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इस चीनी एप ने दिखाया भारत का गलत नक्शा, सरकार ने गूगल को प्ले स्टोर से हटाने का दिया निर्देश
आईएएनएस, नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गूगल को प्ले स्टोर से चीनी चैट एप एबलो को हटाने का निर्देश दिया है। इस पर दिखाया गया भारत का नक्शा सही नहीं है।
सरकार ने नोटिस में कहा है कि चीनी वीडियो चैट प्लेटफार्म ने केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है और अपने मानचित्र से लक्षद्वीप को पूरी तरह से हटा दिया है।
गूगल प्ले स्टोर से इसे दस हजार से अधिक लोगों ने किया डाउनलोडप्ले स्टोर पर इसे 10000 से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि गूगल ने आदेश का अनुपालन कर लिया है, क्योंकि एप के प्ले स्टोर पेज पर अब यह संदेश दिखाई दे रहा है कि हमें खेद है, अनुरोधित यूआरएल इस सर्वर पर नहीं मिला। यह एप अब भारतीय यूजर्स के लिए एपल के एप स्टोर पर भी उपलब्ध नहीं है।
केंद्र सरकार ने गूगल को जारी किया नोटिसगूगल को भेजे नोटिस में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि प्ले स्टोर पर उपलब्ध एबलो एप में दर्शाए गए नक्शे में भारत की बाहरी सीमा को गलत तरीके से दर्शाया गया है। यह भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालता है।
आईटी नियम 2021 का पालन न करने पर लगाई फटकारइसी तरह 2021 में ट्विटर (अब एक्स) को सरकार ने आईटी नियम 2021 का पालन न करने पर फटकार लगाई थी। तत्कालीन ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने भारत के नक्शे को गलत तरीके से दर्शाने के आरोप में मामला दर्ज किया था।
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'चार हफ्ते का समय देता हूं, कहीं से भी...', बाल तस्करी मामले पर SC ने दिल्ली पुलिस को दिया सख्त अल्टीमेटम
एएनआई, नई दिल्ली। देश में बाल तस्करी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि देश में बच्चों की तस्करी स्थिति बदतर होती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को अपहृत नवजात शिशुओं को खोजने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि दिल्ली के अंदर और बाहर नवजात शिशुओं का अपहरण करने और उन्हें बेचने में शामिल गिरोहों के मुद्दे की जांच के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
कोर्ट ने पुलिस को दिए सख्त आदेशसुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को चार सप्ताह का समय देते हुए कहा कि वह बाल तस्करी में शामिल गिरोह के सरगना और अपहृत शिशुओं का पता लगाए और प्रगति के बारे में अदालत को सूचित करे।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, "वे (बाल तस्करी गिरोह) समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। (बच्चों की) खरीद-फरोख्त बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। आपको नहीं पता कि वे कहां पहुंच जाते हैं। अगर कोई लड़की है तो आपको पता है कि वह कहां पहुंच जाएगी। यह बहुत गंभीर स्थिति है।"
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दिव्यांग लोगों पर टिप्पणी कर बुरे फंसे Samay Raina, SC ने रणवीर इलाहबादिया मामले में पक्षकार बनाने का दिया आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय स्टैंडअप कॉमेडियन और यूट्यूबर समय रैनी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दिव्यांग लोगों के संबंध में समय रैना की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगता और बीमारी पर चुटकुले बनाने पर समय रैना को पक्षकार बनाने को कहा है।
समय रैना ने अंधे व्यक्ति का उड़ाया था मजाकसुप्रीम कोर्ट ने समय रैना को रणवीर इलाहाबादिया मामले में पक्षकार बनाने आदेश दिए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना की क्लिप को रिकॉर्ड पर लिया है, जिसमें एक अंधे व्यक्ति के साथ ही दो महीने के शिशु का मजाक उड़ाया गया था, जिसे जीवित रहने के लिए 16 करोड़ इंजेक्शन की जरूरत थी।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम आरोपों से वास्तव में परेशान हैं। हम इन घटनाओं को रिकॉर्ड पर रखना चाहेंगे। यदि आपके पास ट्रांसक्रिप्ट के साथ वीडियो-क्लिपिंग है तो उन्हें लाएं। संबंधित व्यक्तियों को पक्षकार बनाएं और उपाय सुझाएं।
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खत्म हो जाएंगी नौकरियां तो फिर पढ़े-लिखे युवा क्या करेंगे? मार्केट एक्सपर्ट ने बताया- कैसा होगा भविष्य
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में पारंपरिक नौकरियां बीतने जमाने की बात होती जा रही हैं। मिडिल क्लास को जॉब सिक्योरिटी और सैलरी इनकम के भरोसे अच्छी जिंदगी गुजारने के भ्रम से बाहर निकलना चाहिए और उद्यमिता को आय का जरिया बनाना चाहिए। यह कहना है मार्सेलस इंवेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर सौरभ मुखर्जी का। उन्होंने कहना है कि इंडस्ट्री में मेहनती मध्यम वर्ग के लोग की जगह स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) लेगी।
सौरभ मुखर्जी ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में कहा कि भारत इस दशक एक नए आर्थिक दौर में प्रवेश कर रहा है। ऐसे में आशंका है कि मोटी तनख्वाह वाली पारंपरिक नौकरियों के मौक सीमित होंगे और पढ़े-लिखे लोगों के लिए नौकरियां भरोसेमंद आधार नहीं रह जाएंगी। इस दशक चौतरफा छंटनी होगी।
क्या खत्म हो जाएंगी नौकरियां?सौरभ मुखर्जी ने कहा, ''मुझे लगता है कि इस दशक सैलरीमैन और सैलरीवुमन के लिए चिंता की खबर है, क्योंकि वेतनभोगी नौकरियां खत्म होंगी। पढ़ें-लिखे, मेहतनी और दृढ़ निश्चयी लोगों के लिए पारंपरिक नौकरियों के अवसर धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।''
उन्होंने कहा कि अब वो पुराना मॉडल, जिसमें हमारे माता-पिता 30-30 सालों तक काम करते थे और रिटायर होते थे, यह सिस्टम अब अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। जिन नौकरियों ने भारत में मध्यम वर्ग तबका खड़ा किया, जिस रोजगार ढांचे के भरोसे मध्यम वर्ग लोन ले रहा है, वह अब टिकाऊ नहीं रह गया है।
इसकी दो वजह हैं-- पहली सभी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऑटोमेशन (AI based automation) पर काम कर रही हैं।
- दूसरी सभी उद्योगों में मिडिल मैनेजमेंट का दायरा दिन-ब-दिन सिकुड़ता जा रहा है।
मार्सेलस इंवेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर सौरभ मुखर्जी का कहना है कि जो काम पहले सफेदपोश कर्मचारी करते आ रहे थे, वह काम अब एआई द्वारा कराया जा रहा है।
उनके मुताबिक, गूगल का कहना है कि उसके यहां कोडिंग का एक तिहाई काम एआई कर रहा है। भारतीय आईटी सेक्टर, बैंकिंग, मीडिया और फाइनेंस सेक्टर में भी यही होने जा रहा है।
...तो फ्यूचर में क्या?सौरभ मुखर्जी कहते हैं, जनधन, आधार और मोबाइल (JAM trinity) की तिकड़ी ने निराशा के बीच भी उम्मीद की नई किरण दी है। यह तिकड़ी आगामी उद्यमियों के लिए मंच बन सकती है। इन तीनों संसाधन पर अच्छा खासा खर्च किया गया है ताकि गरीब और वंचित तबके के लोगों के लिए पहचान, बैंकिंग और सूचना उत्पादों तक आसान पहुंच प्रदान की जा सके।
उन्होंने कहा कि अगर हम जैसे कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरियां करते हैं, वैसे ही उद्यमिता में दिमाग लगाकर और मेहतन करके समृद्धि का नया इंजन बन सकते हैं।
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विशेषज्ञों ने दी यह सलाहसौरभ मुखर्जी ने कहा कि भारत में लोग नौकरी में टिके रहने और वेतन व प्रमोशन की दौड़ के पीछे पागल रहते हैं। हर परिवार की ख्वाहिश होती है कि उसके परिवार के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों के पास नौकरी हो ताकि हर महीने वेतन के पैसे आते रहें।
यानी कि हम लोग पैसे के पीछे भागने वाले लोग हैं। हम सफलता को पैसे के पैमाने पर तौलते हैं। यह सोच सदियों पुरानी है जो अभी भी नहीं बदली है। अब समय आ गया है हम सबको अपनी सोच बदलनी चाहिए।
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उन्होंने सलाह दी कि हम लोगों को खुशी और समाज पर अच्छा प्रभाव डालने के लिए काम करना चाहिए, न कि सिर्फ हर महीने आने वाली सैलरी के लिए। आपके और हमारे परिवारों को भी बच्चों को नौकरी लायक बनाने की तैयारी बंद कर देनी चाहिए, क्योंकि अब नौकरियां होंगी ही नहीं। इसलिए उनको बिजनेस के लिए तैयार कीजिए।
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