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Tahawwur Rana: तहव्वुर राणा को हो सकती है फांसी की सजा? जानिए क्या कहता है कानून
माला दीक्षित, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यार्पित कर भारत लाया गया है। अब यहां उस पर 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर मुकदमा चलेगा। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।
अगर भारत और अमेरिका का कानून देखा जाए तो तहव्वुर राणा को फांसी की सजा हो सकती है। तहव्वुर राणा को मृत्युदंड की सजा होगी कि नहीं इसके लिए यह देखना होगा कि जिस देश से वह प्रत्यार्पित कर लाया जा रहा है वहां का कानून क्या कहता है और जिस देश लाया जा रहा है वहां का कानून उस पर लगे आरोपित अपराध में किस दंड का प्रविधान करता है।
जानकार क्या कहते हैं?तहव्वुर राणा को उसके अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा होने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि प्रत्यर्पण के मामले में अभियुक्त जिस देश से आ रहा है अगर वहां मृत्युदंड की सजा है तो उसे यहां भारत में भी मृत्युदंड दिया जा सकता है। राणा के कनाडा का नागरिक होने पर वह कहते हैं कि अभियुक्त किस देश का नागरिक है इसका कोई फर्क नहीं पड़ता अगर अपराध भारत में हुआ है तो उसे भारत के कानून से डील किया जाएगा। उस पर भारत का कानून लागू होगा।
"प्रत्यार्पण के मामले में जिस देश से वह आरोपित लाया जाता है वह देश शर्त लगा सकता है लेकिन अगर उस देश में आरोपित पर लगे अपराध में मृत्युदंड की सजा है तो वह सामान्य तौर पर मृत्युदंड न देने की शर्त नहीं लगाता। वैसे भी प्रत्यार्पण न्यायिक प्रक्रिया है उसका आदेश कोर्ट से होता है और उसमें दोनों देशों के कानून और प्रत्यार्पण संधियों को देखा जाता है। अगर भारतीय कानून को देखा जाए तो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी के लिए उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा है और मुंबई हमले के मामले में दोषी पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब को फांसी हुई थी। लेकिन तहव्वुर राणा का मामला कसाब से थोड़ा अलग है। राणा को अमेरिका से प्रत्यार्पित करके भारत लाया जा रहा है। ऐसे में प्रत्यापर्ण की जो शर्तें होंगी उसी के मुताबिक उस पर मुकदमा चलेगा और सजा मिलेगी।" ज्ञानंत सिंह, वकील, सुप्रीम कोर्ट
नियम क्या कहता है?नियम के मुताबिक प्रत्यार्पण पत्र में जिस मुकदमे और जिन आरोपों का जिक्र किया गया होगा उन्हीं मामलों में राणा पर मुकदमा चलेगा। अमेरिका और भारत के बीच 1997 में हुई प्रत्यार्पण संधि को देखा जाए तो उसका आर्टिकल 8 कहता है कि जिस अपराध में मुकदमा चलाने और सजा देने के लिए प्रत्यार्पण मांगा जा रहा, अगर वह अपराध प्रत्यार्पण का अनुरोध करने वाले देश में मृत्युदंड से दंडित किया जा सकता है लेकिन यदि प्रत्यार्पित करने वाले देश में उस अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है तो वह देश प्रत्यार्पण की मांग ठुकरा सकता है।
ये क्लॉज तहव्वुर राणा के मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि उस पर आतंकवाद का आरोप है। उस पर भारत पर हमला करने की साजिश के आरोप हैं और आतंकवाद के अपराध में अमेरिका में भी मृत्युदंड की सजा है।
न्यायपालिका का क्या हो सकता है रुख?भारत की न्यायपालिका ने वैसे तो फांसी की सजा के लिए रेयरेस्ट आफ रेयर का सिद्धांत तय कर रखा है, लेकिन भारत की न्यायपालिका भी आंतकवादियों को फांसी देने में कोताही नहीं करती है और इसका उदाहरण मुंबई हमलों का दोषी अजमल कसाब, संसद हमलों का दोषी अफजल गुरू और मुंबई में सीरियल बम धमाकों के का दोषी याकूब मेमन हैं जिन्हें फांसी दी गई । वैसे राणा को क्या सजा होगी यह न्यायिक मामला है। भारत लाए जाने के बाद एनआइए और अन्य एजेंसियां उससे पूछताछ करेंगीं और उसके बाद उस पर अदालत में मुकदमा चलेगा फिर सजा होगी।
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Waqf Law: वक्फ कानून के खिलाफ इस दिन होगी SC में सुनवाई, केंद्र सरकार ने भी कर दी ये मांग
पीटीआई, नई दिल्ली : वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा। यह मामला प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
पीठ के अन्य न्यायाधीशों में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं। एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका समेत 10 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी वक्फ अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सरकार ने कोर्ट में कैविएट दाखिल कियाकेंद्र सरकार ने आठ अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल कर मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुने जाने की मांग की थी। किसी पक्ष द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इसलिए कैविएट दाखिल किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए।
वक्फ अधिनियम के समर्थन में आवेदनएएनआइ के अनुसार, वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर कर कहा गया है कि संशोधन भारत के संविधान के अनुरूप है। हस्तक्षेप आवेदन के जरिये किसी कानूनी मामले या कार्यवाही में भाग लेने का अनुरोध किया जाता है। अखिल भारत ¨हदू महासभा के सदस्य सतीश कुमार अग्रवाल और गैर सरकारी संगठन हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह आवेदन दिया गया है।
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बिहार के किसानों को शीघ्र बाजार समिति प्रांगणों की सुविधा, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने की समीक्षा बैठक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा जिलावार बाजार समिति प्रांगणों के निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा की गई। इस समीक्षात्मक बैठक में सचिव कृषि संजय कुमार अग्रवाल सहित कई पदाधिकारियों ने भाग लिया।
बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रतिनिधि द्वारा बताया गया कि चंदौती (गया) तथा वैशाली में कार्य पूर्ण हो गया है। पूर्वी और पश्चिम चंपारण के बाजार समिति का कार्य 15 मई तक पूर्ण कर लिया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक बाजार’ की व्यवस्था की घोषणा की गई है, जिसका सबसे ज्यादा लाभ बिहार को मिलेगा। बिहार के किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए अधिकतम मूल्य मिल पायेगा। इस प्रकार किसानों की आय में अपेक्षित वृद्धि हो पायेगी एवं किसान समृद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह (15 अगस्त, 2021) के अवसर पर गांधी मैदान में आयोजित राजकीय समारोह में घोषणा की गयी कि राज्य के किसानों को कृषि उत्पाद हेतु बाजार की सुविधा उपलब्ध करने के उद्देश्य से सभी कृषि उत्पादन बाजार समितियों का जीर्णोद्धार एवं चरणबद्ध तरीके से विकास कराया जाए।
समिती प्रांगणों में की जाएगी स्टोरेज की सुविधामंत्री ने कहा कि बाजार समिति प्रांगणों में अनाज, फल-सब्जी एवं मछली का अलग-अलग बाजार की व्यवस्था, स्टोरेज की सुविधा आदि कार्य किया जा रहा है।
राज्य के किसानों को उनके फसल उत्पादों, मछली आदि के लिए उचित मूल्य एवं बेहतर बाजार की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से राज्य के सभी बाजार समिति के प्रांगणों के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रांगणों में चहारदीवारी, सड़क, नाला आदि निर्माण के साथ-साथ सफाई, सुरक्षा, बिजली, पानी, महिलाओं एवं पुरूषों के लिए अलग-अलग शौचालय आदि की व्यवस्था के साथ ही गोदाम तथा कोल्डस्टोरेज के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन में निधि की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने निर्देश दिया कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा जहां- जहां कार्य पूर्ण किया जा रहा है, वहां पर टीम गठित कर कार्यों की प्रगति तथा गुणवत्ता की जांच करा ली जाए। साथ ही, बाजार समिति प्रांगणों में दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए।
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देश के एक लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे, लाखों पद खाली; देखें पूरी लिस्ट
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूलों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी) को लागू करने के लिए भले ही केंद्र और राज्य सरकारें पूरी शिद्दत से जुटी हुई है लेकिन हकीकत यह है कि स्कूलों में इसे अमल में लाने के लिए पर्याप्त शिक्षक ही नहीं है। स्कूलों में अभी भी शिक्षकों के करीब आठ लाख पद खाली पड़े है।
यह बात अलग है कि पिछले सालों के मुकाबले इसमें सुधार हुआ है, पहले यह संख्या दस लाख से अधिक थी। इसके साथ ही देश के एक लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल ऐसे भी है, जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है। स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए राज्यों को एक बार फिर पत्र लिखा है। जिसमें शिक्षकों के खाली पदों को प्राथमिकता से भरने के निर्देश दिए है। साथ ही यह सुझाव दिया है कि स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त होने से पहले ही उन्हें भरने की योजना बनाई जाए। जिससे स्कूलों को जल्द नए शिक्षक मिल सके।
पद का खाली होना एक सतत प्रकिया: शिक्षा मंत्रालय
मंत्रालय का मानना है कि स्कूलों में शिक्षकों के पदों का खाली होना एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन यदि तीन-तीन महीने में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों का ब्यौरा जुटाया जाए व खाली होने वाले पदों पर भर्ती की प्रक्रिया को पहले से शुरू कर दी जाए, इससे संकट से बचा जा सकता है।
शिक्षा मंत्रालय की ओर से संसद को सौंपी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में वैसे तो शिक्षकों की कुल संख्या 98 लाख है। इनमें से करीब आठ लाख पद अभी भी खाली है।
सबसे अधिक पद बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल में खाली है। इसके साथ ही देश में एक लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल ऐसे है, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे है। एक शिक्षक के भरोसे स्कूलों की सूची में बिहार की स्थिति बाकी राज्यों से थोड़ी अच्छी है।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में 14.71 लाख से अधिक स्कूल है। जिसमें 2.60 लाख स्कूल शहरी क्षेत्रों में है, बाकी 12.12 लाख से अधिक स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है।
इन प्रमुख राज्यों में कितने स्कूलों में एक शिक्षक है
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राज्य स्कूलों की संख्या
राज्य
स्कूलों की संख्या
आंध्र प्रदेश12543
मध्य प्रदेश11035
झारखंड8294
कर्नाटक7477
राजस्थान7673
पश्चिम बंगाल5437
उत्तर प्रदेश4572
हिमाचल प्रदेश3365
छत्तीसगढ़5520
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IPL 2025: Why CSK turned to MS Dhoni to lead in Ruturaj Gaikwad’s absence - The Indian Express
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Summer Special Train 2025: गर्मियों की छुट्टी होगी सुपर कूल, रेलवे चलाएगा 666 ट्रेनें; रूट समेत पूरी जानकारी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पर्व-त्योहारों और गर्मी की छुट्टियों में ट्रेन का सफर आसान नहीं होता। अधिकतर रूटों की ट्रेनों में भारी भीड़ होती है, जिससे टिकटों की प्रतीक्षा सूची बढ़ जाती है। इस बार रेलवे की तरफ से ज्यादा ऐहतियात बरती जा रही है।
यात्रियों की सुविधा के लिए 666 ट्रेनें तैयार रखी गई हैं, जो 15 अप्रैल से जुलाई के बीच 13 हजार 682 से ज्यादा फेरे लगाएंगी। रेलवे ने 408 ट्रेनों के आठ हजार 482 फेरों को अधिसूचित भी कर दिया है। जरूरत और हालात के अनुसार बाकी ट्रेनों को भी तैनात रखा गया है। समर स्पेशल ट्रेनें नियमित चलने वाली ट्रेनों से अलग होंगी।
एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने की योजनारेलवे के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने की योजना बनाई गई है, ताकि गर्मी की छुट्टियों के दौरान अधिक से अधिक यात्रियों को उनके गंतव्य तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
रेलवे का मानना है कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान यात्रियों का सबसे ज्यादा दबाव बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल एवं झारखंड के रेलवे रूटों पर होता है। इसलिए पूर्वी रेलवे के धनबाद, दानापुर, मुगलसराय एवं पूर्वोत्तर रेलवे के सोनपुर एवं समस्तीपुर डिवीजन के शहरों के लिए 72 ट्रेनों की व्यवस्था कर रखी है, जो सबसे ज्यादा 2805 फेरे लगाएंगी।
पिछली बार ट्रेनों की संख्या तो ज्यादा थी, लेकिन फेरे कम लगे थे। सेंट्रल रेलवे को कुल 64 ट्रेनें उपलब्ध कराई गई है, जो 1276 बार आना-जाना करेंगी। यह संख्या पिछली बार से लगभग दुगुनी है। कुछ रूटों पर अभी से समर स्पेशल ट्रेनें चलने लगी हैं, लेकिन 15 अप्रैल के बाद से इनकी संख्या और बढ़ाई जाएंगी।
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TMC minister Siddiqullah Chowdhury threatens to shut down Kolkata in protest against Waqf Bill, says he can arrange 10,000 people each in 50 places to block traffic - OpIndia
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- Tracks Blocked As Protests, Violence Break Out In Parts Of Bengal Over Waqf Act NDTV
- Protest against Waqf law turns violent in Murshidabad again, TMC MP’s office ransacked The Indian Express
- Waqf protest turns violent in Bengal: Mob throws stones at train, cops injured India Today
- Trinamool Congress playing role of pre-Independence Muslim League: Tarun Chugh The Hindu
'मुंबई हमले के बाद गांधी परिवार ने नहीं होने दी कार्रवाई', भाजपा ने लगाए गंभीर आरोप; जानिए क्या है मामला
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में अपने पूर्व प्रयासों के सहारे श्रेय लेने का प्रयास कर रही कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर भाजपा ने करारा प्रहार किया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और कांग्रेस के एक पूर्व वरिष्ठ सांसद की किताब के हवाले से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि एनएसी के माध्यम से सत्ता चल रहे गांधी परिवार ने मुंबई आतंकी हमलों के बाद किसी भी ठोस कार्रवाई को ओवररूल कर दिया था।
बिना नाम लिए उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल पर आरोप लगाया कि वहां आतंकी हमलों के दोषी एक मजहब के थे, इसलिए उनको छुड़वाने के लिए तत्कालीन सरकार हाई कोर्ट गई थी, तब कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि आज आतंकियों को छुड़वाने आए हैं, तो क्या कल इन्हें पद्मश्री भी देंगे?
शहजाद पूनावाला ने लगाए आरोपभाजपा प्रवक्ता पूनावाला ने 26/11 के आतंकी तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण कर भारत लाए जाने को मोदी सरकार की बड़ी रणनीतिक एवं ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। कहा कि कांग्रेस यूपीए शासन के दौरान वोटबैंक तुष्टीकरण के लिए आतंकियों पर कार्रवाई नहीं करती थी, जिसकी सजा आतंकवाद झेलने वाले निर्दोष लोगों को मिलती थी।
उन्होंने कहा कि क्या कांग्रेस यह बताएगी कि क्या अब वह आतंकवाद पर वोटबैंक की राजनीति बंद करेगी? क्या वह नक्सलवाद, अनुच्छेद 370 और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के प्रति अपनाए गए नरम रुख को अब छोड़ेगी?
आतंकवाद को लेकर घेरा- भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में आतंक और आतंकवाद के प्रति हमारे दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है। आज का यह प्रत्यर्पण उसी बदले हुए सोच का एक प्रतीक है। 2004 से 2014 के बीच शायद ही कोई महीना ऐसा जाता था, जब भारत के किसी बड़े शहर में आतंकी हमला नहीं होता था। 2005 में दिल्ली, 2006 में वाराणसी, 2007 में लखनऊ और 2008 में जयपुर, बेंगलुरु, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, अगरतला, रामपुर में हमले हुए।
- उन्होंने आरोप लगाया कि पहले पाकिस्तान के इस्लामी आतंक पर लीपापोती की गई और उसे क्लीन चिट देने का प्रयास किया गया। यहां तक कि हिंदू टेरर, संघ टेरर और आरएसएस टेरर जैसे फेक नैरेटिव गढ़ने का प्रयास उस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने किया। महाराष्ट्र में कभी नेता प्रतिपक्ष रह चुके कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार का एक बयान आया था कि शहीद हेमंत करकरे को कसाब और पाकिस्तानी आतंकियों ने नहीं, बल्कि पुलिस वालों ने मारा था।
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Trade War 2.0: ट्रंप के टैरिफ से 90 दिन की राहत, भारतीय बाजार पर कैसा रहेगा असर? जानिए क्या कहते हैं Expert
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दुनिया के 75 देशों पर पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariff) को अगले 90 दिनों के लिए टालने के बाद यह साफ हो गया है कि व्यापारिक युद्ध अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों के बीच नहीं बल्कि अमेरिका और चीन के बीच है। तभी विशेषज्ञ इसे ट्रेड वार 2.0 का नाम दे रहे हैं और इस ट्रेड वॉर 2.0 से एक बार फिर भारत को अमेरिका के बाजार में अपने निर्यात को नए मुकाम पर ले जाने का अवसर मिला है। क्योंकि अमेरिका ने चीन की वस्तुओं पर 125 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया है। भारत समेत अन्य देशों पर सिर्फ 10 प्रतिशत का शुल्क लगेगा।
ट्रंप के इस फैसले से भारतीय निर्यात पर मंडरा रही अनिश्चितता फिलहाल खत्म होती दिख रही है। पारस्परिक शुल्क को लेकर ट्रंप के फैसले के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भारत तो वैसे भी इस रेस में आगे था, द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर अमेरिका से हमारी बातचीत बहुत अच्छी चल रही है।
चीन ने अमेरिका को वर्ष 2024 में 440 अरब डॉलर का निर्यात किया है। चीन के हिस्से का पांच प्रतिशत आर्डर भी अगर भारत के हिस्से में आ गया तो 20-22 अरब डॉलर का निर्यात तुरंत बढ़ सकता है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार की शुरुआत हुई थी। ऐसा नहीं है कि उस ट्रेड वॉर का भारत को फायदा नहीं मिला था, लेकिन दूसरे-तीसरे देशों से चीन अमेरिका में अपने सामान भेजने में कामयाब रहा। इस बार अमेरिका चीन की इस चाल को लेकर भी सतर्क है।
चीन पर भारी भरकम टैरिफ से भारत को कैसे फायदा?ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव के मुताबिक चीन पर 125 प्रतिशत के शुल्क से भारत को केमिकल, अपैरल व इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कई सेक्टर के निर्यात में फायदा हो सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक एवं सीईओ अजय सहाय के मुताबिक ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन से होने वाले ट्रेड वॉर के दौरान अमेरिका के बाजार में हमारा निर्यात 57 अरब डॉलर से बढ़कर 73 अरब डॉलर का हो गया। इस बार भी फायदा मिल सकता है। निर्यात बढ़ोतरी पूरी तरह से हमारी सप्लाई क्षमता पर निर्भर करेगी।
कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एवं टीटी लिमिटेड के एमडी संजय जैन ने बताया कि अमेरिका सालाना 120 अरब डॉलर का टेक्सटाइल व अपैरल का आयात करता है और इनमें चीन की हिस्सेदारी 30 अरब डालर यानी 25 प्रतिशत की है। अब चीन के हिस्से के माल की खरीदारी अमेरिका अन्य देशों से करेगा। भारत के लिए यह मौका है लेकिन भरपूर कच्चे माल और लागत को कम करने की जरूरत होगी। हालांकि भारतीय वस्तुओं पर जो 10 प्रतिशत का शुल्क लगेगा उसे भारतीय निर्यातक और अमेरिकी खरीदार को सहन करना पड़ सकता है। वैसे ही चीन अमेरिका में सालाना 12 अरब डॉलर के फुटवियर का निर्यात करता है।
'बड़े पैमाने पर सप्लाई चेन विकसित करने की दरकार'अमेरिका में फुटवियर निर्यात कारोबार करने वाले और काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन आर.के. जालान कहते हैं कि कुल मिलाकर हमें इस फैसला का लाभ मिलेगा। भारत एथलीट फुटवियर और स्पोर्ट्स फुटवियर कम बनाता है। अमेरिका से आर्डर लेने के लिए बड़े पैमाने पर सप्लाई चेन विकसित करने की जरूरत होगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के चेयरमैन एस.सी. रल्हन का मानना है कि इस समय चीन से हम सस्ते दाम पर कच्चे माल की खरीदारी कर अधिक से अधिक मैन्यूफैक्चरिंग करके अपने निर्यात को बढ़ा सकते हैं। अमेरिका में चीन का व्यापार प्रभावित होने से चीन भारत को किफायती दाम पर कच्चे माल की सप्लाई कर सकता है।
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