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'प्यार' का हवाला और 91 साल के बुजुर्ग को मिल गई जमानत; कोर्ट में गूंजी कविता: पढ़ें पूरा मामला
पीटीआई, कोच्ची। केरल में एक 91 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी 88 साल की पत्नी पर चाकू से हमला किया था। इस मामले में आरोपी थेवन को केरल हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। दरअसल, थेवन की पत्नी कुंजली ने उसकी वफादारी पर शक जताया था, जिससे नाराज होकर बुजुर्ग व्यक्ति ने पत्नी पर हमला कर दिया था।
थेवन पर पत्नी ने क्या आरोप लगाए थे?
थेवन के अनुसार, उसकी पत्नी कुंजली ने उस पर अन्य महिलाओं के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया था। इन आरोपों की वजह से बुजुर्ग व्यक्ति अपमानित और निराशा महसूस कर रहा था। 21 मार्च कों दोनों के बीच काफी ज्यादा लड़ाई हुई, जिसके बाद थेवन ने कुंजली पर चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
इस घटना के बाद आरोपी बुजुर्ग व्यक्ति को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वो न्यायिक हिरासत में था। आरोपी थेवन द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कानूनी तर्कों पर ध्यान दिया और थेवन को जमानत दे दी।
जज ने सुनाया अपना फैसला
न्यायमूर्ति ने 10 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा, "मैं इस पर और कोई चर्चा नहीं करना चाहता। 91 वर्षीय थेवन को बुढ़ापे में अपनी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली के साथ खुशी-खुशी रहने दें।"
91 वर्षीय थेवन को मानक शर्तों के साथ जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि थेवन को पता होना चाहिए कि बुढ़ापे में उसकी एकमात्र ताकत उसकी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली होगी और कुंजली को भी यह सोचना चाहिए कि उसकी एकमात्र ताकत 91 वर्षीय थेवन ही होगा।
कविता के जरिए सुनाया गया फैसला
अदालत ने कहा, "थेवन और कुंजली को पता होना चाहिए कि उम्र प्यार की रोशनी को कम नहीं करती है, बल्कि इसे और चमकदार बनाती है। 88 वर्षीय कुंजली अब भी अपने पति से प्यार करती हैं और यही कारण है कि वह अपने पति पर करीब से नजर रखती हैं।"
न्यायमूर्ति ने फैसला सुनाते हुए कहा, "जैसे-जैसे हमारे रिश्ते को समय होता जाता है, हमारा प्यार और गहरा हो जाता है।" इस दौरान अदालत ने दिवंगत मलयालम कवि एनएन कक्कड़ की एक कविता का जिक्र किया, जो प्यार और शांति को दर्शाती है।
केरल में एक ही परिवार के चार लोग फंदे से लटके मिले, पुलिस कर रही मामले की जांच
बांड्स में गिरावट ‘ट्रंप मेल्टडाउन’ का प्रमुख कारण, राष्ट्रपति से टैरिफ की शक्ति लेने की भी होने लगी थी चर्चा
प्राइम टीम, नई दिल्ली।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते हुए उस दिन को ‘लिबरेशन डे’ यानी मुक्ति दिवस बताया था। आखिर हफ्ते भर में ऐसा क्या हो गया कि 9 अप्रैल को उन्हें अपने इस फैसले को ‘पॉज’ करना पड़ा। उन्होंने चीन के साथ व्यापार युद्ध को तो तेज किया, लेकिन बाकी देशों के खिलाफ मुश्किल से 13 घंटे पहले लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया।
राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोगी टैरिफ बढ़ोतरी स्थगित करने के उनके फैसले को रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लिविट ने अचानक हुए इस नीतिगत बदलाव को मोलभाव की रणनीति का हिस्सा बताने की कोशिश की। व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने ट्वीट किया, “आप इतिहास में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की सबसे बेहतरीन आर्थिक मास्टर रणनीति देख रहे हैं।”
लेकिन बहुत कम लोग इस ‘मास्टरस्ट्रोक’ को स्वीकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप पर हर मिनट दबाव जबरदस्त बढ़ रहा था। यह दबाव कंपनियों के सीईओ, खुद ट्रंप के दोस्त और रिपब्लिकन सीनेटर्स की तरफ से था। यह आशंका बढ़ने लगी कि अमेरिका के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है। अमेरिकी शेयर बाजारों के धराशायी होने के बाद बांड बाजार में भी जब बड़ी गिरावट का दौर शुरू हुआ तो ट्रंप आखिरकार उस दबाव के आगे झुक गए।
बुधवार को टैरिफ नीति में बदलाव की घोषणा करते समय खुद ट्रंप ने स्वीकार किया कि उन्होंने तब फैसला बदलने का निर्णय लिया जब लोग बांड मार्केट को लेकर असहज महसूस करने लगे। उन्होंने कहा, “बिजनेस थोड़ा घबराए हुए, थोड़ा डरे हुए हैं… आपको लचीलापन रखना पड़ता है।”
ट्रंप के यू-टर्न ने वॉल स्ट्रीट में जबरदस्त तेजी ला दी। यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि वह ट्रंप के ‘पॉज’ के साथ तालमेल बिठाते हुए जवाबी टैरिफ 90 दिनों के लिए स्थगित कर रहा है। हालांकि कॉरपोरेट जगत की हस्तियों, निवेशकों और अमेरिका के व्यापारिक साझेदार अब यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि ट्रंप टैरिफ के जरिए आखिर हासिल क्या करना चाह रहे हैं।
ट्रंप के सहयोगी मस्क भी टैरिफ के खिलाफअमेरिका के जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक पॉलिसी में विशिष्ट विजिटिंग स्कॉलर अजय छिब्बर कहते हैं, “ट्रंप ने अपना रुख इसलिए बदला क्योंकि शेयर बाजार में भारी गिरावट आ गई। उनके सबसे महत्वपूर्ण समर्थक एलन मस्क ने भी खुले तौर पर टैरिफ का विरोध किया और ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो को ‘ईंटों का बोरा’ (bag of bricks) कहा।”
छिब्बर के अनुसार, “वॉल स्ट्रीट के शीर्ष एक्जीक्यूटिव टैरिफ के खिलाफ थे। कुछ रिपब्लिकन सीनेटर और सांसद भी राष्ट्रपति से टैरिफ लगाने की शक्ति वापस लेने के लिए कानून बनाने की कोशिश कर रहे थे। जो भी हो, नुकसान हो चुका है क्योंकि ट्रंप के इस आगे-पीछे के रवैये ने भारी अनिश्चितता पैदा कर दी है।”
फैसला बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारणअमेरिकी मीडिया की अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रंप के फैसला बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारण थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि ट्रंप के सलाहकार निजी तौर पर मानते हैं कि असली श्रेय तो बांड बाजार को जाना चाहिए। ट्रंप ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उन्हें डर था कि उनके टैरिफ लगाने का दांव जल्दी ही बड़े आर्थिक संकट में बदल सकता है। बीते दो दशकों आए दो बड़े आर्थिक संकट - 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट और 2020 की महामारी - के विपरीत, यह संकट पूरी तरह एक व्यक्ति के फैसलों का परिणाम होता।
दूसरा कारण है दबाव। वॉशिंगटन पोस्ट तथा अन्य अमेरिकी मीडिया के अनुसार ट्रंप को लगातार फोन आ रहे थे कि देश गंभीर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है। बड़ी कंपनियों के सीईओ इस बात को लेकर काफी चिंतित थे कि टैरिफ से उत्पन्न अस्थिरता अर्थव्यवस्था को मंदी में धकेल सकती है। रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी ट्रंप से अपनी चिंताओं को खुलकर साझा किया। बांड बाजार की स्थिति को लेकर ट्रंप पहले से ही सतर्क थे।
चीन के प्रतिवाद को तीसरा कारण माना जा रहा है। राष्ट्रपति और उनके सलाहकारों ने मीडिया से बातचीत में माना कि चीन द्वारा अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय ट्रंप के लिए एक अवसर बन गया ताकि वे अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने की योजना को स्थगित कर सकें। इससे उन देशों के प्रति मैत्री का संकेत भी गया। इस निर्णय के पीछे ट्रंप की नीति चीन को अलग-थलग करने और बाकी दुनिया को एकजुट करने की थी।
आगे क्या होगा, क्या करे भारतअमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के नेतृत्व में ट्रंप के आर्थिक सलाहकार तमाम देशों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेंगे। यह प्रक्रिया कई महीने चलने की उम्मीद है। हालांकि दोनों मंत्रियों ने कहा है कि हर देश के साथ समझौते पर अंतिम फैसला ट्रंप ही करेंगे।
भारत के लिए छिब्बर की सलाह है, “भारत को चाहिए कि वह अपनी मौजूदा नीति पर ही कायम रहे और अमेरिका के साथ एक बेहतरीन सौदा करने की कोशिश करे। ट्रंप के इस स्थगन से भारत को थोड़ा और समय मिल गया है। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप ने सभी वस्तुओं पर 10% टैरिफ तो लागू कर ही दिया है और चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया है।”
केरल में वकीलों और छात्रों के बीच झड़प, 20 से ज्यादा लोग घायल; पुलिस को देना पड़ा दखल
पीटीआई, कोच्चि। केरल में छात्र संगठन एसएफआई के कार्यकर्ताओं और वकीलों के बीच झड़प हो गई। इसमें 20 लोग से ज्यादा लोग घायल हो गए। घटना एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में जिला बार एसोसिएशन के वार्षिक समारोह के दौरान हुई।
आरोप है कि एसएफआई कार्यकर्ताओं ने बार एसोसिएशन के वार्षिक समारोह में जबरन घुसकर हंगामा किया। पुलिस ने बताया कि इस झड़प में एसएफआई के 16 कार्यकर्ता और 8 वकील घायल हो गए हैं।
कार्यक्रम में घुसकर किया हंगामाबता दें कि एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में जिला बार एसोसिएशन का कार्यक्रम हो रहा था। वकीलों का आरोप है कि महाराजा कॉलेज के कुछ छात्रों ने कार्यक्रम में घुसकर हंगामा किया। हालांकि एसएफआई का कहना है कि वकीलों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
पुलिस ने किसी तरह स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। इस झड़प का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वहीं अब मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। विपक्ष ने इसे लेकर सीपीआई (एम) पर निशाना साधा है।
मामले में राजनीति शुरू- विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने सीपीआई (एम) नेतृत्व से छात्र संगठन पर नियंत्रण करने की मांग की है। सतीशन ने सीपीआई (एम) से छात्र संगठन को राजनीतिक संरक्षण देना बंद करने की अपील की।
- बताया जा रहा है कि एर्नाकुलम जिला बार एसोसिएशन ने आज एक बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी। हालांकि, एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस ने कहा कि अभी तक मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन प्रारंभिक जांच चल रही है।
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'तमिलनाडु की महिलाओं को...', आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर DMK नेता पर बरसी भाजपा, पार्टी ने निकाला बाहर
चेन्नई, पीटीआई। DMK नेता और तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी को शैव और वैष्णववाद पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उठे विवाद के बाद पार्टी के एक महत्वपूर्ण पद से हटा दिया गया। इस टिप्पणी की डीएमके सांसद कनिमोझी सहित कई लोगों ने कड़ी आलोचना की थी।
डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एलान किया कि पोनमुडी को पार्टी के उप महासचिव पद से मुक्त किया जा रहा है। स्टालिन ने एक बयान में यह एलान किया, लेकिन उन्होंने इस कार्रवाई के लिए कोई कारण नहीं बताया। यह कदम मंत्री की कथित रूप से अप्रिय टिप्पणियों के तुरंत बाद उठाया गया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है और विपक्षी भाजपा ने पोनमुडी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।
वीडियो वायरल होने के बाद उठाया कदमएक सेक्स वर्कर के संदर्भ में मंत्री की तरफ से कथित टिप्पणी करने का एक वीडियो वायरल हो गया है। राज्य के वन मंत्री पोनमुडी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भाजपा की तमिलनाडु इकाई के उपाध्यक्ष नारायणन थिरुपथी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'मंत्री पोनमुडी का अपने पद पर बने रहना शर्मनाक है....सीएम स्टालिन, क्या आप पोनमुडी की गिरफ्तारी का आदेश देंगे।
'ऐसे अश्लील शब्द निंदनीय हैं'भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी टिप्पणियों से तमिलनाडु की महिलाओं को बदनाम किया है। कनिमोझी ने अपनी पार्टी की सहयोगी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मंत्री पोनमुडी का हालिया भाषण स्वीकार्य नहीं है।'
उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'उन्होंने जो भी कारण बोला हो, ऐसे अश्लील शब्द निंदनीय हैं।' तिरुपति ने पोनमुडी की आलोचना करने वाली कनिमोझी का स्वागत किया। पोनमुडी ने पहले उत्तर भारतीयों को पानी पुरी बेचने से जोड़कर विवाद खड़ा किया था।
'भारतीय इसी लायक हैं', मुंबई हमलों के बाद डेविड हेडली से बोला था तहव्वुर राणा; अमेरिका ने खोले कई राज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा ने मुंबई हमलों की साजिश रचने में डेविड हेडली के साथ अहम भूमिका निभाई थी।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने बताया है कि हमलों के बाद राणा ने हेडली से बात करते हुए कथित तौर पर कहा था कि भारतीय इसी के लायक हैं। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने कहा कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हमले में मारे गए 6 अमेरिकी और अन्य लोगों के लिए न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।
हेडली ने की थी मुंबई में रेकीतहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह पहले पाकिस्तानी सेना में मेडिकल सहायक था। बाद में वह कनाडा चला गया और वहां स्लॉटर हाउस और लॉ फर्म जैसे कई बिजनेस में हाथ आजमाया। डेविड हेडली उसके बचपन का दोस्त था।
डेविड हेडली ने ही मुंबई में बम धमाकों से पहले भारत आकर कई जगहों पर रेकी की थी। हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है। तहव्वुर राणा ने अपने इमीग्रेशन बिजनेस के लिए मुंबई में ब्रांच ऑफिस खोलने की वजह बताकर हेडली को भारत भेजा था।
वीरता पुरस्कार देने की कही थी बात- डेविड हेडली का असली नाम दाऊद गिलानी है। वह अमेरिका की जेल में 35 साल की सजा काट रहा है। आरोप है कि तहव्वुर राणा ने शिकागो में उससे कई बार मुलाकात की थी। अमेरिकी न्याय विभाग ने एक बयान में कहा कि हेडली के साथ हुई बातचीत में राणा ने कथित तौर पर उन नौ लश्कर आतंकवादियों की प्रशंसा की, जो हमले में मारे गए थे।
- राणा ने कहा था कि उन्हें निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए, जो पाकिस्तान का युद्ध में वीरता के लिए सर्वोच्च पुरस्कार है। यह शहीद सैनिकों को दिया जाता है। बता दें कि हमले के लिए भारत में दाखिल हुए 10 आतंकियों में से 9 को मार गिराया गया था और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था।
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Tahawwur Rana: क्या हाफिज सईद भी लाया जाएगा भारत? तहव्वुर के बाद एजेंसियों को इन आतंकियों की तलाश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) भारत के शिकंजे में आ चुका है। करीब 17 साल पहले मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड राणा को कड़ी सजा मिलने की उम्मीद है। तहव्वुर राणा के भारत आते ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या मुंबई आतंकी हमले का सबसे बड़ा विलेन लश्कर-ए-तैयबा का चीफ हाफिज सईद भारत के शिकंजे में कब फंसेगा?
बीते साल दिसंबर में भारत ने पाकिस्तान से मांग की थी कि वह यूएन में नामित आतंकी सईद को उसे सौंप दे। भारतीय अफसरों ने इसके लिए सईद के मुंबई हमलों समेत आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में उसके भारत में वांछित होने का हवाला दिया था।
भारत करता रहा है हाफिज के प्रत्यर्पण की मांगभारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत सरकार ने आतंकवादी हाफिज सईद को देश लाने के लिए पाकिस्तान से आधिकारिक तौर पर निवेदन किया है। हाफिज सईद को लेकर हम लगातार पाकिस्तान से शिकायत भी कर रहे हैं।
सईद भारत की कई एजेंसियों की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है। हालांकि आतंकियों को पोषित सुरक्षा देने वाले पाकिस्तान ने उसे भारत को सौंपने से इनकार कर दिया।
पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा हाफिज- मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के चीफ को सात आतंकी वित्तपोषण मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद पाकिस्तान ने 78 साल की सजा सुनाई है। हालांकि, वो पाकिस्तान में खुला घूमता है। हाफिज की सजा महज पाकिस्तान का एक दुनिया को दिखावा है।
लश्कर-ए-तैयबा कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी 26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड में से एक है। कुछ महीने पहले खबर सामने आई थी कि लखवी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने उसे अंडरग्राउंड कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता रहा है।
मेजर इकबालआतंकी हमले के मास्टरमाइंड में से एक मेजर इकबाल भी है। हमले से पहले जब डेविड हेडली भारत में था, तो मेजर इकबाल ने ही उसे फंड भेजा था। अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों के अनुसार, इकबाल पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस निदेशालय में सेवारत अधिकारी था।
अब्दुल रहमान हाशिम सैयदआतंकियों की फेहरिस्त में एक नाम अब्दुल रहमान हाशिम सैयद का भी है, जो पाशा के नाम से मशहूर है। वो भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की लिस्ट में शामिल है। वह कथित तौर पर 'कराची प्रोजेक्ट' का मुखिया है, जो स्थानीय भारतीय युवाओं का उपयोग करके बम हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम देने की योजना है।
डेविड हेडलीतहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) की तरह दाऊद सईद गिलानी ऊर्फ डेविड कोलमैन हेडली (David Headley) भी मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है । दोनों बचपन के दोस्त हैं। हेडली फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है। वह एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है। उसका पिता पाकिस्तानी है और मां अमेरिका से ताल्लुक रखती हैं।
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टैरिफ के बाद ट्रंप का 'MAGA' प्लान, अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर एस जयशंकर का बड़ा बयान
एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को 'कार्नेगी ग्लोबल टेक समिट 2025' में भाग लेते हुए दुनिया में बदलते तकनीकी और भू-राजनीतिक हालातों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में अमेरिका की वैश्विक दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है, जिसका असर खासकर तकनीक के क्षेत्र में गहराई से देखा जा सकता है।
जयशंकर ने कहा कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के 'MAGA' (Make America Great Again) एजेंडे और टेक्नोलॉजी के बीच अब स्पष्ट संबंध दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि तकनीक न सिर्फ अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत है बल्कि वैश्विक प्रगति में भी उसका बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा, "टेक्नोलॉजी का अमेरिका को महान बनाने में अहम रोल है, जो बात पहले इतनी साफ नहीं थी, अब वह पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है।"
चीन की प्रगति और यूरोप की बदलती स्थिति पर टिप्पणी
जयशंकर ने यह भी बताया कि अमेरिका के अलावा चीन भी पिछले एक साल में लगातार प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव अचानक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे सामने आया है।
#WATCH | Speaking at the Carnegie India Global Technology Summit, EAM Dr S Jaishankar says, "Our experiences (with respect to US-China relations) are very different. We've actually seen both extremes. For the first few decades after independence- there was very sharp contestation… pic.twitter.com/cXR6nAUYUb
— ANI (@ANI) April 11, 2025उन्होंने यूरोप की स्थिति पर भी विचार साझा करते हुए कहा कि पांच साल पहले यूरोप के पास अमेरिका, रूस और चीन के साथ एक संतुलित संबंध था। लेकिन आज वह त्रिकोणीय संतुलन तनाव में है और हर दिशा से दबाव महसूस हो रहा है। जयशंकर ने कहा,"यह बदलाव नाटकीय भले न लगे, लेकिन यह धीरे-धीरे गहराता जा रहा है और इसका असर वैश्विक संबंधों पर पड़ेगा।"
'T' शब्दों पर जोर: टेक्नोलॉजी और टैरिफ
जयशंकर ने मजाकिया अंदाज में कहा कि इस सम्मेलन में लोग एक खास 'T' शब्द यानी टेक्नोलॉजी पर चर्चा के लिए आए हैं, लेकिन अब एक और 'T' शब्द भी जरूरी हो गया है 'टैरिफ'।
उन्होंने कहा, "हम आज यहां एक बदले हुए वैश्विक परिदृश्य में एक और महत्वपूर्ण ‘T’ शब्द पर चर्चा करने आए हैं। टेक्नोलॉजी और टैरिफ के बीच भी गहरा संबंध है, जिसे समझना जरूरी है।" कार्यक्रम की थीम 'संभावना' को भी जयशंकर ने खास बताते हुए कहा कि यह भारत के दृष्टिकोण को दर्शाती है कि बदलते विश्व को अवसर की नजर से देखना।
कमर में जंजीर, हाथ में हथकड़ी... NIA की कस्टडी में कुछ ऐसा दिख रहा तहव्वुर राणा; पहली फोटो आई सामने
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका से तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यपर्ण हो चुका है। मुंबई हमले 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा इस वक्त भारत में है। एनआईए कोर्ट ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया है। इस दौरान एनआईए मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करेगी। इस बीच उस वक्त की पहली फोटो सामने आई है। जब अमेरिकी मार्शल तहव्वुर राणा को भारतीय जांच एजेंसी एनआईए की टीम के हवाले करते नजर आ रहे हैं।
अमेरिकी न्याय विभाग ने जेल द्वारा जारी की गई ब्राउन कलर की वर्दी पहने और अमेरिकी मार्शलों के साथ खड़े राणा की फोटो जारी कीं, जिन्हें 9 अप्रैल को एक सुरक्षित स्थान पर विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों की हिरासत में सौंपा गया।
NIA की कैद में तहव्वुर राणाफोटो में राणा की शक्ल तो नहीं दिख रही, लेकिन उसे ले जाता हुआ जरूर देखा जा सकता है। उसके शरीर को जंजीर से बांध रखा है, यानी कि काफी सुरक्षा के बीच उसे भारत को सौंपा गया है।
US Marshals in the Central District of California on Tuesday transferred custody of Tahawwur Rana, a Pakistani national and Canadian citizen, to representatives from India’s Ministry of External Affairs.
Tahawwur Rana is now in NIA custody for 18 days, during which time the… pic.twitter.com/vWBcl9vGWQ
— ANI (@ANI) April 11, 2025पहले कराया गया मेडिकल चेकअपतहव्वुर राणा अब 18 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में है, इस दौरान एजेंसी उससे विस्तृत पूछताछ करेगी, ताकि 2008 के हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाया जा सके। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे। कल शाम 6: 30 बजे तहव्वुर राणा का विमान दिल्ली उतरा, उसके बाद एनआईए ने तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया। सबसे पहले तहव्वुर का मेडिकल चेकअपल कराया। इसके बाद यहां से सीधे उसे NIA कोर्ट ले जाया गया।
डायरी में लिखे जाएंगे सारे जवाबमुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा से NIA जल्द ही पूछताछ शुरू कर देगी। ये पूछताछ NIA के SP और DSP रैंक के अफसर राणा से पूछताछ करेंगे। तहव्वुर राणा ये पूरी पूछताछ NIA के इंटेरोगेशन रूम में सीसीटीवी के सामने होगी। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी। NIA राणा की कस्टडी के दौरान रोजाना पूछताछ की एक डायरी तैयार करेगी।
किन-किना धाराओं के आरोपी हैं तहव्वुर?राणा पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, मुंबई 26/11 हमले में शामिल भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं। वहीं बताया जा रहा है मुंबई हमले की पूरी साजिश डेविड कोलमैन हेडली ने रची थी। राणा उसका बेहद करीबी था।
भारत न भेजे जाने के लिए राणा की कोर्ट से अपील- तहव्वुर राणा ने सुप्रीम कोर्ट में तुरंत समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद अब एक बार फिर अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स को आवेदन भेजा। इसमें राणा ने उनसे अपने प्रत्यर्पण को रोकने की अपील की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उसकी मांग को ठुकरा दिया।
- लॉस एंजेलिस के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद राणा ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में खुद के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने कहा था कि उसे कई बार हार्ट अटैक आ चुका है।
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आतंकी तहव्वुर राणा की पहली रात कहां और कैसे कटी, भारत लाए जाने के बाद से अब तक क्या-क्या हुआ? यहां पढ़ें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को आखिरकार गुरुवार शाम को भारत लाया गया। एयरपोर्ट से सीधे राणा को पटियाला हाउस कोर्ट लाया गया। अदालत ने राणा को NIA की 18 दिन की हिरासत में भी भेज दिया है।
दिल्ली और मुंबई में राणा से अलग-अलग जांच एजेंसी पूछताछ करेगी। इसके अलावा राणा को दिल्ली, मुंबई, आगरा सहित कई जगहों पर ले जाया जाएगा, जहां राणा ने हमले से पहले रेकी की थी।
NIA हेडक्वार्टर में बीती पहली रातराणा को लेकर आ रहा स्पेशल विमान गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे पालम एयरपोर्ट पर उतरा। इसके बाद NIA की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद राणा को पटियाला हाउस ले जाया गया, जहां उससे काफी देर तक पूछताछ हुई।
NIA ने कई ईमेल समेत अहम सबूतों का हवाला देते हुए राणा से पूछताछ के लिए 20 दिन की हिरासत मांगी थी, लेकिन अदालत ने राणा को 18 दिनों के लिए एनआईए रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। जानकारी के मुताबिक, राणा ने भारत आने के बाद अपनी पहली रात NIA हेडक्वार्टर में बिताया। कोर्ट जाने और कागजी कार्रवाई में ही राणा की आधी रात निकल गई। फिलहाल वो एनआईए हेडक्वार्टर में ही है।
आरोप और दंडराणा पर भारतीय न्याय संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत हत्या, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश और आतंकवादी कृत्यों के आरोप लगाए गए हैं।
यदि दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें आजीवन कारावास या मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है।
जांच और पूछताछएनआईए राणा को भारत के विभिन्न स्थानों पर ले जाएगी, जिनमें मुंबई का ताज होटल, आगरा, हापुड़, कोच्चि और अहमदाबाद शामिल हैं, जहां उन्होंने और उनकी पत्नी ने हमलों से कुछ हफ्ते पहले दौरा किया था।
एजेंसी को उम्मीद है कि राणा की पूछताछ से हमलों के पीछे के बड़े नेटवर्क और पाकिस्तान में आतंकवादियों की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
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Tahawwur Rana: एनआईए को मिली आतंकी तहव्वुर राणा की 18 दिन की रिमांड, अब खुलेंगे 26/11 हमले के राज
पीटीआई, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को गुरुवार को भारत लाने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। यहां अदालत ने राणा को एनआईए की 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है।
एनआईए करेगी पूछताछपीटीआई के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को कोर्ट के आदेश पर 18 दिनों की हिरासत में ले लिया, जिसके दौरान उससे 26/11 के घातक आतंकवादी हमले के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने के लिए विस्तार से पूछताछ की जाएगी।
एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया थाआतंकवाद विरोधी एजेंसी ने अमेरिका से उसके सफल प्रत्यर्पण के बाद गुरुवार शाम यहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर पहुंचने पर औपचारिक रूप से उसे गिरफ्तार करने के बाद पटियाला हाउस में एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया था।
सुरक्षा वाले काफिले में पटियाला हाउस पहुंचाया गयाअदालत ने शुक्रवार को राणा को 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया, जिसके बाद उसे दिल्ली पुलिस के विशेष हथियार और रणनीति (एसडब्ल्यूएटी) और अन्य सुरक्षाकर्मियों के भारी सुरक्षा वाले काफिले में पटियाला हाउस अदालत परिसर से एनआईए मुख्यालय लाया गया।
अधिकारियों ने बताया कि राणा को यहां सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित आतंकवाद रोधी एजेंसी के मुख्यालय के अंदर एक उच्च सुरक्षा वाली कोठरी में रखा जाएगा।
राणा 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहेगाअदालत के आदेश के तुरंत बाद जांच एजेंसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि राणा 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहेगा, इस दौरान एजेंसी उससे 2008 के घातक हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने के लिए विस्तार से पूछताछ करेगी, जिसमें कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।
एनआईए ने 20 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थीदिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहव्वुर राणा के वकील ने कहा कि एनआईए ने 20 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी। कोर्ट ने जांच के लिए 18 दिन की कस्टडी दी है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि हिरासत में लेने से पहले और अगली तारीख पे पेश होने से पहले भी मेडिकल टेस्ट होंगे और बीच में जो भी मेडिकल आवश्यकताएं हैं उसे पूरा किया जाएगा। आने वाले समय में तहव्वुर राणा को शारीरिक रूप से ही कोर्ट के सामने पेश किया गया जाएगा।
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Weather Update: आंधी और बारिश से फसलों को भारी नुकसान, बिहार में 59 और यूपी में 14 मरे; जानें आज का हाल
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। कई दिनों तक गर्मी से बुरी तरह झुलसाने के बाद मौसम में आया बदलाव कहर बनकर टूटा है। आंधी-बारिश के कारण बिहार में 59 और उत्तर प्रदेश में 25 लोगों की मौत हो गई। झारखंड में चार और हरियाणा व उत्तराखंड में दो-दो लोगों की मौत की खबर है। खेत में पानी भरने से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है।
दिल्ली समेत एनसीआर तेज आंधी के साथ ही हुई बारिशमौसम का विमान सेवाओं पर भी असर पड़ा। पश्चिमी विक्षोभ के असर से दिल्ली समेत एनसीआर तेज आंधी के साथ कहीं हल्की वर्षा हुई तो कहीं ओले भी पड़े। एक घंटे के भीतर तापमान छह से 10 डिग्री तक गिर गया। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में भारी हिमपात तो निचले क्षेत्रों में वर्षा हुई।
आज से 48 घंटे मौसम में रहे बदलावमौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 24 से 48 घंटे में मौसम बदलाव जारी रहेगा। कई जगहों पर तेज हवा चल सकती है और गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना है। पंजाब में शुक्रवार और शनिवार को तेज हवाएं चलने और वर्षा का आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
बिहार में 59 लोगों की जान गईबिहार में गुरुवार को वज्रपात व आंधी-पानी से पेड़, दीवार और कर्कट गिरने से 11 जिलों में 59 लोगों की जान गई है। इनमें सर्वाधिक नालंदा जिले में अलग-अलग 22 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। उत्तर बिहार और सीमांचल के इलाकों में ऐसी ही घटनाओं में 10 लोगों की मौत हो गई। इनमें जमुई में तीन, मुजफ्फरपुर और अररिया में दो-दो, दरभंगा, कटिहार भागलपुर में एक-एक की मौत की सूचना है।
नालंदा के नगवां गांव में देवी स्थान की दीवार पर पीपल का विशाल वृक्ष गिर पड़ा, जिससे वृक्ष व दीवार के मलबे से दबकर एक ही जगह छह लोगों की मौत हो गई। भोजपुर में मां-बेटा समेत पांच लोगों की मौत हुई है। सिवान में वज्रपात से चार लोगों की मौत हो गई है।
बीएसएफ जवान पर गिर गई आकाशीय बिजलीझारखंड में कुछ स्थानों पर तेज हवा के साथ ओलावृष्टि भी हुई। हजारीबाग में वज्रपात की अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि चार घायल हैं। बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान दीपक कुमार की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई। वह बिहार के जमुई जिले के निवासी थे।
उत्तर प्रदेश में बुधवार रात से गुरुवार सुबह तक कई जिलों में तेज आंधी-बारिश की जबरदस्त मार फसलों पर पड़ी है। गेहूं की तैयार फसल को अधिक क्षति पहुंची है। खेत में पानी भरने से गेहूं के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है। आम की फसल को आंशिक क्षति हुई है।
सीएम योगी ने मृतकों के परिवार को चार-चार लाख रुपये देने के दिए निर्देशमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं। जिनकी जानें गई हैं, उनके परिवार को चार लाख रुपये राहत राशि तत्काल वितरित किए जाने के निर्देश दिया है। मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यिलाय (टीएमयू) कैंपस में शुक्रवार रात करीब नौ बजे पांच छात्रों पर बिजली गिर गई। पांचों को टीएमयू के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
लखनऊ के चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डा.सत्येंद्र कुमार सिंह के अनुसार बरसात ने गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया है। इस बरसात से गेहूं की चमक प्रभावित होगी तो गेहूं बीज की भी गुणवत्ता प्रभावित होगी। बारिश से आम के पेड़ों की धुलाई हो गई, जो लासी समेत अन्य रोगों की रोकथाम में सहायक होगी।
ओलावृष्टि से हिमाचल में सेब के फसलों को नुकसानकश्मीर में उच्च पर्वतीय इलाकों में हल्की बर्फबारी और निचले इलाकों में रुक-रुककर कर वर्षा होती रही। गुरेज में ताजा बर्फबारी के चलते प्रशासन ने बांडीपोरा-गुरेज मार्ग को यातायात के लिए बंद रखा। हिमाचल प्रदेश की ऊंची चोटियों कुंजुम, बारालाचा, रोहतांग दर्रा में हल्का हिमपात हुआ, जबकि शिमला, सिरमौर और मंडी जिले में ओलावृष्टि हुई। इससे सेब के फूलों को नुकसान पहुंचा।
मैदानी इलाके में तैयार हो रही गेहूं की फसल भी प्रभावित हुई। उत्तराखंड के गढ़वाल में नदी-गदेरे उफान पर आने से आसपास के क्षेत्रों में लोग घर छोड़ सुरक्षित इलाकों का रुख कर रहे हैं। जगह-जगह भूस्खलन से आवाजाही भी प्रभावित हो गई है।
इंदौर में चार मोर की हीट वेव व डिहाइड्रेशन से मौतमप्र के इंदौर में चार मोरों की मौत हीट वेव और डिहाइड्रेशन से होने की पुष्टि हुई है। कालिंदी कुंज कालोनी में पेड़ पर हर दिन आकर बैठने वाले ये पांच मोर बुधवार शाम को अचानक नीचे गिर पड़े। पानी पिलाने पर एक तो सही हो गया लेकिन चार होश में नहीं आए। उन्हें चिडि़याघर लेकर पहुंचे, तब तक उनकी मौत हो गई।
तेज हवा में फंसा दिल्ली से रांची आ रहा इंडिगो का विमानदिल्ली से रांची आने वाला इंडिगो का विमान खराब मौसम के कारण लगभग 30 मिनट तक हवा में हिलता (एयर टर्बुलेंस) रहा। विमान में सफर कर रहे यात्री ने बताया कि इंडिगो के विमान ने दोपहर 1:20 बजे दिल्ली एयरपोर्ट से रांची के लिए उड़ान भरी। विमान दिल्ली से लगभग 350 किलोमीटर दूर था। अचानक दोपहर 2:20 बजे लगभग 40 हजार फीट की ऊंचाई पर विमान लड़खड़ाने लगा। विमान लड़खड़ाता देख सभी यात्री भयभीत हो गए।
उधर, लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तेज हवा चलने से अहमदाबाद से लखनऊ और बेंगलुरु से लखनऊ की उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा। यात्री कई घंटे इंतजार के बाद लखनऊ पहुंच सके। साथ ही दिल्ली, मुंबई आदि की कई फ्लाइटें तय समय से विलंब से उड़ान भर सकीं।
बुजुर्गों की सब्सिडी रोककर रेलवे ने कमाए कितने करोड़? संख्या जानकर नहीं होगा यकीन
पीटीआई, नई दिल्ली। रेलवे ने बुजुर्गों की सब्सिडी या रियायत वापस लेकर पांच वर्षों में लगभग 8,913 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है।
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में रेलवे ने यह जानकारी दी है। 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष और ट्रांसजेंडर और 58 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को 20 मार्च, 2020 से पहले सभी वर्गों के लिए ट्रेन टिकटों पर क्रमश: 40 प्रतिशत और 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण रेल मंत्रालय ने इसे वापस ले लिया था।
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआइएस) ने डाटा उपलब्ध कराया है। सीआरआइएस रेल मंत्रालय के अधीन कार्य करता है तथा विभिन्न अन्य सेवाएं प्रदान करने के अलावा टिक¨टग और यात्रियों के डाटा का रखरखाव भी करता है।
सीआरआइएस के डाटा से पता चलता है कि 20 मार्च, 2020 से 28 फरवरी, 2025 के बीच 31.35 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने रियायतें बंद होने के कारण 8,913 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करके यात्रा की। मध्य प्रदेश के आरटीआइ कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने कहा, मैंने आरटीआइ अधिनियम के तहत 20 मार्च, 2020 से रेल मंत्रालय में कई आवेदन दायर किए। सबसे हालिया आवेदन मार्च 2025 का था।
संसद में कई बार उठाया गया है ट्रेन टिकट पर रियायत बहाल करने का मामलावरिष्ठ नागरिकों के लिए ट्रेन टिकट पर रियायत बहाल करने का मुद्दा संसद में कई मौकों उठाया जाता रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 19 मार्च को लोकसभा में लिखित उत्तर में कहा था, रेलवे समाज के सभी वर्गों को सस्ती सेवाएं देने करने का प्रयासरत है। 2022-23 में यात्री टिकटों पर 56,993 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है। यह रेलवे में यात्रा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को औसतन 46 प्रतिशत की रियायत के बराबर है।
आसान शब्दों में कहें तो अगर सेवा की लागत 100 रुपये है, तो यात्रियों से केवल 54 रुपये लिया जाता है। यह सब्सिडी सभी यात्रियों के लिए जारी रहेगी। इस सब्सिडी के साथ ही दिव्यांगजनों की चार श्रेणियां, मरीजों की 11 श्रेणियां और छात्रों की आठ श्रेणियों समेत कई श्रेणियों के लिए रियायतें दी जा रही हैं।
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Tahawwur Rana: कैसे भारत लाया गया मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा? 26/11 से लेकर अब तक की पूरी टाइमलाइन
नीलू रंजन, जागरणनई दिल्ली। मुंबई में 26/11 आतंकी हमले की साजिश में अहम भूमिका निभाने वाले आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को प्रत्यर्पित कर भारत ले आया गया है। आईएसआई के लिए काम करने वाले और लश्कर-ए-तैयबा व हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हुजी) जैसे आतंकी संगठनों से करीब से जुड़े रहे तहव्वुर राणा को लेकर विशेष विमान इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) पर गुरुवार शाम करीब पौने सात बजे उतरा, जहां एनआईए की टीम ने उसे यूएपीए के तहत औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।
राणा को अमेरिका से विशेष विमान में एनएसजी कमांडो के सुरक्षा घेरे में लाया गया। वहीं अमेरिका में उसे अमेरिकी स्काई मार्शल की निगरानी में विशेष विमान तक पहुंचाया गया था। आतंकवाद के मामले में अमेरिका से भारत को यह पहला प्रत्यर्पण है।
166 लोग मारे गए थेगौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में ताज महल व ओबेराय होटल, लियोपोल्ड कैफे, चबाड हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर हमले किए थे। इनमें मारे गए 166 लोगों में अमेरिकी, ब्रिटिश और इजरायली नागरिक शामिल थे।
कई धाराओं में केस दर्जपाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक 64 वर्षीय तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के साथ ही आतंकी अजमल कसाब और जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल के बाद मुंबई के 26/11 हमले के एक अन्य आरोपित के ट्रायल व सजा का रास्ता साफ हो गया है। राणा पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16, 18, 20 और आईपीसी की धारा 120बी, 121, 121ए, 302, 468 व 471 लगाई गई हैं। राणा एयरपोर्ट पर करीब पौने तीन घंटा रहा।
इसके बाद एनआईए की टीम एनएसजी कमांडो के सुरक्षा घेरे में रात पौने दस बजे उसे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए लेकर निकली। मजिस्ट्रेट से रिमांड मिलने के बाद एनआईए की टीम राणा से मुंबई हमले और उसमें उसकी साजिश को लेकर पूछताछ करेगी।
कौन देगा भारत की ओर से दलीलें?साथ ही राणा से इस हमले में आईएसआई, पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों के साथ-साथ साजिश में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के बारे में पूछताछ की जाएगी।अमेरिकी अदालत में प्रत्यर्पण के लिए भारत की ओर से दलीलें रखने वाले दयान कृष्णन दिल्ली में भी एनआईए के अभियोजन का नेतृत्व करेंगे।
विशेष लोक अभियोजक नरेन्द्र मान उनकी मदद करेंगे। एनआईए की अभियोजन की टीम में अधिवक्ता संजीव शेषाद्री और श्रीधर काले भी शामिल हैं। मामले की सुनवाई विशेष एनआईए जज चंदर जीत ¨सह कर रहे हैं। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के पीयूष सचदेवा राणा का वकील नियुक्ति किया गया है।
रेकी करने वाले हेडली को दी थी सहायताएनआईए के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के पूर्व डॉक्टर तहव्वुर राणा ने मुंबई आतंकी हमले में अहम भूमिका निभाई थी। हमले के पहले होटल ताज से लेकर अन्य स्थानों की रेकी करने वाले डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी को फंड व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई थी।
इस दौरान राणा लगातार हेडली के साथ संपर्क में था। इसके साथ ही राणा खुद भी हमले के पहले 13 नवंबर से 21 नवंबर तक भारत में था और इस दौरान अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ आगरा, हापुड़, मुंबई और कोच्चि तक गया था। उसने अपने पते के प्रमाण के रूप में 'इमिग्रेंट ला सेंटर' से व्यवसाय प्रायोजक पत्र और कुक काउंटी से संपत्ति कर भुगतान का नोटिस प्रस्तुत किया था।
एनआईए मुख्यालय में होगी पूछताछफिलहाल एनआईए के मुख्यालय में ही तहव्वुर राणा से पूछताछ की जाएगी। इसके लिए एनआईए मुख्यालय की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पूछताछ पूरी होने के बाद उसे तिहाड़ जेल में रखा जाएगा और इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राणा के विरुद्ध जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल की जाएगी। दिल्ली के पटियाला कोर्ट में ही ट्रायल होगा।
जांच में कई आतंकियों के नाम आए सामनेएनआईए की जांच के दौरान प्रतिबंधित आतंकी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और हूजी के वरिष्ठ पदाधिकारियों - हाफिज मुहम्मद सईद उर्फ तैय्याजी, जकी-उर-रहमान लखवी, साजिद मजीद उर्फ वासी, इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान हाशिम सईद उर्फ मेजर अब्दुर्रहमान उर्फ पाशा की भूमिकाएं सामने आईं। अधिकारियों ने बताया कि वे आईएसआई के अधिकारियों मेजर इकबाल उर्फ मेजर अली, मेजर समीर अली उर्फ मेजर समीर की सक्रिय मिलीभगत और सहायता से काम कर रहे थे। ये सभी पाकिस्तान के निवासी हैं।
अब तक क्या-क्या हुआ घटनाक्रम26 नवंबर 2008 : समुद्र के रास्ते आतंकी मुंबई पहुंचे और प्रमुख स्थानों पर हमला किया। हमले के दौरान ही आतंकी अजमल आमिर कसाब को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया।2
5 फरवरी 2009 : मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया।
27 अक्टूबर 2009 : तहव्वुर हुसैन राणा और डेविड कोलमैन हेडली को अमेरिका में एफबीआई ने गिरफ्तार किया।
11 नवंबर 2009 : एनआईए ने दिल्ली में हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।
6 मई 2010 : मुंबई की विशेष अदालत ने कसाब को मृत्युदंड सुनाया।
9 जनवरी 2011 : राणा को अमेरिकी जिला अदालत ने 14 साल की सजा सुनाई।
24 दिसंबर 2011 : एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका को अनुरोध भेजा।
21 नवंबर 2012 : कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी।
21 जनवरी 2025 : अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का राणा की याचिका पर सुनवाई से इन्कार।
13 फरवरी 2025 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ प्रेस मीट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राणा के प्रत्यर्पण का एलान किया।
27 फरवरी 2025 : राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी जिसे मार्च में अस्वीकार कर दिया।
7 अप्रैल 2025 : अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राणा की समीक्षा याचिका को अस्वीकार कर दिया।
10 अप्रैल 2025 : राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाया गया।
11 अप्रैल 2025 : एनआईए ने कोर्ट से राणा की 26 दिन की रिमांड मांगी है।
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कौन हैं अमेरिका में भारत का पक्ष रखने वाले दयान कृष्णन? तहव्वुर राणा के खिलाफ मुकदमे का करेंगे नेतृत्व
पीटीआई, नई दिल्ली। तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत में भारत की ओर से दलीलें रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन एनआइए की ओर से अदालतों में अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सहायता के लिए आपराधिक मामलों के अनुभवी वकील नरेन्द्र मान को विशेष अभियोजक नियुक्त किया है। आइए उनके बारे में जानते हैं:
दयान कृष्णन
- बेंगलुरु स्थित एनएलएसआइयू से 1993 में स्नातक किया और वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज संतोष हेगड़े के साथ काम किया। 1999 में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है।
- दिसंबर, 2012 के दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में विशेष लोक अभियोजक थे। अतीत में भी कई हाई प्रोफाइल मामलों में केंद्र, एनआइए, सीबीआइ, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया है।
- 2011 में ब्रिटेन से रवि शंकरन के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया था।
नरेन्द्र मान
- 1990 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया। सीबीआइ का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और कई महत्वपूर्ण मामलों में पेश हुए हैं, जिनमें आनंद मार्गिस द्वारा पूर्व सीजेआइ एएन रे पर जानलेवा हमला भी शामिल है।
- जनवरी, 2011 से अप्रैल, 2019 तक दिल्ली हाई कोर्ट में सीबीआइ के लिए विशेष लोक अभियोजक थे। सीबीआइ के वकील के रूप में आपराधिक अपील, रिट याचिका, आपराधिक पुनरीक्षण याचिका, निरस्तीकरण याचिका और आपराधिक विविध मामलों को संभाला।
- मेडिकल काउंसिल घोटाला, एआइसीटीई घोटाला, सीडब्ल्यूजी मामले, सीजीएचएस सोसायटी घोटाला और एफसीआरए के तहत मामलों, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और बैं¨कग धोखाधड़ी के मामलों में भी सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया। जैन-डायरी हवाला मामला, झामुमो सांसदों का मामला, बोफोर्स मामला और सहकारी समिति मामलों सहित कई मामलों में भी पेश हुए।
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Tahawwur Rana LIVE: तहव्वुर राणा की पटियाला हाउस कोर्ट पेशी, NIA मांग सकती है 15 दिन की कास्टडी
Tahawwur Rana LIVE: मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को आज अमेरिका से भारत लाया गया। कुछ ही घंटों में वो दिल्ली स्थित एनआईए अदालत में पेश होगा। तहव्वुर राणा को एयरपोर्ट पर ही NIA ने गिरफ्तार कर लिया।
अब डेटा संरक्षण विधेयक को लेकर रार, विपक्षी दलों ने बताया RTI कानून के खिलाफ; अश्विनी वैष्णव ने दिया ये जवाब
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से की जा रही मोर्चेबंदी के बीच केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ किया है कि ये विधेयक पुट्टास्वामी फैसले के अनुरूप सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के सिद्धांतों के अनुरूप है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि गोपनीयता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार व निजता के अधिकारों को संरक्षित करने वाला है। गोपनीयता का यह अधिकार व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा से भी काफी निकट से जुड़ा हुआ है।
जयराम रमेश ने अश्विनी वैष्णव को लिखा था खतदरअसल, गुरुवार को आइएनडीआइए के दलों ने एक प्रेस काफ्रेंस कर डेटा सुरक्षा विधेयक की धारा 44 को सूचना के अधिकार के विरोध में बताया और कहा कि वह वैष्णव से मिलकर ज्ञापन सौंपेगे जिसमें विपक्ष के 120 से ज्यादा सदस्यों ने हस्ताक्षर किया है। जयराम रमेश ने भी पत्र लिखकर वैष्णव से शिकायत की। डीपीडीपी एक्ट की धारा 44(3) का विरोध किया है क्योंकि इसके आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(जे) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें व्यक्ति जानकारी देने से रोकने लगाने की अनुमति दी गई है, यदि उसका खुलासा सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है या इससे निजता का गलत तरीके से उल्लंघन होता है।
अश्विनी वैष्णव ने जवाब में क्या लिखा?केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाबी पत्र में कहा कि यदि आपको विधेयक से जुड़े किसी पहलु को लेकर किसी भी तरह का संदेह है तो वह उनसे कभी भी मिल सकते है। उन्होंने कहा कि ये विधेयक सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता की आवश्यकता बनाए रखने पर जोर देता है। साथ ही यह गोपनीयता व सूचना के अधिकार के बीच सामंजस्यपूर्ण प्रविधानों की आवश्यकता पर भी जोर देता है। उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में लागू ऐसे किसी कानून के तहत व्यक्तिगत डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने में कोई परेशानी नही है।
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पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा मामले में झाड़ा पल्ला, कहा- हमारा नागरिक नहीं; इजरायल ने किया स्वागत
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमले का प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक तहाव्वुर राणा भारत पहुंच चुका है। तकरीबन पिछले डेढ़ दशक से विदेश मंत्रालय राणा को भारत लाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा था। राणा को नई दिल्ली लाने पर इजरायल सरकार ने भारत सरकार की कोशिशों की तारीफ की है। जबकि पाकिस्तान सरकार ने राणा से दूरी बनाने की कोशिश की है।
मूल तौर पर पाकिस्तानी नागरिक राणा अभी कनाडा का नागरिक है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने दो दशकों से पाकिस्तान की अपनी नागरिकता के नवीकरण के लिए आवेदन भी नहीं किया है। हालांकि इसके बावजूद भारतीय एजेंसियों के पास राणा के पाकिस्तान के साथ गहरे ताल्लुक को साबित करने के पर्याप्त सबूत है।
पाकिस्तान पर दबाव बनाने में मिलेगी मददवैसे भी पाकिस्तान ने कनाडा में रहने वाले अपने नागरिकों को दोहरी नागरिकता की सुविधा दे रखी है। भारत को यह भी उम्मीद है कि तहाव्वुर राणा की भारत में की जाने वाली पूछताछ के बाद 26 नवंबर, 2008 को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने में मदद मिलेगी। भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने इस आतंकी हमले के दोषियों को सजा दिलाने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।
भारत की तरफ से कई बार आग्रह किये जाने के बावजूद और दोनों देशों की सरकारों के बीच पूर्व में हुई शिखर वार्ता होने में सहयोग का आश्वासन देने के बावजूद पाकिस्तान ने अपने यहां इस मामले की जांच को दबा दिया है। जबकि भारत भारत की तरफ से इस आतंकी हमले के दो प्रमुख साजिशकर्ताओं हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी के आवाज के सैंपल मांगे थे, जिस पर भी पाकिस्तान ने अमल नहीं किया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने झाड़ा पल्ला- इस आतंकी हमले के लिए वित्त सुविधा जुटाने में अहम भूमिका निभाने वाले आतंकी साजिद माजीद मीर को पाकिस्तान की एक अदालत ने वर्ष 2008 के आतंकी हमले के संदर्भ में ही जून, 2022 को 15 वर्षों की सजा सुनाई थी। लेकिन इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। एक अमेरिकी समाचार एजेंसी ने इसकी सूचना दी थी। अब राणा से होने वाली पूछताछ के अधार पर विदेश मंत्रालय इस मामले को पाकिस्तान को नये सिरे से उठा सकता है।
- पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि तहाव्वुर राणा कनाडा का नागरिक है और हमारे रिकॉर्ड बताते हैं कि उसने पिछले दो दशकों मे अपनी नागरिकता के नवीकरण के लिए पाकिस्तान से कोई आवेदन भी नहीं किया है।
- पाकिस्तान कई देशों में रहने वाले अपने नागरिकों को दोहरी नागरिकता दे रखी है। इनके आने जाने या कारोबार करने या निवेश करने को लेकर कोई भी पाबंदी नहीं है।
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Trump Tariff: ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी अर्थव्यवस्था घायल, Reciprocal Tariff पर वापसी का फैसला होगा मुश्किल
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariff) का हौवा अब भी थोड़ा अनिश्चित लेकिन तुलनात्मक रूप से थोड़ा शांत होता दिख रहा है। डोनाल्ड ट्रंप सरकार को एक सप्ताह में ही पता चल गया कि पारस्परिक शुल्क वह हथियार है जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के ही घायल होने का खतरा है। अंदरूनी दबाव के कारण ही फिलहाल ट्रंप सरकार ने 90 दिनों के लिए चीन को छोड़कर बाकी देशों के लिए पारस्परिक शुल्क पर रोक लगा दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसका फिर से वापस आना मुश्किल होगा। कम से कम इसी स्वरूप में अमेरिका फिर से फैसला नहीं लेगा। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह वैश्विक स्तर पर बाजार लुड़का है और अनिश्चितता फैली है उसके बाद अमेरिका में महसूस किया जा रहा है कि अमेरिका भी महंगाई के साथ मंदी के दुष्चक्र में फंस सकता है। स्टॉक बाजार तबाह हो सकता है और पूरी दुनिया व्यापार के मोर्चे पर अमेरिका के खिलाफ हो सकती है।
अमेरिका कंज्यूमर गुड्स का सबसे बड़ा आयातक देशअसल में अमेरिका खाने-पीने से लेकर रोजमर्रा के आइटम एवं सभी प्रकार के कंज्यूमर गुड्स का सबसे बड़ा आयातक देश है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 88 प्रतिशत हिस्सेदारी सर्विस सेक्टर की है। 1.5-2 प्रतिशत हिस्सेदारी कृषि की है तो बाकी के 8-9 प्रतिशत हिस्सेदारी मैन्यूफैक्च¨रग की है। ऐसे में, अमेरिका तत्कालिक रूप से अपने नागरिकों की जरूरतों की पूर्ति देश में होने वाले उत्पादन से नहीं कर सकता है। सप्लाई चेन विकसित करने में सालों लग जाते है और तब तक अमेरिकावासियों को महंगाई की मार झेलनी पड़ती।
अगर गारमेंट, फुटवियर व इलेक्ट्रॉनिक्स की फैक्ट्री लग भी जाती है तो स्थानीय निवासियों का वेतन काफी अधिक होने से उत्पादित वस्तुएं अधिक दाम पर ही बिकेंगी। गत दो अप्रैल को पारस्परिक शुल्क की घोषणा होते ही अमेरिका में वस्तुएं महंगी हो गई, स्टाक बाजार धराशायी हो गया और वहां के उद्योगपति परेशानी में फंसते दिखे थे। बात यहां तक आई कि अमेरिकी आयातकों की ओर से निर्यायतों को 15-20 फीसद दाम कम करने की बात शुरू हो गई थी जो कई देशों की कंपनियों के लिए मुश्किल होता। यानी वहां के आयातकों की आय कम होने वाली थी। वहां सिर्फ विपक्षी रिपब्लिकन ही नहीं सरकार के ट्रंप के नजदीकियों की ओर से भी इस फैसले को टालने का दबाव बनने लगा था।
2018 में भी चीन पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा चुके हैं ट्रंपग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक और विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व विदेश व्यापार अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने बताया कि पारस्परिक शुल्क लगते ही अमेरिका में लोग सड़कों पर उतर आए। वहां की अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडराने लगा। 2018 में भी ट्रंप ने पारस्परिक शुल्क लगाया था, लेकिन तब सिर्फ चीन पर यह लगाया गया था। इस बार पूरी दुनिया पर लगा दिया और एक सप्ताह में ही परिणाम को देखते हुए पारस्परिक शुल्क को टालना पड़ा।
उनका कहना है कि मुझे नहीं लगता है कि ट्रंप फिर से पारस्परिक शुल्क को वापस लाने की कोशिश करेगा। अगर कुछ देश पारस्परिक शुल्क को लेकर अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हैं या विरोध जताते हैं तो उनके खिलाफ थोड़ा बहुत शुल्क लगा सकता है।
भारत में रेसिप्रोकल टैरिफ की आशंका कमश्रीवास्तव के मुताबिक भारत पर फिर से पारस्परिक शुल्क के वापस आने की संभावना नहीं दिख रही है। भारत के साथ अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कर रहा है। लेकिन अमेरिका कृषि सेक्टर में जिस प्रकार से भारत के साथ व्यापारिक समझौता करना चाह रहा है, वह मुश्किल दिख रहा है। इसकी जगह भारत औद्योगिक वस्तुओं पर अपने शुल्क को शून्य करके पारस्परिक शुल्क से हमेशा के लिए पूरी तरह मुक्ति पा सकता है और इससे भारत को व्यापार में भी फायदा होगा।
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Tahawwur Rana: तहव्वुर राणा को हो सकती है फांसी की सजा? जानिए क्या कहता है कानून
माला दीक्षित, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यार्पित कर भारत लाया गया है। अब यहां उस पर 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर मुकदमा चलेगा। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।
अगर भारत और अमेरिका का कानून देखा जाए तो तहव्वुर राणा को फांसी की सजा हो सकती है। तहव्वुर राणा को मृत्युदंड की सजा होगी कि नहीं इसके लिए यह देखना होगा कि जिस देश से वह प्रत्यार्पित कर लाया जा रहा है वहां का कानून क्या कहता है और जिस देश लाया जा रहा है वहां का कानून उस पर लगे आरोपित अपराध में किस दंड का प्रविधान करता है।
जानकार क्या कहते हैं?तहव्वुर राणा को उसके अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा होने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि प्रत्यर्पण के मामले में अभियुक्त जिस देश से आ रहा है अगर वहां मृत्युदंड की सजा है तो उसे यहां भारत में भी मृत्युदंड दिया जा सकता है। राणा के कनाडा का नागरिक होने पर वह कहते हैं कि अभियुक्त किस देश का नागरिक है इसका कोई फर्क नहीं पड़ता अगर अपराध भारत में हुआ है तो उसे भारत के कानून से डील किया जाएगा। उस पर भारत का कानून लागू होगा।
"प्रत्यार्पण के मामले में जिस देश से वह आरोपित लाया जाता है वह देश शर्त लगा सकता है लेकिन अगर उस देश में आरोपित पर लगे अपराध में मृत्युदंड की सजा है तो वह सामान्य तौर पर मृत्युदंड न देने की शर्त नहीं लगाता। वैसे भी प्रत्यार्पण न्यायिक प्रक्रिया है उसका आदेश कोर्ट से होता है और उसमें दोनों देशों के कानून और प्रत्यार्पण संधियों को देखा जाता है। अगर भारतीय कानून को देखा जाए तो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी के लिए उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा है और मुंबई हमले के मामले में दोषी पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब को फांसी हुई थी। लेकिन तहव्वुर राणा का मामला कसाब से थोड़ा अलग है। राणा को अमेरिका से प्रत्यार्पित करके भारत लाया जा रहा है। ऐसे में प्रत्यापर्ण की जो शर्तें होंगी उसी के मुताबिक उस पर मुकदमा चलेगा और सजा मिलेगी।" ज्ञानंत सिंह, वकील, सुप्रीम कोर्ट
नियम क्या कहता है?नियम के मुताबिक प्रत्यार्पण पत्र में जिस मुकदमे और जिन आरोपों का जिक्र किया गया होगा उन्हीं मामलों में राणा पर मुकदमा चलेगा। अमेरिका और भारत के बीच 1997 में हुई प्रत्यार्पण संधि को देखा जाए तो उसका आर्टिकल 8 कहता है कि जिस अपराध में मुकदमा चलाने और सजा देने के लिए प्रत्यार्पण मांगा जा रहा, अगर वह अपराध प्रत्यार्पण का अनुरोध करने वाले देश में मृत्युदंड से दंडित किया जा सकता है लेकिन यदि प्रत्यार्पित करने वाले देश में उस अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है तो वह देश प्रत्यार्पण की मांग ठुकरा सकता है।
ये क्लॉज तहव्वुर राणा के मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि उस पर आतंकवाद का आरोप है। उस पर भारत पर हमला करने की साजिश के आरोप हैं और आतंकवाद के अपराध में अमेरिका में भी मृत्युदंड की सजा है।
न्यायपालिका का क्या हो सकता है रुख?भारत की न्यायपालिका ने वैसे तो फांसी की सजा के लिए रेयरेस्ट आफ रेयर का सिद्धांत तय कर रखा है, लेकिन भारत की न्यायपालिका भी आंतकवादियों को फांसी देने में कोताही नहीं करती है और इसका उदाहरण मुंबई हमलों का दोषी अजमल कसाब, संसद हमलों का दोषी अफजल गुरू और मुंबई में सीरियल बम धमाकों के का दोषी याकूब मेमन हैं जिन्हें फांसी दी गई । वैसे राणा को क्या सजा होगी यह न्यायिक मामला है। भारत लाए जाने के बाद एनआइए और अन्य एजेंसियां उससे पूछताछ करेंगीं और उसके बाद उस पर अदालत में मुकदमा चलेगा फिर सजा होगी।
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Waqf Law: वक्फ कानून के खिलाफ इस दिन होगी SC में सुनवाई, केंद्र सरकार ने भी कर दी ये मांग
पीटीआई, नई दिल्ली : वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा। यह मामला प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
पीठ के अन्य न्यायाधीशों में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं। एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका समेत 10 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी वक्फ अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सरकार ने कोर्ट में कैविएट दाखिल कियाकेंद्र सरकार ने आठ अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल कर मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुने जाने की मांग की थी। किसी पक्ष द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इसलिए कैविएट दाखिल किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए।
वक्फ अधिनियम के समर्थन में आवेदनएएनआइ के अनुसार, वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर कर कहा गया है कि संशोधन भारत के संविधान के अनुरूप है। हस्तक्षेप आवेदन के जरिये किसी कानूनी मामले या कार्यवाही में भाग लेने का अनुरोध किया जाता है। अखिल भारत ¨हदू महासभा के सदस्य सतीश कुमार अग्रवाल और गैर सरकारी संगठन हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह आवेदन दिया गया है।
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