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लोकसभा में कल पेश होगा वक्फ संशोधन बिल, सरकार के सामने विपक्षी दलों ने रख दी ये मांग

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 2:14pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक दोपहर 12 बजे विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में विधेयक को पेश करने की जानकारी दी गई।

विपक्ष ने बिल पर 12 घंटे चर्चा की मांग की। जबकि सरकार ने आठ घंटे का समय दिया है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप भी जारी करेगी। पार्टी के सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहना होगा।

वक्फ बोर्ड में सुधार समय की जरूरत

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर अच्छे काम का विरोध होता है। ठीक ऐसे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने विरोध करने वालों से पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड ने मुसलमानों का कल्याण किया है? योगी ने आगे कहा कि इसमें सुधार समय की जरूरत है। वक्फ बोर्ड निजी स्वार्थ और सरकारी जमीन पर जबरन कब्जे का साधन बन गया है।

अभी तक नहीं मिलीं विधेयक की प्रतियां: बीजद सांसद

बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद सस्मित पात्रा ने कहा, "जहां तक ​​विधेयक की बारीकियों का सवाल है तो इसकी प्रतियां अभी तक वितरित नहीं की गई हैं। इस विधेयक पर बीजद की गंभीर चिंताएं हैं। उन्होंने कहा कि चिंता यह नहीं है कि जेपीसी की बैठक हुई, बल्कि यह है कि विपक्ष की आवाज पर विचार किया गया है या नहीं।

हम भी लोहा लेने को तैयार हैं: चंद्रशेखर

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि अगर केंद्र सरकार तैयार है तो हम भी लोहा लेने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है। सरकार जैसा कह रही है... वैसा नहीं है। इससे नुकसान के अलावा कुछ नहीं होगा। यह धार्मिक विषय है। संविधान का अनुच्छेद 25 इसकी आजादी देता है। सरकार धार्मिक आजादी पर अतिक्रमण करना चाहती है। हम लोग इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

मिलिंद देवड़ा ने विपक्ष को घेरा

शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा कि हम सभी समुदाय को साथ में लेकर चलना चाहते हैं। मेरा मानना है कि वक्फ संशोधन बिल अल्पसंख्यक खासकर मुसलमानों के हित में है। उन्होंने आगे कहा कि जब 2019 में सीएए लाया गया था तब विपक्ष के कुछ लोगों ने फर्जी नैरेटिव चलाया कि ये मुसलमानों के हित में नहीं और उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी। आज मैं उनको चुनौती देता हूं कि पिछले पांच साल में एक भी मुसलमान दिखाइये जिसकी नागरिकता छीनी गई हो।

अनुच्छेद 370 के हटाते वक्त भी कहा गया कि यह कश्मीरी मुसलमानों के हित में नहीं है। आज सबसे ज्यादा फायदा कश्मीरी मुसलमानों को हुआ है। उन्होंने कहा कि आज वक्फ विधेयक पर भी फर्जी नैरेटिव चलाया जा रहा है। भारतीय मुसलमानों को तुष्टिकरण नहीं बल्कि सशक्तिकरण की जरूरत है। मैं मुसलमानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक उन्हें सशक्त करेगा।

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Waqf (Amendment) Bill likely to be tabled tomorrow at 12 noon in Parliament: Sources

— ANI (@ANI) April 1, 2025

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'संभल मस्जिद की रंगाई पुताई करना सही नहीं...' इलाहाबाद HC के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज; सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 12:58pm

पीटीआई, नई दिल्ली। SC on Sambhal mosque सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को यूपी के संभल में जामा मस्जिद की सफेदी करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज

हाईकोर्ट ने 12 मार्च को एएसआई को एक सप्ताह के भीतर मस्जिद की सफेदी करने का काम पूरा करने को कहा था। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया, "हम मौजूदा याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। इसे खारिज किया जाता है।"

अपीलकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल की ओर से पेश हुए वकील बरुण सिन्हा ने हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि एएसआई को गलत तरीके से मस्जिद की दीवार की सफेदी करने को कहा गया था।

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सिर काटकर शाहजहां को भेजा, युद्ध में दी करारी हार; भाई दारा शिकोह के साथ औरंगजेब ने की थी क्रूरता

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 12:33pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अब क्रूर शासक औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की कब्र खोजी जा रही है। मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह का दिल्ली में सिर कटवा दिया और उसका सिर अपने पिता शाहजहां को सौंप दिया था, जिन्हें उसने आगरा में कैद कर लिया था।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर विद्वान और धर्मनिरपेक्ष दारा सम्राट बनते तो भारत का इतिहास अलग होता। औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद के बीच, उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करने वाले दारा के जीवन और उनकी कब्र के आसपास के रहस्य पर एक नजर डालें।

राजकुमार ने खुद को बताया मुगल सम्राट

राजकुमार, जिसे मुगल सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था उन्होंने ईश्वर को याद किया और कहा, मुहम्मद मर मि-कुशाद, इब्न-उल्लाह मर जान नु-बख्शाद (मोहम्मद ने मुझे मार डाला, ईश्वर का पुत्र मुझे क्षमा करता है)। दारा को उसके भाई औरंगजेब के चेलों ने पकड़ रखा था, जिसने उत्तराधिकार की लड़ाई में उसे हराने के बाद खुद को मुगल सम्राट घोषित कर दिया था।

दारा शिकोह को खिजराबाद के बगीचे में लाया गया था, जहां उसे सामूगढ़ की लड़ाई में औरंगजेब से हारने के बाद कैद कर लिया गया था। मुगल सेना के गुलाम सैनिकों चेलों ने कोई सम्मान नहीं दिखाया, दारा को जमीन पर पटक दिया और उसका सिर काट दिया। मुगल साम्राज्य में एक इतालवी यात्री निकोलाओ मनुची लिखते हैं कि राजकुमार ने इसका विरोध नहीं किया।

चार जल्लादों ने काटा सिर

आरसी मजूमदार ने एन एडवांस्ड हिस्ट्री ऑफ इंडिया में लिखा है, चार जल्लादों ने उसका बेरहमी से सिर काट दिया और उसका सिर औरंगजेब के सामने पेश किया।'

दारा को उसके भाई औरंगजेब के चेलों ने पकड़ रखा था, जिसने उत्तराधिकार की लड़ाई में उसे हराने के बाद खुद को मुगल सम्राट घोषित कर दिया था।

केंद्र सरकार खोज रही थी दाराशिकोह की कब्र

बीते दो साल पहले तक एक खबर काफी चर्चा में रही थी कि केंद्र सरकार इस सवाल का जवाब तलाश करवा रही है कि आखिर मुगल दौर के सबसे जहीन और विद्वान शहजादे दारा शिकोह की असली कब्र कहां है? एएसआई पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मुहम्मद ने तब मीडिया बातचीत में कहा था कि जहां तक उनकी कब्र की तलाश का सवाल है, तो सरकार और एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) हैंड हेल्ड एक्सरे डिवाइस की मदद से दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के पीछे स्थित कब्रों की एक्स-रे इमेज ले सकते हैं और इसका सर्वे भी करा सकते हैं।

उनके मुताबिक, एतिहासिक दस्तावेजों की मानें तो मुगलकाल में दाराशिकोह के अलावा ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें किसी मुगल शहजादे का सिर कलम कर सिर्फ धड़ दफनाया गया हो। एक्स-रे इमेज में जिस कब्र में बिना सिर वाला कंकाल नजर आए उसे ही दारा की कब्र मान लेना चाहिए।

सवाल, दारा शिकोह का सिर काटा किसने?

इस सवाल का जवाब है औरंगजेब आलमगीर। दारा शिकोह शाहजहां का सबसे बड़ा बेटा था। शाहजहां उसे बहुत चाहता था और उसे ही शहंशाह बनाना चाहता था। दाराशिकोह की सभी धर्मों में रुचि थी और उसने कई हिंदू धर्म ग्रंथों के उर्दू-फारसी अनुवाद भी कराए थे। सत्ता और सियासत के बजाय दाराशिकोह को अमन पसंद शख्स के तौर पर जाना जाता है। शाहजहां को तो औरंगजेब ने आगरा में कैद कर दिया था और खुद को बादशाह घोषित कर दिया था।

हालांकि यह दावा किया जाता है कि दारा को दिल्ली में हुमायूं के मकबरे में दफनाया गया था, लेकिन उनकी कब्र का सही स्थान अभी भी रहस्य में डूबा हुआ है।

अन्य मुगल राजकुमारों के विपरीत, उन्हें दफनाया नहीं गया था, उनकी कब्र को चिह्नित नहीं किया गया था, और किसी भी शिलालेख में उनके दफन स्थल की घोषणा नहीं की गई थी, सुप्रिया गांधी लिखती हैं।

मुहम्मद काज़िम के आलमगीर-नामा के अनुसार, दारा को 'मकबरे के परिसर के गुंबददार चबूतरे (तहखाना) में दफनाया गया था,' जहां उनकी कब्र अकबर के बेटों मुराद और दानियाल सहित बिखरे हुए स्मारकों में से एक है।

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म्यांमार में भूकंप से कितनी मची तबाही? ISRO ने जारी की सैटेलाइट तस्वीरें, मांडले शहर में सबसे ज्यादा नुकसान

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 11:11am

पीटीआई, बेंगलुरु। 28 मार्च को म्यांमार में एक शक्तिशाली भूकंप आया था। इसके झटके थाईलैंड, वियतनाम, चीन, भारत और बांग्लादेश तक महसूस किए गए थे। म्यांमार में सैन्य शासन और इंटरनेट पर लगी पाबंदी के कारण नुकसान और तबाही की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सैटेलाइट तस्वीरें जारी करके भूकंप से हुई तबाही को दिखाया है।

कार्टोसैट-3 से ली गईं तस्वीरें

इसरो ने अपने अर्थ इमेजिंग और मैपिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 से ली गई भूकंप के पहले और बाद की तस्वीरों को साझा किया है। इन तस्वीरों में भूकंप से मची तबाही साफ दिख रही है। भूकंप के एक दिन बाद 29 मार्च को इसरो ने म्यांमार के मांडले और सैंगोंग शहर की तस्वीरें लीं।

एजेंसी ने कहा कि 18 मार्च को इसी क्षेत्र से प्राप्त डेटा को विश्लेषण और क्षति के आकलन के लिए भेजा गया था। बता दें कि इसरो का कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है। इसमें हाई रिजोल्यूशन इमेजिंग क्षमता है।

मांडले शहर में भारी नुकसान

अपने बयान में इसरो ने कहा कि मांडले शहर में बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। यहां स्काई विला, फयानी पैगोडा, महामुनि पैगोडा और आनंद पैगोडा, यूनिवर्सिटी ऑफ मांडले और कई अन्य प्रमुख स्थलों को या तो पूरी तरह से या आंशिक नुकसान पहुंचा है। सैंगोंग शहर में मा शि खाना पैगोडा के साथ-साथ कई मठों और अन्य इमारतों को क्षति पहुंची है।

ऐतिहासिक पुल भी ढहा

इसरो की तस्वीरों में दिख रहा है कि इन वा शहर के पास इरावदी नदी पर बना ऐतिहासिक अवा पुल भूकंप से ढह गया। वहीं इरावदी नदी के बाढ़ के मैदान में दरारे आई हैं। फटी जमीन से पानी भी निकल रहा है।

मांडले के पास था भूकंप का केंद्र

इसरो ने कहा कि 28 मार्च को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके बाद 6.4 तीव्रता का शक्तिशाली आफ्टरशॉक आया। भूकंप का केंद्र सैंगोंग और मांडले की सीमा के पास जमीन के भीतर 10 किलोमीटर की गहराई में था।

भूकंप का केंद्र पास में होने के कारण मांडले में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ समेत अन्य शहरों में बुनियादी ढांचे, सड़कों और आवासीय इमारतों को नुकसान पहुंचा है।

(इरावदी नदी पर क्षतिग्रस्त पुल की तस्वीर)

इरावदी नदी की पहली तस्वीर 18 मार्च की है। इसमें इवा पुल ठीक दिख रहा है। मगर भूकंप के बाद 29 मार्च को ली गई तस्वीर में पुल क्षतिग्रस्त है।

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भीषण गर्मी झेलने के लिए रहें तैयार, UP-बिहार समेत 16 राज्यों में अप्रैल-जून तक आसमान से बरसेगी 'आग'; IMD ने दिया अपडेट

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 10:28am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। IMD heatwave alert अप्रैल के आते ही गर्मी की भी शुरुआत हो गई है। भारत में इस साल भीषण गर्मी पड़ने वाली है। इसकी चेतावनी खुद आईएमडी ने दी है। आईएमडी ने कहा कि अप्रैल से जून तक सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है, जबकि मध्य और पूर्वी भारत तथा उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है।

इस बार आसमान से बरसेंगे आग के गोले

मौसम विभाग (IMD) ने कहा कि पश्चिमी और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में इस बार जमकर लू चलेगी। अधिकतम तापमान सामान्य से काफी अधिक रह सकता है।

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहेगा।

मृत्युंजय महापात्र ने कहा, 

अप्रैल से जून तक उत्तर और पूर्वी भारत, मध्य भारत तथा उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से दो से चार अधिक दिन गर्मी पड़ने की संभावना है।

गर्मी के दिनों की संख्या हो सकती दोगुनी

आमतौर पर भारत में अप्रैल से जून तक चार से सात दिन गर्मी पड़ती है। आईएमडी के एक अधिकारी ने पहले कहा था कि उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी के दिनों की संख्या दोगुनी हो सकती है। इन क्षेत्रों में आमतौर पर मौसम के दौरान पांच से छह दिन गर्मी पड़ती है।

यूपी-बिहार समेत 16 राज्यों में बरसेगी आग

इस साल कई राज्यों में भीषण लू चलेगी। जिन राज्यों में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ेगी उनमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से शामिल हैं।

पूरा भारत होगा गर्मी की चपेट में....

अप्रैल में, भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। हालांकि, सुदूर दक्षिणी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों के कुछ इलाकों में सामान्य तापमान रह सकता है।

महापात्रा ने कहा कि उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व में कुछ स्थानों को छोड़कर, देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, जहां तापमान सामान्य या सामान्य से थोड़ा कम हो सकता है।

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Railway News: विद्युतीकरण के ठेके में सरकार को 9 करोड़ का नुकसान, ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 3:35am

पीटीआई, नई दिल्ली। संसद की लोक लेखा समिति ने रेल मंत्रालय से कहा है कि दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे जोन में 2017-18 में विद्युतीकरण के ठेके में हुए नौ करोड़ के नुकसान के लिए अधिकारियों की जबावदेही तय करे।

समिति ने इसके साथ ही खजाने को हुए नुकसान और उस पर ब्याज की वसूली के लिए प्रविधान करने का भी समर्थन किया है। यह मामला एसईसीआर जोन में ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई) की कार्य से संबंधित है जिसके लिए 2017-18 में 35.36 करोड़ रुपये के दो ठेके दिए गए थे।

ऑडिट रिपोर्ट में मिली गड़बड़ी

लेकिन ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि एसईसीआर के सिविल और इलेक्ट्रिकल विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण ठेका देने से पहले आवश्यक सिविल कार्य पूरे नहीं थे। पाया गया कि ठेकेदारों ने ठेका अवधि (2017-18) के दौरान नौ करोड़ रुपये की सामग्री की आपूर्ति की, लेकिन अनुकूल कार्यस्थल की अनुपलब्धता के कारण वे कार्य नहीं कर सके।

समिति ने हाल में संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा, 'इससे काम में कोई प्रगति के बिना ठेकों को जल्द समाप्त कर दिया गया। आपूर्ति की गई नौ करोड़ रुपये की सामग्री का उसके उद्देश्य के लिए पूरी तरह उपयोग नहीं किया जा सका।

रेल मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि वह ठेका प्रक्रिया में व्यापक अनुपालन जांच सूची का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेगा। मंत्रालय के जवाब से असंतुष्ट समिति ने खेद व्यक्त किया और कहा कि इस स्तर पर समिति केवल यह सिफारिश कर सकती है कि इस तरह की चूक के लिए जिम्मेदारी तय करने हेतु जांच की जाए।

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मणिपुर में क्यों भड़की थी हिंसा? पूर्व CM बीरेन सिंह ने बताई वजह; मेघायल के मुख्यमंत्री को भी घेरा

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 3:11am

पीटीआई, इंफाल। मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को दावा किया कि राज्य में संघर्ष मादक पदार्थ, अवैध आव्रजन और वनों के विनाश सहित कई चुनौतियों का परिणाम था। बीरेन सिंह ने एक्स पर पोस्ट में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा पर निशाना साधते हुए उनसे पूछा कि क्या उन्हें राज्य में अवैध गांवों की संख्या में खतरनाक वृद्धि के बारे में पता है।

बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में मैतेयी और कुकी-दो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं। बीरेन सिंह ने नौ फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। केंद्र ने 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। बीरेन ने कहा, यह राजनीतिक संकट नहीं है, बल्कि यह कई चुनौतियों का परिणाम है, जिसमें मादक पदार्थों का खतरा, अवैध आव्रजन, वनों का विनाश शामिल है।

मणिपुर को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप

उन्होंने दावा किया कि स्वर्गीय पीए संगमा ने एक बार पूर्वोत्तर को जातीय आधार पर छोटे राज्यों में विभाजित करने की वकालत की थी, जो एक खतरनाक विचार था इससे राष्ट्र की एकता को खतरा था। हम मणिपुर को अस्थिर करने के लिए राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के ऐसे ही प्रयास देख रहे हैं।

उन्होंने दावा किया, जब मणिपुर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब अन्य देश हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचते रहे। यही अपेक्षित था, फिर भी कुछ लोगों ने एक अलग रास्ता चुना, जो वास्तविक चिंता के बजाय संकीर्ण हितों से प्रेरित था। मणिपुर 32 जनजातियों का घर है, जिनकी पहचान, संस्कृति और जीवन शैली को संरक्षण मिलना चाहिए। अवैध अप्रवासियों को बढ़ावा देने या इस नाजुक संतुलन को खतरे में डालने वाले मामलों में हस्तक्षेप करने से बचें। मणिपुर के लोगों ने बहुत कुछ सह लिया है। हमें शांति से रहना चाहिए।

इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के कार्यान्वयन के माध्यम से हुई प्रगति पर बीरेन ने कहा, कोनराड को पता होना चाहिए कि हिंसा स्वत:स्फूर्त नहीं थी। इसे उन लोगों द्वारा भड़काया गया था जो इस तरह की प्रगति से असुरक्षित महसूस करते हैं। पिछले साल नवंबर में, कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और आरोप लगाया था कि सरकार राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में विफल रही।

छह ड्रग्स तस्कर गिरफ्तार
  • कांगपोकपी जिले में अलग-अलग घटनाओं में छह ड्रग्स तस्करों और अफीम की खेती करने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार को बताया कि छह ड्रग्स तस्करों को कांगपोकपी पुलिस थाने में दर्ज मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से शनिवार को 174 साबुन की डिब्बियों में छिपाई गई ब्राउन शुगर और एक चार पहिया वाहन भी जब्त किया गया। इस बीच, चार अन्य लोगों को कांगपोकपी जिले के सोंगजांग गांव में अवैध अफीम की खेती करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
  • मणिपुर के दो जिलों में प्रतिबंधित कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी के दो उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार को बताया कि सुरक्षा बलों ने रविवार को जिरीबाम जिले से उग्रवादी को गिरफ्तार किया, जिसकी पहचान थोइदम सुरेश सिंह उर्फ लेम्बा के रूप में हुई है। संगठन के एक अन्य उग्रवादी की पहचान सलाम मालेमंगंबा सिंह के रूप में हुई है, जिसे शनिवार को बिष्णुपुर जिले से पकड़ा गया।
  • इस बीच असम राइफल्स ने सोमवार को मणिपुर के चूड़चंदपुर जिले में दो इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और 19 जिलेटिन की छड़ें बरामद कीं। पुलिस ने बताया कि बाद में दोनों आईईडी को निष्कि्रय कर दिया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहला विस्फोटक और जिलेटिन की छड़ें चूड़चंदपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर एक गांव में बरामद की गईं, जबकि दूसरा विस्फोटक एक अन्य गांव के पास सड़क के किनारे एक पुलिया के पास बरामद किया गया।

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पांडुलिपियों को टेक्स्ट में बदलेगा AI, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने की सिफारिश; संसदीय समिति ने पर्यटन मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 1:20am

पीटीआई, नई दिल्ली। पांडुलिपियों को एआई आधारित प्लेटफॉर्म के जरिये ऑनलाइन खोजे जा सकने वाले लेख में बदलने और फिर विभिन्न भारतीय भाषाओं में इसका अनुवाद करने के लिए एडवांस्ड नॉलेज एक्सट्रैक्शन फ्रेमवर्क विकसित करने की योजना की एक सिफारिश संसदीय समिति ने की है।

परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सलाह दी है कि संस्कृति मंत्रालय जमीनी स्तर के कर्मचारियों को पांडुलिपि मित्र बनाने के लिए गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर सकता है।

मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट

मंत्रालय को अनुदान की मांग की रिपोर्ट सौंपते हुए समिति ने कहा, 'यह प्रशिक्षित पांडुलिपि मित्र, स्थानीय स्तर पर पांडुलिपियों के दस्तावेजीकरण, संरक्षण और डिजिटलीकरण में सहायता करने के लिए आवश्यक कौशल और जानकारी से लैस होंगे।'

इसमें कहा गया है कि इसमें अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में पांडुलिपि पटल 2.0 को जोड़ना चाहिए, जो तमाम भाषाओं और लिपियों वाली पांडुलिपियों के बीच एआई आधारित खोज की क्षमता से लैस हो।

इसमें संबंधित पांडुलिपियों को आपस में लिंक करने, सत्यापित शोधकर्ताओं को शैक्षिक जानकारी जोड़ने के साथ इसके लेख और अनुवाद में संपादन की भी अनुमति देना शामिल है। इसके लिए वर्जन कंट्रोल सिस्टम भी हो, ताकि पांडुलिपि के अर्थ में परिवर्तन को बाद में देखा भी जा सके। इस सिस्टम में ब्लॉक चेन तकनीक जोड़ने से यह और ज्यादा सुरक्षित, सत्यापित और बेहतर हो जाएंगी।

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तेलंगाना में महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म, मंदिर में दर्शन करने गई थी; आरोपियों ने बचाने गए रिश्तेदार को पीटा

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 12:56am

पीटीआई, हैदराबाद। तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एक महिला के साथ अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया। पुलिस ने सोमवार को बताया कि जब महिला का रिश्तेदार उसे बचाने गया तो उन्होंने उसे पेड़ से बांध दिया।

उन्होंने बताया कि यह घटना शनिवार को उरकोंडापेटा गांव में उस समय हुई जब महिला अपने रिश्तेदार के साथ मंदिर में दर्शन के लिए गई थी। पुलिस ने बताया कि रविवार की रात महिला को कुछ लोग जबरन मंदिर के पास एक सुनसान जगह पर ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किए।

पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत

जब महिला को बचाने के लिए उसका रिश्तेदार वहां गया तो उन्होंने उसकी पिटाई की। उरकोंडा थाने के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिला ने बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अधिकारी ने कहा कि आगे की जांच जारी है।

इसके पहले हैदराबाद में ट्रेन से सफर कर रही 23 वर्षीय युवती के साथ छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया था। एक व्यक्ति ने महिला कोच में घुसकर उसके साथ दरिंदगी की कोशिश की थी, जिससे बचने के लिए वह चलती ट्रेन से कूद गई थी।

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'हमारी छवि धूमिल करने की कोशिश', HAL पर लगाए आरोप गलत; भारत ने खारिज की NYT की रिपोर्ट

Dainik Jagran - National - April 1, 2025 - 12:00am

एएनआई, नई दिल्ली। भारत के रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) द्वारा आयातित सैन्य उपकरण रूसी हथियार एजेंसी के आपूर्तिकर्ताओं को बेचने के बारे में अमेरिकी दैनिक द न्यूयार्क टाइम्समें छपी रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक करार देते हुए सूत्रों ने सोमवार को कहा कि रिपोर्ट में राजनीतिक नैरेटिव के अनुरूप मुद्दों को गढ़ने और तथ्यों को विकृत करने की कोशिश की गई है।

सूत्रों ने कहा,

हमने द न्यूयार्क टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट देखी है। इसमें राजनीतिक नैरेटिव के अनुरूप मुद्दों को गढ़ने और तथ्यों को विकृत करने की कोशिश की गई है। रिपोर्ट में उल्लेखित भारतीय इकाई ने रणनीतिक व्यापार नियंत्रणों और अंतिम उपयोगकर्ता की प्रतिबद्धताओं संबंधी अपने सभी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का ईमानदारी से पालन किया है।

रिपोर्ट छापने के दौरान नहीं बरती गई सावधानी

सूत्रों ने यह भी कहा कि रणनीतिक व्यापार पर भारत का मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा इसकी कंपनियों द्वारा विदेशी कामर्शियल वेंचर्स पर मार्गदर्शन करता रहता है। सूत्र ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि प्रतिष्ठित मीडिया आउटलेट ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित करते समय बुनियादी सावधानी बरतें, जिसकी इस मामले में अनदेखी की गई है।

रिपोर्ट में किस बात किया गया जिक्र?
  • न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 से 2024 तक ब्रिटिश एयरोस्पेस निर्माता एचआर स्मिथ समूह की एक कंपनी टेकटेस्ट ने एक भारतीय कंपनी को उपकरण भेजे, जिसके बारे में उसने दावा किया कि वह रूसी हथियार एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट की सबसे बड़ी व्यापारिक साझीदार है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि टेकटेस्ट ने चार फरवरी, 2024 को भारत को प्रतिबंधित प्रौद्योगिकी की एक और खेप बेची और कुछ दिनों बाद हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के लिए एक खरीदार को मिलते-जुलते कोड वाले उपकरण बेचे।
  • हालांकि रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि रिकार्ड यह साबित नहीं करते हैं कि एचआर स्मिथ के उत्पाद रूस पहुंचे। लेकिन वे प्रदर्शित करते हैं कि कुछ मामलों में भारतीय कंपनी ने एचआर स्मिथ से उपकरण प्राप्त किए और कुछ ही दिनों में समान पहचान वाले उत्पाद कोड वाले पुर्जे रूस भेज दिए।

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IB ऑफिसर आत्महत्या मामले में नया मोड़, सहकर्मी के खाते में ट्रांसफर होती थी सैलरी; पुलिस कर रही तलाश

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 11:25pm

आईएनएस, तिरुअनंतपुरम। केरल के तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन विभाग में काम करने वाली 24-वर्षीय इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी मेघा की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है।

पुलिस उसके सहकर्मी और मित्र सुकांत सुरेश की शिद्दत से तलाश कर रही है। मेघा का शव 24 मार्च को तिरुअनंतपुरम में रेलवे ट्रैक के पास मिला था। पुलिस ने दोनों के कॉल रिकार्ड खंगालने के बाद पाया कि ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या करने से कुछ सेकंड पहले मेघा और सुरेश के बीच चार बार कॉल हुई थी।

सहकर्मी को देती थी सैलरी

रात को काम करने के बाद मेघा अपने घर लौटने के बजाय अपने कार्यस्थल के पास रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या करने चली गई। बाद में मेघा के पिता मधुसूदनन ने बताया कि दोनों एक-दूसरे के काफी करीब थे। मेघा के बैंक रिकॉर्ड से पता चला कि उसकी सारी तनख्वाह सुरेश के खाते में जाती थी और वह कभी-कभार उसके खर्च के लिए पैसे भेजता था।

जिस समय उसने आत्महत्या की, उसके बैंक खाते में मात्र 80 रुपये शेष थे, क्योंकि उसने फरवरी का अपना वेतन सुरेश के खाते में ट्रांसफर कर दिया था। पिता द्वारा पुलिस को सुरेश के बारे में सूचित किए जाने के बाद से पुलिस उसे खोजने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसका फोन और उसके परिवार के सदस्यों के भी फोन बंद पाए गए हैं।

मलप्पुरम में उसके घर पहुंची पुलिस टीम को वहां ताला लगा मिलने के बाद उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। इस बीच, ऐसी खबरें सामने आई हैं कि सुरेश केरल हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने जा रहा है।

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ईद पर UP और राजस्थान में लहराए फिलिस्तीनी झंडे, नमाजियों ने बांधी काली पट्टी

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 11:04pm

जागरण टीम, नई दिल्ली: ईद-उल-फितर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार व राजस्थान सहित कई राज्यों में नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर वक्फ बिल के संशोधन का विरोध किया। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ और सहारनपुर और राजस्थान के बारां में फलस्तीन का झंडा लहराया गया।

मुरादाबाद में पुलिस से नोकझोंक के बाद नमाजियों ने जमकर हंगामा किया। अलबत्ता, ज्यादातर राज्यों में ईद का त्योहार उत्साह के साथ मनाया गया। छिटपुट झड़प के बीच ईद की नमाज शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। 

सहारनपुर में मुस्लिम समुदाय ने लहराए फलस्तीन का झंडा 

इस अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। उत्तर प्रदेश में ड्रोन और सीसीटीवी से छतों की निगरानी की गई। सहारनपुर में मुस्लिम समुदाय ने जुलूस निकालकर फलस्तीन का झंडा लहराते हुए समर्थन में नारे लगाए।

कई नमाजियों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर वक्फ संशोधन बिल का विरोध जताया। इससे पहले नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह जाने के दौरान कई स्थान पर नमाजियों की पुलिस से झड़प हुई।

 मेरठ में ईदगाह में नमाज पढ़ने से पहले फलस्तीन में शांति की अपील करते हुए हाथ में बैनर लेकर सांकेतिक प्रदर्शन किया गया। यह पोस्टर मस्जिद के अंदर जाते और आते लोगों को दिखाया जा रहा था।

मुरादाबाद में पुलिस से नोकझोंक

मुरादाबाद में अधिकारियों ने ईदगाह का मैदान भरने की बात कहकर नमाजियों को रोका तो उनकी पुलिस से नोकझोंक हो गई। नमाजियों ने मैदान में जगह होने की बात कहते हुए हंगामा करना कर दिया। हालात बिगड़ते नजर आए तो अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ मोर्चा संभाला। आनन-फानन में दोबारा से नमाज पढ़ा कराकर किसी तरह माहौल को शांत किया गया। इसे लेकर नमाजियों ने नारेबाजी भी की।

संभल में रही भारी सुरक्षा संभल शाही ईदगाह में 50 हजार से अधिक लोगों ने नमाज पढ़ी। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने ईदगाह पर नमाजियों पर पुष्पवर्षा भी की। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस-पीएसी, आरएएफ व आरआरएफ की 10 कंपनियां तैनात रहीं। आगरा में नौ बजे ताजमहल में नमाज पढ़ी की गई। इस मौके पर ताजमहल में प्रवेश निश्शुल्क रहा। अलीगढ़ में कुछ नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ी। हाथरस में धर्मगुरुओं ने समझाकर काली पट्टियां उतरवा दीं।

अखिलेश का सवाल- यह तानाशाही है या आपातकाल

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को पुलिस पर उन्हें ईद के त्योहार में शामिल होने से रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल किया कि यह तानाशाही है या आपातकाल? ईद उल फितर के मौके पर लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह पहुंचे अखिलेश ने नमाजियों को ईद की मुबारकबाद देने के बाद कहा कि उन्होंने कभी इतनी बैरिकेडिंग नहीं देखी।

बोले कि जब मैं ईदगाह आ रहा था तो पुलिस ने मुझे जान-बूझकर रोका। जब उन्होंने पुलिसकर्मियों से पूछा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है तो किसी के पास कोई जवाब नहीं था। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी ईदगाह पहुंच कर सभी को ईद की मुबारकबाद दी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी ऐशबाग ईदगाह पहुंचे।

ईदगाह मार्ग पर गेरू डालने पर हियुवा ने किया प्रदर्शन

बिजनौर जिले के शेरकोट नगर पालिका क्षेत्र में ईदगाह को जाने वाले मार्ग पर पालिका द्वारा चूने के साथ गेरू रंग भी डाला गया। इसकी जानकारी होने पर हिंदू युवा वाहिनी (हियुवा) के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया। प्रदर्शन कर ईओ का पुतला फूंका। सीओ को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है।

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पत्नी का गला रेता और सूटकेस में बंद कर दी लाश... आरोपी ने अब तक नहीं बताई हत्या की वजह; पुलिस फिर करेगी पूछताछ

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 10:58pm

आईएएनएस, बेंगलुरु। बेंगलुरु में अपनी पत्नी का गला रेतकर उसकी लाश को सूटकेस में ठूंसने के आरोपी इंजीनियर को पुलिस हिरासत में लेने की तैयारी कर रही है। आरोपी 36 वर्षीय राकेश राजेंद्र खेडकर फिलहाल बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद है।

कर्नाटक पुलिस ने शनिवार को पुणे के एक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसे हिरासत में ले लिया। शनिवार रात को उसे मजिस्ट्रेट के सामने उसके घर पर पेश किया गया और उसके बाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

हत्या का सटीक मकसद नहीं बताया

मामले की जांच कर रही हुलीमावु पुलिस ने अब उसे मंगलवार को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की तैयारी की है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपी ने गुस्से में आकर यह अपराध किया। हालांकि, उसने अभी तक अपनी 32 वर्षीय पत्नी गौरी राजेंद्र खेडकर की हत्या के पीछे का सटीक मकसद नहीं बताया है।

पुलिस का कहना है कि आरोपी को पछतावा है और वह ज्यादातर चुप रहता है। एक बार जब वे उसे हिरासत में ले लेंगे, तो उन्हें उम्मीद है कि अपराध का सही मकसद और अपराध को कैसे अंजाम दिया गया, इसका पता चल जाएगा।

जांच के अनुसार, 19 मार्च को राकेश ने बेंगलुरु स्थित घर में अपनी पत्नी गौरी का गला रेता और पेट में चाकू घोंप दिया। इसके बाद उसने उसके पैर मोड़कर शव को ट्राली बैग में भर लिया। घर को फिनाइल से साफ करने के बाद उसने बैग को टॉयलेट रूम के पास रख दिया और फरार हो गया।

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कौन हैं MA बेबी जो बन सकते हैं माकपा के महासचिव? ये दो नाम भी चर्चा में

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 10:33pm

आईएएनएस, तिरुवनंतपुरम। मदुरई में दो अप्रैल से शुरू होने वाली 24वीं माकपा पार्टी कांग्रेस में कुछ ही घंटे बचे हैं। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व पांच दिवसीय सम्मेलन से पहले नए महासचिव पर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है। माकपा के पार्टी सम्मेलन को पार्टी कांग्रेस कहा जाता है।

एमए. बेबी को चुना जा सकता है पार्टी का महासचिव

बताया जा रहा है कि केरल से केंद्रीय समिति के वरिष्ठतम सदस्य एमए. बेबी को पार्टी का महासचिव चुना जा सकता है। बेबी पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं। इस पद के लिए महाराष्ट्र के किसान नेता अशोक धवले और बंगाल के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम के नाम की भी चर्चा चल रही है। इस बार बेबी पर खास नजर होगी, क्योंकि 1992 में दिग्गज नेता ईएमएस नम्पूतिरिपाद के पद से हटने के बाद से केरल से कोई भी पार्टी महासचिव नहीं बना है।

केरल के सीएम के साथ नहीं रहा अच्छा तालमेल

हालांकि बेबी के महासचिव बनने में एक अड़चन यह है कि बेबी का केरल के मुख्यमंत्री विजयन से अच्छा तालमेल नहीं है। यह भी देखना होगा कि पार्टी सेवानिवृत्त पोलित ब्यूरो सदस्यों में से किसी को सेवा विस्तार देगी या नहीं, क्योंकि पार्टी संविधान के अनुसार, 75 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले सभी लोगों को पार्टी के सभी पदों से हटना पड़ता है। छूट और सेवा विस्तार पाने वाले एकमात्र व्यक्ति विजयन हैं।

इन नामों की भी चर्चा तेज 

विजयन धवले के पक्ष में भी नहीं हैं। हालांकि पासा बेबी के पक्ष में पूरी तरह से झुका हुआ है, लेकिन यह देखना बाकी है कि पार्टी कांग्रेस बेबी के पक्ष में जाएगी या विजयन के आगे झुक जाएगी। जहां तक सलीम की बात है तो वह पहले ही अपने गृह राज्य में ही रहने तथा पार्टी के लिए काम करने की इच्छा जताई है।

बंगाल में माकपा तीन दशक से अधिक समय तक सत्ता में थी, लेकिन ममता बनर्जी तथा भाजपा के मजबूत होने के कारण इस समय लगभग बिखर गई है। विजयन के अलावा, जो लोग पहले ही 75 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं उनमें वर्तमान प्रभारी महासचिव प्रकाश करात और उनकी पत्नी वृंदा करात, माणिक सरकार, सुभाषिनी अली, सूर्यकांत मिश्रा और जी. रामकृष्णन शामिल हैं।

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17 किलो सोना चुराया, लेकिन नहीं छोड़ा एक भी सबूत... पुलिस ने इस तरह गिरोह को पकड़ा

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 10:31pm

आईएएनएस, दावणगेरे। कर्नाटक पुलिस अक्टूबर 2024 में दावणगेरे जिले के न्यामती स्टेट बैंक में चोरी के मामले को उजागर करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया है और और चोरी हुए सोने को भी बरामद कर लिया है।

पुलिस ने बताया कि तमिलनाडु के मदुरई जिले के एक गांव में कुएं से 17 किलोग्राम से अधिक चोरी किया गया सोना बरामद किया है, जिसकी कीमत 13 करोड़ रुपये है। यह मामला पुलिस के लिए एक चुनौती था, क्योंकि गिरोह ने फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज, टोल डेटा और फोन डेटा जैसे कोई सुबूत छोड़े बिना इस घटना को अंजाम दिया था।

जांच तकनीक का किया इस्तेमाल

दावणगेरे के पुलिस अधीक्षक उमा प्रशांत की देखरेख में एएसपी वर्गीस, ग्रामीण के पुलिस उपाधीक्षक बी.एस. बसवराज और न्यामती पुलिस स्टेशन के निरीक्षक रवि एनएस के नेतृत्व में विभिन्न टीमों का गठन किया गया।

इसके बाद आरोपियों का पता लगाने के लिए टीम द्वारा जांच तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। हाल ही में टीम को कुछ तकनीकी सुबूत मिले, जिससे पता चला कि इस घटना में तमिलनाडु के लोग शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया।

मनी हाइस्ट देखता था आरोपी
  • दावणगेरे के पूर्वी रेंज के आईजीपी डॉ. बीआर रविकांत गौड़ा ने बताया कि दावणगेरे पुलिस को सोना चोरी के मामले में बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने 13 करोड़ रुपये मूल्य का लगभग 17 किलोग्राम सोना बरामद किया गया है। 26 अक्टूबर, 2024 को हुई चोरी के मामले में छह आरोपितों विजय कुमार, अजय कुमार, अभिषेक, मंजूनाथ, चंद्रू और परमानंद को गिरफ्तार किया गया है।
  • इस घटना की योजना विजय कुमार ने बनाई थी। वह मनी हाइस्ट जैसी टीवी सीरीज और बैंक चोरी और डकैतियों से निपटने वाली अन्य फिल्मों से प्रेरित था। इसके अलावा, उसने घटना को अंजाम देने के लिए यूट्यूब का भी सहारा लिया।

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कौन हैं PM मोदी की नई पर्सनल सेक्रेटरी निधि तिवारी, पहले भी प्रधानमंत्री के साथ किया काम; विदेश नीति में निभाया अहम रोल

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 4:35pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईएफएस अधिकारी निधि तिवारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निजी सचिव नियुक्त किया गया है। इस बात की जानकारी कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए दिया है। 

29 मार्च को जारी आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने निधि तिवारी की निजी सचिव के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।

निधि पहले भी कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं, जिसमें वो प्रधानमंत्री के साथ काम कर चुकी हैं।

आइए जानें आखिर निधि तिवारी (Nidhi Tiwari) कौन हैं और अभी क्या करती हैं....

कौन हैं निधि तिवारी (Who is Nidhi Tiwari)

निधि तिवारी 2014 बैच की भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं। तिवारी वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में उप सचिव के रूप में कार्यरत हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा नियुक्त आईएफएस निधि तिवारी जनवरी 2023 से कार्यरत हैं। 

नवंबर 2022 में आईएफएस अधिकारी निधि प्रधानमंत्री कार्यालय में अवर सचिव के रूप में शामिल हुईं और जनवरी 2023 से वह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत हैं। 

वाराणसी से है खास कनेक्शन

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान निधि तिवारी वाराणसी में सहायक आयुक्त (वाणिज्य कर) के पद पर कार्यरत थीं। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 96वीं रैंक हासिल की थी और वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी के महमूरगंज की रहने वाली हैं। 

अजीत डोभाल को करती थीं रिपोर्ट

आईएफएस निधि तिवारी ने विदेश मंत्रालय (एमईए) में निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रभाग में भी काम किया है। विदेश मंत्रालय का यह प्रभाग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को रिपोर्ट करता है। 

आईएफएस निधि तिवारी प्रधानमंत्री मोदी की निजी सचिव बनने से पहले तीन साल से अधिक समय तक प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत रहीं। निधि तिवारी से पहले पीएम मोदी के पास दो निजी सचिव थे, जिनके नाम हार्दिक सतीशचंद्र शाह और विवेक कुमार थे।

क्या काम करेंगी निधि, कितना होगा वेतन 

निधि तिवारी पीएम मोदी के कार्यक्रमों का समन्वयन, बैठकों का आयोजन और सरकारी विभागों के कामकाज में तालमेल बिठाएंगी। मंत्रालय के अनुसार, निधि को मैट्रिक्स स्तर 12 के मुताबिक वेतन मिलेगा।

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राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, इस टेंडर को रद करने की कर दी मांग; जानिए पूरा मामला

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 4:32pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर केरल, गुजरात और अंडामान एवं निकोबार द्वीप समूह के तटों पर अपतटीय खनन की अनुमति देने वाले टेंडरों को रद करन की मांग की है।

राहुल गांधी ने अपने पत्र के माध्यम से कहा कि ये टेंडर समुद्री जीवन के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि बिना किसी कठोर आकलन के निजी क्षेत्रों को टेंडर देना चिंताजनक हो सकता है। इससे तट पर रहने वाले और अपना पारंपरिक व्यवसाय करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

राहुल गांधी ने पत्र में क्या लिखा?

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैं केरल, गजरात और अंडामान निकोबार के तटों पर अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा करता हूं।

बता दें कि राहुल गांधी ने कहा कि वह उस तरीके का विरोध कर रहे हैं, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन किए बिना अपतटीय खनन के लिए टेंडर जारी किए गए। राहुल गांधी ने लिखा कि लाखों मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है।

रविवार को सार्वजनिक किए गए पत्र में लोकसभा के नेता पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि मैं केरल, गुजरात और अंडामान निकोबार द्वीप समूह में अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा करता हूं। राहुल गांधी ने आगे कहा कि यह अपतटीय खनन लाखों मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करेगा और हमारे विविध समुद्री जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।

'तटीय समुदाय के लोग कर रहे प्रदर्शन'

राहुल गांधी ने कहा कि खनन के लिए केंद्र सरकार ने परमिशन दे दी है। इसके विरोध में तटीय समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी अनुमति बिना किसी पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान को रखते हुए दी गई है, जो काफी गलत है। राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि उन क्षेत्रों में रहने वाले मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है।

ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी ने दावा किया कि केरल विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार इस अपतटीय खनन से विशेष रूप से कोल्लम में मछलियों के प्रजनन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, इसके अलावा केरल में करीब 11 लाख लोग मछली पकड़ने के व्यवसाय पर ही निर्भर हैं। यब उनका पारंपरिक व्यवसाय है।

'सरकार रद करे जारी किए सभी टेंडर'

राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि इस खनन के कारण होने वाला कोई भी नुकसान हमें अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है। हमारे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण ने चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को और बढ़ा दिया है। जो चिंताजनक है। सरकार जानबूझकर ऐसी गतिविधियों को हरी झंडी दे रही है। राहुल ने कहा कि मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि अपतटीय खनन को ब्लॉक करने के लिए सभी प्रकार के टेंडरों को रद करने का काम करे।

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असम के पूर्व गृह मंत्री की इकलौती बेटी ने दूसरी मंजिल से लगाई छलांग, अस्पताल पहुंचते ही हो गई मौत

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 2:02pm

पीटीआई, गुवाहटी। असम के पूर्व गृह मंत्री भृगु कुमार फुकन की इकलौती बेटी ने खुदकुशी कर ली है। पुलिस ने जानकारी दी है कि घर की दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या की है। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। भृगु कुमार फुकन का निधन साल 2006 में हो चुका है। उनकी 28 वर्षीय बेटी अपनी मां के साथ रहती थी।

मां के साथ रहती थी उपासना

पुलिस अधिकारी ने बताया कि उपासना फुकन (28) ने रविवार को गुवाहाटी के खरघुली इलाके में अपने घर की दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी। यहां वे अपनी मां के साथ रहती थी। घटना के बाद तुरंत उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उपासना को मृत घोषित कर दिया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।

पहले भी की खुदकुशी की कोशिश

पुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि वह लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही थी। उपासना का इलाज भी चल रहा था। पुलिस के मुताबिक उपासना ने पहले भी खुदकुशी की कोशिश की थी। मगर इस बार मां घर के काम में व्यस्त थी। मौका देखते ही उपासना ने दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी।

1958 में गृह मंत्री बने थे भृगु कुमार फुकन

पुलिस अधिकारी ने बताया कि घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। उपासना के पिता भृगु कुमार फुकन 1985 में असम गण परिषद (AGP) की पहली सरकार में गृह मंत्री बने थे। भृगु कुमार फुकन असम समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में भी शामिल थे।

कृषि मंत्री ने जताया शोक

असम के कृषि मंत्री और एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा ने एक्स पर लिखा कि मैं ऐतिहासिक असम आंदोलन के प्रमुख नेता और असम के पूर्व गृह मंत्री दिवंगत भृगु कुमार फुकन की बेटी उपासना फुकन के असामयिक और दुर्भाग्यपूर्ण निधन से बहुत दुखी हूं। दुख की इस घड़ी में मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। ओम शांति!"

हेल्पलाइन (Helpline): यदि आप भी किसी तरह की मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं या फिर ऐसी समस्या झेल रहे किसी शख्स को आप जानते हैं तो नीचे दी गई जानकारी मददगार साबित हो सकती है। सरकार की हेल्पलाइन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क किया जा सकता है।

केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट: https://telemanas.mohfw.gov.in/home

डॉक्टरी सलाह लेने के लिए टोल फ्री नंबर पर डायल करें: 18008914416

मानसिक स्वास्थ्य सहायता और संसाधनों तक पहुंचने के लिए टेली मानसिक वेबसाइट (https://telemanas.mohfw.gov.in/home) से एप भी डाउनलोड कर सकते हैं

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भारत की 46% वर्कफोर्स कृषि क्षेत्र में, इसलिए कृषि आयात बढ़ने पर बड़ी आबादी के लिए बढ़ेगी मुश्किल

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 1:51pm

एस.के. सिंह, नई दिल्ली।

अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच की अगुवाई में अमेरिकी टीम पिछले हफ्ते भारत में थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की धमकियों के बीच भारतीय अधिकारियों ने इस टीम के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बात की। आगे अलग-अलग सेक्टर के लिए बातचीत होनी है। खबरों के मुताबिक इस बातचीत में कृषि उत्पादों पर भी चर्चा हुई। भारत ने बोरबॉन ह्विस्की पर आयात शुल्क पहले ही 150% से घटाकर 100% किया था। अब बादाम, अखरोट, क्रैनबेरी (करौंदा), पिस्ता, मसूर पर भी आयात शुल्क कम किया जा सकता है। इनके बदले भारत अमेरिका को चावल और फलों का निर्यात बढ़ाना चाहता है।

दरअसल, ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका से सबसे अधिक कृषि आयात करने वाला चीन उस पर धीरे-धीरे निर्भरता कम कर रहा है। इसलिए अमेरिका अपने उत्पाद बेचने के लिए नए बाजार तलाश रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की पिछली साझा बैठक में की गई घोषणा के मुताबिक दोनों देश अक्टूबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देंगे। इस बीच, यूरोपियन यूनियन के साथ कई वर्षों से बंद पड़ी मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता भी नए सिरे से शुरू हुई है। इसे भी इसी साल अंतिम रूप देने का लक्ष्य है। अमेरिका और यूरोप भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझीदारों में हैं। उनके साथ हमारा कृषि व्यापार भी बहुत होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन व्यापार वार्ताओं में भारत को अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षित रखने की पुरानी नीति से नहीं हटना चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि आयात आसान बनाने पर भारतीय किसानों के लिए विकसित देशों के भारी-भरकम सब्सिडी पाने वाले किसानों के साथ मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा। पिछले सप्ताह, 18 मार्च को अमेरिका के राष्ट्रीय कृषि दिवस पर कृषि मंत्री ब्रूक रोलिंस ने घोषणा की कि उनका मंत्रालय इमरजेंसी कमोडिटी असिस्टेंट प्रोग्राम (ECAP) के तहत फसल वर्ष 2024 के लिए किसानों को सीधे 10 अरब डॉलर (लगभग 85,000 करोड़ रुपये) की मदद जारी करेगा। उन्होंने कहा, “किसान ऊंची लागत तथा बाजार में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं, और ट्रंप प्रशासन ने तय किया है कि किसानों को जरूरी मदद बिना देरी के मिले। कृषि मंत्रालय (USDA) इस मदद राशि को प्राथमिकता के आधार पर भुगतान करना चाहता है ताकि बढ़ते खर्च से निपटने के लिए तथा अगले सीजन से पहले किसानों के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हो।”

अमेरिकी कृषि मंत्रालय के अनुसार 2022 में वहां 34 लाख किसान थे। मार्च 2025 की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक वहां 2024 में कुल 18.8 लाख खेत थे और कुल जोत 87.6 करोड़ एकड़ थी। खेत का औसत आकार 466 एकड़ था।

सिर्फ कृषि दिवस पर घोषित मदद राशि और किसानों की संख्या का सामान्य अनुपात देखें तो अमेरिका के हर किसान को 2.5 लाख रुपये मिलेंगे। तुलनात्मक रूप से भारत में किसानों को साल में मात्र 6,000 रुपये किसान सम्मान निधि के तहत मिलते हैं। भारतीय किसानों को उर्वरक, फसल बीमा, फसल कर्ज आदि पर सब्सिडी भी मिलती है, लेकिन तुलनात्मक रूप से अमेरिका और यूरोप में कृषि सब्सिडी बहुत ज्यादा है। हर अमेरिकी किसान को वहां की सरकार साल में 26 लाख रुपये से ज्यादा की मदद देती है।

कृषि पर टैरिफ में अंतर

भारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता में एक अहम मसला कृषि का है। अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि आयात पर शुल्क कम करे। रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत ट्रंप ने विभिन्न देशों के आयात पर उतना ही शुल्क लगाने की धमकी दी है जितना दूसरे देश अमेरिका से आयात पर लगाते हैं। रिसर्च ग्रुप ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक और विदेश व्यापार नीति के विशेषज्ञ अजय श्रीवास्तव जागरण प्राइम से कहते हैं, “भारत का औसत कृषि टैरिफ 37.7% और अमेरिका का 5.3% है। कागज पर यह अंतर बहुत बड़ा लग सकता है, लेकिन हकीकत थोड़ा अलग है। अमेरिका जटिल और अपारदर्शी टैरिफ भी लगाता है, जिससे वहां कृषि को संरक्षण बढ़ जाता है। इस लिहाज से देखें तो टैरिफ का वास्तविक अंतर जितना दिखता है उतना है नहीं।”

श्रीवास्तव के मुताबिक, अमेरिका को भारत का कृषि निर्यात कैलेंडर वर्ष 2024 में 5.7 अरब डॉलर का था। इसमें सबसे अधिक श्रिंप और प्रॉन का 2.2 अरब डॉलर, बासमती-गैर बासमती चावल का 38.6 करोड़ डॉलर, शहद का 14.13 करोड़ डॉलर, सब्जियों के एक्सट्रैक्ट का 39.92 करोड़ डॉलर, इसबगोल का 14.84 करोड़ डॉलर, अरंडी के तेल का 10.62 करोड़ डॉलर और काली मिर्च का 18 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ।

पिछले साल अमेरिका से भारत ने 1.9 अरब डॉलर का कृषि आयात किया। इसमें बादाम का 86.56 करोड़ डॉलर, अखरोट का 2.45 करोड़ डॉलर, ब्राजील नट का 13 करोड़ डॉलर, पिस्ता का 12.96 करोड़ डॉलर, इथाइल अल्कोहल का 43.95 करोड़ डॉलर, सेब का 3.81 करोड़ डॉलर और मसूर का 6.45 करोड़ डॉलर का आयात किया गया।

कृषि निर्यात में भारत की निर्भरता अधिक

क्रिसिल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर पुशन शर्मा बताते हैं, कृषि कमोडिटी में अमेरिका, भारत का बड़ा साझेदार है। कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत ने कुल 38.3 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया। इसमें अमेरिका का हिस्सा 6% था। इसी अवधि में भारत के कृषि निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 8% रहा। अमेरिका ने पिछले साल कुल 222 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया, जिसमें भारत का हिस्सा 2% था।

कृषि उत्पादों के मामले में अमेरिका और भारत की एक दूसरे पर निर्भरता समान नहीं है। भारत के कृषि आयात में अमेरिका पांचवें स्थान पर है जबकि भारत सबसे अधिक कृषि निर्यात अमेरिका को ही करता है।

अमेरिका के संभावित टैरिफ वृद्धि से भारतीय निर्यात को नुकसान हो सकता है। कुछ प्रोडक्ट ऐसे हैं जिनके भारत के निर्यात में अमेरिका का हिस्सा तो अधिक है, लेकिन उस प्रोडक्ट के अमेरिका के कुल आयात में भारत का हिस्सा ज्यादा नहीं है। अर्थात अमेरिका उन प्रोडक्ट का दूसरे देशों से भी बड़ी मात्रा में आयात करता है। इनमें श्रिंप और प्रॉन, प्राकृतिक शहद और बेकरी प्रोडक्ट शामिल है। अगर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ लगाता है तो इनका निर्यात अधिक प्रभावित होगा।

कुछ प्रोडक्ट ऐसे भी हैं जिनमें अमेरिका के आयात में भारत का हिस्सा तो अधिक है, लेकिन भारत के उस वस्तु के कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा ज्यादा नहीं है। अर्थात उस वस्तु का भारत दूसरे देशों को भी काफी निर्यात करता है। इनमें मिल्ड राइस और अरंडी का तेल भी शामिल हैं। इनमें टैरिफ का जोखिम कम है क्योंकि इनके निर्यात में भारत अमेरिका पर अधिक निर्भर नहीं है।

छोटे किसानों के लिए आजीविका का सवाल

सोनीपत स्थित जिंदल स्कूल ऑफ गवर्मेंट एंड पब्लिक पॉलिसी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अवनींद्र नाथ ठाकुर कहते हैं, “भारत में 46% वर्कफोर्स कृषि पर निर्भर है, और उनमें भी लगभग 88% छोटे और सीमांत किसान हैं। उनके लिए यह रोजगार से ज्यादा आजीविका का सवाल है।”

इसलिए श्रीवास्तव की राय में “बिना सावधानी बरते कृषि पर टैरिफ घटाना भारत के कृषि क्षेत्र के लिए विनाशकारी होगा। 70 करोड़ से अधिक भारतीय आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। खासकर डेयरी, मीट, अनाज और दाल जैसे संवेदनशील कमोडिटी का सस्ता और सब्सिडी वाला आयात बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आमदनी प्रभावित होगी। गांव वालों की स्थिति पहले ही कमजोर है, वह और खराब होगी।”

वे कहते हैं, “अमेरिका के किसानों को सब्सिडी और बीमा का बहुत फायदा मिलता है, जो आमतौर पर उनकी उत्पादन लागत से अधिक होता है। दूसरी तरफ भारत के ज्यादातर किसान छोटी जोत वाले हैं। उनके पास संसाधन भी सीमित होते हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) जैसी सरकारी स्कीमों पर काफी निर्भर रहते हैं। टैरिफ कम करने पर न सिर्फ ये किसान प्रभावित होंगे, बल्कि करोड़ों गरीब परिवारों की खाद्य सुरक्षा भी कमजोर होगी।”

प्रो. अवनींद्र के अनुसार, “अमेरिका और यूरोपीय देश पहले ही कृषि पर बहुत सब्सिडी देते हैं। उनके प्रोडक्ट पहले ही डंप-कीमत पर होते हैं। वे देश ऐसा कर सकते हैं क्योंकि कृषि पर उनकी जीडीपी और रोजगार की निर्भरता बहुत कम है। भारत के लिए ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि हमारी आधी वर्कफोर्स कृषि में लगी हुई है।” अमेरिका की आबादी 34 करोड़ है। इस लिहाज से वहां की सिर्फ एक प्रतिशत आबादी कृषि में है।

प्रो. अवनींद्र कहते हैं, “छोटे और सीमांत किसानों को शायद ही बाजार मूल्य मिलता हो। उनके पास उपज को अपने पास रखने की क्षमता नहीं होती, इसलिए उन्हें अपनी उपज को तत्काल बेचना होता है। भारत के ज्यादातर किसान फसल की कटाई के बाद डिस्ट्रेस सेलिंग करते हैं।”

आयात शुल्क घटाने के प्रभाव पर प्रो. अवनींद्र कहते हैं, भारत में पोल्ट्री की डिमांड बढ़ रही है जिसमें मक्का और सोयाबीन फीड के तौर पर प्रयोग किया जाता है। आने वाले समय में पोल्ट्री के साथ मक्का और सोयाबीन की डिमांड भी ज्यादा होगी। अभी देश में मक्के की खेती बढ़ रही है। अगर इस पर आयात शुल्क कम किया गया तो इससे वे किसान प्रभावित होंगे जो गेहूं-धान की पारंपरिक खेती छोड़कर इसे अपना रहे हैं। हाल के वर्षों में भारत कपास के निर्यातक से इसका आयातक बन गया है। अगले कुछ वर्षों में कपास की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अगर अमेरिका से बड़े पैमाने पर कपास आयात होने लगा तो भारतीय किसानों पर उसका बहुत बुरा असर होगा।

रेसिप्रोकल टैरिफ का असर

जीटीआरआई का आकलन है कि रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे अधिक असर मछलियां, मीट तथा अन्य प्रोसेस्ड सी-फूड पर होगा। पिछले वर्ष भारत से अमेरिका को इनका 2.58 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। इसमें टैरिफ का अंतर 27.83% का है। भारत से अमेरिका को श्रिंप का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है। लेकिन इतना टैरिफ लगने पर यह प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएगा। प्रोसेस्ड फूड, चीनी तथा कोकोआ का निर्यात एक अरब डॉलर से अधिक का होता है और इनमें भी 24.99% टैरिफ का अंतर है। इतना टैरिफ बढ़ने से भारतीय स्नैक्स और कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट अमेरिका में महंगे हो जाएंगे।

पिछले साल अनाज, फल-सब्जियां तथा मसालों का 1.91 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था और इनमें टैरिफ का अंतर 5.72% का है। भारतीय निर्यात पर इतना टैरिफ लगने से चावल और मसाले का निर्यात प्रभावित हो सकता है। डेयरी प्रोडक्ट में टैरिफ का अंतर 38.23% का है। अगर इतना टैरिफ बढ़ा तो घी, बटर और मिल्क पाउडर का 18.5 करोड़ डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा और भारतीय प्रोडक्ट का मार्केट शेयर भी कम हो जाने की आशंका रहेगी।

पिछले वित्त वर्ष भारत से खाद्य तेलों का 19.97 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ और इसमें टैरिफ अंतर 10.67% का है। टैरिफ से अमेरिका में भारतीय नारियल और सरसों तेल महंगे हो जाएंगे। अल्कोहल और स्पिरिट आदि पर टैरिफ का अंतर 122% और एनिमल प्रोडक्ट पर 27% से अधिक है, हालांकि भारत से अमेरिका को इनका निर्यात अधिक नहीं होता है। तंबाकू और इसके उत्पादों का निर्यात प्रभावित नहीं होगा क्योंकि इन पर भारत की तुलना में अमेरिका अधिक टैरिफ लगाता है।

यूरोपियन यूनियन के साथ एफटीए वार्ता

यूरोपियन यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते में कृषि बड़ा मुद्दा रहा है। ईयू भारत पर चीज और स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) पर टैरिफ घटाने का दबाव डालता रहा है, जबकि भारत ने ऊंचे टैरिफ की मदद से घरेलू डेयरी इंडस्ट्री को बचा रखा है। 2023-24 में भारत ने ईयू को 4.3 अरब डॉलर का निर्यात किया और 2.5 अरब डॉलर का आयात हुआ। भारतीय वस्तुओं पर ईयू में औसतन 15.2% टैरिफ लगता है जबकि भारत वहां से आने वाले कृषि उत्पादोंपर औसतन 42.7% टैरिफ लगाता है।

क्रिसिल के पुशन शर्मा के मुताबिक भारत ने कैलेंडर वर्ष 2024 में यूरोपियन यूनियन से एक अरब डॉलर का कृषि आयात किया जबकि भारत का निर्यात लगभग 33 लाख डॉलर का रहा। अगर मुक्त व्यापार समझौता होता है तो ईयू से कृषि आयात बढ़ने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि एफटीए से खासकर डेयरी इंडस्ट्री और शराब निर्माताओं पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। अल्कोहलिक पेय पदार्थों पर आयात शुल्क कम होने से यूरोप से इनका आयात बढ़ेगा और घरेलू निर्माताओं के लिए प्रतिस्पर्धा सघन होगी। दूध के सबसे बड़े उत्पादक भारत की डेयरी इंडस्ट्री को ईयू से सस्ते मिल्क प्रोडक्ट के आयात की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इन प्रोडक्ट में मिल्क एल्बुमिन, लैक्टोज और ह्वे शामिल हैं। इनके विपरीत खाद्य तेल क्षेत्र को कम प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। भारत खाद्य तेलों के आयात पर काफी निर्भर है। यूरोप से सनफ्लावर और ऑलिव ऑयल का आयात होगा तो कुछ सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तो कुछ में बहुत मामूली फर्क पड़ेगा।

ईयू की नॉन-टैरिफ बाधाएं भारत के लिए समस्या

ईयू का कृषि टैरिफ सिस्टम काफी जटिल है और यह दोनों पक्षों की बातचीत में आड़े आती रही है। जीटीआरआई के अनुसार, ईयू 915 कृषि वस्तुओं पर नॉन-एडवैलोरम टैरिफ लगाता है इससे वहां इन वस्तुओं के आयात पर शुल्क काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा सैनिटरी और फाइटो-सैनिटरी नियम तथा टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड (टीबीटी) जैसे नॉन-टैरिफ बाधाओं की वजह से भारतीय कृषि उत्पादों के लिए यूरोप के बाजार में पैठ बनाना मुश्किल होता है। अगर ईयू ने टैरिफ घटा दिया तो भी वहां का रेगुलेटरी ढांचा भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए बड़ी समस्या रहेगी।

यूरोप के वाइन निर्माता भारतीय बाजारों में अधिक पहुंच चाहते हैं। यहां यूरोपियन वाइन पर 150% आयात शुल्क लगता है। यूरोप चाहता है कि भारत इसे पूरी तरह खत्म करे या घटाकर 30-40% तक ले आए। ऑस्ट्रेलिया के साथ इकोनामिक कोऑपरेशन एंड ट्रेड एग्रीमेंट (ECTA) के तहत भारत ने 10 साल में वाइन आयात पर शुल्क घटाकर 50% करना तय किया है। यूरोप के साथ भी ऐसा कुछ संभव है। हालांकि भारतीय वाइन निर्माता इसका विरोध करेंगे क्योंकि आयात सस्ता होने पर उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

भारत में कृषि को संरक्षण नियमों के मुताबिक

श्रीवास्तव के मुताबिक, “भारत वैश्विक व्यापार नियमों के मुताबिक ही अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षण देता है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) विकासशील देशों को खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका को संरक्षण देने के उपाय अपनाने की अनुमति देता है। पहले भी भारत ट्रेड डील में कृषि को विशेष ट्रीटमेंट देने की बात करता रहा है और हमें इसे जारी रखना चाहिए।”

वे कहते हैं, “चुनौती सिर्फ टैरिफ की नहीं बल्कि ढांचागत संतुलन की भी है। अमेरिका और यूरोप में कृषि को काफी सब्सिडी मिलती है। वहां की कृषि व्यवस्था काफी मैकेनाइज्ड है। भारत में कृषि श्रम सघन है और बड़ी मुश्किल से किसानों को मुनाफा हो पाता है। इन किसानों को भारी-भरकम सब्सिडी पाने वाले अमेरिकी किसानों के साथ रेस लगाने के लिए कहना साइकिल और ट्रेन के बीच रेस लगाने जैसा होगा।”

भारत के लिए क्या करना उचित

प्रो. अवनींद्र के अनुसार, “भारत में मक्का, सोयाबीन, कपास की डिमांड बढ़ने वाली है। इसलिए हमें अपने किसानों को इंसेंटिव देना चाहिए कि वे इन फसलों की खेती बढ़ाएं। रिसर्च और डेवलपमेंट के जरिए उनकी उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए ताकि भारतीय किसान अधिक से अधिक उत्पादन करें। अगर आयात की अनुमति दी गई तो भारतीय किसान कभी बढ़ती हुई मांग की ओर नहीं जाएंगे और फसलों का विविधीकरण नहीं हो सकेगा।”

वे कहते हैं, “ट्रेड वार्ता में भारत को अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए। खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका का हवाला देना चाहिए। निर्यात का विविधीकरण भी बहुत जरूरी है। हमें कच्ची फसलों की जगह प्रोसेस्ड फूड के निर्यात की ओर भी बढ़ना चाहिए। प्रोसस्ड फूड की कीमत अच्छी मिलेगी उसका बाजार भी बड़ा होता है।”

श्रीवास्तव के मुताबिक, “भारत की प्राथमिकता अपनी खाद्य प्रणाली के संरक्षण, किसानों की आय की सुरक्षा और ग्रामीण स्थिरता सुनिश्चित करने की होनी चाहिए, बजाय इसके कि हम असमानता को बढ़ावा देने वाले व्यापार उदारीकरण में तेजी लाएं। व्यापार वार्ता आपसी सम्मान और वास्तविकता के आधार पर होनी चाहिए। भारत को संवाद के लिए खुला रहना चाहिए, साथ ही किसानों, खाद्य सुरक्षा और भविष्य के मसले पर दृढ़ भी रहना चाहिए।”

हालांकि पुशन शर्मा की दलील है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ और यूरोप के साथ एफटीए का प्रभाव हर क्षेत्र में समान नहीं रहेगा। प्रॉन, श्रिंप और शहद की मांग अगर अमेरिका में कम होती है तो घरेलू मांग बढ़ाकर और दूसरे देशों को निर्यात करके उसकी भरपाई की जा सकती है। गन्ना (अल्कोहलिक पेय इंडस्ट्री का कच्चा माल), अनाज (बेकरी प्रोडक्ट का कच्चा माल) और डेयरी किसानों पर भी ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि इन उत्पादों के कई तरह के इस्तेमाल होते हैं और इनकी सप्लाई अनेक घरेलू तथा विदेशी मैन्युफैक्चरर को होती है। भारत के साथ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच कृषि कमोडिटी में व्यापार को देखते हुए इस बात की संभावना कम है कि ट्रेड वार्ता से इन्हें अलग रखा जाएगा। भारत के पास कृषि कमोडिटी की विविध रेंज है। इनमें अल्फांसो आम और बासमती चावल जैसी यूनिक वैरायटी हैं। ये भारत को बड़ा अवसर प्रदान करती हैं।

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'कानून को विज्ञान और तकनीक का लेना होगा सहारा', NFSU के कार्यक्रम में बोले जस्टिस कोटिश्वर सिंह

Dainik Jagran - National - March 31, 2025 - 1:35pm

जेएनएन, गांधीनगर। गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के 'न्याय अभ्युदय- टेक्नो-लीगल फेस्ट' के समापन समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने की खातिर कानून को विज्ञान और तकनीक का सहारा लेना चाहिए।

बुनियादी सुविधाओं का किया दौरा

जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) समेत विभिन्न अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाओं का भी दौरा किया। उन्होंने एनएफएसयू के स्वदेशी उत्पादों को भी देखा। उन्होंने अपने संबोधन में कानून की प्रासंगिकता बनाए रखने और उसे समय की बदलती जरूरतों के अनुरूप ढालने की आवश्यकता पर बल दिया।

न्याय प्रणाली को मजबूत करना होगा

जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने कहा कि मौजूदा समय में कानून को वैज्ञानिक सटीकता के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में उन्होंने फोरेंसिक क्षेत्र में एनएफएसयू के प्रयासों की सराहना की और कहा कि अकेले कानून अधूरा है। न्याय प्रदान करने की प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए कानून को विज्ञान और तकनीक का सहारा लेना चाहिए। इससे न केवल कार्यकुशलता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि न्याय भी अधिक कुशल बनेगा।

अपनी पिछली यात्रा को किया याद

उन्होंने एनएफएसयू की अपनी पिछली यात्रा को भी याद किया और एनएफएसयू के शैक्षिक, अनुसंधान, जांच, प्रशिक्षण जैसे कार्यों की सराहना की। एनएफएसयू को देशभर में विशेष स्थान दिलाने के लिए कुलपति डॉ. जेएम व्यास के दूरदर्शी प्रयासों को भी सराहा।

कार्यक्रम में पहुंची ये हस्तियां

कार्यक्रम का आयोजन एनएफएसयू में स्कूल ऑफ लॉ और फोरेंसिक जस्टिस एंड पॉलिसी स्टडीज ने किया। समापन समारोह में गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश इलेश जे. वोरा, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति केजे ठाकर, पूर्व जस्टिस वीपी पटेल और एनएफएसयू के कुलपति डॉ. जेएम व्यास मंच पर मौजूद रहे।

दो प्रतियोगिताओं का भी आयोजन

समापन समारोह में प्रो. एसओ जुनारे ने स्वागत भाषण पढ़ा। वहीं स्कूल ऑफ लॉ, फोरेंसिक जस्टिस एंड पॉलिसी स्टडीज के डीन एवं एनएफएसयू-दिल्ली के परिसर निदेशक प्रो. पूर्वी पोखरियाल ने कार्यक्रम रिपोर्ट पेश की। कार्यक्रम में एसएलएफजेपीएस, एनएफएसयू जर्नल ऑफ लॉ एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनएफएसयू जर्नल ऑफ फोरेंसिक जस्टिस के समाचार पत्र भी लॉन्च किए गए।

कार्यक्रम के तहत तृतीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मूट कोर्ट प्रतियोगिता और राष्ट्रीय ट्रायल एडवोकेसी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इनमें देशभर की 61 टीमों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. जज कौशल जे. ठाकर ने गुजरात सरकार की ओर से धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।

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