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Nitish Kumar: नीतीश कुमार को बड़ा झटका! अब इस दिग्गज नेता ने दिया JDU से इस्तीफा, कारण भी बताया
डिजिटल डेस्क, पटना। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जनता दल यूनाइटेड ने कमर कस ली है। जेडीयू बिहार की 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस सबके बीच नीतीश कुमार को बड़ा झटका भी लगा है। जदयू के दिग्गज नेता अली अशरफ फातमी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे को लेकर खुद जानकारी दी है।
#WATCH | Patna, Bihar: On his resignation from JDU, Former JDU leader Ali Ashraf Fatmi says, "I have resigned today. I have also resigned from the position of National General Secretary. The reason is not personal... The Mahagathbandhan government was running smoothly in Bihar.… pic.twitter.com/Uu9v2dO7wL
— ANI (@ANI) March 19, 2024अली अशरफ फातमी ने कहा, "मैंने आज इस्तीफा दे दिया है। मैंने राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी इस्तीफा दे दिया है। कारण व्यक्तिगत नहीं है... महागठबंधन सरकार बिहार में ठीक से चल रही थी। नीतीश कुमार की छवि स्थापित हो रही थी और उनके उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के कार्यों की भी सराहना हो रही थी"।
इसलिए छोड़ी पार्टीउन्होंने आगे कहा कि संविधान और भारत के भविष्य को बचाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इंडी गठबंधन चुनाव जीते। मैं इस बात से आहत था कि जदयू इंडी छोड़ एनडीए में चली गई और इसलिए मुझे पार्टी छोड़ने और अन्य विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा।
नोट- खबर को अपडेट किया जा रहा है।Lok Sabha Election 2024: मुंगेर के लिए निर्णायक होंगे पटना के 6 लाख मतदाता, यहां पढ़ें बाढ़ व मोकामा विधानसभा सीट की कहानी
व्यास चंद्र, पटना। Barh And Mokama Assembly: लोकसभा चुनाव में पटना के 49 लाख से अधिक मतदाताओं पर तीन सांसद चुनने की जिम्मेदारी होगी। वे पटना के पटना साहिब और पाटलिपुत्र के अलावा मुंगेर सांसद के भी भाग्यविधाता बनेंगे।
राजधानी के कुल 14 विधानसभा क्षेत्रों में से दो बाढ़ एवं मोकामा मुंगेर लोकसभा के अंतर्गत ही आता है। इन दो विधानसभा में वोटरों की अच्छी-खासी संख्या है। ऐसे में इनकी निर्णायक भूमिका होगी।
साल 2009 में मुंगेर में जुड़े थे बाढ़ व मोकामा2009 में हुए परिसीमन के बाद मुंगेर में बाढ़ एवं मोकामा को जोड़ा गया। इससे पहले तक बाढ़ एक लोकसभा क्षेत्र था, लेकिन इसका अस्तित्व मिटने के बाद एक ओर पटना साहिब के नाम से लोकसभा क्षेत्र बना तो दूसरी ओर मुंगेर में पटना जिले के दो विधानसभा क्षेत्र आ गए।
छह लाख मतदाता लिखेंगे मुंगेर के प्रत्याशियों का भाग्यपटना में कुल 49 लाख 01 हजार 306 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 25,76,506 जबकि महिला वोटर 23,24,627 है। थर्ड जेंडर के 902 एवं सर्विस मतदाताओं की संख्या 12,833 है।
इनमें मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से बात करें तो मोकामा में 2,90,513 जबकि बाढ़ विधानसभा में 2,94,748 मतदाता हैं। इस तरह से दोनों की संख्या 5,85,261 होती है।
दोनों विधानसबभा क्षेत्रों में महिलाओं की संख्यादोनों विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर महिला वोटरों की संख्या करीब तीन लाख पहुंचती है। पिछले परिणामों को देखें तो एक से डेढ़ लाख तक का अंतर विजेता और दूसरे नंबर पर रहने वालों के बीच दिखा।
इस लिहाज से पटना जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता मुंगेर का नया सांसद चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बाढ़ एवं मोकामा का जातीय समीकरण मुंगेर लोकसभा पर खास असर डालता है।
साल 2004 से 2019 के चुनाव परिणाम2004 से लेकर 2019 तक के चुनाव परिणाम इसके उदाहरण हैं और 2004 में जदयू नेता ललन सिंह निर्वाचित हुए। परिसीमन के बाद अगले चुनाव में 2009 में ललन सिंह ने जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की।
2014 में वीणा देवी ने लोजपा के टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर ललन सिंह को जनादेश मिला।
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RJD समर्थकों ने बढ़ा दी Tejashwi Yadav की टेंशन! इस उम्मीदवार को लेकर राजद मुख्यालय के बाहर काटा बवाल, ये है मांग
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News In Hindi उम्मीदवारों को टिकट देने न देने के मुद्दे पर बांका जिला राजद (RJD) के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने सोमवार को प्रदेश राजद मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। इनमें कई प्रखंड अध्यक्ष और ग्राम पंचायतों के मुखिया शामिल थे।
इन सबने राजद के पूर्व विधायक संजय प्रसाद यादव को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में उम्मीदवार बनाने की मांग की। ये गोड्डा से राजद के विधायक रह चुके हैं। ये कार्यकर्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव को बांका से राजद उम्मीदवार बनाने का विरोध कर रहे थे।
उनका कहना था कि कई चुनावों से जयप्रकाश हार रहे हैं। हारने के बाद अगले चुनाव तक क्षेत्र में नहीं आते हैं। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होता है।
राजद प्रदेश सचिव ने दिया इस्तीफाशिवहर जिला राजद के प्रदेश सचिव सुमित कुमार उर्फ दीपू वर्मा ने सोमवार को समर्थकों के साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पटना में आयोजित समारोह में वैशाली की पूर्व सांसद व शिवहर के वर्तमान विधायक चेतन आनंद की मां लवली आनंद के साथ जदयू की सदस्यता ले ली।
दीपू वर्मा वर्ष 2015 से 2020 तक लगातार राजद के जिलाध्यक्ष रहे। वर्ष 2020 से वह प्रदेश सचिव के पद पर तैनात थे। इसके पहले वह कमरौली पंचायत के मुखिया चुने गए थे।वर्मा ने बताया है कि उन्होंने लंबे समय तक पार्टी की सेवा की, लेकिन उन्हें तवज्जो नहीं दी गई। लिहाजा उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
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Patna High Court: 'कम आय के बावजूद पति भरण-पोषण के लिए बाध्य', पटना हाई कोर्ट ने क्यों दिया ऐसा फैसला?
राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह तय किया कि सीआरपीसी की धारा-125 के तहत पति भरण-पोषण प्रदान करने के लिए बाध्य है, भले ही नौकरी से उसे कोई आय न हो। वह अकुशल श्रमिक के रूप में प्रतिदिन कमा सकता है।
न्यायालय ने अपने आदेश से स्पष्ट किया कि पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में प्रति माह चार हजार रुपये का भुगतान करना होगा। न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने धीरज कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को उक्त आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि वह कोलकाता में अपने पिता की पानीपुरी बेचने के व्यवसाय में उनकी सहायता करता है। उसकी अपनी कोई आय नहीं है। उसे जीवनयापन हेतु प्रतिदिन मात्र दो सौ रुपये मिलते हैं। ऐसी परिस्थिति में पत्नी को प्रति माह चार हजार रुपये देना संभव नहीं है।
आय के संदर्भ में कोई दस्तावेज नहीं मिलाकोर्ट ने मामले का अवलोकन कर पाया कि किसी भी पक्ष द्वारा आय के संदर्भ में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है। दस्तावेज के अभाव में यह माना जाएगा कि आवेदक एक दैनिक मजदूर के रूप में काम कर रहा है।
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा (अंजू गर्ग बनाम दीपक कुमार गर्ग) में पारित निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति के लिए, जिसकी आय के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं है और वह बेरोजगार होने का दावा करता है, मासिक वेतन को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के आधार पर काल्पनिक रूप से माना जाना चाहिए।
राज्य में एक व्यक्ति की प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी चार सौ रुपये है, इसलिए कोर्ट उसकी अनुमानित आय प्रति दिन चार सौ रुपये मानती है। इस प्रकार आवेदक दिहाड़ी मजदूर के रूप में प्रति माह 12 हजार रुपये कमाता है। वह पत्नी को भरण-पोषण के रूप में आय का एक तिहाई हिस्सा देने के लिए बाध्य है।
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राज्य ब्यूरो, पटना। लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू इस बार बड़ी संख्या में एलसीडी लगे वाहनों का इस्तेमाल करेगी। एलसीडी लगे वाहन पहुंचने आरंभ हो गए हैं। इसका ट्रायल भी पिछले हफ्ते किया गया है।
चुनाव की तारीख व चरण तय होने तथा सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल होने के बाद अब इन वाहनों को क्षेत्र में निकालने की तैयारी है।
युवाओं की मौजूदगी वाले इलाके में विशेष रूप से दिखेंगे वाहनजदयू के नेताओं का कहना एलसीडी लगे जदयू के प्रचार वाहन युवाओं की मौजूदगी वाले इलाके में विशेष रूप से दिखेंगे।
कॉलेज, कोचिंग व निजी छात्रावास आदि इलाके में एलसीडी वाहनों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व में हाल के वर्षों में दी गयी नौकरी व स्वरोजगार से जुड़ी योजनाओं के बारे में बताया जाएगा। यही नहीं इस वीडियो में नीतीश कुमार के संबोधनों की क्लिपिंग्स भी दिखायी जाएगी।
अल्पसंख्यकों के इलाके में उनसे जुड़ी योजनाओं के बारे में बताएंगअल्पसंख्यकों के इलाके में जदयू के एलसीडी वैन में वीडियो फिल्म के माध्यम से यह जानकारी दी जाएगी कि किस तरह से नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों के रोजगार तथा सांप्रदायिक सौहार्द्र कायम रखने को लेकर काम किया। इस वर्ग के लोगों को रोजगार में आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर क्या काम हुए यह बताया जाएगा।
जाति आधारित गणना के बाद आरक्षण के बढ़े दायरे के बारे में जानकारी देंगवीडियो फिल्म इस तरह की भी तैयार है जिसमें यह बताएंगे कि जाति आधारित गणना के बाद किस तरह से नीतीश कुमार की पहल पर सर्वसम्मति से आरक्षण के दायरे को बढ़ाया गया।
शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी एलसीडी वैन दिखेंगेशहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जदयू के एलसीडी वाहन दिखेंगे। ग्रामीण इलाके में एलसीडी पर वह वीडियो दिखाया जाएगा कि सात निश्चय योजना के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कौन-कौन से काम किए हैं। गांव अगर बड़ा है तो एक की जगह दो या तीन एलसीडी वाहन भी नजर आएंगे।
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Pashupati Paras Resign: 'पहले ही छोड़ देना चाहिए था, हम तो...', पशुपति को लेकर Tej Pratap ने दिया सबसे अलग रिएक्शन
डिजिटल डेस्क, पटना। Bihar Political News Today राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। वह एनडीए से नाराज चल रहे थे। बिहार में उन्हें एनडीए की तरफ से एक भी सीट नहीं मिली। उनके खाते वाली सीट भी चिराग पासवान को दे दी गई।
अब इस मामले को लेकर बिहार में राजनीति तेज हो गई है। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने भी इसपर अपना रिएक्शन दिया है। उन्होंने कहा कि एनडीए में तो नाइंसाफी होती ही है। अच्छा किया कि उन्होंने (पशुपति पारस) छोड़ दिया। उनको तो बहुत पहले ही छोड़ देना चाहिए था। यह अच्छा निर्णय है।
महागठबंधन में आते हैं तो उनका स्वागत होगा- तेज प्रतापइसके साथ तेज प्रताप ने यह भी पशुपति पारस महागठबंधन में आते हैं तो उनका स्वागत होगा और सबसे पहले वही उनका वेलकम करेंगे। उनके आने से अच्छा असर होगा। उन्होंने कहा कि 2025 में भाजपा बिहार में जीत हासिल नहीं कर पाएगी।
काम निकल जाने के बाद लोगों को डंप करना बीजेपी की फितरत- राजदइससे पहले राजद प्रवक्ता प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कि भाजपा की हर सहयोगी पार्टी को इससे सबक लेना चाहिए। काम निकल जाने के बाद लोगों को डंप करना बीजेपी की फितरत है।
#WATCH पटना, बिहार: RLJP प्रमुख पशुपति पारस द्वारा केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने पर राजद नेता तेज प्रताप यादव ने कहा, "NDA में तो नाइंसाफी होती ही है। अच्छा किया कि उन्होंने(पशुपति पारस) छोड़ दिया। उनको तो बहुत पहले ही छोड़ देना चाहिए था...यह अच्छा निर्णय है..." pic.twitter.com/ICVG5DFOC6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 19, 2024उन्होंने कहा कि भाजपा के हर सयोगी दल को सबक लेना चाहिए। सीखना चाहिए। बीजेपी का यही चरित्र है, मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं। अपने सहयोगियों को ही तोड़ती है। अब चिराग को अंदर लाई है तो पशुपति पारस को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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राज्य ब्यूरो, पटना: दो धारा में बंटी दिख ही बिहार की राजनीति में तीसरी धारा भी निकल सकती है। यह उन दलों से निकलेगी, जिन्हें राजग या महागठबंधन में जगह नहीं मिली। रालोजपा और विकासशील इंसान पार्टी आज की तारीख में किसी गठबंधन में नहीं है। उम्मीद की जा रही है कि महागठबंधन से इनकी बातचीत होगी, लेकिन संकट यह है कि महागठबंधन में इन दलों की मांग के अनुरूप सीटें उपलब्ध नहीं हैं।
एआइएमआइएम पहले से ही तीसरा कोण बनाने की दिशा में सक्रिय है।अबतक उसने 11 मुस्लिम बहुल सीटों की पहचान की है। इन पर उम्मीदवार देने की घोषणा की है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में अगर उसे सक्षम उम्मीदवार मिले तो वह टिकट देने से परहेज भी नहीं करेगा।
एमआइएम को जदयू और राजद की आधिकारिक सूची के जारी होने की प्रतीक्षा है। यह जारी हो जाए तो उसे कुछ अच्छे उम्मीदवार गैर-मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी मिल सकते हैं। एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक अख्तरूल इमान ने बताया कि हमारी पार्टी अधिक सीटों पर भी उम्मीदवार दे सकती है। कोई जरूरी नहीं है कि उम्मीदवार मुसलमान ही हो।
क्या चाहते हैं मुकेश सहनी?उन्होंने यह भी कहा कि हां उम्मीदवार की छवि अच्छी हो और जीत की संभावना भी हो। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व पहले से ही अधिक सीटों पर उम्मीदवार देने की संभावना पर विचार कर रहा है। एमआइएम के अलावा मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी भी कुछ उम्मीदवारों का सहारा बन सकती है। इस समय वीआइपी इस प्रयास में है कि महागठबंधन से उसका समझौता हो जाए।
महागठबंधन में नहीं हुआ सीटों का बंटवारादिक्कत यह आ रही है कि महागठबंधन से जुड़े पांच दल अबतक आपस में ही सीटों का बंटवारा नहीं कर पाए हैं। खासकर कांग्रेस और वाम दलों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। भाकपा और भाकपा माले ने तीन-तीन और माकपा ने एक सीट की मांग की है। कांग्रेस की 10 सीट की मांग है। अगर इन दलों की मांग मान ली जाए तो राजद के हिस्से में सिर्फ 23 सीटें बचेंगी। यह उसकी अपनी मांग से भी कम है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार में ही तीन सीट की मांग हो रही है। उन्हें किडनी देने वाली पुत्री डॉ. रोहिणी आचार्य को छपरा से उम्मीदवार बनाने की मांग हो रही है। लालू प्रसाद 1977, 1989 और 2004 में छपरा से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। हार की हालत में भी इस सीट पर राजद का दूसरा नम्बर हमेशा सुरक्षित रहता है। राजद में रोहिणी के प्रति सहानुभूति का भाव है।
इस तरह राजद में भी विकासशील इंसान पार्टी के लिए मन लायक सीट की संभावना नहीं है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस अब राजग से अलग हो गए हैं। वह अगर महागठबंधन से जुड़ते हैं तो उन्हें कम से कम पांच सीट चाहिए। उनके पास दूसरा विकल्प यह है कि भाजपा के हिस्से की लोकसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करें।
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने कुछ ऐसा ही जदयू की विधानसभा सीटों पर किया था। चिराग को तो कुछ लाभ नहीं हुआ। जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा। अगर पारस कुछ सीटों पर भी भाजपा उम्मीदवार की संभावना क्षीण कर सकते हैं तो उन्हें हार में जीत का आनंद देगा।
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Bihar Politics: नीतीश कुमार से लेकर संजय झा तक, JDU की स्टार प्रचारकों की लिस्ट में इन नेताओं को मिलेगी जगह
राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू ने अब अपने को लोकसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची तैयार करने पर केंद्रित किया है। जदयू सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों के लिए अपने स्टार प्रचारक तय कर रहा है। चरणवार तरीके से स्टार प्रचारकों की सूची जारी होगी। जिन चरणों में चुनाव की तारीख आसपास है उनके लिए स्टार प्रचारक की एक सूची रहेगी।
जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची में वैसे लोगों को भी शामिल किया जा रहा जो पूर्व के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी रहे हैं।
मुख्यमंत्री, पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रदेश अध्यक्षजदयू के स्टार प्रचारकों की सूची में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों में केसी त्यागी, संजय झा, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, पूर्व में लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव मैदान में रहे जदयू के प्रत्याशी भी स्टार प्रचारकों का सूची में शामिल किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश जदयू के कुछ पदाधकारियों को भी स्टार प्रचारक बनाया जा रहा है।
प्रत्याशियों की मांग पर भी नाम जोड़े जाएंगेअलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों को ध्यान में रख जदयू पार्टी के स्थानीय नेताओं से परामर्श कर नाम को तय कर रहा है। इसके अतिरिक्त बीच में प्रत्याशियों की मांग के आधार पर भी स्टार प्रचारकों के नाम चुनाव आयोग को भेजे जाएंगे।
अलग-अलग चरणों के हिसाब से स्टार प्रचारकों की सूची जारी होगीजदयू सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी अपने स्टार प्रचारकों की जो सूची तैयार कर रहा है, उनमें कुछ नाम सभी सात चरणों में होंगे। वहीं अलग-अलग चरणों के लिए स्टार प्रचारकों के नाम क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखकर तय हो रहे हैं।
प्रत्याशियों के नाम की घोषणा होने के बाद सूची हो जाएगी फाइनलजदयू जिन 16 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है उनके लिए प्रत्याशी के नाम तो लगभग तय हैं मगर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ही स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। प्रथम और द्वितीय चरण के चुनाव के लिए बहुत जल्द ही यह सूची चुनाव आयोग को भेजी जाएगी।
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Rabri Devi के बाद Rohini Acharya पर दांव खेलने की तैयारी में लालू यादव, इस सीट पर ऐसा रहा है RJD का रिकॉर्ड
सुनील राज, पटना। Bihar Political News In Hindi बिहार की राजनीति में शिखर पर रहने वाले लालू प्रसाद (Lalu Yadav) को वक्त ने तरह-तरह के खेल दिखाए, लेकिन वे कभी निराश नहीं हुए। समय से लड़ने के बाद उसे परास्त कर आगे बढ़ जाना, उन्हें बखूबी आता है। जिस लोकसभा क्षेत्र से लालू ने पहली बार राजनीति में सफलता का स्वाद चखा था, उस क्षेत्र ने बीते 10 वर्षो से उन्हें परेशान करके रखा हुआ।
10 वर्ष में तमाम कोशिशों के बाद भी लालू प्रसाद यहां अपना जादू नहीं दिखा पाए हैं। बावजूद वे निराश नहीं। एक बार फिर नए जोश-जुनून के साथ लालू प्रसाद सारण को अपने पाले में लाने की तैयारी में जुट गए हैं।
पहली बार यहां से चुनाव जीते थे लालूसारण जो पहले छपरा लोकसभा क्षेत्र (Chapra Lok Sabha Seat) था वह लालू प्रसाद का पुश्तैनी ठिकाना होने के साथ ही राजनीति में उन्हें आगे बढ़ाने वाला संसदीय क्षेत्र रहा है। सारण संसदीय सीट लालू प्रसाद की पारंपरिक सीट थी। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने वर्ष 1977 में पहली बार इसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था।
इसके बाद वर्ष 2004 और वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ते हुए करीब 60 हजार और 52 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। चारा घोटाले में सजा होने के बाद जब यह तय हो गया कि लालू प्रसाद किसी भी चुनाव में किस्मत नहीं आजमा सकते।
राबड़ी देवी भी आजमा चुकी हैं किस्मतइसके बाद उन्होंने अपनी परंपरागत सीट पर पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) को चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया। 2014 में देश की चुनावी राजनीति जब करवट ले रही थी और देश में मोदी की लहर शुरू हो रही थी।
उस दौर में यानी 2014 में लालू प्रसाद ने सारण लोकसभा क्षेत्र से राबड़ी देवी को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा। राबड़ी देवी की टक्कर भाजपा के उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी से होनी थी। नमो नाम की गूंज और मोदी लहर में राजीव प्रताप रूडी के सामने राबड़ी देवी लगभग 40 हजार वोट से चुनाव हार गई।
समधी और पार्टी के पुराने नेता चंद्रिका राय पर भी खेला था दांवसारण संसदीय क्षेत्र ने लालू प्रसाद की तमाम रणनीति को सिरे से नकार दिया था। राजनीति के धुरंधर लालू प्रसाद के लिए यह बड़ा झटका था, लेकिन वे चाहकर भी कुछ कर नहीं पाए। 2014 के बाद 2019 में लालू प्रसाद ने सारण सीट पर अपने समधी और पार्टी के पुराने नेता चंद्रिका राय को उम्मीदवार बनाकर उतारा।
वे भी लालू प्रसाद के सपने को साकार नहीं कर पाए। वे भाजपा के रूडी से करीब सवा लाख वोट से पराजित रहे।
अब लालू प्रसाद सारण संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं।
राबड़ी देवी और चंद्रिका राय के बाद लालू प्रसाद ने इस चुनाव अपनी पुत्री रोहिणी आचार्या को यहां से टिकट देने का निर्णय लिया है, रोहिणी (Rohini Acharya) के नाम का एलान भर बाकी है। अपनी जिस पारंपरिक सीट को हासिल करने के लिए लालू प्रसाद बीते 10 सालों से प्रयासरत हैं उनकी बेटी उन्हें वहां से जीत दिला पाती है या नहीं।
यह देखना दिलचस्प होगा। रोहिणी राजनीति में बेहद नई हैं। उन्हें राजनीति का कोई खास अनुभव भी नहीं, लेकिन लालू प्रसाद को उम्मीद है कि रोहिणी सारण जीतकर लालू प्रसाद को घर वापसी कराने में जरूर सफल होगी।
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