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Alert: जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं 76 आतंकवादी, इनमें 59 पाकिस्तानी... अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां

Dainik Jagran - National - March 14, 2025 - 7:06am

 एएनआई, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 59 विदेशी आतंकवादियों सहित कुल 76 आतंकवादी सक्रिय हैं।

जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में भारी गिरावट

सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि आंकड़े जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में भारी गिरावट दर्शाते हैं, जहां 2024 में इसी अवधि में कुल 91 आतंकवादी सक्रिय थे।

17 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय

76 सक्रिय आतंकवादियों में से 17 स्थानीय आतंकवादी हैं जो केंद्र शासित प्रदेश में सक्रिय हैं। जम्मू-कश्मीर 1980 के दशक से उग्रवाद और आतंकवाद का केंद्र रहा है, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों, सीमा पार से घुसपैठ और कट्टरपंथी प्रयासों से उग्रवाद को बढ़ावा मिलता रहा है।

59 सक्रिय विदेशी आतंकवादियों में से तीन हिजबुल मुजाहिदीन के

सूत्रों ने बताया कि 59 सक्रिय विदेशी आतंकवादियों में से तीन हिजबुल मुजाहिदीन के हैं, 21 जैश-ए-मोहम्मद के हैं और 35 लश्कर-ए-तैयबा के हैं। हालांकि, 17 स्थानीय आतंकवादियों में से तीन जम्मू में और 14 घाटी में सक्रिय हैं। 2024 में 91 सक्रिय आतंकवादियों में से 61 विदेशी आतंकवादी और 30 स्थानीय आतंकवादी थे।

2022 में कुल 135 आतंकवादी सक्रिय थे

आंकड़ों के अनुसार, 2022 में कुल 135 आतंकवादी सक्रिय थे। इनमें से 85 विदेशी आतंकवादी थे और 50 स्थानीय आतंकवादी थे। 2022 में सक्रिय आतंकवादियों के आंकड़े की तुलना में 2023 में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में लगभग 48.35 प्रतिशत की गिरावट आई है।

बांडीपोरा में आतंकी मददगार पकड़े

सुरक्षाबलों ने गुरुवार को उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा में आतंकरोधी अभियान के दौरान आतंकियों के दो मददगारों को पकड़ा। इनके पास से दो ग्रेनेड, एसाल्ट राइफल के 17 कारतूस, एसाल्ट राइफल की एक मैगजीन, पिस्तौल के आठ कारतूस व एक मैगजीन, दो मोबाइल फोन और अन्य सामान भी बरामद किया गया है।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि बांडीपोरा में सेना की 13 आरआर और सीआरपीएफ की 45वीं वाहिनी के जवानों के साथ मिलकर पुलिस ने गंडबल-हाजिन सड़क पर एक नाका लगाया था। यह नाका इलाके में कुछ राष्ट्रविरोधी तत्वों की गतिविधियों की सूचना मिलने पर लगाया गया था। नाका पार्टी ने वहां से गुजरने वाले सभी वाहनों और लोगों की छानबीन शुरू कर दी।

इसी दौरान नाका पार्टी ने वहां से गुजर रहे दो युवकों को रुकने का संकेत किया। उन युवकों ने रुकने के बजाय वहां से भागने का प्रयास किया। नाका पार्टी ने उनके भागने के इरादे को विफल बनाते हए उन्हें पकड़ लिया।

सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के लिए काम करते हों दोनों

उनकी तलाशी ली गई और उनके पास से हथियार व अन्य सामान मिला। उनकी पहचान नसीर अहमद पर्रे निवासी कठपुरा हाजिर और मुदस्सिर अहमद पर्रे निवासी गंडबल हाजिन के रूप में हुई है। यह दोनों बांडीपोरा में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के लिए काम करते हैं।

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राहत: मधुमेह की दवा के दामों में भारी कटौती, 60 वाली गोली 5.50 रुपये में मिलेगी

Dainik Jagran - National - March 14, 2025 - 3:36am

 आइएएनएस, नई दिल्ली। मधुमेह में इस्तेमाल की जाने वाली दवा एम्पाग्लिफ्लोजिन का पेटेंट समाप्त होने के चलते भारत में इसके दाम में भारी कटौती हो गई है। इसकी कीमत में अब करीब 90 प्रतिशत की कमी आ गई है। पेटेंट खत्म होने से बाजार में इसकी जेनेरिक दवाएं आ गई हैं।

एम्पाग्लिफ्लोजिन बाजार में जार्डिएंस के नाम से बिकती है

जर्मनी की फार्मा कंपनी बोएहरिंगर इंगेलहेम द्वारा विकसित की गई एम्पाग्लिफ्लोजिन बाजार में जार्डिएंस के नाम से बिकती है। टाइप-2 मधुमेह के मरीज इस गोली का सेवन करते हैं और इससे रक्त शर्करा नियंत्रित होती है।

बाजार में एम्पाग्लिफ्लोजिन की जेनेरिक दवाएं लांच

जार्डिएंस की पहले कीमत 60 रुपये प्रति टैबलेट थी, जिसे घटाकर अब 5.50 रुपये प्रति टैबलेट कर दिया गया है। मैनकाइंड, एल्केम और ग्लेनमार्क जैसी फार्मास्यूटिकल कंपनियों ने बाजार में एम्पाग्लिफ्लोजिन की जेनेरिक दवाएं लांच कर दी हैं।

मैनकाइंड फार्मा द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, एम्पाग्लिफ्लोजिन के 10 मिलीग्राम वेरिएंट की कीमत 5.49 रुपये प्रति टैबलेट और 25 मिलीग्राम वेरिएंट की 9.90 रुपये प्रति टैबलेट रखी गई है। एल्केम ने इसे एम्पोनार्म के नाम से लांच किया है और इसकी कीमत करीब 80 प्रतिशत कम रखी है।

नकल से बचाने के लिए दवा के पैक पर सुरक्षा बैंड

कंपनी द्वारा जारी बयान के अनुसार, मरीजों को ध्यान में रखते हुए एल्केम ने इसकी नकल से बचाने के लिए दवा के पैक पर सुरक्षा बैंड दिया है। इसके साथ ही इंफोग्राफिक्स के रूप में मधुमेह प्रबंधन की जानकारी दी गई है। वहीं, ग्लेनमार्क फार्मा ने इसे ग्लेम्पा के नाम से 10 और 25 एमजी के दो वेरिएंट में पेश किया है।

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तमिलनाडु सरकार की एक कंपनी के परिचालन में भारी गड़बड़ियां, ईडी ने बेहिसाब नकद लेनदेन का किया पर्दाफाश

Dainik Jagran - National - March 14, 2025 - 2:21am

 पीटीआई, नई दिल्ली। तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड (टीएएसएमएसी) के परिचालन में ईडी को भारी गड़बड़ियां मिली हैं। छापे के बाद मिले साक्ष्यों से ईडी को पता चला है कि निविदा प्रक्रियाओं में हेरफेर की गई। डिस्टिलरी कंपनियों के माध्यम से एक हजार करोड़ रुपये के बेहिसाब नकद लेनदेन भी किया गया।

राज्य में शराब व्यापार पर इस कंपनी का एकाधिकार है। ईडी ने गुरुवार को बयान में दावा किया कि छह मार्च को टीएएसएमएसी के कर्मचारियों, डिस्टिलरी के कारपोरेट कार्यालयों और संयंत्रों पर छापेमारी के बाद मिले साक्ष्यों से भ्रष्ट आचरणों का संकेत मिलता है।

ठिकानों पर भी तलाशी ली गई

आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी से जुड़े प्रमुख सहयोगियों के ठिकानों पर भी तलाशी ली गई थी। ईडी को तलाशी के दौरान ट्रांसफर पोस्टिंग, परिवहन और बार लाइसेंस निविदाओं, कुछ डिस्टिलरी कंपनियों को पक्ष देने वाले इंडेंट आर्डर, टीएएसएमएसी अधिकारियों की मिलीभगत के साथ टीएएसएमएसी आउटलेट्स द्वारा प्रति बोतल 10-30 रुपये के अतिरिक्त शुल्क से संबंधित डाटा मिला।

डाटा से टीएएसएमएसी के निविदा आवंटन में हेरफेर का पता चला। टीएएसएमएसी द्वारा बार लाइसेंस निविदाओं के आवंटन के मामले में निविदा शर्तों में हेरफेर से संबंधित साक्ष्य पाए गए, जिसमें बिना किसी जीएसटी/पैन नंबर और केवाईसी दस्तावेज के आवेदकों को अंतिम निविदाएं आवंटित करने का मामला भी शामिल था।

डिस्टिलरीज ने बढ़ा-चढ़ाकर खर्च किए

ईडी ने कहा कि तलाशी में एसएनजे, कॉल्स, एसएआइएफएल और शिवा डिस्टिलरी जैसी डिस्टिलरी कंपनियों और देवी बाटल्स, क्रिस्टल बाटल्स और जीएलआर होल्डिंग जैसी बॉटलिंग कंपनियों से जुड़ी बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी भी पाई गई।

डिस्टिलरीज ने बढ़ा-चढ़ाकर खर्च किए और विशेष रूप से बोतल बनाने वाली कंपनियों के माध्यम से मनगढ़ंत फर्जी खरीदारी की ताकि बेहिसाब नकदी में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की जा सके। इन फंडों का इस्तेमाल घूस के रूप में किया गया था।

रिकॉर्ड में हेरफेर

ईडी ने पाया कि बॉटलिंग कंपनियों ने बिक्री के आंकड़े बढ़ा दिए, जिससे डिस्टिलरीज को अतिरिक्त भुगतान करने का मौका मिला। बाद में इसे नकद में निकाल लिया गया और कमीशन काटने के बाद वापस कर दिया गया। डिस्टिलरी और बॉटलिंग कंपनियों के बीच यह मिलीभगत वित्तीय रिकॉर्ड में हेरफेर के माध्यम से की गई थी।

अन्नामलाई ने स्टालिन पर बोला हमला

टीएएसएमएसी में हजार करोड़ रुपये की अनियमितताओं का पता लगाने के ईडी के दावों के बाद तमिलनाडु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने गुरुवार को कहा कहा, ईडी ने हजार करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी के बारे में बताया है, जिसका भुगतान रिश्वत के रूप में किया गया था।

भाजपा ने किया प्रदर्शन

सिस्टम में हेराफेरी करके द्रमुक अपना खजाना भरने के लिए आम लोगों को लूट रही है। मुख्यमंत्री स्टालिन को खुद से यह भी पूछना चाहिए कि क्या उन्हें तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा ने 17 मार्च को टीएएसएमएसी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन की घोषणा की है।

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...जब होली और हज यात्रियों के लिए रोकनी पड़ी थी ट्रेन, अप्रिय घटना से बचने के लिए उठाया था कदम; पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Dainik Jagran - National - March 14, 2025 - 2:18am

 पीटीआई, नई दिल्ली। दो मार्च, 1999 को होली वाले दिन, जब हज यात्रियों को उत्तर प्रदेश के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मऊ से दिल्ली के लिए ट्रेन में सवार होना था, तब किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन को ट्रेन को अस्थायी रूप से रोकने के लिए लोको पायलट पर निषेधाज्ञा लगानी पड़ी थी।

यह कदम हज यात्रियों का सामना रंगों का पर्व मना रहे लोगों से नहीं होने देने के लिए उठाया गया था। अब 26 वर्ष बाद फिर उसी तरह की स्थिति बनती दिख रही है। रमजान के दौरान विभिन्न राज्यों खासतौर पर उत्तर प्रदेश के संभल में प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए कमर कस रहा है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज और होली दोनों शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाए।

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ने अपनी पुस्तक में किया जिक्र

उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह की पुस्तक 'थ्रू माई आइज: स्केचेस फ्राम ए काप्स नोटबुक' में 1999 में होली वाले दिन मऊ के अधिकारियों के सामने आईं चुनौतियों का विस्तार से जिक्र किया गया है।

उन्होंने पुस्तक में लिखा है कि रेलवे ने होली समाप्त होने तक दोपहर में पहुंचने वाली ट्रेन को कुछ घंटे विलंबित करने के अधिकारियों के आग्रह को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद मऊ के अधिकारियों ने लोको पायलट पर निषेधाज्ञा लगा दी।

भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ

भारत के इतिहास में पहली बार धारा 144 का उपयोग एक चलती ट्रेन को रोकने के लिए किया गया। दंड प्रक्रिया संहिता की इस धारा का उपयोग आमतौर गैरकानूनी रूप से लोगों के जमा होने और शांति व्यवस्था में खलल रोकने के लिए किया जाता है।

अधिकारियों ने रेलवे से मदद मांगी थी

मऊ जिले में सांप्रदायिक हिंसा के इतिहास को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने रेलवे से मदद मांगी थी। हालांकि रेलवे ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि ट्रेनों की समय-सारिणी में बदलाव नहीं किया जा सकता, चाहे स्थिति कितनी भी संवेदनशील क्यों न हो।

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SC: तलाक के एक मामले में पत्नी को मिले फ्लैट पर नहीं लगेगी स्टांप ड्यूटी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

Dainik Jagran - National - March 14, 2025 - 12:43am

डिजिडल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक पति ने बिना गुजारा भत्ता चुकाए लंबे समय से लंबित तलाक के मामले में जीत हासिल की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसके हक में फैसला एक शर्त दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पति को मुंबई के पास स्थित अपने फ्लैट को अपनी पत्नी को हस्तांतरित करने के लिए सहमत होना पड़ेगा।

पति और पत्नी ने सुप्रीम में दायर की याचिका

यह मामला कई अदालतों में नहीं चला क्योंकि पति और पत्नी दोनों ने तलाक के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत केस दायर किया। बता दें कि पति और पत्नी ने पहले मुंबई के बांद्रा फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की, हालांकि कार्यवाही के दौरान पति ने इस मामले को बांद्रा से दिल्ली के कड़कड़डूमा जिला न्यायालय में स्थानांतरित करने की याचिका दायर की।

इस स्थानांतरण याचिका के लंबित रहने के दौरान उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए भेजा गया। जब मध्यस्थता प्रक्रिया विफल हो गई, तो पति और पत्नी दोनों ने आपसी सहमति से विवाह को समाप्त करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अलग-अलग आवेदन दायर किए।

पति और पत्नी एक फ्लैट के स्वामित्व को लेकर लड़ रहे थे

28 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तलाक का मामला आगे नहीं बढ़ सका क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष तलाक समझौता समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं था। पति और पत्नी दोनों मुंबई के पास एक फ्लैट के स्वामित्व को लेकर लड़ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पक्षों के बीच विवाद का कारण संयुक्त स्वामित्व वाला एक फ्लैट है।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट संबंधित फ्लैट को हासिल करने के लिए इस्तेमाल किए गए धन के स्रोत के बारे में दोनों पक्षों से पूछा। इसके बाद पति फ्लैट पर अपना अधिकार छोड़ने के लिए सहमत हो गया और उसकी पत्नी ने गुजारा भत्ता न मांगने पर सहमति जताई, इसके बाद दोनों का तलाक हो गया।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह ध्यान देने योग्य है कि दोनों पक्ष उच्च शिक्षित और जीवन में अच्छी तरह से स्थापित हैं। अंततः पति ने अपनी पत्नी के पक्ष में फ्लैट पर अपने सभी अधिकारों को पूरी तरह से त्यागकर तलाक में समझौता कर लिया।

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दरबार में बैठकर टोपी बुनता था औरंगजेब... मुगल वंश के सबसे क्रूर शासक को क्यों पड़ी थी इसकी जरूरत?

Dainik Jagran - National - March 14, 2025 - 12:42am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म छावा देखी होगी, तो इसमें औरंगजेब को दरबार में बैठे वक्त हाथ से कुछ बुनते हुए देखा जा सकता है। अगर इतिहास में आपकी रुचि थोड़ी कम हो, तो आपको आश्चर्य भी जरूर हुआ होगा कि इतना बड़ा शासक आखिर सिंहासन पर बैठकर क्या बुनता रहता है।

छावा सहित कई फिल्मों में दिखाई गई औरंगजेब की ये छवि कोई मनगढ़ंत नहीं है। औरंगजेब वाकई अपने दरबार में बैठकर टोपी बुना करता है। इतिहास की कई किताबों में इसका जिक्र भी किया गया है। लेकिन वह ऐसा करता क्यों था, इसकी वजह भी आपको बताते हैं।

बेहद क्रूर शासक था औरंगजेब

पानीपत के मैदान में जब इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने मुगल साम्राज्य की नींव रखी, तो शायद किसी से सोचा भी नहीं होगा कि इस वंश में औरंगजेब जैसा कोई अत्यधिक क्रूर शासक भी जन्म लेगा। बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर और शाहजहां की तरह औरंगजेब को न तो कला और शान-ओ-शौकत का कोई लोभ था और न ही विलासिता का।

अपने भाइयों का कत्ल कर औरंगजेब 1658 में मुगल सिंहासन पर बैठा। उसने अपने शासनकाल में सख्त इस्लामी नीतियों, विस्तारवादी युद्ध और शरिया कानून लागू किया। हिंदुओं पर जजिया कर लगाया, मंदिरों तोड़े और लाखों लोगों का कत्ल-ए-आम किया। यही कारण है कि औरंगजेब के शासनकाल को मुगलिया सल्तनत का सबसे बुरा दौर कहा जाता है।

नमाज की टोपियां बुनता था
  • औरंगजेब अपनी निजी जिदंगी में भी पूर्वजों से काफी अलग था। उसने अत्यधिक खर्च को कम करने के लिए दरबार में संगीत और उत्सवों पर प्रतिबंध लगा दिया। वह शारीरिक श्रम के जरिए अपनी आजीविका कमाने पर जोर देता था।
  • ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, औरंगजेब ने अपना कुछ समय नमाज की टोपियां (तकियाह) बुनने और हाथ से कुरान लिखने में बिताया। औरंगजेब अपने निजी खर्च के लिए शाही खजाने के इस्तेमाल के सख्त खिलाफ था। इसलिए वह अपनी बुनी हुई टोपियों को बेचता था और इससे मिलने वाले धन का इस्तेमाल निजी खर्च के लिए करता था।
इतिहासकार देते हैं कई तर्क

हालांकि औरंगजेब द्वारा हर रोज टोपी बुनने की आदत को इतिहासकार अलग-अलग तरीके से देखते हैं। कुछ का मानना है कि इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप औरंगजेब सादा जीवन जीने की परंपरा का पालन करता था। वहीं कुछ का तर्क है कि ऐसा करके वह खुद को एक धर्मनिष्ठ और विनम्र शासक के रूप में पेश करना चाहता था।

औरंगजेब में भले ही अपने शासनकाल में क्रूरता का कोई पैमाना शेष न छोड़ा हो, लेकिन उसकी टोपी बुनने की आदत भी उसके चरित्र के साथ ही नत्थी हो गई है। कहते हैं कि अपने अंतिम दिनों में भी, औरंगजेब अपने सिद्धांतों पर चलता रहा। जब 1707 में उसकी मृत्यु हुई, तो उसने अपने वंशजों के लिए कोई भव्य मकबरा या विशाल संपत्ति नहीं छोड़ी। महाराष्ट्र में उसकी बेहद साधारण कब्र है।

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बांग्लादेशी लड़कियों की तस्करी... एजेंटों को मिलते थे 4-5 हजार रुपये, ED की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 11:54pm

पीटीआई, नई दिल्ली। ईडी ने अपनी जांच के हवाले से बताया है कि हैदराबाद में देह व्यापार का संचालन करने वाले लोग बांग्लादेशी लड़कियों की देश में तस्करी के लिए बंगाल में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद एजेंटों को प्रति व्यक्ति चार से पांच हजार रुपये का भुगतान कर रहे थे।

मनी लॉन्ड्रिंग की यह जांच तेलंगाना पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई है जिसे एनआईए ने पुन: दर्ज किया है। यह एफआईआर शहर के बाहरी इलाके में स्थित दो वेश्यालयों द्वारा चलाए जा रहे देह व्यापार व वेश्यावृत्ति रैकेट के विरुद्ध दर्ज की गई थी।

ईडी के अनुसार, आरोपित हैदराबाद में और आसपास के विभिन्न स्थानों पर वेश्यालय चला रहे थे और कमीशन के आधार पर उन्होंने पीडि़त लड़कियों को अन्य वेश्यालयों व एजेंटों के पास भी भेजा था। उन्होंने फर्जी और जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए कई बैंक खाते व आनलाइन वालेट भी खोले थे।

विभिन्न वित्तीय माध्यमों से मनी ट्रांसफर

ईडी ने जांच में पाया कि लड़कियों की तस्करी के लिए एजेंटों को भुगतान बैंकिंग चैनलों के माध्यम के साथ-साथ नकद भी किया जाता था। लेन-देन छिपाने के लिए आरोपितों ने विभिन्न वित्तीय माध्यमों की मनी ट्रांसफर सेवाओं का इस्तेमाल किया और अपने मोबाइल नंबर सिर्फ धन प्रेषण के लिए साझा किए। जांच एजेंसियों की नजर से बचने के लिए उन्होंने नियामक सीमा से नीचे के छोटे-छोटे भुगतान व्यवस्थित तरीके से किए।

जांच एजेंसी ने कहा, 'अपराध से अर्जित आय का एक बड़ा हिस्सा बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाकों में कई व्यक्तियों को भेजा गया, जिन्होंने नकद धन निकाला और अन्य हवाला एजेंटों को सौंप दिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि धन बांग्लादेश में पीडि़त लड़कियों के परिवारों को भेजा जाए। कभी-कभी उन्होंने बीकैश (बांग्लादेश बैंक की मोबाइल बैंकिंग सेवा) का भी उपयोग किया।'

एनआईए ने पाया कि मामले में गिरफ्तार ज्यादातर आरोपित बांग्लादेशी नागरिक थे जिन्होंने वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में गैरकानूनी रूप से प्रवेश किया था।

उन्होंने फर्जी व जाली भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल किए थे और अन्य एफआईआर में गिरफ्तारी के बावजूद वेश्यावृत्ति एवं बांग्लादेशी लड़कियों की तस्करी जारी रखी। बांग्लादेशी लड़कियों को ब्यूटी पार्लरों, दर्जी की दुकानों व स्टील संयंत्रों में अधिक वेतन की नौकरी या घरेलू सहायिकाओं का काम दिलाने के नाम पर लाया जाता था।

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महिलाओं के लिए परेशान करने वाले ये आंकड़े! दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की हर दो में से एक महिला तनाव और चिंता की शिकार

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 11:45pm

विशाल श्रेष्ठ, जागरण, कोलकाता। एक तरफ जहां महिला सशक्तीकरण व हर क्षेत्र में उनके आगे बढने की बातें हो रही हैं, वहीं एक काला सच यह भी है कि जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की जद्दोजहद में उन्हें विकट मानसिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है।

देश के तीन प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के आंकड़े बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। आदित्य बिरला एजुकेशन ट्रस्ट की इकाई एमपावर मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन द्वारा पिछले एक साल के दौरान इन महानगरों की 1.3 मिलियन से अधिक महिलाओं पर किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि वहां की प्रत्येक दो में से एक महिला तनाव व चिंता की शिकार हैं।

महिलाओं में पायी गई ये बीमारी

सर्वेक्षण के दायरे में कॉलेज छात्राओं से लेकर कॉर्पोरेट प्रोफेशनल्स और सशस्त्र पुलिस फोर्स में कार्यरत महिलाएं तक शामिल हैं। इसमें 47 प्रतिशत महिलाओं को दुष्चिंता के कारण अनिद्रा की बीमारी से ग्रस्त पाया गया है। और भी चिंताजनक बात यह है कि इसमें मुख्य रूप से 18-35 आयु वर्ग की महिलाएं शामिल हैं। वहीं 41 प्रतिशत महिलाएं सीमित सामाजिक दायरे के कारण भावनात्मक रूप से परेशान हैं।

38 प्रतिशत महिलाएं अकादमिक व कार्यस्थल संबंधी दबाव से जूझ रही हैं। वे मुख्यतया करियर बनाने व वित्तीय सुरक्षा को लेकर परेशान हैं। 42 प्रतिशत कार्पोरेट महिलाओं में अवसाद के लक्षण पाए गए हैं, वहीं 80 प्रतिशत महिलाओं को मातृत्व अवकाश व करियर विकास को लेकर कार्यस्थल पर रूढ़िवादी सोच का सामना करना पड़ रहा है।

90 प्रतिशत महिलाओं ने माना है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उनकी उत्पादकता व कार्य क्षमता को प्रभावित कर रही है। सशस्त्र बलों में कार्यरत महिलाओं में पोस्ट-ट्रामेटिक स्ट्रेस डिस्आर्डर, आघात डिसऑर्डर और चिंता संबंधी विकार के उच्च मामले देखे गए हैं।

इसलिए है ऐसी स्थिति

वरिष्ठ मनोचिकित्सक और एमपावर की मुंबई सेंटर की प्रमुख डा. हर्षिदा भंसाली ने बताया-'मुंबई की महिलाएं मानसिक चुनौतियों के जटिल दौर से गुजर रही हैं, जिनमें आपसी रिश्तों में दरार, अलगाव व भावनात्मक असंतुलन से लेकर बच्चों की देखभाल से संबधित परेशानियां तक शामिल हैं। निर्णय लेने की स्वतंत्रता, वित्तीय आत्मनिर्भरता, एकल तौर पर बच्चों का पालन-पोषण व प्रजनन संबंधी समस्याएं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बोझ और बढ़ा रही हैं।

डा. भंसाली आगे कहती हैं, "मानसिक स्वास्थ्य बहुत सी महिलाओं के लिए मूक संघर्ष की तरह है। इसे अक्सर परिवार व सामाजिक अपेक्षाओं के बीच प्राथमिकता नहीं दी जाती है। समय पर हस्तक्षेप करना बहुत जरुरी है। सही सहायता के थेरेपी व मनोवैज्ञानिक देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जीवन को लचीला बनाया जा सकता है और अधिक संतुष्ट तरीके से इसे जिया जा सकता है।"

वहीं एमपावर की कोलकाता सेंटर कोलकाता से जुड़ीं क्लिनिकल साइकोलाजिस्ट अंकिता गायेन ने बताया, "महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं व अवसाद सामाजिक दबाव के कारण बढ़ रहे हैं। उनसे काम व परिवार के बीच संतुलन बनाए रखने की अपेक्षा कर जाती है, जो उनमें दीर्घकालिक तनाव की स्थिति पैदा कर रही है।"

डॉ. हर्षिदा भंसाली, मनोचिकित्सक

अंकिता ने कहा, "लिंग आधारित हिंसा, भेदभाव, घरों में आलोचनात्मक टिप्पणियां भी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। इंटरनेट मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल का भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बहुत सी महिलाएं इंटरनेट मीडिया के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश करती हैं कि रूप-रंग एकदम सही है और उनका जीवन शानदार तरीके से बीत रहा है, जो अक्सर सच नहीं होता। इससे उनके आत्मसम्मान और आत्मछवि में गिरावट आती है। मदद मांगने में झिझक और मानसिक स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच इस तरह के मामलों को बदतर बना रही है।"

"मानसिक स्वास्थ्य वित्तीय स्थिरता पर भी निर्भर करता है। इसके अलावा व्यावसायिक शिक्षा की कमी, नौकरी के अवसरों का अभाव और लैंगिक वेतन अंतर की व्यापकता जैसे कारणों से भी महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना अक्सर मुश्किल होता है।" अंकिता गायेन, क्लिनिकल साइकोलाजिस्ट

ये किए जाने की है जरूरत

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बाबत कई सुझाव दिए हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा तंत्र में एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल किया जाना चाहिए ताकि ऐसे मामलों में त्वरित हस्तक्षेप किया जा सके और मरीजों को आसानी से सहायता मिल सके।
  • महिलाओं को कम उम्र से ही मानसिक स्वास्थ्य के बारे में मनोवैज्ञानिक शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए एवं उन्हें बिना किसी डर या शर्म के अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के प्रति सचेत करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए।
  • किसी ने खूब कहा है-'चैरिटी बिंगिंस एट होम। महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जरुरतों पर खुलकर बातें कर सकें, इसके लिए घरों में सुरक्षित व सहायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
  • कार्यस्थलों पर ऐसी नीतियां व नियम लागू किए जाने चाहिए, जो मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करें। इसमें तनाव प्रबंधन कार्यक्रम व लचीली कार्य व्यवस्था प्रमुख हैं।
  • महिलाओं के लिए विशेष रूप से सहकर्मी सहायता समूहों व मानसिक स्वास्थ्य नेटवर्क जैसी समुदाय-आधारित सहायता प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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देश की जीडीपी में शहरों की हिस्सेदारी का होगा आकलन, सरकार ने अंतर-मंत्रालयी समिति का किया गठन

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 11:40pm

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। शहर विकास के इंजन कहे जाते हैं, लेकिन वे किस तरह के इंजन हैं, विकास में उनका क्या योगदान है और इस योगदान के पैमाने क्या हैं। यह जानने के लिए केंद्र सरकार ने एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया है।

अपनी तरह की इस पहली कोशिश के तहत यह समिति शहरी क्षेत्र की नए सिरे से परिभाषा तय करने के साथ ही सिटी इकोनॉमिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी में किसी शहर के योगदान को तय करने के तौर-तरीके बताएगी।दैनिक जागरण को मिली जानकारी के अनुसार, नीति आयोग के सदस्य अरविंद वीरमानी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है और इसमें जबलपुर, सूरत, पुणे, मुजफ्फरपुर के नगर आयुक्त भी सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं।

एक साल में समिति देगी रिपोर्ट

26 सदस्यीय यह समिति एक वर्ष में अपनी रिपोर्ट देगी। समिति में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के संयुक्त सचिव स्तर तक के प्रतिनिधि, वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सलाहकार, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि, श्रम और रोजगार मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आरबीआइ के कार्यकारी निदेशक के साथ ही महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और बिहार के आर्थिक और सांख्यिकी विभाग के निदेशकों को भी शामिल किया गया है।

समिति के गठन संबंधी आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि वीरमानी की अध्यक्षता वाला समूह भारतीय परिप्रेक्ष्य में सिटी इकोनमिक प्रोडक्ट की परिभाषा तय करेगा। इसी क्रम में आर्थिक क्षेत्रों की पहचान की परिभाषा भी की जाएगी, जिसमें शहरी इलाके और नगरीय-ग्रामीण संधि क्षेत्र भी शामिल हैं।आर्थिक क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने का अपना महत्व है, क्योंकि इससे यह समझने में आसानी होगी कि शहर के किसी हिस्से में आर्थिक संभावनाएं क्या हैं।

समिति इकोनॉमिक प्रोडक्ट का करेगी आकलन

उदाहरण के लिए एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशियो का सही और अधिकतम इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। इस निर्धारण से एफएआर को लेकर नीति बदल सकती है। इससे आर्थिक संसाधन बढ़ने के साथ ही लोगों को आवास के लिए अधिक अवसर उपलब्ध हो सकते हैं। इसी तरह एयर शेड, वाटर शेड, आजीविका क्षेत्रों आदि को एक साथ लाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। इससे शहरी-ग्रामीण इलाकों के लिए प्रोत्साहन के उपायों को तय करने में मदद मिलेगी।

समिति सिटी इकोनॉमिक प्रोडक्ट का आकलन करने के लिए मानक और संकेतक की पहचान करेगी। इसके साथ ही मुख्य रूप से यह बताएगी कि इस सीईपी का आकलन करने के लिए भारतीय परिप्रेक्ष्य में तौर-तरीका क्या होगा। इसके लिए किस तरह के डाटा की जरूरत होगी, इस डाटा का स्त्रोत क्या होगा, यह भी समिति को तय करना है। समिति एक उचित आधार वर्ष का भी सुझाव देगी, जिसके संदर्भ में सीईपी का आकलन किया जाएगा।

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CBI के पूर्व निदेशक आरसी शर्मा का निधन, बोफोर्स घोटाले की जांच में निभाई थी अहम भूमिका

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 10:59pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीआई के पूर्व निदेशक आरसी शर्मा का गुरुवार को उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी की थी। उनके निधन पर एजेंसी ने बयान जारी किया है। बयान में कहा कि आरसी शर्मा ने बोफोर्स, प्रतिभूति घोटाले और स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जांचों महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हरियाणा कैडर के 1963 बैच के आईपीएस अधिकारी थे शर्मा

आरसी शर्मा हरियाणा कैडर के 1963 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। शर्मा ने जोगिंदर सिंह के बाद सीबीआई प्रमुख का पद संभाला, जिन्हें बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने 30 जून, 1997 से 31 जनवरी, 1998 तक एजेंसी का नेतृत्व किया।

एजेंसी ने बयान में कहा कि सीबीआई शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त करती है और ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वह परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति और धैर्य प्रदान करें।

सीबीआई ने कही ये बात

सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने एक संदेश में कहा कि इस दुख की घड़ी में संपूर्ण सीबीआई बिरादरी की संवेदनाएं शोकाकुल परिवार के साथ हैं। आर.सी. शर्मा की आत्मा को शांति मिले तथा उनके परिवार को आरसी शर्मा की सम्मान और समर्पण की विरासत से सांत्वना मिले।

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रुपये का सिंबल हटाने पर भड़कीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कहा- अलगाववाद को दे रहे बढ़ावा

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 10:12pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रुपये को लेकर शुरू हुए विवाद पर अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी बयान आ गया है। सीतारमण ने कहा है कि ये कदम अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है। बता दें कि 2025-26 के लिए राज्य के बजट में स्टालिन सरकार ने देवनागरी लिपि में रुपये के लोगो को तमिल अक्षर से बदल दिया है।

भाजपा ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि पूर्व द्रमुक विधायक के पुत्र ने ही रुपये का लोगो बनाया है। शुक्रवार को पेश होने वाले बजट से एक दिन पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसका टीजर साझा किया है। इसमें रुपये के लोगो की जगह तमिल भाषा में 'रु' दिख रहा है, जिसका मतलब 'रुबाई' (तमिल में रुपया) है।

क्या बोलीं निर्मला सीतारमण?

वित्त मंत्री सीतारमण ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने लिखा- अगर डीएमके को ‘₹’ से दिक्कत है, तो उसने 2010 में इसका विरोध क्यों नहीं किया, जब इसे आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत अपनाया गया था। उस समय तो डीएमके केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी।

The DMK government has reportedly removed the official Rupee symbol ‘₹’ from the Tamil Nadu Budget 2025-26 documents, which will be presented tomorrow.

If the DMK (@arivalayam) has a problem with ‘₹’, why didn’t it protest back in 2010 when it was officially adopted under the…

— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) March 13, 2025

सीतारमण ने कहा कि यह महज प्रतीकात्मकता से कहीं अधिक है। यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत देता है, जो भारतीय एकता को कमजोर करता है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है। उन्होंने इसे भाषा और क्षेत्रीय अंधभक्ति का एक पूरी तरह से टाला जा सकने वाला उदाहरण बताया।

हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे स्टालिन
  • यह पहली बार है कि किसी राज्य ने राष्ट्रीय मुद्रा के प्रतीक को अस्वीकार किया है और उसकी जगह अपनी क्षेत्रीय भाषा को महत्व दिया है। तमिलनाडु सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को खारिज करने के बाद इस मुद्दे पर जारी राजनीतिक विवाद के बीच यह कदम उठाया गया है।
  • मुख्यमंत्री स्टालिन केंद्र सरकार पर राज्य में हिंदी थोपने का प्रयास करने का आरोप लगा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देना है। राज्य सरकार के इस कदम से भाजपा नाराज है, लेकिन सत्तारूढ़ द्रमुक ने आश्चर्य जताया कि क्या कोई नियम इस पर रोक लगाता है।
डिजाइनर ने टिप्पणी करने से इंकार किया

भारतीय रुपये का प्रतीक चिह्न डिजाइन करने वाले आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने किसी विवाद में पड़ने से इन्कार कर दिया और कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता द्रमुक विधायक थे। उन्होंने कहा, मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है। राज्य सरकार को लगा कि बदलाव की जरूरत है और वह खुद का स्क्रिप्ट लागू करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है। इसलिए मेरे पास इस बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है। कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में ऋषिवंदियम निर्वाचन क्षेत्र से द्रमुक के विधायक थे। कुमार ने कहा कि मेरे पिता द्रमुक विधायक थे और पार्टी की सरकार ने डिजाइन बदल दिया। मैं इसमें कुछ और नहीं देखता। यह एक विशुद्ध संयोग है।

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हिंदी से इतनी नफरत! बजट से तमिलनाडु सरकार ने हटाया रुपये का चिह्न, पिछले साल किया था इस्तेमाल

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 3:19pm

एएनआई, चेन्नई। हिंदी के खिलाफ अभियान चला रही तमिलनाडु सरकार ने एक नया कदम उठाया है। अब तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट से रुपये के प्रतीक को हटा दिया है। इसकी जगह तमिल भाषा के प्रतीक का इस्तेमाल किया है।

पिछले साल तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट में भारतीय रुपये का प्रतीक (₹) इस्तेमाल किया था। तमिलनाडु सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रही है। उसका तर्क है कि इस नीति के तहत त्रिभाषा फॉर्मूले से हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस बीच उसने रुपये के चिह्न को हटाने का कदम उठाया है।

केंद्र पर स्टालिन ने बोला हमला

बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को भारत के विकास के बजाय हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह शिक्षा नहीं बल्कि भगवा नीति है।

स्टालिन का आरोप है कि नई शिक्षा नीति से तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली नष्ट हो जाएगी। केंद्र सरकार का तर्क है कि एनईपी का उद्देश्य बहुभाषावाद और भाषा शिक्षा में लचीलेपन को बढ़ावा देना है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हिंदी थोपने के आरोपों का खंडन किया और कहा कि नीति राज्यों को अपनी भाषा चुनने की अनुमति देती है।

नई शिक्षा नीति को लागू करना असंभव: त्यागराजन

तमिलनाडु के राज्य मंत्री पलानीवेल त्यागराजन का कहना है कि केंद्र की नई शिक्षा नीति को लागू करना असंभव है, क्योंकि इसके समर्थन के लिए कोई फंडिंग या बुनियादी ढांचा नहीं है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 एक एलकेजी छात्र और एक उच्च शिक्षा छात्र को एक ही तरह से पढ़ाने जैसा है।

उन्होंने दावा किया कि 1968 के बाद शुरू की गई शिक्षा नीतियों में दक्षिण भारतीय भाषाओं को सीखने की सिफारिश की गई थी। मगर योग्य शिक्षकों की कमी के कारण यह नीति 20 साल के भीतर हिंदी भाषी राज्यों में विफल हो गई। भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मंत्री त्यागराजन की आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि त्यागराजन के बेटों ने अंग्रेजी और एक विदेशी भाषा में पढ़ाई की तो वे इस नीति को रोकने का नाटक क्यों कर रहे हैं?

Tamil Nadu government replaces the Rupee symbol with a Tamil language symbol representing the same on its Tamil Nadu Budget 2025-26. The previous Budget carried the Indian currency symbol ₹

(Photo source for pic 1: TN DIPR) pic.twitter.com/Mb2ruTtDFV

— ANI (@ANI) March 13, 2025

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83,00,00,00,00,000 रुपये का क्रिप्टो फ्रॉड, जिसे खोज रहा था अमेरिका, वह शख्स भारत में मिला; CBI ने केरल से दबोचा

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 2:52pm

एजेंसी, केरल। केरल पुलिस को क्रिप्टो फ्रॉड मामले में बड़ी सफलता मिली है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के साथ संयुक्त अभियान में केरल पुलिस ने क्रिप्टो किंगपिन एलेक्सेज बेसिओकोव को गिरफ्तार किया है। एलेक्सेज मूलरूप से लिथुआनिया का रहने वाला है और कई मामलों में अमेरिका का वांछित है। आरोपी देश से भागने की योजना बना रहा था। मगर उससे पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। साल 2022 में अमेरिका ने एलेक्सेज पर प्रतिबंध लगाया था।

बड़े पैमाने पर की क्रिप्टो धोखाधड़ी

एलेक्सेज पर अमेरिका में बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी का आरोप है। उसने बिना लाइसेंस क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज गारंटेक्स की स्थापना की थी। लगभग छह वर्षों तक इसका संचालन किया। आरोप के मुताबिक रैनसमवेयर, कंप्यूटर हैकिंग और नशीले पदार्थों से होने वाली आपराधिक कमाई को क्रिप्टो में निवेश के नाम पर एलेक्सेज ने गारंटेक्स के माध्यम से लूटी।

8 लाख करोड़ से भी बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग

यूएस सीक्रेट सर्विस के दस्तावेजों के मुताबिक बेसिओकोव ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठनों के क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन में लगभग 96 बिलियन डॉलर (8 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की मनी लॉन्ड्रिंग की। गारेंटेक्स को आपराधिक आय के रूप में करोड़ों डॉलर की धनराशि मिली। इसका इस्तेमाल हैकिंग, रैनसमवेयर, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों में किया गया।

इन नियमों का किया उल्लंघन

एलेक्सेज यूनाइटेड स्टेट्स कोड के शीर्षक 18 का उल्लंघन कर मनी लॉन्ड्रिंग, यूएस इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर्स एक्ट का उल्लंघन और बिना लाइसेंस के मनी सर्विसेज बिजनेस चलाने का आरोपी है। आरोपी के खिलाफ वर्जीनिया के पूर्वी जिला न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। इस मामले में भी उसकी तलाश थी। 2021 से 2024 के बीच 'गारंटेक्स' ने ब्लैक बस्ता, प्ले और कॉन्टी रैनसमवेयर समूहों से प्राप्त लाखों अमेरिकी डॉलर की लूट की।

अमेरिका से अनुरोध मिलने पर एक्शन

केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक एलेक्सेज के संबंध में अमेरिका से अनुरोध मिला था। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने प्रत्यर्पण अधिनियम- 1962 के तहत 10 मार्च को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से एक गिरफ्तारी वारंट जारी करवाया। इसके बाद आईपीसीयू और सीबीआई ने भगोड़े अपराधी एलेक्सेज बेसिओकोव की गिरफ्तारी के लिए केरल पुलिस के साथ समन्वय किया। अब केरल पुलिस उसे पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष पेश करेगी।

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'अपना पद छोड़ें मोहम्मद यूनुस, पीएम के रूप में शेख हसीना वापस आ रहीं', बांग्लादेश के इस दिग्गज नेता का अल्टीमेटम

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 1:38pm

एएनआई, कोलकाता। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के करीबी सहयोगी एवं यूनाइटेड स्टेट्स (यूएसए) अवामी लीग के उपाध्यक्ष डॉ. रब्बी आलम ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की और शेख हसीना को शरण देने पर भारत का धन्यवाद किया।

पीएम मोदी को धन्यवाद

रब्बी आलम ने कहा कि बांग्लादेश पर हमला हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विद्रोह ठीक है। मगर बांग्लादेश में ऐसा नहीं है। यह एक आतंकवादी विद्रोह हुआ है। हमारे कई नेताओं को भारत में शरण लेनी पड़ी है।

हम भारत सरकार के आभारी हैं। रब्बी आलम ने आगे कहा कि मैं पीएम मोदी को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए सुरक्षित यात्रा मार्ग प्रदान किया। हम भारत के लोगों के भी आभारी हैं।

पद छोड़े मोहम्मद यूनुस

रब्बी आलम ने साफ शब्दों में बांग्लादेश के सलाहकार मोहम्मद यूनुस को चेतावनी दी है। आलम ने कहा कि हम बांग्लादेश के सलाहकार से कहना चाहते हैं कि वे पद छोड़ दें और वहीं लौट जाएं... जहां से वे आए थे। शेख हसीना प्रधानमंत्री के रूप में वापस आ रही हैं। युवाओं ने गलती की। मगर यह उनकी गलती नहीं है। बल्कि उनके साथ छल किया गया है।

हसीना और उनके परिवार की संपत्ति जब्त करने का आदेश

इस बीच ढाका की एक अदालत ने शेख हसीना के धानमंडी स्थित आवास 'सुदासदन' और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया। अदालत ने अपने आदेश में 124 बैंक खातों को जब्त करने का भी आदेश दिया है।

ढाका मेट्रोपॉलिटन के वरिष्ठ विशेष न्यायाधीश जाकिर हुसैन गालिब ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) के एक आवेदन के बाद मंगलवार को यह आदेश जारी किया। अदालत ने हसीना के अलावा उनके बेटे साजिब वाजेद जॉय, बेटी साइमा वाजेद पुतुल, बहन शेख रेहाना और उनकी बेटियों ट्यूलिप सिद्दीकी और रादवान मुजीब सिद्दीकी की कुछ संपत्तियां को भी जब्त करने का आदेश दिया है।

हसीना के पति का नाम था सुधा

शेख हसीना के पति परमाणु वैज्ञानिक थे। उनका नाम एमए वाजेद मिया था। मगर उन्हें उपनाम सुधा मिया के नाम से भी जाना जाता था। घर का नाम 'सुदासदन' उनके नाम पर ही रखा गया था।

हिंसा के बीच हसीना को छोड़ना पड़ा था बांग्लादेश

पिछले साल जुलाई महीने में बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का आंदोलन भड़का था। इसके बाद आंदोलन ने शेख हसीना विरोधी रुख अपना लिया। अगस्त महीने में छात्रों ने शेख हसीना से पद छोड़ने की मांग की। देशभर में उग्र प्रदर्शनों का दौर चला। छात्रों की भीड़ राजधानी ढाका में घुसने के बाद हिंसक हो गई।

इसके बाद 5 अगस्त को शेख हसीना को आनन-फानन देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। इस दौरान हिंसा में 600 से अधिक लोगों की जान गई। हजारों लोग घायल हुए। 8 अगस्त को मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार का गठन किया। इसके बाद से ही भारत और बांग्लादेश के रिश्ते ठीक नहीं है।

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फंदे पर लटका मिला एक ही परिवार के 4 लोगों का शव, पत्नी-पत्नी और दो बच्चों की मौत से सनसनी

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 12:55pm

पीटीआई, चेन्नई। चेन्नई से एक दर्दनाक हादसा सामने आया है। एक मामले में परिवार के चार सदस्य मृत पाए गए, जिनमें दो किशोर बेटे भी शामिल हैं। पुलिस अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है। पुलिस अधिकारी ने बताया, एक परिवार के चार सदस्य मृत पाए गए, जिनमें दो नाबालिग बेटे भी शामिल हैं।

पुलिस ने बताया कि मरने वालों में एक कपल डॉक्टर और वकील था। साथ ही उनके दो बेटों थे , इनके शव अलग-अलग कमरों में फंदे से लटके मिले और पुलिस ने कहा कि हो सकता है कि उन्होंने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी हो।

ड्राइवर ने दी पुलिस को सूचना
  • यह घटना तब प्रकाश में आई जब डॉक्टर का ड्राइवर आज काम पर आया और संदेह होने पर उसने पुलिस को सूचना दी, जिसने दरवाजा खोलने पर पाया कि डॉक्टर बालामुरुगन (52) और उनकी पत्नी सुमति (47) अन्ना नगर स्थित आवास के एक कमरे में और उनके बेटे दूसरे कमरे में थे।
  • बताया जा रहा है, शहर में कई अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने वाले डॉ. बालामुरुगन कथित तौर पर भारी कर्ज में डूबे हुए थे।
  • आज सुबह जब डॉक्टर का ड्राइवर घर पहुंचा तो उसे शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है, क्योंकि घर में कोई नहीं आया।
  • वह पुलिस के पास गया, जिसने 52 वर्षीय बालामुरुगन, उनकी पत्नी सुमति, 47 वर्षीय और उनके बेटों के शव बरामद किए गए।
कर्ज के कारण की होगी आत्महत्या

पुलिस ने इस मामले में आगे कहा है, 'हमें संदेह है कि उन्होंने खुदकुशी की है। वे कर्ज में डूबे हुए थे। हम जांच कर रहे हैं। अभी तक किसी की ओर से कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है।' इस मामले में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कर्ज के दबाव में ऐसा किया होगा। तिरुमंगलम पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, आगे की जांच जारी है।

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बांग्लादेशी हो या रोहिंग्या... अब घुसपैठियों की खैर नहीं! मोदी सरकार बनाने जा रही नया इमिग्रेशन कानून

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 12:52pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में आव्रजन एवं विदेशी विधेयक पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य भारत के मौजूदा आव्रजन कानून को आधुनिक और मजबूत बनाना है। इसकी मदद से अवैध घुसपैठियों से निपटने और निर्धारित सीमा से अधिक समय तक रहने वाले विदेशियों पर नजर रखना आसान होगा।

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से भारत में अवैध घुसपैठ की समस्या विकराल हुई है। बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ सबसे बड़ा मुद्दा है। इससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बल्कि संसाधनों पर भी बोझ पड़ने का डर है।

अवैध घुसपैठ पर लगेगी लगाम

नए विधेयक में कड़ी सजा और भारी भरकम जुर्माने का प्राविधान किया गया है। वीजा शर्तों का उल्लंघन करने पर विदेशियों को भारी जु्र्माना चुकाना पड़ेगा। अवैध घुसपैठियों को वापस भेजने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।

यह विधेयक सरकार को देश की सुरक्षा और संप्रभुता के खतरे की स्थिति में किसी भी विदेशी को देश में प्रवेश देने या नहीं देने की अनुमति देगा। विधेयक में विदेशी व्यक्ति की बायोमेट्रिक जानकारी जुटाने की अनुमति भी दी गई है। पारित होने के बाद यह विधेयक मौजूदा चार कानूनों की जगह लेगा।

इन कानूनों की लेगा जगह
  • पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम- 1920।
  • विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम- 1939।
  • विदेशी अधिनियम- 1946।
  • आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम- 2000।
बिना वारंट गिरफ्तारी का प्राविधान

विधेयक के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति ने वैध दस्तावेज के बिना भारत में घुसपैठ की तो उसे बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने का प्राविधान है। अब भारत आने पर विदेशी नागरिकों को तुरंत संबंधित पंजीकरण अधिकारी के पास अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

संस्थानों को देनी होगी विदेशियों की जानकारी

नए विधेयक में यह भी प्राविधान है कि विदेशी व्यक्ति के बारे में जानकारी संबंधित संस्था पंजीकरण अधिकारियों को देंगी। अगर कोई विदेशी नागरिक किसी अस्पताल, होटल या अन्य संस्थान में है तो इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को देने की जिम्मेदारी उस संस्था की होगी। विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों पर भी यह नियम लागू होगा।

भारी पड़ेगा बिना दस्तावेज प्रवेश

अगर कोई विदेशी नागरिक बिना वैध दस्तावेज के भारत में प्रवेश करता है तो उसे पांच साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। अगर पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज जाली हैं तो 1 से 10 लाख रुपये तक जुर्माने लग सकता है। मौजूदा पासपोर्ट अधिनियम के तहत अगर कोई विदेशी शख्स बिना वैध पासपोर्ट प्रवेश करता है तो 5 साल की जेल या 50 हजार रुपये जुर्माना या दोनों का प्राविधान है।

वाहक पर भी लगेगा जुर्माना

नए विधेयक में वैध दस्तावेज के बिना भारत में अवैध लोगों को लाने वाले वाहक पर 2 से 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्राविधान है। जुर्माना नहीं भरने की स्थिति में आव्रजन अधिकारी जहाज या वाहक से जुड़ी संपत्ति को जब्त कर वसूली करेंगे। मौजूदा आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम- 2000 के तहत वाहक पर एक लाख रुपये तक के जुर्माने का ही प्राविधान है।

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रान्या राव कैसे चकमा देकर एयरपोर्ट से बाहर ले जाती थी सोना? पुलिस से पूछताछ में खोला राज

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 12:04pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में अवैध तरीके से सोना लाने पर बेंगलुरु एयरपोर्ट पर पकड़ी गई कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या राव की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान DRI ने कई खुलासे किए हैं। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने आज अदालत को बताया कि एक्ट्रेस रान्या राव के सोने की तस्करी के रैकेट में एक बड़ा गिरोह शामिल था। 

एक्ट्रेस राज्य प्रोटोकॉल अधिकारी की मदद से हवाई अड्डों तक पहुंची थी, जो भी रैकेट का हिस्सा थे। यह जानकारी राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने दी, जो तस्करी मामले की जांच कर रहा है। डीआरआई ने कहा कि उस दिन, राज्य प्रोटोकॉल अधिकारी ने उसे एयरपोर्ट से बाहर निकाला था। उसे बाहर निकलने से बस एक या दो कदम पहले ही पकड़ लिया गया था।

रान्या राव ने कैसे पार किया ग्रीन चैनल?

डीआरआई ने कहा कि रान्या राव ने राज्य प्रोटोकॉल कार्यालय की मदद से इमिग्रेशन और ग्रीन चैनल को पार किया था और आरोप लगाया कि विभाग इसमें शामिल था। डीआरआई के वकील ने कहा, 'हमने (डीआरआई) ग्रीन चैनल पार करने के बाद उसे वहां रोका था।

 डीआरआई ने आगे कहा, हमने राज्य प्रोटोकॉल अधिकारी को तलब किया है और उनका बयान लिया है।' एजेंसी ने यह भी तर्क दिया कि हवाला के माध्यम से भारी मात्रा में धन की व्यवस्था की गई और उसे ट्रांसफर किया गया और वे उस चैनल की जांच कर रहे हैं।

डीआरआई ने कहा,

'इससे पता चलता है कि एक सिंडिकेट काम कर रहा था। एक्ट्रेस जांच में सहयोग नहीं कर रही है, डीआरआई ने कहा, 'हम उसकी जमानत का विरोध करते हैं क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। हमें हवाला चैनल की जांच करनी है।' एजेंसी ने यह भी कहा कि रान्या राव, जो पिछले छह महीनों में 27 बार दुबई जा चुकी है, के पास यूएई का निवासी पहचान पत्र है।

कल जमानत याचिका पर फैसला लेगी अदालत

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी रान्या राव फिलहाल न्यायिक हिरासत में है, जिसकी अवधि 24 मार्च को खत्म होगी, लेकिन उम्मीद है कि अदालत कल उसकी जमानत याचिका पर फैसला लेगी। रान्या राव अपनी लगातार विदेश यात्राओं के कारण डीआरआई की नजर में आई थीं। पिछले छह महीनों में उन्होंने दुबई और अमेरिका की 27 यात्राएं की हैं।

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YouTube से सीखा सोना छिपाने का तरीका, पहली बार की तस्करी... रान्या राव ने किया खुलासा

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 10:50am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रान्या राव सोना तस्करी मामला तूल पकड़ रहा है। अब सोना तस्करी में फंसी तमिल एक्ट्रेस रान्या राव ने इस मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की हिरासत में मौजूद एक्ट्रेस रान्या राव ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि यह पहली बार था जब उसने दुबई से सोने की तस्करी की थी।

अभिनेत्री ने यह भी खुलासा किया कि उसे अज्ञात नंबरों से कॉल आए और दावा किया कि उसने यूट्यूब वीडियो से सोना छिपाना सीखा। इस दौरान रान्या राव ने अपनी लगातार विदेश यात्राओं और सोने की तस्करी के बारे में बताया।

टर्मिनल 3 के गेट ए पर जाने का दिया निर्देश

उन्होंने कहा,

'मुझे 1 मार्च को एक विदेशी फोन नंबर से कॉल आया। पिछले दो हफ्ते से मुझे अज्ञात विदेशी नंबरों से कॉल आ रहे थे। मुझे दुबई एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 के गेट ए पर जाने का निर्देश दिया गया। मुझे दुबई एयरपोर्ट पर सोना लेने और बेंगलुरु में उसे सौंपने के लिए कहा गया।'

राव ने डीआरआई अधिकारियों को दिए अपने पिछले बयानों से पलटते हुए कहा, 'यह पहली बार था जब मैंने दुबई से बेंगलुरु में सोने की तस्करी की। मैं पहले कभी दुबई से सोना नहीं लाई या खरीदा।'

टॉयलेट में जाकर छुपाया

रान्या राव ने खुलासा किया कि उसने एयरपोर्ट पर क्रेप बैंडेज और कैंची खरीदी और एयरपोर्ट के टॉयलेट में सोने की रॉड अपने शरीर से चिपका लीं। राव ने राजस्व खुफिया अधिकारियों को बताया, 'सोना दो प्लास्टिक से ढके पैकेट में था। मैंने सोने को अपनी जींस और जूतों में छिपा लिया। मैंने यूट्यूब वीडियो से यह करना सीखा।'

6 फीट लंबे आदमी ने किया था कॉल

रान्या राव ने आगे फोन करने वाले या ट्रेनर को पहचानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा,

'मुझे पूरी तरह से यकीन नहीं है कि मुझे किसने फोन किया। फोन करने वाले का उच्चारण अफ्रीकी-अमेरिकी था।' उसने राजस्व खुफिया अधिकारियों को बताया, उसने सुरक्षा जांच के बाद सोने की छड़ें सौंप दीं।

उन्हों कहा कि सोने की छड़ें सौंपने के तुरंत बाद वह चला गया। रान्या राव ने कहा, 'मैं उससे फिर कभी नहीं मिली या उसे नहीं देखा। वह आदमी लगभग 6 फीट लंबा और गोरा था।'

किसको देना था सोना?
  • जब उनसे पूछा गया कि बेंगलुरु में तस्करी का सोना किसे प्राप्त करना था।
  • रान्या राव ने कहा, मुझे सोने की छड़ें एक अज्ञात व्यक्ति को देने का निर्देश दिया गया था।
  • उन्होंने कहा कि उसे 'एयरपोर्ट टोल गेट के बाद सर्विस रोड पर जाने के लिए कहा गया था और सिग्नल के पास एक ऑटोरिक्शा में सोना रखना था लेकिन उसे ऑटोरिक्शा का नंबर नहीं दिया गया।

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होली पर जबरन रंग लगाने पर रोक, टोली बनाकर बाइकों पर निकले तो होगा एक्शन; पुलिस ने जारी किया आदेश

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 9:19am

एएनआई, हैदराबाद। होली को लेकर हैदराबाद और साइबराबाद पुलिस ने एक गाइडलाइन जारी की है। पुलिस की अधिसूचना के मुताबिक हैदराबाद शहर और साइबराबाद में किसी भी व्यक्ति को जबरन रंग लगाने पर रोक रहेगी। आदेश के मुताबिक सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी अनिच्छुक व्यक्ति और वाहनों पर रंग या रंगीन पानी फेंकने पर रोक है।

सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर टोलियों में दोपहिया और अन्य वाहनों की आवाजाही पर भी रोक रहेगी। पुलिस ने यह कदम इस वजह से उठाया है ताकि शांति व्यवस्था भंग न हो और जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

होली उत्सव से जुड़ा यह आदेश हैदराबाद में 13 मार्च की शाम 6 बजे से 15 मार्च सुबह 6 बजे तक और साइबराबाद में 14 मार्च को सुबह 6 बजे से 15 मार्च सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा।

इंदौर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

उधर, मध्य प्रदेश के इंदौर में होली के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने महू में फ्लैग मार्च निकाला। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने की अपील की।

इससे पहले बुधवार को नोएडा पुलिस ने होली और जुमे की नमाज से पहले फ्लैग मार्च किया। पुलिस उपायुक्त राम बदन सिंह ने कहा कि अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। पर्याप्त बल को तैनात किया गया है।

आज होलिका दहन

देशभर में आज होलिका दहन मनाया जाएगा। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू परिवार लकड़ी के ढेर को तीन या सात बार सफेद धागे से लपेटकर पूजा अर्चना करते हैं। कुमकुम, जल और फूल चढ़ाकर प्रार्थना करते हैं। इसके बाद होलिका दहन किया जाता है। अगले दिन लोग रंग खेलते हैं। एक-दूसरे को गले लगाकर होली की बधाई देते हैं।

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Hyderabad Police and Cyberabad Police have issued a notification prohibiting throwing colours or coloured water on unwilling persons, places and vehicles or smearing unwilling people with colour, on public roads and public places in Hyderabad city and Cyberabad causing annoyance.… pic.twitter.com/X735PQX3md

— ANI (@ANI) March 13, 2025

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अभिनेत्री रान्या राव सोना तस्करी मामले में कर्नाटक सरकार पलटी, CID जांच का आदेश लिया वापस

Dainik Jagran - National - March 13, 2025 - 8:26am

आईएएनएस, बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार अभिनेत्री रान्या राव से जुड़े सोना तस्करी मामले की सीआईडी जांच नहीं करवाएगी। सरकार ने आपराधिक जांच विभाग (CID) की जांच का आदेश वापस ले लिया है। सरकार के नए फरमान से विवाद बढ़ सकता है। दो दिन पहले कर्नाटक सरकार ने पुलिस द्वारा प्रोटोकॉल उल्लंघन का हवाला देते हुए सीआईडी ​​जांच का आदेश दिया था।

अपने आदेश में सरकार ने कहा था कि मीडिया रिपोर्ट में एयरपोर्ट पर पुलिसकर्मियों द्वारा लापरवाही बरतने की जानकारी सामने आ रही है। इसके बाद सरकार ने सीआईडी ​​को जांच करने का निर्देश दिया था। हालांकि अब अचानक सरकार अपने फैसले से पलट गई है।

आईपीएस पिता की भूमिका की होगी जांच

नए आदेश में सरकार ने कहा, "10 मार्च को सरकार ने रान्या राव की विदेश यात्राओं के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई चूक की सीआईडी जांच का आदेश दिया था। इसके अलावा सरकार ने प्रोटोकॉल सुविधाओं का लाभ उठाने में रान्या राव की भूमिका और डीजीपी (पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन) के. रामचंद्र राव की संलिप्तता की जांच करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गौरव गुप्ता को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। उन्हें एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।"

इस वजह से आदेश लिया गया वापस

आदेश में आगे कहा, "चूंकि कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीएआर) ने पहले ही जांच करने और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया है। इस वजह से सीआईडी ​​जांच को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।"

प्रोटोकॉल उल्लंघन की होगी जांच

कर्नाटक गृह विभाग ने हवाई अड्डे पर अभिनेत्री को दिए गए प्रोटोकॉल विशेषाधिकारों की जांच का निर्देश दिया है। सूत्रों के मुताबिक जांच में यह पता लगाया जाएगा कि क्या रान्या के सौतेले आईपीएस पिता रामचंद्र राव की सोने की तस्करी में कोई भूमिका है या नहीं। क्या उन्होंने दुबई से बेंगलुरु तक सोने को लाने के दौरान प्रोटोकॉल विशेषाधिकारों का दुरुपयोग किया था।

रान्या राव पर आरोप है कि उन्होंने सोना तस्करी करते वक्त आईपीएस अधिकारी रामचंद्र राव के नाम का इस्तेमाल किया। कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव से जुड़े सोने की तस्करी मामले ने सियासी मोड़ ले लिया है। उनका नाम कई प्रभावशाली नेताओं से जुड़ रहा है।

हवाला से सोना तस्करी का लिंक: डीआरआई

राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने बुधवार को अदालत को बताया कि डीजीपी रैंक के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की सौतेली बेटी अभिनेत्री रान्या राव से जुड़े सोना तस्करी मामले का हवाला लिंक हैं। इससे यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बन जाता है। डीआरआई के वकील मधु राव ने अदालत में रान्या राव की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि तस्करी सिंडिकेट की संलिप्तता की जांच आवश्यक है।

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