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सिद्धिविनायक मंदिर को एक साल में मिला इतने करोड़ का दान, अगले साल की कमाई लेकर भी की गई 'भविष्यवाणी'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रभादेवी के सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 133 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड वार्षिक आय की जानकारी दी है। कार्यकारी अधिकारी वीना पाटिल ने कहा कि यह रकम 2023-24 में 114 करोड़ रुपये से 15% अधिक है। प्रबंध समिति ने 31 मार्च को अपना वार्षिक बजट पेश किया। अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में मंदिर का राजस्व बढ़कर 154 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
सिद्धिविनायक के उप कार्यकारी अधिकारी संदीप राठौड़ ने कहा, "प्रशासन की कार्यकुशलता के कारण, हमारी आय जो 114 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी, वह बढ़कर 133 करोड़ रुपये हो गई, जो ट्रस्ट के अपने अनुमान से 15% अधिक है। हमने देखा है कि अगर भक्तों को सहज दर्शन की सुविधा दी जाए, अगर कतारें व्यवस्थित तरीके से तेजी से आगे बढ़ें, तो अधिक लोग दर्शन कर सकते हैं, जिससे दान में वृद्धि होती है।"
"सिद्धिविनायक में, प्रत्येक भक्त को दर्शन के लिए 10-15 सेकंड मिलते हैं, जो मेरे अनुसार, अन्य बड़े मंदिरों की तुलना में बेहतर है, जो 5-7 सेकंड देते हैं। नतीजतन, लोगों का दिल अधिक दान करने के लिए इच्छुक है।" संदीप राठौड़, उप कार्यकारी अधिकारी, सिद्धिविनायक ट्रस्ट
कैसे आता है मंदिर का राजस्व?राजस्व का आकलन 'दान पेटी' आय, पूजा अनुष्ठानों, लड्डू और नारियल वाड़ी प्रसाद की बिक्री, ऑनलाइन दान और सोने-चांदी के चढ़ावे से किया जाता है। यह धनराशि ट्रस्ट की कल्याणकारी गतिविधियों में जाती है। राठौड़ ने कहा, "हम मुद्रास्फीति के लिए राजस्व मूल्यांकन को समायोजित करते हैं। हालांकि खाद्य पदार्थों और सोने की कीमतों में वृद्धि हुई है, फिर भी हमने देखा है कि हमारे सोने-चांदी में अधिक वस्तुओं की नीलामी की जा रही है। प्रसाद को बिना लाभ-हानि के आधार पर बेचा जाता है।"
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Poshan Tracker: कुपोषण के खिलाफ जंग में कारगर साबित हुई ये तकनीक, इस ऐप के जरिए Nutrition को कर सकते हैं ट्रैक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कुपोषण के खिलाफ सामूहिक प्रयास भारत में कुपोषण को समाप्त करने के लिए एकीकृत प्रयास की आवश्यकता को देखते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में 'पोषण अभियान' की शुरुआत की। यह अभियान समाज के सबसे कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न हितधारकों को एकजुट करता है।
2022 में इस अभियान के दूसरे चरण को 'मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0' नाम दिया गया। वर्तमान में यह मिशन देशभर के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 772 जिलों में लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
डिजिटल तकनीक से मजबूत हुआ पोषण अभियानभारत में डिजिटल तकनीक का तेजी से विस्तार हो रहा है और सरकारी योजनाओं में इसका इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। इसी दिशा में 2021 में 'पोषण ट्रैकर' नामक एक डिजिटल ऐप लॉन्च किया गया, जिसने मैनुअल रिपोर्टिंग की जगह रियल टाइम निगरानी, रिपोर्टिंग और योजना निर्माण को आसान बनाया। यह ऐप आंगनवाड़ी केंद्रों को देश के डिजिटल इकोसिस्टम का हिस्सा बनाता है।
इस ऐप के जरिए अब बच्चों की वृद्धि दर और गर्भवती महिलाओं के पोषण स्तर की निगरानी संभव हो पाई है। गर्भवती महिलाओं के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की सुविधा और बच्चों की वृद्धि ट्रैकिंग वक्र (Growth Chart) की मदद से पोषण संबंधी जोखिम वाले मामलों की पहचान की जा सकती है। इसके अलावा, यह ऐप आंगनवाड़ी केंद्रों की अवस्थिति, पूर्व-विद्यालय उपस्थिति और बुनियादी ढांचे की जानकारी को भी रिकॉर्ड करता है।
आंगनवाड़ी सेवाओं तक पहुंच अब और आसानपोषण ट्रैकर ऐप को समय-समय पर अपडेट किया जाता रहा है। हाल ही में इसमें 'लाभार्थी मॉड्यूल' नामक एक नया इंटरफेस जोड़ा गया है, जिससे नागरिक खुद को नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकृत कर सकते हैं। इस सुविधा का लाभ उन लोगों को मिलेगा, जो किसी कारणवश आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तक नहीं पहुँच पाते थे।
लखनऊ की गर्भवती महिला रोली वर्मा ने इस ऐप के जरिए पंजीकरण किया और बताया, "आंगनवाड़ी दीदी ने मेरा पंजीकरण स्वीकार कर लिया। अब मैं केंद्र की सभी सेवाओं का लाभ उठा सकती हूं।"
"इस एप्लिकेशन से हमें राज्य स्तर पर निगरानी आसान हो गई है और अब शहरी इलाकों में भी अधिक लोगों तक सेवाएं पहुंच सकेंगी।" संगीता लोंधे, उपायुक्त, महिला एवं बाल कल्याण, महाराष्ट्र
7वें पोषण पखवाड़े में जागरूकता पर रहेगा जोरपोषण ट्रैकर के सार्वजनिक डैशबोर्ड के अनुसार, अब तक आईसीडीएस (ICDS) योजना के तहत लगभग 10 करोड़ लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया है। इसके अलावा, 25 लाख से अधिक लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है और करीब 40,000 नागरिकों ने इस ऐप या वेब इंटरफेस के जरिए पंजीकरण किया है।
8 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले 7वें राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के दौरान, इस ऐप के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने पर खास ध्यान दिया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक आंगनवाड़ी सेवाएं पहुंचाई जा सकें।
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यूनिसेफ इंडिया की पोषण विशेषज्ञ डॉ. ऋचा सिंह पांडे ने कहा, "पोषण ट्रैकर का लाभार्थी मॉड्यूल माता-पिता और देखभाल करने वालों को स्वस्थ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जैसे-जैसे डिजिटल साक्षरता बढ़ रही है, यह पहल सेवाओं को आम लोगों के करीब लाने का महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।"
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अब ज्यादा गर्मी नहीं झेल पाएगा इंसान का शरीर, कब बढ़ेगा खतरा? कनाडा की रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा
पीटीआई, नई दिल्ली। देशभर में इस वक्त मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। जल्द ही लोगों को भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। अब रिसर्चर ने गर्मी को लेकर अलर्ट किया है, उन्होंने कहा है कि मनुष्यों में पहले की तुलना में अत्यधिक गर्मी सहने की सीमा कम हो सकती है।
यह जानकारी दुनिया में मनुष्यों की अत्यधिक गर्मी को झेलने की सीमाओं को समझने में मदद कर सकती है। एक रिसर्च के परिणाम से उन्होंने कहा कि यह शहरों को गर्म दुनिया में गर्मियों के लिए तैयार होने में मदद कर सकता है।
ओटावा विश्वविद्यालय की टीम ने की रिसर्चकनाडा के ओटावा विश्वविद्यालय में गर्मी को लेकर एक एक्सपेरिमेंट किया गया। कनाडा के ओटावा विश्वविद्यालय की टीम ने 12 स्वयंसेवकों को अत्यधिक गर्मी और ह्यूमिडिटी के संपर्क में रखा, ताकि उस बिंदु की पहचान की जा सके, जिस पर धमौरेग्यूलेशन में कैसे कोई व्यक्ति स्थिर शरीर का तापमान बनाए रखने में सक्षम होता है।
प्रतिभागियों को 57 प्रतिशत ह्यूमिडिटी के साथ 42 डिग्री सेल्सियस के संपर्क में रखा गया, जो 62 डिग्री सेल्सियस के ह्यूमिडेक्स या 'सच्चे अनुभव' को दर्शाता है।
क्या कहता है डाटा?ओटावा विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता राबर्ट डी मीड ने कहा कि इसके परिणाम स्पष्ट थे। प्रतिभागियों का मुख्य तापमान लगातार ऊपर की और बढ़ता रहा और कई प्रतिभागी नौ घंटे का एक्सपोजर पूरा नहीं कर पाए। यह डाटा थर्मल स्टेप प्रोटोकाल की पहली प्रत्यक्ष मान्यता प्रदान करते हैं, जिसका इस्तेमाल लगभग 50 सालों से धमौरेग्यूलेशन की ऊपरी सीमाओं का अनुमान लगाने के लिए किया जाता रहा है।
ज्यादा तापमान पर की गई रिसर्चप्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में लेखकों ने लिखा, यह अनुमान लगाया गया था कि हीट स्ट्रोक (40.2 डिग्री सेल्सियस) से जुड़े कोर तापमान 10 घंटे के अंदर हो जाएंगे।
घर्मल स्टेप प्रोटोकाल में व्यक्तियों को उनके धीरेग्यूलेशन और जीवित रहने की सीमाओं का आकलन करने के लिए नियंत्रित, बढ़ते तापमान और आर्द्रता के संपर्क में लाना शामिल है। टीम ने कहा कि यह रिसर्च मनुष्यों की अत्यधिक गर्मी को झेलने की सीमाओं को समझने में मदद कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य नीतियों और सार्वजनिक सुरक्षा उपायों का मार्गदर्शन हो सकता है और शहरों को अधिक गर्म गर्मियों के लिए तैयार होने में मदद मिल सकती है।
अधिक गर्मी और ह्यूमिडिटी के अनुभव होने का अनुमान: मीड ने कहा, हमारे निष्कर्ष विशेष रूप से समय पर हैं क्योंकि धर्मरिग्यूलेशन के लिए अनुमानित सीमाओं को बड़े पैमाने पर जलवायु माडलिंग में तेजी से शामिल किया जा रहा है। वे अत्यधिक गर्मी के लंबे समय तक संपर्क के दौरान अनुभव किए जाने वाले शारीरिक तनाव को भी रेखांकित करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक आम होता जा रहा है।
गर्मी से संबंधित समस्याओं के लिए भविष्यवाणीओटावा विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान संकाय में फिजियोलाजी के प्रोफेसर और सह प्रमुख रिसर्चर ग्लेन केनी ने कहा, जलवायु मॉडल के साथ शारीरिक डाटा को एकीकृत करके हम गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बेहतर भविष्यवाणी और तैयारी करने की उम्मीद करते हैं। दुनिया के कई क्षेत्रों में मनुष्यों के लिए सुरक्षित माने जाने वाले तापमान से अधिक गर्मी और आर्द्रता का अनुभव होने का अनुमान लगाया गया है।
लंदन के किंग्स कालेज के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया की लगभग छह प्रतिशत भूमि पर युवा वयस्कों के लिए सहनीय सीमा से अधिक गर्मी की स्थिति देखी जा सकती है, जबकि वृद्धों को अधिक जोखिम होगा। फरवरी में नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, दक्षिण एशिया सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक होने की उम्मीद है।
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में आज होगा पेश, विरोध की तैयारी में विपक्ष; जानिए क्या-क्या होंगी चुनौतियां
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। सभी दलों से व्यापक विमर्श के बाद वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। लगभग तय माना जा रहा है कि यह बुधवार को ही पारित हो जाएगा। इस दौरान भारी हंगामा होने के आसार हैं, क्योंकि विपक्ष के कई दल इसके पक्ष में नहीं हैं।
जदयू-तेदेपा सरकार के साथहालांकि सत्तारूढ़ राजग के प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) एवं तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा) समेत अन्य पार्टियां भी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी हैं और विधेयक के समर्थन में मतदान करेंगी। सदन में सत्ता पक्ष के पास संख्या भी पर्याप्त है। ऐसे में माना जा रहा है कि विधेयक को दोनों सदनों में आसानी से पारित करा लिया जाएगा।
संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि विधेयक के समर्थन में राजग के सभी दल पूरी तरह एकजुट हैं। यहां तक कि उन्होंने विपक्ष के भी कई सांसदों का समर्थन प्राप्त होने का दावा किया। रिजिजू ने बताया कि 12 बजे प्रश्नकाल समाप्त होने के तुरंत बाद वह विधेयक पेश करेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह रहेंगे सदन में मौजूदलोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में मंगलवार को सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे चर्चा के लिए सहमति बनी है, जिसे सदन की भावना के अनुरूप बढ़ाया भी जा सकता है। हालांकि कांग्रेस एवं कई अन्य विपक्षी दलों ने अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए बैठक से बहिर्गमन किया। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं।
सरकार ने पिछले वर्ष आठ अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसे जगदंबिका पाल के नेतृत्व में बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विचारार्थ भेज दिया गया था। वक्फ संशोधन विधेयक में जेपीसी ने राजग के सहयोगी दलों द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल किया है।
सांसदों के लिए व्हिप भी जारीइसी का नतीजा है कि तेदेपा, जदयू, शिवसेना, लोजपा (रामविलास) हम, रालोद जैसे सभी सहयोगी दलों ने विधेयक के समर्थन की घोषणा कर दी है और अपने-अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिए हैं। जेपीसी ने मूल वक्फ संशोधन विधेयक में कुल 14 बदलावों का सुझाव दिया था, जिन्हें नए संशोधन विधेयक में शामिल कर लिया गया है।
संशोधनों के बाद अब इसे फिर लोकसभा में पेश किया जा रहा है। चूंकि यह सामान्य विधेयक है, इसलिए सत्ता पक्ष को इसे पारित कराने के लिए सदन में उपस्थित सदस्यों के सिर्फ बहुमत की ही जरूरत होगी।
आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर का मत स्पष्ट नहींसदन में सदस्यों की संख्या के हिसाब से राजग के पक्ष में स्पष्ट बहुमत दिख रहा है। लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या अभी 542 है, जबकि एक सीट रिक्त है। सदन में अकेले भाजपा के 240 सदस्य हैं और सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 293 सदस्य हैं। जबकि विपक्षी खेमे के सदस्यों की संख्या सिर्फ 237 है। कुछ ऐसे भी दल और निर्दलीय सदस्य हैं, जिन्होंने अभी तक अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। इनमें आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर शामिल हैं।
वॉकआउट कर सकता है विपक्षभाजपा का दावा है कि इनमें से भी अधिकतर का समर्थन उसे हासिल है। देखना रोचक होगा कि विपक्षी दलों में संख्या कितनी पहुंचती है क्योंकि माना जा रहा है कि विपक्ष के कुछ सदस्य सदन से वॉकआउट कर सकते हैं। विधेयक पेश करने की सरकार की घोषणा के बाद विपक्षी नेताओं ने मंगलवार शाम संसद भवन में एक बैठक की।
आइएनडीआइए के दलों ने संयुक्त बैठक के बाद कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार के विभाजनकारी एजेंडे को परास्त करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट है। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने अपने सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी कर दिया है।
राज्यसभा में गुरुवार को हो सकता है पेशलोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में विधेयक गुरुवार को पेश किए जाने की संभावना है। उच्च सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी इस पर चर्चा के लिए आठ घंटे निर्धारित किए गए हैं। राज्यसभा में वर्तमान में कुल 236 सदस्य हैं। विधेयक पारित कराने के लिए सत्ता पक्ष को कुल 119 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी।
भाजपा के 98 सदस्यभाजपा के 98 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 19 सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त छह मनोनीत सदस्य हैं। दो निर्दलीय सदस्यों का भी समर्थन भाजपा के पक्ष में है। इस तरह सत्तापक्ष को कुल 125 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत से छह ज्यादा हैं। दूसरी ओर विपक्षी खेमे में कांग्रेस के 27 सदस्य हैं और अन्य दलों के 60 सदस्य हैं।
विपक्ष की संख्या पहुंच रही 88एक निर्दलीय को मिलकर कुल संख्या 88 तक ही पहुंच पा रही है। इसके अतिरिक्त वाईएसआर के सात, बीजद के नौ एवं अन्य छोटे दलों के सात सदस्यों ने अभी अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। उधर, कैथोलिक बिशप्स कान्फ्रेंस ऑफ इंडिया के बाद चर्च ऑफ भारत ने भी मंगलवार को विधेयक को अपना समर्थन दे दिया।
लोकसभा में वर्तमान सदस्य -542सत्ता पक्ष दल सदस्यों की संख्या भाजपा 240 तेदेपा 16 जदयू 12 शिवसेना 07 लोजपा(आर) 05 जदएस 02 जनसेना 02 रालोद 02 अन्य 07 कुल 293 विपक्ष दल सदस्य कांग्रेस 99 समाजवादी पार्टी 37 तृकां 28 द्रमुक 22 शिवसेना (यूबीटी) 09 वामदल 08 राकांपा (शरद) 08 राजद 04 आप 03 झामुमो 03 आइयूएमएल 03 नेशनल कान्फ्रेंस 02अन्य- 11
कुल- 237
(कुल दलों ने अभी पक्ष या विपक्ष में जाने का निर्णय नहीं लिया है। उनकी संख्या 12 है।)
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दिल्ली-यूपी, राजस्थान समेत इन राज्यों में पारा 40 के पार, कुछ में आंधी-बारिश का अलर्ट; पढ़ें IMD का अपडेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में मौसम का मिजाज बदल रहा है। कहीं तेज हवा, कहीं गर्मी, कहीं बूंदाबांदी तो कहीं लू देखने को मिल रही है। वहीं मौसम विभाग ने गर्मी को लेकर अपडेट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार 2 अप्रैल 2025 को उत्तर भारत के कई हिस्सों में गर्मी बढ़ने का अनुमान है।
दिल्ली NCR के लोगों पर गर्मी का सितम बढ़ रहा है। तापमान 2 से 3 डिग्री तक बढ़ सकता है। दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश,राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में अगले कुछ दिनों में पारा 30 ही नहीं बल्कि 40 डिग्री तक जा सकता है, जिसके चलते अप्रैल में ही लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। महाराष्ट्र, गोवा, केरल समेत 6 राज्यों में तेज बारिश की संभावना है।
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— India Meteorological Department (@Indiametdept) April 1, 2025इन राज्यों में चलेंगी तेज हवाएं- अगले 24 घंटे के दौरान विदर्भ, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट, गोवा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में 40-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी।
- इनमें से कई राज्यों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया गया है, वहीं 3-6 अप्रैल के बीच केरल और कर्नाटक में भारी बारिश हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी होने से दिन के समय गर्मी और बढ़ सकती है। बुधवार को भी प्रदेश में मौसम साफ रहने के कारण गर्मी पड़ सकती है। हालांकि 24 घंटे बाद प्रदेश का मौसम पूरी तरह से बदल सकता है।
दो दिन में होगी बारिश3 अप्रैल को प्रदेश के दोनों हिस्सों में बूंदाबांदी के साथ ही हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। लेकिन इसके बाद फिर से प्रदेश में गर्मी का सिलसिला जारी हो सकता है।
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Waqf Bill: वक्फ बिल पर उद्धव ठाकरे की पार्टी का क्या है स्टैंड? विपक्षी नेताओं की संयुक्त बैठक में बना सीक्रेट प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन वक्फ संशोधन विधेयक पर लोकसभा में बुधवार को सियासी संग्राम के लिए तैयार है। वक्फ संशोधन बिल पेश करने की सरकार की घोषणा के बाद संसद में विपक्षी दलों के नेताओं की मंगलवार शाम हुई बैठक में तय हो गया कि संसदीय समिति में अपने खारिज हुए प्रस्तावों को विपक्ष सदन के पटल पर बिल में संशोधन के लिए देगा।
आइएनडीआइए गठबंधन वक्फ बिल का विरोध करेगाभाजपा-एनडीए सरकार सदन में विपक्षी सांसदों के संशोधनों को स्वीकार नहीं करेगी तो स्वाभाविक रूप से आइएनडीआइए गठबंधन वक्फ बिल का विरोध करेगा। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने अपने सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी कर साफ संकेत दे दिया है कि इस मसले पर आइएनडीआइए गठबंधन सरकार को आसान राह नहीं देगा।
आइएनडीआइए के दलों ने संयुक्त बैठक के बाद ताल ठोकते हुए कहा है कि वक्फ बिल पर मोदी सरकार के विभाजनकारी एजेंड़े को परास्त करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट है।
सरकार द्वारा ला जा रहे वक्फ बिल पर अपने विपक्षी दलों ने अपना एतराज जाहिर करते हुए साफ कहा है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाते हुए वक्फ पर नियंत्रण के मकसद से सरकार संशोधन बिल को पारित करना चाहती है।
विपक्षी नेताओं ने बैठक में बनाई रणनीतिसंसदीय कार्यमंत्री की ओर से वक्फ बिल लोकसभा में पेश करने की आधिकारिक घोषणा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष तथा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में संसद परिसर में विपक्षी नेताओं की शाम को संयुक्त रणनीति बनाने के लिए बैठक हुई।
बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी दलों की संसद में संयुक्त रणनीति के लिए यह पहली बैठक थी जिसमें वक्फ बिल पर आइएनडीआइए के दलों ने दोनों सदनों में पूरे समन्वय के साथ एकजुट होकर बिल के मौजूदा पारूप का विरोध करने का फैसला किया।
मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट कर साधा निशानाविपक्षी नेताओं की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पोस्ट में इसका एलान करते हुए कहा 'सभी विपक्षी दल एकजुट हैं और वक्फ संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार के असंवैधानिक और विभाजनकारी एजेंडे को हराने के लिए संसद में मिलकर काम करेंगे।'
विपक्षी नेताओं के संग वक्फ बिल पर विस्तृत चर्चा हुईराहुल गांधी ने बैठक के बाद एक पोस्ट में केवल इतना कहा कि विपक्षी नेताओं के संग वक्फ बिल पर विस्तृत चर्चा हुई। विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा, शिवसेना यूबीटी की प्रियंका चुतर्वेदी समेत आइएनडीआइए के लगभग सभी घटक दलों के नेता शामिल हुए।
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अदालतों के पास ब्याज दर तय करने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने कराया 52 साल लंबी कानूनी लड़ाई का खात्मा
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अदालतों को ब्याज दर तय करने और यह कब से देय होगा तय करने का अधिकार है। यह अधिकार हर मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है कि ब्याज मुकदमा दायर करने की तारीख, या इससे पहले या डिक्री की तिथि से देय होगा।
52 साल लंबी कानूनी लड़ाई का हुआ खात्माजस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह टिप्पणी 52 साल लंबी कानूनी लड़ाई का खात्मा करने के दौरान आदेश में की, जिसमें राजस्थान सरकार बनाम आइके मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड समेत निजी पक्षों के बीच राज्य सरकार को दिए गए शेयर के मूल्यांकन पर विवाद था।
लागू ब्याज दरों को भी संशोधित कियापीठ ने शेयरों के मूल्य को लेकर भुगतान में की गई देरी पर लागू ब्याज दरों को भी संशोधित किया। 32 पन्नों के फैसले में जस्टिस महादेवन ने कहा कि यह पूरी तरह साफ है कि अदालतों के पास कानून के अनुसार सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए उचित ब्याज दर निर्धारित करने का अधिकार है।
निजी फर्म ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें मेसर्स रे एंड रे द्वारा शेयरों के 640 रुपये प्रति शेयर की कीमत को बरकरार रखते हुए पांच प्रतिशत प्रति वर्ष का साधारण ब्याज दर प्रदान किया था। निजी फर्म ने ब्याज में बढ़ोतरी की मांग की, तो राज्य सरकार ने कीमत को चुनौती दी।
1973 में दायर किया गया था मुकदमा1973 के इस विवाद में राजस्थान राज्य खान और खनिज लिमिटेड के शेयर अपीलकर्ताओं द्वारा राज्य को हस्तांतरित किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने भुगतान में देरी पर विचार किया और आदेश दिया कि अपीलकर्ता ब्याज के रूप में उचित मुआवजे के हकदार हैं।
छह प्रतिशत साधारण ब्याज देने का आदेश दिया थाकोर्ट ने 8 जुलाई 1975 से डिक्री की तारीख तक छह प्रतिशत साधारण ब्याज देने का आदेश दिया। इसने आगे कहा कि भुगतान प्राप्ति तक डिक्री तिथि से नौ प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज का भुगतान किया जाएगा। राजस्थान सरकार दो महीने के भीतर बढ़ी हुई मूल्यांकन राशि का भुगतान करे।
घरों को मनमाने ढंग से गिराना अमानवीय और गैरकानूनी : सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए घरों को गिराने की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अमानवीय और गैरकानूनी करार दिया है।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की बुलडोजर कार्रवाई ने हमारे आत्मा को झकझोर दिया है। विकास प्राधिकरणों को याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया भी कोई चीज होती है।
पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेशकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह छह सप्ताह के भीतर उन छह पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा प्रदान करे, जिनके घर मार्च 2021 में अवैध निर्माण के नाम पर ढहा दिए गए थे।
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Waqf Bill: लोकसभा में आज पेश होगा वक्फ बिल, क्या है संसद का नंबर गेम?
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक प्रत्यक्ष तौर पर वक्फ संपत्ति से जुड़ा मुद्दा है, लेकिन राजनीतिक दल बारीकी से इस पर भी नजर जमाए हैं कि वोटों के गुणा-भाग पर यह कितना असर डाल सकता है। पाला खींचकर निस्संकोच खड़ी भाजपा का तार्किक पक्ष है कि वह वक्फ कानून की विसंगतियों को दूर कर गरीब और पिछड़े मुस्लिमों का भला चाहती है।
इस तर्क से सहमति जताते हुए राजग सरकार के प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सरकार का समर्थन तो कर रहे हैं, लेकिन सधे शब्दों में दलों की पुरानी ''सेक्युलर छवि'' को बचाए-बनाए रखने की चिंता झलकती है।
मुस्लिम वर्ग को विपक्ष क्या देना चाहता संदेश?वहीं, विपक्षी खेमे से विधेयक के विरोध का सुर साझा है। निस्संदेह उनका दमखम विधेयक के बहुमत से पारित की राह में कोई रोड़ा नहीं बन सकता, लेकिन मुस्लिम वर्ग को यह संदेश देने का प्रयास संभावित है कि कौन कितना लड़ा, क्योंकि वोटों की तराजू में तेवरों की तौल से ही आस है।
मुस्लिम वोट बैंक पर हर पार्टी की निगाहलोकसभा और राज्यसभा का अंक गणित स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन विधेयक की राह दोनों सदनों में निर्बाध है। अब सभी की नजरें राजनीतिक दलों के रुख पर है, क्योंकि देश के अधिकतर दलों के लिए मुस्लिम वोट बैंक एक बड़ा सहारा है। केंद्र सरकार या कहें कि भाजपा चाहती है कि इस विधेयक पर अधिक से अधिक चर्चा हो। अल्पसंख्यक व संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने स्पष्ट कहा है कि देश जानना चाहता है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर किस दल का क्या स्टैंड है। हजारों वर्षों तक यह रिकार्ड में भी रहेगा।
नीतीश-नायडू पर दबाव बनाना चाहते थे विपक्षइसके पीछे भाजपा की मंशा विपक्षी दलों को मुस्लिम तुष्टिकरण के कठघरे में खड़ा करने की दिखती है। मगर, विधेयक तो राजग सरकार ला रही है, जिसके प्रमुख घटक दल जदयू और तेदेपा भी हैं। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु, दोनों की छवि सेक्युलर नेताओं की रही है। विपक्षी इन्हीं दोनों पर दबाव बनाना चाह रहा था।
चूंकि, गठबंधन धर्म भी निभाना है, इसलिए दोनों दलों ने यह रुख तो स्पष्ट कर दिया कि वह पूरी तरह सरकार के साथ हैं और बिल का समर्थन करेंगे, लेकिन अपने शब्दों से मुस्लिम वर्ग को संदेश भी देने का प्रयास किया। जैसे कि लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता ललन ¨सह ने कहा कि जदयू या नीतीश को कांग्रेस के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है। मुस्लिमों के लिए जितना काम नीतीश सरकार ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया, जबकि विपक्ष के लिए सेक्युलर सिर्फ नारा है।
इसी तरह तेदेपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने बयान जारी किया कि तेदेपा विधेयक का समर्थन करेगी। साथ ही जोड़ दिया कि सीएम नायडु हमेशा कहते हैं कि मुस्लिमों के हितों की रक्षा करेंगे। हिंदू और मुस्लिम उनकी दो आंखें हैं। आशा है कि सरकार ने बिल में उनकी पार्टी के सुझावों को शामिल किया होगा। अब बचा विपक्षी खेमा तो इसमें होड़ दिख रही है कि कौन मुस्लिमों के पक्ष में कितनी मजबूती से खड़ा दिख सकता है।
गौरव गोगोई ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का किया बहिष्कारकांग्रेस खुले विरोध का ऐलान कर चुकी। सांसद गौरव गोगोई ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का बहिष्कार कर इसका संकेत दे दिया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव हों या प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव, वह कह चुके कि विधेयक का विरोध करेंगे, क्योंकि भाजपा सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ना चाहती है।
मुस्लिम राजनीति के प्रमुख चेहरे एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि नीतीश हों, नायडु हों, चिराग पासवान या जयंत चौधरी, जो भी बिल का समर्थन करेगा, उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा है कि संसद में बिल का पुरजोर विरोध करेंगे।
वहीं, उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम गठजोड़ को अपनी राजनीति का आधार बनाना चाह रहे भीम आर्मी प्रमुख के सांसद चंद्रशेखर ने संसद से सड़क तक संघर्ष का ऐलान किया है। ऐसे में तय है कि लोकसभा में यह मौका हंगामेदार होगा, लेकिन किसके तेवर कितने तीखे होंगे, यह देखने वाला होगा।
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भ्रष्टाचार के अड्डे बने हरियाणा की बार काउंसिलों के वकीलों के चैंबर्स, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा की बार काउंसिलों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये शर्मनाक कृत्यों और दुराचारों में लिप्त हैं। साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भी शामिल हैं।
जांच के लिए किया जा सकता है एसआइटी का गठनजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने संकेत दिया कि यदि आवश्यक हुआ तो एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया जाएगा जो इन काउंसिलों के मामलों की जांच करेगा, विशेषकर हरियाणा में बार काउंसिलों के बैंक खातों की।
पीठ ने कहा- ''इन राज्य बार काउंसिल के वकीलों के कार्यालय और चैंबर प्रॉपर्टी डीलरों और भ्रष्टाचार का केंद्र बन गए हैं। यह हमारे संज्ञान में आया है और हम इसे हल्के में नहीं लेंगे।'' यह सुनवाई एक वकील की याचिका पर हो रही थी, जिसने करनाल बार एसोसिएशन के चुनावों में अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी।
पीठ ने बार संघों को नोटिस जारी कियापीठ ने बार संघों को नोटिस जारी किया और करनाल बार एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील आरएस चीमा से कुछ अन्य प्रतिष्ठित वकीलों के नाम सुझाने को कहा, जो अस्थायी रूप से पद संभाल सकें। वरिष्ठ वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि चुनाव अधिकारी ने बिना वोटिंग के उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना हुआ घोषित कर दिया।
मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगीअधिवक्ता संदीप चौधरी ने कहा कि यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है। हुड्डा ने कहा कि उनके मुवक्किल को चुनाव में भाग लेने से रोका गया है। चौधरी ने बार काउंसिल आफ इंडिया में अपील की, जिसने उनकी अयोग्यता के आदेश को स्थगित कर दिया। पीठ ने कहा कि हरियाणा राज्य बार काउंसिल ''शर्मनाक संघ'' बन गई है। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विधेयक को संसद की मंजूरी, अमित शाह ने जताई खुशी
पीटीआई, नई दिल्ली। संसद ने देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विधेयक को मंजूरी दे दी है। गुजरात के आणंद में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने संबंधी विधेयक को राज्यसभा ने मंगलवार को ध्वनिमत से पारित किया। यह विधेयक लोकसभा से 26 मार्च को पारित हो चुका है।
विश्वविद्यालय का इनके नाम पर रखाविश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जो भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे और अमूल की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि यह सहकारी क्षेत्र के लिए पहला विश्वविद्यालय होगा और इस क्षेत्र में कार्यरत श्रमबल के क्षमता निर्माण तथा कुशल पेशेवरों की आवश्यकता को पूरा करेगा।
प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख प्रशिक्षित प्रोफेशनल तैयार होंगे'त्रिभुवन' सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण देना, क्षमता निर्माण करना, डिग्री कार्यक्रम, दूरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम वाले उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना और प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख प्रशिक्षित प्रोफेशनल तैयार करना है।
अमित शाह ने जताई खुशीअमित शाह ने एक्स पर पोस्ट किया कि आज का दिन देश के सहकारी क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है। मोदी जी के विजनरी नेतृत्व में ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025’ लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में भी पारित हो गया। सहकार, नवाचार और रोजगार की त्रिवेणी लाने वाले इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए मैं सभी सांसदों को बधाई देता हूँ।
देशभर के युवाओं को प्रशिक्षित करेंगेआगे कहा कि अब सहकारी शिक्षा भारतीय शिक्षा व पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनेगी और इस विश्वविद्यालय के माध्यम से देशभर के प्रशिक्षित युवा सहकारी क्षेत्र को अधिक व्यापक, सुव्यवस्थित और आधुनिक युग के अनुकूल बनाएँगे। सहकारी क्षेत्र से जुड़े सभी बहनों-भाइयों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत-बहुत आभार।
आज का दिन देश के सहकारी क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है।
मोदी जी के विजनरी नेतृत्व में ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025’ लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में भी पारित हो गया। सहकार, नवाचार और रोजगार की त्रिवेणी लाने वाले इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए मैं सभी सांसदों को बधाई देता…
मणिपुर में पीएम-किसान योजना में अनियमितताएं सामने आईं, केंद्र सरकार ने संसद में दी जानकारी
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में अपने लिखित उत्तर में कहा कि एक ऑडिट रिपोर्ट में मणिपुर में पीएम-किसान योजना के कार्यान्वयन में कुछ ''अनियमितताएं'' सामने आई हैं और राज्य सरकार ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कराई है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अयोग्य किसानों को हस्तांतरित की गई किसी भी राशि की वसूली करने का आदेश दिया गया है।
उन्होंने कहा, ''मणिपुर सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, महालेखाकार (एजी) ऑडिट रिपोर्ट में कुछ अनियमितताओं की सूचना दी गई थी। तदनुसार, राज्य ने मामले में एफआइआर दर्ज कराई है।'' फरवरी, 2019 में शुरू की गई पीएम-किसान योजना एक केंद्रीय योजना है जिसका उद्देश्य खेती योग्य भूमि वाले किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना है।
इस योजना के तहत किसानों को प्रत्यक्ष लाभअंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से आधार से जुड़े बैंक खातों में तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है। मंत्री ने कहा कि केंद्र ने शुरुआत से अब तक 19 किस्तों के माध्यम से 3.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है।
प्रतिबंधित चीनी लहसुन की बिक्री पर जांच के निर्देशरामनाथ ठाकुर ने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा नियामक (एफएसएसएआइ) को चेन्नई के बाजारों में प्रतिबंधित चीनी लहसुन की बिक्री के बारे में शिकायतें मिली हैं और उसने तमिलनाडु सरकार को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।
चीनी लहसुन के आयात पर सितंबर, 2005 से प्रतिबंध लगा हुआ है, जब इस उत्पाद में फंगस एम्बेलिसिया एली और यूरोसाइटिस सेपुले पाया गया था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) ने 2023-24 के दौरान 546 टन और 2024-25 के दौरान 507 टन चीनी लहसुन जब्त किया है।
संसद को बताया, वायनाड भूस्खलन में 298 की मौतगृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद को बताया कि पिछले साल केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन में कुल 298 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि केंद्र सरकार भूस्खलन सहित अन्य आपदाओं के कारण होने वाली मौतों/लापता व्यक्तियों का डाटा नहीं रखती है, लेकिन केरल सरकार ने उन्हें बताया कि वायनाड में भूस्खलन के कारण कुल 298 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 32 लापता व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया है।
सेप्टिक टैंक की सफाई के कारण दिव्यांगता की कोई घटना नहीं
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि 2014 से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में असुरक्षित सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के कारण दिव्यांगता की कोई घटना सामने नहीं आई है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने डाटा प्रस्तुत किया जिसमें बताया गया कि 2019 से सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के कारण 430 लोगों की मौत हुई है।
Kunal Kamra: कुणाल कामरा को राहत, तमिलनाडु की अदालत से मिली ट्रांजिट अग्रिम जमानत
आईएएनएस, चेन्नई। कॉमेडियन कुणाल कामरा को तमिलनाडु की एक कोर्ट से राहत मिल गई है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर किए गए एक मजाक के कारण कानूनी मामले झेल रहे कामरा को तमिलनाडु के वनूर में जिला मुंसिफ-सह-न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी है।
गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान करती है ट्रांजिट अग्रिम जमानतकुणाल कामरा ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें ट्रांजिट अग्रिम जमानत मांगी गई थी, जो उस क्षेत्राधिकार से अलग क्षेत्राधिकार में गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान करती है, जहां प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उनके मामले में, प्राथमिकी महाराष्ट्र के मुंबई में खार पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई में कुणाल कामरा को 7 अप्रैल तक गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
वनूर अदालत ने अनुरोधित राहत प्रदान कीन्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने कामरा को औपचारिक रूप से अपनी जमानत सुरक्षित करने के लिए वनूर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद, वनूर अदालत ने अनुरोधित राहत प्रदान की।
मुंबई पुलिस ने कामेडियन कामरा को जारी किया तीसरा समनमहाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में मुंबई पुलिस ने मंगलवार को स्टैंड-अप कामेडियन कुणाल कामरा को तीसरा समन जारी किया। इस मामले में खार पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने उन्हें समन जारी कर पांच अप्रैल तक अपने समक्ष पेश होने को कहा है। इससे पहले पुलिस उन्हें दो बार समन जारी कर चुकी है। लेकिन, वह एक बार भी हाजिर नहीं हुए।
यह मामला कामरा द्वारा महानगर के एक स्टूडियो में आयोजित एक शो में शिवसेना प्रमुख शिंदे के खिलाफ की गई तीखी टिप्पणियों से उपजा है। इसके विरोध में शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने स्टूडियो में तोड़फोड़ भी की थी।
कुणाल कामरा ने अपनी नई पोस्ट में बोला सरकार पर हमलास्टैंडअप कामेडियन कुणाल कामरा ने एक नई पोस्ट में सरकार पर अपने विरोध में उठी आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार अपने विरोध में उठी आवाज को दबाने के लिए ये तरीके अपनाती है।
पहला, इतना ज्यादा आक्रोश फैलाओ कि कोई ब्रांड उसके साथ काम करना ही बंद कर दे।
दूसरा, इतना ज्यादा विवाद पैदा कर दो कि निजी एवं कार्पोरेट शो भी रद कर दिए जाएं।
तीसरा, इतनी हिंसा फैला दो कि बड़े मंच भी उनको मौका देने से डरें।
चौथा, ये आक्रोश इतना फैलाओ की छोटे लोग भी उसके साथ काम करने से डरें।
पांचवां, कला को अपराध बना दो और उसके दर्शकों को भी पूछताछ के लिए बुलाओ। फिर तो दो ही विकल्प बचते हैं कि अपनी आत्मा बेचकर कठपुतली बन जाओ, या शांत बैठ जाओ।
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ISRO ने हासिल की एक और उपलब्धि, बिजली गिरने के बारे में पहले ही मिल सकेगा अलर्ट
पीटीआई, बेंगलुरु। आपके शहर या गांव में बिजली गिरने वाली है इसका पता आपको पहले ही चल जाएगा। इसरो ने बिजली गिरने की घटनाओं की भविष्यवाणी करने की क्षमता हासिल कर ली है।
इसरो ने मंगलवार को कहा कि भारतीय भूस्थिर उपग्रहों के डाटा का उपयोग करके भारत में बिजली गिरने की घटनाओं की तुरंत जानकारी देने (मौसम पूर्वानुमान) में सफलता मिली है। यह उपलब्धि इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) ने हासिल की है। उपग्रहों के डाटा की मदद से बिजली गिरने के लगभग ढाई घंटे पहले ही इस बारे में पता चल जाएगा।
क्यों होती है बिजली गिरने की घटना?इसरो के अनुसार वायुमंडलीय बिजली गिरने की घटना क्षोभमंडल में मौसम संबंधी मापदंडों की जटिल अंत:क्रियाओं के कारण होती है। एनआरएससी/इसरो के शोधकर्ताओं ने इनसेट-3डी उपग्रह से प्राप्त आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन (ओएलआर) डाटा में बिजली गिरने के संकेत देखे।
पूर्वानुमान कैसे लगाया जाएगा?ओएलआर में कमी बिजली गिरने की संभावित घटनाओं का संकेत है। इनसेट श्रृंखला के उपग्रहों से प्राप्त डाटा का उपयोग बिजली गिरने की घटनाओं के संकेतों का पता लगाने के लिए किया गया। बिजली गिरने की गतिविधि का पता लगाने में और पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार करने के लिए भूमि सतह तापमान (एलएसटी) और हवा जैसे अतिरिक्त मापदंडों को भी शामिल किया गया।
इन मापदंडों से इस बात का विश्वसनीय संकेत मिलता है कि बिजली की गतिविधि कब चरम पर होगी या कब कम होगी, जिससे बिजली की घटना और तीव्रता का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
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Karnataka: बैंक ने लोन देने से किया इनकार तो युवक ने बनाया चोरी का 'फिल्मी' प्लान, 17 किलो गोल्ड लूटकर फरार
पीटीआई, दावणगेरे। कर्नाटक के न्यामती में स्टेट बैंक चोरी की जांच से पता चला है कि मास्टरमाइंड विजय कुमार को बैंक अगस्त 2023 में 15 लाख रुपये लोन देने से मना कर दिया था। इससे वह बैंक से नाराज था। उसने अपनी आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए इस चोरी को अंजाम दिया।
खिड़की की लोहे की ग्रिल काटकर खुसे बैंक मेंविजय कुमार ने अपने भाई अजय कुमार और चार अन्य के साथ 28 अक्टूबर 2024 को एसबीआइ की न्यामती शाखा में खिड़की की लोहे की ग्रिल हटाकर बैंक के अंदर अंदर घुसे थे और 17.7 किलोग्राम सोना चोरी कर लिए।
यूट्यूब वीडियो देखकर प्लान बनायापुलिस ने बताया कि विजय कुमार तमिलनाडु का रहने वाला है और उसने कई सालों से न्यामती में अपनी मिठाई की दुकान खोली हुई थी। घटना को अंजाम देने के लिए उन्होंने टीवी सीरियल और फिल्मों के अलावा, यूट्यूब वीडियो देखकर प्लान बनाया।
ऐसे बनाई चोरी की योजनाउन्होंने गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ छह से नौ महीने तक सावधानीपूर्वक चोरी की योजना बनाई और अपनी हरकतों को छिपाने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरतीं। इस दौरान विजयकुमार ने साइलेंट हाइड्रोलिक आयरन कटर और गैस कटिंग उपकरण सहित कई उपकरण खरीदे।
विजयकुमार ने गैस कटिंग के लिए जो ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा था, उसके सीरियल नंबर भी मिटा दिया था। गिरोह बैंक के स्ट्रांग रूम के एक लाकर को गैस कटर से तोड़कर खाली करने के बाद बैंक परिसर में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज वाली डीवीआर भी अपने साथ ले गए थे।
पुलिस ने कहा कि गिरोह फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज, टोल डेटा और सेल फोन डेटा जैसे कोई सुबूत छोड़े बिना इस चोरी की घटना को अंजाम दिया था, लेकिन तकनीकी जांच के बाद आखिरकार आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। इसके साथ ही चोरी हुए सोने को तमिलनाडु के एक कुंए से बरामद कर लिया गया।
उप्र से जुड़े बैंक डकैती गिरोह का भी भंडाफोड़जांच के दौरान पुलिस ने उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के ककराला से जुड़े एक अन्य बैंक डकैती गिरोह का भी भंडाफोड़ किया, जो दक्षिण भारत में कई बैंक डकैतियों को अंजाम दे चुका है।
पुलिस ने कहा कि ककराला और पड़ोसी शहरों में बैंक डकैतों के लगभग पांच से छह गिरोह हैं जो देश भर में बैंक चोरी और डकैती करते हैं। इसने कहा कि नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच पुलिस टीमों ने गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई तलाशी अभियान चलाए।
पुलिस ने जारी किया बयानइस दौरान ककराला गिरोह के गुड्डू कालिया, असलम, हजरत अली, कमरुद्दीन और बाबू सहान को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान इन अपराधियों के तमिलनाडु और कर्नाटक में अन्य अपराधों में भी संलिप्त होने की जानकारी मिली है।
राज्यसभा में विमान उपकरणों में हितों की सुरक्षा विधेयक पारित, अंतरराष्ट्रीय हितों पर समझौते को कानूनी प्रभाव देने का प्रयास
पीटीआई, नई दिल्ली। राज्यसभा ने विमान उपकरणों में हितों की सुरक्षा विधेयक 2025 को पारित कर दिया है। यह विधेयक मोबाइल उपकरणों पर अंतरराष्ट्रीय हितों पर समझौते को कानूनी प्रभाव देने का प्रयास है। यह विधेयक केंद्र सरकार को सम्मेलन और प्रोटोकॉल के प्रविधानों को लागू करने के लिए नियम बनाने का अधिकार भी प्रदान करता है। इस कानून के अंतर्गत नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को सम्मेलन के उद्देश्य से पंजीकरण प्राधिकरण के रूप में नियुक्त किया गया है।
पंजीकरण प्राधिकरण विमान के पंजीकरण और पंजीकरण निरस्त्रीकरण के लिए भी जिम्मेदार होगा। विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू नागरिक उड्डयन बाजार है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में विमानन क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति देखी गई है।
उन्होंने कहा कि 2014 में कुल घरेलू यात्री बाजार 6.7 करोड़ था, जो अब बढ़कर 16.13 करोड़ हो गया है। अंतरराष्ट्रीय यात्री भी 2014 में 4.3 करोड़ से बढ़कर 2024 में 6.6 करोड़ से अधिक हो गए हैं।नायडू ने कहा कि देश में विमानों और हवाई अड्डों की संख्या भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि 2014 में देश में विमानों की संख्या लगभग 359 थी, जो अब बढ़कर 840 हो गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में कोई भी अन्य देश भारत की तरह विमानन क्षेत्र में पिछले दस वर्षों में इतनी ते•ाी से वृद्धि नहीं देख पाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी के हवाई यात्रा के सपने को पूरा करने के लिए हवाई चप्पल से हवाई जहाज का सफर का मंत्र दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दस वर्षों में राजग सरकार ने नागरिक उड्डयन क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
प्रमुख जिलों में कैंसर के 200 विशेष केंद्र स्थापित किए जाएंगेस्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि केंद्र ने डे केयर कैंसर सेंटर (डीसीसीसी) की स्थापना के लिए जिला अस्पतालों में कैंसर देखभाल के बुनियादी ढांचे, चिकित्सा कर्मियों और उपकरणों का जायजा लिया है। उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 के अनुसार, सरकार अगले तीन वर्षों में जिला अस्पतालों में डीसीसीसी स्थापित करने की योजना बना रही है, जिनमें से 200 केंद्र चालू वित्त वर्ष में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।
पिछले वित्त वर्ष में 198.65 लाख टन चावल का निर्यातखाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बंभानिया ने कहा कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष के 25 मार्च तक 198.65 लाख टन चावल का निर्यात किया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 163.58 लाख टन के निर्यात को पार कर गया है। राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि कृषि-वस्तुओं का घरेलू उत्पादन, उनकी उपलब्धता और आयात/निर्यात पर सरकार द्वारा कड़ी निगरानी रखी जाती है।
खाद्य वितरण एप्स के खिलाफ मिलीं 21,042 शिकायतेंखाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों में खाद्य नियामक (एफएसएसएआइ) के पास आनलाइन खाद्य वितरण एप्स के खिलाफ 21,000 से अधिक उपभोक्ता शिकायतें दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि एफएसएसएआइ वर्ष भर ई-कामर्स प्लेटफार्म के माध्यम से निर्माताओं/विक्रेताओं, होटलों और रेस्तरां आदि द्वारा आनलाइन बेचे जाने वाले खाद्य उत्पादों की नियमित निगरानी और निरीक्षण करता है।
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गुवाहाटी में 'श्री विद्या कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ' का होगा आयोजन, वाराणसी से विद्वान पुरोहितों का भी होगा आगमन
जेएनएन, नई दिल्ली। असम के गुवाहाटी में देश के वरिष्ठ संत स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के सानिध्य में श्री विद्या कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। गुवाहाटी एसआरसीबी रोड स्थित सांगानेरिया धर्मशाला में ये महायज्ञ होगा।
देश के वरिष्ठ संत स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के सानिध्य में आगामी 2 अप्रैल से 6 अप्रैल तक श्री विद्या कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ का आयोजन किया जाना है। यह महायज्ञ देश के प्रगति, विश्व शांति और लोक कल्याण के ध्येय से आयोजित है।
महायज्ञ में कौन होगा शामिल?इस महायज्ञ में वाराणसी से विद्वान पुरोहितों का आगमन हो रहा है जो महायज्ञ को संपन्न कराएंगे। श्री विद्या कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति होगी।श्री ललिता सहस्त्रनाम के मंत्रों का एक करोड़ बार पाठ सुहासिनी महिलाओं और श्रद्धालुओं के द्वारा किया जाएगा और भगवती को प्रसन्न करने हेतु कुमकुम से अर्चन होगा।
गुवाहाटी में दूसरी बार होगी ये महायज्ञस्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने इससे पूर्व यह महायज्ञ नई दिल्ली, कोलकाता, प्रयागराज, वाराणसी, गुवाहाटी, मुंबई, चेन्नई, कांचीपुरम, हैदराबाद, इंदौर सहित देश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों में आयोजित किया है।
माता ललिता का यह अति विशिष्ट महाअनुष्ठान पूरे विधि विधान से आयोजित किया जाएगा। गुवाहाटी में यह आयोजन स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के सानिध्य में दूसरी बार हो रहा है।
'संसद में मौजूद रहें सभी सांसद', लोकसभा में कल पेश होगा वक्फ बिल; BJP ने जारी किया व्हिप
एएनआई, नई दिल्ली। 02 अप्रैल यानी बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। अभी तक की जानकारी के अनुसार यह बिल लोकसभा में दोपहर 12 बजे पेश होगा। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में विधेयक को पेश करने की जानकारी दी गई।
लोकसभा में वक्फ विधेयक के पेश होने से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सभी लोकसभा सांसदों को कल यानी 02 अप्रैल को संसद में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। इधर, विपक्ष ने इस बिल पर चर्चा के लिए 12 घंटे के समय की मांग की है।
'वक्फ बोर्ड में काफी सुधार की आवश्यकता'बता दें कि बुधवार को लोकसभा में बिल के पेश होने से पहले बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। इस बीच उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर अच्छे काम का विरोध होता है। ठीक ऐसे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने विरोध करने वालों से पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड ने मुसलमानों का कल्याण किया है? योगी ने आगे कहा कि इसमें सुधार समय की जरूरत है। वक्फ बोर्ड निजी स्वार्थ और सरकारी जमीन पर जबरन कब्जे का साधन बन गया है।
कांग्रेस मुसलमानों को कर रही गुमराह: BJPवहीं, वक्फ संशोधन विधेयक पर भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर गलतफहमियां पैदा की जा रही हैं। कांग्रेस और अन्य दल मुसलमानों को गुमराह करने और भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे सीएए को लेकर मुसलमानों को गुमराह किया गया और शाहीन बाग में प्रदर्शन हुए, वैसे ही वही लोग वक्फ अधिनियम को लेकर मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि मस्जिद, दरगाह और अन्य धार्मिक स्थल सरकार द्वारा छीन लिए जाएंगे। मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं ताकि किसी के बहकावे में न आऊं। इस विधेयक का उद्देश्य केवल वक्फ संपत्ति पर माफियाओं के एकाधिकार को खत्म करना है।
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टीचर ने बेटी के पिता के साथ बनाए अवैध संबंध, फिर वीडियो दिखाकर किया ब्लैकमेल; मांगे 20 लाख
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बेंगलुरु की एक शिक्षिका को एक छात्र के माता-पिता को ब्लैकमेल करने और उनसे पैसे ऐंठने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, बताया जा रहा है टीचर का छात्र के पिता साथ अफेयर चल रहा था।
केंद्रीय अपराध शाखा ने 25 साल की टीचर श्रीदेवी रुदागी और दो अन्य गणेश काले उम्र 38 और सागर 28 को सतीश (पिता का नाम) से कथित तौर पर 4 लाख रुपये ऐंठने और फिर उनके तस्वीरों और वीडियो के साथ उसे 20 लाख रुपये के लिए ब्लैकमेल करने के आरोप में गिरफ्तार किया।
5 साल की बच्ची का स्कूल में कराया एडमिशनपुलिस के अनुसार, पश्चिमी बेंगलुरु के एक इलाके में अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ रहने वाले व्यापारी सतीश ने 2023 में अपनी सबसे छोटी बेटी, जिसकी उम्र 5 साल थी उसे स्कूल में दाखिला दिलाया था।
पिता ने एडमिशन प्रोसेस के दौरान टीचर रुदागी से मुलाकात की और इसके बाद वह दोनों एक दूसरे से संपर्क में रहे और उन्होंने एक अलग सिम कार्ड और फोन पर मैसेज और वीडियो कॉल पर बातचीच करनी शुरू कर दी। इसके बाद उनकी मुलाकातें प्राइवेट हो गईं।
कैसे लिए पिता से पैसे?इसके बाद रुदागी ने पिता से 4 लाख रुपए ऐंठ लिए। फिर जनवरी में उसने 15 लाख रुपए मांगे। जब पिता हिचकिचाए तो वह 50,000 रुपए उधार लेने के बहाने उनके घर गई। बाद में जब उनके बिजनैस में गिरावट आई तो पिता ने एक कठिन निर्णय लिया - अपने परिवार को गुजरात में ट्रांसफर करने का और उन्हें बच्चे के ट्रांसपर सर्टिफिकेट की आवश्यकता थी।
यह मार्च की शुरुआत में हुआ, पिता के अनुसार, स्कूल पहुंचने पर उन्होंने खुद को रुदागी के कार्यालय में पाया, जहां काले और सागर भी मौजूद थे। बाद वाले ने पिता को निजी तस्वीरें और वीडियो दिखाए और फिर 20 लाख रुपए मांगे और कहा उन्हें उनके परिवार को भेज दिया जाएगा।
पैसे के लिए आता रहा कॉलपिता ने कहा कि उन्होंने उनसे बातचीत करने की कोशिश की और 1.9 लाख रुपए के शुरुआती बातचीत के बाद 15 लाख रुपए पर डील की। लेकिन मांगें जारी रहीं।
17 मार्च को रुदागी ने उन्हें फोन करके पेमेंट की याद दिलाई, साथ ही 5 लाख रुपए पूर्व पुलिस अधिकारी के लिए, एक-एक लाख रुपए सागर और काले के लिए, तथा बाकि 8 लाख रुपए उसके लिए।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की तुषार गांधी की याचिका, साबरमती आश्रम के अधिग्रहण के खिलाफ की थी अपील
आईएएनएस, नई दिल्ली। गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने सितंबर 2022 में साबरमती आश्रम के पुनर्विकास को हरी झंडी दी थी। इस परियोजना पर 1200 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। तुषार गांधी ने अपनी याचिका में इस परियोजना को ही चुनौती दी थी।
याचिका में कहा गया कि विकास के नाम पर साबरमती आश्रम का सरकारी अधिग्रहण गांधीवाद की भावना और लोकाचार के विपरीत है। यह कदम संविधान के अनुच्छेद 39 के विरुद्ध है, जो धन संचय की रोकथाम पर जोर देता है। संविधान के अनुच्छेद 49 के भी विरुद्ध है। इसके तहत राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों के संरक्षण पर दिया जाता है।
आश्रम सादगी का प्रतीकयाचिका में कहा गया कि महात्मा गांधी ने आश्रम का डिजाइन स्वयं तैयार किया था। यह सादगी, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक जीवन का प्रतीक है। आश्रम प्रकृति के साथ स्थिरता और सद्भाव के गांधीवादी सिद्धांतों का उदाहरण है। साबरमती आश्रम महात्मा गांधी की विरासत और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका का प्रमाण है।
हाई कोर्ट से लग चुका झटका
याचिका में आगे कहा गया कि पुनर्विकास कार्य को चुनौती देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। सरकारी प्रस्ताव को रद करने की मांग की गई थी। मगर गुजरात उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक अपील दाखिल की गई थी।
परियोजना से आश्रम को सीधे खतरायाचिका में यह भी कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत का आश्रम की गरिमा और पवित्रता को पुनर्विकास परियोजना से सीधा खतरा है। विकास के नाम पर किसी अन्य मानवीय उद्देश्य के बजाय सार्वजनिक धन का दुरुपयोग गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
1917 में की गई थी स्थापनामहात्मा गांधी ने 1917 में साबरमती आश्रम की स्थापना की थी। 2 फरवरी 1926 को महात्मा गांधी और मगनलाल खुशालचंद ने एक ट्रस्ट डीड के माध्यम से सत्याग्रह आश्रम ट्रस्ट का गठन किया। याचिका में कहा गया है कि 30 सितंबर 1933 को गांधी ने घनश्यामदास बिड़ला को संबोधित एक पत्र के जरिए सत्याग्रह आश्रम को हरिजन सेवक संघ को सौंप दिया।
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'ये अमानवीय और अवैध...', प्रयागराज में बुलडोजर कार्रवाई पर SC सख्त; 10-10 लाख का मुआवजा देने का निर्देश
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रयागराज में घरों पर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम न्यायालय ने यूपी सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए इस कार्रवाई को 'अमानवीय और अवैध' बताया।
देश में कानून का राज, ऐसा नहीं चलेगातोड़फोड़ की कार्रवाई "अमानवीय" करार देते हुए जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि देश में कानून का शासन है और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं ढहाया जा सकता।
पीठ ने कहा,
इस कार्रवाई ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है। आश्रय का अधिकार, कानून की उचित प्रक्रिया जैसी कोई चीज होती है।"
10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देशशीर्ष अदालत ने प्राधिकरण को छह सप्ताह के भीतर प्रत्येक घर के मालिकों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। अदालत ने पहले प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना तोड़फोड़ की कार्रवाई को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि इससे गलत संकेत गया है।
वकील का दावा- अतीक अहमद की जमीन समझ किया ध्वस्तउधर, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने गलत तरीके से मकानों को ध्वस्त किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह सोचकर इसे ध्वस्त किया कि यह जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, जो 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके मकान ध्वस्त कर दिए गए थे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस विध्वंसक कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ताओं को कथित तौर पर प्रयागराज जिले के लूकरगंज में कुछ निर्माणों के संबंध में 6 मार्च 2021 को नोटिस दिया गया था।
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