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Patna News: शिक्षा मंत्री के आवास से निकलते ही सड़क पर लेट गए सैकड़ों छात्र, आनन-फानन में लिया गया बड़ा फैसला
जागरण संवाददाता, पटना। पटना की सड़कों पर सोमवार को जमकर बवाल हुआ। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की तृतीय अध्यापक नियुक्ति परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने सप्लिमेंट्री रिजल्ट जारी करने के लिए सोमवार को शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के आवास का घेराव किया।
शिक्षा मंत्री की गाड़ी के आगे दर्जनों अभ्यर्थी लेट गए। इसपर शिक्षा मंत्री गाड़ी से उतर पैदल ही विधानसभा की ओर बढ़ने लगे। उनके साथ अभ्यर्थियों का हुजूम भी आगे बढ़ने लगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता में नौकरी और रोजगार है। बीपीएससी शिक्षक अभ्यर्थियों के सप्लिमेंट्री रिज्लट की मांग को लेकर बिहार लोक सेवा आयोग से बातचीत करेंगे।
नियमानुसार निष्कर्ष से अभ्यर्थियों को 28 मार्च को अवगत करा दिया जाएगा। शिक्षा विभाग और राज्य सरकार अभ्यर्थियों के हित में कानून सम्मत निर्णय के लिए कृतसंकल्प है।
वहीं, शिक्षा मंत्री के आवास के घेराव की सूचना पर बड़ी संख्या में पुलिस बल आसपास तैनात कर दिए गए। महिला अभ्यर्थियों के रोने पर मंत्री ने उन्हें कार्रवाई होने को लेकर आश्वस्त किया।
सचिवालय में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर घेरा आवासपिछले कई दिनों से गर्दनीबाग में बीपीएससी टीआरई-3 के अभ्यर्थी सप्लीमेंट्री रिजल्ट के लिए धरना पर बैठे थे। शिक्षा मंत्री ने अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल को मिलने के लिए सोमवार की सुबह सचिवालय बुलाया था।
सचिवालय में संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर अभ्यर्थी विधानसभा के आसपास जुटने लगे। अपराह्न 3:30 बजे के बाद शिक्षा मंत्री के आवास पहुंचते ही सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी जमा होकर नारेबाजी करने लगे।
शिक्षा मंत्री ने अभ्यर्थियों को 28 तक इंतजार के लिए कहा। इसके बाद विधानसभा के लिए निकले। अभ्यर्थियों के गाड़ी के आगे लेटने पर वह उतरकर उनसे बातचीत करते हुए विधानसभा के पास पहुंच गए।
आश्वासन के बाद नहीं हो रही कार्रवाई- अभ्यर्थियों ने कहा कि एक ही अभ्यर्थी का प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में एक साथ हो रहा है। कई रिजल्ट वाले अभ्यर्थी सिर्फ एक सीट पर योगदान देते हैं। ऐसे में कई सीटें रिक्त रह जाती हैं।
- मेधा के साथ यह अन्याय है। टीआरई-1 से ही सप्लिमेंट्री रिजल्ट की मांग की जा रही है, लेकिन आश्वासन पर कार्रवाई सिफर है।
- अभ्यर्थी दीपक कुमार मिश्र, विक्की, सनी कुमार राज, नीलम, दिव्या, प्रियंका आदि ने कहा कि सप्लिमेंट्री परिणाम जारी होने पर आंदोलन को तेज करने के अतिरिक्त विकल्प नहीं है।
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Bihar Politics: बिहार आ रहे हैं अमित शाह, गोपालगंज से शुरू करेंगे चुनाव प्रचार
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद करने के लिए गृहमंत्री एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 29-30 मार्च को दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद 30 को शाह गोपालगंज में पहली बार राजनीतिक रैली को संबोधित करेंगे। इसमें गोपालगंज सहित पांच जिले के कार्यकर्ता सम्मिलित होंगे।
इस दौरे में गृहमंत्री पटना में एनडीए नेताओं के साथ बैठक भी करेंगे। संभावना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिरिक्त एनडीए के घटक दलों के अन्य वरिष्ठ नेता शाह के साथ मंच साझा कर सकते हैं।
पार्टी की कोशिश होगी कि फोरलेन के समीप ही रैली हो, ताकि कार्यकर्ताओं को आने-जाने में कोई समस्या नहीं हो।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने की बैठकरैली एवं कार्यकर्ता सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सोमवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल की अध्यक्षता में पार्टी प्रदेश मुख्यालय में गोपालगंज के अतिरिक्त मोतिहारी, बेतिया, सारण एवं सिवान जिले के मंत्रियों के अतिरिक्त पार्टी विधायक, विधान पार्षदों की बैठक हुई।
इस दौरान दोनों उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा के अतिरिक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एवं प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित थे। इन जिलों के भाजपा पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को रैली में कार्यकर्ताओं को लाने के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करने का दायित्व दिया गया।
लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह का पहला बिहार दौराप्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद गृहमंत्री का यह पहला बिहार दौरा है। साथ ही पार्टी की ओर से पहली राजनीतिक रैली की जा रही है। दो दिवसीय बिहार दौरे के तहत गृहमंत्री 29 मार्च की रात आठ बजे पटना आ जाएंगे।
इसके बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी के विधायक, विधान पार्षद, सांसद एवं प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। लगभग डेढ़ घंटे तक की इस बैठक के बाद वे देर रात बिहार भाजपा की कोर कमेटी के नेताओं के साथ बैठक करेंगे।
सहकारिता विभाग के कार्यक्रम में होंगे शामिलवहीं, 30 मार्च को गृहमंत्री बापू सभागार में 11 बजे से आयोजित सहकारिता विभाग के कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे। विभाग की ओर से पैक्स से संबंधित चलाई जा रही योजनाओं का शुभारंभ आर कुछ नई योजनाओं का उद्घाटन होगा।
दिन के साढ़े 12 बजे वे पटना से गोपालगंज के लिए रवाना होंगे। गोपालगंज शहर के तीन-चार किलोमीटर की परिधि में रैली सह कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन होगा।
सम्मेलन के बाद वे पटना आएंगे और राजकीय अतिथिशाला में एनडीए की बैठक होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिरिक्त बिहार एनडीए के अन्य नेताओं के भाग लेने की संभावना है।
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Bihar Jobs 2025: चुनाव से पहले नौकरी को लेकर जारी हुआ एक और नया नोटिफिक्शन, 16 अप्रैल तक कर सकते हैं आवेदन
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में होमगार्ड के 15 हजार नए पदों पर बहाली को लेकर आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 27 मार्च से शुरू हो जाएगी जो 16 अप्रैल तक जारी रहेगी।
होमगार्ड बहाली के आनलाइन आवेदन को लेकर बिहार गृह रक्षा वाहिनी की नई वेबसाइट www.onlinebhg.bihar.gov.in तैयार की गयी है, जो 27 मार्च से ही लाइव होगी।
गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएं के महानिदेशक सह महासमादेष्टा कार्यालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार, अरवल जिला के साथ ही नवगछिया और बगहा पुलिस जिला को छोड़ कर बिहार के अन्य 37 जिलों में होमगार्ड के रिक्त 15 हजार पदों के लिए आवेदन लिए जाएंगे।
यह आवेदन जिले में उपलब्ध वैकेंसी के आधार पर ली जाएगी। इसेस जुड़ा विस्तृत निर्देश वेबसाइट पर ही उपलब्ध होगा।
सुरक्षा गार्ड और सुपरवाइजर की भर्ती में 220 रिक्तियों पर प्रखंडों में कैंपउधर, हाजीपुर जिला के सभी 16 प्रखंड के प्रखंड परिसर में अवर प्रादेशिक नियोजनालय हाजीपुर एवं जिला प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा सैनिकों, सुरक्षा पर्यवेक्षकों की बड़ी संख्या में बहाली की जाएगी।
इस संबंध में सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंट सर्विसेज लिमिटेड के ग्रुप कमांडर रामधारी सिंह ने बताया कि भर्ती शिविर में चयनित उम्मीदवारों को पंजीयन फार्म, प्रोस्पेक्टस के रूप में भर्ती नि:शुल्क होगी।
इसका चयनित पत्र भर्ती स्थल पर ही दिया जाएगा। इसके बाद प्रशिक्षण के लिए सभी उम्मीदवार को भर्ती अधिकारी के द्वारा बताए गए विभाग या कंपनी के प्रशिक्षण केंद्र झपहा, मुजफ्फरपुर- सीतामढ़ी रोड में रिपोर्ट करेंगे।
यहां उन्हें सुरक्षा संबंधी विभिन्न प्रकार के विषयों के संबंध में एक महीने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षणोपरांत सभी को कंपनी के आवश्यकता के अनुसार विभिन्न स्थानों पर पोस्टिंग की जाती है।
भर्ती के लिए उम्मीदवारों की योग्यता इस प्रकार से होगी- कम से कम दसवीं पास।
- उम्र 19 से 40 वर्ष।
- ऊंचाई कम से कम 168 सेमी और वजन 55 से 90 किलो होना अनिवार्य
- उम्मीदवार शारीरिक और मानसिक से स्वस्थ हो।
- इन तिथियों को इन प्रखंडों में लगेगा कैंप
- 24 मार्च को महुआ प्रखंड परिसर।
- 25 मार्च को वैशाली प्रखंड परिसर।
- 26 मार्च को चेहराकला प्रखंड परिसर|।
- 27 मार्च को जंदाहा प्रखंड परिसर।
- 28 मार्च को पातेपुर प्रखंड परिसर।
- 29 मार्च को पटेढ़ी बेलसर प्रखंड परिसर।
- 01 अप्रैल को राघोपुर प्रखंड परिसर।
- 02 अप्रैल को हाजीपुर डीआरसीसी परिसर।
- 03 अप्रैल को राजापाकर प्रखंड परिसर।
- 04 अप्रैल को भगवानपुर प्रखंड परिसर।
- 07 अप्रैल को देसरी प्रखंड परिसर।
- 08 अप्रैल को लालगंज प्रखंड परिसर।
- 09 अप्रैल को सहदेई बुजुर्ग प्रखंड परिसर।
- 11 अप्रैल को बिदुपुर प्रखंड परिसर।
- 12 अप्रैल को गोरौल प्रखंड परिसर।
- 15 अप्रैल को महनार प्रखंड परिसर।
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सांसदों के वेतन-भत्ते में 24 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, अब मिलेगा 1.24 लाख रुपये वेतन; पेंशन में भी इजाफा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सांसदों के वेतन-भत्ते में 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 2018 के बाद पहली बार यह बढ़ोतरी की गई है। केंद्र सरकार ने वर्तमान सांसदों के वेतन-भत्ते के साथ ही पूर्व सांसदों के पेंशन में भी इसी आधार पर वृद्धि की अधिसूचना सोमवार को जारी की।
वेतन वृद्धि के बाद अब सांसदों का मूल वेतन एक लाख से बढ़कर 1.24 लाख रुपये प्रति माह हो गया है। जबकि, सांसदों का दैनिक संसदीय भत्ता 2000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया है।
केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचनासंसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मौजूदा सदस्यों के दैनिक भत्ते और पेंशन में भी वृद्धि की गई है। वहीं पूर्व सांसदों के लिए पांच साल से अधिक की सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए अतिरिक्त पेंशन भी बढ़ाई गई है।
सांसदों का वेतन पिछली बार 2018 में बढ़ा था और उसी समय फैसला हुआ था कि केंद्र सरकार महंगाई लागत सूचकांक के अनुसार पांच साल में वेतन वृद्धि की समीक्षा करेगी। इसीलिए, 24 प्रतिशत की वर्तमान बढ़ोतरी को अप्रैल 2023 से लागू करने की घोषणा की गई है।
सांसदों को अब मिलेगा 1.24 लाख महीना का वेतनसांसदों को अब तक एक लाख रुपये वेतन मिलता था जो बढ़कर अब 1.24 लाख रुपये महीना हो जाएगा। दैनिक भत्ते में भी 500 रुपये की बढ़ोतरी होने के बाद अब यह 2500 रुपये प्रति दिन होगा।
पूर्व सांसदों का न्यूनतम पेंशन 25 हजार रुपये से बढ़ाकर अब 31 हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया है। पांच साल से अधिक की सेवा यानि एक टर्म से अधिक सदस्य रहे पूर्व सांसदों को प्रत्येक वर्ष के लिए अतिरिक्त पेंशन 2,000 रुपये प्रति माह की जगह अब 2,500 रुपये प्रति महीने के हिसाब से जोड़कर मिलेगा।
अन्य भत्तों में भी होगा इजाफावेतन के अलावा साथ ही सांसदों को क्षेत्र के लोगों से संपर्क में रहने के लिए निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 70,000 रुपये भत्ता मिलता है। कार्यालय भत्ते के रूप में हर महीने 60,000 रुपये मिलते हैं।
वेतन-भत्ते में हुई ताजा वृद्धि के अनुरूप इन भत्तों में भी इजाफा होगा। इसके अलावा सांसदों को राजधानी दिल्ली में मुफ्त आवास, फोन, इंटनरेट, हवाई-ट्रेन यात्रा समेत कुछ अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं।
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जस्टिम वर्मा मामले के बाद फिर चर्चा में NJC, जल्द बुलाई जाएगी सभी दल के नेताओं की बैठक
जेएनएन, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिलने की घटना के बाद राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि एनजेएसी अधिनियम के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए वह शीघ्र ही राज्यसभा में विभिन्न पार्टियों के संसदीय दल के नेताओं की बैठक बुलाएंगे। उपराष्ट्रपति धनखड़ राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2015 के फैसले के मुखर आलोचक रहे हैं।
राज्यसभा के सभापति ने बुलाई बैठकराज्यसभा के सभापति धनखड़ ने न्यायिक जवाबदेही और एनजेएसी अधिनियम के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सदन के नेता जेपी नड्डा और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक की। दोनों नेताओं ने धनखड़ के कक्ष में बातचीत की। इस संबंध में एक सूत्र ने बताया कि सभापति ने नड्डा और खरगे को बैठक के लिए पत्र लिखा था।
कांग्रेस ने सदन में उठाया था नकदी बरामद का मु्द्दाकांग्रेस नेता जयराम रमेश ने हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के आवास से नकदी बरामद होने का मुद्दा 21 मार्च को उच्च सदन में उठाया था। इसके जवाब में सभापति धनखड़ की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलाई गई। उपराष्ट्रपति ने 2014 में एनजेएसी एक्ट पारित होने के बाद न्यायिक नियुक्तियों के लिए एक तंत्र का उल्लेख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस अधिनियम को रद कर दिया था।
राज्यसभा के सभापति ने क्या कहा?धनखड़ ने 21 मार्च को राज्यसभा में कहा था-आप सभी को वह प्रणाली याद होगी, जिसे इस सदन ने लगभग सर्वसम्मति से पारित किया था। उस पर कोई मतभेद नहीं था। राज्यसभा में केवल एक सदस्य अनुपस्थित था। सभी राजनीतिक दल एकजुट हुए थे और सरकार की पहल का समर्थन किया था। मैं यह जानना चाहता हूं कि भारतीय संसद से पारित उस विधेयक की क्या स्थिति है, जिसे देश की 16 राज्य विधानसभाओं ने मंजूरी दी और जिस पर संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत माननीय राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे।
इस देश के संसदीय इतिहास में अभूतपूर्व सहमति के साथ इस संसद द्वारा पारित ऐतिहासिक विधेयक में इस समस्या से निपटने के लिए बहुत गंभीर प्रविधान थे। यदि इस बीमारी को खत्म कर दिया गया होता तो शायद हमें इस तरह के मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ता। मुझे इस बात से परेशानी है कि इस तरह की घटना घटी और तुरंत सामने नहीं आई।
धनखड़ ने कहा था कि वह नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विचार-विमर्श करेंगे। दूसरी तरफ तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को आशंका जताई कि केंद्र सरकार जज के आवास से नकदी मिलने का इस्तेमाल न्यायिक नियुक्तियों पर नियंत्रण के लिए कर सकती है। उन्होंने लोकसभा में दावा किया कि मीडिया में हो-हल्ला राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को पुनर्जीवित करने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा है।
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मोदी सरकार ने Google, X और Meta को सुनाई खुशखबरी; 1 अप्रैल से डिजिटल टैक्स को लेकर होने जा रहा बड़ा बदलाव
पीटीआई, नई दिल्ली। एक अप्रैल से ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेश लेवी या डिजिटल टैक्स नहीं लगेगा। इस संबंध में सरकार ने एक प्रस्ताव सोमवार को संसद में पेश किया। इस कदम से गूगल, एक्स और मेटा जैसे डिजिटल प्लेटफार्म पर विज्ञापन देने वाली कंपनियों को फायदा होगा। ये बदलाव वित्त विधेयक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में पेश किए गए 59 संशोधनों का हिस्सा हैं।
1 जून से लगाई गई थी छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवीसंशोधन के तहत, एक अप्रैल, 2025 से ऑनलाइन विज्ञापनों पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को खत्म कर दिया जाएगा। ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर इक्वलाइजेशन लेवी एक जून, 2016 को लगाई गई थी। लोकसभा में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वित्त अधिनियम, 2016 की धारा 163 के अनुसार, एक अप्रैल, 2025 के बाद इक्वलाइजेशन लेवी नहीं लगेगी।
इक्वलाइजेशन लेवी को वित्त अधिनियम 2016 द्वारा आनलाइन विज्ञापन सेवाओं, डिजिटल विज्ञापन स्थान के प्रविधान या केवल आनलाइन विज्ञापन के उद्देश्य से किसी अन्य सुविधा या सेवा के लिए पेश किया गया था। वित्त अधिनियम 2020 ने इस लेवी के दायरे को एक अप्रैल, 2020 को या उसके बाद की गई ई-कामर्स आपूर्ति और सेवाओं तक बढ़ा दिया था।
ई-कामर्स लेनदेन पर यह दो प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी 1 अगस्त, 2024 को समाप्त कर दी गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेशन लेवी को हटाने का प्रस्ताव अमेरिका के प्रति एक उदार रुख दिखाने के उद्देश्य से है, जिसने दो अप्रैल से पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी दी है।
दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका से अधिक आलोचना हुई: सुमित सिंघानियाडेलाइट इंडिया के पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि इक्वलाइजेशन लेवी को पूरी तरह से खत्म करने का सरकार का कदम आयकर कानून को सरल बनाने के मौजूदा प्रयास के अनुरूप है। एकेएम ग्लोबल टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका से अधिक आलोचना हुई।
अमेरिका द्वारा पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी के बाद सरकार अधिक उदार रुख दिखाने की कोशिश कर रही है। आनलाइन विज्ञापन पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को हटाना इस दिशा में एक कदम है। हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि क्या यह कदम, पहले से चल रहे कूटनीतिक उपायों के साथ मिलकर अमेरिका के रुख में कोई नरमी लाएगा।
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बड़े शहरों पर अत्यधिक बोझ: पानी-परिवहन, बिजली और आवास की किल्लत; जानिए क्या है झुग्गियों का हाल
जागरण टीम, नई दिल्ली। पिछले कुछ दशकों में भारत में शहरीकरण की गति बहुत तेज रही है। भारत में शहरों का विकास काफी हद तक अनियोजित रहा है, जिसके कारण कई चुनौतियां और शहरी अव्यवस्थाएं पैदा हुई हैं। अनियोजित शहरी विकास के सबसे भयावह परिणामों में से एक मौजूदा बुनियादी ढांचे पर पड़ने वाला दबाव है।
पानी की आपूर्ति, स्वच्छता, परिवहन और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं लगातार बढ़ती आबादी की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती हैं। इसका परिणाम अत्यधिक बोझ वाला बुनियादी ढांचा है, जो अपने निवासियों की जरूरतों को पूरा करने में विफल है। इससे भीड़भाड़ बढ़ती है, सेवाएं अपर्याप्त हैं और जीवन की गुणवत्ता कम होती है।
क्यों बढ़ रहा जाम और प्रदूषण?अनियोजित शहरी विकास की वजह से ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। सीमित सड़क नेटवर्क और वाहनों की संख्या में अनियंत्रित वृद्धि के कारण कई शहरों में आवागमन एक दैनिक संघर्ष बन गया है।
ट्रैफिक जाम न केवल बहुमूल्य समय बर्बाद करता है बल्कि ईंधन की खपत, पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को भी बढ़ाता है। व्यापक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की अनुपस्थिति समस्या को और बढ़ा देती है।
शहरों में रहना इतना महंगा क्यों?ग्रामीण इलाकों से लोग बड़ी संख्या में शहरों में आ रहे हैं। इसकी वजह से किफायती आवास विकल्पों की भारी कमी हो गई है। परिणामस्वरूप, विभिन्न शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ियां और अनौपचारिक बस्तियां उग आई हैं, जिससे घटिया जीवन स्तर और सामाजिक असमानताएं पैदा हुई हैं। इसके अलावा, उचित नियोजन की कमी से अक्सर कीमती भूमि का अतिक्रमण होता है, जिससे आवास संकट बढ़ता है और शहरी गरीबी बढ़ती है।
पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुंचा रहे शहर?भारत में अनियोजित शहरी विकास ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। लोग वनों की भूमि पर अक्सर अतिक्रमण करते है, जिससे जैव विविधता का नुकसान होता है और पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान होता है।
अनियंत्रित निर्माण, अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन और अनियंत्रित औद्योगीकरण प्रदूषण, मिट्टी के क्षरण और पानी की कमी में योगदान करते हैं। शहरों का अनियोजित विकास सामाजिक असमानता को बढ़ाता है।
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समावेशी नियोजन की अनुपस्थिति और बुनियादी सेवाओं तक पहुंच की कमी हाशिए पर पड़े समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करती है। शहरी गरीब अक्सर खुद को अनौपचारिक बस्तियों में रहते हुए पाते हैं, जहां स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका के अवसरों तक सीमित पहुंच होती है।
इस मुद्दे के समाधान के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो टिकाऊ शहरी नियोजन, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों को एकीकृत करता है।
व्यापक शहरी नियोजन में निवेश करके, किफायती आवास को प्राथमिकता देकर, बुनियादी ढांचे में सुधार करके और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाकर, भारत अपने शहरों को जीवंत, रहने योग्य स्थानों में बदल सकता है जो पर्यावरण को संरक्षित करते हुए अपने नागरिकों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
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(Source: अरबन प्लानिंग एक्सपर्ट वरुण रोहिल्ला से बातचीत)
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