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पीएम मोदी से मिला दाऊदी बोहरा प्रतिनिधिमंडल, वक्फ कानून का किया स्वागत
पीटीआई, नई दिल्ली। दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने संसद से पारित वक्फ संशोधन का स्वागत किया और इस कानून को पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। इस कानून में इस समुदाय की प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू भी थे मौजूदप्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के दृष्टिकोण में विश्वास जताया। बैठक में उनके साथ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू भी थे। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों के साथ बैठक हुई! हमने बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की।
पीएम मोदी एक्स पर कही ये बातसंवाद के दौरान में दाऊदी बोहरा समुदाय के एक सदस्य ने मोदी को बताया कि वे 1923 से ही वक्फ नियमों से छूट की मांग कर रहे थे। उन्होंने नए कानून के जरिये अल्पसंख्यकों के भीतर अल्पसंख्यकों का खयाल रखने के लिए उनकी सराहना की।
दाऊदी बोहरा शिया मुसलमानों के बीच एक अल्पसंख्यक उपसमूह है। यह समुदाय विश्वभर के 40 से अधिक देशों में बसा है। दुनियाभर में दाऊदी बोहरा समुदाय का मार्गदर्शन उनके नेता अल-दाई-अल-मुतलक द्वारा किया जाता है।
JEE Mains 2025: दूसरे चरण की अंतिम Answer Key अपलोड किया, फिर ढाई घंटे बाद ही NTA ने हटाई
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जेईई मेन की अस्थायी उत्तर कुंजी (प्रोवीजनल आंसर-की) को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि गुरुवार शाम को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से जारी अंतिम उत्तर कुंजी (फाइनल आंसर की) को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
छात्रों का दावा है कि उनकी ओर से अस्थायी उत्तर कुंजी के जिन नौ से दस सवालों के गलत उत्तरों को चैलेंज किया गया था, उनमें से फिजिक्स के सिर्फ दो सवालों को छोड़ दें तो बाकी सभी को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं, अंतिम उत्तर कुंजी में कुछ और सवालों के जवाब गलत दिए गए हैं।
छात्रों का आक्रोश फूटाछात्रों का कहना था कि चैलेंज किए गए सवालों के जवाब के साथ उनकी ओर से पुख्ता तथ्य भी मुहैया कराए गए थे। छात्रों के मुताबिक गुरुवार शाम 6.27 बजे जैसे ही जेईई मेन के दूसरे चरण की अंतिम उत्तर कुंजी जारी हुई छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा। छात्र इंटरनेट मीडिया पर एनटीए पर सवाल खड़ा करने लगे। यह क्रम करीब ढाई घंटे तक चला। इस बीच छात्रों ने अंतिम उत्तर कुंजी में कुछ और गलतियों को सामने रखा व इंटरनेट मीडिया पर इसे फ्लैश करने लगे। यह क्रम चल ही रहा था कि करीब नौ बजे एनटीए ने इसे अपनी वेबसाइट से हटा लिया।
इसके साथ ही जेईई मेन की अंतिम उत्तर कुंजी को लेकर भी और सवाल गहरा गए हैं। छात्रों का कहना है कि यदि ऐसी ही स्थिति रही तो उनके अंतिम रिजल्ट और कटआफ रैंक आदि जारी होने में भी देरी हो सकती है। इस बीच इस पूरे मामले पर एनटीए का पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन देर रात तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
सारा काम-काज आउटसोर्सिंग के भरोसेसूत्रों की मानें तो नीट-यूजी में गड़बड़ी के बाद भी भले ही एनटीए में सुधार के बड़े दावे किए गए हों, लेकिन स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है। एनटीए का प्रश्नपत्र तैयार करने से लेकर परीक्षा कराने तक का सारा काम-काज आउटसोर्सिंग के भरोसे ही है। जब तक इसे बंद नहीं किया जाएगा तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी। गौरतलब है कि जेईई मेन के दूसरे चरण की यह परीक्षा अप्रैल में हुई थी।
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तमिलनाडु के मंदिरों को दान में मिला 1000 किलो सोना, पिघलाकर बनाई गई सोने की छड़; जानिए इस गोल्ड का क्या होता है
पीटीआई, चेन्नई। तमिलनाडु सरकार राज्य के 21 मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए 1,000 किलो से ज्यादा सोने को पिघलाकर 24 कैरेट सोने की छड़ों में बदला गया है और इन्हें बैंकों में जमा कर दिया गया है।
इस निवेश से सरकार को हर साल करीब 17.81 करोड़ रुपये का ब्याज मिल रहा है, जिसका इस्तेमाल मंदिरों के विकास कार्यों में किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि यह सारा सोना मुंबई स्थित सरकारी टकसाल में पिघलाया गया और फिर भारतीय स्टेट बैंक में स्वर्ण निवेश योजना के तहत जमा किया गया।
अरुलमिगु मरिअम्मन मंदिर का ज्यादा योगदानयह सोना वो था जो मंदिरों में चढ़ाया गया, लेकिन इसे किसी भी प्रकार के उपयोग में नहीं लाया गया था। हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग के मंत्री पीके शेखर बाबू द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत नीति नोट में कहा गया है कि निवेश से अर्जित ब्याज का उपयोग संबंधित मंदिरों के विकास के लिए किया जाता है।
इस योजना की निगरानी के लिए राज्य के तीन क्षेत्रों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में तीन समितियां बनाई गई हैं, जो सोने के पिघलाने और निवेश की प्रक्रिया की निगरानी कर रही हैं। अब बात अगर 21 मंदिरों की तरफ से सबसे ज्यादा योगदान की करें तो तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में स्थित अरुलमिगु मरिअम्मन मंदिर, समयपुरम ने इस योजना में सबसे ज्यादा 424.26 किलोग्राम सोने का योगदान दिया।
सोना के बाद राज्य सरकार ने जानकारी दी है कि अब मंदिरों में अप्रयुक्त चांदी की वस्तुओं को भी इसी तरह पिघलाकर शुद्ध चांदी की छड़ों में बदलने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चांदी गलाने वाली कंपनियों की मदद ली जा रही है।
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कब लॉन्च होगा स्टारलिंक? लाइसेंस के लिए भारत पहुंचे मस्क के अधिकारी, पीयूष गोयल से की मुलाकात
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में जल्द से जल्द अपनी सेटेलाइट दूरसंचार सेवा शुरू करने को इच्छुक अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक के समक्ष भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि भारतीयों के डाटा सुरक्षा का मामला महत्वपूर्ण तथ्य है, जिसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
अमेरिका के प्रसिद्ध उद्योगपति और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के कुछ शीर्षस्थ अधिकारी भारत में है। एक दिन पहले उन्होंने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी। इस बैठक में स्टारलिंक की तरफ से आग्रह किया गया था कि भारत में सेटेलाइट आधारित दूरसंचार सेवा शुरू करने के लिए उसे लाइसेंस देने की प्रक्रिया तेज की जाए।
तीन अर्थ स्टेशन लगाने को इच्छुक है कंपनीदूसरी तरफ भारत ने डाटा सुरक्षा का मुद्दा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्टारलिंक अधिकारियों ने सुरक्षा को लेकर आश्वासन दिया है और भारत में अपनी निवेश योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। स्टारलिंक की तरफ से बताया गया है कि वह भारत में अपनी सेवा की शुरुआत के लिए आरंभ में तीन अर्थ स्टेशन लगाने को इच्छुक हैं।
उक्त सूत्रों का कहना है कि अभी कई सारे मुद्दे हैं, जिन पर स्पष्टता नहीं आई है। सरकार अभी सेटेलाइट सेवाओं का देश के दूरसंचार उद्योग पर पड़ने वाले असर की भी अपने स्तर पर अध्ययन कर रही है। भारत का दूरसंचार उद्योग का बाजार बहुत बड़ा है, जो ना सिर्फ देश की सुरक्षा से जुड़ा है बल्कि इसमें करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर रोजगार मिला है। ऐसे में सेटेलाइट दूरसंचार सेवाओं से किस तरह का असर हो सकता है, इसका आकलन किया जा रहा है।
इसी तरह से विदेशी सेटेलाइट दूरसंचार सेवा कंपनी को लेकर सुरक्षा व रक्षा क्षेत्र की एजेंसियों के भी कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब खोजा रहा है। सरकार चाहती है कि स्टारलिंक यहां दी जाने वाली सेवा के लिए पूरा ऑपरेशन स्टेशन यहीं पर स्थापित करे। ताकि घरेलू सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस पर रहे। बताते चलें कि स्टारलिंक ने भारत की रिलायंस समूह की जियो के साथ यहां सेटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने का समझौता किया हुआ है।
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'टेंपल बाय यूजर नहीं तो क्यों हो वक्फ बाय यूजर', SC के वकील विष्णु शंकर जैन ने Waqf संपत्तियों पर उठाए सवाल
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने वक्फ घोषित संपत्तियों (वक्फ बाय यूजर) अवधारणा के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। कहा कि वक्फ बाई यूजर आधार पर अधिग्रहीत संपत्तियों को वापस लेने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
विष्णु शंकर जैन ने कहा, दिल्ली में एक शिव मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया। कहा गया कि भगवान शिव को संरक्षण की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। यदि टेंपल बाई यूजर और चर्च बाई यूजर नहीं है, तो वक्फ बाई यूजर क्यों होना चाहिए? वक्फ बाई यूजर अवधारणा पर रोक लगे। वक्फ बाई यूजर ऐसी संपत्ति होती है जिसे दस्तावेज के बिना भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जाता है।
क्या है वक्फ बाई यूजर के आधार?सरल शब्दों में कहें तो भले ही संपत्ति का दस्तावेज न हो लेकिन वक्फ बाई यूजर के आधार पर उसे वक्फ संपत्ति माना जाता है क्योंकि कई वर्षों से उसका उपयोग वक्फ संपत्ति के तौर पर होता रहा है। जैन ने कहा कि संसद ने दोहराया है कि वे वक्फ संपत्ति घोषित सरकारी संपत्तियों को वापस लिया जाएगा। जैन ने सुझाव दिया कि वक्फ संशोधन कानून से संबंधित सभी मामलों को एक ही हाई कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए तथा छह महीने के भीतर उनकी सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया जाना चाहिए।
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'इमरजेंसी के दौरान सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना रहा', उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका को लेकर और क्या-क्या कहा?
नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संविधान के अनुच्छेदों का मनमानी व्याख्या कर कार्यपालिका की शक्तियों को कमजोर करने की बढ़ती प्रवृति पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने संविधान का अनुच्छेद 142 देश में लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बताया, जिसका इस्तेमाल न्यायपालिका रात-दिन कभी भी कर सकता है।
जस्टिस वर्मा के घर मिली नकदी को लेकर क्या बोले उपराष्ट्रपति?जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के घर मिले नोटों के मामले में अभी तक एफआइआर दर्ज नहीं होने को न्यायाधीशों को खुद को कानून से ऊपर करने का प्रमाण बना लिया। उन्होंने कहा कि आग लगने की घटना के बाद सात दिनों तक बात को दबाए रखा गया। मीडिया में सामने आने पर जले नोटों के फोटो और वीडियो जारी कर पारदर्शिता दिखाने की कोशिश की गई। लेकिन जांच शुरू नहीं हो सकी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी के अधिकार पर सवाल उठाते हुए धनखड़ ने कहा कि कमेटी को जांच करने का क्या अधिकार है। यह समिति कानून सम्मत नहीं है। समिति सिर्फ सिफारिश कर सकती है। जांच करने का अधिकार सिर्फ कार्यपालिका को है और उसकी प्रक्रिया एफआइआर से शुरू होती है। लेकिन कार्यपालिका ऐसा नहीं कर सकती है, क्योंकि न्यायाधीशों ने खुद को सुरक्षित कर लिया है।
'सुप्रीम कोर्ट नहीं तय कर सकती है सीमा'राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने साफ किया कि राष्ट्रपति के लिए सुप्रीम कोर्ट समय सीमा तय नहीं कर सकती है। राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद की गरिमा का ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल के फैसले में राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित कर न्यायापालिका ने कार्यपालिका और विधायिका दोनों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण की सीमा पार कर दी है। उन्होंने साफ किया कि अनुच्छेद 143 का हवाला देकर राष्ट्रपति के लिए समय सीमा नहीं बांधी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करना अलग बात है। राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित करने को अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब न्यायाधीश ही कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम भी करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे न्यायपालिका एक ऐसा सुपर संसद बन जाएगा, जिस पर देश का कोई कानून लागू नहीं होगा। सुपर संसद की तरह काम करने और बिल्कुल जवाबदेही नहीं होने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा, संसद के हर चुनाव में उम्मीदवार को संपत्ति घोषित करनी होती है, लेकिन न्यायाधीशों पर यह अनिवार्यता लागू नहीं होती है।
जगदीप धनखड़ ने आजादी के बाद न्यायपालिका में लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण और खुद को संविधान के असली संरक्षक बताने की प्रवृति पर भी आपत्ति जताई। धनखड़ के अनुसार संविधान की व्याख्या करने का अधिकार पांच जजों की संविधान पीठ को है। लेकिन जब यह व्यवस्था की गई थी, तब केवल आठ न्यायाधीश होते थे। अब 30 है। आठ में से पांच का मतलब है कि व्याख्या बहुमत द्वारा होगी। लेकिन अभी 30 में पांच के छोटे अल्पमत से संविधान की व्याख्या हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना बैठा रहा: जगदीप धनखड़धनखड़ के अनुसार न्यायाधीश केशवानंद भारती केस में 1973 में संविधान के मूल ढांचे की व्याख्या कर खुद को संविधान का असली संरक्षक बताते फिरते हैं। लेकिन उसके दो साल ही आपातकाल की घोषणा कर संविधान प्रदत मूल अधिकारों को छिन लिया गया और सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना बैठा रहा।
धनखड़ ने संसद के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किये गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करने के कानून को निरस्त करने और कोलेजियन प्रणाली द्वारा जजों की नियुक्ति का अधिकार खुद के पास करने को संविधान की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने जजों की नियुक्ति के मामले में संविधान सभा में हुई बहस और उसमें बाबा साहब भीमराव अंबेडेकर के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 124 में सिर्फ मुख्य न्यायाधीश से परामर्श की बात रखी गई थी। लेकिन इसकी मनमानी व्याख्या कर परामर्श को सहमति में परिवर्तित कर दिया गया।
उन्होंने लोकपाल द्वारा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को अधिकार क्षेत्र लेने पर सुप्रीम कोर्ट की त्वरित प्रतिक्रिया और स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी सुनवाई करने पर हैरानी जताई।
उन्होंने कहा कि दूसरे लोकतांत्रिक देशों ने न्यायापालिक के स्वत: संज्ञान लेने की बात नहीं है। उनके अनुसार न्यायपालिका की स्वतंत्रता किसी मामले में जांच और छानबीन के खिलाफ अभेद्य कवच नहीं हो सकता है। अभी तक एफआइआर क्यों नहीं।
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क्या वाकई होते हैं एलियन? पृथ्वी से 8.5 गुना बड़े ग्रह पर मिले जीवन के संकेत; धरती से महज इतना दूर
पीटीआई, नई दिल्ली। सौरमंडल के बाहर जीवन की तलाश कर रहे विज्ञानियों को बड़ी कामयाबी मिली हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि सौरमंडल के बाहर के एक ग्रह पर डाइमिथाइल सल्फाइड और डाइमिथाइल डाइसल्फाइड के निशान मिले हैं, जो धरती पर समुद्री जीवों द्वारा जैव रासायनिक प्रक्रिया के तहत बनते हैं।
यह सौरमंडल के बाहर जीवन का अब तक का सबसे ठोस साक्ष्य है। हालांकि इस संबंध में और अधिक डाटा जुटाने की जरूरत है। के2-18 बी नाम का एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से 8.5 गुना बड़ा है। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष दूर है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से मिला डाटायह के2-18 तारे की परिक्रमा करता है। अध्ययन में ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से मिले डाटा का विश्लेषण किया गया गया है। इस एक्सोप्लैनेट पर डाईमिथाइल सल्फाइड और डाईमिथाइल डाइसल्फाइड के निशान पाए गए, जो पृथ्वी पर समुद्री फाइटोप्लांकटन जैसे सूक्ष्मजीव जैव रासायनिक प्रक्रिया के तहत उत्पादित करते हैं।
यह अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। इसकी स्वतंत्र समीक्षा की जानी है। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित 2023 के अध्ययन में, टीम ने के2-18 के वायुमंडल में कार्बन युक्त गैसों - मीथेन और कार्बन डाईऑक्साइड के साक्ष्य जुटाए थे। इस पर हाइड्रोजन भी प्रचुर मात्रा में मिला था।
मधुसूदन ने कहा, हमें नहीं पता था कि पिछली बार जो संकेत हमने देखा था, वह (डाईमिथाइल सल्फाइड) के कारण था या नहीं, लेकिन इसका संकेत मात्र ही हमारे लिए इतना रोमांचक था कि हमने एक अन्य उपकरण का उपयोग करके जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से इसे दोबारा देखा। इस बार हमने पहले से भिन्न उपकरण का उपयोग किया है तथा प्रकाश की तरंगदैर्घ्य की रेंज भी अलग है।
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'कश्मीर पर पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं', PAK आर्मी चीफ के बयान पर भारत का करारा जवाब
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकवादियों को पोषित और संरक्षित करने वाली पाकिस्तान की आर्मी ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। पाकिस्तान आर्मी के प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भारत और हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की।
वहीं, मुनीर ने कश्मीर राग भी अलापा है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने दावा किया है कि कश्मीर को कोई भी ताकत अलग नहीं कर सकती है।
कश्मीर को लेकर पाक सेना के बयान का भारत ने दिया जवाबमुनीर की इस टिप्पणी पर भारत ने करारा जवाब दिया है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख द्वारा कश्मीर को गले की नस बताने वाली टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "कोई विदेशी चीज किसी के गले की नस में कैसे फंस सकती है? यह भारत का केंद्र शासित प्रदेश है। इसका पाकिस्तान के साथ एकमात्र संबंध उस देश द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्रों को खाली करना है।"
#WATCH | On the comments by Pakistan Army chief terming Kashmir as a jugular vein, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "How can anything foreign be in a jugular vein? This is a union territory of India. Its only relationship with Pakistan is the vacation of illegally occupied… pic.twitter.com/zV9S0OnXhQ
— ANI (@ANI) April 17, 2025 हम हर एंगल में हिंदुओं से अलग हैं: आसिम मुनीरपाकिस्तानी आर्मी चीफ ने कार्यक्रम में आगे कहा कि हमारे पूर्वजों ने सोचा था कि हम हर एंगल में हिंदुओं से अलग है, हमारा रिवाज, हमारा धर्म, हमारी सोच सब इनसे अलग है। हम दो राष्ट्र हैं, एक नहीं। हमने इस देश के लिए बहुत बलिदान दिए है, हमें पता है कि इस देश को बनाने में कितने संघर्षों का सामना करना पड़ा है।
मुनीर ने भारत का नाम न लेते हुए कहा,"क्या पाकिस्तान के दुश्मन ये सोचते हैं कि सिर्फ 1500 आतंकवादी देश की किस्मत बदल देंगे, हम जल्द ही आतंकवादियों की कमर तोड़ देंगे। 1.3 मिलियन की मजबूत भारतीय सेना, अपनी सारी ताकत के साथ,अगर वे हमें डरा नहीं सकते, तो क्या आपको लगता है कि ये आतंकवादी पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं को दबा सकते हैं?
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'कांग्रेस ने किया अपनों को ही गुमराह', नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर राहुल-सोनिया पर बरसे बीजेपी नेता
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड और गुरुग्राम जमीन घोटाले को लेकर भाजपा ने गांधी परिवार को निशाने पर ले रखा है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने नेशनल हेराल्ड मामले पर बिंदुवार प्रकाश डालते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गुमराह किया गया है, असल में उन्हें अपने नेतृत्व के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को अपना एटीएम बना लिया है तो संबित पात्रा ने गांधी परिवार को मॉडर्न डाकू की संज्ञा देते हुए दावा किया कि भ्रष्टाचार करने वाले जेल जाएंगे, जबकि राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राबर्ट वाड्रा को भू माफिया बताया।
केंद्रीय मंत्री का आरोपकेंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित प्लॉट नंबर 5ए की बिल्डिंग में नेशनल हेराल्ड की कभी प्रेस चल ही नहीं रही थी, जबकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से प्रेस चलाने के लिए ही बहुत ही कम दर पर भूमि उपलब्ध कराई गई थी।
कांग्रेस नेताओं ने इन बिल्डिंग का निजी और व्यावसायिक उपयोग किया, कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित पूरे देश को धोखा दिया। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा यह केस फाइल किए जाने पर कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि यह मोदी सरकार की बदले की कार्रवाई है और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। वह थोड़ा आत्ममंथन करें। कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को गुमराह कर रही है।
असल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए। नेशनल हेराल्ड केस 2012-13 के आसपास शुरू हुआ। इस मामले में भाजपा सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था। अनुराग ठाकुर ने कहा कि नेहरू जी से लेकर राहुल गांधी तक सबने नेशनल हेराल्ड को मुद्रामोचक ही समझा। जिस साप्ताहिक का हिमाचल से कोई लेना देना नहीं था उसे विज्ञापन के रूप में हिमाचल सरकार ने करोड़ों के विज्ञापन दिए। यह सब पैसा किसकी जेब में गया।
एक-एक पाई वसूली जाएगी?राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने हरियाणा के शिकोहपुर जमीन घोटाले मामले में राबर्ट वाड्रा और कांग्रेस की संलिप्तता को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ें। अगर किसानों की जमीन छीनी गई है तो उसे वापस दिलाया जाएगा, जनता की गाढ़ी कमाई को जिस नकली गांधी परिवार ने अपनी तिजोरी में भर लिया है, उसकी एक-एक पाई वसूल की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह ऐसा सौदा है, जिसमें चार महीने में 700 प्रतिशत का लाभ हुआ। जब एक अधिकारी ने इस लेन-देन पर सवाल उठाया और इसे गैरकानूनी बताया तो उसके खिलाफ ही कार्रवाई कर दी गई। इसी तरह भाजपा सांसद व प्रवक्ता संबित पात्रा ने नेशनल हेराल्ड मामले की बिंदुवार व्याख्या करते हुए दावा किया कि यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि डकैती है। गांधी परिवार मॉडर्न डाकू है। गरीबों को लूटने वालों को जेल जाना ही पड़ेगा।
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वैवाहिक बंधन में बंधने जा रहे बीजेपी नेता दिलीप घोष, 61 साल की उम्र में रचाएंगे शादी
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। आखिरकार बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष अपने जीवन के 61वें वर्ष में शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं। पूर्व लोकसभा सदस्य और पूर्व विधायक घोष शुक्रवार को अपने न्यू टाउन स्थित आवास पर दुल्हन रिंकू मजूमदार के साथ सात फेरे लेंगे।
रिंकू भाजपा की दक्षिण कोलकताा की सक्रिय नेता और कार्यकर्ता हैं और दोनों की पहली मुलाकात पार्टी के कार्य के दौरान ही हुआ था। दिलीप के करीबी लोगों के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव हार गए थे तो वे काफी उदास थे, तो रिंकू ही पहली व्यक्ति थीं जिन्होंने उन्हें प्रस्ताव दिया था कि वे साथ मिलकर परिवार शुरू करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अब उनके साथ कोई नहीं है। वह दिलीप के साथ रहना चाहती है।
मां के कहने पर शादी के लिए हुए राजीअब तक कुवांरा रहे दिलीप ने पहले तो मना कर दिया था, लेकिन बाद में अपनी मां के आग्रह पर विचार कर सहमत हो गए। क्योंकि, छह महीने पहले भी उन्होंने शादी के बंधन में बंधने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह भी एहसास हुआ कि जीवन का यह चक्र भी पूरा होना चाहिए। तीन अप्रैल को ईडन में केकेआर का आइपीएल मैच देखना व्यावहारिक रूप से एक 'फिक्स डील' थी। उस दिन दिलीप, उनकी भावी पत्नी और भावी ससुराल वाले क्लब हाउस के बॉक्स नंबर 11 में बैठकर खेल देख रहे थे।
'मैं शादी क्यों नहीं कर सकता?'दिलीप की शादी की खबर गुरुवार को मीडिया में फैलनी शुरू हुई। जब सीधे तौर पर पूछा गया तो दिलीप ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि क्यों, क्या मैं शादी नहीं कर सकता? क्या शादी करना अपराध है? दिलीप ने हां या ना नहीं कहा। लेकिन जिस तरह उन्होंने 'हां' नहीं कहा, उसी तरह उन्होंने 'नहीं' भी नहीं कहा। इस खबर की सच्चाई जानने के लिए दिलीप से संपर्क किया गया लेकिन जवाब नहीं दिया। हालांकि, दिलीप के करीबी लोगों का कहना है कि हमेशा की तरह उन्होंने एक 'साहसिक' निर्णय लिया है। पार्टी के एक वर्ग ने उन्हें बधाई भी दी है।
दिलीप और रिंकी शुक्रवार को एक बहुत ही निजी समारोह में विवाह बंधन में बंध जाएंगे। क्योंकि दिलीप दिखावे में विश्वास नहीं रखते। इसलिए आमंत्रित लोगों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। मुख्य रूप से दिलीप और रिंकू के करीबी रिश्तेदारों को ही आमंत्रित किया गया है। रिंकू तलाकशुदा गृहिणी है। एक बेटे की मां है। उनका बेटा सेक्टर पांच में आइटी क्षेत्र में काम करता है। संयोगवश रिंकू का बेटा भी तीन अप्रैल को ईडन गार्डन स्टेडियम के बाक्स में था।
मां के साथ रहते हैं दिलीपदिलीप के करीबी सूत्रों के अनुसार, उनकी मां चाहती थीं कि दिलीप शादी कर लें और परिवार शुरू करें। फिर वह अपनी बहू के साथ कुछ समय बिता सकेंगे। दिलीप की मां उनके साथ रहती है। दिलीप का जीवन राजनीतिक है। आगामी विधानसभा चुनाव में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। भाजपा उन्हें फिर से विधानसभा चुनाव में उतार सकती है। अभियान के लिए उनकी जरूरत होगी।
परिणामस्वरूप, उन्हें पूरे राज्य का भ्रमण करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में, उनकी बुजुर्ग मां की देखभाल करने और उनका साथ देने के लिए किसी रिश्तेदार का होना जरूरी है। इसके अलावा दिलीप की मां को इस बात की भी चिंता है कि उनकी अनुपस्थिति में उनके बेटे 'नाडू' की देखभाल कौन करेगा। दिलीप पिछले साल साठ साल के हो गए थे।
दिलीप की शादी को लेकर तृणमूल नेता ने एक्स पर किया पोस्ट, दी बधाईदिलीप घोष की शादी के संबंध में गुरुवार दोपहर तृणमूल नेता व प्रवक्ता कुणाल घोष ने एक्स पर लगातार दो पोस्ट किए। हालांकि, शुरू में कई लोगों को लगा कि शायद यह महज एक मजाक है, जैसा कि विपक्षी पार्टी के नेता अक्सर करते हैं। हालांकि बाद में कुणाल घोष मामला स्पष्ट कर दिया उन्होंने कहा कि दिलीप घोष कल यानी शुक्रवार को पारिवारिक स्तर पर पंजीकरण कराकर शादी कर रहे हैं। दुल्हन का नाम रिंकू मजूमदार है। वह दक्षिण कोलकाता की भाजपा नेता हैं।
कुणाल घोष ने आज अपने पहले पोस्ट में लिखा कि सूत्रों के मुताबिक क्या राज्य में भाजपा के कोई वरिष्ठ अविवाहित नेता कल शादी करेंगे?' क्या रजिस्ट्री हो रही है? क्या दुल्हन भाजपा कार्यकर्ता है? क्या पार्टी का एक वर्ग नेता का विरोध कर रहा है? किसी भी स्थिति में क्या वह पार्टी की राय को नजरअंदाज कर अपना निर्णय स्वयं लेंगे? अगर शादी कल होती है तो बधाई। यदि आप पार्टी के निषेध को स्वीकार करते हैं, तो यह अलग मामला है। इसके कुछ देर बाद उन्होंने फिर एक्स पर लिखा दिलीप घोष को व्यक्तिगत बधाई। इसमें राजनीति मत ढूंढें।
Bluesmart Cab: ब्लूस्मार्ट इलेक्ट्रिक कैब सर्विस बंद, क्या बेरोजगार होंगे हजारों लोग? कंपनी ने क्यों लिया ये फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक कैब सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी ब्लूस्मार्ट की सर्विस पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु सहित कई शहरों में अब लोग इस कैब सर्विस का यूज नहीं कर सकते। लॉन फ्रॉड मामले में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की कार्रवाई के बाद कंपनी ने अपनी सर्विस को बंद करने का फैसला किया है।
हजारों लोगों की आजीविका पर पड़ेगा असरब्लूस्मार्ट ने बुधवार शाम को बुकिंग लेनी बंद कर दी थी और बृहस्पतिवार को भी बुकिंग बंद रही। कंपनी के इस फैसले से हजारों ड्राइवर्स की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, सर्विस बंद होने की वजह से ग्राहकों को परेशानी भी हो रही है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अपनी परेशानी साझा की है।
कंपनी ने बिना कोई कारण बताए ग्राहकों को भेजे ईमेल में कहा, "हमने ब्लूस्मार्ट ऐप पर बुकिंग अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है।"
बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में सेबी ने दो भाइयों अनमोल और पुनीत जग्गी को शेयर बाजार से प्रतिबंधित करके उनकी सूचीबद्ध अक्षय ऊर्जा कंपनी जेनसोल की फोरेंसिक जांच का आदेश दिया था।
यूजर्स ने सर्विस बंद होने पर जताई चिंताब्लूस्मार्ट सर्विस बंद होने के बाद एक यूजर ने कमेंट करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,"मुझे ब्लूस्मार्ट बहुत पसंद आया। वॉलेट में मौजूद पैसे से अधिक, मुझे वाहन चालकों की चिंता है, जो इस मामले के निपटने तक बेरोजगार रहेंगे।"
एक अन्य यूजर ने लिखा, "ब्लूस्मार्ट की सर्विस बंद होने से बहुत दुख हो रहा है। यह एकमात्र कैब सेवा थी जो वास्तव में सुरक्षित महसूस होती थी।साफ कारें, सम्मानजनक ड्राइवर। आधी रात में भी इस कैब का सर्विस का इस्तेमाल किया जा सकता था।
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Stray Puppies Killed: दीवार, फर्श और पत्थरों पर पटक पटक कर ले ली जान...सनकी शख्स ने बेजुबान मासूमों को उतारा मौत के घाट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हैदराबाद में एक रिहायशी अपार्टमेंट में पशु क्रूरता का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल एक शख्स ने अपार्टमेंट के बेसमेंट पार्किंग क्षेत्र में दीवार और फर्श पर पटक-पटक कर और पत्थरों से मार कर डॉग के पांच नवजात बच्चों को मार डाला।
चौंकाने वाली बात यह है कि आशीष एक पालतू पशु पालक है और उसने डॉग के बच्चों को तब मारा जब वह अपने डॉग के साथ सैर पर निकला था। निवासियों की शिकायत पर पुलिस मामला दर्ज किया गया है। इंडिस वीबी आवासीय अपार्टमेंट के पार्किंग क्षेत्र से परेशान करने वाली फुटेज में आशीष को अपने डॉग के साथ घूमते हुए दिखाया गया है। डॉग एक नवजात डॉग के बच्चे के पास जाता है।
डॉग के बच्चे को फर्श पर पटकाआशीष फिर उस छोटे से डॉग के बच्चे को उठाता है और उसे फर्श पर पटक देता है। फिर वह अपने घुटनों के बल बैठ जाता है, मानो यह जांच रहा हो कि डॉग का बच्चा ज़िंदा है या नहीं। फिर आशीष डॉग के बच्चे को अपने पैरों के नीचे कुचल देता है।
पांचों डॉग के बच्चे पार्किंग में मृत पाए गए और उन पर गंभीर चोटों के निशान थे। जब आशीष से पूछताछ की गई तो उसने शुरू में कहा कि वह डॉग के बच्चे को "नियंत्रित" करने और उन्हें अपने डॉग के पास आने से रोकने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज में कुछ और ही दिखा। जब पड़ोसियों ने उससे पूछा कि पांच दिन के डॉग के बच्चे क्या नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो उसके पास कोई जवाब नहीं था।
डॉग से परेशान आशीष, बताई अटपटी वजहबाद में, एक वीडियो में आशीष यह स्वीकार करते हुए दिखाई देते हैं कि उन्होंने डॉग के बच्चों को मार डाला। यह पूछे जाने पर क्या उन्होंने डॉग के बच्चे को नुकसान पहुंचाया है, उन्होंने इसका जवाब ना में दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें आवारा कुत्तों से कोई परेशानी है, तो उन्होंने कहा, "कभी-कभी, वे भौंकते हैं और हमला करते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि वे एक पालतू पशु पालक हैं और उनके पास एक डॉग है।
एक वीडियो में, जहां उसके पड़ोसी उससे भिड़ते हुए दिखाई देते हैं, आशीष रोने लगता है। उसकी पत्नी मामले को शांत करने की कोशिश करती हुई दिखाई देती है। एक पड़ोसी को यह कहते हुए सुना जाता है कि "उससे पूछो कि उसने क्या किया है; उसने डॉग के बच्चे को मार दिया है।" उसे वह वीडियो भी दिखाया जाता है जिसमें वह एक डॉग के बच्चे को मारता है। एक पड़ोसी कहता है, "तुम समाज के लिए खतरा हो।"
'मंदी से प्रभावित होगा आईटी सेक्टर', अमेरिका के टैरिफ के बाद बोले HDFC सिक्युरिटीज के एमडी
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध रोज एक नया रूप ले रहा है। इससे दुनियाभर के प्रमुख शेयर बाजारों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। भारत के शेयर बाजार पर भी इसका असर है। इस साल अपनी स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रही देश की प्रमुख शेयर ब्रोकिंग कंपनी एचडीएफसी सिक्युरिटीज के एमडी और सीईओ धीरज रेली का कहना है कि वैश्विक अनिश्चतता का सबसे कम असर भारत पर होगा।
आईटी, फार्मा व कुछ निर्यात संबंधी उद्योग सेक्टरों के अलावा अन्य सेक्टर की कंपनियों की स्थिति बेहतर रहेगी। वह यहां तक मानते हैं कि वर्ष 2025-26 में निवेशकों को बेहतरीन शेयरों में निवेश का बढि़या मौका मिलेगा। हालांकि वह निवेशकों को यह भी सलाह देते हैं कि उन्हें सही तरीके से शोध करके बाजार में प्रवेश करना चाहिए।
टैरिफ का शेयर बाजार पर पड़ेगा असर?दैनिक जागरण के साथ एक विशेष बातचीत में रेली ने कहा कि 'हमारे पास एक स्थिर सरकार है, जीडीपी की वृद्धि दर लगातार अच्छी बनी हुई है, प्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि भी उत्साहजनक है। भारत की जनसंख्या अभी जिस स्तर पर है, उसका भी पूरा लाभ मिलेगा। हमारे पास विकास की ऊंचाई छूने के लिए लंबी रेनवे है। यह भी याद रखिए कि भारत की इकोनमी अमूमन घरेलू मांग पर निर्भर है यानी वैश्विक स्तर पर जो उथल-पुथल अभी हम देख रहे हैं, उसका भारत पर कम असर होगा।'
यह पूछे जाने पर कि टैरिफ वार के आगे बढ़ने के साथ भारतीय शेयर बाजार में किस तरह का बदलाव देख सकते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के दौरान भारतीय कंपनियों के राजस्व में औसतन 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, पिछले साल ग्रोथ कम हुई है। अभी की स्थिति में कुछ कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के शेयर भाव अभी भी ज्यादा प्रतीत होते हैं लेकिन अधिकांश बड़ी पूंजीकरण वाली कंपनियां के शेयर भाव सही हैं।
कहा कि सेक्टरवार देखे तो सीमेंट, रियल एस्टेट, घरेलू उपकरण बनाने वाली कंपनियां ठीक कर रही हैं, लेकिन फार्मा, सूचना प्रौद्योगिक या इस तरह से निर्यात आधारित कंपनियों के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। खासतौर पर आईटी सेक्टर के अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में मंदी से प्रभावित होने का ज्यादा खतरा है। बैंकिंग, वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियां बेहतर स्थिति में है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग उत्पाद बनाने वाली कंपनियां बेहतर करेंगी।
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'शरीयत नहीं, संविधान से चाहिए न्याय', याचिका लेकर SC पहुंचा मुस्लिम शख्स; अदालत ने केंद्र को जारी किया नोटिस
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस विवादास्पद मुद्दे की जांच करने पर सहमति जताई कि क्या मुसलमानों को अपने धर्म को त्यागे बिना उनकी पैतृक संपत्तियों से जुड़े मामलों का निपटान शरीयत के बजाय धर्मनिरपेक्ष भारतीय उत्तराधिकार कानून के तहत किया जा सकता है।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने केरल के त्रिशूर जिले के निवासी नौशाद केके द्वारा दायर याचिका पर गौर किया। इसमें उन्होंने कहा था कि वह अपना धर्म इस्लाम को छोड़े बिना शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानून के तहत अपनी संपत्ति से जुड़े मामलों का निपटान चाहते हैं।
केंद्र और केरल सरकार को नोटिसपीठ ने उनकी याचिका पर केंद्र और केरल सरकार को नोटिस जारी किए और उनसे जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने इस मुद्दे पर लंबित समान मामलों के साथ उनकी याचिका को टैग करने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल में पीठ ने अलप्पुझा की निवासी और एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल की महासचिव सफिया पी.एम. की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसमें कहा गया था कि वह एक नास्तिक मुस्लिम महिला है और शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानूनों के तहत अपनी पैतृक संपत्तियों का निपटान करना चाहती है
2016 में 'कुरान सुन्नत सोसाइटी' द्वारा दायर एक अन्य समान याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट अब तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा।
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क्या है अनुच्छेद 142, क्यों उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने किया इसका जिक्र? बोले- SC के हाथ में 24 घंटे रहती है न्यूक्लियर मिसाइल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए आदेश दिया था कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए। इस फैसले के कुछ रोज बाद ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तल्ख अंदाज में न्यायपालिका को जवाब दिया है।
उन्होंने कहा कि हम ऐसे हालात नहीं बना सकते हैं कि न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दें। इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले अनुच्छेद 142 का जिक्र करते हुए इसे न्यूक्लियर मिसाइल बता दिया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा। यह सवाल नहीं है कि कोई समीक्षा दायर करता है या नहीं। हमने इसके लिए कभी लोकतंत्र से समझौता नहीं किया।"
अदालत 'सुपर संसद' की तरह काम कर रही हैं: उपराष्ट्रपति धनखड़तमिलनाडु राज्य बनाम राज्यपाल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के 8 अप्रैल के फैसले का हवाला देते हुए धनखड़ ने कहा, "इसलिए, हमारे पास न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य (Executive Work) करेंगे, जो सुपर संसद की तरह काम करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम ऐसे हालात तैयार नहीं कर सकते हैं जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वो भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास इकलौता अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। जिन न्यायाधीशों ने वस्तुतः राष्ट्रपति को आदेश जारी किया और एक नजरिया पेश है किया कि यह देश का कानून होगा, वे संविधान की शक्ति को भूल गए हैं।"
"न्यायाधीशों का वह समूह अनुच्छेद 145(3) के तहत किसी चीज़ से कैसे निपट सकता है, अगर इसे संरक्षित किया गया था तो यह आठ में से पांच के लिए था।" जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति
'अनुच्छेद 142 बन गया न्यूक्लियर मिसाइल'उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 145(3) के प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "आठ में से पांच का मतलब है कि व्याख्या बहुमत से होगी। खैर, पांच आठ में बहुमत से अधिक है। लेकिन इसे छोड़ दें। अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है।"
VIDEO | Vice-President of India Jagdeep Dhankhar (@VPIndia) says, "We cannot have a situation where you direct the President of India and on what basis? The only right you have under the Constitution is to interpret the Constitution under Article 145(3). There it has to be five… pic.twitter.com/b6mA4XPfC0
— Press Trust of India (@PTI_News) April 17, 2025 क्या है अनुच्छेद 142?संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट को यह छूट किसी भी मामले में है। अनुच्छेद 142 एक अनूठा प्रावधान है। यह सर्वोच्च न्यायालय को पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करता है। इसका मसौदा, अनुच्छेद 118, संविधान सभा की ओर से बिना किसी बहस के अपनाया गया था।
अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति देता है क्योंकि इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामलों में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक हो।
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Weather Updates: प्रचंड गर्मी से मिलेगी राहत, बदलेगा उत्तर भारत का मौसम; इन राज्यों में होगी झमाझम बारिश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के ज्यादातर राज्यों में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। कई राज्यों में दिन के दौरान तापमान 40 डिग्री पार कर चुका है। लोगों का गर्मी से बुरा हाल है। इसी बीच मौसम विभाग में राहत भरी खबर सुनाई है।
16 अप्रैल को एक नया पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव हो गया है। बंगाल की खाड़ी में भी चक्रवाती स्थितियां बनी हुई हैं। अगले कुछ दिनों में बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बारिश की उम्मीद है। वहीं, आज के मौसम की बात करें तो मौसम विभाग ने राजस्थान में हीटवेव का अलर्ट जारी किया है। हालांकि, राजस्थान में 19 अप्रैल से हीटवेव खत्म होने जा रही है।
उत्तर भारत के राज्यों में बारिश की संभावनाबता दें कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में 20 अप्रैल तक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर रहेगा, जिसकी वजह से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अगले तीन दिनों तक यानी 18 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल तक बारिश की संभावना है।
17 और 18 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में बारिश, आंधी तूफान की आशंका है। वहीं, अगले कुछ दिनों तक पूर्वोत्तर भारत में जोरदार बारिश की उम्मीद है।
पूर्वोत्तर राज्यों में होगी जोरदार बारिशमौसम विभाग की मानें तो 18 अप्रैल को बंगाल, 17 से लेकर 23 तारीख तक अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में बारिश की उम्मीद जताई जा रही है। बात करें पहाड़ी राज्यों की तो 20 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में और 20, 21 तारीख को उत्तराखंड में बादल बरस सकते हैं।
गौरतलब है कि उत्तर पश्चिमी भारत और मध्य भारत के तापमान में अगले कुछ दिनों तक बदलाव नहीं होने वाले। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित कई राज्यों में अगले पांच दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ने की आशंका है।
बात करें दक्षिण भारत की तो कर्नाटक में जल्द ही प्री मॉनसून एक्टिव होने वाला है। बेंगलुरु में रविवार से लगभग प्रत्येक दिन प्री मॉनसूनी बारिश होने की संभावना है।
वक्फ कानून पर SC से मिलेगी सरकार को राहत या लगेगी रोक? पढ़ें 'सुप्रीम' सुनवाई में अभी तक क्या-क्या हुआ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत में वक्फ कानून को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई, जो करीब 70 मिनट तक चली। इस दौरान वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलें रखीं, वहीं केंद्र सरकार ने भी कानून के बचाव में अपना पक्ष रखा। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार से तीखे सवाल भी किए। आज भी इस मामले पर सुनवाई होने वाली है, फिर तस्वीर साफ हो जाएगी।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तमाम तरह की दलीलें दी गई और तर्क पेश किया गया। बुधवार को सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ, ये जानने से पहले जानते हैं कि आखिर क्यों कल सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करने से खुद को रोक लिया? क्यों अंतरिम आदेश से पहले कोर्ट ने सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया?
बुधवार को कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
- वक्फ कानून से जुड़े तीन संसोधनों को लेकर बुधवार को अंतरिम आदेश आ सकता था।
- पहला मुद्दा- वक्फ बाय यूजर संपत्तियों का डिनोटिफेकेशन।
- दूसरा मुद्दा- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना।
- तीसरा मुद्दा- वक्फ प्रोपर्टी के विवाद में कलेक्टर को मिले अधिकार।
- केंद्र सरकार ने अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अपनी दलीलें सुनने की अपील की।
- वक्त की कमी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की सुनवाई आगे बढ़ा दी।
बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ कानून को लेकर करीब 70 मिनट तक सुनवाई चली। इससे एक बात साफ हो गई कि इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करेगा। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिर अंतरिम आदेश में क्या होगा। क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून पर रोक लगाएगा?
CJI ने केंद्र से पूछे तीखे सवाल
वक्फ कानून को लेकर 70 मिनट तक हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए। इससे तस्वीर थोड़ी साफ हो गई है कि आज सुनवाई के बाद वक्फ कानून के तीन संसाधनों को लेकर कोर्ट का अंतरिम आदेश आ जाए।
वक्फ कानून को लेकर क्या-क्या दलीलें दी गई?
बुधवार को सुनवाई के दौरान सबसे पहले कपिल सिब्बल ने कहा, "ये इतना आसान नहीं है, वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है, अब ये तीन सौ साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे, यहां समस्या है।" इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "वक्फ बाय यूजर क्यों हटाया गया, कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर्ड किया जाएगा।"
अदालत ने आगे कहा, "ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम ये जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ सही वक्फ संपत्तियां हैं। इगर इसे खत्म करेंगे तो समस्या होगी।"
सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर्ड है तो वह वक्फ की संपत्ति ही रहेगी। किसी को रजिस्ट्रेशन से रोका नहीं गया है। 1923 में जो पहला कानून आया था उसमें भी सपत्ति का पंजिकरण अनिवार्य था। 1954, 1995 में भी अनिवार्य था। 2013 में बदलाव किया गया, उसमें भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल
- पहला सवाल- अगर कोई संपत्ति बाय यूजर है और वो रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका क्या होगा?
- दूसरा सवाल- संपत्ति का विवाद में होने का मतलब क्या है?
- तीसरा सवाल- ब्रिटिश के पहले रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था, ऐसे में क्या होगा?
- चौथा सवाल- अगर कोई संपत्ति वक्फ बाय यूजर है तो उस स्थिति में क्या होगा?
कोर्ट के सवालों का केंद्र सरकार ने दिया जवाब
- पहला जवाब- कलेक्टर उसकी जांच करेगा और पता चलता है कि वो सरकारी संपत्ति है तो रेवेन्यू रिकॉर्ड में उसे सही किया जाएगा।
- दूसरा जवाब- अगर किसी को कलेक्टर के फैसले से समस्या है तो वो ट्रिब्यूनल में जा सकता है।
आज भी जारी रहेगी सुनवाई
बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए गए। कोर्ट ने नए कानून के तहत कलेक्टर को दिए गए अधिकारों को लेकर भी सवाल खड़े किए। अब आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या अंतरिम आदेश जारी करता है।
Waqf Law: आज भी वक्फ कानून पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, अंतरिम आदेश पर टिकी देश की नजरें
Waqf Law: आज भी वक्फ कानून पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, अंतरिम आदेश पर टिकी देश की नजरें
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन कानून, 2025 के कुछ प्रविधानों पर रोक लगा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित संपत्तियों (वक्फ बाई यूजर) को गैर अधिसूचित (डीनोटीफाइ) नहीं किए जाने का अंतरिम आदेश जारी देने के बारे में सोच रहा है।
अंतरिम आदेश दे सकता है सुप्रीम कोर्टकोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद व वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने और वक्फ संपत्तियों के बारे में कलेक्टर की शक्तियों पर भी अंतरिम आदेश पारित करने की मंशा जताई। लेकिन केंद्र सरकार के विरोध और पहले इन मुद्दों पर उसकी दलीलें सुने जाने के अनुरोध पर कोर्ट ने बगैर कोई आदेश जारी किए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी।
कानून का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनेगा सुप्रीम कोर्टअब कोर्ट गुरुवार को केंद्र सरकार और कानून का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनेगा। उसके बाद ही तय होगा कि इस मामले में कोई अंतरिम आदेश आएगा कि नहीं। बुधवार को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों से कई सवाल किए।
याचिकाकर्ताओं के वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किए जाने के विरोध पर सवाल उठाया, तो केंद्र सरकार से वक्फ बाई यूजर वाली वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने पर प्रश्न किया।
वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने पर उठाए सवालकेंद्रीय वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रविधान पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किए तो वहीं मुस्लिम याचिकाकर्ताओं द्वारा अनुच्छेद 26 की दुहाई देकर वक्फ अल औलाद के बारे में नए कानून के विरोध पर कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून की याद दिलाई। कहा कि यह अनुच्छेद संसद को कानून बनाने से नहीं रोकता। यह सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।
क्या हिंदू धर्मार्थ ट्रस्ट में मुस्लिमों को शामिल करेंगे?कोर्ट ने केंद्रीय काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को लेकर पूछा कि क्या हिंदू धर्मार्थ ट्रस्ट में मुस्लिमों को शामिल करेंगे? खुल कर बताइये। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालतों द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे वक्फ बाई यूजर हों या वक्फ बाई डीड।
पीठ ने संशोधित कानून के उस प्रविधान पर रोक लगाने का भी संकेत दिया, जिसमें कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा यह जांच किए जाने तक कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।
केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए- सीजेआईसीजेआइ ने कहा कि पदेन सदस्यों के सिवाय वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए। ''वक्फ बाई यूजर'' से तात्पर्य ऐसी प्रथा से है, जिसमें किसी संपत्ति को धार्मिक या धर्मार्थ बंदोबस्ती (वक्फ) के रूप में मान्यता उसके उपयोग के आधार पर दी जाती है। भले ही मालिक द्वारा वक्फ की कोई औपचारिक, लिखित घोषणा न की गई हो। वहीं, ''वक्फ बाई डीड'' का अभिप्राय उन संपत्तियों को वक्फ मानने से है, जिनको लेकर कानूनी कागज उपलब्ध है।
कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुनेंशुरुआत में कोर्ट इस मामले पर विचार करने के लिए बहुत इच्छुक नजर नहीं आ रहा था। चीफ जस्टिस ने शुरुआत में ही याचिकाकर्ताओं के समक्ष दो सवाल रखे। पहला ये कि क्यों न सारी याचिकाओं को हाई कोर्ट भेज दिया जाए और हाई कोर्ट मामले पर सुनवाई करे? दूसरा सवाल था कि याचिकाकर्ता संक्षेप में बताएं कि उन्होंने कानून को किन आधारों पर चुनौती दी है?
वक्फ कानून का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सीयू सिंह ने पक्ष रखा, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। इस मामले में अभी कोर्ट ने औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर दी थी, ताकि कोर्ट एकतरफा सुनवाई में कोई अंतरिम आदेश न पारित करे। कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुनें।
70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं दाखिलवक्फ कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं। इनमें ज्यादातर में वक्फ संशोधन कानून, 2025 को असंवैधानिक बताते हुए रद करने की मांग की गई है। हालांकि, कुछ याचिकाएं कानून के समर्थन में भी दाखिल हुई हैं। कुछ याचिकाओं में वक्फ कानून, 1995 और वक्फ संशोधन कानून, 2025 दोनों को चुनौती देते हुए रद करने की मांग की गई है।
वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा परेशान करने वालीसुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के प्रति चिंता प्रकट करते हुए इसे परेशान करने वाली घटना बताया है। बुधवार को वक्फ कानून पर जब सुनवाई पूरी हो गई, तो प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि एक चीज बहुत परेशान करने वाली है। यह जो हिंसा हो रही है, यह परेशान करती है।
देश के किसी भी हिस्से में हिंसा नहीं होनी चाहिएसीजेआइ की चिंता से सहमति जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदर्शनकारी सोचते हैं कि इस तरह वह सिस्टम पर दबाव बना लेंगे। लेकिन तभी मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा-कौन दबाव बना रहा है। हमें तो नहीं मालूम। हालांकि कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों ने भी हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि हिंसा नहीं होनी चाहिए।
मुर्शिदाबाद से हिंदुओं का बड़ी संख्या में पलायन हुआसीजेआइ ने यह भी कहा कि कानून में कुछ चीजें अच्छी भी हैं। उसे भी हाईलाइट किया जाना चाहिए, जैसा मेरे साथी न्यायाधीश ने बताया है। सीजेआइ जस्टिस केवी विश्वनाथ की ओर इशारा कर रहे थे, जिन्होंने सुनवाई के दौरान कई बार वक्फ कानून के कुछ अच्छे उपबंधों का जिक्र किया था।
मालूम हो कि बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा हुई थी और कुछ लोगों जान भी गई। इसके बाद मुर्शिदाबाद से हिंदुओं का बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। इसके अलावा बंगाल के भानगढ़ क्षेत्र से भी हिंसा की खबरें आई हैं।
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रॉबर्ट वाड्रा से आज भी पूछताछ करेगी ED, मनी लॉन्ड्रिंग के तीनों मामलों में जल्द आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जांच एजेंसी
पीटीआई, नई दिल्ली। रॉबर्ट वाड्रा के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के तीन अलग-अलग मामलों में ईडी जल्द ही आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जिनकी जांच एजेंसी वर्षों से जांच कर रही है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि आरोपपत्र दाखिल करने के बाद ईडी संबंधित अदालतों से इन पर संज्ञान लेने और मुकदमा शुरू करने का अनुरोध करेगी।
ईडी ने बुधवार को वाड्रा से दूसरे दिन पूछताछ कीइन आरोपपत्रों में ईडी कुछ कंपनियों एवं व्यक्तियों को आरोपित एवं गवाहों के रूप में नामित कर सकती है। गुरुग्राम के शिकोहपुर में भूखंड सौदे में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में ईडी ने बुधवार को वाड्रा से दूसरे दिन पूछताछ की है। दो अन्य मामलों में भी वह पूर्व में उनसे पूछताछ कर चुकी है।
तीसरा मामला बीकानेर में भूमि सौदे से जुड़ाएक अन्य मामला ब्रिटेन निवासी हथियार बिचौलिए संजय भंडारी के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग जांच एवं उसके वाड्रा से संबंधों से जुड़ा है। भंडारी 2016 में लंदन भाग गया था। मनी लॉन्ड्रिंग का तीसरा मामला बीकानेर में भूमि सौदे से जुड़ा है।
इस मामले में ईडी पूर्व में वाड्रा और उनकी मां मौरीन से पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में पाकिस्तान सीमा के नजदीक संवेदनशील इलाके में भूमि आवंटन में कथित जालसाजी का आरोप है।
वाड्रा को जमीन बेचने वाले ने ही दिए थे रजिस्ट्री के पैसेकांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा को जमीन बेचने वाले ने ही रजिस्ट्री के भी पैसे दिए थे। ईडी ने दूसरे दिन लगभग पांच घंटे की पूछताछ में वाड्रा के सामने इसके सुबूत रखे और जवाब मांगा। ईडी के अनुसार रजिस्ट्री के दिन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटालिटी के खाते में महज एक लाख रुपये थे। रजिस्ट्री में कारपोरेशन बैंक की नई दिल्ली शाखा का 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिखाया गया था, उसे कभी भुनाया ही नहीं गया।
वाड्रा से गुरुवार को तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगीवाड्रा से गुरुवार को तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगी। सूत्रों के अनुसार, वाड्रा के पास ईडी द्वारा रखे गए तथ्यों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। ईडी ने वाड्रा को कागज दिखाकर कहा कि जमीन बेचने वाली कंपनी ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज ने खुद ही रजिस्ट्री के लिए 45 लाख रुपये की स्टांप की ड्यूटी क्यों जमा की। दरअसल जिस दिन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटालिटी के नाम जमीन की रजिस्ट्री हुई उस दिन कंपनी के खाते में महज एक लाख रुपये थे।
जमीन की रजिस्ट्री को लेकर गोलमालयही नहीं, जो 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिया गया, वह वाड्रा की दूसरी कंपनी स्काईलाइट रियलिटी का था, जिसके खाते में भी एक लाख रुपये ही थे। ईडी ने वह नई दिल्ली के कॉरपोरेशन बैंक का चेक नंबर(607251) भी वाड्रा को दिखाया।
12 फरवरी, 2008 को जमीन की रजिस्ट्री होने के पांच दिन बाद ही जमीन का भू-उपयोग बदलने का आवेदन लगाया गया था। उसके चार दिन बाद ही हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा ने इसकी अनुमति दे दी थी और संबंधित विभाग ने 3.531 एकड़ जमीन में से 2.7 एकड़ जमीन पर कामर्शियल कालोनी विकसित करने की अनुमति भी दे दी थी।
जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचा गयाउसी के बाद इस जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचा गया। ईडी ने वाड्रा से इसके बारे में विस्तार से पूछताछ की। हैरानी की बात है कि जमीन की रजिस्ट्री होने के छह महीने बाद वाड्रा की कंपनी की ओर से ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज को पैसे दिए गए। लेकिन वह रकम रजिस्ट्री में दिखाई गई कीमत 7.5 करोड़ रुपये के दोगुने से भी ज्यादा थी।
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हवाई यात्री यातायात में बोलेगी भारत की तूती, वृद्धि दर 2026 में चीन छूट जाएगा पीछे
पीटीआई, नई दिल्ली। हवाई अड्डों के समूह एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल काउंसिल (एसीआइ) ने बुधवार को कहा कि भारत 2026 में हवाई यात्री यातायात वृद्धि दर में पड़ोसी देश चीन से आगे निकल जाएगा।
भारत की हवाई यात्री यातायात वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहेगीएसीआइ का अनुमान है कि भारत की हवाई यात्री यातायात वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहेगी। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते नागरिक विमानन बाजारों में एक भारत की हवाई यात्री यातायात वृद्धि दर इस साल 10.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो चीन के लिए निर्धारित 12 प्रतिशत से कम है।
भारत की तुलना में पड़ोसी देश का विमानन बाजार काफी बड़ा है। एसीआइ के एशिया-प्रशांत और मध्य पूर्व के महानिदेशक स्टेफनो बैरोन्सी ने कहा कि भारत एक ऐसा बाजार है जो विकसित हो रहा है और अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की प्रक्रिया में है।
भारत की हवाई यात्री वृद्धि दर 2026 में 10.5 प्रतिशत रहेगीएसीआइ एशिया-प्रशांत और पश्चिमी एशिया के 600 से अधिक एयरपोर्ट का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अनुमानों के अनुसार, भारत की हवाई यात्री वृद्धि दर 2026 में 10.5 प्रतिशत और 2027 में 10.3 प्रतिशत होगी, जबकि चीन की वृद्धि दर क्रमश: 8.9 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत होगी।
चीन का सीएजीआर 3.8 प्रतिशत होगाएसीआइ के अनुसार, 2023-27 के लिए भारत में हवाई यात्री यातायात के लिए चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो चीन के 8.8 प्रतिशत से अधिक है। भारत 2023-2053 की अवधि के लिए 5.5 प्रतिशत सीएजीआर के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार होगा, जबकि चीन का सीएजीआर 3.8 प्रतिशत होगा।
वर्तमान में भारत में 159 एयरपोर्ट काम कर रहे हैंभारतीय विमानन बाजार के लिए उच्च विकास संभावनाओं को दर्शाते हुए, एसीआइ ने कहा कि 2043 में देश की प्रति व्यक्ति वार्षिक यात्राएं 2023 के 0.1 की तुलना में 0.4 होंगी। वर्तमान में भारत में 159 एयरपोर्ट काम कर रहे हैं।
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