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सुप्रीम कोर्ट के 30 जज ने पब्लिक कर दी अपनी संपत्ति, इतने न्यायधीशों की घोषणा अब भी बाकी; इस वजह से लिया गया फैसला
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक कदम बढ़ाया है। प्रधान न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सभी 33 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा करने और ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है।
इतना ही नहीं प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित 30 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्य न्यायाधीश को दे दिया है। तीन न्यायाधीशों के नाम अभी नहीं आए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है कि क्योंकि सार्वजनिक करने का विकल्प स्वैच्छिक रखा गया है।
फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर लिया गया फैसलाफिलहाल केवल उन न्यायाधीशों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं जिन्होंने संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया है। हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नगदी मिलने के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करने का लिया गया यह निर्णय महत्वपूर्ण है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने संपत्ति घोषणा का और उस घोषणा को स्वैच्छिक रूप से वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया हो।
2009 में भी लिया गया था ऐसा फैसला2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने फुल कोर्ट मीटिंग में ऐसा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया था और उस समय भी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी और उसे सार्वजनिक भी किया गया था, हालांकि संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक थी।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर बताया गया है कि फुल कोर्ट मीटिंग में प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है। पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पद ग्रहण करने के बाद न्यायाधीश अपनी संपत्ति प्रधान न्यायाधीश को घोषित करेंगे। जब भी महत्वपूर्ण संपत्ति अर्जित करेंगे तब भी उसकी घोषणा की जाएगी। संपत्ति की घोषणा प्रधान न्यायाधीश भी करेंगे।
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Bihar: 'तुम मुसलमानों की भूमि हड़पना चाहते हो, लेकिन...'; वक्फ संशोधन बिल पर ये क्या बोल गए लालू
राज्य ब्यूरो, पटना। गुरुवार को बयान जारी कर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अपना रोष प्रकट किया है। उन्होंने वर्ष 2010 के एक पुराने वीडियो को भी जारी किया है, जिसमें वे संसद में वक्फ से संंबंधित प्रकरण पर बाेल रहे।
संसद में अपनी उपस्थिति नहीं होने पर अफसोस प्रकट करते हुए लालू ने कहा है कि अगर मैं होता तो अकेला ही काफी होता। लालू ने अपने बयान की शुरुआत संबोधन से की है।
लालू यादव ने लिखा,
संघी-भाजपाई नादानो! तुम मुसलमानों की भूमि हड़पना चाहते हो, लेकिन हमने सदा वक्फ की भूमि बचाने के लिए कड़ा कानून बनाया है और बनवाने में सहायता की है। मुझे अफसोस है कि अल्पसंख्यकों, गरीबों, मुसलमानों और संविधान पर चोट करने वाले इस कठिन दौर में संसद में नहीं हूं, अन्यथा अकेला ही काफी था।
सदन में नहीं हूं तब भी आप लोगों के ख्यालों, ख्वाबों, विचारों और चिंताओं में हूं। यह देख कर अच्छा लगा। अपनी विचारधारा, नीति और सिद्धांतों पर प्रतिबद्धता, अडिगता और स्थिरता ही मेरे जीवन की जमा पूंजी है।
एम्स में सुधर रहा लालू का स्वास्थ्य:उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य खराब होने के बाद लालू बुधवार रात दिल्ली स्थित एम्स के कार्डियक क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती कराए गए। डा. राजेश यादव के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम उनका उपचार कर रही और उनके स्वास्थ्य मेंं उत्तरोत्तर सुधार हो रहा।
सोमवार से ही लालू का ब्लड शुगर बढ़ गया था और ब्लड-प्रेशर लो था। बुखार के अलावा देह पर एक-दो फोड़े भी हो गए थे। बुधवार को वे पटना मेंं पारस अस्पताल के चिकित्सकोंं ने उन्हें एम्स जाने का सुझाव दिया था।
लालू और तेजस्वी अल्पसंख्यक वोटों के सौदागर : जदयूजदयू प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद ने गुरुवार को कहा कि राजद ने अल्पसंख्यक समुदाय को हमेशा वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया और कभी भी उनके हित की बात नहीं सोची। दोनों अल्पसंख्यक वोटों के सौदागर रहे हैं।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए कई क्रांतिकारी फैसले लिए और उनके कल्याण के लिए अनेकों योजनाएं चलायी। वर्ष 2004-05 में जहां अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए सरकार का बजट महज 3 करोड़ 53 लाख हुआ करता था।
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में साल 2024-25 के वार्षिक बजट में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 1004 करोड़ 22 लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। वक्फ संशोधन बिल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को किसी से धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट लेने की जरुरत नहीं है।
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वक्फ बिल पारित होने पर केरल के लोगों ने मनाया जश्न, कहा- कांग्रेस और लेफ्ट ने नहीं उठाई आवाज
पीटीआई, कोच्चि। मुनंबम के निवासी उस समय खुशी से झूम उठे जब लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को पारित किया। लोकसभा में बुधवार-गुरुवार मध्यरात्रि के बाद विधेयक पारित होने के तुरंत बाद मुनंबम तटीय क्षेत्र के लगभग 600 परिवारों ने पटाखे फोड़े।
मुनंबम भू संरक्षण समिति के बैनर तले 173 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे इन लोगों ने नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद जैसे नारे लगाए और उम्मीद जताई कि नया कानून लागू होने के बाद यह मुद्दा सुलझ जाएगा। इन प्रदर्शनकारियों में अधिकतर ईसाई हैं।
मुनंबम समुदाय में खुशीसमिति के संयोजक जोसेफ बेनी ने उम्मीद जताई कि विधेयक लागू होने पर उन्हें अपनी संपत्तियों पर राजस्व अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि संसद में केरल के निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस और वाममोर्चा के सांसद मुनंबम समुदाय की चिंताओं को आवाज देने में विफल रहे, जिससे लोगों को दुख हुआ है।
एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों में निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनके भूमि और संपत्ति पर अवैध रूप से स्वामित्व का दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान रसीदें हैं।
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Bihar News: पटना हाई कोर्ट ने लैब टेक्नीशियनों की नियुक्ति पर लगाई रोक, बिहार सरकार से मांगा जवाब
विधि संवाददाता, पटना। बिहार में लैब तकनीशियनों की नियुक्ति प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को 10 अप्रैल तक जवाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश हरीश कुमार की एकल पीठ ने विमल प्रकाश और अन्य छह याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन पर रोक लगा दी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शिव प्रताप ने दलील दी कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने 03 मार्च को विज्ञापन संख्या 2/25 के अंतर्गत 2,969 लैब तकनीशियनों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी।
शेष 610 रिक्तियों को नए विज्ञापन में कर दिया गया सम्मिलितअधिवक्ता का तर्क था कि वर्ष 2015 में जारी किए गए एक विज्ञापन के अंतर्गत 1,772 पदों पर नियुक्ति होनी थी। उनमें से 1,162 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, जबकि शेष 610 रिक्तियों को नए विज्ञापन में सम्मिलित कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें 2015 के विज्ञापन की स्थिति को यथावत बनाए रखने का निर्देश दिया गया था।
उनका कहना था कि जब पुराना विज्ञापन अब भी न्यायिक समीक्षा के अधीन है तो आयोग द्वारा नई नियुक्ति के लिए नया विज्ञापन जारी करना कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है।
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ओवैसी और मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्ती, वक्फ संशोधन विधेयक को इस मुस्लिम नेता ने बताया ऐतिहासिक
जागरण टीम, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बौद्ध, ईसाई और पसमांदा समेत समाज के अन्य वर्गों ने ऐतिहासिक, आपसी भाईचारा को बढ़ाने और लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया है। भारतीय बौद्ध संघ, द चर्च आफ नार्थ इंडिया व राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज जैसे संगठनों ने कहा कि विधेयक से वक्फ के मनमाने असंवैधानिक अधिकारों पर लगाम लगेगी।
भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि विधेयक से वक्फ बोर्ड की दादागीरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। उसके कब्जे में जा रही बौद्ध संपत्तियों को बचाया जा सकेगा। अहमदाबाद के कालूपुर में बौद्धों के बुद्ध विहार समेत महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में ऐसी कई बौद्ध संपत्तियां हैं, जिसे अपना बताते हुए वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने वोट बैंक के लिए वक्फ को असाधारण शक्तियां दीं। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की जमीनों को वक्फ को सौंप दिया, जबकि देश में आए हिंदुओं की जमीनों को पाकिस्तान ने अपने कब्जे में लिया।
द चर्च आफ नार्थ इंडिया ने क्या कहा?द चर्च आफ नार्थ इंडिया (सीएनआइ) के प्रवक्ता प्रांजल मसीह ने कहा कि मौजूदा वक्फ कानून देश के संविधान को चुनौती दे रहा था। अगर वक्फ ने किसी की भी संपत्ति पर दावा कर दिया तो जिसकी जमीन है उसे वक्फ ट्रिब्यूनल में साबित करना पड़ता था कि दावे वाली जमीन उसकी है। अब ऐसे मामलों में न्याय की उम्मीद रहेगी।
राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज के अध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा कि संशोधन विधेयक से भू माफिया और मुस्लिम समाज के ठेकेदारों से मुक्ति मिलेगी। अब विधेयक पारित होने पर पिछड़ी, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से आने वाले अशराफ मुस्लिम समाज के साथ जरूरतमंद महिलाओं व बच्चों को लाभ मिलेगा।
वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुकदमेबाजीबिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने संशोधन विधेयक का समर्थन करते वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। अलीगढ़ में मंगलायतन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने इसमें संशोधन को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि मंत्री रहते वक्फ बोर्ड में मुकदमों के अलावा कुछ नहीं देखा। वहां कोई काम नहीं होता था। बोर्ड की इतनी संपत्ति फिर भी भत्ता, वेतन तक देने के लिए पैसा नहीं? पैसा कहां गया? कहीं न कहीं गड़बड़ है।
वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए भी जरूरी है कानून: गुलाम नबीजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए कानून जरूरी है। जमीन जिस मकसद के लिए वक्फ को दी जाती है, उसका लाभ मिले। वक्फ की जिस जमीन पर कब्जा है, वह हटना चाहिए।
ओवैसी व मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्तीअजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह आवश्यक था। कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे मस्जिद, कब्रिस्तान और खानकाहें छिन जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। दरगाह दीवान के पुत्र और आल इंडिया सुफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष नसीरूद्दीन चिश्ती ने एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद को मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही है। दरअसल, ईद के दिन नसीरूद्दीन ने वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते बयान दिया था। इस पर ओवैसी और मसूद ने कहा था कि दरगाह दीवान सरकार के नौकर हैं।
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नीतीश कुमार से हो गई गलती? Waqf Bill पर JDU नेताओं ने ही खोल दिया मोर्चा, बोले- ये मुसलमानों के खिलाफ
राज्य ब्यूरो, पटना। वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) के समर्थन के बाद जदयू (JDU) के कुछ नेताओं का विरोध मुखर हो गया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि बुधवार की रात संसद में सभी दलों का पर्दा उठ गया। सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष दलों का अंतर समाप्त हो गया।
उन्होंने कहा कि वे जल्द ही मुस्लिम संगठनों की बैठक बुलाएंगे। विचार करेंगे कि इस बिल को किस अदालत में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट, जहां कहीं हो, हमलोग इस बिल को चुनौती देंगे।
जदयू MLC बोले- मुसलमानों के जख्मों पर नमक छिड़काइधर, जदयू के विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के जख्म पर नमक छिड़कने की तरह है। टूटे हुए दिल से बस यही एक बात जुबान पर आती है कि मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, फैसला हमें क्या देगा?
प्रो. गौस ने कहा कि कभी बाबरी-दादरी, कभी लव जिहाद, घर वापसी, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी, 370, मॉब लिंचिंग वगैरह का कहर बरपा किया जाता रहा है। अब वक्फ की आड़ में समस्त मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। इस समाज को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
यह मुस्लिम पहचान, धार्मिक आजादी और संस्कृति पर सीधा हमला है: दीपंकरदूसरी ओर, भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि वक्फ बिल मुस्लिम पहचान, धार्मिक आजादी और संस्कृति पर सीधा हमला है। वक्फ बोर्ड मुस्लिमों की दान में दी गई जमीन और धार्मिक-सांस्कृतिक जगहों से जुड़े मामलों को देखता है। इस नए बदलाव से ऐसी सभी जमीनों, संपत्तियों और संस्थानों का रजिस्ट्रेशन रूरी होगा और इससे जुड़े हर विवाद का फैसला राज्य के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही है। उन्होंने कहा कि इससे संविधान कमजोर हो रहा है। सबकी आजादी खतरे में है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून (सीएए) के जरिए मुस्लिमों को बाकी लोगों से अलग किया गया, जो संविधान के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ था कि धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होगा। फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के बहाने मुस्लिम समाज को निशाने पर लिया गया। उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो गया है, जो अलग-अलग धर्मों और जातियों के बीच शादी और बड़े होकर अपनी मर्जी से साथ रहने की आजादी पर बड़ा हमला है।
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'अंतरात्मा की आवाज सुनें', वक्फ बिल पर BJD ने बदला रुख; सांसदों को मनमर्जी से वोट करने को कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजू जनता दल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपना रुख बदल दिया है। लोकसभा में बिल के पेश किए जाने के बाद बीजेडी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। लेकिन बावजूद इसके बिल लोकसभा से पारित हो गया।
अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल पर बहस हो रही है। अब बीजेडी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया है और पार्टी के सांसदों को अंतरात्मा की आवाज सुनने को कहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वोटिंग के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।
विवेक का इस्तेमाल करने को कहाबीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता सस्मित पात्रा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस संबंध में पोस्ट कर कहा, 'बीजू जनता दल ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखा है तथा सभी समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित किया है। हम वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के बारे में अल्पसंख्यक समुदायों के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त की गई विविध भावनाओं का गहराई से सम्मान करते हैं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'हमारी पार्टी ने इन विचारों पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए राज्य सभा में हमारे माननीय सदस्यों को न्याय, सद्भाव और सभी समुदायों के अधिकारों के सर्वोत्तम हित में अपने विवेक का प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यदि विधेयक मतदान के लिए आता है, तो अपनी अंतर्आत्मा की आवाज सुनें। पार्टी इसके लिए कोई व्हिप जारी नहीं करेगी।'
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Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल को लेकर बिहार के सभी जिलों में पुलिस अलर्ट, सोशल मीडिया पर भी नजर
राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के सभी जिलों की पुलिस को अलर्ट किया गया है।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने सभी प्रभागों के एडीजी, सभी जोन के आईजी-डीआईजी से लेकर सभी जिलों के एसएसपी, एसपी और रेल एसपी को शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सतर्कता बरतने को कहा है।
इसको लेकर पुलिस ने भी बुधवार से ही सतर्कता बढ़ा दी है। इंटरनेट मीडिया की भी निगरानी की जा रही है। सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वालों से सख्ती से पेश आने को कहा गया है।
बुधवार को लोकसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयकदरअसल, बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हुआ, जबकि गुरुवार को राज्यसभा में विमर्श हो रहा है। इस बिल के विरोध में कई जगह प्रदर्शन की आशंका जताई गई है।
अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) पंकज दराद की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि किसी भी हाल में राज्य की शांति व्यवस्था ना बिगड़े इसका पूरा ख्याल रखा जाए। अगर कहीं कोई कानून के साथ खिलवाड़ करता है तो उसके विरुद्ध तत्काल उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।
पुलिस अलर्ट के बाद सभी जिलों में पुलिस गश्ती बढ़ा दी गई है। सभी जिलों में संवेदनशील स्थानों को चिह्नित कर वहां अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है। सादे लिबास में भी पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। रामनवमी को लेकर भी पुलिस अलर्ट मोड में है।
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Waqf Bill: सत्तापक्ष के भरे हाथ, विपक्ष का रह गया खाली
आशुतोष झा, नई दिल्ली। वक्फ विधेयक पर हुई चर्चा ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि विरोध सिर्फ राजनीतिक हो तो तथ्य वैसे ही गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। विधेयक को पारित कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में 20 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई। विपक्ष की ओर से कई विद्वान सदस्यों ने भी अपनी बात रखी लेकिन हर कोई मूल मुद्दे से भटकता रहा।
विपक्षी सदस्यों में से किसी ने भी वक्फ बोर्ड के अंदर चल रही घपलेबाजी और लाखों करोड़ की संपत्तियों के सही प्रबंधन पर बोलना जरूरी नहीं समझा। जबकि यह विधेयक लाया ही इसी उद्देश्य के लिए गया था। पर उससे भी ज्यादा रोचक यह रहा कि विपक्ष में राजनीति के लिए भी लड़ने का जज्बा धीरे धीरे गायब होता दिख रहा है।
संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की तैयारी आधे मन से दिखी। ऐसे में इस विरोध का जमीन पर उन्हें कितना अतिरिक्त लाभ मिल पाएगा यह देखना होगा। वैसे भाजपा 'सबका विश्वास' के मोर्चे पर एक कदम आगे बढ़ती दिखी। सहयोगी दलों की ओर से जिस मजबूती से विधेयक का समर्थन किया गया वह इसी का संकेत है।
यह अच्छी बात है कि विपक्ष को इसका अहसास था कि बहुमत सरकार के पक्ष में है और विधेयक पारित होना ही है लिहाजा शोर शराबे की कोशिश नहीं की। लेकिन चेहरे पर थकान और हार दिखना खतरनाक होता है। गुरुवार को जब राज्यसभा में लोकसभा से आया पारित विधेयक पेश किया गया तो कई विपक्षी कुर्सियां खाली थीं।
यह इसलिए अहम है क्योंकि मात्र सात आठ महीने पहले ही विपक्ष का व्यवहार और उत्साह कुछ ऐसा था जैसे लोकसभा चुनाव वही जीतकर आए हो और साथ मिलकर सरकार पर दबाव बनाने में सफल हो सकते हैं। लेकिन अब उन्हें अहसास हो गया कि वह न सिर्फ विपक्ष में हैं बल्कि टूटे हुए विपक्षी विपक्षी दल हैं। याद रहे कि पांच छह महीने पहले जब वक्फ पेश हुआ था तो शिवसेना उद्धव ने विरोध में वाकआउट किया था।
महाराष्ट्र में मुस्लिमों ने इसपर आपत्ति जताई थी दिल्ली चुनाव के वक्त से इसकी शुरूआत हुई थी और आगे यह कायम रहने वाला है। इसीलिए हर प्रयास यही रहा कि विधेयक पर चर्चा को मुस्लिम धर्म से जोड़ कर रखा जाए। वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और उसमें सुधार की जरूरत पर किसी विपक्षी सदस्य ने मुंह नहीं खोला। यानी न तो बोर्ड में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काबिज मुट्ठी भर रसूखदार मुस्लिमों का बचाव किया और न ही यह समझाने में कामयाब हुए कि इस विधेयक से आम मुस्लिमों के जीवन में परेशानी बढ़ेगी।
दूसरी तरफ राजग के सहयोगी दलों में एकजुटता और वक्फ की कमाई बढ़ने से होने वाले लाभ का संदेश देकर यह बताने में सफल रहे कि वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में कुशलता लाकर मुस्लिमों की बड़ी आबादी को लाभ ही मिलने वाला है। दरअसल पिछली सरकार में सीएए(नागरिकता कानून) को लेकर विपक्ष ने जो माहौल बनाया था उसका लाभ इस बार सरकार को मिला भी और आगे मिलने वाला भी है। दिल्ली के शाहीनबाग में दो वर्ष तक राजनीतिक प्रश्रय में आंदोलन चला था और डराया गया था कि मुस्लिमों की नागरिकता पर खतरा है।
दो साल होने को हैं लेकिन ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया। वक्फ में तो सरकार ने उन पिछडे मुस्लिमों को जोड़ने की कवायद की है जिन्हें वक्फ तक फटकने नहीं दिया जाता था। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। वह अब वक्फ संपत्तियों से सीधे तौर पर लाभान्वित ही नहीं होंगे बल्कि खुद को सशक्त भी समझेंगे। ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों से सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें मिल रहा है।
दरअसल यही वह मुद्दे हैं जिसके कारण भाजपा टीडीपी, जदयू जैसे दूसरे सहयोगी दलों को साथ खड़ा करने में सफल रही है। अगर यह रुझान पिछड़े पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं में गहरे पैठ गया तो फिर अल्पसंख्यक राजनीति करने वालों के हाथ खाली हो जाएंगे। जबकि विपक्षी नेता भी मानने लगे हैं कि धीरे धीरे ही सही नरेन्द्र मोदी मुस्लिमों का विश्वास हासिल करने लग गए हैं।
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