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Nagpur Fire: नागपुर की फैक्ट्री में बड़ा हादसा, आग लगने से 5 लोगों की मौत
नागपुर, एएनआई। महाराष्ट्र के नागपुर में मौजूद एल्युमीनियम फैक्ट्री में अचानक आग लग गई। इस लोग इस आग की चपेट में आ गए। खबरों की मानें तो इस हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, चार लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस घटना से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है।
9 लोग आग में झुलसे
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार नागपुर जिले की एल्युमीनियम फैक्ट्री अचानक से आग की चपेट में आ गई। इस आग में 9 लोग बुरी तरह से झुलस गए। इनमें से 3 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं 6 गंभीर रूप से घायल थे। घायलों को इलाज के लिए नजदीकी मेडिकल कॉलेज भेजा गया। इस दौरान 2 अन्य लोगों ने भी दम तोड़ दिया। 4 घायलों की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है।
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विस्फोट के बाद लगी आग
नागपुर ग्रामीण के एसपी हर्ष पोद्दार ने बताया कि उमरेर में स्थित एल्युमीनियम फैक्ट्री में भयंकर विस्फोट हुआ। इसी दौरान फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। इस हादसे में 5 लोगों की जान चली गई है। मृतकों में मौजूद 2 लोगों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। वहीं 3 मृतकों का पहले कुछ पता नहीं चला। हालांकि बाद में उनके शवों की भी शिनाख्त हो गई है।
#WATCH | Nagpur | Visuals from outside MMP factory where 5 people died in fire incident
Five people died in an explosion at an Aluminium Foil Factory in Umrer, two people died in the hospital during treatment, while the death of 3 missing persons has been confirmed: Harsh… https://t.co/pD1OxDynLS pic.twitter.com/EMsImnmhyW
— ANI (@ANI) April 12, 2025कई घंटे बाद बुझी आग
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह हादसा बीती शाम तकरीबन 7 बजे का है। फैक्ट्री में अचानक विस्फोट हुआ। धमाका इतना तेज था कि इसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनने को मिली। हादसे की सूचना पुलिस को दी गई। वहीं फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंच कर आग बुझाना शुरू कर दिया। कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया है।
असम में दुर्लभ प्रजाति की छिपकलियां बरामद, लाखों में है इसकी कीमत; तस्करी कर रहे तीन गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम के डिब्रूगढ़ जिले में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन लोगों के कब्जे से दुर्लभ प्रजाति की छिपकली टोकाय गेको (Tokay Gecko) की 11 छिपकलियों को बरामद किया है और तस्करों को गिरफ्तार किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन छिपकलियों की भारी मांग है, लेकिन भारत में इनका निर्यात पूरी तरह से प्रतिबंधित है। टोकाय गेको प्रजाति की छिपकली को वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत अति संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया गया है।
इन छिपकलियों की तस्करी करने के मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम सात साल की सख्त कैद हो सकती है।
₹60 lakhs + for a lizard? Not on our watch.
Acting on intel from @WJCommission South Asia, @STFAssam & @dibrugarhpolice rescued 11 Tokay Geckos from traffickers, 3 persons have been arrested & vehicles seized.
The Geckos will be released back into the wild. pic.twitter.com/6L6bcWLLGK
असम और अरुणाचल में सीमित संख्या में पाई जाती है यह प्रजाति
टोकाय गेको छिपकलियां भारत में केवल असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ चुनिंदा इलाकों में ही मिलती है। इन छिपकलियों की दक्षिण-पूर्व एशिया के ग्रे मार्केट में भारी मांग है। इसलिए लोग इन छिपकलियों की तस्करी करते हैं।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान 34 वर्षीय देबाशीष डोहुटिया, 28 वर्षीय मनाश डोहुटिया और 40 वर्षीय दीपांकर घरफलिया के रूप में हुई है। बता दें कि पुलिस को टोकाय गेको की तस्करी की गुप्त सूचना मिली थी। इसके बाद स्पेशन टास्क फोर्स और डिब्रूगढ़ पुलिस की संयुक्त टीम ने मोहनबाड़ी इलाके में जाल बिछाया।
पुलिस ने बताया कि तीनों संदिग्ध तस्कर मोहनबाड़ी टिनियाली स्थित 'सन फिस्ट ढाबा' में मिले। दो तस्कर सफेद कार से आए थे और एक मोटरसाइकिल से आया था। कुछ देर बाद कार चालक ढाबे से बाहर निकला और कार से एक लाल रंग का बैकपैक लेकर वापस ढाबे में गया। तभी STF की टीम ने छापेमारी कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया।
अरुणाचल से लाकर बेचने की थी योजना
पूछताछ में तस्करों ने बताया कि उन्होंने इन छिपकलियों को अरुणाचल प्रदेश से इकट्ठा किया था और प्रत्येक को 1 लाख रुपये में बेचने की योजना बनाई थी।
MP News: 5 साल से थी नौकरी की तलाश, विदेशी होने का दावा; फर्जी डॉक्टर की इनसाइड स्टोरी
कभी था बेहद खास... अब तहव्वुर राणा का काल बनेगा मिस्ट्री गवाह, NIA करवाएगी आमना-सामना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकी तहव्वुर राणा से पूछताछ शुरू कर दी है। 18 दिनों की हिरासत में एजेंसी उससे कई राज उगलवाना चाहती है। उससे पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई, हमले में शामिल अन्य सहयोगियों और मुंबई के अलावा किन-किन शहरों को निशाना बनाने की साजिश रची गई थी... इस बारे में पूछताछ की जाएगी।
राणा का आमना-सामना एक मिस्ट्री गवाह से करवाया जाएगा। बताया जा रहा है कि इसी गवाह ने साल 2006 में डेविड कोलमैन हेडली का मुंबई में स्वागत किया था। गवाह उस समय तहव्वुर राणा का बेहद खास था।
हेडली का स्वागत करने वाला बना गवाहहिंदुस्तान टाइम्स ने एनआईए के हवाले से बताया कि 2006 से मुंबई हमले की साजिश रची जा रही थी। पाकिस्तान में डेविड हेडली ने आईएसआई और लश्कर के आतंकियों से मिला। उन्होंने हेडली को मुंबई के अहम स्थानों की वीडियोग्राफी करने का निर्देश दिया। इसके बाद हेडली मुबंई पहुंचा। यहां उस प्रोटेक्टेड गवाह ने उसका स्वागत किया।
बताया जा रहा है कि यह व्यक्ति राणा का करीबी था। उसके ही निर्देश पर हेडली की मेजबानी की थी। अदालत में भी इस गवाह की पहचान को गोपनीय रखा है ताकि सुरक्षा से जुड़ा खतरा पैदा न हो। अब राणा के खिलाफ यही गवाह अहम साबित होगा।
अन्य शहरों में भी रची गई थी साजिशआतंकी तहव्वुर राणा 18 दिन तक एनआईए की हिरासत में रहेगा। एजेंसी ने राणा से गहन पूछताछ शुरू कर दी है। एनआईए ने अदालत को बताया कि राणा ने देश के अन्य शहरों में भी मुंबई जैसे हमले की साजिश रची थी।
हेडली के साथ मिलकर बनाया था प्लानगुरुवार की शाम तहव्वुर राणा को अमेरिका से एक चार्टर्ड विमान से दिल्ली लाया गया। तहव्वुर 26/11 के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी है। हेडली एक अमेरिकी आतंकी है। उसने ही लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी संगठन के साथ मिलकर मुंबई हमले की साजिश रची थी।
आईएसआई के बारे में होगी पूछताछसूत्रों ने बताया कि राणा से पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के अधिकारियों के साथ उसके रिश्तों और हमले के पीछे सटीक भूमिका के बारे में भी पूछताछ की जाएगी। इसके अलावा राणा को देश के बाकी हिस्सों में ले जाने की योजना है ताकि 17 साल पहले हुए आतंकी हमले के तारों को अहम साक्ष्यों के साथ जोड़ा जा सके। क्राइम सीन रिक्रिएट भी की जा सकती है।
राणा कर चुका इन शहरों की यात्राजांच में यह भी सामने आया है कि मुंबई हमले से पहले तहव्वुर राणा ने देश के कई हिस्सों में यात्रा की थी। सूत्रों के मुताबिक राणा ने 13 नवंबर से 21 नवंबर 2008 के बीच अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ हापुड़, आगरा, दिल्ली, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई की यात्रा की थी। माना जा रहा है कि देश के अन्य शहरों में हमले की उद्देश्य से ही राणा ने इन इलाकों की यात्रा की थी। हालांकि इसकी सटीक जानकारी पूछताछ के बाद ही सामने आएगी।
एनआईए मुख्यालय की सुरक्षा बढ़ीसूत्रों के मुताबिक तहव्वुर राणा को सीजीओ कॉम्प्लेक्स में आतंकवाद विरोधी एजेंसी के मुख्यालय के अंदर एक उच्च-सुरक्षा सेल में रखा गया है। यहां चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मी उसकी सुरक्षा में तैनात हैं। उधर, एनआईए कार्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और दिल्ली पुलिस के जवानों को सुरक्षा में तैनात किया गया है।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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MP News: 5 साल से थी नौकरी की तलाश, विदेशी होने का दावा; फर्जी डॉक्टर की इनसाइड स्टोरी
पीटीआई, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक शख्स ने नौकरी के लिए आवेदन किया। बायोडाटा में उसने खुद को कार्डियोलॉजिस्ट यानी हृदय रोग विशेषज्ञ बताया। उसका दावा था कि वो पिछले कई सालों से इस प्रोफेशन में है और हजारों मरीजों की हार्ट सर्जरी कर चुका है। इस शख्स का नाम नरेंद्र यादव उर्फ एनकेम जॉन था, जिसने एक ही कंपनी में 3 बार जॉब के लिए अप्लाई किया था।
नरेंद्र को पुलिस ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया। उस पर कई मरीजों की जान लेने का आरोप है। मध्य प्रदेश के दमोह में उसकी वजह से 7 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ गया।
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5 साल में 3 बार किया अप्लाई
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार इंदौर की एक कंसल्टेंसी फर्म के अध्यक्ष पंकज सोनी ने बताया कि नरेंद्र ने पिछले 5 साल में 3 बार नौकरी के लिए आवेदन जमा किया था। 2020, 2023 और 2024 में हमें नरेंद्र का बायोडाटा मिला। हमारी फर्म देश के कई अस्पतालों से जुड़ी है। इन अस्पतालों में हम डॉक्टर्स की भर्ती करवाते हैं।
#WATCH | Damoh, Madhya Pradesh | Damoh Fake doctor case | Executive Magistrate Raghunandan Chaturvedi says, "... (On the instructions of the district administration) The team of doctors have sealed the cath lab (of the Mission Hospital). Further investigation is underway..."
Dr… pic.twitter.com/nm6AspMqLq
— ANI (@ANI) April 11, 20252020 में भेजा बायोडाटा
पंकज सोनी का कहना है कि 2020 में एक अस्पताल को हृदय रोग विशेषज्ञ की जरूरत थी। इसके लिए हमने ऑनलाइन विज्ञापन जारी किया। नरेंद्र ने इस दौरान पहली बार अपना बायोडाटा हमें भेजा था। 9 पेज का यह बायोडाटा देखकर हमें आश्चर्य हुआ।
विदेश में डॉक्टरी का अनुभव
नरेंद्र के बायोडाटा के मुताबिक उसके पास मेडिकल की कई डिग्रियां थीं। इसमें उसने लिखा था कि वो ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस के कई बड़े अस्पतालों में काम कर चुका है। यह देखकर हम दंग रह गए कि विदेश में सर्विस देने वाला एक बड़ा डॉक्टर भारत के छोटे शहरों में नौकरी के लिए अप्लाई कर रहा है। हमें उस पर शक हुआ और हमने उसका बायोडाटा नजरअंदाज कर दिया।
9 पेज का बायोडाटा बनाया
नरेंद्र ने दोबारा 2023 में फिर से अपना बायोडाटा भेजा, जिसे हमने बुरहानपुर के एक अस्पताल में भेज दिया। अस्पताल के स्टॉफ ने भी इस बायोडेटा पर संदेह व्यक्त किया। इसके बाद हमने इस बायोडाटा को भेजना बंद कर दिया। 2024 में नरेंद्र ने फिर से 9 पेज का बायोडाटा शेयर किया और इस बार खुद को सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट बताते हुए ब्रिटेन का पता दिया। नरेंद्र ने 9 पेज के इस बायोडाटा में बताया कि वो हजारों मरीजों की हार्ट सर्जरी कर चुका है। इसके अलावा उसने 18,740 कोरोनरी एंजियोग्राफी और 14,236 कोरोनरी एंजियोप्लास्टी ऑपरेशन भी किए हैं।
#WATCH | Damoh, Madhya Pradesh | Fake doctor case: Accused doctor Narendra John Camm, who was arrested from Prayagraj (UP) yesterday, is being presented in the district court in Damoh, Madhya Pradesh. pic.twitter.com/KdpQryWOmL
— ANI (@ANI) April 8, 2025CMHO ने की शिकायत
नरेंद्र अभी पुलिस की हिरासत में है। जांच के मद्देनजर पुलिस ने दमोह मिशनरी अस्पताल की लैब को सील कर दिया है। दमोह के चीफ मेडिकल और हेल्थ ऑफिसर (CMHO) एमके जैन ने नरेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में कार्यरत फर्जी सर्जन नरेंद्र यादव उर्फ एनकेम जॉन ने 15 मरीजों की हार्ट सर्जरी की। नरेंद्र से सर्जरी करवाने वाले 7 मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद CMHO एमके जैन को नरेंद्र पर शक हुआ। पुलिस की पूछताछ में नरेंद्र ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसका कहना है कि उसके पास एमबीबीएस की असली डिग्री है, लेकिन कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री पूरी तरह से नकली है। उसने अपना नाम बदलकर एनकेम जॉन कर लिया और इसी नाम पर सभी फर्जी दस्तावेज भी तैयार कर लिए।
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दुष्कर्म पीड़िता का नाम गुप्त मगर आरोपी का उजागर क्यों? MP हाई कोर्ट ने 4 हफ्ते में सरकार से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। दुष्कर्म के मामलों में अक्सर पीड़िता की पहचान छिपा दी जाती है। पीड़िता का नाम और पता पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है। हालांकि यही व्यवहार दुष्कर्म के आरोपी के साथ क्यों नहीं होता? मध्य प्रदेश की हाई कोर्ट ने सरकार से इसी सवाल का जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि दुष्कर्म पीड़िता की तरह दुष्कर्म के आरोपी का नाम क्यों नहीं छिपाया जाता है? अदालत ने इसका जवाब देने के लिए सरकार को 4 हफ्तों की मोहलत दी है।
लगेगा 15 हजार का जुर्माना
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। वहीं, अगर सरकार ने बताई गई समयसीमा के भीतर जवाब नहीं दिया, तो 15 हजार रुपए का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। इस राशि को हाई कोर्ट विधिक सहायता कमेटी में जमा किया जाएगा।
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हाई कोर्ट में याचिका दायर
दरअसल जबलपुर निवासी डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके वकील अजय रायजादा ने सुनवाई के दौरान दलील देते हुए कहा कि आपराधिक नियम में दुष्कर्म पीड़िता का नाम गुप्त रखने का प्रावधान है। मगर आरोपी क नाम उजागर कर दिया जाता है। यह लैंगिक भेदभाव को दर्शाता है, जो संविधान के बिल्कुल खिलाफ है।
याचिका में हुई मांग
अजय रायजादा ने कहा कि कानूनी रूप से अपराध साबित न होने तक आरोपी निर्दोष होता है। ऐसे में दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों में आरोपी का नाम सार्वजनिक करने से उसकी छवि को गहरा धक्का लगता है। अजय रायजादा ने फिल्म इंडस्ट्री का हवाला देते हुए कहा कि मधुर भंडारकर जैसी कई बड़ी हस्तियां ऐसे आरोपों में बेगुनाह साबित हुई हैं, लेकिन नाम सामने आने से उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो गई। अजय ने अदालत से मांग की कि ट्रायल पूरा होने तक दुष्कर्म के आरोपी का नाम भी गुप्त रखा जाए।
अदालत ने पूछा सवाल
याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुरेश कुमार कैत और विवेक जैन की पीठ ने राज्य सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है। अगर राज्य सरकार 4 हफ्ते के बाद जवाब देती है, तो उसे जवाब के साथ 15 हजार रुपए का जुर्माना भी अदा करना होगा।
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'मैं विदेश मंत्रालय की सराहना करता हूं', तहव्वुर राणा को भारत लाने पर पी चिदंबरम ने की मोदी सरकार की तारीफ
एएनआई, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले के 16 साल बाद भारत को आतंकी तहव्वुर राणा को अमेरिका से लाने में सफलता मिली है। इस बीच पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आतंकी तहव्वुर राणा के सफल प्रत्यर्पण पर केंद्र सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में इस प्रक्रिया में तेजी आई।
चिदंबरम के मुताबिक यूपीए सरकार में तत्कालीन मंत्री सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव रंजन मथाई ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि मैं भाजपा प्रवक्ताओं को गंभीरता से नहीं लेता हूं। मुझे विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान का इंतजार है। बता दें कि 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर राणा को गुरुवार को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया था।
पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद।
2009 में शुरू हो गई थी प्रक्रियापूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि यह प्रक्रिया 2009 में शुरू हुई थी। इसके बाद 2011 में मामले ने उस वक्त रफ्तार पकड़ी जब अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने तहव्वुर राणा की पहचान की। मैं विदेश मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों और एनआईए को एक लंबी और कठिन लड़ाई के बाद राणा को भारत वापस लाने पर बधाई देता हूं।
सलमान खुर्शीद ने अहम भूमिका निभाईचिदंबरम का कहना है कि यूपीए सरकार में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव रंजन मथाई ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। मुझे यकीन है कि मौजूदा मोदी सरकार में भी कई विदेश सचिवों और मंत्रियों ने भी भूमिका निभाई है। मैं अमेरिका की तत्कालीन और वर्तमान सरकार को भी धन्यवाद देता हूं।
मैं भाजपा प्रवक्ता को गंभीरता से नहीं लेतापी चिदंबरम ने आगे कहा कि मैं भाजपा प्रवक्ता को गंभीरता से नहीं लेता। मैं विदेश मंत्रालय या गृह मंत्रालय से आधिकारिक बयान का इंतजार कर रहा हूं। मैं तथाकथित आधिकारिक प्रवक्ता के विचारों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि धैर्य और मेहनती कूटनीतिक प्रयासों व कानूनी कूटनीति के कारण राणा को भारत लाया गया है।
एनआईए की 18 दिन की हिरासत में राणाउधर, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तहव्वुर राणा को 18 दिनों की हिरासत में लिया है। एजेंसी को शक है कि देश के अन्य शहरों में भी ऐसी ही साजिश रची गई थी। माना जा रहा है कि एजेंसी राणा को हमले से जुड़े स्थानों पर ले जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक एनआईए 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की जांच का विस्तार कर रही है।अब तहव्वुर राणा को देशभर में विभिन्न स्थानों पर ले जाने की योजना बना रही है।
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#WATCH | Delhi | On 26/11 Mumbai attacks accused Tahawwur Rana's extradition to India, Former Finance Minister and Congress leader P Chidambaram says, "... This process began in 2009 and then gathered pace 2011 when the US intelligence identified Rana... I compliment the external… pic.twitter.com/yJgp3RG679
— ANI (@ANI) April 12, 2025Weather: दिल्ली समेत कई राज्यों में आंधी-तूफान के साथ हुई बारिश, फसलों को भारी नुकसान; यूपी के कई जिलों में बत्ती गुल
जागरण टीम, नई दिल्ली। मौसम का मिजाज शुक्रवार को भी बदला दिखा। सुबह का समय सुहना रहा तो दिन में खिली धूप ने लोगों को परेशान किया। शाम के समय उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार व झारखंड के साथ ही कई राज्यों में आंधी-तूफान के साथ हुई बारिश ने फसलों को भी नुकसान पहुंचाया।
यूपी-बिहार में कैसा रहेगा मौसम?पिछले 3-4 दिनों से बिहार और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भी बूंदाबांदी और आंधी देखी जा रही है। दोनों राज्यों में आज (12 अप्रैल) को भी बूंदाबांदी के साथ तेज आंधी चलने के आसार हैं।
आंधी-बारिश के कारण बिहार में पिछले तीन दिनों में 80 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो 22 लोगों की यूपी में भी मौत हो चुकी है।
हिमाचल में पश्चिमी विक्षोभ सक्रियइससे पहाड़ी राज्य जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड भी अछूते नहीं रहे। वहां बारिश के साथ ही ओलावृष्टि भी हुई। आंधी की अधिकतम गति 84 किमी प्रति घंटे तक रही। शनिवार को भी ऐसा ही मौसम बने रहने का अनुमान है।
गुरुवार को भी दिन में तेज धूप के बाद शाम के समय कई जगह आंधी आने के साथ बारिश हुई थी। जम्मू-कश्मीर व हिमाचल में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से शुक्रवार को कई राज्यों में तेज हवाओं के बीच वर्षा हुई। बारिश के चलते तापमान सामान्य से नीचे बने रहने से लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली।
मौसम विभाग के अनुसार 18 अप्रैल से पश्चिमी विक्षोभ फिर से सक्रिय होगा, जिसके चलते उच्च पर्वतीय इलाकों में हल्की बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में वर्षा होगी। विक्षोभ का प्रभाव 21 अप्रैल तक बना रहेगा।
आज आंधी व बिजली गिरने की चेतावनीमौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ का असर शनिवार को भी रहेगा। हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थानों पर आंधी और बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया गया है। हिमाचल प्रदेश के ऊंचे क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हिमपात, जबकि कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा का अनुमान है। अधिकतर स्थानों पर मौसम के साफ रहने का अनुमान है।
हिसार में पीएम की रैली का पंडाल टूटाहिसार में पीएम की रैली का पंडाल टूट गया तो चरखी दादरी में मंत्री के कार्यक्रम का टेंट उखड़ गया। कई जिलों में बिजली के खंभे टूटे और टेंट उखड़ गए।
ओलावृष्टि से सेब को नुकसानहिमाचल प्रदेश की ऊंची चोटियों बारालाचा, कुंजुम व रोहतांग में दूसरे दिन भी हिमपात का क्रम जारी रहा, जबकि कांगड़ा, चंबा, शिमला व किन्नौर जिलों में वर्षा हुई। शिमला और ऊपरी क्षेत्रों ठियोग, कुफरी, जुब्बल कोटखाई, चौपाल व रोहड़ू में दूसरे दिन भी ओलावृष्टि हुई। इस कारण सेब में लगे फूल झड़ गए। मटर और गोभी को भी हल्का नुकसान हुआ है।
42 उड़ानों को किया गया डाइवर्टतेज आंधी के कारण विमान सेवाओं पर असर पड़ा। आइजीआइ एयरपोर्ट पर अलग-अलग दिशाओं से आ रही एक के बाद एक उड़ानों को डाइवर्ट कर नई दिल्ली के बजाय दूसरे शहरों के एयरपोर्ट पर उतरने के निर्देश दिए गए। 42 उड़ानों को डाइवर्ट किया गया। नौ विमानों को जयपुर डाइवर्ट किया गया।
वहां भी मौसम खराब होने पर नौ विमानों को लखनऊ की ओर डाइवर्ट किया गया। दो विमानों को वाराणसी और एक विमान को देहरादून में उतारा गया।
अमृतसर में आठ व चंडीगढ़ में सात विमानों को उतारा गया। बाद में मौसम सामान्य होने पर विमानों को नई दिल्ली के लिए प्रस्थान के निर्देश दिए गए।
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DMK को जल्द उखाड़ फेंकेंगे...AIADMK के NDA में शामिल होने पर क्या बोले पीएम मोदी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर तमिलनाडु की सियासत में भारी उलटफेर देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की बागडोर नयनार नागेंद्रन को देने का फैसला कर लिया है। वहीं, AIADMK ने NDA में शामिल होने का एलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर अपनी खुशी जाहिर की है।
पीएम मोदी ने शुक्रवार को देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि तमिलनाडु के विकास के लिए हम सभी मजबूती से एक-दूसरे के साथ खड़े हैं।
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पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि तमिलनाडु की प्रगति के लिए हम सभी एक होकर काम करेंगे। मुझे खुशी है कि AIADMK भी अब NDA परिवार में शामिल हो गई है। अपने सभी सहयोगियों के साथ मिलकर हम पूरी लगन से राज्य की सेवा करेंगे और तमिलनाडु को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाएंगे। हम राज्य में एक ऐसी सरकार स्थापित करेंगे, जो MGR और जयललिता के सपने को साकार करेगी।
पीएम मोदी ने लिखा कि तमिलनाडु की प्रगति और तमिल संस्कृति को संजोने के लिए भ्रष्ट और विभाजनकारी DMK को जल्द से जल्द उखाड़ फेंकना बेहद जरूरी है। यह काम हमारा गठबंधन करेगा।
Stronger together, united towards Tamil Nadu’s progress!
Glad that AIADMK joins the NDA family. Together, with our other NDA partners, we will take Tamil Nadu to new heights of progress and serve the state diligently. We will ensure a government that fulfils the vision of the…
— Narendra Modi (@narendramodi) April 11, 2025गृह मंत्री ने की थी घोषणा
बता दें कि शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने AIADMK के NDA गठबंधन में शामिल होने की घोषणा की थी। गृह मंत्री ने आगामी विधानसभा चुनाव साथ लड़ने का जिक्र करते हुए कहा था कि AIADMK और बीजेपी नेताओं ने गठबंधन बनाने पर सहमति दर्ज की है। अगले साल यानी 2026 में तमिलनाडु में चुनाव हो सकते हैं।
सियासी समीकरण
बीजेपी पिछले काफी समय से तमिलनाडु में अपनी छाप छोड़ने की कोशिश कर रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में भी बीजेपी ने तमिलनाडु में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि दक्षिण भारत के राज्यों में पार्टी कोई सीट नहीं जीत सकी। वहीं, AIADMK भी तमिलनाडु में वापसी की जद्दोजहद में जुटी है।
2021 में भी हुआ था गठबंधन
2016 में जयललिता के निधन के बाद AIADMK एक बार फिर बीजेपी के साथ गठबंधन में है। इससे पहले 2021 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों ने हाथ मिलाया था। इस दौरान बीजेपी को 4 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि 2023 में यह गठबंधन टूट गया। मगर अब दोबारा AIADMK और बीजेपी ने साथ आने की घोषणा कर दी है।
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तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष बनेंगे नयनार नागेंद्रन, आधिकारिक घोषणा जल्द; इस बयान के बाद आए थे चर्चा में
एएनआइ, चेन्नई। तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष नयनार नागेंद्रन (64) अब राज्य के पार्टी अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। उन्होंने इस पद के लिए नामांकन भर दिया है। इस पद के लिए वह इकलौते उम्मीदवार हैं और के अन्नामलाई का स्थान लेंगे।
अमित शाह ने उनके नाम की घोषणा कीकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा, ''तमिलनाडु भाजपा राज्य अध्यक्ष पद के लिए केवल नयनार नागेंद्रन का नामांकन मिला है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में के अन्नामलाई की उपलब्धियां सराहनीय हैं।
चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों को लोगों तक ले जाने की बात हो या पार्टी की परियोजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की, अन्नामलाई का योगदान बहुत बड़ा है। भाजपा अन्नामलाई के संगठनात्मक कौशल का इस्तेमाल पार्टी के राष्ट्रीय ढांचे में करेगी।''
नागेंद्रन ने कहा कि उन्होंने पार्टी की सलाह पर यह नामांकन भरानामांकन दाखिल करने के बाद नागेंद्रन ने कहा कि उन्होंने पार्टी की सलाह पर यह नामांकन भरा है और तमिलनाडु राज्य इकाई के अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता अंतिम निर्णय लेंगे।
कौन हैं नागेंद्रनअन्नाद्रमुक के पूर्व नेता नागेंद्रन हिंदुत्व को लेकर अपने कट्टर विचारों के लिए पहचाने जाते हैं। पूर्व अन्नाद्रमुक प्रमुख और मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत के बाद पार्टी से दरकिनार किए जाने के बाद वह 2017 में भाजपा से जुड़ गए थे। चुनावी नीतियों के विशेषज्ञ नागेंद्रन जयललिता कैबिनेट में पूर्व राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
2001, 2011 में अन्नाद्रमुक और 2021 में भाजपा की टिकट से तिरुनेलवेली विधानसभा से जीत हासिल करने वाले नागेंद्रन का जन्म कन्याकुमारी जिले के पड़ोसी वदीवीस्वरम में हुआ था।
नागेंद्रन 2018 में आए थे चर्चा में2018 में नागेंद्रन उस वक्त चर्चा में आ गए थे, जब उन्होंने अंडल देवी के प्रति विवादास्पद बयान देने वाले तमिल गीतकार वैरामुथु की जीभ काटकर लाने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। उन्होंने हिंदुत्व के खिलाफ बोलने वालों को भी गंभीर नतीजा भुगतने की चेतावनी दी थी।
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जितनी पड़ेगी गर्मी उतना बढ़ेगा खतरा, जानिए क्या है 'काल बैसाखी' जिसने बिहार में बरपाया कहर; इन राज्यों में भी होगा असर
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग का असर मौसम पर भी दिखने लगा है। बिहार, ओडिशा और बंगाल में गुरुवार को तेज आंधी-बारिश और ओले से जान-माल की क्षति का यह अंत नहीं है। मौसम विभाग (आइएमडी) का पूर्वानुमान बता रहा है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में इस बार अप्रैल से मई के दौरान काल बैसाखी (नार्वेस्टर) की घटनाएं पहले की तुलना में ज्यादा हो सकती हैं और अत्यंत खतरनाक रूप भी धारण कर सकती हैं।
बैसाख के महीने में मौसम में होने वाले इस तरह के अचानक परिवर्तन को काल बैसाखी कहा जाता है। ऐसा गर्म और ठंडी हवाओं के टकराने से होता है। ऐसी स्थितियां लगभग हर साल पैदा होती हैं, लेकिन मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते हाल के वर्षों में इसके खतरे बढ़ रहे हैं। इस बार भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्य हैं-बिहार, झारखंड, ओडिशा, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश। बिहार-बंगाल में यह आपदा का रूप ले चुका है।
क्या कहते हैं जानकार?IMD कोलकाता के पूर्व निदेशक और काल बैसाखी के विशेषज्ञ एके सेन का कहना है कि काल बैसाखी के दौरान हवा की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होती है। इसलिए इसे पश्चिमी झंझा भी कहते हैं। इसमें ओले के साथ भारी बारिश होती है, जो जान-माल के लिए खतरनाक हो जाती है। कहीं-कहीं बिजली भी गिरती है, जिसमें लोगों की जान चली जाती है। हवा लगभग 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
"कभी-कभी सौ किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हो जाती है। इसका सर्वाधिक नुकसान उत्तर बिहार और बंगाल में देखा जाता है। एक दिन पहले बिहार के 20 जिले इसकी चपेट में आ चुके हैं। कुछ जिलों में तो हवा की गति कुछ समय के लिए 140 किमी प्रति घंटे को भी पार कर गई।" एके सेन, पूर्व निदेशक, कोलकाता, IMD
अप्रैल से जून के बीच बद से बदतर होगी गर्मीआइएमडी ने इस बार अप्रैल से जून के बीच तीव्र गर्मी का पूर्वानुमान लगाया है। काल बैसाखी से प्रभावित होने वाले इलाके में लू की अवधि भी ज्यादा रह सकती है। ऐसे में अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान के टकराने की आशंका बनी रहेगी, जो काल बैसाखी के प्रचंड होने के लिए प्लेटफार्म तैयार करेगा।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार बिहार-बंगाल के कुछ क्षेत्रों का अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर जा सकता है। जितना ज्यादा तापमान होगा, काल बैसाखी उतनी ही खतरनाक हो सकती है।
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते किसी वर्ष काल बैसाखी के प्रभावी होने की संख्या ज्यादा हो जाती है और किसी वर्ष कम। मौसम में इतनी तेजी से परिवर्तन आता है कि बचाव के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। तूफान आमतौर पर दोपहर बाद या सूर्यास्त के आसपास आता है। साफ आसमान में अचानक काले-काले बादल उमड़ पड़ते हैं और देखते ही देखते तेज हवा और ओले के साथ मूसलधार वर्षा होने लगती है। इसकी अवधि कम होती है, लेकिन उतनी ही देर में तबाही मचा देती है।
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Kerala: कोरोना मरीज से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास, एंबुलेंस चालक ने दिया था घटना को अंजाम
पीटीआई, नई दिल्ली। केरल में कोरोना संक्रमित युवती से दुष्कर्म के मामले में एम्बुलेंस चालक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। घटना पांच सितंबर 2020 की है जब एक 19 वर्षीय युवती को कोरोना संक्रमित होने पर इलाज के लिए अदूर जनरल अस्पताल से पंडलम के कोविड सेंटर स्थानांतरित किया जा रहा था।
इसी दौरान एंबुलेंस चालक नौफल ने युवती के साथ दुष्कर्म किया। घटना तब प्रकाश में आई जब पीड़िता ने कोविड सेंटर पहुंचने पर चिकित्सा कर्मियों को घटना के बारे में बताया। उसके बयान पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने नौफाल को गिरफ्तार कर लिया।
दोषी को आजीवन कारावास की सजाइस मामले में मुख्य सत्र न्यायालय ने दोषी नौफल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में साक्ष्य जुटाना एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि हर तरफ कोरोना महामारी के कारण तमाम पाबंदियां लागू थीं। फिर भी पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए और पीडि़ता को न्याय दिलाया।
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हाईकोर्ट सिर्फ असाधारण परिस्थितियों ही मामले की जांच CBI को सौंपे, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में की अहम टिप्पणी
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट को नियमित तरीके से या अस्पष्ट आरोपों के आधार पर किसी मामले की जांच सीबीआइ नहीं सौंपनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक अदालतों को सिर्फ विशेष परिस्थितियों ही किसी मामले की जांच सीबीआइ को सौंपनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने रद किया फैसलाजस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद करते हुए यह टिप्पणी है, जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच हरियाणा पुलिस से लेकर सीबीआइ को सौंप दी गई थी।
अपने फैसले में पीठ ने कहा है कि बिना किसी ठोस साक्ष्य के राज्य पुलिस पर लगाए गए अक्षमता के बेबुनियाद आरोप से मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने को कोई समुचित कारण नजर नहीं आता है।
स्थानीय पुलिस के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गएसुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि संवैधानिक अदालतों को किसी मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने के लिए आदेश देने का पूरा अधिकार है। हालांकि, उक्त फैसले में संविधान पीठ ने साफ कर दिया था कि संवैधानिक अदालतों को किसी मामले की सीबीआइ जांच का आदेश नियमित तरीके से या सिर्फ महज इसलिए नहीं देना चाहिए कि स्थानीय पुलिस के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गए हैं।
पीठ ने कहा है कि हाई कोर्ट को सिर्फ उन मामलों में ही सीबीआइ जांच का आदेश देना चाहिए, जहां साक्ष्यों से पहली नजर में ऐसा कुछ तथ्य सामने आता हो कि सीबीआइ द्वारा जांच की आवश्यकता है।
शीर्ष न्यायालय ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को किया रदसुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया, जिसमें कथित तौर पर आइबी अधिकारी बनकर कारोबारी से 1.49 करोड़ की जबरन वसूली करने की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।
आरोपित विनय अग्रवाल की अपील पर यह फैसला दिया हैसुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मामले में आरोपित विनय अग्रवाल की अपील पर यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा मामला ऐसा नहीं है, जिसकी जांच सीबीआइ की दी जानी चाहिए।
अरविंद केजरीवाल, भूपेंद्र बघेल और चंद्रशेखर राव की गई कुर्सी... क्या सीएम स्टालिन पर भी भारी पड़ेगा शराब घोटाला?
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। चुनावी साल में तमिलनाडु में शराब घोटाला डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर भारी पड़ सकता है। पिछले डेढ़ साल में शराब घोटाले के आरोपों में घिरे तीन मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
इनमें दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव हैं, जिनकी बेटी के कविता दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी हैं। पिछले महीने मारे गए छापे में ईडी ने तमिलनाडु में एक बड़े शराब घोटाले के पुख्ता सबूत मिलने का दावा किया है।
जांच रुकवाने की कोशिश में लगे सीएम स्टालिनशराब घोटाले के चुनावी असर को देखते हुए स्टालिन इसकी ईडी की जांच रुकवाने के लिए पूरी ताकत के साथ जुड़ गए हैं। इसके लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन दोनों जगह से फटकार मिली है।
शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में चार मार्च को तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (टासमैक) के ठिकानों पर ईडी के छापे के खिलाफ हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गईं। लेकिन सुनवाई के पहले की इन याचिकाओं के सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर दी गई।
SC ने मामले को सुनने से इनकार कर दियासुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनने से इनकार कर दिया, हालांकि हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है। ईडी के उच्च पदस्थ अधिकारी के अनुसार शराब की खरीद-बिक्री में घोटाले को लेकर खुद तमिलनाडु पुलिस में कई एफआईआर दर्ज हैं, जो ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए पुख्ता आधार है। कानूनी तौर पर ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से रोका नहीं जा सकता है।
ईडी की जांच में भारी घोटाले के सबूत मिले- ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ईडी की जांच तमिलनाडु में शराब की खरीद, वितरण और दुकानों पर बिक्री तक तीनों स्तरों पर भारी घोटाले के सबूत मिले हैं। शराब के कारोबार को संभालने वाले टासमैक के अधिकारी शराब निर्माता कंपनियों को सप्लाई आर्डर देने के लिए बड़ी मात्रा में रिश्वत वसूल के आरोप हैं।
- वहीं, टासमैक के रिटेल दुकानों पर कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर बिक्री तक में रिश्वत लेने के सबूत मिले हैं। सबसे बड़ी बात टासमैक की दुकानों पर हर बोतल पर ग्राहकों से 10 से 30 रुपये अतिरिक्त बेचने के भी सबूत हैं। टासमैक द्वारा बिना पैन, जीएसटी नंबर और केवाइसी कराये बिना शराब बिक्री का टेंडर जारी करने के भी सबूत मिले हैं।
- ईडी ने अभी तक पूरे घाटाले में की गई काली कमाई का आंकलन नहीं किया है। लेकिन इसकी व्यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। सिर्फ शराब निर्माता कंपनियों के सप्लाई में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले के सबूत मिले हैं। खुदरा दुकानों पर बिक्री में ग्राहकों से की गई अवैध वसूली इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है।
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Phule Release Date: 'फुले' की रिलीज टलने पर गरमाई राजनीति, राहुल गांधी बोले- BJP-RSS करती है दिखावा
राज्य ब्यूरो, मुंबई। समाज सुधारक दंपत्ति ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई फुले पर बनी हिंदी फिल्म फुले का प्रदर्शन स्थगित किए जाने पर राजनीति गरमा गई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर तक के बयान आ रहे हैं। आंबेडकर ने तो शुक्रवार को पुणे स्थित फुले वाड़ा पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन भी किया है।
ज्योतिबा फुले एवं उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले का नाम 19वीं शताब्दी के अग्रणी समाज सुधारकों में लिया जाता है। वह स्वयं माली समाज से आते थे। लेकिन उन्होंने महिलाओं की उन्नति के लिए कई सफल आंदोलन चलाए। पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोलना भी उनके इन्हीं आंदोलनों का हिस्सा है।
महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बना फिल्म पर रोकफिल्म अभिनेता और निर्देशक अनंत महादेवन ने इन्हीं समाज सुधारक दंपत्ति के जीवनचरित एवं संघर्षों पर ‘फुले’ नामक फिल्म का निर्माण किया है। इस फिल्म का प्रदर्शन ज्योतिबा फुले की जयंती 11 अप्रैल को होना था। लेकिन महाराष्ट्र के ब्राह्मण समाज द्वारा फिल्म के कुछ दृश्यों पर किए गए विरोध एवं केंद्रीय सेंसर बोर्ड द्वारा कुछ दृश्यों को काटने का निर्देश दिए जाने के कारण फिल्म का प्रदर्शन आज नहीं हो सका। अब फिल्म का प्रदर्शन रोका जाना महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है।
प्रकाश आंबेडकर ने क्या कहा?फिल्म का प्रदर्शन रोके जाने के विरोध की शुरुआत बाबासाहेब आंबेडकर के पौत्र एवं वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने की। उन्होंने पुणे स्थित फुले वाड़ा में अपने कार्यकर्ताओं के साथ जाकर प्रदर्शन किया। चूंकि उस समय तक राज्य के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी की ओर से फिल्म का प्रदर्शन रोके जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।
इस बारे में एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि महात्मा फुले और सावित्री बाई फुले के अपमान पर कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) चुप क्यों हैं। ये सभी वंचित बहुजन आघाड़ी की तरह विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं ? तो प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि क्योंकि ज्योतिबा फुले ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से थे। अगर वे मराठा होते, तो कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) सड़कों पर होते। ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई माली समाज से थे, इसलिए महाविकास आघाड़ी उनके अपमान का विरोध नहीं कर रही है।
राहुल गांधी की भी एंट्रीलेकिन शाम होते-होते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दोनों संगठन एक तरफ फुले जी को दिखावटी नमन करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके जीवन पर बनी फिल्म को लेकर सेंसर कर रहे हैं।
राहुल ने आगे कहा कि महात्मा फुले एवं सावित्रीबाई फुले ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मगर सरकार उस संघर्ष और उसके ऐतिहासिक तथ्यों को पर्दे पर नहीं आने देना चाहती। भाजपा और संघ हर कदम पर दलित-बहुजन इतिहास को मिटाना चाहते हैं। ताकि जातीय भेदभाव और अन्याय की असली लड़ाई सामने न आ सके।
BJP-RSS के नेता एक तरफ फुले जी को दिखावटी नमन करते हैं, और दूसरी तरफ उनके जीवन पर बनी फिल्म को सेंसर कर रहे!
महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले जी ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा जीवन समर्पित कर दिया, मगर सरकार उस संघर्ष और उसके ऐतिहासिक तथ्यों को पर्दे पर नहीं आने देना चाहती।…
अब इस विवाद में कूदते हुए भाजपा सांसद में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने कहा है कि लड़कियों के लिए पहला विद्यालय आठवें छत्रपति प्रतापराव भोसले ने अपने सातारा के महल में शुरू किया था। उनसे प्रेरणा लेकर बाद में ज्योतिबा फुले ने यह स्कूल शुरू किया।
ये कोई एजेंडा फिल्म नहीं है: अनंत महादेवनफिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन का कहना है कि फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद कुछ गलतफहमी हो गई है। हम इसे दूर करना चाहते हैं, ताकि फिल्म को बिना किसी रुकावट के देखा जा सके।
महादेवन कहते हैं कि जब मैंने अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें बताया कि हमने फिल्म में दिखाया है कि कैसे ब्राह्मणों ने ज्योतिबा फुले को 20 अस्पताल खोलने में मदद की, तो वे खुश हुए थे। जब फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, तो ये ब्राह्मण ही उसके स्तंभ थे। मैं खुद एक कट्टर ब्राह्मण हूं। मैं क्यों अपने समुदाय को बदनाम करूंगा। हमने सिर्फ तथ्य दिखाए हैं। ये कोई एजेंडा फिल्म नहीं है।
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एयरफोर्स ने सुखोई से दागा 'गौरव', स्वदेशी ग्लाइड बम की 100 किमी है रेंज; दुश्मन के घर में घुसकर करेगा हमला
पीटीआई, नई दिल्ली। वायुसेना को जल्द ही ग्लाइड बम गौरव मिलने वाला है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सुखोई विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम गौरव का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
गौरव एक हजार किलोग्राम वर्ग का ग्लाइड बम है जिसे डीआरडीओ ने स्वदेशी तौर पर डिजाइन और विकसित किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि आठ से 10 अप्रैल तक सुखोई-30 एमकेआइ विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम (एलआरजीबी) 'गौरव' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल रहा।
सशस्त्र बलों की क्षमताओं में होगी वृद्धिरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गौरव के सफल विकास परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, वायुसेना और संबंधित उद्योग भागीदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लंबी दूरी के ग्लाइड बम के विकास से सशस्त्र बलों की क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी।
उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षममंत्रालय ने कहा कि इस प्रणाली को साझीदारों अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलाजीज, भारत फोर्ज और विभिन्न एमएसएमई के सहयोग से साकार किया गया है। परीक्षण से इस हथियार को वायुसेना में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ग्लाइड बम की रेंज सामान्य बम से काफी अधिक हो सकती है। विमान से छोड़े जाने के बाद यह हवा में ग्लाइडर की तरह उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाते हैं।
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अमेरिकी खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड का EVM हैकिंग पर वीडियो वायरल, चुनाव आयोग बोला- हमारे पास अलग तकनीक
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में इस्तेमाल वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन ( ईवीएम) ने भले ही अपने 43 साल के सफर में बड़ी-बड़ी अग्निपरीक्षाएं को पास किया और सब में खरी उतरी है लेकिन इसके बाद भी ईवीएम से जुड़ी किसी तरह की गड़बड़ी का जैसे जिक्र आता है, देश का एक वर्ग उत्साहित हो जाता है।
ताजा मामला अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड के एक वीडियो से जुड़ा है, जिसमें अमेरिकी के इलेक्ट्रानिक वोटिंग सिस्टम को वह कमजोर बताती हैं और कहती हैं इसे हैक किया जा सकता है।
तुलसी की बातों को कांग्रेस के नेताओं ने बनाया आधारतुलसी ने कहा कि इसके हैक होने के उनके पास कुछ तथ्य भी मौजूद है। यह बात उन्होंने भले ही अमेरिकी ईवीएम के संदर्भ में कही थी लेकिन इसे आधार बनाकर कांग्रेस से जुड़े नेता और समर्थक इसे इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करने लगे। कांग्रेस से राजस्थान से जुड़े नेता, महिला कांग्रेस से जुड़े कई नेताओं ने इस वीडियो साझा किया और कहा कि यह बात तो राहुल गांधी भी कहते है। अब इसके प्रमाण भी मिल गए है। इस मामले के तूल पकड़ते देख चुनाव आयोग के जुड़े अधिकारिक ने भी मोर्चा संभाला।
भारत और अमेरिका का ईवीएम अलग: चुनाव आयोगआयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तुलसी गबार्ड जिस ईवीएम की बात कर रही है वह अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम की बात है। दुनिया के कई देशों में मौजूदा समय में ऐसे मशीनें इस्तेमाल में ली जा रही है, जिसमें इंटरनेट या फिर दूसरे नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि भारत में ऐसा नहीं है। यहां इस्तेमाल होने वाली ईवीएम न तो हैक हो सकती है न ही इसे इंटरनेट या किसी दूसरे नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है।
गौरतलब है कि देश में अब तक ईवीएम के जरिए पांच आम चुनाव और करीब 150 विधानसभाओं के चुनाव हो चुके है। इनके नतीजों से देश में 44 बार सत्ता में परिवर्तन हुआ है।
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रात में हमला... सुबह पहुंचे NSG कमांडो, तहव्वुर पर अब श्रेय लेने की होड़; तब जवाबी कार्रवाई में लाचार क्यों दिखा था भारत?
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद देश में श्रेय लेने की भी होड़ है। लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी हमले के दौरान हर स्तर पर शीर्ष पदाधिकारियों व एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव और जवाबी कार्रवाई में देरी देखी गई थी। इसका नतीजा था कि रात को 9.30 बजे हुए आतंकी हमले के खिलाफ एनएसजी की कार्रवाई सुबह सात बजे शुरू हो सकी थी।
दरअसल 26 नवंबर 2008 को 9.30 बजे मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आतंकी हमले शुरु हुए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देखमुख केरल में थे। उन्हें शहर में प्रमुख स्थानों पर हमलों की जानकारी दी गई।
पूरी स्थिति की गंभीरता समझने के बाद उन्होंने 11 बजे रात में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल को फोन कर 200 एनएसजी कमांडो भेजने की मांग की। लेकिन मानेसर में रह रहे एनएसजी कमांडो को मुंबई ले जाने के लिए कोई विमान ही नहीं थी। इसके लिए जरूरी आईएल-76 विमान चंडीगढ़ में था।
देर रात दिल्ली पहुंचा आईएल-76 विमानरात में पायलट को उठाकर इंधन भराकर विमान को दिल्ली भेजा गया, जो दो बजे मुंबई के लिए उड़ सका। आईए-76 विमान की स्पीड कम होने के कारण यह तीन घंटे में मुंबई पहुंचा और वहां से कमांडो को ताज होटल तक ले जाने में 40 मिनट लग गए। सुबह सात बजे आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन शुरू हो सका। ऑपरेशन के दौरान भी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव दिखता रहा।
होटल का ले-आउट भी काफी देर से मिलादाउद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली की रेकी की वजह से आतंकी होटल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। वहीं, एनएसजी के पास होटल का ले-आउट तक नहीं पहुंचा। बीएमसी से काफी से देरी से ले-आउट प्लान मिल सका। इसके अलावा हमले की लाइव रिपोर्टिंग कर रहे न्यूज चैनलों के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय की ओर से कोई निर्देश नहीं था। पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका होटल के भीतर के आतंकियों के लाइव रिपोर्टिंग देखकर रणनीति समझा रहे थे।
रोकी गई चैनलों की लाइव रिपोर्टिंगखुफिया एजेंसियों द्वारा उनकी बातचीत सुनने के बाद न्यूज चैनलों को लाइव रिपोर्टिंग रोकने का निर्देश जारी हो सका। यदि विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल होता और तत्काल निर्णय लेकर उसके क्रियान्वयन के रास्ते खोजे जाते तो शायद बहुत सारी जाने बचायी जा सकती थी। आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी साजिश साबित करने के लिए एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब ही था।
पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गईदाउद गिलानी मुंबई आकर रेकी करता रहा और हमले के एक हफ्ता पहले तहव्वुर राणा हापुड़, आगरा, दिल्ली, मुंबई से लेकर कोची तक घुमता रहा। लेकिन भारतीय एजेंसियों को इनके मंसूबों की भनक तक नहीं लगी। इन दोनों के मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने का खुलासा भी उनकी अमेरिकी में गिरफ्तारी और अमेरिकी एजेंसियों की पूछताछ के बाद हुआ।
यही नहीं, इतने बड़े आतंकी हमले के बावजूद भी भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं की गई और पाक सीमा के नजदीक कुछ महीनों तक सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद उन्हें वापस बैरक में बुला लिया गया।
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अब तारीख पर तारीख नहीं, तहव्वुर राणा को जल्द मिलेगी सजा; नए कानून का होगा असर
माला दीक्षित, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यार्पित करके भारत लाया गया है। अब उस पर मुकदमा चलेगा और उसे सजा सुनाई जाएगी। लेकिन सवाल है कि इसमें कितना समय लगेगा। ऐसे में अगर पिछले साल लागू हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में तय टाइम लाइन को देखा जाए तो पता चलता है कि तहव्वुर राणा के केस में तारीख पर तारीख का पेंच नहीं फंसेगा।
दरअसल, नए कानून में मुकदमों के त्वरित निपटारे को सुनिश्चित करने के लिए केस दर्ज होने से लेकर ट्रायल पूरा होने और फैसला सुनाने तक की टाइम लाइन तय है और राणा के ट्रायल पर इसका सकारात्मक असर होगा।
नए कानून का होगा असरवैसे तो करीब पांच करोड़ मुकदमों के बोझ तले दबी न्यायपालिका को अक्सर देरी में न्याय के लिए निशाना बनाया जाता है। लेकिन इसी समस्या से निबटने के उपाय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किए गए हैं।
इसमें केस दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने और दया याचिका देने तक की टाइम लाइन तय करके यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि अधिकतम तीन साल में हर केस का ट्रायल पूरा होकर फैसला आ जाए।
NIA की 18 दिन की हिरासत में भेजा गया राणाएनआईए ने मुंबई हमले के मामले में तहव्वुर राणा के खिलाफ 2009 में ही एफआईआर दर्ज कर ली थी, लेकिन उसे भारत अब लाया जा सका है और अब उसका मुकदमा शुरू होगा। कोर्ट ने एनआईए को पूछताछ के लिए राणा की 18 दिन की कस्टडी दी है। केस में इसी जगह से नए कानून का रोल शुरू होगा जो कहता है कि किसी भी मुकदमे की 60 और 90 दिन के भीतर जांच पूरी करके अदालत में आरोपपत्र दाखिल करना होगा।
सीमित समय में राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना होगाअगर जांच 90 दिन से ज्यादा जारी रखनी पड़े तो अधिकतम 180 दिन तक का समय मिल सकता है, लेकिन इसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। ऐसे में इतना साफ है कि 180 की समय सीमा अंतिम समय सीमा है और इसी के भीतर राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना होगा। अदालत के लिए भी टाइम लाइन है जो कहती है कि अदालत 14 दिन में केस पर संज्ञान लेगी और ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में केस ट्रायल पर आ जाना चाहिए।
राणा के मामले में ट्रायल जल्दी पूरा होने की उम्मीद- दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करने की भी 30 दिन की समय सीमा तय है। जाहिर सी बात है कि तहव्वुर राणा को इतनी मुश्किल से प्रत्यार्पित करके लाया गया है तो उसका ट्रायल जल्दी चलेगा हो सकता है कि रोजाना हो। अगर ऐसा होता है तो बहुत जल्दी ट्रायल पूरा होने की उम्मीद होगी। नए कानून में ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत के फैसला देने की भी टाइम लाइन तय है जो कहती है कि अदालत को ट्रायल पूरा होने के बाद 30 दिन में फैसला देना होगा।
- अगर 30 दिन में फैसला नहीं दिया जाता है तो कोर्ट लिखित में उसका कारण दर्ज करेगा और अवधि को 45 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। यानी सीमा रेखा खिंची है कि अदालत फैसला सुनाने में 45 दिन से ज्यादा की देरी नहीं कर सकती। कई बार मुकदमे में निचली अदालत से ट्रायल पूरा होकर जल्दी फैसला आ जाता है, लेकिन मामला अपील में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लटका रहता है।
- तहव्वुर राणा के मामले में उम्मीद है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी रफ्तार से निपटारा करेंगे। ऐसा मुंबई हमलों के मुख्य दोषी अजमल कसाब के केस को देख कर लगता है जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपील निबटाने में ज्यादा समय नहीं लिया था। कसाब का मामला देखा जाए तो गिरफ्तारी से लेकर उसे फांसी दिये जाने तक चार वर्ष का समय लगा था।
- अब उम्मीद की जाती है कि नए कानून में प्रक्रिया और त्वरित हो जाने से राणा के मुकदमे में इतना वक्त भी नहीं लेगेगा। नये कानून में दया याचिका का भी समय तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी। तो अगर इन सारी चीजों को देखा जाए और कानून में तय समय सीमा का पालन किया जाता है तो तहव्वुर राणा का मुकदमा जल्दी निपटेगा और उसमें तारीख पर तारीख नहीं पड़ेगी।
कौशल विकास केंद्र का नाम हेडगेवार पर रखे जाने पर बवाल, युवा कांग्रेस ने किया प्रदर्शन; पुलिस ने जबरन हटाया
पीटीआई, पलक्कड़। केरल के पलक्कड़ में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक कौशल विकास केंद्र के शिलान्यास समारोह में डीवाईएफआई और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। दिव्यांग केंद्र का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव राव बलिराम हेडगेवार के नाम पर रखे जाने के विरोध में प्रदर्शन किया गया।
माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दो तरफ से कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की, वहीं पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। यह कार्यक्रम भाजपा शासित पलक्कड़ नगरपालिका द्वारा आयोजित किया गया था।
नगर पालिका अध्यक्ष ने किया बचावनगर पालिका अध्यक्ष प्रमिला शशिधरन ने सवाल किया कि नाम में क्या रखा है? उन्होंने कहा कि परियोजना के पीछे की मंशा दिव्यांगों की मदद करना है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर स्टेडियम हैं।
हेडगेवार ने दिव्यांगों के लिए काम किया है तो केंद्र का नाम उनके नाम पर रखने में क्या गलत है? टीवी चैनलों पर दिखाए गए दृश्यों के अनुसार, डीवाईएफआई कार्यकर्ता मंच पर चढ़ गए, उन्होंने कार्यक्रम के बैनर को फाड़ दिया, नारे लगाए और माइक पोडियम को भी धक्का दे दिया।
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Tahawwur Rana को देश के अलग-अलग शहरों में क्यों ले जाया जाएगा, आतंकी के साथ अगले 18 दिनों तक NIA क्या करेगी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका से भारत लाए गए आतंकी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) फिलहाल दिल्ली स्थित एनआईए (NIA) हेडक्वार्टर में मौजूद है। एनआईए अधिकारी लगातार उससे पूछताछ कर रहे हैं। गुरुवार को पालम एयरपोर्ट से सीधे राणा को पटियाला हाउस कोर्ट लाया जाया गया।
अदालत ने राणा को NIA की 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है। 18 दिनों की रिमांड के दौरान तहव्वुर राणा के साथ क्या-क्या पूछताछ की जाएगी। वहीं, इन 18 दिनों में राणा को देश के किन शहरों में ले जाया जाएगा इस पर आज (शुक्रवार) एनआईए अधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग हुई।
देश के कई शहरों में राणा को ले जाया जाएगाशुरुआत के कुछ दिनों में राणा के साथ पूछताछ की जाएगी। फिर आतंकी हमले से पहले जिन-जिन स्थानों पर तहव्वुर राणा, डेविड हेडली (मुंबई आतंकी हमले का अन्य मास्टरमाइंड) ने रेकी की थी, उन स्थानों पर उसे ले जाया जाएगा। इसके बाद इसकी भी एक विस्तृत रिपोर्ट बनेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि राणा को मुंबई, अहमदाबाद, आगरा, दिल्ली के कुछ इलाकों में ले जाया जाएगा।
बता दें कि साल 2008 में 13 नवंबर और 21 नवंबर के बीच तहव्वुर राणा और उसकी पत्नी ने दिल्ली, आगरा, अहमदाबाद और मुंबई सहित कई शहरों का दौरा किया था। वहीं, वो इस दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंसी (ISI) के संपर्क में भी था। ISI ने आतंकी हमले के लिए तहव्वुर को फंडिंग भी दी थी।
(फोटो सोर्स: U.S. Marshals Service photo by Shane T. McCoy)
क्या तहव्वुर राणा को हो सकती है फांसी?175 बेगुनाहों की मौत का गुनहगार तहव्वुर राणा को फांसी होगी या नहीं, इसकी चर्चा देशभर में हो रही है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि प्रत्यर्पण के मामले में अभियुक्त जिस देश से आ रहा है अगर वहां मृत्युदंड की सजा है तो उसे यहां भारत में भी मृत्युदंड दिया जा सकता है। राणा के कनाडा का नागरिक होने पर वह कहते हैं कि अभियुक्त किस देश का नागरिक है इसका कोई फर्क नहीं पड़ता अगर अपराध भारत में हुआ है तो उसे भारत के कानून से डील किया जाएगा। उस पर भारत का कानून लागू होगा।
क्या कहता है प्रत्यर्पण संधि?नियम के अनुसार, प्रत्यर्पण पत्र में जिस मुकदमे और जिन आरोपों का जिक्र किया गया होगा उन्हीं मामलों में राणा पर मुकदमा चलेगा। अमेरिका और भारत के बीच 1997 में हुई प्रत्यर्पण संधि का आर्टिकल 8 कहता है कि जिस अपराध में मुकदमा चलाने और सजा देने के लिए प्रत्यर्पण मांगा जा रहा, अगर वह अपराध प्रत्यर्पण का अनुरोध करने वाले देश में मृत्यु दंड से दंडित किया जा सकता है लेकिन यदि प्रत्यर्पित करने वाले देश में उस अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है तो वह देश प्रत्यर्पण की मांग ठुकरा सकता है।
गौरतलब है कि तहव्वुर राणा पर आतंकवाद का आरोप है। उस पर भारत पर हमला करने की साजिश के आरोप हैं और आतंकवाद के अपराध में अमेरिका में भी मृत्युदंड की सजा है। बता दें कि देश में न्यायपालिका प्रक्रिया ऐसी है कि रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में ही फांसी की सजा दी जाती है। उम्मीद जताई जा रही है कि अदालत तहव्वुर राणा के मुकदमे को भी रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस के तौर पर देखेगी और उसे फांसी की सजा देगी।
(पीटीआई इनपुट से)
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