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कर्नाटक के पूर्व DGP की हत्या, घर में खून से लथपथ मिली लाश; पत्नी-बेटी से पूछताछ शुरू

Dainik Jagran - National - April 20, 2025 - 8:52pm

पीटीआई, नई दिल्ली। कर्नाटक के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश का खून से लथपथ शव संदिग्ध परिस्थितियों में रविवार को उनके बेंगलुरु स्थित आवास पर मिला है। पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश के शव पर चाकुओं के कई घाव हैं। पुलिस के अनुसार बिहार के चंपारण के रहने वाले 68 वर्षीय आइपीएस अफसर का शव बेंगलुरु स्थित पाश इलाके एचएसआर में स्थित तीन मंजिले मकान के भूतल पर मिला।

पत्नी पर हत्या का शक

फर्श पर हर तरफ खून फैला था और हत्या में इस्तेमाल चाकू भी बरामद कर लिया गया है। इस बात की जानकारी उनकी पत्नी पल्लवी ने दी थी। लेकिन पुलिस को शक है कि इस हत्या को अंजाम भी पत्नी ने ही दिया हो सकता है। फिलहाल शक के दायरे में परिवार के सदस्य ही हैं। पुलिस ने प्रकाश की पत्नी पल्लवी और बेटी से पूछताछ शुरू कर दी है। अभी तक हत्या के मूल कारण का पता नहीं चला है।

पुलिस इस मामले में और जानकारियां जुटा रही है।ऐसी रिपोर्ट है कि सेवानिवृत्त हो चुके डीजीपी ओम प्रकाश ने अपने किसी करीबी से ही उनके जीवन को खतरा होने की आशंका जताई थी।

अटाप्सी के लिए भेज गिया गया शव

ओम प्रकाश के शव को अटाप्सी के लिए भेज गिया गया है और आगे की जांच भी जारी है। 1981 बैच के आइपीएस अफसर ओम प्रकाश बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले हैं। वह भूगर्भ-शास्त्र में परास्नातक थे। प्रकाश को एक मार्च, 2015 को डीजीपी नियुक्त किया गया था।

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Bihar Politics: क्या बिहार चुनाव में किंगमेकर बनेंगे मुकेश सहनी? अपनी ओर खींचने में जुटे दोनों गठबंधन

Dainik Jagran - April 20, 2025 - 8:29pm

सुनील राज, पटना। बिहार में इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद अहम होगा। असल में एक ओर सत्तारूढ़ दल अपनी अगली पारी के लिए जी जान लगा रहा है तो दूसरी ओर विपक्षी दल भी चुनाव में जीत के लिए कोई कसर बाकी नहीं रहने देना चाहते।

जाहिर है इसके लिए दोनों ओर जोड़-तोड़ की कोशिशें भी जारी है। चुनाव के पहले होने वाली ऐसी कवायदों के बीच महत्वपूर्ण यह है कि मल्लाह नेता मुकेश सहनी दोनों गठबंधन के चहेते बन गए हैं।

खुद को निषादों का नेता बताने वाले विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी आईएनडीआईए गठबंधन के साथ है। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से उनकी नजदीकी भी विशेष है। बावजूद एनडीए सहनी को अपने पाले में करने में कोई कोर-कसर छोड़ नहीं रहा।

आए दिन उनके एनडीए गठबंधन में जाने की चर्चा जोर पकड़ती है। 2020 की भांति एनडीए इस चुनाव भी मुकेश सहनी और उनकी पार्टी वीआईपी को अपने साथ खड़ा करने की कोशिशों में जुटी है।

सहनी असल में 2024 के लोकसभा चुनाव के वक्त महागठबंधन में आए। राजद ने बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें अपने खाते से तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका भी दिया। लोकसभा के उस चुनाव के बाद से सहनी और तेजस्वी की नजदीकी जो बढ़ी वह आज भी कायम है।

सहनी ने कर दी है ये मांग

लेकिन, उन्होंने बीते दिनों विधानसभा की साठ सीट और उप मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की मांग कर आईएनडीआईए गठबंधन के अन्य दलों की चिंता बढ़ा दी है।

सहनी के इस दावे के बाद भी 17 अप्रैल को पटना में हुई महागठबंधन दल की बैठक में तेजस्वी यादव ने उनके प्रति पूरा सम्मान दिखाया और अपनी दाई तरफ अगर कांग्रेस को बिठाया तो बाईं ओर मुकेश सहनी को भी कांग्रेस के बराबर ही तवज्जो दी।

विश्लेषक मानते हैंं कि राजद सहनी को गठबंधन में बांधे रखना चाहता है। इसकी वजह है निषाद, मल्लाह वोट। एनडीए गठबंधन भी इसी वोट बैंक के लिए सहनी को अपने साथ खड़ा करना चाहता है। बता दें कि सहनी बिहार में मल्लाह, निषादों की आबादी 14 प्रतिशत होने का दावा करते हैं।

हालांकि, जाति आधारित सर्वे के आंकड़ों की माने तो यह आबादी करीब 2.60 प्रतिशत के करीब है। बहरहाल सहनी लगातार एनडीए में जाने की अटकलों-बयानों को खारिज करते रहे हैं।

वे बार-बार एक ही बार दोहराते हैं दूध का जला मट्ठा फूंक कर पीता है। बहरहाल चुनाव में अभी थोड़ा विलंब है। चुनाव के पहले कौन कहां होगा, यह तो आने वाले समय ही तय करेगा।

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Bihar News: छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिहार को मिलेगा पहला सहकारिता महाविद्यालय; मंत्री ने दी जानकारी

Dainik Jagran - April 20, 2025 - 7:34pm

दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार में सहकारिता महाविद्यालय को स्थापित करने की तैयारी हो रही है। इससे राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी, स्वरोजगार और छोटी उद्यमिता का विकास होगा, सामाजिक समावेशन भी बढ़ेगा और नवाचार और अनुसंधान में नए मानक स्थापित करने के अवसर मिलेंगे।

यह महाविद्यालय सहकारिता क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। इस महाविद्यालय को गुजरात में स्थापित होने वाले त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाएगा।

सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने राज्य में सहकारिता महाविद्यालय को स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश अफसरों को दिया है।

इसमें डिग्री प्रोग्राम, दूरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे जिससे सहकारी क्षेत्र को प्रशिक्षित एवं पेशेवर युवा मिलेंगे।

सहकारिता विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पैक्सों में सचिव के पद हों या कोआपरेटिव बैंकों में नियुक्तियों का मामला हो, सभी में बिना किसी मान्य डिग्री के नियुक्तियां होती हैं, क्योंकि सहकारिता के क्षेत्र में अभी तक कोई मान्य डिग्री नहीं होती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय में विशेष रूप से सहकारिता क्षेत्र के लिए डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी कोर्स बनाए जा रहे हैं।

यूनिवर्सिटी बनने के बाद अब मानक डिग्री धारकों को ही पैक्सों में सचिव के पद हों या कोआपरेटिव बैंकों में नौकरी मिलेगी। नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।

जमीन पर मजबूत सहकारी खाका तैयार होगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को धार मिलेगी। एक नया सहकारी कल्चर भी शुरू होगा।

दस एकड़ भूमि पर निर्माण होगा यूनिवर्सिटी कैंपस

विभागीय मंत्री के निर्देश के आलोक में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसमें महाविद्यालय के लिए दस एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। इसके लिए भूमि को चिह्नित करने का निर्देश दिया गया है।

महाविद्यालय का भवन और कैंपस सहकारिता थीम पर निर्माण होगा। विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना गुजरात में की जा रही है, लेकिन पूरे देश की सहकारी संस्थाओं को इससे संबद्ध किया जाएगा।

पहले वर्ष में ही प्रत्येक जिले में कॉलेज और स्कूल को खोले जाएंगे। नई शिक्षा नीति के मानकों के अनुरूप दसवीं-12वीं के लिए भी कोर्स होंगे। इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए भी कोर्स का डिजाइन किया गया है।

साथ ही पाठ्यक्रम में ई-लर्निंग कोर्स भी शामिल किए जाएंगे। युवाओं के लिए डिग्री, डिप्लोमा एवं पीएडी के पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।

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1 मई से FASTag नहीं करेगा काम, लागू होगी GPS आधारित टोलिंग? यहां जानिए सरकार का जवाब

Dainik Jagran - National - April 20, 2025 - 6:57pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि आने वाले 1 मई 2025 से फास्टैग सिस्टम को बंद कर दिया जाएगा। इसके जगह पर एक सैटेलाइट-बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू किया जाएगा।

इस खबर के सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद लोगों के मन में कई सारे सवाल आ गए। सबसे अधिक हलचल उनके लिए रही जो प्रतिदिन किसी हाईवे या एक्प्रेसवे से यात्रा करते हैं। हालांकि, क्या ऐसा होने वाला है या इसको लेकर सरकार का प्लान क्या है इसपर सड़क परिवहन ने स्पष्ट जवाब दे दिया है।

परिवहन मंत्रालय ने दिया ये जवाब

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने प्रचारित हो रही सभी इस प्रकार की खबरों को सिरे से खारिज किया है। मंत्रालय ने ऐसी खबरों को गलत एवं भ्रामक बताया है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि 1 मई 2025 से देश भर में FASTag व्यवस्था को हटाकर सैटेलाइट टोलिंग प्रणाली लागू करने का कोई फैसला अभी नहीं लिया गया है। मंत्रालय ने इस प्रकार की खबरों को भ्रामक करार दिया है। जिसका सीधा मतलब है फास्टैग व्यवस्था लागू रहेगी।

कैसे वायरल हुई ये खबर?

दरअसल, सरकार आने वाले दिनों में एक नई टेक्नोलॉजी लाने पर विचार कर रही है। जिससे टोल पर रुकने वाला समय बचाया जा सके। सरकार एक नई टेक्नोलॉजी टेस्टिंग पर काम कर रही है। इस नई तकनीक का नाम ANPR-FASTag बेस्ड बैरियर-लेस टोलिंग सिस्टम है।

बता दें कि ANPR का पूरा नाम Automatic Number Plate Recognition यानी एक ऐसी तकनीक है, जो गाड़ी के नंबर प्लेट को पहचान सकता है। यह सिस्टम वर्तमान फास्टैग के साथ जोड़ा जाएगा। इसके जुड़ जाने के बाद गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा।

कहां लगाया जाएगा ये नया सिस्टम?

जानकारी दें कि सरकार ने फिलहाल इस सिस्टम को कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा पर लगाने के लिए टेंडर आमंत्रित किया है। इसके सफल तरीके से काम करने और लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर फैसला लिया जाएगा कि इसको देश भर में लागू किया जाए या नहीं। माना जा रहा है कि अगर वाहन चालक इस सिस्टम में सहयोग नहीं करता है और टोल पेमेंट में गड़बड़ी करता है तो उसको ई-नोटिस भेजा जाएगा। इसके अलावा फास्टटैग भी ब्लॉक हो सकता है।

इस सिस्टम के लगने से क्या होंगे फायदे?
  • इस सिस्टम के आने से निर्बाध टोल संग्रहण हो सकेगा और यात्रा समय में कमी होगी।
  • यातायात प्रवाह में सुधार और भीड़भाड़ में कमी होगी।
  • न्यूनतम रुकावटों के साथ वाहन चालक एक सुखद अनुभव प्राप्त कर पाएंगे।

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