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मणिपुर में पुलिस ने 9 लोगों को किया गिरफ्तार, प्रतिबंधित संगठनों से ताल्लुक; 48 घंटे में कसा शिकंजा
इंफाल, पीटीआई। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी हालात पूरी तरह से सामान्य नहीं हुए हैं। बीते 48 घंटे में इंफाल घाटी से 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी लोग प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य हैं, जिनकी गिरफ्तारी मणिपुर के अलग-अलग जिलों से हुई है।
शनिवार को इंफाल पूर्व जिले के नोंगडम गांव से यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF-पंबेई) के 2 सदस्यों को हिरासत में लिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार यह दोनों आरोपी जबरन वसूली में शामिल थे।
शुक्रवार से शुरू हुई गिरफ्तारी
इससे पहले शुक्रवार को पुलिस ने विष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग वार्ड नंबर 13 से भी एक शख्स को गिरफ्तार किया था। इसका संबंध कांगलीपक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी-तैबंगानबा)से बताया जा रहा है।
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इंफाल घाटी में पकड़े गए आरोपी
इसके बाद शुक्रवार को ही इंफाल पश्चिम जिले के सलाम ममंग लाइकाई इलाके से भी केसीपी (एमएफएल) के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। यह दोनों आरोपी भी जबरन वसूली के मामले में शामिल थे। वहीं, इंफाल पूर्व के क्याम्गेई से प्रोपक (पीआरओ) संगठन का एक सदस्य भी गिरफ्तार किया गया है।
सक्रिय सदस्य गिरफ्तार
रिपोर्ट्स के अनुसार इंफाल पूर्व जिले से केवाईकेएल संगठन औक यूपीकके संगठन के एक-एक सदस्यों को भी पकड़ा गया है। वहीं, संजेनबम शांगशाबी गांव से प्रोपक संगठन का एक और सक्रिय सदस्य गिरफ्तार हुआ है।
फरवरी में लगा था राष्ट्रपति शासन
बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी। मैतई और कूकी समुदाय के बीच चल रही हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। मणिपुर में बिगड़ते हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
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'ममता से नहीं संभल रहा बंगाल...', मिथुन के बाद दिलीप घोष ने उठाई राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
कोलकाता, आईएएनएस। पश्चिम बंगाल में हिंसा के बाद से ममता सरकार लगातार सवालों के कठघरे में है। बीजेपी नेता दिलीप घोष ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल के इतिहास में ममता बनर्जी सबसे खराब सीएम हैं। ममता के नेतृत्व में राज्य को कई मुसीबतें उठानी पड़ी हैं। साथ ही उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के बयान का भी समर्थन किया है।
दिलीप घोष का कहना है कि वो पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने वाली मिथुन चक्रवर्ती की बात से पूरी तरह सहमत हैं। राज्य में कानून व्यवस्था बदतर हो चुकी है। ऐसे में जनता की सुरक्षा के लिए सेना तैनात करने की सख्त जरूरत है।
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ममता पर बोला हमला
सामाचर एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान दिलीप घोष ने कहा कि "अगर पश्चिम बंगाल में ऐसे ही हिंसा होती रही तो वो दिन दूर नहीं जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा। वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए कई लोग यह महसूस कर रहे हैं कि ममता बंगाल को संभालने में विफल हो गई हैं।"
राष्ट्रपति शासन पर तोड़ी चुप्पी
दिलीप घोष के अनुसार "राष्ट्रपति शासन के बिना न सिर्फ लोगों की जमीन खतरे में है बल्कि उनकी जान का संकट भी बढ़ता जा रहा है। ममता के राज में बंगाल में कुछ नहीं बदलेगा। ममता बनर्जी अपने गुंडों और हथियारों के दम पर चुनाव जीतना चाहती हैं। उनका यह रवैया भविष्य में बेहद खतरनाक साबित होगा।"
Kharagpur, West Bengal: On West Bengal CM Mamata Banerjee, BJP leader Dilip Ghosh said, "She does no work, cannot handle anything, and blames others when things go wrong. Now people have realized that she lacks the ability to speak the truth. The most incompetent Chief Minister,… pic.twitter.com/trod2LPfsi
— IANS (@ians_india) April 20, 2025ममता पर साधा निशाना
दिलीप घोष ने कहा कि "ममता बनर्जी किसी भी घटना की जिम्मेदारी नहीं लेती हैं बल्कि इनके लिए दूसरों को दोषी ठहरा देती हैं। उन्होंने कहा कि वो कोई काम नहीं करती हैं। उनसे कुछ संभलता नहीं है। जब परिस्थितियां बिगड़ने लगती हैं तो वो दूसरों को दोष देना शुरू कर देती हैं। वो अब तक की सबसे अयोग्य मुख्यमंत्री हैं। उनके कार्यकाल में राज्य ने काफी कुछ झेला है।"
बंगाल सरकार पर उठाए सवाल
दिलीप घोष का कहना है कि आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लोगों की मदद कर रहे हैं। बेघर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने कुछ नहीं किया। प्रभावित क्षेत्रों में मीडिया को जाने की अनुमति नहीं है। आखिर क्यों? पुलिस दोषियों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? जहां भी हिंसा होती है, पुलिस वहां क्यों नजर नहीं आती है? पुलिस राज्य सरकार के अंतर्गत काम कर रही है।
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Karnataka: जनेऊ नहीं हटाने पर छात्र को परीक्षा देने से रोका, अब साईं कॉलेज के प्रिंसिपल और स्टाफ पर गिरी गाज
एएनआई। कर्नाटक में एक छात्र को परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से पहले उसे जनेऊ (पवित्र धागा) उतारने के लिए कहा गया था। छात्र सुचिव्रत कुलकर्णी ने आरोप लगाया था कि वह बीदर के साईं स्फूर्ति पीयू कॉलेज में 17 अप्रैल को कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) की परीक्षा देने गया था, तभी उससे जनाऊ हटाने की मांग की गई थी।
हुई बड़ी कार्रवाई
छात्र ने बताया कि, परीक्षा केंद्र में मौजूद स्टाफ ने कहा कि अगर वो जनेऊ नहीं हटाता है, तो उसे परीक्षा देने नहीं दिया जाएगा। छात्र ने धार्मिक प्रतीक बताते हुए जनेऊ हटाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया था। इस इस मामले पर बड़ी कार्रवाई हुई है।
Bidar, Karnataka | Principal of Sai Spoorti PU College, Dr Chandra Shekar Biradar, and staff, Satish Pawar have now been suspended with immediate effect.
A student, Suchivrat Kulkarni, claims he was made to remove the sacred thread (Janeu) at the Karnataka CET exam centre on… pic.twitter.com/J5VRmtjg9a
छात्रा को परीक्षा देने से रोकने के मामले में साईं स्फूर्ति पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. चंद्र शेखर बिरादर और स्टाफ सतीश पवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
छात्र की मां ने भी जताई थी नाराजगी
बता दें, छात्र सुचिव्रत कुलकर्णी की मां नीता कुलकर्णी ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई थी और उन्होंने कहा था कि मेरे बेटे ने कहा था कि वह जनाऊ नहीं हटा सकता है क्योंकि यह धार्मिक मान्यता से जुड़ा हुआ है। फिर भी उसे परीक्षा से बाहर कर दिया गया था। ये बहुत गलत था।
छात्र की मां ने सरकार से मांग की थी कि या तो उनके बेटे के लिए दोबारा परीक्षा कराई जाए या फिर उसे किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलाया जाए और उसकी फीस सरकार या संबंधित कॉलेज द्वारा दी जाए।
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Bihar politics: तेजस्वी को CM फेस घोषित करने में कांग्रेस क्यों कर रही आनाकानी, बड़ी वजह का हुआ खुलासा
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस अभी उनका नाम प्रस्तावित करने से परहेज कर रही है। यह उसकी रणनीति है। डर यह है कि तेजस्वी का नाम प्रस्तावित करने पर उनके समर्थक अति उत्साह में न आ जाएं।
अति उत्साह से बचने के लिए तेजस्वी के नाम का एलान नहींराजद समर्थकों का अति उत्साह ही वह तत्व है, जिससे एनडीए को ताकत मिलती है। लोकसभा चुनाव के समय भी जमुई की एक सभा में एक राजद कार्यकर्ता की अप्रिय टिप्पणी से माहौल खराब हो गया था।
उस कार्यकर्ता ने लोजपा (रामविलास) के लिए असंसदीय शब्दों का प्रयोग किया। उसका बुरा असर पड़ा। कांग्रेस कहे न कहे, राजद के समर्थक तेजस्वी को अगला मुख्यमंत्री मानकर चल रहे हैं। वे उसी भावना से उत्साह का भी प्रदर्शन कर रहे हैं।
महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी को देने से कांग्रेस को परहेज नहींतीन दिन पहले महागठबंधन के छह दलों की बैठक में भी नेतृत्व का मुद्दा उठा। प्रश्न पूछा गया कि समन्वय समिति का अध्यक्ष कौन होगा? किसी के कुछ कहने से पहले कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लाबारू ने तेजस्वी यादव का नाम ले लिया। इससे पता चलता है कि समग्रता में तेजस्वी को महागठबंधन का नेतृत्व देने में कांग्रेस को परहेज नहीं है।
कांग्रेस की ओर से यह संवाद तेजस्वी को भी दे दिया गया है कि महागठबंधन की सरकार बनेगी तो आप ही मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन अभी इसे घोषित नहीं किया जाए। शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेस में मुख्यमंत्री वाला प्रश्न राजद के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. मनोज झा से पूछा गया।
मनोज झा ने इशारों में कर दिया सब कुछ क्लीयरमनोज झा का उत्तर था कुछ सार्वभौमिक सत्य होते हैं, जैसे कि सूर्य का उदय पूरब दिशा में होना। इससे आगे आप समझ रहे होंगे। यानी राजद भी कांग्रेस की रणनीति को स्वीकार कर रहा है।
हालांकि, जमीनी सच यह है कि राजद के कार्यकर्ता तेजस्वी यादव को अगला मुख्यमंत्री मानकर पूरी तरह उत्साहित हैं। वे इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपने अति उत्साह का प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
राजद और कांग्रेस ने पंचायत स्तर पर दलों के बीच समन्वय की कमी की चर्चा की थी। पूर्व अध्यक्ष डॉ. मदनमोहन झा ने कहा था कि 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के दलों के बीच गांव-पंचायत स्तर पर समन्वय नहीं हुआ था। कांग्रेस की यह सलाह भी मान ली गई कि समन्वय समिति का गठन जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर हो।
24 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में होने वाली समन्वय समिति की बैठक में इस पर भी विचार किया जाएगा। कांग्रेस की सलाह यह भी है कि सभी छह दलों के प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और प्रखंड अध्यक्ष एक साथ बैठे।
इन बैठकों में भी यह बताया जाएगा कि राजद के कार्यकर्ता ऐसा कुछ न करें, जिससे कमजोर वर्गों के बीच डर का माहौल बने। क्योंकि विकास की तमाम उपलब्धियों के बावजूद राजद का डर दिखाना एनडीए के चुनावी एजेंडा में पहले नंबर पर है।
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Bihar News: बिहार में अफीम की खेती पर बड़ा एक्शन, 800 एकड़ की फसल नष्ट; 146 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई FIR
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में नक्सलियों के घटते प्रभाव का असर अवैध ढंग से की जा रही अफीम की खेती पर भी पड़ा है। बिहार पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के सघन ऑपरेशन से उनका दायरा अब झारखंड के सीमावर्ती जंगली इलाकों तक ही रह गया है। इन इलाकों में भी सेटेलाइट तस्वीरों और ड्रोन की मदद से अफीम के अवैध खेतों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा रही है।
छह माह में करीब आठ सौ एकड़ में लगी अफीम की फसल नष्टबिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और अन्य केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले छह माह में करीब आठ सौ एकड़ में लगी अफीम समेत अन्य मादक पदार्थों की अवैध खेती को नष्ट किया है।
इसमें 790.5 एकड़ में अफीम, जबकि 21.54 एकड़ में भांग की अवैध खेत को नष्ट किया गया है। इस मामले में 146 प्राथमिकी भी दर्ज की गई हैं, जिसके आधार पर आरोपितों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा रही है।
आधी हुई नक्सल प्रभावित जिलों की संख्याबिहार में पिछले छह सालों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या आधी हो गई है। वर्ष 2018 में जहां 16 जिले नक्सल प्रभावित थे वहीं अब सात-आठ जिले ही नक्सली असर वाले रह गए हैं। उत्तर बिहार को नक्सल मुक्त घोषित किया जा चुका है।
अब दक्षिण बिहार में झारखंड से सटे नक्सलियों के बचे-खुचे प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित कर सुरक्षा और संचार के माध्यम मजबूत किए जा रहे हैं। इसका असर भी हो रहा है। पहले जिन इलाकों में पुलिस और सुरक्षाबलों की पहुंच नहीं थी, अब वहां लगातार गश्ती हो रही। इसके कारण इन इलाकों में अफीम की खेती या अन्य अवैध काम कम हुए हैं।
पुलिस के वरीय अधिकारियों के अनुसार, अब अफीम की खेती मुख्य रूप से झारखंड से सटे जंगली इलाकों तक रह गई है। इसमें गया के चकरबंधा और धनगई जबकि औरंगाबाद के कुछ इलाके हैं, जहां इस साल बिहार पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया है।
ऑपरेशन में मिल रहा लोगों का सहयोगइस ऑपरेशन में जनसहयोग भी मिल रहा है और आसपास के लोग भी पुलिस को इन अवैध कामों की जानकारी दे रहे हैं। पुलिस का दावा है कि जल्द ही इन सुदूर जंगली इलाकों से भी नक्सल प्रभाव के साथ अफीम की खेती भी इतिहास की बात हो जाएगी।
इस तरह घट रहा प्रभाव वर्षअफीम की नष्ट फसल 2022-23 1289.60 एकड़ 2023-24 2486.70 एकड़ 2024-25 812.04 एकड़
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मतदाता सूची में अब नहीं होगी गड़बड़ी! चुनाव आयोग ने शुरू की नई पहल, सुधार के लिए बनाया ये प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव से जुड़ी छोटी- छोटी त्रुटियों को लेकर चुनाव आयोग अक्सर राजनीतिक दलों के निशाने पर रहता है। हालांकि अब चुनाव आयोग ने इन कमियों को खत्म करने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है।
क्या हैं समस्याएं?चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान अक्सर होने वाली इन त्रुटियों का पहचान की, जिसमें अधिकांश बूथ लेवल पर गठित होने वाली हैं। यह चाहे मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया हो या फिर मतदान के दौरान ईवीएम के रखरखाव, उनके लाने -ले जाने या फिर मॉक पोल, मतदान प्रतिशत आदि से जुड़ी हुई समस्याएं हो सकती हैं। यही वजह है कि आयोग ने इस अभियान की शुरूआत भी बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) के प्रशिक्षण से शुरू की है।
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चुनाव आयोग ने क्या कहा?चुनाव आयोग की मानें तो चुनाव से जुड़ी प्रत्येक प्रक्रियाओं को लेकर एक तय नियम हैं। चुनाव में दौरान इनमें तभी कोई गड़बड़ी होती है जब इनमें से किसी स्टेप का ठीक तरीके से पालन नहीं किया जाता है। आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चुनाव के दौरान होने वाले अधिकांश ऐसी छोटी-छोटी त्रुटियां हैं, जिन्हें कोई भी जानबूझ कर नहीं करता था बल्कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
50 हजार से अधिक लोगों को मिलेगा प्रशिक्षणहाल ही में बीएलओ व बीएलए के शुरु हुए प्रशिक्षण में इन कमजोरियों को नजदीक से देखा भी गया। आयोग के मुताबिक बूथ लेवल पर काम करने वाले अमले और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को चुनावी नियम-प्रक्रियाओं को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस साल के अंत तक बूथ लेवल पर काम करने लाले 50 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।
मतदाता सूची पर होगा फोकसचुनाव आयोग का इस दौरान सबसे ज्यादा फोकस मतदाता सूची से जुड़ी त्रुटियों को खत्म करने पर है। यही वजह है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान प्रत्येक बूथ पर राजनीतिक दलों से जुड़े प्रतिनिधियों की उपस्थिति को आयोग सुनिश्चित करने में जुटा है। इसके साथ ही मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से पहले उस पर राजनीतिक दलों की आपत्तियों को आमंत्रित करने की पहल की है। यह पहल बूथ, जिला, राज्य व केंद्र स्तर पर होगी। इसके बाद ही उनकी सभी आपत्तियों के निराकरण के बाद ही उसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
89 शिकायतें मिलीगौरतलब है कि हाल ही में मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा काफी गरमाया हुआ था, लेकिन मतदाता सूची तैयार करने के दौरान देश भर से सिर्फ 89 शिकायतें ही मिली थी। वे सभी महाराष्ट्र से थी। चुनाव आयोग ने अब इन शिकायतों पर काम करने का फैसला किया है।
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Weather: यूपी में आंधी-तूफान का अलर्ट, राजस्थान में झुलसाएगी गर्म हवा; पढ़िए दिल्ली-एनसीआर का हाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूपी के मौसम में बदलाव हुआ है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आंधी के साथ हल्की बारिश हुई है जिसके कारण गर्मी से राहत मिली है। वहीं, मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली में अभी छह दिनों तक लू से राहत रहने की संभावना है। वहीं, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में लू चल रही है जो लगातार जारी रहेगी।
यूपी में आज आंधी-तूफान का अलर्ट जारीमौसम विभाग ने यूपी में आज आंधी-तूफान का अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने 20 अप्रैल तक ऐसे ही हालात बने रहने की संभावना है। इस दौरान 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
इन जिलों के लिए ऑरेंज अलर्टमौसम विभाग के मुताबिक 20 अप्रैल को बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, सोनभद्र, मिर्ज़ापुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, आज़मगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, इटावा, औरैया, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, जालौन, जालौन समेत पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आंधी और हल्की बारिश की संभावना है। हमीरपुर, महोबा, झांसी और ललितपुर।
दिल्ली में अभी छह दिनों तक लू से राहत रहने की संभावनावहीं, दिल्ली में आज पूरे दिन बादल छाए रहेंगे, जिस वजह से गर्मी से थोड़ी राहत मिलेगी। शनिवार सुबह दिल्ली के कुछ इलाकों में हल्की वर्षा हुई और पूरे दिन आकाश में आंशिक बादल छाए रहे। इसके अलावा मध्यम गति से हवा भी चली। इससे पिछले दिन के मुकाबले गर्मी से थोड़ी राहत थोड़ी राहत रही। फिर भी अधिकतम तापमान सामान्य से 2.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मौसम विभाग के अनुसार अभी छह दिनों तक लू से राहत रहने की संभावना है।
अभी और तमतमाएगा सूरजअप्रैल माह में गर्मी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। सूरज के तेवर तल्ख है। धूप जहां तपाने आमादा है वहीं गर्म हवा भी झुलसाने लगी है। मध्य प्रदेश में आगामी दिनों में और भी गर्मी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इस सप्ताह दिन का अधिकतम तापमान 43 डिग्री तक पहुंच सकता है। मौसम विभाग के अनुसार इस सप्ताह गर्मी लोगों को पस्त करेगी।
राजस्थान से आ रही गर्म हवा करेंगी परेशानमौसम विभाग के राजस्थान की तरफ से आ रही गर्म हवा से वातावरण में गर्माहट बढ़ रही है। आने वाले दिनों में तापमान एक से दो डिग्री तक बढ़ सकता है। इस दौरान तेज धूप और गर्म हवा से बचने की एडवायजरी भी जारी की गई है।
बेहतर यही होगा कि दोपहर में तेज धूप में निकलने से बचे और ज्यादा से ज्यादा शीतल पेय पदार्थों का सेवन करें। सिर व चेहरे को ढंककर निकले। मौसम विभाग के अनुसार अप्रैल और मई के महीने में तेज गर्मी पड़ती है। फिलहाल शादियों का सीजन और गर्मी भी तेज हो गई है ऐसे में गर्मी से बचाव के उपाय जरूरी है।
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