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ICMAI ने किया दो दिन का सिम्पोजियम आयोजित, लोकसभा स्पीकर बोले-देश की प्रगति में ऐसे संस्थानों का अहम योगदान

Dainik Jagran - National - March 4, 2025 - 12:36pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कॉस्ट एकाउंटेंसी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान 'दि इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया', नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल (आईसीएमएआई) द्वारा दो दिवसीय सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। इस सिम्पोजियम का उद्देश्य भारत की तरक्की और उत्थान में आईसीएमएआई की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान पर मंथन करना है।

'अडॉप्शन टू चेंजिंग लैंड स्केप- माई विकसित भारत 2047' के नाम से आयोजित इस दो दिन तक चलने वाले सिम्पोजियम का आयोजन 28 फरवरी और 1 मार्च 2025 को नई दिल्ली के आईसीएआर कन्वेंशन सेंटर, एनएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा रोड पर किया गया। यह कार्यक्रम नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल (आईसीएमएआई) द्वारा आयोजित किया गया।

मंच पर बांसुरी स्वराज समेत ये सदस्य रहे मौजूद

दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उनके साथ मंच पर गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में एस सी और एस टी के वेलफेयर के लिए गठित संसदीय कमेटी के चेयरपर्सन फग्गन सिंह कुलस्ते और लोकसभा सदस्य बांसुरी स्वराज भी उपस्थित रहीं।

इनके अलावा आईसीएमएआई के नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन और कन्वीनर संतोष पंत, सेंट्रल काउंसिल मेंबर एम के आनंद, राजेंद्र सिंह भाटी, नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल के वाइस चेयरमैन एस एन मित्तल, को कन्वीनर एस के भट्ट, सेक्रेटरी राकेश यादव, ट्रेजरार जीवन चंद्रा, भारत सरकार में चीफ एडवाइजर कॉस्ट पवन कुमार के साथ मनीष कांडपाल, हनी सिंह, माधुरी कश्यप भी मंच पर पर मौजूद रहे।

इन सभी गणमान्य अतिथियों के अलावा बड़ी संख्या में युवाओं, उद्योगपतियों, नौकरशाहों और आईसीएमएआई के छात्रों ने हिस्सा लिया। सभी गणमान्य अतिथियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत 2047' विजन की सराहना करते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किए।

'पीएम की विकसित भारत योजना को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं'

सबसे पहले आईसीएमएआई के नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन और कन्वीनर संतोष पंत ने मुख्य अतिथि एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। संतोष पंत ने अपने स्वागत भाषण के दौरान कहा कि, "आईसीएमएआई एक मजबूत संबल बनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत योजना को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

कॉस्ट एकाउंटेंसी के क्षेत्र में हमारा 65 वर्षों का अनुभव निश्चित रूप से राष्ट्र के विकास में काम आएगा और इस दिशा में हम निरंतर अपना योगदान दे भी रहे हैं

'दुनियाभर में भारत की शक्ति बढ़ी है'

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि,"देश की प्रगति में आईसीएमएआई जैसे संस्थानों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान हैl आर्थिक निवेश बढ़ सके। उन्होंने यह भी कहा कि अपने आर्थिक सुधारों की बदौलत दुनियाभर में भारत का सामर्थ्य और शक्ति बढ़ी है।

कार्यक्रम में एससी एसटी के वेलफेयर के लिए गठित संसदीय कमेटी के चेयरपर्सन फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आईसीएमएआई जैसे संगठनों का देश के विकास में अमूल्य योगदान है।

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'किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इससे धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती

Dainik Jagran - National - March 4, 2025 - 12:34pm

एजेंसी, नई दिल्ली। SC on Miyan Tian सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना भले ही गलत हो, लेकिन धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा अपराध नहीं है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ मामला बंद करते हुए यह टिप्पणी की।

आरोपी के खिलाफ केस बंद

यह शिकायत झारखंड के एक उर्दू अनुवादक और एक कार्यवाहक क्लर्क ने दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, जब वह सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के बारे में जानकारी देने के लिए आरोपी से मिलने गया, तो आरोपी ने उसके धर्म का हवाला देकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया। 

उन्होंने ये भी कहा कि उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन को रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया।

इसके चलते उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना) और 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा,

अपीलकर्ता पर 'मियां-तियान' और 'पाकिस्तानी' कहकर सूचनाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। निस्संदेह, दिए गए बयान सही नहीं हैं। हालांकि, यह सूचनाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बराबर नहीं है।

शीर्ष अदालत के अनुसार, आरोपी की ओर से ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया जिससे शांति भंग हो सकती हो।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि स्पष्ट रूप से अपीलकर्ता द्वारा कोई हमला या बल का प्रयोग नहीं किया गया, जिससे उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) लगाई जा सके।

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