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वक्फ बिल से मुस्लिमों के धार्मिक कार्यों पर असर नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने किया विधेयक का समर्थन
एएनआइ, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने लोकसभा में नए वक्फ संशोधन बिल, 2025 की सराहना करते हुए कहा कि इससे मुस्लिम धार्मिक रीति-रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
देवगौड़ा ने खुलकर नए वक्फ बिल का पूरा समर्थन कियाएक आधिकारिक बयान के अनुसार राज्यसभा में वयोवृद्ध नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने खुलकर नए वक्फ बिल का पूरा समर्थन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मुसलमानों के धार्मिक कार्यों में किसी भी तरह से दखल नहीं देता है। लेकिन संशोधन बिल राजस्व और प्रशासनिक मामलों से कड़ाई से निपटता है। यह बात याद रखना जरूरी है।
बोर्ड फिलहाल 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करता हैउन्होंने विधेयक को स्पष्ट करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड की परिसंपत्तियों को प्रशासनिक रूप से नियमित करने का उद्देश्य है। बोर्ड फिलहाल 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करता है जबकि देश भर में ऐसी कुल 9.4 लाख संपत्तियां हैं। कुप्रबंधन के चलते ऐसी संपत्तियों की कुल कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति हो गई है।
विधेयक से गरीब मुसलमानों की रक्षा होगीउन्होंने कहा कि इस विधेयक से गरीब मुसलमानों की रक्षा उनके ही तबके के अमीरों से की जाती है। उनके साथ न्याय हो इसके लिए संशोधन बिल को संविधान की मूल भावना के अनुरूप ढाला गया है। देवगौड़ा ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि वह मुसलमानों समेत सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे। मुसलमान नागरिक भी इस देश के अन्य नागरिकों जैसे ही हैं।
देवगौड़ा ने बिल की पारदर्शिता की सराहना कीउन्होंने वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सरासर संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। 'एक बार वक्फ तो हमेशा के लिए वक्फ' इससे मेल नहीं खाता है। देवगौड़ा ने बिल की पारदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि यह वक्फ संपत्तियां अब सामुदायिक सेवा के लिए काम आएंगी।
श की शांति और सौहार्द को न बिगाड़े सरकार- खरगेखरगे ने अपील के रूप में सरकार को चेताया भी कि वह देश की शांति और सौहार्द को न बिगाड़े। बिल पर उच्च सदन में चर्चा में देर शाम भाग लेते हुए खरगे ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक और भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है। इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने के बजाय सरकार को बिल वापस ले लेना चाहिए।
खरगे ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार इसके बहाने वक्फ की जमीनें हथियाने की कोशिश कर रही है। ये जमीनें कारपोरेट समूहों को दी जाएंगी। खरगे ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए चलाई जाने वाली कुछ योजनाओं को बंद कर दिया गया है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कर दी भविष्यवाणीचर्चा के दौरान कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने तो यह भविष्यवाणी कर दी कि अगर यह विधेयक पारित होकर कानून बनता है तो अगले कुछ वर्षों में न्यायपालिका से खारिज हो जाएगा। सिंघवी की इस बात से गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह दावा करना संसद की सर्वोच्चता और संप्रभुता पर सवाल खड़े करना है और एक संसद सदस्य को ऐसा नहीं करना चाहिए।
Telangana: तेलंगाना में रैगिंग के आरोप में मेडिकल के तीन छात्र निलंबित, पीड़ित से मांगा UPI पिन
पीटीआई, हैदराबाद। तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज के तीन छात्रों को एमबीबीएस प्रथम वर्ष के एक छात्र की रैगिंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरूकॉलेज की प्रिंसिपल ने गुरुवार को बताया कि बुधवार को एंटी रैगिंग समिति की बैठक के बाद तीन छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई। आरोपितों में तृतीय वर्ष के एक और द्वितीय वर्ष के दो छात्र शामिल हैं।
छात्रावास से निष्कासित आरोपीकॉलेज के अधिकारियों ने बताया कि एंटी रैगिंग कमेटी ने तीनों छात्रों पर जुर्माना भी लगाया है। उन्हें कॉलेज में शैक्षणिक गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया है तथा एक से तीन महीने के लिए छात्रावास से निष्कासित कर दिया है। पुलिस ने तीनों छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जूनियर छात्र ने इन सीनियर छात्रों पर 25 मार्च को संस्थान के छात्रावास के कमरे में रैगिंग करने का आरोप लगाया था। पुलिस को दी गई शिकायत में प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्र ने दावा किया कि सीनियरों ने उसे अपमानित किया। एक सीनियर ने उसे बेल्ट से पीटा और थप्पड़ मारे।
सीनियरों ने उसका यूपीआइ पिन भी मांगासीनियरों ने उसका यूपीआइ पिन भी मांगा और जब उसने मना कर दिया तो उन्होंने उसे फिर से पीटा। तीनों छात्रों ने उसे एयर चेयर के लिए भी मजबूर किया। एयर चेयर में इस प्रकार बैठना होता है मानो किसी अदृश्य कुर्सी पर बैठना
'स्टारलिंक को बर्गेनिंग चिप की तरह इस्तेमाल करे भारत सरकार', अमेरिका के भारत पर टैरिफ लगाने पर राघव चड्ढा का सुझाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भारत में अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक की एंट्री और अमेरिका की तरफ से भारतीय सामान पर लगाए गए टैरिफ को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। चड्ढा ने स्टारलिंक को मंजूरी देने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और इसके संभावित दुरुपयोग जैसे मुद्दों पर सरकार का रुख स्पष्ट करने की मांग की है। यह चर्चा उस समय हुई जब भारत सरकार स्टारलिंक को देश में ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है।
सरकार ने गूगल टैक्स किया माफराघव चड्ढा ने अपने सवालों को बेहद जोरदार तरीके से संसद में रखते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अमेरिका के प्रति अपनी दोस्ती और वफादारी दिखाई है। हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा फाइनेंस एक्ट में संशोधन कर गूगल टैक्स यानी और इक्विलाइजेशन लेवी को हटाने का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे मेटा, अमेजन और गूगल को फायदा मिला, लेकिन भारत को लगभग 3000 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ। लेकिन इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 26 फीसदी का टैरिफ लगा दिया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। चड्ढा ने इसे भारत के लिए नुकसानदायक बताते हुए कहा कि इससे हमारी जीडीपी पर 50 से 100 बेसिस पॉइंट्स का असर पड़ सकता है।
भारत-अमेरिका के रिश्तों पर कसा तंजराघव चड्ढा ने कहा, "हमने अमेरिका का दिल जीतने के लिए सब कुछ किया। लेकिन बदले में अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ लगाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका दिया। उन्होंने भारत-अमेरिका के रिश्तों पर तंज कसते हुए कहा, "अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का।"
स्टारलिंक को "बर्गेनिंग चिप" की तरह करें इस्तेमालराघव चड्ढा ने सुझाव दिया कि भारत सरकार को एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को दी जाने वाली मंजूरी रोकनी चाहिए और उसका इस्तेमाल अमेरिका से फिर से टैरिफ को लेकर बातचीत में "बर्गेनिंग चिप" के तौर पर करना चाहिए।
ड्रग तस्करों के पास से मिला था स्टारलिंकअपने भाषण के दौरान सांसद राघव चड्ढा ने स्टारलिंक को लेकर कुछ चिंताजनक घटनाओं का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान एलन मस्क ने खुद सोशल मीडिया पर कहा था कि "स्टारलिंक यूक्रेनियन आर्मी की रीढ़ है, अगर मैं इसे बंद कर दूं तो पूरी फ्रंटलाइन धराशायी हो जाएगी।"
उन्होंने कहा कि भारत को भी इससे सतर्क रहना चाहिए क्योंकि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा सर्वोपरि है। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि कुछ महीने पहले अंडमान में 6000 किलो सिंथेटिक ड्रग्स की जब्ती के दौरान यह पाया गया कि म्यांमार के ड्रग तस्करों ने नेविगेशन के लिए स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल किया था।
वहीं, जब भारत सरकार ने इस बारे में डेटा और डिवाइस की जानकारी स्टारलिंक से मांगी, तो कंपनी ने डेटा प्राइवेसी लॉ का हवाला देकर जानकारी देने से इनकार कर दिया।
कैसे निपटेगी भारत सरकारराघव चड्ढा ने पूछा, "जब एक विदेशी कंपनी भारत के कानून और सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करती, तो ऐसे में सरकार क्या योजना बना रही है?" उन्होंने सरकार से दो प्रमुख सवाल पूछे – पहला, सरकार स्टारलिंक जैसी कंपनियों से आने वाले प्रतिरोध से कैसे निपटेगी? और दूसरा, सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के संभावित दुरुपयोग से कैसे निपटेगी?
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि वे हर उस मुद्दे को सदन में उठाते रहेंगे, जो भारतीय हितों और भारत की आर्थिक संप्रभुता को प्रभावित करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका सवाल किसी कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और डेटा नीति की मजबूती के लिए है।
40 करोड़ की सोने की तस्करी में शामिल थीं अभिनेत्री रान्या राव और साहिल जैन, कुछ यूं रचा पूरा खेल
पीटीआई, बेंगलुरु। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने कहा कि गोल्ड बिजनेसमैन साहिल सकारिया जैन ने अभिनेत्री रान्या राव को 40.14 करोड़ रुपये मूल्य के 49.6 किलोग्राम तस्करी के सोने को ठिकाने लगाने में अहम भूमिका निभाई थी।
डीआरआई के रिमांड नोट के अनुसार, जैन ने न केवल अवैध लेनदेन में मदद की, बल्कि तस्करी ऑपरेशन से जुड़े हवाला मनी ट्रांसफर में भी रान्या का सहयोग किया। साहिल जैन को सोना तस्करी मामले में रान्या की मदद करने के आरोप में 26 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसे सात अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
साहिल जैन ने किया कबूलडीआरआई ने कहा कि साहिल जैन ने स्वीकार किया है कि उसने रान्या राव को हवाला के पैसे की लगभग 38.39 करोड़ रुपये दुबई और 1.7 करोड़ रुपये बेंगलुरु में हस्तांतरित करने में मदद की। एजेंसी ने आगे कहा कि चार मार्च को रान्या के घर से जब्त की गई 2.67 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी संभवत: हवाला का पैसा था जो उसे दुबई में सोना खरीदने और बेंगलुरु में बेचने से लाभ के रूप में मिला था।
हर लेनदेन पर कमीशन लेता था साहिलडीआरआइ ने कहा कि जैन ने प्रत्येक लेनदेन के लिए 55 हजार रुपये का कमीशन प्राप्त करने की बात स्वीकार की। डीआरआइ ने कहा कि साहिल जैन के दो मोबाइल फोन और एक लैपटाप से प्राप्त सुबुत सोना तस्करी में उसकी भूमिका को और पुष्ट करते हैं।
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Waqf Bill: मुस्लिम बस्तियों में 'फैक्ट फाइल', संसद से मंजूरी के बाद वक्फ पर क्या है BJP का नया प्लान?
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पास होने के बाद राजनीति के मैदान में इस मुद्दे को गर्माए जाने के साफ संकेत दिखाई दे रहे हैं। मुस्लिम मतों की राजनीति करने वाले विपक्षी दल जहां इसे भाजपा के विरुद्ध भुनाने की तैयारी में हैं तो भाजपा ने भी कमर कस ली है। ऐतिहासिक ट्रिपल तलाक कानून के सहारे मुस्लिम महिलाओं का कुछ विश्वास जीतने वाला भगवा खेमा अब संशोधित वक्फ कानून का इस वर्ग की महिलाओं के साथ ही गरीब और पिछड़े (पसमांदा) मुस्लिमों पर 'मोहिनी अस्त्र' के रूप में प्रयोग करेगा।
नए-पुराने कानून का जिक्र कर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच जाएगी भाजपापुराने और नए कानून की फैक्ट फाइल लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा अल्पसंख्यक बस्तियों में जाएगा। संसद के दोनों सदनों में दिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर घंटों चर्चा हुई। विपक्ष ने गंभीरता से इसमें हिस्सा तो लिया, लेकिन अधिकतर नेता विधेयक के तकनीकी बिंदुओं पर तर्क-वितर्क करने की बजाए न सिर्फ भाजपा को मुस्लिम विरोधी घोषित करने के प्रयास में रहे, बल्कि खुलकर भाजपा को मुस्लिम विरोध बताया भी। इस प्रतिक्रिया के लिए भाजपा पहले से तैयार थी। यही कारण है कि सरकार ने जहां कानून के प्रविधानों पर काम किया, वहीं संगठन ने इसके प्रभाव की राजनीतिक बिसात बिछाने पर दिमाग दौड़ाया।
I.N.D.I.A के रूप में एक छतरी के नीचे संघर्ष कर रहे कांग्रेस, सपा, डीएमके, राजद, एनसीपी और टीएमसी जैसे दलों की आंखें एकजुट मुस्लिम मतों के अपने पक्ष में मजबूत होने की संभावना को लेकर चमक रही हैं तो भाजपा का दावा है कि इनके चेहरों से नकाब हटाना अब अधिक आसान होगा।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि वक्फ के मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की भाजपा की पूरी तैयारी है। निर्णय किया गया है कि यह विधेयक संसद से पारित होने वाली तिथि तीन अप्रैल को वक्फ आजादी दिवस के रूप में घोषित किया जाएगा। इस संदेश के साथ ही भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के 65 हजार पदाधिकारी और 38 लाख सदस्यों को मैदान में उतारने का प्रयास होगा।
मुस्लिम समाज को भरोसे में लेने की भाजपा की कोशिश?मोर्चा के कार्यकर्ता मुस्लिम बस्तियों में बेदारी मुहिम यानी जगाने वाला अभियान चलाएंगे। वह बताएंगे कि किस तरह लाखों-करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग अब तक कुछ माफिया कर रहे थे। सारे तथ्य सामने रखेंगे कि इस संपत्ति से कितनी आय हो सकती थी और उससे कैसे मुस्लिम समाज का भला होता। चूंकि, कानून में संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं के साथ ही पिछड़े मुसलमानों की भागीदारी का रास्ता भी खुल रहा है तो यह भी बताया जाएगा कि भाजपा ने गरीब-पिछड़े मुसलमानों के लिए कितना बड़ा काम किया है।
मोर्चा अध्यक्ष का दावा है कि तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बदली, सरकार की योजनाओं में गरीब मुस्लिमों को लाभ मिला, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति उनका विश्वास बढ़ा है। इसी तरह से वक्फ संशोधन विधेयक भी मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को बेनकाब कर संदेश देगा कि भाजपा बिना भेदभाव उनके हित के लिए भी काम कर रही है।
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सुप्रीम कोर्ट के 30 जज ने पब्लिक कर दी अपनी संपत्ति, इतने न्यायधीशों की घोषणा अब भी बाकी; इस वजह से लिया गया फैसला
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक कदम बढ़ाया है। प्रधान न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सभी 33 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा करने और ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है।
इतना ही नहीं प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित 30 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्य न्यायाधीश को दे दिया है। तीन न्यायाधीशों के नाम अभी नहीं आए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है कि क्योंकि सार्वजनिक करने का विकल्प स्वैच्छिक रखा गया है।
फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर लिया गया फैसलाफिलहाल केवल उन न्यायाधीशों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं जिन्होंने संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया है। हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नगदी मिलने के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करने का लिया गया यह निर्णय महत्वपूर्ण है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने संपत्ति घोषणा का और उस घोषणा को स्वैच्छिक रूप से वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया हो।
2009 में भी लिया गया था ऐसा फैसला2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने फुल कोर्ट मीटिंग में ऐसा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया था और उस समय भी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी और उसे सार्वजनिक भी किया गया था, हालांकि संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक थी।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर बताया गया है कि फुल कोर्ट मीटिंग में प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है। पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पद ग्रहण करने के बाद न्यायाधीश अपनी संपत्ति प्रधान न्यायाधीश को घोषित करेंगे। जब भी महत्वपूर्ण संपत्ति अर्जित करेंगे तब भी उसकी घोषणा की जाएगी। संपत्ति की घोषणा प्रधान न्यायाधीश भी करेंगे।
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वक्फ बिल पारित होने पर केरल के लोगों ने मनाया जश्न, कहा- कांग्रेस और लेफ्ट ने नहीं उठाई आवाज
पीटीआई, कोच्चि। मुनंबम के निवासी उस समय खुशी से झूम उठे जब लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को पारित किया। लोकसभा में बुधवार-गुरुवार मध्यरात्रि के बाद विधेयक पारित होने के तुरंत बाद मुनंबम तटीय क्षेत्र के लगभग 600 परिवारों ने पटाखे फोड़े।
मुनंबम भू संरक्षण समिति के बैनर तले 173 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे इन लोगों ने नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद जैसे नारे लगाए और उम्मीद जताई कि नया कानून लागू होने के बाद यह मुद्दा सुलझ जाएगा। इन प्रदर्शनकारियों में अधिकतर ईसाई हैं।
मुनंबम समुदाय में खुशीसमिति के संयोजक जोसेफ बेनी ने उम्मीद जताई कि विधेयक लागू होने पर उन्हें अपनी संपत्तियों पर राजस्व अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि संसद में केरल के निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस और वाममोर्चा के सांसद मुनंबम समुदाय की चिंताओं को आवाज देने में विफल रहे, जिससे लोगों को दुख हुआ है।
एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों में निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनके भूमि और संपत्ति पर अवैध रूप से स्वामित्व का दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान रसीदें हैं।
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ओवैसी और मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्ती, वक्फ संशोधन विधेयक को इस मुस्लिम नेता ने बताया ऐतिहासिक
जागरण टीम, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बौद्ध, ईसाई और पसमांदा समेत समाज के अन्य वर्गों ने ऐतिहासिक, आपसी भाईचारा को बढ़ाने और लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया है। भारतीय बौद्ध संघ, द चर्च आफ नार्थ इंडिया व राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज जैसे संगठनों ने कहा कि विधेयक से वक्फ के मनमाने असंवैधानिक अधिकारों पर लगाम लगेगी।
भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि विधेयक से वक्फ बोर्ड की दादागीरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। उसके कब्जे में जा रही बौद्ध संपत्तियों को बचाया जा सकेगा। अहमदाबाद के कालूपुर में बौद्धों के बुद्ध विहार समेत महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में ऐसी कई बौद्ध संपत्तियां हैं, जिसे अपना बताते हुए वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने वोट बैंक के लिए वक्फ को असाधारण शक्तियां दीं। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की जमीनों को वक्फ को सौंप दिया, जबकि देश में आए हिंदुओं की जमीनों को पाकिस्तान ने अपने कब्जे में लिया।
द चर्च आफ नार्थ इंडिया ने क्या कहा?द चर्च आफ नार्थ इंडिया (सीएनआइ) के प्रवक्ता प्रांजल मसीह ने कहा कि मौजूदा वक्फ कानून देश के संविधान को चुनौती दे रहा था। अगर वक्फ ने किसी की भी संपत्ति पर दावा कर दिया तो जिसकी जमीन है उसे वक्फ ट्रिब्यूनल में साबित करना पड़ता था कि दावे वाली जमीन उसकी है। अब ऐसे मामलों में न्याय की उम्मीद रहेगी।
राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज के अध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा कि संशोधन विधेयक से भू माफिया और मुस्लिम समाज के ठेकेदारों से मुक्ति मिलेगी। अब विधेयक पारित होने पर पिछड़ी, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से आने वाले अशराफ मुस्लिम समाज के साथ जरूरतमंद महिलाओं व बच्चों को लाभ मिलेगा।
वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुकदमेबाजीबिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने संशोधन विधेयक का समर्थन करते वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। अलीगढ़ में मंगलायतन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने इसमें संशोधन को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि मंत्री रहते वक्फ बोर्ड में मुकदमों के अलावा कुछ नहीं देखा। वहां कोई काम नहीं होता था। बोर्ड की इतनी संपत्ति फिर भी भत्ता, वेतन तक देने के लिए पैसा नहीं? पैसा कहां गया? कहीं न कहीं गड़बड़ है।
वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए भी जरूरी है कानून: गुलाम नबीजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए कानून जरूरी है। जमीन जिस मकसद के लिए वक्फ को दी जाती है, उसका लाभ मिले। वक्फ की जिस जमीन पर कब्जा है, वह हटना चाहिए।
ओवैसी व मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्तीअजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह आवश्यक था। कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे मस्जिद, कब्रिस्तान और खानकाहें छिन जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। दरगाह दीवान के पुत्र और आल इंडिया सुफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष नसीरूद्दीन चिश्ती ने एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद को मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही है। दरअसल, ईद के दिन नसीरूद्दीन ने वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते बयान दिया था। इस पर ओवैसी और मसूद ने कहा था कि दरगाह दीवान सरकार के नौकर हैं।
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'अंतरात्मा की आवाज सुनें', वक्फ बिल पर BJD ने बदला रुख; सांसदों को मनमर्जी से वोट करने को कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजू जनता दल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपना रुख बदल दिया है। लोकसभा में बिल के पेश किए जाने के बाद बीजेडी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। लेकिन बावजूद इसके बिल लोकसभा से पारित हो गया।
अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल पर बहस हो रही है। अब बीजेडी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया है और पार्टी के सांसदों को अंतरात्मा की आवाज सुनने को कहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वोटिंग के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।
विवेक का इस्तेमाल करने को कहाबीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता सस्मित पात्रा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस संबंध में पोस्ट कर कहा, 'बीजू जनता दल ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखा है तथा सभी समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित किया है। हम वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के बारे में अल्पसंख्यक समुदायों के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त की गई विविध भावनाओं का गहराई से सम्मान करते हैं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'हमारी पार्टी ने इन विचारों पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए राज्य सभा में हमारे माननीय सदस्यों को न्याय, सद्भाव और सभी समुदायों के अधिकारों के सर्वोत्तम हित में अपने विवेक का प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यदि विधेयक मतदान के लिए आता है, तो अपनी अंतर्आत्मा की आवाज सुनें। पार्टी इसके लिए कोई व्हिप जारी नहीं करेगी।'
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Waqf Bill: सत्तापक्ष के भरे हाथ, विपक्ष का रह गया खाली
आशुतोष झा, नई दिल्ली। वक्फ विधेयक पर हुई चर्चा ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि विरोध सिर्फ राजनीतिक हो तो तथ्य वैसे ही गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। विधेयक को पारित कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में 20 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई। विपक्ष की ओर से कई विद्वान सदस्यों ने भी अपनी बात रखी लेकिन हर कोई मूल मुद्दे से भटकता रहा।
विपक्षी सदस्यों में से किसी ने भी वक्फ बोर्ड के अंदर चल रही घपलेबाजी और लाखों करोड़ की संपत्तियों के सही प्रबंधन पर बोलना जरूरी नहीं समझा। जबकि यह विधेयक लाया ही इसी उद्देश्य के लिए गया था। पर उससे भी ज्यादा रोचक यह रहा कि विपक्ष में राजनीति के लिए भी लड़ने का जज्बा धीरे धीरे गायब होता दिख रहा है।
संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की तैयारी आधे मन से दिखी। ऐसे में इस विरोध का जमीन पर उन्हें कितना अतिरिक्त लाभ मिल पाएगा यह देखना होगा। वैसे भाजपा 'सबका विश्वास' के मोर्चे पर एक कदम आगे बढ़ती दिखी। सहयोगी दलों की ओर से जिस मजबूती से विधेयक का समर्थन किया गया वह इसी का संकेत है।
यह अच्छी बात है कि विपक्ष को इसका अहसास था कि बहुमत सरकार के पक्ष में है और विधेयक पारित होना ही है लिहाजा शोर शराबे की कोशिश नहीं की। लेकिन चेहरे पर थकान और हार दिखना खतरनाक होता है। गुरुवार को जब राज्यसभा में लोकसभा से आया पारित विधेयक पेश किया गया तो कई विपक्षी कुर्सियां खाली थीं।
यह इसलिए अहम है क्योंकि मात्र सात आठ महीने पहले ही विपक्ष का व्यवहार और उत्साह कुछ ऐसा था जैसे लोकसभा चुनाव वही जीतकर आए हो और साथ मिलकर सरकार पर दबाव बनाने में सफल हो सकते हैं। लेकिन अब उन्हें अहसास हो गया कि वह न सिर्फ विपक्ष में हैं बल्कि टूटे हुए विपक्षी विपक्षी दल हैं। याद रहे कि पांच छह महीने पहले जब वक्फ पेश हुआ था तो शिवसेना उद्धव ने विरोध में वाकआउट किया था।
महाराष्ट्र में मुस्लिमों ने इसपर आपत्ति जताई थी दिल्ली चुनाव के वक्त से इसकी शुरूआत हुई थी और आगे यह कायम रहने वाला है। इसीलिए हर प्रयास यही रहा कि विधेयक पर चर्चा को मुस्लिम धर्म से जोड़ कर रखा जाए। वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और उसमें सुधार की जरूरत पर किसी विपक्षी सदस्य ने मुंह नहीं खोला। यानी न तो बोर्ड में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काबिज मुट्ठी भर रसूखदार मुस्लिमों का बचाव किया और न ही यह समझाने में कामयाब हुए कि इस विधेयक से आम मुस्लिमों के जीवन में परेशानी बढ़ेगी।
दूसरी तरफ राजग के सहयोगी दलों में एकजुटता और वक्फ की कमाई बढ़ने से होने वाले लाभ का संदेश देकर यह बताने में सफल रहे कि वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में कुशलता लाकर मुस्लिमों की बड़ी आबादी को लाभ ही मिलने वाला है। दरअसल पिछली सरकार में सीएए(नागरिकता कानून) को लेकर विपक्ष ने जो माहौल बनाया था उसका लाभ इस बार सरकार को मिला भी और आगे मिलने वाला भी है। दिल्ली के शाहीनबाग में दो वर्ष तक राजनीतिक प्रश्रय में आंदोलन चला था और डराया गया था कि मुस्लिमों की नागरिकता पर खतरा है।
दो साल होने को हैं लेकिन ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया। वक्फ में तो सरकार ने उन पिछडे मुस्लिमों को जोड़ने की कवायद की है जिन्हें वक्फ तक फटकने नहीं दिया जाता था। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। वह अब वक्फ संपत्तियों से सीधे तौर पर लाभान्वित ही नहीं होंगे बल्कि खुद को सशक्त भी समझेंगे। ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों से सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें मिल रहा है।
दरअसल यही वह मुद्दे हैं जिसके कारण भाजपा टीडीपी, जदयू जैसे दूसरे सहयोगी दलों को साथ खड़ा करने में सफल रही है। अगर यह रुझान पिछड़े पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं में गहरे पैठ गया तो फिर अल्पसंख्यक राजनीति करने वालों के हाथ खाली हो जाएंगे। जबकि विपक्षी नेता भी मानने लगे हैं कि धीरे धीरे ही सही नरेन्द्र मोदी मुस्लिमों का विश्वास हासिल करने लग गए हैं।
Trump Tariff Policy: ट्रंप के टैरिफ का भारत पर नहीं पड़ेगा सीधा असर, लेकिन यहां फंस रहा पेच; जानिए क्या है नई मुसीबत
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई पारस्परिक शुल्क नीति (Reciprocal Tariff Policy) की घोषणा को लेकर ज्यादातर विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि इसका भारत पर उतना व्यापक असर नहीं होगा, जितना अमेरिका के दूसरे बड़े कारोबारी साझेदार देशों जैसे चीन, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, जापान आदि पर होगा। हालांकि, ट्रंप प्रशासन की इस नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जिस तरह से असर होगा, भारत को उसका दंश झेलना पड़ सकता है।
भारत के नीति नियामकों को अमेरिका के साथ ट्रेड वार्ता के जरिए समाधान तलाशने के साथ ही देश की इकॉनमी को संभावित वैश्विक मंदी, अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने, घरेलू शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के बाहर निकलने की तेज होने जैसे दूसरी चुनौतियों से भी पार पाने की कोशिश करनी होगी।
वैश्विक सप्लाई चेन की मौजूदा व्यवस्था में भी भारी अस्थिरता फैलने की आशंका
अमेरिकी सरकार का नई टैरिफ नीति वैश्विक सप्लाई चेन की मौजूदा व्यवस्था में भी भारी अस्थिरता फैला सकती है, भारत को इस नये हालात में भी अपने लिए अवसर तलाशने होंगे।
और सुस्त होगी वैश्विक इकॉनमीआईएमएफ (International Monetary Fund) की निदेशक क्रिस्टेलीना जॉर्जजीवा ने इसी हफ्ते कहा है कि वह वैश्विक मंदी के गहराने की संभावना देख रही हैं। आइएमएफ ने दिसंबर, 2024 में कहा था कि वर्ष 2025 में वैश्विक विकास दर 3.3 फीसद रहेगी जो वर्ष 2024 में दर्ज 3.1 फीसद से थोड़ी बेहतर होगी। लेकिन अब आइएमएफ के अधिकारियों का कहना है कि 3.3 फीसद की विकास दर को हासिल करना संभव नहीं दिख रहा। बहुत जल्द ही इसे घटाया जाएगा।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी का कहना है कि, वैश्विक इकॉनमी में मंदी आने से उन सेक्टरों पर भी असर होगा जिन पर ट्रंप सरकार ने सीधे तौर पर शुल्क नहीं लगाया है, जैसे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग। यह इसलिए होगा क्योंकि ज्यादातर कंपनियां अपने खर्चे को सीमित कर प्रतिस्पर्द्धी बनने की कोशिश करेंगी। यहां बताते चलें कि वैश्विक विकास की दर अभी तक कोरोना काल से पहले (वर्ष 2019 में 3.6 फीसद) की रफ्तार को नहीं पकड़ पाई है।
अमेरिका की महंगाई का भी खोजना होगा काटभारत की और कई विदेशी एजेंसियों ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शुल्क बढ़ा कर ट्रंप प्रशासन ने महंगाई को न्यौता दे दिया है। अमेरिका ने जिन उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाया है, उनकी लागत अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएगी। महंगाई को काबू में करने के लिए फेडरल बैंक (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) को ब्याज दरों को बढ़ाना पड़ेगा यह स्थिति भारतीय इकॉनमी को कई तरह से प्रभावित करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक को भी वैश्विक महंगाई को भारतीय सीमा पर रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
अगले हफ्ते बुधवार को RBI की मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है, देखना होगा कि आरबीआइ गवर्नर का संकेत देते हैं। लेकिन इसका एक दूसरा असर भारतीय इकॉनमी पर ज्यादा प्रभावकारी यह होगा कि अमेरिका में ज्यादा ब्याज के आकर्षण से विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना तेज कर सकते हैं।
एफआइआइ (Foreign Institutional Investors) ने वर्ष 2025 में 15 अरब डॉलर की राशि भारतीय बाजार से निकाली है। ऐसा होने से घरेलू शेयर बाजार की मौजूदा अस्थिरता और तेज हो सकती है। मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ निश भट्ट ने कहा है कि, ट्रंप सरकार का कदम भारत समेत वैश्विक शेयर बाजार को अस्थिर कर देगा।
वैश्विक सप्लाई चेन में अफरा-तफरीएसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर का कहना है कि वैश्विक ट्रेड व वैल्यू चेन में नये सिरे से समीकरण बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इक्विटी शोध एजेंसी वेंचुरा के प्रमुख (शोध) विनीत वोलिंजकर ने आशंका जताई है कि वैश्विक सप्लाई चेन में मंदी की संभावना पैदा हो रही है। दुनिया के विभिन्न स्थलों पर प्लांट लगा कर लागत कम करन में जुटी दिग्गज मैन्यूफैक्चरिंग व प्रौद्योगिकी कंपनियों को अब नये सिरे से अपनी रणनीति बनानी होगी। पारस्परिक शुल्क लगाने के दौर में हर देश की प्रतिस्पर्द्धता क्षमता पर क्या असर होता है, इसको लेकर स्थिति साफ होने में समय लगेगा। भारत ने कोविड महामारी के बाद वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी पैठ बनाने की मुहिम तेज की हुई है। भारत सरकार को भी रणनीत में बदलाव करना पड़ सकता है।
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EPFO New Rules: अब UAN से बैंक अकाउंट लिंक करने के लिए Employer से नहीं लेनी होगी मंजूरी, जानिए क्या है नया नियम
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों को बैंकिंग की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने की पहल को आगे बढ़ाते हुए इपीएफओ दावा निपटान प्रक्रिया (EPFO Claim Settlement Process) को और सरल बनाने के लिए दो बड़े सुधार किए गए हैं।
इसमें पहला सुधार चेक लीफ या सत्यापित बैंक पासबुक की तस्वीर अपलोड करने की आवश्यकता को हटा दिया गया है। दूसरा बदलाव यह हुआ है कि यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता (Employer) की मंजूरी की आवश्यकता को EPFO ने हटा दिया है।
श्रम मंत्रालय ने बताया कितने लोगों को मिलेगा लाभश्रम मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के इन सुधारों को समग्र रूप से इपीएफओ में लागू किए जाने की जानकारी एक बयान जारी कर साझा की। चेक-बैंक पास बुक की तस्वीर अपलोड करने की आवश्यकता को हटाने का लाभ इपीएफओ के 7.7 करोड़ से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा।
वहीं यूएएन के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता को हटाने से लंबित अनुमोदन वाले लगभग 15 लाख सदस्यों को तत्काल लाभ मिलेगा। इस आवश्यकता को शुरू में कुछ केवाईसी-अपडेट सदस्यों के लिए पायलट आधार पर थोड़े सुधार किया गया था।
क्यों लाया गया नया नियम?मंत्रालय के अनुसार मई 2024 को इसके लांच होने के बाद से इस कदम से 1.7 करोड़ इपीएफ सदस्यों को लाभ मिल चुका है। चूंकि यूएएन के साथ बैंक खाते को जोड़ने के समय बैंक खाताधारक का नाम पहले से ही ईपीएफ सदस्य के विवरण के साथ सत्यापित होता है, इसलिए अब इस अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। वहीं यूएएन के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता को इसलिए हटा दिया गया है कि वर्तमान में प्रत्येक सदस्य को अपने बैंक खाते को यूएएन से जोड़ना आवश्यक है ताकि उनके पीएफ निकासी को ऐसे खाते में सहजता से जमा किया जा सके।
हर रोज बैंक अकांउट जोड़ने के लिए आते हैं इतने रिक्वेस्टउल्लेखनीय है कि सदस्यों द्वारा प्रतिदिन बैंक खाते को जोड़ने के लिए लगभग 36,000 अनुरोध किए जा रहे हैं और बैंकों को सत्यापन पूरा करने में औसतन 3 दिन लगते हैं। हालांकि बैंक सत्यापन के बाद नियोक्ता की ओर से प्रक्रिया को मंजूरी देने में लगने वाला औसत समय लगभग 13 दिन है। इसकी वजह से नियोक्ता के स्तर पर कार्यभार बढ़ जाता है और बैंक खाते को जोड़ने में देरी होती है।
EPFO के अनुसार वर्तमान में प्रत्येक माह योगदान देने वाले 7.74 करोड़ सदस्यों में से 4.83 करोड़ सदस्यों ने अपने बैंक खातों को यूएएन से जोड़ दिया है। जबकि 14.95 लाख स्वीकृतियां नियोक्ताओं के स्तर पर लंबित हैं। इन दोनों सुधारों से उन सदस्यों को भी सुविधा होगी जो अपना नया बैंक खाता नंबर दर्ज करके पहले से जुड़े बैंक खाते को बदलना चाहते हैं।
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'झटका नहीं बल्कि मिलाजुला असर', ट्रंप के 26 फीसदी टैरिफ पर आया भारत का रिएक्शन
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत रेसिप्रोक्टल टैरिफ या आयात शुल्क के प्रभाव का वाणिज्य मंत्रालय विश्लेषण कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी है।
अधिकारी के अनुसार, सार्वभौमिक 10 प्रतिशत टैरिफ 5 अप्रैल से अमेरिका में सभी आयातों पर लागू होंगे और बाकी के 16 प्रतिशत 10 अप्रैल से लागू होंगे। अधिकारी ने कहा, "मंत्रालय घोषित टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि एक प्रावधान है कि यदि कोई देश अमेरिका की चिंताओं का समाधान करता है, तो ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है।
भारत-अमेरिका के समझौते
भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य बना रहे हैं। अधिकारी ने कहा, "टैरिफ से भारत के लिए कोई झटका नहीं है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए जाने वाले उच्च शुल्कों पर ध्यान केंद्रित किया और उन्होंने सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की। भारत पर 26 प्रतिशत छूट वाला रेसिप्रोकल शुल्क लगाया गया है।
ट्रंप ने 2 अप्रैल को बताया 'लिबरेशन डे'
ट्रंप ने 2 अप्रैल को "लिबरेशन डे" कहा और दावा किया कि यह अमेरिका के उद्योग को फिर से जन्म देने वाला दिन है। ट्रंप ने कहा, "यह दिन हमेशा याद रखा जाएगा, 2 अप्रैल 2025, जब अमेरिका का भाग्य फिर से तय होगा और हम अमेरिका को समृद्ध बनाएंगे।"
उन्होंने एक चार्ट दिखाया, जिसमें यह दर्शाया गया कि भारत, चीन, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों द्वारा लगाए गए शुल्क के मुकाबले अब इन देशों को किस तरह के रेसिप्रोकल टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। चार्ट में यह भी दिखाया गया कि भारत 52 प्रतिशत शुल्क लगाता है, जिसमें मुद्रा संचालन और व्यापार बाधाएं शामिल हैं, और अब अमेरिका भारत से 26 प्रतिशत का "डिस्काउंटेड" रेसिप्रोकल टैरिफ लेगा।
भारत के प्रति ट्रंप की टिप्पणी
ट्रंप ने भारत को लेकर कहा, "भारत बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी-अभी गए हैं और वह मेरे अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि आप हमारे दोस्त हैं आप हमें सही तरीके से नहीं संभाल रहे हैं। वे 52 प्रतिशत शुल्क लेते हैं।"
'उन्हें जाना ही होगा...', ट्रंप ने किया एलान; अमेरिकी सरकार से एलन मस्क की छुट्टी होगी
चिलचिलाती गर्मी के बीच देश के इन राज्यों में बारिश का अलर्ट, दिल्ली-यूपी में चढ़ेगा पारा; पढ़ें IMD का अपडेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गर्मी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन कुछ जगहों पर बारिश की भी संभावना है। मौसम विभाग ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के लिए अलग-अलग पूर्वानुमान जारी किए हैं। दिल्ली में अधिकतम तापमान में इजाफा होने के आसार है।
वहीं मध्य प्रदेश में बारिश की संभावना है। उत्तर प्रदेश में गर्मी बढ़ रही है, जबकि राजस्थान के तापमान में भी बढ़ोतरी होगी, उत्तराखंड में गर्मी का प्रकोप जारी है, तो छत्तीसगढ़ में बारिश की संभावना है।
देश के कई राज्यों में अप्रैल से जून तक भीषण गर्मी होगी। मध्य प्रदेश में कई जगहों पर बादल छाए रहने के साथ हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में गर्मी जारी रहने की आशंका विभाग ने जताई है।
दिल्ली में गर्मी से बुरा हालदिल्ली-एनसीआर के लोगों को गर्मी से राहत के आसार नहीं मिल रहे हैं। तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है। अगले 4 से 5 दिनों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच सकता है। बुधवार को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 14.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह इस मौसम के औसत तापमान से 4.6 डिग्री कम था।
मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। बीते दिनों प्रदेश के कई हिस्सों में लू का अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन अभी करीब 3 से 4 दिनों तक लू का दौर जारी रहेगा
बिहार में कैसा रहेगा मौसम?बिहार में गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यहां तापमान में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। बढ़ते तापमान के बीच आने वाले दिनों मौसम यू-टर्न मारने की तैयारी में है।
अगले 24 घंटे में तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गोवा, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। कई राज्यों में आंधी और बिजली गिरने का पूर्वानुमान IMD ने जताया है।
यूपी में बदली मौसम की चालउत्तर प्रदेश में मौसम की चाल बदल गई है। यूपी के निवासियों को अब गर्मी से राहत मिलने वाली है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में 20 से 30 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी, जिससे सुबह-शाम वाली ठंडक का एहसास होगा।
PM Modi: BIMSTEC शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाइलैंड रवाना
एएनआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बैंकॉक रवाना हो गए हैं। वह थाई प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा के निमंत्रण पर थाईलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर हैं।
प्रधानमंत्री की थाईलैंड की तीसरी यात्रा होगीप्रधानमंत्री मोदी 4 अप्रैल 2025 को आयोजित होने वाले 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह प्रधानमंत्री की थाईलैंड की तीसरी यात्रा होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा पर रवाना हुए। प्रधानमंत्री थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा करेंगे और 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद, वे श्रीलंका की राजकीय यात्रा पर जाएंगे।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर दी जानकारीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि अगले तीन दिनों में मैं थाईलैंड और श्रीलंका का दौरा करूंगा, जहां मैं इन देशों और बिम्सटेक देशों के साथ भारत के सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लूंगा। आज बाद में बैंकॉक में मैं प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा से मिलूंगा और भारत-थाईलैंड मैत्री के सभी पहलुओं पर चर्चा करूंगा। कल मैं बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लूंगा और थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न से भी मुलाकात करूंगा।"
पीएम मोदी ने श्रीलंका यात्रा के बारे में भी जानकारी दीइसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि मेरी श्रीलंका यात्रा 4 से 6 तारीख तक होगी। यह यात्रा राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की भारत की सफल यात्रा के बाद हो रही है। हम बहुआयामी भारत-श्रीलंका मैत्री की समीक्षा करेंगे और सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा करेंगे। मैं वहां होने वाली विभिन्न बैठकों का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।
गृहमंत्री ने विपक्ष के तर्कों को किया धराशायी, बोले- 'वक्फ में अब नहीं चलेगी चोरी, सभी को मानना पड़ेगा कानून'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्ष के आरोपों की धज्जियां उड़ा दी। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भारी गड़बड़ी का ब्योरा देते हुए शाह ने साफ कर दिया कि अब यह चोरी नहीं चलेगी। संशोधित वक्फ कानूनों को नहीं मानने का एलान करने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए शाह ने कहा कि यह देश की संसद द्वारा बनाया गया भारत का कानून है। इसे सभी को मानना ही पड़ेगा।
अमित शाह बोले- पहले करते तो आज नहीं होती जरूरतशाह ने बताया कि 2013 के वक्फ कानूनों को अति कठोर बनाने का किस तरह से दुरुपयोग किया गया। यदि तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने 2013 में वक्फ कानूनों को अति कठोर नहीं बनाया होता, तो आज संशोधन लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए अमित शाह ने 2013 में लाए गए संशोधन विधेयक पर राजद प्रमुख लालू यादव समेत अन्य सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दे का हवाला दिया। लालू यादव के भाषण का अंश पढ़ते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से संशोधन विधेयक का समर्थन करने के बावजूद उन्होंने वक्फ संपत्तियों में भारी लूट का मुद्दा उठाया था। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कड़े कानून की जररूत बताई थी।
लालू यादव की इच्छा अब मोदी सरकार पूरी कर रही है- शाहशाह ने कहा कि लालू यादव की इच्छा अब मोदी सरकार पूरी कर रही है। वक्फ की एक संपत्ति पर पांच सितारा होटल बना दिया गया और उसका किराया महज 12 हजार रुपये महीना लिया जा रहा है।
शाह ने कहा कि नए संशोधनों के बाद वक्फ कानून इन संपत्तियों को बेचने वालों, उनका किराया खाने वालों को पकड़ने का काम करेगा। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आपने वोट बैंक के लिए संशोधन किया था और अब हम इसे खारिज कर रहे हैं।
वक्फ बोर्ड 1995 में पहली बार अस्तित्व में आएगृह मंत्री ने कहा कि वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का उद्देश्य केवल संपत्तियों का प्रशासन सुनिश्चित करना है। वक्फ बोर्ड या इसके परिसरों में जिन गैर मुस्लिम सदस्यों को रखा जाएगा, उनका काम धार्मिक क्रियाकलापों से संबंधित नहीं होगा।
वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड 1995 में पहली बार अस्तित्व में आए और नए संशोधनों में भी उन्हें बनाए रखा गया है। सरकार ने सिर्फ उन्हें पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का काम किया है। चैरिटी कमिश्नर के गैर मुस्लिम होने के आरोप को हास्यास्पद बताते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक पद है, जो सभी धर्मों के ट्रस्टों की देखरेख करता है।
अधिकार का दुरुपयोग किया गयाउन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लिए अलग-अलग चैरिटी कमिश्नर नहीं हो सकता है। यह एक विभाजनकारी सोच है। अमित शाह ने बताया कि किस तरह से 2013 के संशोधन में वक्फ बोर्डों और वक्फ परिषद को दिए गए अत्यधिक अधिकार का दुरुपयोग किया गया है।
मंदिरों, गांवों और सरकारी संपत्तियों को वक्फ की घोषित करने के मामलेउन्होंने कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मंदिरों, गांवों और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किए जाने का हवाला दिया और ऐसे आदेशों के खिलाफ अदालत में अपील रोकने के प्रविधान को संविधान के खिलाफ बताया।
देश में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के पासउन्होंने कहा कि 1913-2013 के बीच देश में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के पास थी, जो पिछले 12 वर्षों में बढ़कर 39 लाख एकड़ हो गई। विदेश पढ़ाई करने जाने वाले या दूसरे शहर में काम करने वालों की संपत्ति पीछे से वक्फ के नाम पर करने के मामले भी सामने आए हैं।
वक्फ बोर्ड के मनमाने तरीके पर रोक- अमित शाहशाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद द्वारा मनमाने तरीके से किसी भी जमीन को वक्फ घोषित करने पर रोक लगा दी गई है और अब इसके लिए कलक्टर का सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा। उन्होंने साफ किया कि वक्फ एक दान है, जो सिर्फ अपनी संपत्ति का किया जा सकता है। दूसरे की संपत्ति को कोई कैसे दान कर सकता है। मध्यकालीन शासकों द्वारा किए गए वक्फ के दावे की पुष्टि के लिए पुख्ता प्रमाण उपलब्ध कराने होंगे।
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Waqf Bill: सरकार-विपक्ष के बीच देर रात तक चली बहस के बाद लोकसभा ने वक्फ विधेयक को दी मंजूरी; आज राज्यसभा में पेश होगा
अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। सरकार और विपक्ष के बीच गरमागरम बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा से पारित हो गया। विधेयक के समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े। विधेयक पारित करने के लिए सदन आधी रात के बाद भी बैठा रहा। एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को मुसलमानों पर हमला बताते हुए विधेयक की प्रति फाड़ दी।
सरकार ने मुस्लिमों को आश्वस्त कियाविपक्ष द्वारा विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताए जाने सहित सरकार ने एक-एक आपत्तियों का जवाब दिया और आशंकाएं दूर की। सरकार ने मुस्लिमों को आश्वस्त किया कि यह बिल उनकी मस्जिद एवं दरगाह छीनने और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए नहीं है, बल्कि संपत्तियों के नियमन और प्रबंधन के लिए लाया गया है।
नया कानून अधिसूचना निकलने के दिन से ही प्रभावी होगानया कानून अधिसूचना निकलने के दिन से ही प्रभावी होगा। वक्फ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक कहने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि वक्फ संपत्ति से संबंधित कानून दशकों से अस्तित्व में है। अदालतों द्वारा इसे रद नहीं किया गया है और ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हल्के में नहीं किया जाना चाहिए। कहा कि दुनिया में अल्पसंख्यकों के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित कोई देश नहीं है।
केसी वेणुगोपाल, असदुद्दीन ओवैसी ने संशोधन पेश कियाविधेयक पर विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई, केसी वेणुगोपाल, असदुद्दीन ओवैसी और अरविंद सावंत ने संशोधन पेश किया, जिसे सदन ने खारिज कर दिया। वहीं, रिजीजू के संशोधन को स्वीकार कर लिया। अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
विपक्षी दलों के स्वर थोड़े बदले-बदले से थेविधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में जदयू, तेदेपा एवं लोजपा (आर) समेत राजग के समस्त सहयोगी दल पूरी तरह एकजुट दिखे, जबकि पहले से कड़े प्रतिरोध का दावा करते आ रहे विपक्षी दलों के स्वर थोड़े बदले-बदले से थे। कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी समेत कई दलों को विधेयक से नहीं, बल्कि संशोधन के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति थी। हालांकि दोनों खेमों ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था।
बहस पर चर्चा का समय पहले आठ घंटा निर्धारित था। इसे पहले दो घंटे और फिर डेढ़ घंटे के लिए बढ़ाया गया। लोकसभा में लगभग 12 घंटे तक चली मैराथन बहस का जवाब देते हुए रिजीजू ने कहा कि विधेयक पारित होने के बाद गरीब मुसलमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देंगे।
विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को मुस्लिम विरोधी बतायारिजीजू ने विपक्षी सदस्यों द्वारा विधेयक को मुस्लिम विरोधी बताए जाने को खारिज कर दिया और कहा कि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सभी मुद्दों पर अच्छी तरह से स्पष्टीकरण दिए जाने के बावजूद कुछ सदस्य सच को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। कुछ नेता कह रहे हैं कि विधेयक असंवैधानिक है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वे कैसे कह सकते हैं कि विधेयक असंवैधानिक है। अगर यह असंवैधानिक था, तो अदालत ने इसे रद क्यों नहीं किया?
असदुद्दीन ओवैसी ने विभिन्न मुद्दे उठाएरिजीजू ने कहा कि एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विभिन्न मुद्दे उठाए और आरोप लगाया कि वक्फ में मुसलमानों के बच्चों के लिए प्रविधान किया जा रहा है। हिंदुओं के लिए कोई प्रविधान क्यों नहीं किया जा रहा है? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हिंदुओं के लिए पहले से ही प्रविधान है। इस पर दूसरा कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है। इससे पहले रिजीजू ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया।
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बिल लाने को जरूरी बताते हुए रिजीजू ने कहा कि अगर ऐसा नहीं करते तो जिस इमारत (संसद भवन) में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ दावा कर सकता था, क्योंकि 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सरकार ने दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ को दे दी थीं। अगर केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार नहीं बनती तो कई अन्य संपत्तियों पर वक्फ का कब्जा हो सकता था।
वोट के लिए 70 वर्षों से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है- सरकाररिजीजू ने उस भ्रम को भी स्पष्ट किया, जिसमें कहा जाता है कि रेल और सेना के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन है। कहा कि रेल और सेना की जमीन देश की है, किंतु वक्फ की संपत्ति निजी है। वोट के लिए 70 वर्षों से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है।
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिजीजू ने कहा कि 2006 में देश में 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनकी कुल आय 163 करोड़ थी। अभी 8.72 लाख संपत्तियां हैं, लेकिन आमदनी सिर्फ तीन करोड़ ही बढ़ी है। उचित इस्तेमाल से वक्फ की आमदनी बढ़ेगी, जिससे मुस्लिमों को फायदा होगा। अभी तक वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपना बता देता था। अब ऐसा नहीं होगा।
सरकार ने कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई की उस आपत्ति को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि गैर सरकारी संस्थाओं से सुझाव नहीं लिए गए और विपक्ष के एक भी संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया।
गोगोई ने सरकार पर लगाए आरोपगोगोई ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला करने, अल्पसंख्यकों को बदनाम करने, उन्हें मताधिकार से वंचित करने और समाज को विभाजित करने का प्रयास है। इस पर अमित शाह ने कहा कि संप्रग सरकार ने 2013 में सिर्फ चार घंटे की चर्चा के बाद वक्फ विधेयक को पास कर दिया था, लेकिन इस बार संयुक्त संसदीय समिति में 113 घंटे की चर्चा एवं 92 लाख से ज्यादा सुझावों पर विचार के बाद कानून बनाया जा रहा है।
वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा- सरकारवक्फ कानून में संशोधन के नाम पर धार्मिक हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा। सिर्फ वक्फ परिषद एवं वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम होंगे, जिनका काम धार्मिक हस्तक्षेप का नहीं होगा, बल्कि उन संपत्तियों के प्रबंधन का होगा जो दान में मिली है। वह देखेगा कि संपत्तियों का सदुपयोग हो रहा है या नहीं। वक्फ में महिलाएं और शिया-सुन्नी की भागीदारी बढ़ेगी और पिछड़ों का प्रतिनिधित्व होगा।
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Waqf Bill: वक्फ बिल को कोर्ट में चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, बोला- सड़कों पर करेंगे विरोध
पीटीआई, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने कहा है कि वह वक्फ (संशोधन) विधेयक को अदालत में चुनौती देगा और समुदाय के अधिकारों को खतरे में डालने वाले इस काले कानून के विरुद्ध लड़ाई को सड़कों पर लेकर जाएगा।
प्रस्तावित कानून की आलोचना कीप्रेस कान्फ्रेंस में प्रस्तावित कानून की आलोचना करते हुए बोर्ड के सदस्य मोहम्मद अदीब ने दावा किया कि यह मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को जब्त करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, उन्होंने इसे इस सोच से शुरू किया है कि वे हमारी संपत्ति छीन सकते हैं। क्या इसे स्वीकार किया जा सकता है? यह मत सोचिए कि हम पराजित हो गए हैं।
कानून भारत के ताने-बाने को खतरे में डालता हैउन्होंने कहा कि यह तो शुरुआत है। संयुक्त संसदीय समिति में विचार-विमर्श के दौरान बिल का विरोध किया गया। यह देश को बचाने की लड़ाई है क्योंकि प्रस्तावित कानून भारत के ताने-बाने को खतरे में डालता है।
बिल को वापस लेने तक बोर्ड चैन से नहीं बैठेगाअदीब ने सभी जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया कि वे बिल का विरोध करें और इसका कानूनी एवं सार्वजनिक प्रदर्शन के जरिये विरोध करने की बोर्ड की प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही कहा कि बिल को वापस लेने तक बोर्ड चैन से नहीं बैठेगा।
विपक्ष ने वक्फ संशोधन बिल को बताया संविधान पर हमलावक्फ संशोधन बिल के कई प्रविधानों का विरोध करते हुए विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई। इस विधेयक को नया नाम ''उम्मीद'' (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट) देने पर विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया और कहा कि यह सीधे-सीधे संविधान पर आक्रमण है।
आइएनडीआइए गठबंधन की ओर से सबसे पहले हमले का मोर्चा खोलते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह संविधान को कमजोर करने, अल्पसंख्यकों को बदनाम करने और उनके अधिकारों से वंचित करने के उद्देश्य से यह बिल लेकर आई है।
भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाएगा- अखिलेशउन्होंने कहा कि यह विधेयक समाज को विभाजित कर भाईचारा खत्म करने का प्रयास है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का यह वक्फ विधेयक विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा है, जो भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाएगा।
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लोकोमोटिव निर्माण में यूरोप और अमेरिका को पछाड़ शीर्ष पर पहुंचा भारत, रेलवे मंत्रालय ने संसद में जानकारी
आइएएनएस, नई दिल्ली। भारत ने रेलवे लोकोमोटिव निर्माण में एक वैश्विक लीडर के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वित्त वर्ष 2024-25 में रिकार्ड 1,681 लोकोमोटिव का निर्माण किया गया। बुधवार को रेलवे मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई।
लोकोमोटिव निर्माण में भारत काफी आगेइसमें कहा गया कि यह उपलब्धि यूरोप, अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के कुल लोकोमोटिव निर्माण को पार कर गई है। यह भारत की रेलवे क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक क्षमता को दर्शाती है।
इसमें कहा गया कि पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में 1,472 लोकोमोटिव का निर्माण हुआ था। इस लिहाज से गत वर्ष की अपेक्षा इस बार 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
लोकोमोटिव निर्माण में निरंतर वृद्धि हो रहीरेलवे मंत्रालय के बयान में कहा गया कि लोकोमोटिव निर्माण में निरंतर वृद्धि 'मेक इन इंडिया' पहल को मजबूत करने को लिए गए रणनीतिक निर्णयों का प्रत्यक्ष परिणाम है। 2004 से 2014 के बीच भारत ने कुल 4,695 लोकोमोटिव का निर्माण किया। इसके विपरीत 2014 से 2024 के बीच लोकोमोटिव निर्माण में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।
9,168 लोकोमोटिव का प्रोडक्शन हुआइस दौरान 9,168 लोकोमोटिव का प्रोडक्शन हुआ। पूर्व के 470 के मुकाबले वार्षिक औसत लगभग 917 हो गई। लोकोमोटिव का निर्माण चित्तरंजन, बनारस, पटियाला और मधेपुरा कारखानों में हुआ है। 1681 में से 1,047 अधिकांश लोकोमोटिव मालगाड़ियों के लिए है।
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ऑर्गन डोनेशन पर सरकारी कर्मचारियों को 42 दिन की छुट्टी, गवर्नमेंट डॉक्टर की मंजूरी लेनी होगी
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अंगदान के लिए अधिकतम 42 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश मिलेगा।
उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अंगदान के लिए अधिकतम 42 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश प्रदान किया है।''
अस्पताल में भर्ती होने के दिन से शुरू हो जाएगी प्रक्रियाकार्मिक मंत्रालय द्वारा 2023 में जारी एक आदेश के अनुसार, जब इस प्रविधान की घोषणा की गई थी, दाता के अंग को निकालने के लिए सर्जरी के प्रकार के बावजूद, सरकारी पंजीकृत चिकित्सक/डॉक्टर की सिफारिश के अनुसार विशेष आकस्मिक अवकाश की अवधि अधिकतम 42 दिन होगी।
इसमें कहा गया था कि विशेष आकस्मिक अवकाश आम तौर पर अस्पताल में भर्ती होने के दिन से शुरू होकर एक बार में लिया जाएगा। हालांकि, आवश्यकता पड़ने पर सरकारी पंजीकृत चिकित्सक या डॉक्टर की सिफारिश पर सर्जरी से अधिकतम एक सप्ताह पहले इसका लाभ उठाया जा सकता है।
अतिरिक्त पेंशन अदालतेंजितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के निवारण के लिए भविष्य में अतिरिक्त पेंशन अदालतें आयोजित करना चाहती है। पेंशन अदालत का उद्देश्य केंद्रीकृत पेंशनभोगी शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली में प्राप्त अनसुलझे और पुरानी शिकायतों का मौके पर ही समाधान प्रदान करना है।
पेंशन अदालतों में मामले सुलझाए जा रहेपेंशन अदालतों में आने वाले अधिकांश मामलों का मौके पर ही निपटारा कर दिया जाता है। अगली पेंशन अदालत आयोजित करने से पहले अनसुलझे मामलों पर फिर से विचार किया जाता है और उनकी स्थिति पर विचार किया जाता है। 2020 से इस साल अब तक आयोजित पेंशन अदालतों के दौरान कुल 6,964 मामले उठाए गए, जिनमें से 4,944 का निपटारा किया गया।
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