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Trump Tariff Policy: ट्रंप के टैरिफ का भारत पर नहीं पड़ेगा सीधा असर, लेकिन यहां फंस रहा पेच; जानिए क्या है नई मुसीबत
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई पारस्परिक शुल्क नीति (Reciprocal Tariff Policy) की घोषणा को लेकर ज्यादातर विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि इसका भारत पर उतना व्यापक असर नहीं होगा, जितना अमेरिका के दूसरे बड़े कारोबारी साझेदार देशों जैसे चीन, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, जापान आदि पर होगा। हालांकि, ट्रंप प्रशासन की इस नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जिस तरह से असर होगा, भारत को उसका दंश झेलना पड़ सकता है।
भारत के नीति नियामकों को अमेरिका के साथ ट्रेड वार्ता के जरिए समाधान तलाशने के साथ ही देश की इकॉनमी को संभावित वैश्विक मंदी, अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने, घरेलू शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के बाहर निकलने की तेज होने जैसे दूसरी चुनौतियों से भी पार पाने की कोशिश करनी होगी।
वैश्विक सप्लाई चेन की मौजूदा व्यवस्था में भी भारी अस्थिरता फैलने की आशंका
अमेरिकी सरकार का नई टैरिफ नीति वैश्विक सप्लाई चेन की मौजूदा व्यवस्था में भी भारी अस्थिरता फैला सकती है, भारत को इस नये हालात में भी अपने लिए अवसर तलाशने होंगे।
और सुस्त होगी वैश्विक इकॉनमीआईएमएफ (International Monetary Fund) की निदेशक क्रिस्टेलीना जॉर्जजीवा ने इसी हफ्ते कहा है कि वह वैश्विक मंदी के गहराने की संभावना देख रही हैं। आइएमएफ ने दिसंबर, 2024 में कहा था कि वर्ष 2025 में वैश्विक विकास दर 3.3 फीसद रहेगी जो वर्ष 2024 में दर्ज 3.1 फीसद से थोड़ी बेहतर होगी। लेकिन अब आइएमएफ के अधिकारियों का कहना है कि 3.3 फीसद की विकास दर को हासिल करना संभव नहीं दिख रहा। बहुत जल्द ही इसे घटाया जाएगा।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी का कहना है कि, वैश्विक इकॉनमी में मंदी आने से उन सेक्टरों पर भी असर होगा जिन पर ट्रंप सरकार ने सीधे तौर पर शुल्क नहीं लगाया है, जैसे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग। यह इसलिए होगा क्योंकि ज्यादातर कंपनियां अपने खर्चे को सीमित कर प्रतिस्पर्द्धी बनने की कोशिश करेंगी। यहां बताते चलें कि वैश्विक विकास की दर अभी तक कोरोना काल से पहले (वर्ष 2019 में 3.6 फीसद) की रफ्तार को नहीं पकड़ पाई है।
अमेरिका की महंगाई का भी खोजना होगा काटभारत की और कई विदेशी एजेंसियों ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शुल्क बढ़ा कर ट्रंप प्रशासन ने महंगाई को न्यौता दे दिया है। अमेरिका ने जिन उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाया है, उनकी लागत अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएगी। महंगाई को काबू में करने के लिए फेडरल बैंक (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) को ब्याज दरों को बढ़ाना पड़ेगा यह स्थिति भारतीय इकॉनमी को कई तरह से प्रभावित करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक को भी वैश्विक महंगाई को भारतीय सीमा पर रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
अगले हफ्ते बुधवार को RBI की मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है, देखना होगा कि आरबीआइ गवर्नर का संकेत देते हैं। लेकिन इसका एक दूसरा असर भारतीय इकॉनमी पर ज्यादा प्रभावकारी यह होगा कि अमेरिका में ज्यादा ब्याज के आकर्षण से विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना तेज कर सकते हैं।
एफआइआइ (Foreign Institutional Investors) ने वर्ष 2025 में 15 अरब डॉलर की राशि भारतीय बाजार से निकाली है। ऐसा होने से घरेलू शेयर बाजार की मौजूदा अस्थिरता और तेज हो सकती है। मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ निश भट्ट ने कहा है कि, ट्रंप सरकार का कदम भारत समेत वैश्विक शेयर बाजार को अस्थिर कर देगा।
वैश्विक सप्लाई चेन में अफरा-तफरीएसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर का कहना है कि वैश्विक ट्रेड व वैल्यू चेन में नये सिरे से समीकरण बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इक्विटी शोध एजेंसी वेंचुरा के प्रमुख (शोध) विनीत वोलिंजकर ने आशंका जताई है कि वैश्विक सप्लाई चेन में मंदी की संभावना पैदा हो रही है। दुनिया के विभिन्न स्थलों पर प्लांट लगा कर लागत कम करन में जुटी दिग्गज मैन्यूफैक्चरिंग व प्रौद्योगिकी कंपनियों को अब नये सिरे से अपनी रणनीति बनानी होगी। पारस्परिक शुल्क लगाने के दौर में हर देश की प्रतिस्पर्द्धता क्षमता पर क्या असर होता है, इसको लेकर स्थिति साफ होने में समय लगेगा। भारत ने कोविड महामारी के बाद वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी पैठ बनाने की मुहिम तेज की हुई है। भारत सरकार को भी रणनीत में बदलाव करना पड़ सकता है।
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EPFO New Rules: अब UAN से बैंक अकाउंट लिंक करने के लिए Employer से नहीं लेनी होगी मंजूरी, जानिए क्या है नया नियम
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सदस्यों को बैंकिंग की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने की पहल को आगे बढ़ाते हुए इपीएफओ दावा निपटान प्रक्रिया (EPFO Claim Settlement Process) को और सरल बनाने के लिए दो बड़े सुधार किए गए हैं।
इसमें पहला सुधार चेक लीफ या सत्यापित बैंक पासबुक की तस्वीर अपलोड करने की आवश्यकता को हटा दिया गया है। दूसरा बदलाव यह हुआ है कि यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता (Employer) की मंजूरी की आवश्यकता को EPFO ने हटा दिया है।
श्रम मंत्रालय ने बताया कितने लोगों को मिलेगा लाभश्रम मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के इन सुधारों को समग्र रूप से इपीएफओ में लागू किए जाने की जानकारी एक बयान जारी कर साझा की। चेक-बैंक पास बुक की तस्वीर अपलोड करने की आवश्यकता को हटाने का लाभ इपीएफओ के 7.7 करोड़ से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा।
वहीं यूएएन के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता को हटाने से लंबित अनुमोदन वाले लगभग 15 लाख सदस्यों को तत्काल लाभ मिलेगा। इस आवश्यकता को शुरू में कुछ केवाईसी-अपडेट सदस्यों के लिए पायलट आधार पर थोड़े सुधार किया गया था।
क्यों लाया गया नया नियम?मंत्रालय के अनुसार मई 2024 को इसके लांच होने के बाद से इस कदम से 1.7 करोड़ इपीएफ सदस्यों को लाभ मिल चुका है। चूंकि यूएएन के साथ बैंक खाते को जोड़ने के समय बैंक खाताधारक का नाम पहले से ही ईपीएफ सदस्य के विवरण के साथ सत्यापित होता है, इसलिए अब इस अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। वहीं यूएएन के साथ बैंक खाता विवरण जोड़ने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की आवश्यकता को इसलिए हटा दिया गया है कि वर्तमान में प्रत्येक सदस्य को अपने बैंक खाते को यूएएन से जोड़ना आवश्यक है ताकि उनके पीएफ निकासी को ऐसे खाते में सहजता से जमा किया जा सके।
हर रोज बैंक अकांउट जोड़ने के लिए आते हैं इतने रिक्वेस्टउल्लेखनीय है कि सदस्यों द्वारा प्रतिदिन बैंक खाते को जोड़ने के लिए लगभग 36,000 अनुरोध किए जा रहे हैं और बैंकों को सत्यापन पूरा करने में औसतन 3 दिन लगते हैं। हालांकि बैंक सत्यापन के बाद नियोक्ता की ओर से प्रक्रिया को मंजूरी देने में लगने वाला औसत समय लगभग 13 दिन है। इसकी वजह से नियोक्ता के स्तर पर कार्यभार बढ़ जाता है और बैंक खाते को जोड़ने में देरी होती है।
EPFO के अनुसार वर्तमान में प्रत्येक माह योगदान देने वाले 7.74 करोड़ सदस्यों में से 4.83 करोड़ सदस्यों ने अपने बैंक खातों को यूएएन से जोड़ दिया है। जबकि 14.95 लाख स्वीकृतियां नियोक्ताओं के स्तर पर लंबित हैं। इन दोनों सुधारों से उन सदस्यों को भी सुविधा होगी जो अपना नया बैंक खाता नंबर दर्ज करके पहले से जुड़े बैंक खाते को बदलना चाहते हैं।
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'झटका नहीं बल्कि मिलाजुला असर', ट्रंप के 26 फीसदी टैरिफ पर आया भारत का रिएक्शन
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत रेसिप्रोक्टल टैरिफ या आयात शुल्क के प्रभाव का वाणिज्य मंत्रालय विश्लेषण कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी है।
अधिकारी के अनुसार, सार्वभौमिक 10 प्रतिशत टैरिफ 5 अप्रैल से अमेरिका में सभी आयातों पर लागू होंगे और बाकी के 16 प्रतिशत 10 अप्रैल से लागू होंगे। अधिकारी ने कहा, "मंत्रालय घोषित टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि एक प्रावधान है कि यदि कोई देश अमेरिका की चिंताओं का समाधान करता है, तो ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है।
भारत-अमेरिका के समझौते
भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य बना रहे हैं। अधिकारी ने कहा, "टैरिफ से भारत के लिए कोई झटका नहीं है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए जाने वाले उच्च शुल्कों पर ध्यान केंद्रित किया और उन्होंने सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की। भारत पर 26 प्रतिशत छूट वाला रेसिप्रोकल शुल्क लगाया गया है।
ट्रंप ने 2 अप्रैल को बताया 'लिबरेशन डे'
ट्रंप ने 2 अप्रैल को "लिबरेशन डे" कहा और दावा किया कि यह अमेरिका के उद्योग को फिर से जन्म देने वाला दिन है। ट्रंप ने कहा, "यह दिन हमेशा याद रखा जाएगा, 2 अप्रैल 2025, जब अमेरिका का भाग्य फिर से तय होगा और हम अमेरिका को समृद्ध बनाएंगे।"
उन्होंने एक चार्ट दिखाया, जिसमें यह दर्शाया गया कि भारत, चीन, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों द्वारा लगाए गए शुल्क के मुकाबले अब इन देशों को किस तरह के रेसिप्रोकल टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। चार्ट में यह भी दिखाया गया कि भारत 52 प्रतिशत शुल्क लगाता है, जिसमें मुद्रा संचालन और व्यापार बाधाएं शामिल हैं, और अब अमेरिका भारत से 26 प्रतिशत का "डिस्काउंटेड" रेसिप्रोकल टैरिफ लेगा।
भारत के प्रति ट्रंप की टिप्पणी
ट्रंप ने भारत को लेकर कहा, "भारत बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी-अभी गए हैं और वह मेरे अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि आप हमारे दोस्त हैं आप हमें सही तरीके से नहीं संभाल रहे हैं। वे 52 प्रतिशत शुल्क लेते हैं।"
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चिलचिलाती गर्मी के बीच देश के इन राज्यों में बारिश का अलर्ट, दिल्ली-यूपी में चढ़ेगा पारा; पढ़ें IMD का अपडेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गर्मी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन कुछ जगहों पर बारिश की भी संभावना है। मौसम विभाग ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के लिए अलग-अलग पूर्वानुमान जारी किए हैं। दिल्ली में अधिकतम तापमान में इजाफा होने के आसार है।
वहीं मध्य प्रदेश में बारिश की संभावना है। उत्तर प्रदेश में गर्मी बढ़ रही है, जबकि राजस्थान के तापमान में भी बढ़ोतरी होगी, उत्तराखंड में गर्मी का प्रकोप जारी है, तो छत्तीसगढ़ में बारिश की संभावना है।
देश के कई राज्यों में अप्रैल से जून तक भीषण गर्मी होगी। मध्य प्रदेश में कई जगहों पर बादल छाए रहने के साथ हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में गर्मी जारी रहने की आशंका विभाग ने जताई है।
दिल्ली में गर्मी से बुरा हालदिल्ली-एनसीआर के लोगों को गर्मी से राहत के आसार नहीं मिल रहे हैं। तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है। अगले 4 से 5 दिनों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच सकता है। बुधवार को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 14.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह इस मौसम के औसत तापमान से 4.6 डिग्री कम था।
मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। बीते दिनों प्रदेश के कई हिस्सों में लू का अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन अभी करीब 3 से 4 दिनों तक लू का दौर जारी रहेगा
बिहार में कैसा रहेगा मौसम?बिहार में गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यहां तापमान में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। बढ़ते तापमान के बीच आने वाले दिनों मौसम यू-टर्न मारने की तैयारी में है।
अगले 24 घंटे में तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गोवा, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। कई राज्यों में आंधी और बिजली गिरने का पूर्वानुमान IMD ने जताया है।
यूपी में बदली मौसम की चालउत्तर प्रदेश में मौसम की चाल बदल गई है। यूपी के निवासियों को अब गर्मी से राहत मिलने वाली है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में 20 से 30 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी, जिससे सुबह-शाम वाली ठंडक का एहसास होगा।
PM Modi: BIMSTEC शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाइलैंड रवाना
एएनआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बैंकॉक रवाना हो गए हैं। वह थाई प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा के निमंत्रण पर थाईलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर हैं।
प्रधानमंत्री की थाईलैंड की तीसरी यात्रा होगीप्रधानमंत्री मोदी 4 अप्रैल 2025 को आयोजित होने वाले 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह प्रधानमंत्री की थाईलैंड की तीसरी यात्रा होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा पर रवाना हुए। प्रधानमंत्री थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा करेंगे और 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद, वे श्रीलंका की राजकीय यात्रा पर जाएंगे।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर दी जानकारीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि अगले तीन दिनों में मैं थाईलैंड और श्रीलंका का दौरा करूंगा, जहां मैं इन देशों और बिम्सटेक देशों के साथ भारत के सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लूंगा। आज बाद में बैंकॉक में मैं प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा से मिलूंगा और भारत-थाईलैंड मैत्री के सभी पहलुओं पर चर्चा करूंगा। कल मैं बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लूंगा और थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न से भी मुलाकात करूंगा।"
पीएम मोदी ने श्रीलंका यात्रा के बारे में भी जानकारी दीइसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि मेरी श्रीलंका यात्रा 4 से 6 तारीख तक होगी। यह यात्रा राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की भारत की सफल यात्रा के बाद हो रही है। हम बहुआयामी भारत-श्रीलंका मैत्री की समीक्षा करेंगे और सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा करेंगे। मैं वहां होने वाली विभिन्न बैठकों का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।
गृहमंत्री ने विपक्ष के तर्कों को किया धराशायी, बोले- 'वक्फ में अब नहीं चलेगी चोरी, सभी को मानना पड़ेगा कानून'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्ष के आरोपों की धज्जियां उड़ा दी। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भारी गड़बड़ी का ब्योरा देते हुए शाह ने साफ कर दिया कि अब यह चोरी नहीं चलेगी। संशोधित वक्फ कानूनों को नहीं मानने का एलान करने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए शाह ने कहा कि यह देश की संसद द्वारा बनाया गया भारत का कानून है। इसे सभी को मानना ही पड़ेगा।
अमित शाह बोले- पहले करते तो आज नहीं होती जरूरतशाह ने बताया कि 2013 के वक्फ कानूनों को अति कठोर बनाने का किस तरह से दुरुपयोग किया गया। यदि तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने 2013 में वक्फ कानूनों को अति कठोर नहीं बनाया होता, तो आज संशोधन लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए अमित शाह ने 2013 में लाए गए संशोधन विधेयक पर राजद प्रमुख लालू यादव समेत अन्य सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दे का हवाला दिया। लालू यादव के भाषण का अंश पढ़ते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से संशोधन विधेयक का समर्थन करने के बावजूद उन्होंने वक्फ संपत्तियों में भारी लूट का मुद्दा उठाया था। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कड़े कानून की जररूत बताई थी।
लालू यादव की इच्छा अब मोदी सरकार पूरी कर रही है- शाहशाह ने कहा कि लालू यादव की इच्छा अब मोदी सरकार पूरी कर रही है। वक्फ की एक संपत्ति पर पांच सितारा होटल बना दिया गया और उसका किराया महज 12 हजार रुपये महीना लिया जा रहा है।
शाह ने कहा कि नए संशोधनों के बाद वक्फ कानून इन संपत्तियों को बेचने वालों, उनका किराया खाने वालों को पकड़ने का काम करेगा। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आपने वोट बैंक के लिए संशोधन किया था और अब हम इसे खारिज कर रहे हैं।
वक्फ बोर्ड 1995 में पहली बार अस्तित्व में आएगृह मंत्री ने कहा कि वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का उद्देश्य केवल संपत्तियों का प्रशासन सुनिश्चित करना है। वक्फ बोर्ड या इसके परिसरों में जिन गैर मुस्लिम सदस्यों को रखा जाएगा, उनका काम धार्मिक क्रियाकलापों से संबंधित नहीं होगा।
वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड 1995 में पहली बार अस्तित्व में आए और नए संशोधनों में भी उन्हें बनाए रखा गया है। सरकार ने सिर्फ उन्हें पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का काम किया है। चैरिटी कमिश्नर के गैर मुस्लिम होने के आरोप को हास्यास्पद बताते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक पद है, जो सभी धर्मों के ट्रस्टों की देखरेख करता है।
अधिकार का दुरुपयोग किया गयाउन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लिए अलग-अलग चैरिटी कमिश्नर नहीं हो सकता है। यह एक विभाजनकारी सोच है। अमित शाह ने बताया कि किस तरह से 2013 के संशोधन में वक्फ बोर्डों और वक्फ परिषद को दिए गए अत्यधिक अधिकार का दुरुपयोग किया गया है।
मंदिरों, गांवों और सरकारी संपत्तियों को वक्फ की घोषित करने के मामलेउन्होंने कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मंदिरों, गांवों और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किए जाने का हवाला दिया और ऐसे आदेशों के खिलाफ अदालत में अपील रोकने के प्रविधान को संविधान के खिलाफ बताया।
देश में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के पासउन्होंने कहा कि 1913-2013 के बीच देश में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के पास थी, जो पिछले 12 वर्षों में बढ़कर 39 लाख एकड़ हो गई। विदेश पढ़ाई करने जाने वाले या दूसरे शहर में काम करने वालों की संपत्ति पीछे से वक्फ के नाम पर करने के मामले भी सामने आए हैं।
वक्फ बोर्ड के मनमाने तरीके पर रोक- अमित शाहशाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद द्वारा मनमाने तरीके से किसी भी जमीन को वक्फ घोषित करने पर रोक लगा दी गई है और अब इसके लिए कलक्टर का सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा। उन्होंने साफ किया कि वक्फ एक दान है, जो सिर्फ अपनी संपत्ति का किया जा सकता है। दूसरे की संपत्ति को कोई कैसे दान कर सकता है। मध्यकालीन शासकों द्वारा किए गए वक्फ के दावे की पुष्टि के लिए पुख्ता प्रमाण उपलब्ध कराने होंगे।
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Waqf Bill: सरकार-विपक्ष के बीच देर रात तक चली बहस के बाद लोकसभा ने वक्फ विधेयक को दी मंजूरी; आज राज्यसभा में पेश होगा
अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। सरकार और विपक्ष के बीच गरमागरम बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा से पारित हो गया। विधेयक के समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े। विधेयक पारित करने के लिए सदन आधी रात के बाद भी बैठा रहा। एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को मुसलमानों पर हमला बताते हुए विधेयक की प्रति फाड़ दी।
सरकार ने मुस्लिमों को आश्वस्त कियाविपक्ष द्वारा विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताए जाने सहित सरकार ने एक-एक आपत्तियों का जवाब दिया और आशंकाएं दूर की। सरकार ने मुस्लिमों को आश्वस्त किया कि यह बिल उनकी मस्जिद एवं दरगाह छीनने और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए नहीं है, बल्कि संपत्तियों के नियमन और प्रबंधन के लिए लाया गया है।
नया कानून अधिसूचना निकलने के दिन से ही प्रभावी होगानया कानून अधिसूचना निकलने के दिन से ही प्रभावी होगा। वक्फ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक कहने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि वक्फ संपत्ति से संबंधित कानून दशकों से अस्तित्व में है। अदालतों द्वारा इसे रद नहीं किया गया है और ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हल्के में नहीं किया जाना चाहिए। कहा कि दुनिया में अल्पसंख्यकों के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित कोई देश नहीं है।
केसी वेणुगोपाल, असदुद्दीन ओवैसी ने संशोधन पेश कियाविधेयक पर विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई, केसी वेणुगोपाल, असदुद्दीन ओवैसी और अरविंद सावंत ने संशोधन पेश किया, जिसे सदन ने खारिज कर दिया। वहीं, रिजीजू के संशोधन को स्वीकार कर लिया। अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
विपक्षी दलों के स्वर थोड़े बदले-बदले से थेविधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में जदयू, तेदेपा एवं लोजपा (आर) समेत राजग के समस्त सहयोगी दल पूरी तरह एकजुट दिखे, जबकि पहले से कड़े प्रतिरोध का दावा करते आ रहे विपक्षी दलों के स्वर थोड़े बदले-बदले से थे। कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी समेत कई दलों को विधेयक से नहीं, बल्कि संशोधन के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति थी। हालांकि दोनों खेमों ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था।
बहस पर चर्चा का समय पहले आठ घंटा निर्धारित था। इसे पहले दो घंटे और फिर डेढ़ घंटे के लिए बढ़ाया गया। लोकसभा में लगभग 12 घंटे तक चली मैराथन बहस का जवाब देते हुए रिजीजू ने कहा कि विधेयक पारित होने के बाद गरीब मुसलमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देंगे।
विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को मुस्लिम विरोधी बतायारिजीजू ने विपक्षी सदस्यों द्वारा विधेयक को मुस्लिम विरोधी बताए जाने को खारिज कर दिया और कहा कि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सभी मुद्दों पर अच्छी तरह से स्पष्टीकरण दिए जाने के बावजूद कुछ सदस्य सच को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। कुछ नेता कह रहे हैं कि विधेयक असंवैधानिक है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वे कैसे कह सकते हैं कि विधेयक असंवैधानिक है। अगर यह असंवैधानिक था, तो अदालत ने इसे रद क्यों नहीं किया?
असदुद्दीन ओवैसी ने विभिन्न मुद्दे उठाएरिजीजू ने कहा कि एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विभिन्न मुद्दे उठाए और आरोप लगाया कि वक्फ में मुसलमानों के बच्चों के लिए प्रविधान किया जा रहा है। हिंदुओं के लिए कोई प्रविधान क्यों नहीं किया जा रहा है? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हिंदुओं के लिए पहले से ही प्रविधान है। इस पर दूसरा कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है। इससे पहले रिजीजू ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया।
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बिल लाने को जरूरी बताते हुए रिजीजू ने कहा कि अगर ऐसा नहीं करते तो जिस इमारत (संसद भवन) में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ दावा कर सकता था, क्योंकि 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सरकार ने दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ को दे दी थीं। अगर केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार नहीं बनती तो कई अन्य संपत्तियों पर वक्फ का कब्जा हो सकता था।
वोट के लिए 70 वर्षों से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है- सरकाररिजीजू ने उस भ्रम को भी स्पष्ट किया, जिसमें कहा जाता है कि रेल और सेना के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन है। कहा कि रेल और सेना की जमीन देश की है, किंतु वक्फ की संपत्ति निजी है। वोट के लिए 70 वर्षों से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है।
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिजीजू ने कहा कि 2006 में देश में 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनकी कुल आय 163 करोड़ थी। अभी 8.72 लाख संपत्तियां हैं, लेकिन आमदनी सिर्फ तीन करोड़ ही बढ़ी है। उचित इस्तेमाल से वक्फ की आमदनी बढ़ेगी, जिससे मुस्लिमों को फायदा होगा। अभी तक वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपना बता देता था। अब ऐसा नहीं होगा।
सरकार ने कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई की उस आपत्ति को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि गैर सरकारी संस्थाओं से सुझाव नहीं लिए गए और विपक्ष के एक भी संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया।
गोगोई ने सरकार पर लगाए आरोपगोगोई ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला करने, अल्पसंख्यकों को बदनाम करने, उन्हें मताधिकार से वंचित करने और समाज को विभाजित करने का प्रयास है। इस पर अमित शाह ने कहा कि संप्रग सरकार ने 2013 में सिर्फ चार घंटे की चर्चा के बाद वक्फ विधेयक को पास कर दिया था, लेकिन इस बार संयुक्त संसदीय समिति में 113 घंटे की चर्चा एवं 92 लाख से ज्यादा सुझावों पर विचार के बाद कानून बनाया जा रहा है।
वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा- सरकारवक्फ कानून में संशोधन के नाम पर धार्मिक हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा। सिर्फ वक्फ परिषद एवं वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम होंगे, जिनका काम धार्मिक हस्तक्षेप का नहीं होगा, बल्कि उन संपत्तियों के प्रबंधन का होगा जो दान में मिली है। वह देखेगा कि संपत्तियों का सदुपयोग हो रहा है या नहीं। वक्फ में महिलाएं और शिया-सुन्नी की भागीदारी बढ़ेगी और पिछड़ों का प्रतिनिधित्व होगा।
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Waqf Bill: वक्फ बिल को कोर्ट में चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, बोला- सड़कों पर करेंगे विरोध
पीटीआई, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने कहा है कि वह वक्फ (संशोधन) विधेयक को अदालत में चुनौती देगा और समुदाय के अधिकारों को खतरे में डालने वाले इस काले कानून के विरुद्ध लड़ाई को सड़कों पर लेकर जाएगा।
प्रस्तावित कानून की आलोचना कीप्रेस कान्फ्रेंस में प्रस्तावित कानून की आलोचना करते हुए बोर्ड के सदस्य मोहम्मद अदीब ने दावा किया कि यह मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को जब्त करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, उन्होंने इसे इस सोच से शुरू किया है कि वे हमारी संपत्ति छीन सकते हैं। क्या इसे स्वीकार किया जा सकता है? यह मत सोचिए कि हम पराजित हो गए हैं।
कानून भारत के ताने-बाने को खतरे में डालता हैउन्होंने कहा कि यह तो शुरुआत है। संयुक्त संसदीय समिति में विचार-विमर्श के दौरान बिल का विरोध किया गया। यह देश को बचाने की लड़ाई है क्योंकि प्रस्तावित कानून भारत के ताने-बाने को खतरे में डालता है।
बिल को वापस लेने तक बोर्ड चैन से नहीं बैठेगाअदीब ने सभी जागरूक नागरिकों से अनुरोध किया कि वे बिल का विरोध करें और इसका कानूनी एवं सार्वजनिक प्रदर्शन के जरिये विरोध करने की बोर्ड की प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही कहा कि बिल को वापस लेने तक बोर्ड चैन से नहीं बैठेगा।
विपक्ष ने वक्फ संशोधन बिल को बताया संविधान पर हमलावक्फ संशोधन बिल के कई प्रविधानों का विरोध करते हुए विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई। इस विधेयक को नया नाम ''उम्मीद'' (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट) देने पर विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया और कहा कि यह सीधे-सीधे संविधान पर आक्रमण है।
आइएनडीआइए गठबंधन की ओर से सबसे पहले हमले का मोर्चा खोलते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह संविधान को कमजोर करने, अल्पसंख्यकों को बदनाम करने और उनके अधिकारों से वंचित करने के उद्देश्य से यह बिल लेकर आई है।
भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाएगा- अखिलेशउन्होंने कहा कि यह विधेयक समाज को विभाजित कर भाईचारा खत्म करने का प्रयास है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का यह वक्फ विधेयक विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा है, जो भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाएगा।
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लोकोमोटिव निर्माण में यूरोप और अमेरिका को पछाड़ शीर्ष पर पहुंचा भारत, रेलवे मंत्रालय ने संसद में जानकारी
आइएएनएस, नई दिल्ली। भारत ने रेलवे लोकोमोटिव निर्माण में एक वैश्विक लीडर के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वित्त वर्ष 2024-25 में रिकार्ड 1,681 लोकोमोटिव का निर्माण किया गया। बुधवार को रेलवे मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई।
लोकोमोटिव निर्माण में भारत काफी आगेइसमें कहा गया कि यह उपलब्धि यूरोप, अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के कुल लोकोमोटिव निर्माण को पार कर गई है। यह भारत की रेलवे क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक क्षमता को दर्शाती है।
इसमें कहा गया कि पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में 1,472 लोकोमोटिव का निर्माण हुआ था। इस लिहाज से गत वर्ष की अपेक्षा इस बार 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
लोकोमोटिव निर्माण में निरंतर वृद्धि हो रहीरेलवे मंत्रालय के बयान में कहा गया कि लोकोमोटिव निर्माण में निरंतर वृद्धि 'मेक इन इंडिया' पहल को मजबूत करने को लिए गए रणनीतिक निर्णयों का प्रत्यक्ष परिणाम है। 2004 से 2014 के बीच भारत ने कुल 4,695 लोकोमोटिव का निर्माण किया। इसके विपरीत 2014 से 2024 के बीच लोकोमोटिव निर्माण में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।
9,168 लोकोमोटिव का प्रोडक्शन हुआइस दौरान 9,168 लोकोमोटिव का प्रोडक्शन हुआ। पूर्व के 470 के मुकाबले वार्षिक औसत लगभग 917 हो गई। लोकोमोटिव का निर्माण चित्तरंजन, बनारस, पटियाला और मधेपुरा कारखानों में हुआ है। 1681 में से 1,047 अधिकांश लोकोमोटिव मालगाड़ियों के लिए है।
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ऑर्गन डोनेशन पर सरकारी कर्मचारियों को 42 दिन की छुट्टी, गवर्नमेंट डॉक्टर की मंजूरी लेनी होगी
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अंगदान के लिए अधिकतम 42 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश मिलेगा।
उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अंगदान के लिए अधिकतम 42 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश प्रदान किया है।''
अस्पताल में भर्ती होने के दिन से शुरू हो जाएगी प्रक्रियाकार्मिक मंत्रालय द्वारा 2023 में जारी एक आदेश के अनुसार, जब इस प्रविधान की घोषणा की गई थी, दाता के अंग को निकालने के लिए सर्जरी के प्रकार के बावजूद, सरकारी पंजीकृत चिकित्सक/डॉक्टर की सिफारिश के अनुसार विशेष आकस्मिक अवकाश की अवधि अधिकतम 42 दिन होगी।
इसमें कहा गया था कि विशेष आकस्मिक अवकाश आम तौर पर अस्पताल में भर्ती होने के दिन से शुरू होकर एक बार में लिया जाएगा। हालांकि, आवश्यकता पड़ने पर सरकारी पंजीकृत चिकित्सक या डॉक्टर की सिफारिश पर सर्जरी से अधिकतम एक सप्ताह पहले इसका लाभ उठाया जा सकता है।
अतिरिक्त पेंशन अदालतेंजितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के निवारण के लिए भविष्य में अतिरिक्त पेंशन अदालतें आयोजित करना चाहती है। पेंशन अदालत का उद्देश्य केंद्रीकृत पेंशनभोगी शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली में प्राप्त अनसुलझे और पुरानी शिकायतों का मौके पर ही समाधान प्रदान करना है।
पेंशन अदालतों में मामले सुलझाए जा रहेपेंशन अदालतों में आने वाले अधिकांश मामलों का मौके पर ही निपटारा कर दिया जाता है। अगली पेंशन अदालत आयोजित करने से पहले अनसुलझे मामलों पर फिर से विचार किया जाता है और उनकी स्थिति पर विचार किया जाता है। 2020 से इस साल अब तक आयोजित पेंशन अदालतों के दौरान कुल 6,964 मामले उठाए गए, जिनमें से 4,944 का निपटारा किया गया।
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MUDA Land Scam: ईडी ने मुडा जमीन आवंटन मामले में क्लोजर रिपोर्ट को दी चुनौती, इस केस में सीएम सिद्दरमैया भी आरोपित
पीटीआई, बेंगलुरु। ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और अन्य से जुड़े मुडा जमीन आवंटन मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है। ईडी ने मंगलवार को एमपी, एमएलए स्पेशल कोर्ट के समक्ष लोकायुक्त पुलिस के खिलाफ विरोध याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि वह इस मामले में पीड़ित पक्ष है।
याचिका में पीएमएलए-2002 के उद्देश्यों और कारणों का हवाला दियाकेंद्रीय एजेंसी ने अपनी याचिका में पीएमएलए-2002 के उद्देश्यों और कारणों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि दुनिया भर में यह महसूस किया जा रहा है कि मनी लांड्रिंग न केवल देश की वित्तीय प्रणालियों के लिए बल्कि उनकी अखंडता और संप्रभुता के लिए भी गंभीर खतरा है।
पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट पर कही ये बातईडी ने कहा कि देश मनी लांड्रिंग अपराध के पीड़ित की परिभाषा के अंतर्गत आता है। इसने आगे कहा कि एजेंसी को एक पीड़ित व्यक्ति के रूप में माना जाना चाहिए, क्योंकि वे मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत अभियोजक हैं और इस प्रकार जांच एजेंसी को लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट पर कोई आदेश पारित करने से पहले विरोध करने या सुनवाई करने का अधिकार या अधिकार है।
गौरतलब है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) जमीन आवंटन मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस ने उल्लेख किया था कि सुबूतों के अभाव में सीएम सिद्दरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके।
क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी हैजांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। इस मामले में सीएम सिद्दरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के अलावा उनके साले और जमीन के मालिक देवराजू भी आरोपित हैं।
हाई कोर्ट ने दी ईडी जांच की अनुमतिकर्नाटक हाई कोर्ट ने ईडी को मुडा जमीन आवंटन मामले में पूर्व एमयूडीए आयुक्त डीबी नटेश को छोड़कर सभी आरोपितों की जांच करने की अनुमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और जस्टिस केवी अरविंद की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि ईडी कानून के अनुसार अन्य आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने का हकदार है। इससे सीएम सिद्दरमैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए खंडपीठ का दरवाजा खटखटायाईडी ने एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था। दूसरी ओर, मुडा घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने की स्नेहमयी कृष्णा की याचिका खारिज कर दी गई।
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Karnataka: शंकराचार्य भारती स्वामी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला खारिज, कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
आइएएनएस, बेंगलुरु। गोकर्ण स्थित श्री रामचंद्रपुरा मठ के श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती स्वामी के खिलाफ दुष्कर्म के मामले को खारिज करते हुए कहा कि कथित घटना की शिकायत करने में नौ वर्ष की देरी को लेकर शिकायतकर्ता के पास कोई सही स्पष्टीकरण नहीं था।
मठ की एक पूर्व शिष्या ने शंकराचार्य पर लगाए आरोपमठ की एक पूर्व शिष्या ने आरोप लगाया था कि 2006 में 15 वर्ष की आयु और फिर 2012 में 21 वर्ष की आयु में हिंदू संत ने दो बार उसके साथ दुष्कर्म किया।
स्वामी ने एक ट्रायल कोर्ट द्वारा इस संबंध में की गई पूरी कार्यवाही को चुनौती देते हुए इसे रद करने की मांग संबंधी एक याचिका 2021 में हाई कोर्ट के समक्ष दायर की थी। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने इस संबंध में आदेश जारी किया।
याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्यवाही प्रभावितआदेश में कहा गया कि आरोप पत्र को लेकर बेंगलुरु के प्रथम अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित कार्यवाही समेत सभी कार्यवाही को रद किया जाता है।
आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्यवाही प्रभावित है। मामले में आगे के ट्रायल की अनुमति देना निस्संदेह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और न्याय की विफलता होगी। इस मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया।
महिला ने स्वामी जी पर लगाए गंभीर आरोपआरोप-पत्र सीआइडी अधिकारी ने दाखिल किया है, जिसे इसका अधिकार नहीं था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 2006 में स्वामी जी ने अपने कमरे में भगवान का डर दिखाकर उसका यौन उत्पीड़न किया और किसी को बताए जाने पर पाप लगने की बात कही। इसके बाद स्वामी जी द्वारा मठ के ही एक सदस्य से उसकी शादी तय कर देने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया।
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फर्जी पासपोर्ट या वीजा पर 7 साल की सजा...Immigration & Foreigners Bill 2025 राज्यसभा में पारित, विपक्ष ने किया वॉकआउट
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेशियों के आव्रजन, भारत में प्रवेश और ठहरने को विनियमित करने वाला 'आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025' बुधवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया। यह विधेयक 27 मार्च, 2025 को लोकसभा में पारित किया गया था। विधेयक में विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को अस्वीकार किए जाने के बाद राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विधेयक में एक प्रमुख प्रविधान यह है कि भारत में प्रवेश करने या देश में रहने या देश से बाहर जाने के लिए फर्जी पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को सात साल तक की जेल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
कड़ी निगरानी का भा प्रविधान?विधेयक में भारत आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर कड़ी निगरानी रखने का भी प्रविधान है। प्रस्तावित कानून में होटल, विश्वविद्यालय, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा विदेशियों के बारे में अनिवार्य रूप से सूचना देने का प्रविधान है, ताकि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने वाले विदेशियों पर नजर रखी जा सके।
बहरहाल, इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछली कांग्रेस सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार पर अवैध प्रवासियों को देश में प्रवेश करने में ''मदद'' करने और मतदाता सूची तथा राशन कार्ड में उनके नाम शामिल करके उनके ठहरने को ''सुविधाजनक'' बनाने का आरोप लगाया।
हालांकि, इस पर कांग्रेस और तृणमूल के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों के साथ सदन से वाकआउट कर गए।चर्चा के दौरान राय ने कहा, ''26 सदस्यों ने विधेयक पर अपने विचार व्यक्त किए। हमारे विश्वविद्यालयों, शिक्षा प्रणाली और अर्थव्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यह विधेयक लाना आवश्यक था।'' उन्होंने कहा कि देश में उन सभी लोगों का स्वागत है जो शिक्षा, शोध और विकास कार्यों के लिए यहां आते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उन सभी विदेशी नागरिकों से निपटने की जरूरत है जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए: सिंघवीकांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस विधेयक से यह संदेश जाता है कि सभी विदेशी ''संभावित अपराधी'' हैं, जिन्हें भारत द्वारा गंभीर संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए। विधेयक का विरोध करते हुए उन्होंने मांग की कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह निम्न अधिकारियों को अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और इसमें अपील, निगरानी और जवाबदेही के प्रविधानों का अभाव है।
उन्होंने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण केवल उस मानसिकता को दर्शाता है जिसमें विदेशियों को सम्मान और गरिमा वाले व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि ''अवमानना और घृणा की वस्तु'' के रूप में देखा जाता है। समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार जैसे संवैधानिक प्रविधानों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों के समान ही गैर-नागरिकों को भी कई अधिकारों की गारंटी देता है।
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पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के अग्रणी युद्धपोत आइएनएस तरकश ने पश्चिमी हिंद महासागर में 2,500 किलोग्राम से अधिक ड्रग्स जब्त की है। 31 मार्च को नौसेना को कुछ जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद अभियान चलाकर ये ड्रग्स जब्त किया गया। इस ड्रग्स में 2,386 किलोग्राम हशीश और 121 किलोग्राम हेरोइन शामिल है। यह सीलबंद पैकेटों में भरी हुई थी।
नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि आसपास के सभी संदिग्ध जहाजों से पूछताछ करने के बाद आइएनएस तरकश ने भारतीय नेवी की तीसरी आंख कहे जाने वाले पी8आइ समुद्री निगरानी विमान और मुंबई में समुद्री परिचालन केंद्र के साथ मिलकर एक संदिग्ध जहाज को रोका। इस दौरान संदिग्ध जहाज की गतिविधियों पर नजर रखने और क्षेत्र में संभावित रूप से संचालित अन्य जहाजों की पहचान करने के लिए अपने हेलीकॉप्टर को भी भेजा।
तलाशी और पूछताछ में सामने आई जानकारीअधिकारी ने बताया कि मरीन कमांडो के साथ एक विशेषज्ञ टीम ने जब संदिग्ध जहाज पर सवार होकर उसकी गहन तलाशी ली तो उसमें कई सीलबंद पैकेट बरामद हुए। उन्होंने बताया कि तलाशी और पूछताछ में पता चला कि जहाज पर विभिन्न कार्गो होल्ड और कंपार्टमेंट में 2,500 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ रखा हुआ था।
आइएनएस तरकश भारतीय नौसेना का एक प्रमुख फ्रिगेटप्रवक्ता ने बताया कि संदिग्ध जहाज को बाद में आइएनएस तरकश के नियंत्रण में लाया गया और चालक दल के सदस्यों से उनकी कार्यप्रणाली और क्षेत्र में अन्य समान जहाजों की मौजूदगी के बारे में विस्तृत पूछताछ की गई। बता दें कि आइएनएस तरकश भारतीय नौसेना का एक प्रमुख फ्रिगेट है, जो पश्चिमी नौसैनिक कमान के तहत आपरेट किया जा रहा है।
यह जब्ती समुद्र में मादक पदार्थों की तस्करी सहित अवैध गतिविधियों को रोकने और नियंत्रित करने में भारतीय नौसेना की प्रभावशीलता एवं कार्यकुशलता को दर्शाती है। भारतीय नौसेना का लक्ष्य ¨हद महासागर क्षेत्र (आइओआर) में सुरक्षा, स्थिरता एवं समृद्धि को बढ़ावा देना है।
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'पिछड़े मुस्लिम-महिलाओं की वक्फ में भागीदारी से परेशानी क्यों', बीजेपी सांसद ने Waqf Amendment Bill के समझाए कानूनी प्रविधान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में दोनों ओर से जमकर तर्क-बाण चले। विपक्ष की ओर से इसका विरोध किया गया तो सत्ता पक्ष की ओर से संविधान का हवाला और मुस्लिम पिछड़ों और महिलाओं की भलाई का हवाला दिया।
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई द्वारा उठाए गए बिंदुओं का जिक्र करते हुए स्पष्ट करना चाहा कि संविधान के मौलिक अधिकार में धारा 15 है, जिसमें लिखा है कि महिलाओं के साथ कोई भी भेद नहीं होगा और सरकार महिलाओं के विकास के लिए कोई भी कानून बना सकती है। यदि यह वक्फ बिल खवातीनों के लिए, वक्फ में उनकी भूमिका के लिए लाया जा रहा है तो असंवैधानिक कैसे हो गया? वहीं, संविधान की धारा 15 में यह भी लिखा हुआ है कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के विकास के लिए सरकार कार्यवाही कर सकती है। पिछड़े मुसलमानों को अभी वक्फ के मैनेजमेंट में अवसर नहीं मिलता। संशोधन बिल में इसका प्रविधान किया जा रहा है कि पिछड़े मुसलमानों को भी वक्फ में जगह दी जाएगी तो इसमें विपक्ष को परेशानी क्यों है?
Wafq is not a religious body and just a statutory body: Ravi Shankar Prasad#WaqfAmendmentBill #WaqfBill #WaqfBoard pic.twitter.com/DxL1AsNJp9
— DD News (@DDNewslive) April 2, 2025 वक्फ धार्मिक नहीं, वैधानिक संस्था: बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसादसांसद रविशंकर ने तर्क दिया कि वक्फ धार्मिक नहीं, वैधानिक संस्था है। मुतवल्ली को सिर्फ मैनेजर बोलते हैं। यह वक्फ बोर्ड की आठ लाख की संपत्ति के मैनेजर हैं। यह संपत्ति लूटी जा रही है तो क्या सरकार खामोश रहेगी? उन्होंने सवाल किया कि आठ लाख संपत्ति में कितने अस्पताल, स्कूल, स्किल सेंटर या अनाथालय बने? विधवा-बेटियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने के लिए क्या व्यवस्था की गई?
#WaqfAmendmentBill
BJP MP Ravi Shankar Prasad says, "Today, I want to raise this question before Parliament—how many schools have been built on Waqf property? How many hospitals, skill centres, and orphanages have been established on Waqf land?..."#WaqfBill | #Waqf | #LokSabha… pic.twitter.com/7ruhz9iCpw
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुस्लिमों का है, लेकिन मुस्लिमों के आदर्श क्या वोटों की दलाली करने वाले होंगे? हमें लगा था कि वोटों की सौदागरी बंद होगी, लेकिन बंद नहीं हुई। देश बदल रहा है। कांग्रेस कहां थी, कहां आ गई। राजीव गांधी को 400 सीटें मिली थीं, लेकिन शाहबानो केस के बाद आज तक बहुमत नहीं मिला।
वक्फ बन गया था अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा: अनुराग ठाकुरइसी तरह अनुराग ठाकुर ने कहा कि वक्फ को बदलने का वक्त आ गया है, क्योंकि यह अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। भारत को वक्फ के खौफ से आजादी चाहिए। यह हिंदुस्तान है, पाकिस्तान या तालिबान नहीं है। यहां बाबा साहेब का संविधान चलेगा, मुगलिया फरमान नहीं चलने वाला।
उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के लिए संपत्तियों का प्रबंधन करना था, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने इस भूमि को वोटबैंक का एटीएम बनाकर रख दिया। अपने तेवर और तीखे करते हुए आरोप लगाया कि 1947 का विभाजन देश ने देखा, जो कि एक परिवार और पार्टी के कारण हुआ। आज लैंड जिहाद के नाम पर दूसरा विभाजन नहीं होने देंगे। राहुल गांधी और अखिलेश यादव से पूछा कि क्या मुस्लिम समुदाय में भी भेदभाव या छुआछूत है? फिर कहा कि यह विधेयक कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण का अंतिम संस्कार करने वाला है।
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Waqf Amendment Bill: 'आप हाथ छोड़कर चले गए...', अखिलेश ने मोदी सरकार के इस मंत्री को दिया साथ आने का खुला ऑफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को पेश हुए Waqf Amendment Bill की चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अलग भाजपा और उसके सहयोगी दलों पर जमकर निशाना साधा।
लोकसभा चुनाव 2025 के पहले तक जेडीयू विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा थी, लेकिन बाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के खेमे में चले गए। अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हल्के-फुल्के अंदाज में लेकिन बड़े राजनीतिक संकेतों के साथ केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता ललन सिंह को साथ आने का खुला ऑफर दे दिया।
अखिलेश का जेडीयू पर तंजयह वाकया तब हुआ जब जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने संसद में अपना बयान दिया। उनके बोलने के बाद अखिलेश यादव ने मुस्कुराते हुए तंज कसा, "आप हमें छोड़कर चले गए। सभापति महोदया, देखिए राजनीति कैसी होती है! हमने इनका हाथ पकड़ा और यहां तक आए, लेकिन इन्होंने हमारा हाथ छुड़ा लिया और वहां चले गए। हो सकता है, कल फिर हमारा और इनका हाथ मिल जाए!"
वक्फ बिल को लेकर क्या बोले अखिलेश यादव?सपा अध्यक्ष ने कहा, "यह वक्फ बिल जो लाया जा रहा है ये अपने वोट बैंक को संभालने के लिए और समाज को बाटने के लिए है। जो इससे पहले फैसले लिए सरकार ने क्या उससे देश और प्रदेश में बड़ा बदलाव आ गया?"
"यह वक्फ बिल जो लाया जा रहा है ये अपने वोट बैंक को संभालने के लिए और समाज को बाटने के लिए है। जो इससे पहले फैसले लिए सरकार ने क्या उससे देश और प्रदेश में बड़ा बदलाव आ गया?"
- माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी pic.twitter.com/l2vJCyySqd
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बोलते हुए अखिलेश ने भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाते हुए तंज किया।
अखिलेश ने कहा, जो पार्टी ये कहती हो कि वो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, वो अब तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाई हैं।
#WATCH | Samajwadi Party chief and MP Akhilesh Yadav takes jibe at BJP; he said, "The party that calls itself the world's largest party has not yet been able to choose its national president."
Replying to him, Union HM Amit Shah said, "All the parties in front of me, their… pic.twitter.com/9zX6mAejzz
हालांकि इस तंज पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष में जो भी पार्टी बैठी है, वहां परिवार में से ही किसी को अध्यक्ष चुनना होता है। जबकि हमारे यहां 12-13 करोड़ सदस्य हैं, चुनाव की प्रक्रिया होती है, इसीलिए देर लगती है।
अमित शाह बोले, "आपके यहां चुनाव नहीं होता इसीलिए देर नहीं लगती। मैं कह देता हूं कि आप अगले 25 साल तक अपनी पार्टी के अध्यक्ष हो, और कोई नहीं बन सकता। अमित शाह के इस जवाब पर अखिलेश यादव हाथ जोड़ते नजर आए।
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'शादी का भरोसा देकर बनाए शारीरिक संबंध', महिला ने SC में लगाई गुहार तो जज साहब ने की अहम टिप्पणी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यौन उत्पीड़न मामले पर सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि असफल रोमांटिक रिश्ते का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि दोनों पक्षों पर यौन संबंध जबरन बनाए गए थे।
दरअसल, एक महिला ने याचिका दायर किया था कि उसके पूर्व मंगेतर ने उसके साथ शादी का वादा कर यौन संबंध बनाए। लड़की ने कोर्ट में दलील दी कि उसे उम्मीद थी कि लड़का उसके साथ शादी करेगा, इसलिए उसने यौन संबंध बनाए।
युवाओं के बीच नैतिकता की भावना अलग हो चुकी है: कोर्टकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिला बालिग है। ऐसा नहीं हो सकता कि आपको यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया हो कि आपकी शादी हो जाएगी, । आज के समय युवाओं के बीच नैतिकता, सद्गुणों की अवधारणा अलग हो चुकी है। अगर हम आपकी बात से सहमत हैं, तो कॉलेज में लड़के और लड़की के बीच कोई भी रिश्ता, वगैरह दंडनीय होगा।"
अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह की शिकायतें कभी-कभी रूढ़िवादी नैतिकता और मूल्यों से प्रेरित होती हैं, जिसमें व्यवस्था में "खामियों" के कारण पुरुष को ही दोष दे दिया जाता है।
महिला की वकील ने क्या दलील दी?हालांकि, महिला के वकील ने बताया कि जिस रिश्ते पर सवाल उठाया जा रहा है, वह 'अरेंज्ड' था और 'रोमांटिक' नहीं था, इसलिए 'सहमति' का सवाल उठता है। वकील माधवी दीवान ने कहा, "यह कोई रोमांटिक रिश्ता नहीं है जो खराब हो गया। यह अरेंज्ड था। इस मामले में सहमति को 'स्वतंत्र सहमति' नहीं कहा जा सकता है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि सगाई तोड़ना "सामाजिक वर्जना" के बराबर होगा।
दीवान ने तर्क दिया कि महिला को लगता था कि अगर वह उसे खुश नहीं करेगी तो वह उससे शादी नहीं करेगा। उन्होंने अदालत से कहा, "यह उसके लिए आकस्मिक सेक्स हो सकता है, लेकिन महिला के लिए नहीं।"
अदालत ने इस पर कहा कि स्थिति की जांच दोनों पक्षों के दृष्टिकोण से की जानी चाहिए और इसका "किसी एक लिंग से कोई संबंध नहीं है।
न्यायमूर्ति सुंदरेश ने पूछा, "मेरी भी एक बेटी है (लेकिन फिर भी) यदि वह इस स्थिति में है तो मुझे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। अदालत ने अंततः निर्णय लिया कि वह उस व्यक्ति की याचिका पर आगे सुनवाई करेगी।
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हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास विवादित 400 एकड़ जमीन पर चल रहे काम पर 24 घंटे की रोक, तेलंगाना HC का आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पास कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ भूमि पर चल रहे काम को 24 घंटे के लिए रोक दिया। न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश छात्रों और वात फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
यह आदेश वात फाउंडेशन और हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) के छात्रों द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में आया है। अदालत ने अधिकारियों को कल यानी 3 अप्रैल तक भूमि पर काम बंद करने का निर्देश दिया है, जब अगली सुनवाई होनी है।
याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क देते हुए रोक लगाने की मांग की थी कि तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (टीजीआईआईसी) सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए बुलडोजर से पेड़ों को काट रहा है।
उन्होंने तर्क दिया कि भले ही भूमि पिछले वर्ष जून में राज्य सरकार के आदेश के अनुसार टीजीआईआईसी को आवंटित की गई हो, फिर भी कंपनी को पेड़ों को उखाड़ने और जमीन को समतल करने के लिए भारी वाहनों के उपयोग के संबंध में शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करना होगा।
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वक्फ बोर्ड की घट जाएगी शक्ति! अभी कितनी हैं संपत्ति; कानून बना तो सरकार के हाथ में क्या-क्या जाएगा?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में दूसरी बार वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया। विधेयक पर कुल आठ घंटे चर्चा होगी। अगर यह लोकसभा में पारित होता है तो गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। बिल के समर्थन में सरकार का कहना है कि इससे जवाबदेही तय होगी। वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता आएगी। विपक्षी दल इसे संविधान के खिलाफ बताने में जुटे हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक पर राष्ट्रव्यापी बहस के बीच आइए जानते हैं वक्फ बोर्ड क्या है, इसका गठन कब हुआ, इसके पास कितनी संपत्ति है... नए संशोधन विधेयक में क्या अलग है, सरकार और विपक्ष के तर्क क्या हैं... सरकार को किन-किन दलों का साथ मिला, पुराने कानूनों के किन प्राविधानों पर सरकार को आपत्ति है।
वक्फ क्या है?वक्फ अरबी का शब्द है। इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली वस्तु या संपत्ति है। इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है। कोई भी मुस्लिम अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है। अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो गई तो दोबारा उसे गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है।
पहली बार कब बना वक्फ एक्ट?देश में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में बनाया गया था। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। इसका मकसद वक्फ के कामकाज को सरल बनाना था। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में नया वक्फ कानून बनाया गया था। इसके तहत राज्यों को वक्फ बोर्ड गठन की शक्ति दी गई। साल 2013 में संशोधन किया गया और सेक्शन 40 जोड़ी गई।
देशभर में वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति?देशभर में सबसे अधिक जमीन भारतीय रेलवे और सशस्त्रबलों के पास है। संपत्ति के मामले में वक्फ बोर्ड तीसरे नंबर पर आता है। उसके पास आठ लाख एकड़ से अधिक जमीन है। बोर्ड की अनुमानित संपत्ति 1.2 लाख करोड़ रुपये है। 2009 में वक्फ बोर्ड के पास कुल 4 लाख एकड़ जमीन थी।
कौन करता है संपत्तियों का रख-रखाव?वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करते हैं। देशभर में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है। यूपी और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड भी हैं। वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है। यह संपत्ति को अर्जित करने और प्रबंधन का काम देखता है। वक्फ संपत्तियों को न तो बेचा जा सकता है और न ही पट्टे पर दिया जा सकता है।
अभी वक्फ बोर्ड में कौन-कौन होता?अभी तक वक्फ बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा प्रदेश सरकार के सदस्य, मुस्लिम सांसद, विधायक, बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली शामित होते थे।
वक्फ अधिनियम में संशोधन क्यों?कानून में संशोधन करने के पीछे सरकार का तर्क है कि वक्फ बोर्ड के कामकाज को सुव्यवस्थित बनाना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम- 1995 में संशोधन करना है। इससे वक्फ संपत्तियों का रेगुलेशन और प्रबंधन करने में आसानी होगी।
- पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना।
- अधिनियम का नाम बदलने जैसे बदलाव करके वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता को बेहतर करना।
- वक्फ की परिभाषाओं को अपडेट करना।
- पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना।
- वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में तकनीक का दखल बढ़ाना।
सरकार का मानना है कि मौजूदा वक्फ कानून ने कई तरह के विवादों को जन्म दिया है। वक्फ के 'एक बार वक्फ... हमेशा वक्फ' के सिद्धांत से विवाद उपजे हैं। बेट द्वारका के द्वीपों पर दावों को अदालतों ने भी उलझन भरा माना। सरकार का तर्क है कि वक्फ अधिनियम 1995 और 2013 में इसमें किया गया संशोधन अब प्रभावकारी नहीं है। इससे कुछ समस्याएं पैदा हुई हैं।
अभी क्या समस्या आ रही थी?- वक्फ भूमि पर अवैध कब्जा।
- कुप्रबंधन और स्वामित्व विवाद।
- संपत्ति पंजीकरण और सर्वेक्षण में देरी।
- बड़े पैमाने पर मुकदमे और मंत्रालय को शिकायतें।
- अभी तक वक्फ न्यायाधिकरणों के निर्णयों को हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।
- इससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही तय नहीं होती थी।
- कुछ राज्य वक्फ बोर्डों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। इस वजह से सामुदायिक तनाव पैदा हुआ।
- वक्फ अधिनियम की धारा 40 का सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया। इसके तहत निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया। इसने मुकदमेबाजी को जन्म दिया।
वक्फ अधिनियम केवल एक धर्म पर लागू होता है। किसी अन्य धर्म के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में वक्फ बोर्ड की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए थे।
क्या है विवादित सेक्शन 40?वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की की ताकत मिली है। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो गई तो हमेशा वह वक्फ रहेगी। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। नए कानून में इस सेक्शन को हटा दिया गया है।
विपक्ष क्यों कर रहा विरोध?वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों का तर्क है कि यह मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला है। वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करने के उद्देश्य से विधेयक लाया जा रहा है। विपक्षी दलों का तर्क यह भी है कि कानून संविधान के खिलाफ है। तानाशाही तरीके से लाया गया है। संयुक्त संसदीय कमेटी में शामिल विपक्ष के सदस्यों के संशोधनों को शामिल नहीं किया गया है।
सरकार के साथ कौन-कौन दल?वक्फ बिल पर सरकार को जेडीयू, टीडीपी, जेडीएस, हम, लोजपा (रामविलास) शिवसेना, रालोद और पवन कल्याण की पार्टी जनसेना का साथ मिला है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में क्या-क्या बदलाव?- अधिनियम का नाम वक्फ अधिनियम- 1995 से बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम- 1995 करने का प्रस्ताव।
- वक्फ के रूप में पहचानी गई सरकारी संपत्तियां वक्फ नहीं होगी। विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।
- वक्फ निर्धारण की शक्ति वक्फ बोर्ड के पास नहीं होगी।
- वक्फ का सर्वेक्षण, सर्वेक्षण आयुक्तों और अपर आयुक्त द्वारा संचालित कलेक्टरों को संबंधित राज्यों के राजस्व कानूनों के अनुसार करने का अधिकार होगा।
- केंद्रीय वक्फ परिषद: दो गैर-मुस्लिम होंगे। सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों का मुस्लिम होना जरूरी नहीं है। दो महिला सदस्यों का होना भी जरूरी। मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष मुस्लिम समुदाय से होंगे।
- राज्य वक्फ बोर्ड: राज्य सरकार दो गैर-मुस्लिमों, शिया, सुन्नी, पिछड़े वर्ग के मुसलमानों, बोहरा और आगाखानी समुदाय से एक-एक सदस्य को मनोनीत कर सकती। कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं का होना जरूरी है।
- वक्फ न्यायाधिकरण: अपर जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। मुस्लिम कानून विशेषज्ञ के प्रावधान को हटाया गया है। इसमें जिला न्यायालय के न्यायाधीश और एक संयुक्त सचिव (राज्य सरकार) शामिल होंगे। न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ 90 दिनों के भीतर अदालत में अब अपील कर सकेंगे।
- केंद्र सरकार की शक्तियां: राज्य सरकारें कभी भी वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं। केंद्र सरकार को वक्फ पंजीकरण, खातों और लेखा परीक्षा पर नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। शिया वक्फ 15 फीसदी से अधिक होने पर शिया और सुन्नी के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होंगे। बोहरा और अगाखानी वक्फ बोर्ड को भी अनुमति दी गई है।
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साल 2026 के लिए H-1B वीजा का शुरुआती सेलेक्शन प्रोसेस खत्म, जिन भारतीयों का हुआ चयन, वो अब क्या करें?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2026 के लिए एच-1बी वीजा लॉटरी के लिए प्रारंभिक सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 31 मार्च को 85,000 की वार्षिक लिमिट पूरी हो चुकी है। बता दें कि एक साल में 65,000 एच-1बी जारी की जाती है। लॉटरी के जरिए सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके अलावा 20 हजार वीजा उन छात्रों को दिया जाता है, जिन्होंने अमेरिका के कॉलेज-यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की है।
बता दें कि अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B वीजा बेहद जरूरी होता है। अगर आप भी अमेरिका में नौकरी हासिल करना चाहते हैं, तो फिर आपको H-1B वीजा हासिल करने पर जोर देना चाहिए।
जिन लोगों का सेलेक्शन हुआ, वो अब क्या करें...जिन लोगों ने लॉटरी अप्लाई की है वो अपने USCIS अकाउंट में जाकर ये देख सकते हैं कि उनका सेलेक्शन हुआ है या नहीं। USCIS ने आवश्यक कोटा पूरा करने के लिए उचित रूप से प्रस्तुत पंजीकरणों में से पर्याप्त लाभार्थियों का चयन किया है। अब जबकि प्रारंभिक चयन प्रक्रिया पूरी हो गई है वो चयनित लाभार्थी H-1B कैप-विषय याचिका दायर करने के लिए पात्र है।
H-1B वीजा रजिस्ट्रेशन के बारे में जरूरी बातेंआवेदकों को प्रत्येक लाभार्थी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रजिस्टर करने के लिए USCIS ऑनलाइन अकाउंट का इस्तेमाल करना होगा। प्रत्येक लाभार्थी के लिए 215 डॉलर (आज की करेंसी के हिसाब से 18,730.84 रुपये) H-1B रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान किया जाएगा। USCIS ने H-1B पंजीकरण शुल्क को प्रति लाभार्थी 10 डॉलर से बढ़ाकर 215 डॉलर किया है।
भरनी होती है बेसिक जानकारीH-1B कर्मचारियों को रोजगार देने के इच्छुक संभावित याचिकाकर्ताओं को पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करनी होती है। प्रत्येक वित्त वर्ष में प्रारंभिक पंजीकरण अवधि 14 दिनों तक चलती है। जिन लोगों ने चयनित पंजीकरण कराया होगा, केवल वे ही H-1B कैप-विषय याचिका दायर करने के पात्र होंगे।
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