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Stray Puppies Killed: दीवार, फर्श और पत्थरों पर पटक पटक कर ले ली जान...सनकी शख्स ने बेजुबान मासूमों को उतारा मौत के घाट

Dainik Jagran - National - April 17, 2025 - 7:14pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हैदराबाद में एक रिहायशी अपार्टमेंट में पशु क्रूरता का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल एक शख्स ने अपार्टमेंट के बेसमेंट पार्किंग क्षेत्र में दीवार और फर्श पर पटक-पटक कर और पत्थरों से मार कर डॉग के पांच नवजात बच्चों को मार डाला।

चौंकाने वाली बात यह है कि आशीष एक पालतू पशु पालक है और उसने डॉग के बच्चों को तब मारा जब वह अपने डॉग के साथ सैर पर निकला था। निवासियों की शिकायत पर पुलिस मामला दर्ज किया गया है। इंडिस वीबी आवासीय अपार्टमेंट के पार्किंग क्षेत्र से परेशान करने वाली फुटेज में आशीष को अपने डॉग के साथ घूमते हुए दिखाया गया है। डॉग एक नवजात डॉग के बच्चे के पास जाता है।

डॉग के बच्चे को फर्श पर पटका

आशीष फिर उस छोटे से डॉग के बच्चे को उठाता है और उसे फर्श पर पटक देता है। फिर वह अपने घुटनों के बल बैठ जाता है, मानो यह जांच रहा हो कि डॉग का बच्चा ज़िंदा है या नहीं। फिर आशीष डॉग के बच्चे को अपने पैरों के नीचे कुचल देता है।

पांचों डॉग के बच्चे पार्किंग में मृत पाए गए और उन पर गंभीर चोटों के निशान थे। जब आशीष से पूछताछ की गई तो उसने शुरू में कहा कि वह डॉग के बच्चे को "नियंत्रित" करने और उन्हें अपने डॉग के पास आने से रोकने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज में कुछ और ही दिखा। जब पड़ोसियों ने उससे पूछा कि पांच दिन के डॉग के बच्चे क्या नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो उसके पास कोई जवाब नहीं था।

डॉग से परेशान आशीष, बताई अटपटी वजह

बाद में, एक वीडियो में आशीष यह स्वीकार करते हुए दिखाई देते हैं कि उन्होंने डॉग के बच्चों को मार डाला। यह पूछे जाने पर क्या उन्होंने डॉग के बच्चे को नुकसान पहुंचाया है, उन्होंने इसका जवाब ना में दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें आवारा कुत्तों से कोई परेशानी है, तो उन्होंने कहा, "कभी-कभी, वे भौंकते हैं और हमला करते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि वे एक पालतू पशु पालक हैं और उनके पास एक डॉग है।

एक वीडियो में, जहां उसके पड़ोसी उससे भिड़ते हुए दिखाई देते हैं, आशीष रोने लगता है। उसकी पत्नी मामले को शांत करने की कोशिश करती हुई दिखाई देती है। एक पड़ोसी को यह कहते हुए सुना जाता है कि "उससे पूछो कि उसने क्या किया है; उसने डॉग के बच्चे को मार दिया है।" उसे वह वीडियो भी दिखाया जाता है जिसमें वह एक डॉग के बच्चे को मारता है। एक पड़ोसी कहता है, "तुम समाज के लिए खतरा हो।"

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'मंदी से प्रभावित होगा आईटी सेक्टर', अमेरिका के टैरिफ के बाद बोले HDFC सिक्युरिटीज के एमडी

Dainik Jagran - National - April 17, 2025 - 6:26pm

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध रोज एक नया रूप ले रहा है। इससे दुनियाभर के प्रमुख शेयर बाजारों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। भारत के शेयर बाजार पर भी इसका असर है। इस साल अपनी स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रही देश की प्रमुख शेयर ब्रोकिंग कंपनी एचडीएफसी सिक्युरिटीज के एमडी और सीईओ धीरज रेली का कहना है कि वैश्विक अनिश्चतता का सबसे कम असर भारत पर होगा।

आईटी, फार्मा व कुछ निर्यात संबंधी उद्योग सेक्टरों के अलावा अन्य सेक्टर की कंपनियों की स्थिति बेहतर रहेगी। वह यहां तक मानते हैं कि वर्ष 2025-26 में निवेशकों को बेहतरीन शेयरों में निवेश का बढि़या मौका मिलेगा। हालांकि वह निवेशकों को यह भी सलाह देते हैं कि उन्हें सही तरीके से शोध करके बाजार में प्रवेश करना चाहिए।

टैरिफ का शेयर बाजार पर पड़ेगा असर?

दैनिक जागरण के साथ एक विशेष बातचीत में रेली ने कहा कि 'हमारे पास एक स्थिर सरकार है, जीडीपी की वृद्धि दर लगातार अच्छी बनी हुई है, प्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि भी उत्साहजनक है। भारत की जनसंख्या अभी जिस स्तर पर है, उसका भी पूरा लाभ मिलेगा। हमारे पास विकास की ऊंचाई छूने के लिए लंबी रेनवे है। यह भी याद रखिए कि भारत की इकोनमी अमूमन घरेलू मांग पर निर्भर है यानी वैश्विक स्तर पर जो उथल-पुथल अभी हम देख रहे हैं, उसका भारत पर कम असर होगा।'

यह पूछे जाने पर कि टैरिफ वार के आगे बढ़ने के साथ भारतीय शेयर बाजार में किस तरह का बदलाव देख सकते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के दौरान भारतीय कंपनियों के राजस्व में औसतन 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, पिछले साल ग्रोथ कम हुई है। अभी की स्थिति में कुछ कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के शेयर भाव अभी भी ज्यादा प्रतीत होते हैं लेकिन अधिकांश बड़ी पूंजीकरण वाली कंपनियां के शेयर भाव सही हैं।

कहा कि सेक्टरवार देखे तो सीमेंट, रियल एस्टेट, घरेलू उपकरण बनाने वाली कंपनियां ठीक कर रही हैं, लेकिन फार्मा, सूचना प्रौद्योगिक या इस तरह से निर्यात आधारित कंपनियों के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। खासतौर पर आईटी सेक्टर के अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में मंदी से प्रभावित होने का ज्यादा खतरा है। बैंकिंग, वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियां बेहतर स्थिति में है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग उत्पाद बनाने वाली कंपनियां बेहतर करेंगी।

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'शरीयत नहीं, संविधान से चाहिए न्याय', याचिका लेकर SC पहुंचा मुस्लिम शख्स; अदालत ने केंद्र को जारी किया नोटिस

Dainik Jagran - National - April 17, 2025 - 5:55pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस विवादास्पद मुद्दे की जांच करने पर सहमति जताई कि क्या मुसलमानों को अपने धर्म को त्यागे बिना उनकी पैतृक संपत्तियों से जुड़े मामलों का निपटान शरीयत के बजाय धर्मनिरपेक्ष भारतीय उत्तराधिकार कानून के तहत किया जा सकता है।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने केरल के त्रिशूर जिले के निवासी नौशाद केके द्वारा दायर याचिका पर गौर किया। इसमें उन्होंने कहा था कि वह अपना धर्म इस्लाम को छोड़े बिना शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानून के तहत अपनी संपत्ति से जुड़े मामलों का निपटान चाहते हैं।

केंद्र और केरल सरकार को नोटिस

पीठ ने उनकी याचिका पर केंद्र और केरल सरकार को नोटिस जारी किए और उनसे जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने इस मुद्दे पर लंबित समान मामलों के साथ उनकी याचिका को टैग करने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल में पीठ ने अलप्पुझा की निवासी और एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल की महासचिव सफिया पी.एम. की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसमें कहा गया था कि वह एक नास्तिक मुस्लिम महिला है और शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानूनों के तहत अपनी पैतृक संपत्तियों का निपटान करना चाहती है

2016 में 'कुरान सुन्नत सोसाइटी' द्वारा दायर एक अन्य समान याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट अब तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा।

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क्या है अनुच्छेद 142, क्यों उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने किया इसका जिक्र? बोले- SC के हाथ में 24 घंटे रहती है न्यूक्लियर मिसाइल

Dainik Jagran - National - April 17, 2025 - 5:26pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए आदेश दिया था कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए। इस फैसले के कुछ रोज बाद ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तल्ख अंदाज में न्यायपालिका को जवाब दिया है।

उन्होंने कहा कि हम ऐसे हालात नहीं बना सकते हैं कि न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दें। इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले अनुच्छेद 142 का जिक्र करते हुए इसे न्यूक्लियर मिसाइल बता दिया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा। यह सवाल नहीं है कि कोई समीक्षा दायर करता है या नहीं। हमने इसके लिए कभी लोकतंत्र से समझौता नहीं किया।"

अदालत 'सुपर संसद' की तरह काम कर रही हैं: उपराष्ट्रपति धनखड़

तमिलनाडु राज्य बनाम राज्यपाल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के 8 अप्रैल के फैसले का हवाला देते हुए धनखड़ ने कहा, "इसलिए, हमारे पास न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य (Executive Work) करेंगे, जो सुपर संसद की तरह काम करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।"

उन्होंने आगे कहा, "हम ऐसे हालात तैयार नहीं कर सकते हैं जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वो भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास इकलौता अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। जिन न्यायाधीशों ने वस्तुतः राष्ट्रपति को आदेश जारी किया और एक नजरिया पेश है किया कि यह देश का कानून होगा, वे संविधान की शक्ति को भूल गए हैं।"

"न्यायाधीशों का वह समूह अनुच्छेद 145(3) के तहत किसी चीज़ से कैसे निपट सकता है, अगर इसे संरक्षित किया गया था तो यह आठ में से पांच के लिए था।" जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

'अनुच्छेद 142 बन गया न्यूक्लियर मिसाइल'

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 145(3) के प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "आठ में से पांच का मतलब है कि व्याख्या बहुमत से होगी। खैर, पांच आठ में बहुमत से अधिक है। लेकिन इसे छोड़ दें। अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है।"

VIDEO | Vice-President of India Jagdeep Dhankhar (@VPIndia) says, "We cannot have a situation where you direct the President of India and on what basis? The only right you have under the Constitution is to interpret the Constitution under Article 145(3). There it has to be five… pic.twitter.com/b6mA4XPfC0

— Press Trust of India (@PTI_News) April 17, 2025

क्या है अनुच्छेद 142?

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट को यह छूट किसी भी मामले में है। अनुच्छेद 142 एक अनूठा प्रावधान है। यह सर्वोच्च न्यायालय को पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करता है। इसका मसौदा, अनुच्छेद 118, संविधान सभा की ओर से बिना किसी बहस के अपनाया गया था।

अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति देता है क्योंकि इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामलों में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक हो।

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