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महंगाई में कमी और निजी निवेश से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती, वित्त मंत्रालय ने और क्या बताया?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय का मानना है कि वैश्विक रूप से जारी भू-राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में हो रहे लगातार उतार-चढ़ाव से घरेलू व वैश्विक दोनों ही स्तर पर आर्थिक विकास के प्रभावित होने की आशंका है। इन सबके बीच सकारात्मक बात यह है कि घरेलू स्तर पर महंगाई कम हो रही है और निजी निवेश बढ़ रहा है जो आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में विकास की रफ्तार के लिए मददगार साबित होगा।
इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.6 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है और कृषि उत्पादन के अनुमानों को देखते हुए आने वाले महीनों में भी खाद्य और खुदरा महंगाई दर नियंत्रण में रहेंगी। वहीं, वित्त वर्ष 2004 के बाद पहली बार चालू वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी में निजी हिस्सेदारी 61.49 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2003-04 में जीडीपी में निजी हिस्सेदारी 61.50 प्रतिशत थी।
बेरोजगारी दर में आ रही कमीआगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट में पेश विकास की कई कार्ययोजना, वित्तीय प्रोत्साहन के साथ वित्तीय अनुशासन व सरकार के सुधार कार्यक्रम से वैश्विक चुनौतियों के बीच विकास की गति को जारी रखने में मदद मिलेगी।
बुधवार को जारी मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी दर में भी कमी आ रही है। गत वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में बेरोजगारी दर 6.5 प्रतिशत थी जो चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.4 प्रतिशत रही।
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने क्या कहा?कई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने कहा है कि आने वाले महीनों में कंपनियां अधिक लोगों को नई नौकरी की पेशकश करने जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक व्यापार युद्ध, विभिन्न देशों की शुल्क नीति से वैश्विक व्यापार के लिए जोखिम बढ़ गया है जिससे निवेश के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हो रहा है। इसका नतीजा है कि भारतीय निर्यात की बढ़ोतरी में नरमी दिख रही है।
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मतदाता सूची की गड़बड़ियों को तुरंत निपटाएं IRO और BLO, नहीं तो होगी कार्रवाई; चुनाव आयोग का सख्त आदेश
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों से जूझ रहे चुनाव आयोग ने इसे त्रुटिरहित बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। जिसमें निर्वाचन पंजीयन अधिकारी ( ईआरओ) और बूथ लेवल अधिकारियों ( बीएलओ )को निर्देश दिया है कि वह मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियों को तुरंत निपटाए। यदि इनमें किसी भी तरह शिकायत मिलती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीएलओ भी होंगे शामिलआयोग ने इसके साथ बीएलओ सहित चुनाव से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत भी की है। आयोग ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहली बार बीएलओ को भी शामिल किया गया है। वहीं इसके पहले चरण में बिहार, पश्चिम बंगाल सहित आधा दर्जन राज्यों पर फोकस किया है। आयोग ने इस दौरान बीएलओ व ईआरओ से कहा है कि वह मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने की तय प्रक्रियाओं का पालन करें।
मतादाताओ की शिकायतों को किया जाएगा निपटारासाथ ही घर-घर जाकर मतदाता सूची में दर्ज नामों को सत्यापित भी करें। इस दौरान मतदाताओं की ओर से मिलने वाली किसी भी तरह की शिकायत का मौके पर निपटारा करें। आयोग ने बीएलओ को उनकी भूमिका की समझायी है।
साथ ही उन्हें इस काम में मदद के तैयार किए गए तकनीकी एप्लीकेशन आदि के इस्तेमाल पर भी जोर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस दौरान राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है, वह ईआरओ पद के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारी को तैनाती दें।
साथ ही ईआरओ से भी कहा है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले अधिकारी को ही बीएलओ के रूप में तैनाती दें ,साथ ही ये कोशिश करें कि वे उसी मतदान केंद्र के निवासी हों।
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असंवेदनशील और अमानवीय... सुप्रीम कोर्ट ने 'ब्रेस्ट छूना रेप नहीं...' वाले इलाहाबाद HC के फैसले पर लगाई रोक
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले में की गई टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें असंवेदनशील और अमानवीय करार देते हुए उन पर रोक लगा दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धातों से अनभिज्ञ हैं और यह असंवेदनशील तथा अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। इसीलिए उन पर रोक लगाई जाती है। मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही सर्वोच्च अदालत ने मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट में पक्षकार आरोपितों को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने 15 अप्रैल को अगली सुनवाई तय करते हुए अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सालिसिटस जनरल तुषार मेहता से सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर रोक लगाने का मतलब है कि संबंधित केस में अभियुक्त न्यायिक कार्यवाही में लाभ पाने के लिए उनका उपयोग नहीं कर सकेंगे।
संबंधित मामले में अभियुक्तों ने 11 वर्ष की नाबालिग से दुष्कर्म के कथित अपराध में निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
नाबालिग का वक्ष छूना दुष्कर्म नहीं: हाई कोर्टहाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि नाबालिग का वक्ष छूना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म का प्रयास नहीं है। यह महिला की गरिमा पर हमला का मामला तो बनता है लेकिन इसे दुष्कर्म का प्रयास नहीं कह सकते। हाई कोर्ट ने विशेष जज के सम्मन आदेश को संशोधित कर दिया था।
इस विवादित फैसले को वी द वोमेन आफ इंडिया संस्था ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जिसके बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए यह सुनवाई शुरू की है।न्यायमूर्ति बीआर गवई व न्यायमूर्ति अगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने मामले पर बुधवार को सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश दिये। जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया सालिसिटर जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले पर उनकी गंभीर आपत्ति है।
यह मामला न्यायाधीश की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है: कोर्टकोर्ट में अटार्नी जनरल भी मौजूद थे। पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और यह पूरी तरह से न्यायाधीश की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है। जस्टिस गवई ने कहा कि हमें न्यायाधीश के खिलाफ ऐसे कठोर शब्दों का प्रयोग करने के लिए खेद है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हाई कोर्ट ने यह आदेश सुनवाई के दौरान तत्काल सुना दिया हो।
मामले में 13 नवंबर 2024 को फैसला सुरक्षित हुआ और करीब चार महीने बाद फैसला सुनाया गया। इससे स्पष्ट है कि फैसला लिखने वाले न्यायाधीश ने सोच समझ कर फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य तौर पर वे इस स्तर पर रोक आदेश जारी नहीं करते लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं तथा असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं इसलिए उन टिप्पणियों पर रोक लगाई जाती है।
जस्ट राइट्स फार चिलंड्रन संस्था ने अलग से दायर की याचिकाकोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश और हाई कोर्ट में पक्षकार रहे आरोपितों को नोटिस भी जारी किया। उत्तर प्रदेश के एडीशनल एडवोकेट जनरल शरण देव सिंह ठाकुर ने प्रदेश सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार किया। इस मामले में जस्ट राइट्स फार चिलंड्रन संस्था ने भी पीड़िता की ओर से पैरवी के लिए अलग से याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी मुख्य मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया है।
सालिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मास्टर आफ रोस्टर हैं उचित होता कि कुछ कदम उठाए जाते। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस आदेश को तत्काल इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजे जो तुरंत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि वह इस मामले को देखें और जैसा उचित हो कदम उठाएं।
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Bihar News: शराब तस्करों से सांठ-गांठ में महिला मद्यनिषेध ASI निलंबित, वायरल ऑडियो क्लिप से अब खतरे में पड़ी नौकरी
राज्य ब्यूरो, पटना। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने अवैध शराब कारोबारियों से सांठ-गांठ और वायरल ऑडियो क्लिप मामले में मुजफ्फरपुर में पदस्थापित मद्यनिषेध की सहायक अवर निरीक्षक (एएसआइ) सोनी महिवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इस बाबत बुधवार को उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह ने आदेश जारी कर दिया है। दोषी महिला पदाधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र गठित कर विभागीय कार्रवाई जल्द शुरू करने का निर्देश भी दिया गया है।
यह पूरा मामला एक वायरल ऑडियो क्लिप से जुड़ा है। इस ऑडियो क्लिप में एएसआइ सोनी महिवाल के द्वारा दिलीप साह पर दबाव बनाने और फंसाने की धमकी दी जा रही है।
विभाग ने ऑडियो क्लिप की सत्यता के साथ शराब कारोबारी के साथ महिला एएसआइ की संलिप्तता की जांच कराई जिसमें प्रथमदृष्टया वह दोषी पाई गई।
सोनी महिवाल ने माना- ऑडियो क्लिप में उनकी ही आवाज- विभाग के अनुसार, जांच के दौरान महिला एएसआइ सोनी महिवाल ने भी स्वीकार किया है कि वायरल ऑडियो क्लिप में उनकी ही आवाज है।
- पीडि़त दिलीप साह ने भी इस ऑडियो की पुष्टि करते हुए बताया कि पिछले साल विश्वकर्मा पूजा से पहले महिला एएसआइ से शराब के संबंध में बातचीत हुई थी।
- मुजफ्फरपुर डीएम की जांच रिपोर्ट में यह भी अंकित है, सोनी महिवाल ने बातचीत के दौरान वरीय पदाधिकारी के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग किया है।
- डीएम की अनुशंसा पर ही विभाग ने महिला मद्यनिषेध एएसआइ सोनी महिवाल को निलंबित करने की कार्रवाई की है।
मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न थानों की पुलिस द्वारा चलाए गए विशेष अभियान में अलग-अलग मामलों के 19 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें शराब के केसों में सात समेत अन्य मामलों के आरोपित शामिल है।
अभियान के दौरान 13 लीटर देसी व करीब एक लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की गई है। इसके अलावा विभिन्न मामलों में कोर्ट से जारी 33 वारंटों का निष्पादन किया गया है।
वहीं, वाहन जांच अभियान के दौरान यातायात नियम का उल्लंघन करने के मामले में एक लाख छह हजार पांच सौ रुपये का जुर्माना किया गया है। वरीय पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञिप्त में इसकी जानकारी दी गई है।
वरीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि संगीन मामलों में शामिल आरोपितों की गिरफ्तारी को लेकर लगातार विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सभी आरोपितों की गिरफ्तारी की गई है।
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'सभी संस्थानों को नियंत्रण के साथ काम करने की जरूरत', जज के घर से नकदी बरामदगी के मुद्दे पर बोले जगदीप धनखड़
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से मिली बेहिसाब नोटों की गड्डियों को लेकर खड़े हुए विवाद पर संसद में चर्चा की उठ रही मांग के बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका एक-दूसरे के खिलाफ नहीं हैं।
सभी संस्थानों को नियंत्रण और संतुलन के साथ काम करने की जरूरत है। धनखड़ ने यह टिप्पणी बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही की। इस दौरान उन्होंने पूरे सदन को मंगलवार को राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर हुई चर्चा की जानकारी दी।
बैठक में विचार- विमर्श सर्वसम्मति से हुआ: जगदीप धनखड़उन्होंने बताया कि बैठक में नेता सदन जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद थे। हालांकि उन्होंने कहा कि इस चर्चा के विस्तार में जाने की जरूरत नहीं। बैठक में विचार- विमर्श सर्वसम्मति से हुआ। सभी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और मिलकर काम करने की जरूरत बताई है। वैसे भी यह मुद्दा दो संस्थानों के बीच का नहीं है।
सदन के नेता व विपक्ष के नेता दोनों ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर अपने-अपने दलों व सहयोगियों के साथ बात करेंगे। साथ ही जो भी फैसला होगा उससे उन्हें अवगत कराएंगे। इसके बाद आगे की योजना तैयार की जाएगी।
गौरतलब है कि न्यायाधीश वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने का मामला सामने आने पर धनखड़ ने इस पर चिंता जताई है। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ओर से इस घटना से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक किए जाने और जांच के आदेश दिए जाने पर खुशी भी जताई थी।
यूपी के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक, जानें UP पुलिस से सु्प्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह आलेख लिखने व एक्स पर कुछ पोस्ट करने के लिए दर्ज चार एफआईआर के सिलसिले में दो पत्रकारों को चार और हफ्तों तक गिरफ्तार न करे। जस्टिस एमएम सुंद्रेश व जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने अपने पूर्व के आदेश की अवधि बढ़ा दी और राज्य पुलिस को आदेश दिया कि वह पत्रकारों अभिषेक उपाध्याय व ममता त्रिपाठी के विरुद्ध चार और हफ्तों तक कोई दंडात्मक कदम न उठाए।
इस बीच दोनों पत्रकार उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद कराने के लिए कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं। उपाध्याय ने एक आलेख में उत्तर प्रदेश में जिम्मेदार पदों पर तैनात एक खास जाति के लोगों को चिह्नित किया था। वहीं, ममता त्रिपाठी के विरुद्ध उनकी कुछ पोस्ट के संबंध में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। शीर्ष अदालत की पीठ ने उपाध्याय एवं त्रिपाठी दोनों की याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट मामले पर सुप्रीम कोर्टप्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने दो वकीलों को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट से जारी बयान में कहा है कि 25 मार्च को कोलेजियम की बैठक में अधिवक्ता अमिताभ कुमार राय और राजीव लोचन शुक्ला को जज बनाने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश खन्ना के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ शामिल थे।
पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना मनुष्य की हत्या से भी गंभीर मामला है। न्यायालय ने अवैध रूप से काटे गए प्रत्येक पेड़ के लिए एक व्यक्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की, जिसने संरक्षित ताजमहल परिक्षेत्र में 454 पेड़ काट डाले थे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी जघन्य है। बिना अनुमति के काटे गए 454 पेड़ों से जो हरित क्षेत्र था, उसी तरह का हरित क्षेत्र फिर से उत्पन्न करने में कम-से-कम 100 वर्ष लगेंगे। अदालत ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की वह रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, जिसमें शिवशंकर अग्रवाल नामक व्यक्ति द्वारा मथुरा-वृंदावन में डालमिया फार्म में 454 पेड़ काटने के लिए प्रति पेड़ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी।
अग्रवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन न्यायालय ने जुर्माना राशि कम करने से इनकार कर दिया। बताते चलें, ताज ट्रेपेजियम जोन उत्तर प्रदेश में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा तथा राजस्थान के भरतपुर जिले के करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
शीर्ष अदालत ने अपने 2019 के उस आदेश को भी वापस ले लिया, जिसमें ताज ट्रेपेजियम जोन के भीतर गैर-वन और निजी भूमि पर पेड़ों को काटने के लिए अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता को हटा दिया गया था। पीठ ने कहा कि अग्रवाल को निकटवर्ती स्थल पर पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए तथा उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निपटारा फैसले के अनुपालन के बाद ही किया
कर्नाटक 'हनी-ट्रैप' मामले पर सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के एक मंत्री और अन्य नेताओं से जुड़े कथित 'हनी-ट्रैप' के प्रयास की सीबीआई जांच कराने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की तीन जजों की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि जांच की निगरानी या तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाए या फिर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील बरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि मीडिया में बताए गए आरोपों के पीछे के लोगों के खिलाफ गहन जांच की जरूरत है।
याचिका में कहा गया है कि कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा जजों को 'हनी ट्रैप' में फंसाना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है। याचिका में कहा गया कि 21 मार्च, 2025 को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने कर्नाटक राज्य विधानमंडल यानी विधान सौधा में परेशान करने वाले आरोपों की रिपोर्टें चलाईं कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने का इच्छुक एक व्यक्ति कई लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने में सफल रहा है, जिनमें जज भी शामिल हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा प्रकाशित की गई है)
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नई करेंसी की प्लानिंग कर रहा भारत, चीन और रूस! डॉलर को लेकर अमेरिका ने ब्रिक्स देशों पर लगाया बड़ा आरोप
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार नहीं बल्कि कम से कम तीन सार्वजनिक मंचों पर आधिकारिक तौर पर यह बात बोल चुके हैं कि भारत की ब्रिक्स संगठन के साथ मिल कर अंतरराष्ट्रीय काराबोर से अमेरिकी डॉलर को बाहर करने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन यह बात अमेरिका की नई सत्ता को अभी तक समझ नहीं आई है।
ब्रिक्स कर रहा डि-डॉलराइजेशन की कोशिश: अमेरिकामंगलवार को अमेरिका की खुफिया विभाग की तरफ से जारी सालाना रिपोर्ट ( यह रिपोर्ट संभावित अमेरिकी हितों के समक्ष उत्पन्न संभावित खतरों को लेकर होती है) में यह बात दोहराई गई है कि रूस, भारत, चीन की सदस्यता वाला संगठन ब्रिक्स की तरफ से डि-डॉलराइजेशन (अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डॉलर के इस्तेमाल को कम करने या खत्म करने की प्रक्रिया) की कोशिश की जा रही है। वैसे इसके लिए रूस की नीति को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन रिपोर्ट में भारत का भी नाम है।
अभी तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। वैसे अमेरिका के इस रूख को लेकर भारत बहुत ज्यादा गंभीर भी नहीं दिखता।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि 24-25 मार्च, 2025 को भी ब्रिक्स संगठन के सदस्य देशों के बीच 10वीं नीतिगत योजना बैठक हुई है। बैठक ब्राजील में हुई जिसमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के अलावा हाल ही में संगठन में शामिल नये सदस्य देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया है।
भविष्य को लेकर ब्रिक्स सदस्यों ने बनाई योजनाइसमें मुख्य तौर पर ब्रिक्स को एक संस्था के तौर पर विकसित करने के विषय पर विमर्श किया गया है। साथ ही हाल के विस्तार के बाद संगठन का भावी एजेंडा व प्राथमिकता क्या होनी चाहिए, इस पर भी विमर्श किया गया है। विदेश मंत्रालय के अलावा अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मौजूदा स्थिति, आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस गवर्नेंस और बहुदेशीय शांति सुरक्षा फ्रेमवर्क में बदलाव जैसे दूसरे मुद्दे भी बैठक में उठे।
अमेरिका पर संभावित खतरे को लेकर जारी की गई रिपोर्टइन विषयों से संबंधित कुछ फैसले इस साल के शिखर सम्मेलन में होने की संभावना है। अमेरिका पर संभावित खतरे विषय पर तैयार रिपोर्ट तुसली गबार्ड के कार्यालय ने जारी की है। तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया एजेंसी की निदेशक हैं। हाल ही में गबार्ड ने भारत की यात्रा की थी।
बहरहाल, इस सालाना रिपोर्ट में रूस को अमेरिका के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर चिन्हित किया गया है। इसके मुताबिक, “रूस की तरफ से पश्चिमी देशों की केंद्रीय भूमिका वाली अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश हो रही है।
ब्राजील, भारत, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सदस्या वाला ब्रिक्स डि-डॉलरलाइजेशन की नीति को आगे बढ़ा रहे हैं।'' वैसे पूरी रिपोर्ट में भारत के लिए एकमात्र अच्छी बात यह है कि इसमें लश्कर-ए-तैयबा जैसे भारत विरोधी आंतकी संगठन को अमेरिका के लिए भी खतरा के तौर पर चिन्हित किया गया है। संभव है कि इन संगठनों के खिलाफ अमेरिकी एजेंसी का दबाव आने वाले दिनों में और देखने को मिले।
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Bihar Politics: तेजस्वी के CM फेस पर कांग्रेस दो फाड़, पूर्व अध्यक्ष और प्रभारी आमने-सामने; सियासी हलचल तेज
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व बिहार कांग्रेस में यूं तो केंद्रीय आलाकमान ने बड़े बदलाव कर दिए, बावजूद पार्टी में सब ठीक नहीं चल रहा।
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव होंगे या फिर कोई और इसे लेकर कांग्रेस में दो फाड़ के हालात बन गए हैं।
इस मामले में पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य डॉ. अखिलेश प्रसाद के बयान विरोधीभासी है।
मंगलवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने दिल्ली में बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक की।
जिसमें यह सहमति बनी कि पार्टी महागठबंधन की छतरी में ही चुनाव लड़ेगी। पार्टी हाईकमान ने महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने की सारी दलीलों को खारिज कर दी।
बैठक के बाद पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने मीडिया के समक्ष बयान दिया कि पार्टी महागठबंधन के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेगी।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव बाद मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसका निर्णय चुनाव बाद विधायक दल की बैठक में लिया जाएगा। तेजस्वी के चेहरे को उन्होंने सिरे से नकार दिया था।
अखिलेश ने बयान को किया खारिजअभी उनके बयान के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने अल्लावारू के बयान को सिरे से नकार दिया।
उन्होंने कहा बिहार में राजद ताकतवर दल है। पिछला चुनाव भी तेजस्वी यादव के नेतृत्व और उनके चेहरे पर लड़ा गया था। 2025 का चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर लड़ा जाएगा।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे। कौन क्या कहता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अलग-थलग बयान नजर आए- दिल्ली में दिए अखिलेश सिंह के इस बयान के बीच बिहार विधानसभा में भी दो कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर अलग-थलग नजर जाए।
- कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने कहा मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा यह पार्टी हाईकमान तय करेगा।
- उनके बयान को पार्टी की ही दूसरे विधायक मुन्ना तिवारी उर्फ संजय ने यह कहकर खारिज कर दिया कि तेजस्वी के अलावा मुख्यमंत्री का कोई दूसरा फेस नहीं हो सकता है।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन बिल का विरोध कर रहे अल्पसंख्यक वर्ग संगठनों को कांग्रेस ने अपना समर्थन दिया है।
एलान के बाद कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल गर्दनीबाग धरना स्थल पर भी गया और आंदोलन का समर्थन किया। प्रतिनिधिमंडल ने एक आवाज में कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग को भाजपा सरकार प्रताडि़त कर रही है।
कांग्रेस पार्टी इनके हक की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ेगी। कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार स्वयं धरना में शामिल नहीं हुए।
उन्होंने बयान देकर कहा कि दिल्ली से पटना लौटने पर इमारत ए शरिया सहित तमाम संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात और उनकी बातों को उचित मंच से उठाएंगे।
इधर धरना को समर्थन देने बिहार कांग्रेस से प्रतिनिधिगण शामिल हुए जिनमें विधायक प्रतिमा दास, राजेश राठौड़, उमेर खान, मिन्नत रहमानी सहित अन्य नेताओं के नाम है।
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