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Bihar News: '3588 करोड़ रुपये बकाया', राजद ने नीतीश सरकार पर लगाया मजदूरों का हक मारने का आरोप
राज्य ब्यूरो, पटना। राजद ने एक बार फिर रोजगार के मुद्दे पर प्रदेश की नीतीश सरकार पर हमला बोला है। राजद ने आरोप लगाया कि मनरेगा मजदूरों की बकाया राशि का भुगतान नहीं करके सरकार पलायन बढ़ाने का उपक्रम कर रही है। इसके साथ ही राजद ने अपराध, भ्रष्टाचार एवं आरक्षण के मुद्दे पर भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा।
3588 करोड़ बकाया का नहीं हुआ भुगतानमनरेगा मजदूरों की बकाया राशि और सामग्री मद में दिसंबर 2024 के बाद अब तक 3588 करोड़ रुपये बकाया का भुगतान नहीं हुआ है। बुधवार को प्रेस-वार्ता कर पार्टी की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कसा तंजप्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार आकर बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन किसानों और मजदूरों के संबंध में उन्होंने कुछ नहीं बोला। सरकार को गरीबों की आह से डरना चाहिए।
मजदूरों की पारिश्रमिक देने में असमर्थ सरकार : राजदप्रेस-वार्ता में प्रवक्ता एजाज अहमद, सारिका पासवान, मधु मंजरी, अरुण कुमार यादव व आरजू खान भी उपस्थित रहे। शक्ति ने प्रश्न किया कि बिहार सरकार कोई एक काम बताएं, जो जन-हित में हो। उन्होंने आरोप लगाया कि मजदूरों की पारिश्रमिक देने में असमर्थ सरकार विकास कैसे कर रही है, यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
महागठबंधन शासन में तेजस्वी यादव ने किया विकासइसके साथ ही राजद नेताओं ने राज्य में अपराध, भ्रष्टाचार एवं आरक्षण को लेकर भी एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसी के साथ उन्होंने महागठबंधन शासन-काल में हुए कामों का श्रेय तेजस्वी यादव को दिया।
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Bihar Politics : आरजेडी विधायक रीतलाल यादव ने दानापुर कोर्ट में किया सरेंडर, भेजे गए बेऊर जेल
जागरण संवाददाता, पटना। Ritlal Yadav: लालू यादव के सबसे करीबी विधायकों में से एक रीतलाल यादव और उनके छोटे भाई ने दानापुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया गया।
उनके ऊपर बिल्डर से रंगदारी मांगने का आरोप था। साथ ही साथ धमकी देने का भी आरोप लगा था। उनके साथ दो अन्य लोगों ने भी सरेंडर किया है। इन सभी ने व्यवहार न्यायालय के एसीजीएम 5 के न्यायालय में आत्म समर्पण किया।
वकील बोले- बिल्डर ने झूठा मुकदमा दर्ज करवाया थारीतलाल यादव के वकील के मुताबिक किसी बिल्डर ने उन पर रंगदारी का झूठा आरोप लगाया था। पुलिस को उसी मामले में उनकी तलाश थी। जैसे ही उन्हें पता चला कि पुलिस उन्हें तलाश कर रही है, उन्होंने स्वेच्छा से कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, साथ ही अन्य लोगों को भी जिन्हें आरोपी बनाया गया था।
जमानत याचिका दायर नहीं की गई है। शायद हम एक-दो दिन में इसे दायर करेंगे। मामला झूठा है। यह रंगदारी का मामला नहीं हो सकता। विधायक रीतलाल यादव के साथ पिंकू यादव, चिक्कू और श्रवण ने भी आज आत्मसमर्पण कर दिया है।
रीतलाल और उनके सहयोगियों पर लगे गंभीर आरोपरीतलाल यादव और उनके सहयोगियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाने, रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
पुलिस ने 11 अप्रैल को उससे संबंधित 11 स्थानों पर तलाशी ली और करीब 10.5 लाख रुपये, 77.5 लाख रुपये के खाली चेक, भूमि हड़पने के 14 दस्तावेज और समझौते, 17 चेकबुक और पांच स्टांप, छह पेन ड्राइव और वॉकी-टॉकी बरामद किए।
कौन हैं रीतलाल यादव?- रीतलाल यादव पटना जिले के कोथवा गांव के रहने वाले हैं
- अभी दानापुर विधानसभा से आरजेडी विधायक हैं
- रीतलाल यादल लालू यादव के काफी करीबी माने जाते हैं
- साल 2016 में जेल में रहते हुए रीतलाल यादव MLC बने थे
- रीतलाल यादव पर भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के आरोप लगे थे
- रेलवे ठेकेदार की हत्या के मामले में भी चर्चा में आए थे रीतलाल यादव
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Bihar Election 2025: पटना में महागठबंधन की अहम बैठक आज, सीट शेयरिंग सहित इन मुद्दों पर होगी चर्चा
राज्य ब्यूरो, पटना। गुरुवार दोपहर एक बजे से राजद के प्रदेश कार्यालय में महागठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है। इसमें उन मुद्दों पर आगे की रणनीति तय होगी, जिन पर मंगलवार को नई दिल्ली में चर्चा हो चुकी है। इसके अलावा चुनावी रणनीति से जुड़े कुछ वैसे मुद्दों पर भी सहमति बनेगी, जिन पर बाद में राजद और कांग्रेस आलाकमान की सहमति ली जाएगी।
सकारात्मक रही बैठकनई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव की वार्ता सकारात्मक रही है। मुख्यमंत्री के पद पर संशय के बावजूद कांग्रेस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
चुनावी रणनीति पर चर्चाऐसे में पटना की बैठक के एजेंडा में चुनावी रणनीति है। एक सुर के लिए उन मुद्दों पर सहमति बनाई जाएगी, जिनसे सभी घटक दलों की संभावना जुड़ी है। इसके अलावा घटक दल अपनी संभावना और अपेक्षा वाली सीटों के संदर्भ में भी चर्चा करेंगे।
बैठक में ये नेता हो सकते हैं शामिलबैठक में सभी घटक दलों के राज्य-स्तरीय नेताओं की उपस्थिति होगी। राजद की ओर से अब्दुल बारी सिद्दीकी, मनोज झा, संजय यादव सहित तेजस्वी यादव भी बैठक में सहभागी हो सकते हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और विधानसभा में पार्टी नेता डॉ. शकील अहमद की उपस्थिति होनी है।
तीनों वाम दलों (भाकपा, माकपा, माले) के प्रदेश सचिवों के साथ वरीय नेता विचार-विमर्श करेंगे। विकासशील इंसान पार्टी के संरक्षक मुकेश सहनी तो रहेंगी ही, रालोजपा के अध्यक्ष पशुपति पारस के भी प्रतिनिधित्व की संभावना व्यक्त की जा रही।
हालांकि, यह अंतिम रूप से तय नहीं। उल्लेखनीय है कि अभी महागठबंधन में छह घटक दल (राजद, कांग्रेस, वीआइपी, भाकपा, माकपा, माले) हैं।
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वक्फ कानून पर SC से मिलेगी सरकार को राहत या लगेगी रोक? पढ़ें 'सुप्रीम' सुनवाई में अभी तक क्या-क्या हुआ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत में वक्फ कानून को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई, जो करीब 70 मिनट तक चली। इस दौरान वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलें रखीं, वहीं केंद्र सरकार ने भी कानून के बचाव में अपना पक्ष रखा। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार से तीखे सवाल भी किए। आज भी इस मामले पर सुनवाई होने वाली है, फिर तस्वीर साफ हो जाएगी।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तमाम तरह की दलीलें दी गई और तर्क पेश किया गया। बुधवार को सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ, ये जानने से पहले जानते हैं कि आखिर क्यों कल सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करने से खुद को रोक लिया? क्यों अंतरिम आदेश से पहले कोर्ट ने सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया?
बुधवार को कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
- वक्फ कानून से जुड़े तीन संसोधनों को लेकर बुधवार को अंतरिम आदेश आ सकता था।
- पहला मुद्दा- वक्फ बाय यूजर संपत्तियों का डिनोटिफेकेशन।
- दूसरा मुद्दा- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना।
- तीसरा मुद्दा- वक्फ प्रोपर्टी के विवाद में कलेक्टर को मिले अधिकार।
- केंद्र सरकार ने अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अपनी दलीलें सुनने की अपील की।
- वक्त की कमी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की सुनवाई आगे बढ़ा दी।
बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ कानून को लेकर करीब 70 मिनट तक सुनवाई चली। इससे एक बात साफ हो गई कि इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करेगा। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिर अंतरिम आदेश में क्या होगा। क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून पर रोक लगाएगा?
CJI ने केंद्र से पूछे तीखे सवाल
वक्फ कानून को लेकर 70 मिनट तक हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए। इससे तस्वीर थोड़ी साफ हो गई है कि आज सुनवाई के बाद वक्फ कानून के तीन संसाधनों को लेकर कोर्ट का अंतरिम आदेश आ जाए।
वक्फ कानून को लेकर क्या-क्या दलीलें दी गई?
बुधवार को सुनवाई के दौरान सबसे पहले कपिल सिब्बल ने कहा, "ये इतना आसान नहीं है, वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है, अब ये तीन सौ साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे, यहां समस्या है।" इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "वक्फ बाय यूजर क्यों हटाया गया, कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर्ड किया जाएगा।"
अदालत ने आगे कहा, "ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम ये जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ सही वक्फ संपत्तियां हैं। इगर इसे खत्म करेंगे तो समस्या होगी।"
सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर्ड है तो वह वक्फ की संपत्ति ही रहेगी। किसी को रजिस्ट्रेशन से रोका नहीं गया है। 1923 में जो पहला कानून आया था उसमें भी सपत्ति का पंजिकरण अनिवार्य था। 1954, 1995 में भी अनिवार्य था। 2013 में बदलाव किया गया, उसमें भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल
- पहला सवाल- अगर कोई संपत्ति बाय यूजर है और वो रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका क्या होगा?
- दूसरा सवाल- संपत्ति का विवाद में होने का मतलब क्या है?
- तीसरा सवाल- ब्रिटिश के पहले रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था, ऐसे में क्या होगा?
- चौथा सवाल- अगर कोई संपत्ति वक्फ बाय यूजर है तो उस स्थिति में क्या होगा?
कोर्ट के सवालों का केंद्र सरकार ने दिया जवाब
- पहला जवाब- कलेक्टर उसकी जांच करेगा और पता चलता है कि वो सरकारी संपत्ति है तो रेवेन्यू रिकॉर्ड में उसे सही किया जाएगा।
- दूसरा जवाब- अगर किसी को कलेक्टर के फैसले से समस्या है तो वो ट्रिब्यूनल में जा सकता है।
आज भी जारी रहेगी सुनवाई
बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए गए। कोर्ट ने नए कानून के तहत कलेक्टर को दिए गए अधिकारों को लेकर भी सवाल खड़े किए। अब आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या अंतरिम आदेश जारी करता है।
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Bihar News: बिहटा-मनेर मार्ग को लेकर नीतीश सरकार ने दे दी बड़ी खुशखबरी, जेपी गंगा पथ तक का सफर हो जाएगा आसान
जितेंद्र कुमार, पटना। Digha-Koilwar Expressway: दीघा से कोईलवर तक जेपी गंगा पथ के 36 किलोमीटर विस्तार के पहले बिहटा से दानापुर वाया मनेर पुराने एनएच-30 का चौड़ीकरण किया जाएगा। दानापुर के शाहपुर से बिहटा चौराहा तक 22 किलोमीटर लंबे इस मार्ग की चौड़ाई 14 मीटर करने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है।
अन्य सड़क परियोजनाओं की योजनामानसून से पहले गोला रोड के साथ दीघा-खगौल नहर रोड को भी 14 मीटर चौड़ी करने की योजना है। मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के दौरान घोषित सड़क परियोजनाओं का डीपीआर तैयार कर लिया गया है। पटना पश्चिम पथ प्रमंडल को तीन बड़ी सड़क परियोजनाओं की कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बिहटा मार्ग का चौड़ीकरणदानापुर कैंट के बाद शाहपुर से मनेर होते बिहटा चौराहा तक 22 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण पर 70 करोड़ खर्च आने की संभावना है। इस मार्ग के चौड़ीकरण से बक्सर और आरा की ओर से सीधे दानापुर, दीघा और जेपी गंगा पथ से सुगम संपर्क हो जाएगा।
यह जेपी गंगा पथ के कोईलवर तक विस्तार होने तक नया विकल्प होगा। दानापुर-बिहटा एलिवेटेड रोड के निर्माण कार्य से बक्सर की ओर से पटना के रास्ते में जाम की बाधा दूर होने की उम्मीद है।
गोला रोड चौड़ीकरण पर 20 करोड़ का डीपीआरदानापुर में नेहरू मार्ग (बेली रोड) से गोला रोड तक चौड़ाई बढ़ाकर 14 मीटर करने के लिए निविदा की प्रक्रिया मई तक पूरा कर ली जाएगी। निर्माण कार्य के लिए अस्थाई अतिक्रमण को हटाने के लिए सीमांकन का कार्य पूरा कर लिया गया है।
वर्तमान में यह सड़क 7.5 मीटर चौड़ी है। चौड़ीकरण के बाद सात-सात मीटर के दो लेन हो जाएंगे तो इस क्षेत्र में जाम की समस्या का निदान हो जाएगा। सड़क विस्तार में नाले को भी आवागमन के लिए उपयोगी बनाने का प्रविधान डीपीआर में किया गया है।
इस परियोजना पर 20 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। सड़क के दोनों ओर फुटपाथ और बीच में डिवाइडर बनाया जाएगा ताकि दोनों लेन में निर्बाध आवागमन हो सके।
खगौल नहर रोड चौड़ीकरण को हटेगा स्कूलखगौल आरओबी से दीघा तक सोन नहर रोड की चौड़ाई बढ़ाकर 14 मीटर किया जाएगा। इस योजना पर 70 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। निर्माण कार्य के लिए चुलहाईचक और कोथवां मौजे में नहर किनोर निर्मित प्राथमिक विद्यालय को तोड़कर दूसरे भवन में स्थानांतरित किया जाएगा।
नहर किनारे अतिक्रमण को हटाकर फोरलेन बनाया जाएगा। मई तक इस परियोजना का कार्य आरंभ करने के लिए जमीन की मापी कर ली गई है। अतिक्रमण को चिह्नित कर जिला प्रशासन इसे हटाने की तैयारी कर रहा है।
दानापुर-मनेर रोड, गोला रोड और खगौल नहर रोड परियोजना का कार्य समय पर पूरा कराने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। निविदा को अंतिम रूप देते ही कार्य आरंभ कराया जाएगा। तीनों परियोजना में जमीन की कोई बाधा नहीं होगी। सरकारी जमीन पर अस्थाई अतिक्रमण को समय रहते लोग नहीं खाली करेंगे तो नोटिस देकर हटाया जाएगा ताकि लोकहित का कार्य समय पर पूरा हो।
डॉ. चंद्रशेखर सिंह, जिलाधिकारी, पटना।
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Bihar Weather: बिहार के इन दो जिलों में आंधी-तूफान के साथ होगी तेज बारिश, IMD ने जारी की चेतावनी
जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Weather Today: पूर्वी मध्यप्रदेश के ऊपर चक्रवाती परिसंचरण छत्तीसगढ़, झारखंड होते हुए गंगीय पश्चिम बंगाल तक एक द्रोणिका रूप में है। इसके प्रभाव से राजधानी समेत आसपास इलाकों में बादल छाए रहने के साथ गरज-तड़क की संभावना है।
किशनगंज और अररिया में भारी बारिश की संभावनाप्रदेश के किशनगंज और अररिया जिले के कुछ स्थानों पर भारी वर्षा को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। पश्चिमी व मध्य भागों के जिलों के एक या दो स्थानों पर मेघ गर्जन, वज्रपात और 40-50 किमी प्रतिघंटा की गति से हवा चलने को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग के अनुसार अगले चार दिनों तक प्रदेश के अधिसंख्य भागों में मेघ गर्जन, वज्रपात के साथ आंधी-पानी की चेतावनी है।
गया के डोभी में 8.2 मिमी बारिश दर्जबीते 24 घंटों के दौरान गया के डोभी में 8.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई। बुधवार को पटना सहित अधिसंख्य भागों के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई।
पटना का अधिकतम तापमान 35.1 डिग्री सेल्सियस जबकि 37.2 डिग्री सेल्सियस के साथ डेहरी में सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। पटना व आसपास इलाकों में शाम के समय आंशिक रूप से बादल छाए रहे।
प्रमुख शहरों के तापमान में वृद्धिबुधवार को पटना सहित प्रमुख शहरों के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। पटना व गया के अधिकतम तापमान में 1.5 डिग्री, औरंगाबाद में 1.7 डिग्री, डेहरी में दो डिग्री, बक्सर में 3.7 डिग्री, भोजपुर में 2.2 डिग्री, नालंदा में 2.4 डिग्री।
जमुई में 3.3 डिग्री, बांका में 2.5 डिग्री, कटिहार में तीन डिग्री, पूर्णिया में 1.8 डिग्री, वैशाली में 1.4 डिग्री, सुपौल में 3.3 डिग्री, मधुबनी में 1.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई।
प्रमुख शहरों का तापमान शहर अधिकतम (तापमान डिग्री सेल्सियस में)न्यूनतम (तापमान डिग्री सेल्सियस में) पटना 35.1 24.4 गया 36.6 20.8 भागलपुर 35.7 23.6 मुजफ्फरपुर 34.2 24.1
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Bihar Bhumi: भू-लगान को लेकर नीतीश सरकार सख्त, बड़े बकायेदारों के खिलाफ होगी नीलाम की कार्रवाई
राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग अब लगान (Bihar Bhumi Lagan) वसूली में सख्ती कर रहा है। विभाग के सचिव जय सिंह ने अंचल और जिला स्तर के बड़े बकायेदारों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। ऐसे बड़े बकायेदारों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई होगी।
अंचल स्तर के 25 और जिला स्तर के 10 बड़े बकायेदारों की सूची तैयार होगी। अंचल स्तर के बकायेदारों को नोटिस देने और जिला स्तर के बकायेदारों के विरूद्ध नीलाम पत्र वाद दायर करने का आदेश गया है। पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक के निर्णयों को लेकर बुधवार को पत्र जारी किया गया है।
विभाग को लंबे समय से मिल रही थी ये शिकायतविभाग को लंबे समय से यह शिकायत मिल रही थी कि प्रकृति में बदलाव की कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना लोग जमीन का उपयोग कर रहे हैं। जमीन के उपयोग में बदलाव की स्थिति में सरकार को शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
सचिव ने आदेश दिया कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए जो लोग जमीन की प्रकृति बदल कर उपयोग कर रहे हैं, उन्हें नोटिस जारी किया जाए।
12000 से अधिक जमाबंदी पेंडिंगसमीक्षा में पाया गया कि अंचल अधिकारी, राजस्व अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारी के स्तर पर 12 हजार से अधिक जमाबंदियों का ड्राफ्ट स्वीकृति के लिए लंबित है।
सरकारी भूमि के सत्यापन की समीक्षा में पाया गया कि करीब 26 लाख खेसरों की प्रवृष्टि हुई है। लेकिन, अंचल अधिकारी के स्तर से केवल 22.61 प्रतिशत खेसरा का ही सत्यापन किया गया।
भोजपुर इस मामले में सबसे पीछे है। अभियान बसेरा-2 एवं सरकारी जमीन के दाखिल-खारिज की प्रक्रिया 30 अप्रैल तक पूर्ण करने का निर्देश दिया गया।
कृषि गणना में मखाना भी शामिलराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 11 वीं कृषि गणना में कृषि उत्पाद के रूप में मखाना को भी शामिल करने का निर्देश दिया है। मखाना उत्पादन वाले जिलों से अलग रिपोर्ट मांगी गई है।रिपोर्ट में बताना होगा कि कृषि गणना में मखाना की प्रवृष्टि किस श्रेणी में की गई है।
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Waqf Law: आज भी वक्फ कानून पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, अंतरिम आदेश पर टिकी देश की नजरें
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन कानून, 2025 के कुछ प्रविधानों पर रोक लगा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित संपत्तियों (वक्फ बाई यूजर) को गैर अधिसूचित (डीनोटीफाइ) नहीं किए जाने का अंतरिम आदेश जारी देने के बारे में सोच रहा है।
अंतरिम आदेश दे सकता है सुप्रीम कोर्टकोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद व वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने और वक्फ संपत्तियों के बारे में कलेक्टर की शक्तियों पर भी अंतरिम आदेश पारित करने की मंशा जताई। लेकिन केंद्र सरकार के विरोध और पहले इन मुद्दों पर उसकी दलीलें सुने जाने के अनुरोध पर कोर्ट ने बगैर कोई आदेश जारी किए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी।
कानून का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनेगा सुप्रीम कोर्टअब कोर्ट गुरुवार को केंद्र सरकार और कानून का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनेगा। उसके बाद ही तय होगा कि इस मामले में कोई अंतरिम आदेश आएगा कि नहीं। बुधवार को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों से कई सवाल किए।
याचिकाकर्ताओं के वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किए जाने के विरोध पर सवाल उठाया, तो केंद्र सरकार से वक्फ बाई यूजर वाली वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने पर प्रश्न किया।
वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने पर उठाए सवालकेंद्रीय वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रविधान पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किए तो वहीं मुस्लिम याचिकाकर्ताओं द्वारा अनुच्छेद 26 की दुहाई देकर वक्फ अल औलाद के बारे में नए कानून के विरोध पर कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून की याद दिलाई। कहा कि यह अनुच्छेद संसद को कानून बनाने से नहीं रोकता। यह सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।
क्या हिंदू धर्मार्थ ट्रस्ट में मुस्लिमों को शामिल करेंगे?कोर्ट ने केंद्रीय काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को लेकर पूछा कि क्या हिंदू धर्मार्थ ट्रस्ट में मुस्लिमों को शामिल करेंगे? खुल कर बताइये। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालतों द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे वक्फ बाई यूजर हों या वक्फ बाई डीड।
पीठ ने संशोधित कानून के उस प्रविधान पर रोक लगाने का भी संकेत दिया, जिसमें कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा यह जांच किए जाने तक कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।
केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए- सीजेआईसीजेआइ ने कहा कि पदेन सदस्यों के सिवाय वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए। ''वक्फ बाई यूजर'' से तात्पर्य ऐसी प्रथा से है, जिसमें किसी संपत्ति को धार्मिक या धर्मार्थ बंदोबस्ती (वक्फ) के रूप में मान्यता उसके उपयोग के आधार पर दी जाती है। भले ही मालिक द्वारा वक्फ की कोई औपचारिक, लिखित घोषणा न की गई हो। वहीं, ''वक्फ बाई डीड'' का अभिप्राय उन संपत्तियों को वक्फ मानने से है, जिनको लेकर कानूनी कागज उपलब्ध है।
कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुनेंशुरुआत में कोर्ट इस मामले पर विचार करने के लिए बहुत इच्छुक नजर नहीं आ रहा था। चीफ जस्टिस ने शुरुआत में ही याचिकाकर्ताओं के समक्ष दो सवाल रखे। पहला ये कि क्यों न सारी याचिकाओं को हाई कोर्ट भेज दिया जाए और हाई कोर्ट मामले पर सुनवाई करे? दूसरा सवाल था कि याचिकाकर्ता संक्षेप में बताएं कि उन्होंने कानून को किन आधारों पर चुनौती दी है?
वक्फ कानून का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सीयू सिंह ने पक्ष रखा, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। इस मामले में अभी कोर्ट ने औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर दी थी, ताकि कोर्ट एकतरफा सुनवाई में कोई अंतरिम आदेश न पारित करे। कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुनें।
70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं दाखिलवक्फ कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं। इनमें ज्यादातर में वक्फ संशोधन कानून, 2025 को असंवैधानिक बताते हुए रद करने की मांग की गई है। हालांकि, कुछ याचिकाएं कानून के समर्थन में भी दाखिल हुई हैं। कुछ याचिकाओं में वक्फ कानून, 1995 और वक्फ संशोधन कानून, 2025 दोनों को चुनौती देते हुए रद करने की मांग की गई है।
वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा परेशान करने वालीसुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के प्रति चिंता प्रकट करते हुए इसे परेशान करने वाली घटना बताया है। बुधवार को वक्फ कानून पर जब सुनवाई पूरी हो गई, तो प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि एक चीज बहुत परेशान करने वाली है। यह जो हिंसा हो रही है, यह परेशान करती है।
देश के किसी भी हिस्से में हिंसा नहीं होनी चाहिएसीजेआइ की चिंता से सहमति जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदर्शनकारी सोचते हैं कि इस तरह वह सिस्टम पर दबाव बना लेंगे। लेकिन तभी मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा-कौन दबाव बना रहा है। हमें तो नहीं मालूम। हालांकि कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों ने भी हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि हिंसा नहीं होनी चाहिए।
मुर्शिदाबाद से हिंदुओं का बड़ी संख्या में पलायन हुआसीजेआइ ने यह भी कहा कि कानून में कुछ चीजें अच्छी भी हैं। उसे भी हाईलाइट किया जाना चाहिए, जैसा मेरे साथी न्यायाधीश ने बताया है। सीजेआइ जस्टिस केवी विश्वनाथ की ओर इशारा कर रहे थे, जिन्होंने सुनवाई के दौरान कई बार वक्फ कानून के कुछ अच्छे उपबंधों का जिक्र किया था।
मालूम हो कि बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा हुई थी और कुछ लोगों जान भी गई। इसके बाद मुर्शिदाबाद से हिंदुओं का बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। इसके अलावा बंगाल के भानगढ़ क्षेत्र से भी हिंसा की खबरें आई हैं।
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रॉबर्ट वाड्रा से आज भी पूछताछ करेगी ED, मनी लॉन्ड्रिंग के तीनों मामलों में जल्द आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जांच एजेंसी
पीटीआई, नई दिल्ली। रॉबर्ट वाड्रा के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के तीन अलग-अलग मामलों में ईडी जल्द ही आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जिनकी जांच एजेंसी वर्षों से जांच कर रही है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि आरोपपत्र दाखिल करने के बाद ईडी संबंधित अदालतों से इन पर संज्ञान लेने और मुकदमा शुरू करने का अनुरोध करेगी।
ईडी ने बुधवार को वाड्रा से दूसरे दिन पूछताछ कीइन आरोपपत्रों में ईडी कुछ कंपनियों एवं व्यक्तियों को आरोपित एवं गवाहों के रूप में नामित कर सकती है। गुरुग्राम के शिकोहपुर में भूखंड सौदे में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में ईडी ने बुधवार को वाड्रा से दूसरे दिन पूछताछ की है। दो अन्य मामलों में भी वह पूर्व में उनसे पूछताछ कर चुकी है।
तीसरा मामला बीकानेर में भूमि सौदे से जुड़ाएक अन्य मामला ब्रिटेन निवासी हथियार बिचौलिए संजय भंडारी के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग जांच एवं उसके वाड्रा से संबंधों से जुड़ा है। भंडारी 2016 में लंदन भाग गया था। मनी लॉन्ड्रिंग का तीसरा मामला बीकानेर में भूमि सौदे से जुड़ा है।
इस मामले में ईडी पूर्व में वाड्रा और उनकी मां मौरीन से पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में पाकिस्तान सीमा के नजदीक संवेदनशील इलाके में भूमि आवंटन में कथित जालसाजी का आरोप है।
वाड्रा को जमीन बेचने वाले ने ही दिए थे रजिस्ट्री के पैसेकांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा को जमीन बेचने वाले ने ही रजिस्ट्री के भी पैसे दिए थे। ईडी ने दूसरे दिन लगभग पांच घंटे की पूछताछ में वाड्रा के सामने इसके सुबूत रखे और जवाब मांगा। ईडी के अनुसार रजिस्ट्री के दिन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटालिटी के खाते में महज एक लाख रुपये थे। रजिस्ट्री में कारपोरेशन बैंक की नई दिल्ली शाखा का 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिखाया गया था, उसे कभी भुनाया ही नहीं गया।
वाड्रा से गुरुवार को तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगीवाड्रा से गुरुवार को तीसरे दिन भी पूछताछ जारी रहेगी। सूत्रों के अनुसार, वाड्रा के पास ईडी द्वारा रखे गए तथ्यों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। ईडी ने वाड्रा को कागज दिखाकर कहा कि जमीन बेचने वाली कंपनी ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज ने खुद ही रजिस्ट्री के लिए 45 लाख रुपये की स्टांप की ड्यूटी क्यों जमा की। दरअसल जिस दिन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटालिटी के नाम जमीन की रजिस्ट्री हुई उस दिन कंपनी के खाते में महज एक लाख रुपये थे।
जमीन की रजिस्ट्री को लेकर गोलमालयही नहीं, जो 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिया गया, वह वाड्रा की दूसरी कंपनी स्काईलाइट रियलिटी का था, जिसके खाते में भी एक लाख रुपये ही थे। ईडी ने वह नई दिल्ली के कॉरपोरेशन बैंक का चेक नंबर(607251) भी वाड्रा को दिखाया।
12 फरवरी, 2008 को जमीन की रजिस्ट्री होने के पांच दिन बाद ही जमीन का भू-उपयोग बदलने का आवेदन लगाया गया था। उसके चार दिन बाद ही हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा ने इसकी अनुमति दे दी थी और संबंधित विभाग ने 3.531 एकड़ जमीन में से 2.7 एकड़ जमीन पर कामर्शियल कालोनी विकसित करने की अनुमति भी दे दी थी।
जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचा गयाउसी के बाद इस जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचा गया। ईडी ने वाड्रा से इसके बारे में विस्तार से पूछताछ की। हैरानी की बात है कि जमीन की रजिस्ट्री होने के छह महीने बाद वाड्रा की कंपनी की ओर से ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज को पैसे दिए गए। लेकिन वह रकम रजिस्ट्री में दिखाई गई कीमत 7.5 करोड़ रुपये के दोगुने से भी ज्यादा थी।
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