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Donald Trump bats for third presidential term: ‘I’m not joking' - Hindustan Times
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अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स में अब ऐसे पैदा की जाएगी बिजली, जानें क्या है कोल्ड फ्यूजन तकनीक
पीटीआई, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स की उम्र बढ़ाने, उन्हें निर्बाध ऊर्जा प्रदान करने, उनके भार में कमी लाने और स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से विज्ञानी अब कोल्ड फ्यूजन तकनीक पर काम कर रहे हैं। हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप 'हाइलेनर टेक्नोलाजीज' जल्द ही अंतरिक्ष में बिजली उत्पन्न करने के लिए इस तकनीक का प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा में सेटेलाइट्स के जीवन को बढ़ाना और उनका वजन कम करना है। साथ ही अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन को सक्षम बनाने और सौर ऊर्जा या अन्य ऊर्जा स्त्रोतों पर निर्भरता कम करने का भी इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
हाइड्रोजन फ्यूजन से पैदा होती है बिजलीहाइलेनर टेक्नोलाजीज ने कम ऊर्जा वाले परमाणु रिएक्टर (एलईएनआर) का परीक्षण करने के लिए एक अन्य नवोदित फर्म टेकमी2स्पेस सेटेलाइट्स के साथ समझौता किया है। एलईएनआर बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूजन का उपयोग करता है। कोल्ड फ्यूजन की अनूठी विशेषता यह है कि यह फ्यूजन रिएक्शन के लिए खपत की गई बिजली के मुकाबले अधिक बिजली उत्पन्न करता है।
हाइलेनर टेक्नोलाजीज के संस्थापक और सीईओ सिद्धार्थ दुराइराजन ने बताया, ''प्रत्येक 100 वाट की इनपुट ऊर्जा के लिए एलईएनआर 178 वाट की आउटपुट थर्मल ऊर्जा उत्पन्न करता है।''
दुराइराजन ने कहा कि परीक्षण एवं प्रक्षेपण के लिए कंपनी ने स्काईरूट और इसरो के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) बुक किया है। उन्होंने कहा, ''हमारा उत्पाद तैयार है। हम प्रक्षेपण मंच की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसलिए उनकी प्रक्षेपण तिथियों के आधार पर ही हमारे उत्पाद वहां होंगे।''
गौरतलब है कि टेकमी2स्पेस अंतरिक्ष में कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है। इसका उपयोग अंतरिक्ष में डाटा केंद्रों को संचालित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ''क्यूबसैट पर ग्राफिक्स प्रोसे¨सग यूनिट (जीपीयू) बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न करते हैं। हम उस गर्मी का दोहन करने और इसे सेटेलाइट में उपयोग करने योग्य ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन और आफ-ग्रिड बिजली समाधानों के लिए नई संभावनाएं खुल सकती हैं।''
टेकमी2स्पेस के फाउंडर ने क्या कहा?टेकमी2स्पेस के संस्थापक रौनक कुमार सामंत्रे ने कहा कि उनकी कंपनी एलईएनआर सहित कई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की तलाश कर रही है ताकि कंप्यूट-केंद्रित सेटेलाइट्स में गर्मी निष्कर्षण और संभावित पुन: उपयोग के लिए प्रभावी तरीकों का आकलन किया जा सके। हाइलेनर के पास अपनी कम ऊर्जा परमाणु रिएक्टर तकनीक के लिए सरकार से प्राप्त पेटेंट है। यह तकनीक अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए गर्मी पैदा करने, कई अनुप्रयोगों के लिए भाप उत्पादन, वैश्विक स्तर पर ठंडे क्षेत्रों में कमरे को गर्म करने, और घरेलू एवं औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए प्रेरण (इंडक्शन) हीटिंग के लिए इनपुट इलेक्टि्रसिटी में वृद्धि करती है।
दुराइराजन ने कहा कि सौर पैनल, बैटरी और अन्य उपकरणों की मदद से बिजली के उपभोग की वजह से किसी भी सेटेलाइट का भार 40-60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। हाइलेनर का कोल्ड फ्यूजन डिवाइस और टेकमी2स्पेस का आफ-ग्रिड बिजली समाधान अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स को बिजली समाधान प्रदान करने तथा अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन का प्रयास कर रहा है। अंतरिक्ष में डाटा सेंटर बहुत जल्द एक वास्तविकता बन जाएंगे।
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'एक ही पद पर लंबे समय तक न रहें अधिकारी', संसद समिति ने की सिफारिश; रिपोर्ट में लिखा- इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा
पीटीआई, नई दिल्ली। कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि अधिकारियों के लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। लिहाजा नीति के अनुसार तत्काल सभी तबादले किए जाने चाहिए और कोई भी अधिकारी किसी भी मंत्रालय में निर्धारित समय सीमा से अधिक नहीं रहे।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से संबंधित अनुदान मांगों (2025-26) पर 27 मार्च को संसद में पेश अपनी 145वीं रिपोर्ट में समिति ने कहा कि सभी अधिकारियों के लिए एक रोटेशन नीति रही है, लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा रहा।
8-9 साल से तैनात हैं अधिकारीऐसे भी अधिकारी हैं जो अनुकूल मंत्रालयों या स्थानों पर आठ-नौ वर्षों से अधिक समय से तैनात हैं, खासकर आर्थिक एवं संवेदनशील मंत्रालयों में। ये अधिकारी संगठन प्रमुखों के चार-पांच बार बदल जाने के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं। इस प्रवृत्ति का आंकलन किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जिनमें अधिकारियों ने अपनी पोस्टिंग में इतनी चतुराई का इस्तेमाल किया है कि उनका पूरा करियर एक ही मंत्रालय में रहा है। इस तरह की खामियों को तत्काल दूर किया जाना चाहिए।
समिति ने कामकाज की समीक्षा की- समिति ने यह टिप्पणी केंद्रीय सचिवालय सेवाओं (सीएसएस) और केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवाओं (सीएसएसएस) के कामकाज की समीक्षा करते समय की, जो केंद्रीय सचिवालय के कामकाज का मुख्य आधार हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति के संज्ञान में लाया गया है कि खासकर सीएसएस एवं सीएसएसएस में सभी राजपत्रित अधिकारियों को संवेदनशील और गैर-संवेदनशील पोस्टिंग के आधार पर रोटेट किया जाता है।'
- इसके मुताहिक, 'संवेदनशील स्थानों पर अधिकारियों को तीन वर्षों के बाद बदल दिया जाता है। इसी तरह मंत्रालयों को भी आर्थिक और गैर-आर्थिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वित्त मंत्रालय में ऐसे विभाग हैं जिन्हें आर्थिक और गैर-आर्थिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।'
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Amit Shah: अमित शाह की यात्रा से बिहार को क्या हुआ फायदा? मखाना किसानों के बाद अब इन्हें दे दी खुशखबरी
रमण शुक्ला, पटना। बिहार की 20 घंटे की यात्रा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह विधानसभा चुनाव-2025 जीतने के लिए राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का रोड मैप तैयार कर गए। साथ ही यह साफ हो गया कि अब शाह ही बिहार राजग के मिशन-225 की बागडोर संभालेंगे।
शनिवार की देर शाम पटना पहुंचने के बाद आधी रात तक भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पार्टी के शीर्ष नेताओं की नब्ज टटोलना एवं इसके बाद चुनाव तैयारियों को लेकर मंत्रणा के दौरान दो टूक कहना कि 225 सीट बिहार में जीतना राजग का सर्वोपरि लक्ष्य है।
इसे साधने के लिए पार्टी के जनप्रतिनिधियों एवं प्रदेश पदाधिकारियों को सीधे एवं सरल भाषा में समझा दिया कि अब तैयारियां ऐसी होनी चाहिए मानो अगले महीने ही मतदान है और हर प्रत्याशी कमल निशान पर चुनाव लड़ रहा है।
यही नहीं, अमित शाह ने शीर्ष रणनीतिकारों को गठबंधन के दलों की भी जीत सुनिश्चित करने का टास्क भी थमाया।
अब गन्ना किसानों की बारीपटना एवं गोपालगंज की सभा में अमित शाह ने मखाना के बाद अब गन्ना किसानों को साधने के लिए बंद चीनी मिलों को चलाने की घोषणा और युवा मतदाताओं के साथ नई पीढ़ी के बीच संदेश पहुंचाने के प्रयास में राजद प्रमुख लालू यादव के भ्रष्टाचार एवं जंगलराज पर भी कटाक्ष किया।
लालू के गृह जिले गोपालगंज में राजद सरकार में हुए घोटाले की बखिया उधेड़ी तो यह भी बता गए कि गोमाता के चारे को भी राजद वालों ने नहीं छोड़ा। अमित शाह ने वंशवाद पर प्रहार करते हुए गिनाया कि लालू यादव ने सिर्फ अपने परिवार को सेट किया।
शीर्ष नेताओं के साथ की बैठकराजग में एकजुटता संदेश देने के लिए अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर गठबंधन के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर दूरगामी संदेश भी दिया।
संभवत: यह प्रायोजन जिले स्तर पर चल रही राजग के गठबंधन दलों में सम्मिलित प्रदेश अध्यक्षों एवं मंडल से लेकर जिला स्तरीय कार्यकर्ताओं के सम्मेलन का समारोप दिखाने का प्रयास था।
डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां गिनाने के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास पुरुष के रूप में प्रशंसा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बिहार के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयास को विस्तार से बता कर हर वर्ग के मतदाताओं तक संदेश पहुंचाने की पहल की।
लालू-राबड़ी ने बिहार को किया बदनामभाजपा विधान मंडल दल की बैठक से लेकर पटना एवं गोपालगंज के मंच ने शाह ने स्पष्ट संदेश दिया कि राजग विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेगा।
अमित शाह ने लालू-राबड़ी पर बिहार को दुनिया में बदनाम करने का आरोप लगाते हुए 1990 से लेकर 2005 तक हत्या-लूट-जातीय नरसंहार, सत्ता पोषित भ्रष्टाचार की याद ताजा की।
लालू-राबड़ी की सरकार में बिहार का विकास लटकने की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए मोदी और नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाने की अपील की।
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गंगा नदी में प्रदूषण का मामला, बिहार सरकार को राहत; NGT के जुर्माना वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें बिहार सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। एनजीटी ने गंगा नदी के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित मामले में अपने निर्देशों का पालन नहीं करने और उचित सहायता नहीं करने के लिए बिहार सरकार पर यह जुर्माना लगाया था।
एनजीटी ने पिछले साल 15 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में बिहार के मुख्य सचिव को गंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में उसे अवगत कराने के लिए वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपने समक्ष पेश होने का भी निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में हुई मामले की सुनवाईजस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने एनजीटी के आदेश को चुनौती देने वाली बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने इस मामले में केंद्र और अन्य हितधारकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है।
गंगा में प्रदूषण के रोकथाम पर काम कर रहा NGTएनजीटी गंगा नदी के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के मुद्दे पर विचार कर रहा है। इस मामले को राज्यवार तरीके से देखा जा रहा है, जिसमें वे सभी राज्य और जिले शामिल हैं जहां से गंगा और उसकी सहायक नदियां बहती हैं। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि उसने पहले बिहार में गंगा और उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता के मुद्दे पर विचार किया था।
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डिस्कॉम के लिए फिर आएगी उदय जैसी स्कीम? जानिए ऊर्जा मंत्रालय की क्यों बढ़ रही चिंता
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विगत दो वर्षों में देश की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बकाये की राशि 1.39 लाख करोड़ रुपये से घट कर तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपये (दिसबंर, 2024) रह गई है।
इन दो वर्षों में डिस्कॉम को ट्रांसमिशन व वितरण (टीएंडडी-चोरी आदि) से होने वाली हानि का स्तर भी 22 फीसद से घट कर 16 फीसद पर आ गया है, लेकिन इन आंकड़ों के आधार पर इस आकलन पर मत पहुंचिए कि डिस्काम की वित्तीय स्थिति ठीक है।
असलियत में बिजली मंत्रालय इस बात से चिंतित है कि जिस तेजी से देश में बिजली की मांग बढ़ रही है और समूचे बिजली सेक्टर में बदलाव हो रहा है, उस हिसाब से डिस्कॉम की स्थिति नहीं सुधरी है। ऐसे में खतरा है कि देश में पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होने के बावजूद डिस्कॉम की कमजोरी समूचे बिजली सेक्टर में एक कमजोर कड़ी न बन जाए।
फिर उदय जैसी स्कीम लाने पर विचारबिजली वितरण कंपनियों की स्थिति पर गठित राज्यों के मंत्री समूह की बैठक में केंद्र के बिजली राज्य मंत्री श्रीपद यशो नाइक ने एक बार फिर उदय जैसी योजना की वकालत की है। मंत्रियों के समूह की यह तीसरी बैठक थी जो लखनऊ में हुई। इस बैठक में नाइक ने डिस्कॉम पर बकाये कर्ज की राशि को नए सिरे से समाोयजित करने की स्कीम लाने के संकेत दिए। बिजली वितरण कंपनियों पर ब्याज के बोझ को कम करने, इनके स्तर पर बिजली स्टोरेज सिस्टम को विकसित करने पर जोर देते हुए एक उदय (उज्वल डिस्कॉम एसुरेंस योजना) की जरुरत भी बताई।
पहली बार 2015 में लॉन्च की गई थी उदय स्कीमहाल के वर्षों में यह पहला मौका है जब केंद्रीय मंत्री की तरफ से ही उदय स्कीम को नये सिरे से लागू करने की मांग हुई है। मोदी सरकार के पहली बार सत्ता में आने के बाद जब डिस्कॉम पर वित्तीय बोझ बहुत बढ़ गया था तब इन पर बकाये कर्ज के समायोजन के उद्देश्य से वर्ष 2015 में उदय को लॉन्च किया गया था।
बाद में वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उदय 2.0 को लॉन्च की गई थी। अब सरकार इसका तीसरी बार लॉन्च करने को तैयार दिख रही है जो बता रहा है कि डिस्कॉम की मौजूदा स्थिति बहुत संतोषप्रद नहीं है। अप्रैल, 2025 में मंत्री समूह की चौथी बैठक होने वाली है जिसमें इस बारे में अंतिम फैसला होने की उम्मीद है।
बिजली दरें तय करने पर भी किया गया विमर्शबिजली मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि बिजली की दरें तय करने को लेकर नियामक एजेंसियों की भूमिका पर विस्तार से विमर्श हुआ है। बैठक में कुछ राज्यों ने केंद्र से वहां डिस्कॉम के निजीकरण के लिए हो प्रयासों की सफलता के लिए मदद की मांग की है। खास तौर पर रिनीवेबल सेक्टर से पैदा होने वाली बिजली को मौजूदा ट्रांसमिशन लाइन से जोड़ने के लिए अतिरिक्त आर्थिक मदद की मांग की जा रही है।
अधिकांश राज्यों की यह मांग है कि नियामक एजेंसियों को बिजली की दरें तय करने में महंगाई की दरों को ध्यान में रखने की नीति लागू होनी चाहिए। बिजली की दरों को महंगाई से जोड़ दिए जाने से बिजली की बढ़ी हुई लागत का जो बोझ डिस्कॉम पर पड़ता है, उसकी भरपाई करना आसान हो जाएगा।
क्यों नहीं थम रही जंगल की आग, कौन है जिम्मेदार और कितना हुआ नुकसान? संसद में रिपोर्ट पेश
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में एक ओर जहां हरियाली बढ़ाने की मुहिम छिड़ी हुई है, वहीं गर्मी के दिनों में हर साल जंगल में लगने वाली आग एक बड़े हरे-भरे हिस्से को निगल भी जा रही है। वैसे तो इस आग के पीछे का बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है लेकिन इससे निपटने के लिए हमारी तैयारियां भी कम जिम्मेदार नहीं है।
यह बात अलग है कि पिछले सालों में जंगल में आग लगने की अग्रिम चेतावनी ने इस नुकसान को कम किया गया है, पर आग लगने की घटनाओं में ज्यादा कमी नहीं आयी है। इनमें उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के दर्जन भर से अधिक राज्य ऐसे हैं, जहां जंगल की आग परेशान करने वाली है। इनमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में जंगल में आग की घटनाओं ने तो सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए है।
संसद में पेश की गई रिपोर्टवन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जंगल में आग की घटनाओं को लेकर संसद में सौंपी एक रिपोर्ट में बताया है कि गर्मी शुरू होते ही सैटेलाइट के जरिए जंगल में आग लगने वाले संभावित क्षेत्रों पर पैनी नजर रखी जाती है। इस दौरान ऐसे संभावित क्षेत्रों को लेकर सात दिन पहले एक अलर्ट जारी किया जाता है।
गर्मी आने से पहले दिए जाते हैं कई निर्देशइसके साथ ही गर्मी की दस्तक देने से पहले राज्यों को वन क्षेत्र को आग से बचाने के लिए फायर लाइन (वनक्षेत्र के बीच गलियारा ) तैयार करने, घास की कटाई, सूखे पत्तों की सफाई करने और मानवीय हस्तक्षेप को कम करने जैसे उपाय करने, जंगल पर निगरानी बढ़ाने के पर्याप्त प्रशिक्षित अमले की तैनाती देने के निर्देश दिए जाते है। जो राज्य इसका ठीक ढंग से पालन करते हैं, वहां आग की घटनाएं में कमी या नुकसान कम देखने को मिलता है।
गल में आग लगने की कुल घटनाएं 2.12 लाख रिपोर्टरिपोर्ट में देश के दस प्रतिशत वनक्षेत्र को आग लगने वाले अति संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जंगल में आग लगने की घटनाओं का आकलन नवंबर से जून महीने तक किया जाता है। इस दौरान नवंबर 2022 से जून 2023 के बीच देश में जंगल में आग लगने की कुल घटनाएं 2.12 लाख रिपोर्ट हुई थी, जबकि नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच यह संख्या 2.03 लाख रिपोर्ट हुई थी। यानी इनमें कमी आयी है।
साथ ही समय पर आग लगने की सूचना मिलने से इनके नुकसान का दायरा भी घटा है। वर्ष 2022-23 में जहां इससे पांच सौ करोड़ का नुकसान हुआ था, वहीं 2023-24 में तीन सौ करोड़ के नुकसान का अनुमान है।
प्रशिक्षित की गई एनडीआरएफ की तीन कंपनियांजंगल की तेज होती आग से निपटने के लिए सरकार ने अलर्ट सिस्टम के साथ ही एनडीआरएफ की तीन कंपनियों को भी इससे निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया है। जो राज्यों की मांग पर मुहैया कराई जाएगी। तीनों कंपनियों में कुल 150 जवान शामिल है। इन्हें यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(एनडीएमए) व राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल(एनडीआरएफ) ने संयुक्त रूप से दिया है।
शीर्ष के दस राज्य, जहां सबसे अधिक आग की घटनाएं रिपोर्ट हुई
राज्य वर्ष 2022-23 वर्ष 2023-24 उत्तराखंड 5351 21033 ओडिशा 33461 20973 छत्तीसगढ़ 20306 18950 आंध्र प्रदेश 19367 18174 महाराष्ट्र 16119 16008 मध्य प्रदेश 17142 15878 हिमाचल प्रदेश 704 10136 असम 98307639
झारखंड 11923 7526 मिजोरम 5798 6627 जम्मू कश्मीर 131 3829यह भी पढ़ें: वन्यजीव संरक्षण के लिए बड़ी सफलता, नवेगांव नागजीरा टाइगर रिजर्व में दिखीं 50 विशाल उड़ने वाली गिलहरियां
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Trump says not joking about third term
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वन्यजीव संरक्षण के लिए बड़ी सफलता, नवेगांव नागजीरा टाइगर रिजर्व में दिखीं 50 विशाल उड़ने वाली गिलहरियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गोंदिया के नवेगांव नागजीरा टाइगर रिजर्व (NNTR) में हाल ही में किए गए एक सर्वे में करीब 50 भारतीय विशाल उड़ने वाली गिलहरियों की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह खोज वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह गिलहरी अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की 'सबसे कम चिंताजनक' श्रेणी में आती है। लेकिन आवास की हानि, जंगलों का क्षरण और शिकार जैसे कारणों से इसकी संख्या प्रभावित हो रही है।
सर्वे की अहमियतएनएनटीआर के उप निदेशक पवन जेफ ने बताया कि फरवरी में चरण IV की निगरानी के दौरान वैज्ञानिकों ने इन गिलहरियों की मौजूदगी को दर्ज किया। उन्होंने कहा, "ऐसे सर्वेक्षण से हमें इनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए बेहतर रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।"
इस गिलहरी के बारे में अब तक क्या है मालूमभारतीय विशाल उड़ने वाली गिलहरी कृंतक (Rodent) परिवार का सदस्य है और यह भारत, चीन, लाओस, म्यांमार, श्रीलंका, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम में पाई जाती है। इन गिलहरियों की खासियत यह है कि ये लंबी छलांग लगाकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक "उड़ने" में सक्षम होती हैं। यह खोज वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणवादियों के लिए उत्साहजनक है और इससे इन दुर्लभ गिलहरियों के संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
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