Hindi News
सपरिवार भारत आ रहे हैं अमेरिका के उपराष्ट्रपति वेंस, टैरिफ पर होगी बातचीत; बच्चों के साथ जाएंगे आगरा
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस और उनकी पत्नी ऊषा (पहली भारतीय-अमेरिकी मूल की द्वितीय महिला) 18 अप्रैल को भारत दौरे पर आ रहे हैं।
टैरिफ के मुद्दों को सुलझाएंगे भारत और अमेरिका18 से 24 अप्रैल तक के इस दौरे में वेंस दंपती भारत के बाद इटली के दौरे पर जाएंगे। अपने भारत प्रवास के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे और संभवत: टैरिफ के मुद्दों को सुलझाएंगे।
विश्व के व्यापार पटल पर भारी हलचलट्रंप प्रशासन के टैरिफ लगाने के ऐलान से विश्व के व्यापार पटल पर भारी हलचल देखी जा रही है। ऐसे माहौल में पीएम मोदी और अमेरिकी उप राष्ट्रपति वेंस की यह मुलाकात खासी अहम मानी जा रही है।
जयपुर और आगरा का भ्रमण करेंगे वेंससूत्रों के अनुसार वेंस दंपती अपने तीनों बच्चों इवान, विवेक और मीराबेल के साथ भारत आएंगे, जहां वह नई दिल्ली के अलावा जयपुर और आगरा का भ्रमण करेंगे। दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के अनुसार उप राष्ट्रपति हरेक देश के नेताओं से वरीयता के आधार पर साझा आर्थिक और भूराजनीतिक विषयों पर चर्चा करेंगे।
उप राष्ट्रपति वेंस प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा, उप राष्ट्रपति का परिवार उनके साथ नई दिल्ली, जयपुर और आगरा के सांस्कृतिक स्थलों का दौरा करेगा।
दोनों पक्ष अपना-अपना पक्ष रखेंगेहालांकि वेंस की यह अपेक्षाकृत अधिक निजी यात्रा होगी लेकिन द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भी दोनों पक्ष अपना-अपना पक्ष रखेंगे। अमेरिकी नेशनल इंटेलीजेंस (डीएनआइ) की निदेशक तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा के तुरंत बाद जेडी वेंस भारत जाने वाले दूसरे बड़े अमेरिकी नेता हैं।
Waqf Law: CJI के कड़े सवालों पर केंद्र ने दी ये दलीलें, SC में वक्फ कानून की परीक्षा; आज भी होगी सुनवाई
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के प्रति चिंता प्रकट करते हुए इसे परेशान करने वाली घटना बताया। बुधवार को वक्फ कानून पर जब सुनवाई पूरी हो गई, तो प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि एक चीज बहुत परेशान करने वाली है। यह जो हिंसा हो रही है, यह परेशान करती है।
सीजेआई की चिंता से सहमति जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदर्शनकारी सोचते हैं कि इस तरह वह सिस्टम पर दबाव बना लेंगे। लेकिन तभी मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा-कौन दबाव बना रहा है। हमें तो नहीं मालूम।
हालांकि, कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों ने भी हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि हिंसा नहीं होनी चाहिए। सीजेआई ने यह भी कहा कि कानून में कुछ चीजें अच्छी भी हैं। उसे भी हाईलाइट किया जाना चाहिए, जैसा मेरे साथी न्यायाधीश ने बताया है। सीजेआई जस्टिस केवी विश्वनाथ की ओर इशारा कर रहे थे, जिन्होंने सुनवाई के दौरान कई बार वक्फ कानून के कुछ अच्छे उपबंधों का जिक्र किया था।
मालूम हो कि बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा हुई थी और कुछ लोगों जान भी गई। इसके बाद मुर्शिदाबाद से हिंदुओं का बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। इसके अलावा बंगाल के भानगढ़ क्षेत्र से भी हिंसा की खबरें आई हैं।
सुनवाई की महत्वपूर्ण बातें- सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून के कुछ प्रविधानों पर रोक लगा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह वक्फ बाई यूजर वाली वक्फ संपत्तियों को गैर अधिसूचित (डीनोटीफाइ) न किए जाने का अंतरिम आदेश जारी देने की सोच रहा है।
- इसके अलावा कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद व वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने और वक्फ संपत्तियों के बारे में कलक्टर की शक्तियों पर भी अंतरिम आदेश पारित करने की मंशा जताई।
- लेकिन केंद्र सरकार के विरोध और पहले इन मुद्दों पर उसकी दलीलें सुने जाने के अनुरोध पर कोर्ट ने बगैर कोई आदेश जारी किए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी।
- अब कोर्ट गुरुवार को केंद्र सरकार और कानून का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनेगा। उसके बाद ही तय होगा कि इस मामले में कोई अंतरिम आदेश आएगा कि नहीं।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों से कई सवाल किए। याचिकाकर्ताओं के वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किए जाने के विरोध पर सवाल उठाया, तो केंद्र सरकार से वक्फ बाई यूजर वाली वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने पर प्रश्न किया। केंद्रीय वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रविधान पर केंद्र की पैरोकारी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किए तो वहीं मुस्लिम याचिकाकर्ताओं द्वारा अनुच्छेद 26 की दुहाई देकर वक्फ अल औलाद के बारे में नए कानून के विरोध पर कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून की याद दिलाई।
कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल- उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संसद को कानून बनाने से नहीं रोकता। यह सभी के लिए समान रूप से लागू होता है। दो घंटे चली सुनवाई में दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस हुई और कोर्ट ने भी सवालों की बौछार की।
- वक्फ कानून के बारे में सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं। इनमें ज्यादातर में वक्फ संशोधन कानून, 2025 को असंवैधानिक बताते हुए रद करने की मांग की गई है।
- हालांकि, कुछ याचिकाएं कानून के समर्थन में भी दाखिल हुई हैं। कुछ याचिकाओं में वक्फ कानून, 1995 और वक्फ संशोधन कानून, 2025 दोनों को चुनौती देते हुए रद करने की मांग की गई है।
- गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले पर सुनवाई करेगा। शुरुआत में कोर्ट इस मामले पर विचार करने के लिए बहुत इच्छुक नजर नहीं आ रहा था।
चीफ जस्टिस ने शुरुआत में ही याचिकाकर्ताओं के समक्ष दो सवाल रखे।
पहला ये कि क्यों न सारी याचिकाओं को हाई कोर्ट भेज दिया जाए और हाई कोर्ट मामले पर सुनवाई करे?
दूसरा सवाल था कि याचिकाकर्ता संक्षेप में बताएं कि उन्होंने कानून को किन आधारों पर चुनौती दी है?
वक्फ कानून का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सीयू सिंह ने पक्ष रखा, जबकि तरफ केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
कपिल सिब्बल ने क्या कहा?इस मामले में अभी कोर्ट ने औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर दी थी, ताकि कोर्ट एकतरफा सुनवाई में कोई अंतरिम आदेश न पारित करे। कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुने। कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून मुस्लिम के धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन करने की स्वतंत्रता के अधिकार में दखल देता है। यह कानून असंवैधानिक है।
'नकद लेनदेन पर दो लाख की सीमा लागू करें', SC का सख्त आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नकद लेनदेन पर दो लाख रुपये की सीमा लागू करने के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर कोई कानून है तो उसे लागू किया जाना चाहिए। कोर्ट ने वित्त अधिनियम 2017 के प्रविधानों के असंतोषजनक क्रियान्वयन पर चिंता व्यक्त की जिसमें नकद लेनदेन की सीमा दो लाख रुपये तक सीमित की गई थी।
इस बाबत कई निर्देश जारी करते हुए को र्ट ने कहा कि जब भी किसी क्षेत्र में ऐसा कोई मुकदमा अदालतों के समक्ष आता है तो उन्हें उस क्षेत्राधिकार वाले आयकर विभाग को इसकी सूचना देनी चाहिए ताकि विभाग उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करके सही कदम उठा सके।
दो लाख रुपये या उससे अधिक के नकद लेनदेन पर 2017 में लगी थी रोकउल्लेखनीय है कि सरकार ने वित्त अधिनियम-2017 के माध्यम से एक अप्रैल, 2017 से दो लाख रुपये या उससे अधिक के नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ एक संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि 10 अप्रैल, 2018 को अग्रिम भुगतान के रूप में 75 लाख रुपये नकद दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल लेनदेन के बारे में संदेह पैदा करता है, बल्कि कानून के उल्लंघन को भी दर्शाता है।
स्थिति को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब भी कोई ऐसा मुकदमा दायर किया जाता है जिसमें यह दावा किया जाता है कि किसी लेनदेन के लिए दो लाख रुपये या उससे अधिक का भुगतान नकद में किया गया है, तो अदालतों को लेनदेन और आयकर अधिनियम की धारा 269एसटी के उल्लंघन की पुष्टि करने के लिए क्षेत्राधिकार वाले आयकर विभाग को इसकी सूचना देनी चाहिए।
यह भी पढ़ें: 'वक्फ पर राहुल गांधी की चुप्पी की वजह ईसाई समुदाय का दबाव', जानें क्यों कही किरेन रिजिजू ने ये बात
'अगले 12 महीनों में दोगुनी होगी एयरलाइन की संख्या', कंपनी के परफॉर्मेंस पर स्पाइसजेट के चेयरमैन ने जताई खुशी
पीटीआई, नई दिल्ली। घरेलू विमानन कंपनी स्पाइसजेट के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने बुधवार को कहा कि उनकी कंपनी की पुनरुद्धार योजना बहुत अच्छी चल रही है। उन्होंने आगे कहा कि एयरलाइन अगले 12 महीनों में अपने मौजूदा बेड़े को दोगुना करने की राह पर है।
बता दें कि जनवरी में स्पाइसजेट ने अप्रैल के मध्य तक चार बोइंग बी737 मैक्स सहित अपने 10 खड़े विमानों को पुनः परिचालन में लाने की योजना की घोषणा की थी।ल किए गए हैं।
पुनरुद्धार की राह पर जुटी विमानन कंपनीएयरलाइन ने जानकारी दी कि विमानन कंपनी अक्टूबर 2024 से अपने बेड़े में 10 विमान जोड़े हैं - तीन खड़े विमान जिन्हें वापस सेवा में लाया गया है और सात पट्टे पर शामिल किए गए हैं। स्पाइसजेट को वित्तीय संकट और पट्टेदारों के साथ कानूनी विवादों सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बता दें कि हाल के महीनों में एयरलाइन ने धन जुटाया है और पुनरुद्धार की राह पर है।
यह भी पढ़ें: UP News: मुंबई की उड़ान रद्द, दिल्ली से आए यात्रियों का सामान गायब; गोरखपुर एयरपोर्ट पर हंगामा
ED Raid: महादेव एप मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, दिल्ली-मुंबई सहित 55 स्थानों पर छापेमारी
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी एप से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और मुंबई सहित देश के विभिन्न राज्यों में 55 स्थानों पर छापेमारी की।
निशांत पिट्टी के ठिकानों पर भी छापेमारीजांच एजेंसी ने ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग पोर्टल ईजमाईट्रिप के सह-संस्थापक निशांत पिट्टी के ठिकानों पर भी छापेमारी की। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, अहमदाबाद, इंदौर, जयपुर, चेन्नई और ओडिशा के संबलपुर सहित 55 स्थानों पर छापेमारी की गई।
ठिकानों और दफ्तर पर भी छापेमारीउन्होंने बताया कि यह ताजा छापेमारी इस मामले में अब तक जुटाए गए कुछ नए सबूतों का परिणाम है। उन्होंने बताया कि ईजमाईट्रिप के चेयरमैन 39 वर्षीय पिट्टी के दिल्ली स्थित ठिकानों और दफ्तर पर भी छापेमारी की गई।
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, ईजमाईट्रिप डॉट कॉम की स्थापना 2008 में हुई थी और इसकी स्थापना पिट्टी बंधुओं - निशांत, रिकांत और प्रशांत ने की थी।
बहरहाल, महादेव सट्टेबाजी एप मामला तब सुर्खियों में आया था जब ईडी ने कुछ साल पहले दावा किया था कि छत्तीसगढ़ के कई उच्च पदस्थ राजनेता और नौकरशाह इस एप से जुड़े अवैध संचालन और मौद्रिक लेनदेन में शामिल हैं।
12 लोगों को गिरफ्तार कियाइस मामले में पहले भी तलाशी ली जा चुकी है। एजेंसी ने इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है और कुल चार आरोपपत्र दाखिल किए हैं। इसने 2,426 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क या जब्त की है।
'वक्फ पर राहुल गांधी की चुप्पी की वजह ईसाई समुदाय का दबाव', जानें क्यों कही किरेन रिजिजू ने ये बात
एएनआई, नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में विपक्ष के नेता के बजट सत्र के दौरान वक्फ बिल पर मैराथन बहस के दौरान कुछ नहीं बोलने पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि उन पर ईसाई समुदाय का बहुत दबाव है। वह 'सेफ गेम' खेलना चाहते हैं। उन्होंने संसद में कांग्रेस नेता के बर्ताव पर कहा कि संसद पारिवारिक भावनाएं उजागर करने की जगह नहीं है।
विपक्ष कर रहा पुरजोर विरोधवक्फ संशोधन बिल, 2025 के पारित होने से पहले दोनों सदनों में हुई बहस का उत्तर देने वाले केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने बुधवार को एक साक्षात्कार में बताया कि राहुल गांधी संभवत: वक्फ बिल पर सुरक्षित खेल खेलना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने बहस में हिस्सा लेना उचित नहीं समझा। जबकि कांग्रेस और आइएनडीआइए के सभी घटक इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
रिजिजू ने कही ये बातरिजिजू ने कहा कि वह इस बात से हैरान हैं कि इस मामले में प्रियंका गांधी तक ने कुछ नहीं कहा वह तो वोटिंग के दौरान भी सदन में मौजूद नहीं थीं। उनकी अनुपस्थिति और राहुल गांधी का वोटिंग के लिए बहुत देर से आना और सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेना भी चौंकाने वाला था।
वह इस विषय पर कुछ बोले भी नहीं। इसलिए लगता है कि उन पर कांग्रेस पार्टी और अन्य दलों के लिए ईसाई समुदाय का भारी दबाव रहा होगा। चूंकि यह सभी वक्फ संशोधन बिल का खुलकर विरोध कर रहे हैं और ईसाई समुदाय वक्फ संशोधन के समर्थन में है। इसलिए राहुल ने सेफ गेम खेला क्योंकि सदन में आप जो भी बोलते हैं वह हमेशा के लिए रिकार्ड में दर्ज हो जाता है।
रिजिजू ने प्रियंका गांधी पर साधा निशानारिजिजू ने कहा कि केरल में ईसाई समुदाय के लोग ने पहले ही बिल के पक्ष में अपना मत जाहिर किया है। जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा केरल के वायनाड से ही सांसद हैं। राहुल गांधी भी इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
इसी तरह, रिजिजू ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के राहुल गांधी को नियम 349 के अनुरूप सदन में बर्ताव करने का आग्रह करने के जिक्र पर कहा कि वह इस स्थिति में नहीं हैं कि कांग्रेस नेता को व्यवहार कैसे करते हैं, बताएं। लेकिन ऐसे कुछ तौर-तरीके हैं जिनका पालन अवश्य होना चाहिए।
राहुल गांधी एक वरिष्ठ नेता हैं....उन्होंने कहा कि राहुल गांधी एक वरिष्ठ नेता हैं और वह चार बार से सांसद हैं। सदन में मां-बेटा, मां-बेटी, भाई-बहन, यहां तक कि पति-पत्नी भी साथ सदस्य रहे हैं। लेकिन वह नितांत निजी भावनाओं का सदन में प्रदर्शन नहीं करते हैं। संसद पारिवारिक भावनाओं को उजागर करने की जगह नहीं है। यह संप्रभु संस्था है जहां हरेक सदस्य एक गंभीर उद्देश्य के साथ आता है।
अमेरिका के टैरिफ से घुटनों पर आया ड्रैगन! अब भारत में इंवेस्ट करेंगी चीनी कंपनियां, मानसरोवर यात्रा पर होगा बड़ा एलान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी युद्ध तेज हो गया है। ऐसे में भारत समेत अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर भी ड्रैगन के रुख में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। चीन सरकार ने इस साल एक जनवरी से नौ अप्रैल, 2025 तक ना सिर्फ 85 हजार भारतीयों को वीजा दिया है, बल्कि और ज्यादा भारतीयों को चीन भ्रमण के लिए अपने वीजा नियमों को आकर्षित बनाने की भी घोषणा की है।
यही नहीं द्विपक्षीय वार्ताओं में भारतीय अधिकारियों को चीन ने यह संकेत भी दिया है कि वह दोनों देशों की राजधानियों के बीच जल्द से जल्द हवाई संपर्क स्थापित करने को इच्छुक है और इस बारे में भारतीय एजेंसियों को तेजी दिखानी चाहिए। इसी वर्ष से मानसरोवर यात्रा की शुरुआत तक करने की पूर्व में बनी सहमति को भी अगले एक-दो दिनों के भीतर ही लागू करने को लेकर घोषणा किये जाने की तैयारी है।
भारत से एक्सपोर्ट करेंगी चीनी कंपनियांइसी बीच बुधवार को चीन की स्मार्ट फोन निर्माता कंपनी रीयलमी ने भारत की इलेक्ट्रोनिक निर्माता कंपनी ऑप्टीमस इलेक्ट्रोनिक्स के साथ मिलकर आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस ऑथ थग्स (एआईओटी) भारत में उत्पाद बनाने और भारत को अपने उत्पादों के लिए एक प्रमुख निर्यात स्त्रोत स्थल के तौर पर स्थापित करने की घोषणा की है।
चीन की कुछ मोबाइल निर्माता कंपनियां पहले से ही यहां एसेंबलिंग करने लगी हैं लेकिन यह पहला मौका है, जब चीन की किसी कंपनी ने भारत को अपने उत्पादों के निर्माण व वैश्विक निर्यात स्थल के तौर पर चिन्हित करने का फैसला है। रीयलमी और ऑप्टीमस ने कहा है कि वह भारत में सालाना 50 लाख उत्पादों (स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, टैब्स आदि) का निर्माण करेंगी और दो हजार लोगों को रोजगार देंगी।
भारतीयों को आसानी से मिल रहा वीजा- बाजार के सूत्रों का कहना है कि चीन की शिओमी और ओप्पो जैसी दूसरी कंपनियां भी भारत में अपने मैन्यूफैक्चरिंग बेस को ज्यादा विस्तार करने की तैयारियों में हैं। बहरहाल, चीन की कंपनियों की इन तैयारियों से भारत सरकार की मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बल मिलना तय है।
- सूत्रों ने बताया है कि चीन सरकार ने भारत स्थित अपने दूतावास की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ानी शुरू कर दी है। अब भारतीय नागरिकों के लिए वीजा लेने की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है। चीनी दूतावास से साक्षात्कार के लिए पहले से आवेदन लेने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। वीजा फीस में भी कटौती की गई है।
- चीन सरकार की तरफ से यह सकारात्मक कदम तब उठाया गया है, जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने की लगातार कोशिश हो रही है। वर्ष 2020 से पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के घुसपैठ से उत्पन्न हुई स्थिति को समाप्त करने के लिए अक्टूबर, 2024 में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक में बनी सहमति को धीरे-धीरे करके लागू किया जा रहा है। इसमें मानसरोवर यात्रा को शुरू करने और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा की शुरुआत करने पर भी काम हो रहा है।
यह भी पढ़ें: ट्रेड वार और गहराया, ट्रंप ने फोड़ा एक और टैरिफ बम; चीन से वसूलेगा 245% टैक्स
क्या है 'Waqf By User' संपत्ति, जिसका कोर्टरूम में बार-बार जिक्र करते रहे सिंघवी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज करीब दो घंटे तक सुनवाई चली। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सरीखे वकीलों ने इस कानून के खिलाफ कई दलीलें दी। वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी लगातार 'वक्फ बाय यूजर' संपत्ति का जिक्र कर रहे थे।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि देशभर में 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से आधी यानी 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर रजिस्टर है। सिंघवी ने आगे दलील दी और इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
अब ये जान लेते हैं कि आखिर ये 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब क्या है, जिसका जिक्र सिंघवी बार-बार कोर्ट रूम में कर रहे थे?
दरअसल, 'Waqf By User' एक परंपरा है, जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।
कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाया कि आखिर सरकार ने क्लॉज के साथ छेड़छाड़ क्यों की?
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा,‘वक्फ बाय यूजर’ वक्फ की एक शर्त है। इसको ऐसे समझिए कि मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं कि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्या क्या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रजिस्टर्ड कराने के लिए क्यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्फ का रजिस्ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा।
'फर्जी दावों से बचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी'कपिल सिब्बल और सिंघवी की दलीलों पर जस्टिस विश्वनाथन ने जवाब दिया,"कानून के मुताबिक, फर्जी दावों से बचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसलिए वक्फ डीड बनवाना होगा।
इस पर सिब्बल ने तर्क दिया। उन्होंने कहा, यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाए गए थे। सरकार 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेगी। आखिर लोग कहां से लाएंगे। यही समस्या है। बता दें कि गुरुवार को ‘वक्फ बाय यूजर’ पर ही सुनवाई होगी, जिसमें सरकार की ओर से दलील पेश की जाएंगी।
यह भी पढ़ें: Waqf Act: 'आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते', सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर बहस के दौरान बोले चीफ जस्टिस
Waqf Law: 'सैकड़ों साल पुरानी मस्जिदों...' सिब्बल-सिंघवी की दलीलों पर क्या बोले CJI? पढ़ें सुनवाई डे-1 में क्या-क्या हुआ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज (16 अप्रैल) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। बता दें कि वक्फ कानून के खिलाफ करीब 70 याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रही है।
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में उपस्थित थे। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। कोर्ट अब अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे करेगा।
वक्फ कानून के मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने क्या-क्या बड़ी बातें कही?सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, "केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।
सिब्बल की इस टिप्पणी पर CJI जस्टिस खन्ना ने कहा,"इसमें क्या समस्या है? जस्टिस कुमार ने कहा, 'हमें उदाहरण दीजिए। क्या तिरुपति बोर्ड में भी गैर-हिंदू हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा," क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। वक्फ प्रॉपर्टी है या नहीं है, इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते।"
14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिद कहां से दिखाएंगे दस्तावेज: कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर के प्रावधान पर भी सवाल किया। CJI खन्ना ने कहा कि कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर किया जाएगा? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा।
हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वास्तविक वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी इस्तेमाल के दौरान लंबे समय से वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।
आर्टिकल 26 सभी धर्मों पर लागू होता है: कोर्ट
सुनवाई के दौरान जब कपिल सिब्बल ने आर्टिकल 26 यानी धर्मनिरपेक्ष की बात कही तो सीजेआई ने कहा कि आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष, यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है। हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है। आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं।
सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?' वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यह एक परेशानी है।
सिब्बल की टिप्पणियों पर क्या बोले सॉलिसिटर जनरल?सिब्बल के इन सवालों पर केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा,"वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा। 1995 के कानून में भी ये जरूरी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह नियम 1995 से लागू है।
अदालत ने वक्फ बाई यूजर के प्रावधान पर भी सवाल किया। CJI खन्ना ने कहा कि कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिद है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा।
सीजेआई ने आगे कहा,"हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वास्तविक वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी इस्तेमाल के दौरान लंबे समय से वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।"
यह भी पढ़ें: 'सरकार कैसे तय करेगी मैं मुस्लिम हूं या नहीं', वक्फ कानून के खिलाफ सिब्बल रख रहे SC में दलील
कैब ड्राइर ने बीच सड़क पर रोक दी कार... बेंगलुरु में आधी रात को युवती के साथ ये कैसी हरकत!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के कौन-कौन से शहर महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील हैं, इस पर विस्तृत बहस की जा सकती है। लेकिन आए दिन सामने आ रहे मामलों ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।
ताजा मामला एक टेक फर्म में काम करने वाली युवती के साथ सामने आया है। दरअसल सोशल मीडिया साइट एक्स पर श्रविका जैन नामक युवती ने बेंगलुरु में देर रात अपने साथ हुआ वाकया शेयर किया है। इसके बाद से ही ये पोस्ट काफी वायरल हो गया।
तेज आवाज में बजा रहा था गानाश्रविका ने बताया कि 'लोग पूछते हैं कि क्या बेंगलुरु सुरक्षित है। पिछली रात मैं एयरपोर्ट से कैब कर अपने घर लौट रही थी। लेकिन ये मेरी जिंदगी का सबसे भयानक अनुभव था। ड्राइवर ने कैब ड्राइव करने के साथ ही मुझे घूरना शुरू कर दिया था।'
श्रविका ने लिखा, 'उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं कन्नड़ जानती हू्ं। इसके बाद उसने यूट्यूब पर काफी तेज आवाज में गाने बजाने शुरू कर दिए। वह अपनी जांघों को थपथपाते हुए चिल्ला-चिल्लाकर गा रहा था।'
कैब में सिगरेट पीने लगा ड्राइवर- श्रविका ने कहा कि 'जब मैंने उससे आवाज धीमी करने को कहा, तो उसने मुझे घूरा और बिल्कुल हल्की सी आवाज कम की। उसने कैब के अंदर ही सिगरेट पीना शुरू कर दिया और मेरे मना करने पर भी नहीं माना। उसने अचानक कार बीच में ही रोक दी और कहा कि मुझे चाय पीनी है।'
- युवती ने कहा कि जब मैंने पहले घर छोड़ने के लिए कहा, तो भी वह तुरंत कार से नीचे उतर गया और 10 मिनट बाद लौटा। इसके बाद भी वह रास्ते भर मुझे घूरता रहा। मैं काफी डर गई थी, लेकिन शुक्र है कि मैं घर पहुंच गई।
यह भी पढ़ें: 'दो लोगों ने कैब रोकने का इशारा किया और...' डर से गाड़ी छोड़कर भागी प्राइवेट कंपनी की सीनियर मैनेजर
Waqf Law: 'मैंने तो सुना है कि संसद भी...', कोर्टरूम में सिंघवी ने दलील देते हुए मजाकिया अंदाज में ये क्या कह दिया ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज (16 अप्रैल) सुनवाई हुई। कोर्ट में तकरीबन दो घंटे से ज्यादा समय तक इस मामले पर बहस चली।
देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। वक्फ कानून के खिलाफ करीब 70 याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रही है। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकीलों ने नए कानून को लेकर कोर्ट में सवाल खड़े किए।
आइए पढ़ें कि कोर्टरूम में सिंघवी ने नए कानून के खिलाफ क्या-क्या दलीलें दी?अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि देशभर में 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से आधी यानी 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर रजिस्ट्रर है। सिंघवी ने आगे दलील दी और इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
क्या है 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब?यह वह परंपरा है जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।
वक्फ संशोधन को लागू नहीं किया जाना चाहिए: सिंघवीसुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सिंघवी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि उन्हें यह तक सुनने में आया है कि संसद भवन की जमीन भी वक्फ की है। उन्होंने कोर्ट से पूछा कि क्या अयोध्या केस में जो फैसले लिए गए, वे इस मामले में लागू नहीं होते? उन्होंने संशोधित वक्फ अधिनियम पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की और कहा कि जब तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक संशोधन लागू नहीं किया जाना चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा,"यह केस इसका नहीं कि किस-किस याचिका को हाईकोर्ट भेजा जाए। नए कानून के प्रावधान तत्काल की प्रभावी हो गए हैं। इन पर स्टे लगाया जाना चाहिए।"
यह भी पढ़ें: Waqf Act: 'आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते', सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर बहस के दौरान बोले चीफ जस्टिस
Waqf Act: 'आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते', सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर बहस के दौरान बोले चीफ जस्टिस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसदों के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अस्तित्व में आए वक्फ कानून पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में कानून के विरोध में जारी प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। उधर सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
आज सुनवाई के दौरान अदालत में करीब 2 घंटे तक बहस चली। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा।
आइए आपको बताते हैं अदालत में सुनवाई की 5 बड़ी बातें:- चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट भी वक्फ की जमीन पर बना है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाय यूजर गलत है, लेकिन ये वास्तविक चिंता है।
- जस्टिस खन्ना ने कहा कि किसी पब्लिक ट्र्स्ट को 100 या 200 साल पहले वक्फ घोषित किया गया और आप अचानक कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अपने अधीन कर लिया गया है। आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते हैं।
- पीठ ने कहा कि एक्ट के अनुसार 8 मेंबर मुस्लिम और 2 नॉन मुस्लिम हो सकते हैं। क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे।
- नॉन मुस्लिमों को बोर्ड का हिस्सा बनाने की टिप्पणी पर सॉलिसिट जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि फिर तो यह पीठ भी याचिका नहीं सुन सकती। इस पर सीजेआई ने कहा कि जब हम यहां बैठते हैं, तो धर्म नहीं देखते। आप इसकी तुलना जजों से कैसे कर सकते हैं?
- तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि यह कानून बनाने का मामला है। इसके लिए जेपीसी बनी थी। इसकी 38 बैठकें हुईं। इसने कई क्षेत्रों का दौरा किया। 98 लाख से अधिक ज्ञापनों की जांच की। फिर यह दोनों सदनों में गया और फिर बिल पारित किया गया।
यह भी पढ़ें: UP Waqf के पास कितनी है संपत्ति? राजस्व विभाग को तीन सालों में नहीं पता चला, शासन फिर मांग रहा रिपोर्ट
Profile of BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई होंगे देश अगले CJI, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने भेजी सरकार को सिफारिश
एएनआई, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने औपचारिक रूप से न्यायमूर्ति बी.आर. गवई Justice gavai, को अपना उत्तराधिकारी बनाने का प्रस्ताव दिया है। नियुक्ति प्रक्रिया के तहत यह सिफारिश विधि मंत्रालय को भेजी गई है।
न्यायमूर्ति गवई वर्तमान में सीजेआई खन्ना के बाद सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि वो देश के 52वें मुख्य न्यायधीश होंगे। वो 14 मई को CJI के रूप में शपथ लेंगे।
परंपरा के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस ही अपने उत्तराधिकारी का नाम सरकार को भेजते हैं। इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है। कानून मंत्रायल ने औपचारिक तौर पर जस्टिस खन्ना से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने जस्टिस गवई का नाम आगे बढ़ाया।
कौन हैं जस्टिस गवई?जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उनका जन्म 24 नवंबर को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के बेटे हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में उन्होंने 14 नवंबर 2003 को अपनी न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। बतौर जज वो मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी के विभिन्न पीठों पर काम कर चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इन अहम फैसलों का हिस्सा थे गवई- आर्टिकल 370 हटाए जाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिन पांच मेंबर वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही थी, उनमें जस्टिस गवई भी थे।
- राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी गवई हिस्सा थे।
- नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाले बेंच में भी वो शामिल थे।
भारत की तकनीक ताकत एआई में खोलेगी आत्मनिर्भरता का रास्ता, अमेरिका-चीन के बीच बन रहा संतुलन
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। अमेरिका के एआई डिफ्यूजन नियम ने दुनिया भर में चल रही एआई जंग में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। एआई में खुद की बादशाहत साबित करने को लेकर आतुर देशों की तकनीक को आत्मनिर्भरता पर एक बड़ा कुठाराघात माना जा रहा है। अमेरिका ने तकनीकी प्रभुत्व को बनाए रखने, चीन को सीमित करने और अपने सहयोगियों को सावधानीपूर्वक AI तकनीक उपलब्ध कराने के लिए लागू किया है। यह सिर्फ एक तकनीकी नियंत्रण नहीं, बल्कि नए शीतयुद्ध का हिस्सा है जहां हथियार चिप्स, मॉडल्स और डेटा हैं। दरअसल इस विवाद की शुरुआत दो दशक पहले शुरू हो चुकी थी। 2010 के दशक में चीन ने मेड इन चाइना 2025" नीति की घोषणा की। इस नीति का लक्ष्य उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों (जैसे एआई, 5G, रोबोटिक्स) में आत्मनिर्भरता हासिल करना था। चीन की कंपनियों, जैसे हुआवेई, एसएमआईसी, और सेंसटाइम ने वैश्विक एआई मार्केट में प्रभाव बढ़ाना शुरू किया। अमेरिका को आशंका हुई कि ये टेक्नोलॉजीज न केवल आर्थिक, बल्कि सैन्य क्षमताओं को भी बढ़ा सकती हैं। अक्टूबर 2022 में यूएस ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने एआई और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले उन्नत जीपीयू चिप्स की चीन को बिक्री पर पाबंदी लगाई। अमेरिका की चीन पर तकनीक नकेल कसने की ये पहली शुरुआत थी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की टियर-2 स्थिति उसे एक सुरक्षा कवच देती है। वह अमेरिका के साथ मिलकर धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ सकता है। लेकिन अगर वह तेजी से चिप निर्माण व मॉडल डेवलपमेंट में निवेश नहीं करता, तो वह पीछे छूट सकता है। वहीं चीन पहले से ही अमेरिका से अलग होकर पूरी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इसका रास्ता तेज है लेकिन अलगाव, मानकों से भिन्नता, और सीमित प्रदर्शन की चुनौतियां बनी हुई हैं। भारत की गति भले ही धीमी हो, लेकिन वह वैश्विक एआई इकोसिस्टम में जुड़ा रहेगा। चीन तेजी से आत्मनिर्भर बन सकता है, लेकिन अलगाव और सीमित प्रतिस्पर्धा उसके लिए खतरा बन सकती है।
डेटा सेंटर्स बनाने में हो सकती है देरी
दीपक शर्मा कहते हैं कि अमेरिका का एआई डिफ्यूजन नियम भारत और चीन दोनों देशों की एआई तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा को प्रभावित करता है। वह बताते हैं कि भारत को टियर-2 देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिससे उसे सीमित रूप से उन्नत एआई चिप्स और बंद AI मॉडल वेट्स तक पहुंच मिलती है, वह भी केवल लाइसेंस और सुरक्षा अनुपालन के तहत। यह भारत की स्थिति को अमेरिका के रणनीतिक साझेदार के रूप में दिखाता है, हालांकि जापान और दक्षिण कोरिया जैसे टियर-1 सहयोगियों की स्थिति इससे अलग है।
भारत के लिए एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर विकसित करने में बाधा आ सकती है क्योंकि चिप आयात की एक सीमा तय कर दी गई है। इससे रिलायंस जैसी भारतीय तकनीकी कंपनियों या बेंगलुरु की एआई स्टार्टअप्स को डेटा सेंटर्स बनाने में देरी हो सकती है। लेकिन इसका एक सकारात्मक पक्ष यह है कि यह नियम भारत को घरेलू एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए भी प्रेरित करेगा। इंडिया AI मिशन जैसे कार्यक्रम लोकल चिप डिजाइन और ओपन-सोर्स AI मॉडल पर ध्यान दे रहे हैं।
भारत अपनी क्वाड और इंडो-पैसिफिक रणनीति के अंतर्गत अमेरिका से सहयोग करते हुए कुछ छूट प्राप्त करने की दिशा में प्रयास कर सकता है, जिससे चिप्स की निर्भरता कम हो। हालांकि, भारत के पास अभी एक परिपक्व सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इकोसिस्टम नहीं है। इसकी पहली फैब यूनिट 2026 के अंत तक शुरू होगी। तब तक टीएसएमसी और अमेरिकी सप्लायर्स पर निर्भरता बनी रहेगी। इस स्थिति में यह नियम भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करता है, लेकिन हार्डवेयर अंतराल के कारण इसकी राह लंबी होगी।
चीन का सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम अमेरिका व पश्चिमी देशों के मुकाबले कम परिपक्व
दीपक शर्मा कहते हैं कि चीन को टियर-3 (आर्म्स एम्बार्गो) देश के रूप में रखा गया है, जहां उसे उन्नत AI चिप्स और बंद मॉडल वेट्स तक पहुंच के लिए लगभग सभी लाइसेंस नकार दिए जाते हैं। यह अमेरिका की रणनीति के अनुरूप है कि चीन की एआई आधारित सैन्य और आर्थिक शक्ति को सीमित किया जाए।
चीन को अत्याधुनिक जीपीयू और फ्रंटियर मॉडल्स तक पहुंच में बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। इससे वह बड़े पैमाने पर एआई मॉडल ट्रेन नहीं कर पा रहा है। हालांकि, हुआवेई, एसएमआईसी, और बाइरन टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियां घरेलू हार्डवेयर के विकास में लगी हैं। यह नियम उन्हें और तेजी से आत्मनिर्भर बनने को मजबूर करता है। चीन संभवतः ओपन-सोर्स मॉडल्स या थर्ड पार्टी देशों के ज़रिए चिप्स की स्मगलिंग कर लूपहोल का लाभ उठा सकता है, लेकिन ये विधियां स्थायी और भरोसेमंद नहीं हैं। इसके कारण चीन को अपने ही प्लेटफॉर्म्स जैसे पैडलपैडल और हॉर्मोनी ओएस पर निर्भर रहना पड़ता है। चीन का दृष्टिकोण, विशाल शोध और अनुसंधान बजट, और वर्टिकल इंटीग्रेशन उसे तेजी से आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाते हैं। हालांकि, इसके चिप्स अभी भी प्रदर्शन में पीछे हैं, और सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम अमेरिका व पश्चिमी देशों के मुकाबले कम परिपक्व हैं।
तक्षशिला फाउंडेशन के रिसर्च एनालिस्ट अश्विन प्रसाद कहते हैं कि अमेरिका के दृष्टिकोण से देखें तो यह नियम मुख्य रूप से चीन को लक्षित करता है, जबकि भारत को लेकर वह अपेक्षाकृत उदासीन है। अमेरिका का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चीन उन्नत एआई मॉडल्स और कंप्यूटर संसाधनों तक पहुंच न बना सके, और इसलिए उसे टायर-3 में रखा गया है जो सबसे प्रतिबंधित श्रेणी है।
भारत के मामले में, अमेरिका यह समझता है कि भारत अभी वैश्विक AI सप्लाई चेन में कोई अपूरणीय भूमिका नहीं निभा रहा है। इसी वजह से अमेरिका ने भारत को टायर-1 में शामिल करने की आवश्यकता नहीं समझी।
यह सच है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी और हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बावजूद भारत की मौजूदा एआई तकनीकी क्षमताएं इतनी मजबूत नहीं हैं कि अमेरिका उसे टायर-1 में प्रमोट करे।
अमेरिका की नीति चीन के खिलाफ प्रतिबंध और नियंत्रण की है, जबकि भारत के प्रति उसका रवैया नरम लेकिन सीमित भरोसे वाला है — जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। यदि भारत को टायर-1 का दर्जा पाना है, तो उसे एआई चिप्स, मॉडल डेवलपमेंट और कंप्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा।
भारत को टियर-2 में रखने से IndiaAI मिशन पर असरभारत की AI और तकनीकी आत्मनिर्भरता एक रणनीतिक आवश्यकता भी है और अवसर भी। यदि भारत कंप्यूटर-निर्भरता को कम करते हुए, वैश्विक साझेदारियों का लाभ उठाए, और नवाचार को प्रोत्साहित करे, तो वह अगले दशक में वैश्विक AI नेतृत्व की दौड़ में मजबूत स्थिति में आ सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि स्टार्टअप फंडिंग, टैक्स बेनिफिट्स, इनोवेशन हब जैसी योजनाओं ने तकनीकी प्रतिभाओं को भारत लौटने के लिए प्रेरित किया है। वहीं स्किल इंडिया और एनईपी जैसे कार्यक्रम भारत को AI इनोवेशन के लिए दीर्घकालिक पूंजी प्रदान करते हैं।
अश्विन प्रसाद कहते हैं कि एआई डिफ्यूजन नियमों के तहत, प्रत्येक अधिकृत भारतीय इकाई 2025 में 1,00,000 GPU तक खरीद सकती है, और आने वाले वर्षों में यह सीमा और बढ़ सकती है। इसलिए, ये नियम "IndiaAI" के 18,000+ GPU आधारित कंप्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लक्ष्य को सीधे प्रभावित नहीं करते।
हालांकि, यह भारत की तकनीकी ताकत या आत्मनिर्भरता में कोई ठोस योगदान नहीं करता। कुछ वर्षों में ये जीपीयू पुराने हो सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या भारत सरकार फिर से इन्हें आयात करने पर निर्भर रहेगी? और अगर भविष्य में एआई डिफ्यूजन नियम और सख्त हो गए तो क्या होगा?
एआई जैसी तकनीक में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना संभव नहीं है, क्योंकि इसकी सप्लाई चेन वैश्विक है। भारत को ऐसे क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए, जिसमें उसकी मौजूदगी इतनी अहम हो जाए कि अगर अमेरिका भविष्य में कोई और निर्यात नियंत्रण नीति बनाए, तो वह भारत को नजरअंदाज न कर सके।
एआई फ्रंटियर में रह सकता है पीछेदीपक शर्मा कहते हैं कि IndiaAI मिशन के तहत 10,000-30,000 GPU की व्यवस्था की जानी है। NVIDIA H100 जैसे हाई-एंड चिप्स पर पाबंदी से गुजरात स्थित योट्टा जैसे डेटा सेंटर प्रभावित हो सकते हैं, जिससे हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर जैसे सेक्टर्स में बड़े AI मॉडल ट्रेन करना मुश्किल होगा। 24 मार्च 2025 की चर्चाओं में सामने आया कि वैश्विक चिप संकट और अमेरिकी नियंत्रण पहले से ही भारत के आईटी सेक्टर को प्रभावित कर रहे हैं। पर्याप्त जीपीयू नहीं मिले तो भारत फ्रंटियर एआई में पीछे रह सकता है।
इनोवेशन और स्टार्टअप पर पड़ सकता है असरदीपक शर्मा बताते हैं कि सीमित चिप एक्सेस के कारण बड़े मॉडल पर आधारित समाधान (जैसे भाषाई जनरेटिव एआई, स्मार्ट कृषि समाधान) धीमे पड़ सकते हैं। उन्नत मॉडल पर ट्रेनिंग में बाधा आ सकती है। हार्डवेयर की कमी के चलते स्टार्टअप्स वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं। गवर्नेंस पर असर नहीं, लेकिन आयात निर्भरता पर नीति बनानी पड़ेगी।
भारत को क्या करना चाहिए?घरेलू चिप निर्माण को गति देना
दीपक शर्मा कहते हैं कि टाटा की गुजरात फैब (2026-27 तक शुरू), CDAC के वेगा चिप जैसे स्वदेशी प्रयास करने होंगे। इससे लंबे अंतराल में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। हालांकि इसमें 3 से 5 साल का समय और भारी निवेश लगेगा। वहीं वैकल्पिक चिप आपूर्तिकर्ता खोजना भी आवश्यक है जैसे कि जापान की कियोक्सिया, ताइवान की मीडिया टेक, चीन की हुआवेई एसेंड। इसके अलावा क्षेत्रीय गठजोड़ को भी मजबूत करना होगा। जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे टियर-1 देशों से मॉडल सह-विकास, GPU साझेदारी बढ़ानी होगी।
ओपन-सोर्स AI मॉडल को अपनानाLlama 3.1, BhashaAI जैसे मॉडल अपनाने होंगे। स्टार्टअप्स को कम कंप्यूटर में मॉडल ऑप्टिमाइज़ करने के लिए फंडिंग देनी होगी। अमेरिकी पाबंदियों से बचते हुए नवाचार संभव करने होंगे। सॉफ्टवेयर में भारत की ताकत से तत्काल लाभ होगा।
वैलिडेटेड एंड-यूज़र स्टेटस पानारिलायंस, इंफोसिस जैसी कंपनियां इस स्टेटस से 2 साल में 3.2 लाख GPU तक पा सकती हैं। अमेरिका के नियमों के अंदर रहते हुए चिप्स की पहुंच संभव हो सकेगी।
कंप्यूटर एफिशिएंसी को प्राथमिकता देनादीपक शर्मा मानते हैं कि मॉडल प्रूनिंग, क्वांटाइज़ेशन, फेडरेटेड लर्निंग जैसी तकनीकें अपनाना होगी। इससे कम GPU में बेहतर आउटपुट, ऊर्जा की बचत, टिकाऊ एआई संभव हो सकेगी। 10,000 AI प्रोफेशनल्स को ट्रेन करने का लक्ष्य रखना होगा। भारतीय भाषाओं में डेटा सेट तैयार करना होगा।
एआई में आत्मनिर्भर बनने के लिए चीन से लेना होगा सबकभारत की महत्वाकांक्षा है कि वह एआई में आत्मनिर्भर बने, जो अमेरिकी एआई डिफ्यूजन नियमों के तहत "टियर 2" दर्जे से प्रभावित है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत, चीन जैसे "टियर 3" देश से बहुत कुछ सीख सकता है। इस बारे में दीपक शर्मा कहते हैं कि 2019 के अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, चीन ने तेजी से एआई हार्डवेयर और मॉडलों में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए। हालांकि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा, आर्थिक सीमाएं और वैश्विक गठजोड़ अलग हैं, फिर भी चीन की रणनीतियां "IndiaAI Mission" के लिए व्यावहारिक सबक प्रदान करती हैं। भारत और चीन के बीच सहयोग की संभावना है, लेकिन भूराजनीतिक जटिलताओं के चलते वह सीमित है।
एआई चिप्स कर सकते हैं आयातअश्विन प्रसाद कहते हैं कि एआई डिफ्यूजन नियमों के तहत, भारतीय स्टार्टअप्स और उद्योग अपने लिए आवश्यक एआई चिप्स का आयात कर सकते हैं। इसमें कुछ नौकरशाही प्रक्रियाएं जरूर हैं, लेकिन पहले की तुलना में अब ये नियम अधिक स्पष्ट और व्यवस्थित हैं। पहले ये नियम मनमाने तरीके से लागू होते थे।
हालांकि, इन नियमों में एक सख्त सीमा तय है कि कोई भी भारतीय कंपनी कितनी एआई चिप्स खरीद सकती है, लेकिन यह सीमा इतनी ऊंची है कि निकट भविष्य में कोई भी भारतीय डेटा सेंटर उस सीमा तक नहीं पहुंचेगा। फिर भी, यह एक स्पष्ट संकेत है कि जब तक भारत के पास अपनी तकनीकी शक्ति नहीं होगी, तब तक कोई भी विदेशी देश भारत की तकनीकी पहुंच को नियंत्रित कर सकता है। यह रचनात्मक असुरक्षा ही भारत में तकनीकी शक्ति को विकसित करने की नीति और सोच को प्रेरित करेगी।
तकनीकी शक्ति का अर्थ केवल आत्मनिर्भरता नहीं है। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि भारत किसी भी माध्यम से व्यापार, कूटनीति या साझेदारी के जरिए वह तकनीक प्राप्त कर सके जो उसे चाहिए।
चीन से सीखी जा सकने वाली प्रमुख बातें
1. हार्डवेयर में सरकारी निवेश
चीन का तरीका:
दीपक शर्मा बताते हैं कि चीन ने हर साल लगभग 400 अरब डॉलर R&D में निवेश कर एसएमआईसी और हुआवेई जैसी कंपनियों को आगे बढ़ाया। 'मेड इन चाइना 2025' जैसी योजनाओं ने हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को प्राथमिकता दी।
भारत के लिए सबक:₹2,000 करोड़ के "IndiaAI कंप्यूटर बजट" को और बढ़ाना होगा। टाटा का गुजरात फैब (2026-27) और सी-डैक की "वेगा" चिप को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। भारत के निजी क्षेत्र आधारित मॉडल को सरकार-निजी साझेदारी के रूप में मज़बूत करना होगा।
2. घरेलू AI इकोसिस्टम का निर्माणचीन का तरीका:
पैडलपैडल हॉरमोनीओएस और डीपसीक जैसे टूल्स ने चीन को टेंसरफ्लो, CUDA जैसे पश्चिमी प्लेटफॉर्म से कम निर्भर बनाया।
भारत के लिए सबक:BhashaAI जैसे प्लेटफॉर्म को एग्रीटेक, हेल्थटेक जैसे स्थानीय क्षेत्रों के लिए विकसित किया जा सकता है। भारत की वैश्विक सॉफ्टवेयर साख चीन से बेहतर है, जो विदेशी भागीदारों को आकर्षित कर सकती है।
3. प्रतिभा प्रतिधारण और अनुसंधान पर ध्यानचीन का तरीका:
हर साल 4.7 मिलियन स्टेम ग्रेजुएट्स तैयार कर, सरकार ने उन्हें स्थानीय कंपनियों से जोड़ा।
भारत के लिए सबक:IndiaAI द्वारा 10,000 विशेषज्ञ तैयार करने का लक्ष्य तभी सफल होगा जब स्टार्टअप अनुदान, टैक्स में छूट और प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की जाएं ताकि टैलेंट देश में रहे।
4. संसाधनों का रचनात्मक उपयोगचीन का तरीका:
तीसरे देशों के जरिए चिप्स की ट्रांसशिपमेंट, ओपन-सोर्स टूल्स का उपयोग आदि तरीकों से चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों को मात देने की कोशिश की।
भारत के लिए सबक:"टियर 2" होने के नाते भारत 320,000 GPU तक वैध रूप से उपयोग कर सकता है। चीन की तरह हाइब्रिड क्लाउड और रीजनल कंप्यूटर शेयरिंग जैसे मॉडल अपनाए जा सकते हैं।
रणनीतिक सिफारिशें
हाइब्रिड आत्मनिर्भरता:
दीपक शर्मा कहते हैं कि भारत को चीन जैसे हार्डवेयर निवेश और भारत की सॉफ्टवेयर ताकत को मिलाकर काम करना चाहिए। ₹5,000 करोड़ अतिरिक्त बजट फेब्स और लोकल फ्रेमवर्क्स पर लगाया जाए।
ऑस्ट्रेलिया के साथ भागीदारी बढ़ाना अहमअश्विन प्रसाद कहते हैं कि चीन ने शिक्षा और शोध अवसंरचना जैसे बुनियादी तत्वों पर ध्यान केंद्रित करके अपनी घरेलू क्षमताएं विकसित की हैं। पिछले कुछ दशकों में, चीन ने अपने देश में एक ऐसा अनुसंधान और नवाचार इकोसिस्टम तैयार किया है, जिससे डीपसीक जैसे बड़े भाषा मॉडल विकसित किए जा सके।
चीन अब भी एआई में पूर्ण आत्मनिर्भरता से दूर है, लेकिन उसने अमेरिका के निर्यात नियंत्रण के बावजूद एक ऐसा इकोसिस्टम खड़ा कर लिया है जिससे वह नवाचार कर पा रहा है और आगे बढ़ भी रहा है। अगर भारत भविष्य में तकनीकी प्रगति की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता, तो उसे भी ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना होगा।
जहां तक सहयोग की बात है, सवाल यह है कि क्या मौजूदा आर्थिक प्रतिस्पर्धा के माहौल में दोनों देश सचमुच मिलकर काम करना चाहते हैं? एक ओर चीन भारत की टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग में प्रगति को रोकने के प्रयास कर रहा है, तो दूसरी ओर भारत सरकार भी चीनी निवेशों को हतोत्साहित कर रही है।
भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ सहयोग करना ज्यादा लाभकारी हो सकता है, जिनकी एआई क्षमताएं भारत के समान स्तर पर हैं और जिनके साथ भू-राजनीतिक संबंध भी अनुकूल हैं।
वैश्विक गठजोड़
अमेरिका, जापान, ताइवान जैसे देशों के साथ प्राथमिकता में साझेदारी रखी जाए। दीपक शर्मा कहते हैं कि BRICS जैसे मंचों पर चीन से सीमित सहयोग किया जा सकता है जैसे ओपन-सोर्स मॉडल पर ज्ञान साझा करना। टाटा का फेब प्रोजेक्ट और 10,000 GPU लक्ष्य को तेजी से पूरा करने के लिए पीएलआई स्कीम को और मजबूत किया जाए।
अमेरिका और चीन के बीच अधिक अलगाव देखने को मिलेगाअश्विन प्रसाद का कहना है कि निर्यात नियंत्रण और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण अमेरिका और चीन के बीच अधिक डिकप्लिंग (अलगाव) देखने को मिलेगा। इसका असर यह होगा कि दोनों देशों में तकनीक से जुड़े मानक, नियम और उसके संचालन के तरीके भी अलग हो जाएंगे। यह देखना बाकी है कि अन्य देश अमेरिका या चीन में से किसके साथ गठबंधन करना पसंद करेंगे। लेकिन भारी आर्थिक प्रभावों को देखते हुए, कुछ हद तक झुकाव के बावजूद, देश एआई में भारी निवेश करते रहेंगे और जहां तक संभव हो पूर्ण निर्भरता से बचने की कोशिश करेंगे। यह बात भारत के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है, क्योंकि भारत रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखना चाहता है।
Waqf Law: वक्फ कानून पर लग सकती है रोक? सुप्रीम कोर्ट कर रहा विचार, केंद्र ने अदालत से मांगा समय
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने वक्फ कानून के विरोध में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक लगाने पर विचार किया, लेकिन केंद्र द्वारा समय मांगे जाने के बाद अंतिम समय में इसे टाल दिया गया।
अब सुप्रीम कोर्ट में कल दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई होगी और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार किया जाएगा। बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कल सुनवाई की मांग की थी।
केंद्र सरकार से पूछे सवालबता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। वहीं इसके विरोध में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए। सुप्रीम कोर्ट ने इन हिंसक प्रदर्शनों पर चिंता जताई है।
शीर्ष अदालत ने वक्फ बाय यूजर पर भी केंद्र सरकार से सवाल किए। अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों पास बिक्री विलेख नहीं होंगे, तो उनका रजिस्ट्रेशन कैसे किया जाएगा।
अदालत में कल होगी सुनवाई- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से दलील पेश करते हुए कहा कि अगर किसी भूमि की जांच कलेक्टर कर रहा हो, तो कानून ऐसा नहीं कहता कि उसका उपयोग बंद हो जाएगा। केवल निर्णय तक उसे लाभ नहीं मिलेगा।
- सभी की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कानून के कुछ हिस्से पर अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार किया, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कल सुनवाई करने की मांग की। इसके बाद आदेश जारी नहीं किया गया।
यह भी पढ़ें: 'सैंकड़ों साल पुरानी मस्जिदों...' सिब्बल-सिंघवी की दलीलों पर क्या बोले CJI? पढ़ें सुनवाई डे-1 में क्या-क्या हुआ?
'सरकार कैसे तय करेगी मैं मुस्लिम हूं या नहीं', वक्फ कानून के खिलाफ सिब्बल ने रखी SC में दलील
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ संशोधित कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई है। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में दायर 70 याचिकाओं पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में मौजूद थे।
कपिल सिब्बल ने दी ये दलीलवक्फ कानून को रद करने के पक्ष में दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में उत्तराधिकारी मृत्यु के बाद मिलता है। कपिल सिब्बल ने नए कानून के उस बदलाव पर आपत्ति जताई है, जिसमें कहा गया कि वक्फ को संपत्ति दान करने के लिए जरूरी है कि वह व्यक्ति कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
सरकार वक्फ कानून के जरिए पहले ही हस्तक्षेप कर रही है। सिब्बल ने कहा कि धारा 3(सी) के तहत वक्फ के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को अधिनियम के लागू होने के बाद वक्फ नहीं माना जाएगा।
संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया-सीजेआई- सिब्बल की दलील पर सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 जो कि धर्मनिरपेक्षता का हवाला देता है जो सभी समुदायों पर लागू होता है। हिंदुओं के लिए राज्य ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है।
- कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार में कोई ये बताने वाला कौन होता है कि इस्लाम धर्म में विरासत किसके पास जाएगी। सरकार कैसे तय करेगी मैं मुस्लिम हूं या नहीं
- इस पर सिब्बल ने कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?
- तो सीजेआई ने कहा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता है कि अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति को अनुमति के बिना हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है? सिब्बल ने दावा किया कि मेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि आपस में मत उलझिए। संपत्तियां धर्मनिरपेक्ष हो सकती है। केवल संपत्ति का प्रशासन ही इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। बार-बार यह मत कहिए कि यह आवश्यक धार्मिक प्रथा है।
नए वक्फ कानून का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि धारा 9 पर नजर डालिए। इसमें कुल 22 सदस्य है जिसमें 10 मुसलमान होंगे।
इस पर सीजेआई ने कहा कि दूसरे प्रावधान को देखिए। क्या इसका मतलब यह है कि पूर्व अधिकारी को छोड़कर केवल दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे।
दलील को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल 1995 के तहत, सभी नामांकित व्यक्ति मुस्लिम थे। मेरे पास चार्ट है। लेकिन नए कानून के प्रावधान तो सीधा उल्लंघन है।
सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद सहित सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे। इस पर सिब्बल ने दलील दी किमेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है। तो सीजेआई ने पूछा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमे प्रावधान हो कि अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति बिना अनुमति के हस्तांतरित नहीं की जा सकती?
सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया जाता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा, आपको इस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।
कौन कर रहा है वक्फ कानून रद करने की मांग? SC में आज होगी बड़ी सुनवाई, 10 प्वाइंट में समझिए पूरा घटनाक्रम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच दोपहर 2 बजे से वक्फ बोर्ड के खिलाफ और समर्थन में दायर याचिकाओं पर दलीलें सुनेगी।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के पास 10 याचिकाएं लिस्ट की गई है। लेकिन धार्मिक संस्थाओं, सांसदों, राजनीतिक दलों, राज्यों को मिलाकर वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। आईए जानते हैं वक्फ कानून को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ...
- संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की थी।
- हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम समेत 7 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी जानी चाहिए।
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ जिन 10 याचिकाओं की सुनवाई करेगी, उन्हें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रेटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने दायर किया है।
- कुछ याचिकाओं में इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। कुछ याचिकाओं में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसे मनमाना और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण भी बताया गया है।
- अपनी याचिका में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संशोधित कानून वक्फ को दी गई सुरक्षा को खत्म कर देता है। उन्होंने दावा किया है कि वक्फ संपत्तियों को दी गई सुरक्षा को कम करना और अन्य धर्मों के लिए इसे बरकरार रखना भेदभावपूर्ण है।
- आप के अमानतुल्ला खान ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और इसका धार्मिक संपत्ति प्रशासन के उद्देश्य से कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है।
- सरकार ने कहा है कि यह विधेयक संपत्ति और उसके प्रबंधन के बारे में है, धर्म के बारे में नहीं। सरकार ने कहा है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं और उनकी आय से गरीब मुसलमानों या महिलाओं और बच्चों को कोई मदद नहीं मिलती है, जिसे संशोधित कानून ठीक कर देगा।
- साथ ही, इस विधेयक को लोगों के एक बड़े वर्ग से सलाह-मशविरा करने के बाद तैयार किया गया है और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन भी प्राप्त है। सरकार ने दावा किया है कि यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति की जांच से गुजरा है और सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को इसमें शामिल किया गया है।
- वक्फ कानून और उससे पहले विधेयक के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इनमें से सबसे खराब प्रदर्शन बंगाल में हुआ, जहां विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग बेघर हो गए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार संशोधित वक्फ कानून को लागू नहीं करेगी।
Waqf Law 2025: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर अहम सुनवाई आज, याचिका दायर कर एक्ट रद करने की मांग
दिल्ली-NCR में अगले तीन दिन चलेगी लू, कहीं भीषण गर्मी तो कहीं बारिश; UP-राजस्थान समेत इन राज्यों में मौसम बदलेगा रंग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली समेत देशभर के मौसम का मिजाज एक बार फिर बदलने जा रहा है। मौसम विभाग ने देश के विभिन्न राज्यों के मौसम को लेकर लेटेस्ट अपडेट जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि आज देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम बदला हुआ रहेगा।
उत्तर भारत में गर्मी और लू की स्थिति बनी रहेगी, जबकि दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। मध्य भारत और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में गरज-चमक के साथ छिटपुट बारिश हो सकती है।
दिल्ली में आज कैसा रहेगा मौसम?दिल्ली-एनसीआर में 16 अप्रैल यानी आज मौसम गर्म और उमस भरा रहेगा। अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। दिल्ली में शाम होते-होते तेज हवाएं भी चल सकती हैं। इसी के साथ आसमान में बादल छाए रहने की भी संभावना है। हवा में नमी का स्तर मध्यम रहेगा, और हवा की गति 10-20 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
राजस्थान में भी बारिशराजस्थान में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहेगा।बीकानेर, जयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। मौसम विभाग ने 18 अप्रैल तक लू की स्थिति बने रहने की चेतावनी दी है। हालांकि, पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी की संभावना है। मौसम ज्यादातर शुष्क और धूप वाला रहेगा।
उत्तर प्रदेश में भी गर्मी कर रही परेशानयूपी में कुछ जगहों पर आज मौसम साफ और गर्म रहेगा। अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। कानपुर और आगरा में भी तापमान 34-36 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की धुंध की संभावना है। वहीं लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, यूपी में आज से 18 अप्रैल तक हल्की बारिश की संभावना है।
बिहार के कुछ इलाकों में होगी बारिशमहाराष्ट्र के कोंकण, मराठवाड़ा, और विदर्भ क्षेत्रों में 16 अप्रैल को हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। बिहार में मौसम गर्म रहेगा, लेकिन कुछ हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना है। पटना में अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रह सकता है। साथ ही गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, असम और मेघालय में हल्की बारिश की संभावना है।
यह भी पढ़ें: Bihar Weather Today: बिहार के 24 जिलों के लिए टेंशन वाला अलर्ट, मौसम एक बार फिर दिखाएगा रौद्र रूप
Waqf Law 2025: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर अहम सुनवाई आज, याचिका दायर कर एक्ट रद करने की मांग
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अहम सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, पीवी संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौतीसुप्रीम कोर्ट में 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं जिनमें वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। ज्यादातर याचिकाएं कानून के विरोध में हैं, हालांकि कुछ याचिकाओं में कानून का समर्थन भी किया गया है। दो याचिकाएं ऐसी भी हैं जिनमें वक्फ के मूल कानून वक्फ एक्ट 1995 को ही चुनौती देते हुए रद करने की मांग की गई है।
बुधवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि कुछ याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की गई है लेकिन केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है ताकि सुप्रीम कोर्ट एकतरफा सुनवाई करके कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करे। कोर्ट कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष भी सुने।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वालों में ये हैं शामिलसुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वालों में ऑल इंडिया मजलिसे एत्याहादुल मुस्लमीन (एआइएमएएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी , कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, जीमयत उलमा ए हिन्द के प्रेसिडेंट अरशद मदनी, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स हैं।
इसके अलावा राजद सांसद मनोज झा, द्रमुक सांसद ए.राजा, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, इंडियन मुस्लिम लीग, अंजुम कादरी, तैयब खान, एपीसीआर (नागरिक अधिकार संरक्षण संघ), तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान और वाइसआर कांग्रेस पार्टी ने याचिका दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून 2025 का विरोध करते हुए इसे रद करने की मांग की है।
इन राज्यों ने वक्फ कानून का किया समर्थनजबकि सात राज्यों की सरकारों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, असम, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया है। इसके अलावा कुछ याचिकाएं ऐसी भी दाखिल हुई हैं जिनमें वक्फ के मूल कानून को रद करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने कही ये बातसुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उत्तर प्रदेश की रहने वाली पारुल खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वक्फ कानून 1995 को हिंदुओं और गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला बताते हुए रद करने की मांग की है।
इन दोनों याचिकाओं में यह भी मांग की गई है कि कोर्ट घोषित करे कि वक्फ कानून के तहत जारी होने वाले आदेश, निर्देश या अधिसूचनाएं हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू नहीं होंगी।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को खत्म करने की मागवक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में नए संशोधित कानून के प्रविधानों को रद करने की मांग की गई है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि वक्फ संशोधन कानून 2025 संविधान में मिले बराबरी के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिकाओं में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रविधान का भी विरोध किया गया है।
यह भी पढ़ें- वक्फ कानून के खिलाफ इस दिन होगी SC में सुनवाई, केंद्र सरकार ने भी कर दी ये मांग
Muda Land Scam: सिद्दरमैया की बढ़ीं मुश्किलें, मुडा भूमि घोटाले में कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
एएनआई, बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में एक स्पेशल बेंगलुरु कोर्ट ने झटका दे दिया है और उनके खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की जांच में उन्हें दी गई क्लीन चिट को स्वीकार करने के बजाय उसकी गहन जांच जारी रखने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को दिया यह निर्देशजन प्रतिनिधियों के लिए बने विशेष अदालत ने मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस द्वारा प्रस्तुत बी रिपोर्ट पर अपना फैसला टाल दिया, जिसमें सिद्दरमैया को आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को निर्देश दिया कि कोई भी फैसला सुनाए जाने से पहले एक व्यापक अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
याचिका पर अब कोर्ट सात मई को सुनवाई करेगामुडा भूमि घोटाले मामले में कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर बी रिपोर्ट के खिलाफ ईडी द्वारा दायर याचिका पर अब कोर्ट सात मई को सुनवाई करेगा। ईडी और शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने लोकायुक्त पुलिस की क्लीन चिट रिपोर्ट को चुनौती देते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी।
सुनवाई के दौरान जज संतोष गजानन भट ने कहा कि बी रिपोर्ट पर निर्णय तभी लिया जाएगा जब लोकायुक्त पुलिस पूरी जांच रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद कोर्ट ने कार्यवाही स्थगित कर दी और अगली सुनवाई तय कर दी।
इसके साथ ही कोर्ट ने ईडी द्वारा किए गए अनुरोध के बाद लोकायुक्त पुलिस को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति भी दी। इससे पहले, लोकायुक्त पुलिस के मैसूर डिवीजन ने सिद्दरमैया और तीन अन्य के खिलाफ आरोपों की जांच के आधार पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दीजांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। इस मामले में सीएम सिद्दरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के अलावा उनके साले और जमीन के मालिक देवराजू भी आरोपित हैं।
अदालत ने कहा कि जांच केवल चार व्यक्तियों तक सीमित नहीं होनी चाहिएहालांकि, अदालत ने कहा कि जांच केवल चार व्यक्तियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए और पुलिस को इसमें शामिल सभी लोगों की जांच करने और एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
यह भी पढ़ें- ईडी ने मुडा जमीन आवंटन मामले में क्लोजर रिपोर्ट को दी चुनौती, इस केस में सीएम सिद्दरमैया भी आरोपित
Pages
