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New US tariffs on China to hit 104% Wed

Business News - April 8, 2025 - 10:46pm
Additional US tariffs on Chinese imports are set to reach 104 percent on Wednesday, the White House told AFP, as Washington doubles down on planned action after Beijing vowed a "fight to the end" on levies.US President Donald Trump had vowed a further 50 percent tariff on goods from China if Beijing did not retract upcoming retaliation -- and the White House confirmed that Trump will proceed with this action, taking the overall added duties this year to 104 percent.
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EPFO New Update: चेहरा दिखाओ, खुद अपना UAN बनाओ! जानिए किसे मिलेगा इसका लाभ

Dainik Jagran - National - April 8, 2025 - 10:14pm

पीटीआई, नई दिल्ली। ईपीएफओ (EPFO) की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल कर्मचारी अब अब अपना चेहरा दिखाकर खुद यूनिवर्सल प्रोविडेंट फंड अकाउंट नंबर (UAN) बना सकेंगे और इससे संबंधित सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे।

केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को यह जानकारी दी। श्रम मंत्री मांडविया ने बिहार के छह जिलों (अररिया, सहरसा, औरंगाबाद, बांका, पूर्वी चंपारण और गोपालगंज) को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के तहत पूर्ण रूप से अधिसूचित करने की भी घोषणा की। इससे जिससे लगभग 24 हजार और बीमित व्यक्ति ईएसआइसी की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आ जाएंगे।

क्या बोले केंद्रीय मंत्री?

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फिलहाल बिहार के कुल 38 में से 27 जिले पूरी तरह से अधिसूचित हैं और 11 जिले आंशिक रूप से अधिसूचित हैं। छह जिलों के बारे में अधिसूचना जारी होने के बाद यह संख्या बढ़कर 33 जिलों की हो जाएगी।

मांडविया ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने चेहरे के सत्यापन के जरिये यूएएन आवंटित करने और उसे एक्टिव करने के लिए डिजिटल सेवाएं शुरू की हैं। यह ईपीएफओ के करोड़ों सदस्यों के लिए संपर्क-रहित, सुरक्षित और डिजिटल सेवा की दिशा में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अब 'उमंग' मोबाइल एप की मदद से आधार चेहरा सत्यापन प्रौद्योगिकी (एफएटी) का उपयोग करके सीधे अपना यूएएन जेनरेट कर सकते हैं।

जानिए कर यूएएन एक्टिवेट?
  • कोई भी नियोक्ता किसी भी नए कर्मचारी के लिए आधार एफएटी का उपयोग करके यूएएन बनाने के लिए उमंग एप का इस्तेमाल कर सकता है।
  • यूएएन जनरेट करने के लिए कर्मचारी को उमंग एप खोलना होगा और चेहरा पहचान के जरिये यूएएन बनाने और एक्टिवेशन के चरणों का पालन करना होगा।
  • चेहरा पहचान के जरिये आधार-आधारित सत्यापन के बाद यूएएन जनरेट हो जाएगा और मोबाइल नंबर पर एसएमएस भेजा जाएगा। यूएएन बनाने के बाद कर्मचारी उमंग एप या सदस्य पोर्टल से यूएएन कार्ड डाउनलोड कर सकता है।
  • चेहरा प्रमाणीकरण का उपयोग करके बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण जैसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
  • श्रम मंत्री ने कहा कि जिन सदस्यों के पास पहले से ही यूएएन है, लेकिन अभी तक इसे एक्टिव नहीं किया है, वे अब आसानी से उमंग एप के माध्यम से अपना यूएएन एक्टिव कर सकते हैं।
आने वाले समय में ये सुविधाएं भी मिलेंगी

वित्त वर्ष 2024-25 में ईपीएफओ ने 1.26 करोड़ यूएएन आवंटित किए। हालांकि, इनमें से केवल 44 लाख यूएएन ही सदस्यों द्वारा एक्टिव किए गए थे। मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में ईपीएफओ पेंशनभोगियों को उनके दरवाजे पर सेवाएं देने के लिए 'माई भारत' के वालंटियरों के सहयोग से चेहरा सत्यापन प्रौद्योगिकी के जरिये 'जीवन प्रमाण' के माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र को भी बढ़ावा देगा।

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दिल्ली के कई इलाकों में सामान्य दो गुना तक बढ़ा ओजोन का स्तर, सेहत को पहुंचा रहा नुकसान

Dainik Jagran - National - April 8, 2025 - 10:10pm

नई दिल्ली, विवेक तिवारी। राजधानी के कई इलाकों में ओजोन का स्तर सामान्य से दो गुना तक पहुंच गया है। दिल्ली की हवा में प्रदूषण के स्तर पर नजर रखने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था सफर की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के आसपास के इलाके में हवा में ओजोन का स्तर 239 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। मानकों के तहत हवा में इसका स्तर अधिकतम 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। वैज्ञानिकों के मुताबिक कुछ समय पहले तक गर्मियों के मौसम में ही ओजोन के स्तर में बढ़ोतरी देखी जाती थी। लेकिन देश के कई हिस्सों में ये अब पूरे साल की समस्या बन गया है। हवा में ओजोन की मात्रा ज्यादा होने से हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। वहीं इससे दिल की बीमारी का भी खतरा बढ़ता है।

ओजोन के प्रदूषण का कोई खास सोर्स नहीं होता है। बेहद गर्म मौसम में गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलने वाला धुआं आपस में क्रिया करके ओजोन बनाने लगता और हवा में ओजोन का स्तर बढ़ने लगता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के कई शहरों में ओजोन के प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि हुई है। इस साल गर्मियों में भारत के दस प्रमुख शहरों में ओजोन का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। इनमें दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित हुई। एयर क्वालिटी ट्रैकर एन इनविजिबल थ्रेट नाम से आई इस रिपोर्ट में प्रमुख रूप से दिल्ली, एनसीआर, बेंगलुरू, मुंबई, चेन्नई,कोलकाता, पुणे, ग्रेटर अहमदाबाद, ग्रेटर हैदराबाद, ग्रेटर जयपुर और ग्रेटर लखनऊ में ओजोन के स्तर का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इन शहरों में अप्रैल से जुलाई की तुलना में जनवरी से मार्च के बीच ओजोन के स्तर में कहीं अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। अहमदाबाद में पिछले साल की तुलना में ओजोन के स्तर में 4000 गुना की बढ़ोतरी हुई है। वहीं पुणे में 500 और जयपुर में 152 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

सीएसई में वायु प्रदूषण पर लम्बे समय से काम कर रहे डॉक्टर विवेक चटोपाध्याय कहते हैं कि ओजोन के प्रदूषण की समस्या सिर्फ गर्मियों में होती थी, अब ये पूरे साल की समस्या बन गई है। खास तौर पर दक्षिण और पश्चिमी तटीय महानगरीय इलाकों में ये समस्या काफी बढ़ चुकी है। सामान्य तौर पर जब सूरज की रौशनी हो, गर्मी ज्यादा हो और गाड़ियों के धुएं का प्रदूषण हवा में मौजूद हो तो ही ओजोन के प्रदूषण में वृद्धि देखी जाती है। लेकिन हमने अध्ययन में पाया कि महानगरों में सूर्यास्त के बाद भी हवा में ओजोन का स्तर बढ़ा हुआ रहता है। ओजोन के प्रदूषण की खास बात ये है कि ये गैस के रूप में होती है। ऐसे में दिल्ली का ओजोन प्रदूषण हवा के साथ आसपास के ऐसे इलाके में पहुंच सकता है जहां प्रदूषण का कोई स्रोत न हो। ऐसे में इसके प्रदूषण की चपेट में काफी बड़े इलाके के लोग आ जाते हैं।

सांसों पर बोझ बढ़ा रही ओजोन

दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी के मुताबिक हवा में ओजोन के स्तर का बढ़ना काफी खतरनाक है। ये सीधे हमारे फेफड़ों पर असर डालता है। हवा में ओजोन बढ़ने से सांस लेते समय छाती में दर्द, खांसी, गले में जलन और सांस की नली में सूजन जैसी दिक्कत हो सकती है। फेफड़ों के काम करने में कमी आ सकती है। ओजोन ब्रोंकाइटिस, अस्थमा इत्यादि को और खराब कर सकता है। ओजोन के कारण कार्डियोवैस्कुलर बीमारी हो सकती है जो दिल को प्रभावित करती है। बहुत लम्बे समय तक ओजोन के सांस के जरिए शरीर में जाने से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी हो सकता है।

ओजोन का प्रदूषण पौधों को पहुंचा रहा नुकसान

ओजोन की परत को नुकसान पहुंचने से दुनिया में मक्के के उत्पादन में कमी आ रही है। ये खुलासा यूएस एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की रिसर्च यूनिट USDA ARS Global Change and Photosynthesis Research Unit की ओर से किए गए अध्ययन में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक ओजोन के निचले स्तर को नुकसान पहुंचने मक्के की फसल के उत्पादन में कमी आई है। ओजोन की निचली परत को नुकसान पहुंचने से सूरज की बहुत की ऐसी किरणें नीचे आ रही हैं जो मक्के की पत्तियों में कैमिकल संतुलन को बिगाड़ रही हैं।

गौरतलब है कि सूरज से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकने में ओजोन परत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस परत के चलते हम कई खतरनाक विकिरणों से बच पाते हैं। ओजोन की परत तब बनती है जब उद्योगों और गाड़ियों के धुएं में मौजूद नाइट्रस ऑक्साइड सूरज की रौशनी से टूट जाता है और ओजोन बनाने के लिए रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करता है। शिकागो स्थित इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ता 20 सालों से फसलों पर ओजोन प्रदूषण के प्रभावों का अध्ययन एक खास तरह के फॉर्म पर कर रहे हैं जहां ओजोन के अलग अलग स्तर का फसलों पर अध्ययन किया जा रहा है। अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने मक्के की तीन प्रजातियों पर अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि ओजोन के प्रभाव के कारण हाइब्रिड फसलों की उपज में 25 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई। वहीं पारंपरिक प्रजातियों के उत्पादन पर कुछ खास असर नहीं हुआ। वहीं हाइब्रिड मक्के के पौधे ओजोन के प्रभाव के चलते जल्दी बूढ़े होने लगे।

ओजोन के चलते पौधों में ये बदलाव क्यों हो रहा है ये जानने के लिए वैज्ञानिकों ने पौधे की पत्तियों की रासायनिक बनावट का अध्ययन किया। स्टडी में पाया गया कि पारंपरिक प्रजाति के पौधे की पत्तियों में ओजोन के प्रभाव के चलते कुछ खास बदलाव नहीं हुआ। वहीं हाइब्रिड पौधे की पत्तियों में टोकोफेरोल और फाइटोस्टेरॉल कैमिकल की मात्रा बढ़ गई। ऐसे में इस स्टडी से साफ पता चला की हाइब्रिड प्रजातियां ओजोन के प्रति बेहद संवेदनशील हैं।

पूर्व मुख्य तकनीकी सलाहकार एवं परियोजना प्रबंधक, विश्व खाद्य संगठन, (संयुक्त राष्ट्र संघ) डा. राम चेत चौधरी कहते हैं कि क्लाइमेट चेंज के साथ ही ओजोन की परत को नुकसान पहुंचने का सीधा असर फसलों पर पड़ता है। ओजोन के प्रभाव के चलते पौधे की पत्तियों में बनने वाली बहुत सी ऊर्जा नष्ट हो जाती है। साथ ही पत्तों में टिशूज को भी नुकसान पहुंचता है। हमें पर्यावरण को बेहतर बनाने के साथ ही आने वाले समय के लिए ज्यादा रजिस्ट्रेशन वाली प्रजातियों का विकास करने की जरूरत है।

ये है बचाव

सीएसई ने ओजोन प्रदूषण पर किए गए अपने अध्ययन में कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें कहा गया है कि, ओजोन की जटिल रासायनिक संरचना के कारण इसे ट्रैक और नियंत्रित करना मुश्किल है। इसे ट्रैक और नियंत्रित करने के लिए एक व्यवस्था बनाए जाने की जरूरत है। वैश्विक अनुभवों के मुताबिक जैसे जैसे हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों का स्तर गिरता है नाइट्रोजन ऑक्साइड और ग्राउंड लेवल ओजोन का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में ओजोन को नियंत्रित करने के लिए उद्योगों, वाहनों, घरों और खुले में जलने से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए सख्त नियम होने चाहिए। ओजोन शहरों से दूर दूर तक फैल कर प्रदूषण में इजाफा करता है। इसके लिए स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर निगरानी की जरूरत है।

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UAE और भारत के रिश्तों में लगेंगे चार चांद, PM मोदी के आमंत्रण पर क्राउन प्रिंस आए इंडिया; कितना खास है ये दौरा?

Dainik Jagran - National - April 8, 2025 - 10:00pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाड़ी के अपने मित्र देशों के साथ भारत रक्षा संबंधों को मजबूत करने में लगातार जुटा हुआ है। इस क्रम में मंगलवार को भारत और यूएई के बीच रक्षा से जुड़े सभी क्षेत्रों में सहयोग पर विमर्श हुआ और इस बात की सहमति बनी कि दोनों देशों की नौ सेनाओं और कोस्ट गा‌र्ड्स के बीच मौजूदा संबंधों को ज्यादा मजबूत किया जाएगा।

यह सहमति भारत के दौरे पर आये दुबई के क्राउन प्रिंस व रक्षा मंत्री शेख हमदान और पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच द्विपक्षीय बैठक में बनी। क्राउन प्रिंस शेख हमदान ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी अलग से मुलाकात की है। उधर, 22-23 जनवरी, 2025 को पीएम मोदी सउदी अरब की राजकीय यात्रा पर जाने वाला हैं। इस यात्रा के दौरान भी रक्षा संबंधों को मजबूत बनाना एक प्रमुख एजेंडा रहने वाला है।

Glad to meet HH Sheikh Hamdan bin Mohammed bin Rashid Al Maktoum, the Crown Prince of Dubai. Dubai has played a key role in advancing the India-UAE Comprehensive Strategic Partnership. This special visit reaffirms our deep-rooted friendship and paves the way for even stronger… pic.twitter.com/lit9nWQKyu

— Narendra Modi (@narendramodi) April 8, 2025

पीएम मोदी के आमंत्रण पर भारत आए हैं क्राउन प्रिंस

शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मक्तूम यूएई के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री हैं जो पीएम मोदी के आमंत्रण पर पहली बार भारत की यात्रा पर आये हैं। उनके साथ कैबिनेट मंत्रियों और कारोबारियों का एक दल भी आया है।

नई दिल्ली में उनके दल के साथ पीएम मोदी की मुलाकात में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। दुबई यूएई के सात राज्यों में से एक है और भारत के साथ इसके बेहद करीबी आर्थिक संबंध हैं।

क्राउन प्रिंस की यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को करेगा मजबूत

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा है कि, “क्राउन प्रिंस शेख हमदान की यह यात्रा भारत व यूएई के विशेष रणनीतिक रिश्ते को मजबूत बनाने को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को दिखाता है। इस यात्रा से पुराने रिश्ते को भविष्य में और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।''

मोदी और शेख हमदान के बीच हुई बैठक में रक्षा संबंधों के अलावा कारोबारी रिश्तों, अंतरिक्ष सेक्टर में सहयोग को लेकर भी गंभीर विमर्श हुआ है जिसके बारे में विस्तार से आगे घोषणा होने की संभावना है।रक्षा मंत्री सिंह ने भी शेख हमदान के साथ अपनी बैठक को बेहद उपयोगी बताया है।

उन्होंने कहा है कि आने वाले समय में भारत व यूएई रक्षा सहयोग, रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन व प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बेहद करीबी संबंध स्थापित करने को इच्छुक हैं। रक्षा क्षेत्र में प्रशिक्षण को लेकर भी इन दोनों के बीच बात हुई है और इसे सहयोग के लिए एक अहम क्षेत्र चिन्हित किया गया है।

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पेट्रोल-डीजल के एक्साइज ड्यूटी में अभी और हो सकती है बढ़ोतरी, एक्सपर्ट्स ने बताई वजह

Dainik Jagran - National - April 8, 2025 - 10:00pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि अंतिम नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों में गिरावट जारी है और विशेषज्ञ शोध एजेंसियां बता रही हैं कि यह सिलसिला जारी रह सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपये की एक और वृद्धि अगले कुछ दिनों में कर सकती है।

वजह यह है कि सरकारी तेल कंपनियां अभी भी रसोई गैस की बिक्री लागत से कम कीमत (उज्जवला ग्राहकों को 475 रुपये व आम ग्राहकों को 175 रुपये कम) पर बेच रही हैं। क्रूड की घटती कीमत के बीच उत्पाद शुल्क बढ़ाने का फार्मूला पहले भी आजमाया गया है, इससे आम जनता पर कोई बोझ नहीं डाल कर सरकार अपना राजस्व अच्छा खासा बढ़ा लेती है।

खुदरा कीमतों में कुछ कमी का तोहफा तेल मार्केटिंग की ओर से मिलने की उम्मीद

शोध एजेंसियां बता रही हैं कि अगर कुछ महीनों (दो-तीन महीने) क्रुड की कीमत 60-65 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रहे तो संभव है कि आम आदमी को पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कुछ कमी का तोहफा तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) की तरफ से दी जाए। मंगलवार को क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल के करीब रही है।

जेएम फाइनेंशिएल की रिपोर्ट बताती है कि उत्पाद शुल्क में वृद्धि के बावजूद सरकारी तेल कंपनियां को अभी पेट्रोल व डीजल पर औसतन 12 रुपये प्रति लीटर की मार्जिन बच रही है। यानी एक तेल कंपनी के लिए अभी एक लीटर पेट्रोल बनाने की लागत व मुनाफा मार्जिन और उसकी फैक्ट्री गेट की कीमत (तमाम शुल्क आदि लगाने सेपहले) में 12 रुपये का अंतर है।

तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल व डीजल पर अधिकांश महीनों मुनाफा कमाया

वजह यह है कि वर्ष 2024-25 के अधिकांश महीनों में क्रूड की कीमत कम ही रही है। अप्रैल, 2024 से जुलाई, 2024 के दौरान भारत के लिए क्रूड की खरीद लागत 83 से 89 डॉलर प्रति बैरल रही थी लेकिन उसके बाद यह लगातार 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। इस हिसाब से सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल व डीजल पर अधिकांश महीनों मुनाफा कमाया है लेकिन रसोई गैस पर सब्सिडी देने से उनकी गणित पर असर पड़ा है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को बताया कि एलपीजी को लागत से कम बिक्री होने से तेल कंपनियों को अभी 48 हजार करोड़ रुपये का घाटा है जिसके एक बड़े हिस्से की भरपाई सरकार बढ़े हुए उत्पाद शुल्क संग्रह से करेगी।

जेएम फाइनेंशिएल की रिपोर्ट बताती है कि, “रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ाने के बावजूद चालू वित्त वर्ष के दौरान 20 से 30 हजार करोड़ रुपये का घाटा होने की उम्मीद है। इस घाटे की भरपाई के लिए ओएमसी को पेट्रो व डीजल पर 7.30 रुपये से लेकर 10.50 रुपये प्रति लीटर की मार्जिन बना कर रखनी होगी।''

वहीं, एक दिन पहले पुरी ने कहा था कि, “50 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि के बावजूद 1028 रुपए की लागत वाला 14.2 किलोग्राम का एलपीजी सिलेंडर उज्जवला लाभार्थियों को सिर्फ 553 रुपये में आम उपभोक्ताओं को 853 रुपये में दिया जा रहा है।''

पेट्रोलियम कंपनियों के घाटे की भरपाई पर सरकार का जोर

पुरी ने यह भी संकेत दिया था कि अगर क्रूड की कीमत लंबे समय तक 65 डॉलर प्रति बैरल से कम रहता है तो ओएमसी पेट्रो डीजल को सस्ता करने पर विचार कर सकती हैं। दूसरी तरफ, जेएम फाइनेंशिएल का आकलन है कि सस्ते क्रूड का फायदा आम जनता को देने के बजाये अभी पेट्रोलियम कंपनियों के घाटे (एलपीजी सिलेंडर को लेकर) की भरपाई की कोशिश होगी।

यह काम उत्पाद शुल्क में वृद्धि से होगा। वित्त मंत्रालय उत्पाद शुल्क वसूलेगा, बाद में इसका एक हिस्सा ओएमसी को दिया जाएगा। पिछले वित्त वर्ष भी ऐसा हुआ था।

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Monsoon Alert: किसानों के लिए आई गुड न्यूज, इस बार झमाझम बरसेगा मानसून, सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान

Dainik Jagran - National - April 8, 2025 - 9:25pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों एवं देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है कि इस बार मानसून की बारिश अच्छी होने जा रही है। जून से सितंबर के बीच मानसूनी मौसम के दौरान औसत से तीन प्रतिशत ज्यादा बारिश हो सकती है। इस दौरान संपूर्ण भारत में औसतन लगभग 868.6 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस वर्ष लगभग 895 मिमी बारिश होने का अनुमान है।

मौसम पर नजर रखने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट ने अपने ताजा अनुमान में बताया है कि प्रशांत महासागर में न्यूट्रल स्थिति है। ला-नीना बेहद कमजोर हो चुका है और अगले चार महीने के दौरान अलनीनो के विकसित होने की संभावना भी नहीं है।

इस साल झमाझम होगी बारिश

हिंद महासागर का जलवायु पैटर्न भी अनुकूल दिख रहा है, जो मानसूनी बारिश के लिए मददगार साबित होगा। मानसून में अच्छी बारिश खेती कार्य में सहायक होती है। इसी दौरान खरीफ की फसल की बुआई और रोपाई होती है। भूजल स्तर में भी वृद्धि होती है, जिससे वर्ष भर पेयजल की कमी नहीं हो पाती है।

पूर्वानुमान में 96 से 104 प्रतिशत तक बारिश को सामान्य माना जाता है। चार महीने के दौरान 103 प्रतिशत का मतलब है कि अच्छी बारिश होगी। हालांकि, इसमें पांच प्रतिशत तक अंतर आ सकता है। मतलब सामान्य से पांच प्रतिशत कम या ज्यादा बारिश हो सकती है।

भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा?

स्काइमेट का अनुमान है कि 96 प्रतिशत से नीचे जाने का अनुमान बहुत ही कम है। देश के पश्चिमी तट एवं मध्य भागों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर और पहाड़ी इलाकों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा, इसका आकलन अभी नहीं किया जा सका है। मगर मानसून का प्रवेश केरल के रास्ते होता है, जहां सामान्य तौर पर एक जून को सक्रिय होता है। फिर धीरे-धीरे दक्षिण भारत के राज्यों से आगे बढ़ते हुए बंगाल की खाड़ी के सहारे मध्य एवं उत्तर भारत की ओर बढ़ता है। सबसे अंत में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक फैलता है।

भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा

स्काइमेट ने कोर मानसून मंथ के दौरान कुछ क्षेत्रों में औसत से कम बारिश की भी आशंका जताई है, लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में मानसून सामान्य रहने वाला है। जून में मानसून की रफ्तार थोड़ी कम हो सकती है, क्योंकि ला-नीना का असर कुछ दिन तक रह सकता है। जून में औसत से चार प्रतिशत कम बारिश हो सकती है, लेकिन अगले महीने से बारिश रफ्तार पकड़ लेगी।

जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में औसत से ज्यादा बारिश होगी। अगस्त में आठ प्रतिशत ज्यादा वर्षा हो सकती है। खेती के लिहाज से यह महीना ज्यादा अनुकूल होता है।

मासिक वर्षा का अनुमान महीना मात्रा (मिलीमीटर में) जून 165.3 मिमी (चार प्रतिशत कम) जुलाई 280.5 मिमी (दो प्रतिशत ज्यादा) अगस्त 254.9 मिमी (आठ प्रतिशत ज्यादा) सितंबर 167.9 मिमी (चार प्रतिशत ज्यादा)

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