करे। ट्रंप के इस स्थगन से भारत को थोड़ा और समय मिल गया है। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप ने सभी वस्तुओं पर 10% टैरिफ तो लागू कर ही दिया है और चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया है।”

Categories: Hindi News, National News

केरल में वकीलों और छात्रों के बीच झड़प, 20 से ज्यादा लोग घायल; पुलिस को देना पड़ा दखल

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 1:07pm

पीटीआई, कोच्चि। केरल में छात्र संगठन एसएफआई के कार्यकर्ताओं और वकीलों के बीच झड़प हो गई। इसमें 20 लोग से ज्यादा लोग घायल हो गए। घटना एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में जिला बार एसोसिएशन के वार्षिक समारोह के दौरान हुई।

आरोप है कि एसएफआई कार्यकर्ताओं ने बार एसोसिएशन के वार्षिक समारोह में जबरन घुसकर हंगामा किया। पुलिस ने बताया कि इस झड़प में एसएफआई के 16 कार्यकर्ता और 8 वकील घायल हो गए हैं।

कार्यक्रम में घुसकर किया हंगामा

बता दें कि एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में जिला बार एसोसिएशन का कार्यक्रम हो रहा था। वकीलों का आरोप है कि महाराजा कॉलेज के कुछ छात्रों ने कार्यक्रम में घुसकर हंगामा किया। हालांकि एसएफआई का कहना है कि वकीलों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

पुलिस ने किसी तरह स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। इस झड़प का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वहीं अब मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। विपक्ष ने इसे लेकर सीपीआई (एम) पर निशाना साधा है।

मामले में राजनीति शुरू
  • विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने सीपीआई (एम) नेतृत्व से छात्र संगठन पर नियंत्रण करने की मांग की है। सतीशन ने सीपीआई (एम) से छात्र संगठन को राजनीतिक संरक्षण देना बंद करने की अपील की।
  • बताया जा रहा है कि एर्नाकुलम जिला बार एसोसिएशन ने आज एक बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी। हालांकि, एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस ने कहा कि अभी तक मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन प्रारंभिक जांच चल रही है।

यह भी पढ़ें: 'इसे अलग देश बना दो, यहां रहना गुलामों जैसा'; केरल के नेता ने किस इलाके को लेकर कह दी ये बात?

Categories: Hindi News, National News

'तमिलनाडु की महिलाओं को...', आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर DMK नेता पर बरसी भाजपा, पार्टी ने निकाला बाहर

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 12:14pm

चेन्नई, पीटीआई। DMK नेता और तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी को शैव और वैष्णववाद पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उठे विवाद के बाद पार्टी के एक महत्वपूर्ण पद से हटा दिया गया। इस टिप्पणी की डीएमके सांसद कनिमोझी सहित कई लोगों ने कड़ी आलोचना की थी।

डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एलान किया कि पोनमुडी को पार्टी के उप महासचिव पद से मुक्त किया जा रहा है। स्टालिन ने एक बयान में यह एलान किया, लेकिन उन्होंने इस कार्रवाई के लिए कोई कारण नहीं बताया। यह कदम मंत्री की कथित रूप से अप्रिय टिप्पणियों के तुरंत बाद उठाया गया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है और विपक्षी भाजपा ने पोनमुडी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।

वीडियो वायरल होने के बाद उठाया कदम

एक सेक्स वर्कर के संदर्भ में मंत्री की तरफ से कथित टिप्पणी करने का एक वीडियो वायरल हो गया है। राज्य के वन मंत्री पोनमुडी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

भाजपा की तमिलनाडु इकाई के उपाध्यक्ष नारायणन थिरुपथी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'मंत्री पोनमुडी का अपने पद पर बने रहना शर्मनाक है....सीएम स्टालिन, क्या आप पोनमुडी की गिरफ्तारी का आदेश देंगे।

'ऐसे अश्लील शब्द निंदनीय हैं'

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी टिप्पणियों से तमिलनाडु की महिलाओं को बदनाम किया है। कनिमोझी ने अपनी पार्टी की सहयोगी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मंत्री पोनमुडी का हालिया भाषण स्वीकार्य नहीं है।'

उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'उन्होंने जो भी कारण बोला हो, ऐसे अश्लील शब्द निंदनीय हैं।' तिरुपति ने पोनमुडी की आलोचना करने वाली कनिमोझी का स्वागत किया। पोनमुडी ने पहले उत्तर भारतीयों को पानी पुरी बेचने से जोड़कर विवाद खड़ा किया था।

Categories: Hindi News, National News

'भारतीय इसी लायक हैं', मुंबई हमलों के बाद डेविड हेडली से बोला था तहव्वुर राणा; अमेरिका ने खोले कई राज

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 12:06pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा ने मुंबई हमलों की साजिश रचने में डेविड हेडली के साथ अहम भूमिका निभाई थी।

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने बताया है कि हमलों के बाद राणा ने हेडली से बात करते हुए कथित तौर पर कहा था कि भारतीय इसी के लायक हैं। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने कहा कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हमले में मारे गए 6 अमेरिकी और अन्य लोगों के लिए न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।

हेडली ने की थी मुंबई में रेकी

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह पहले पाकिस्तानी सेना में मेडिकल सहायक था। बाद में वह कनाडा चला गया और वहां स्लॉटर हाउस और लॉ फर्म जैसे कई बिजनेस में हाथ आजमाया। डेविड हेडली उसके बचपन का दोस्त था।

डेविड हेडली ने ही मुंबई में बम धमाकों से पहले भारत आकर कई जगहों पर रेकी की थी। हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है। तहव्वुर राणा ने अपने इमीग्रेशन बिजनेस के लिए मुंबई में ब्रांच ऑफिस खोलने की वजह बताकर हेडली को भारत भेजा था।

वीरता पुरस्कार देने की कही थी बात
  • डेविड हेडली का असली नाम दाऊद गिलानी है। वह अमेरिका की जेल में 35 साल की सजा काट रहा है। आरोप है कि तहव्वुर राणा ने शिकागो में उससे कई बार मुलाकात की थी। अमेरिकी न्याय विभाग ने एक बयान में कहा कि हेडली के साथ हुई बातचीत में राणा ने कथित तौर पर उन नौ लश्कर आतंकवादियों की प्रशंसा की, जो हमले में मारे गए थे।
  • राणा ने कहा था कि उन्हें निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए, जो पाकिस्तान का युद्ध में वीरता के लिए सर्वोच्च पुरस्कार है। यह शहीद सैनिकों को दिया जाता है। बता दें कि हमले के लिए भारत में दाखिल हुए 10 आतंकियों में से 9 को मार गिराया गया था और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था।

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में आका, मुंबई में रेकी और समंदर पार करने की कहानी... 26/11 के गुनहगारों का आ गया अंत!

Categories: Hindi News, National News

Pages

Subscribe to Bihar Chamber of Commerce & Industries aggregator

  Udhyog Mitra, Bihar   Trade Mark Registration   Bihar : Facts & Views   Trade Fair  


  Invest Bihar