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क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अमेरिकी नीति से प्रभावित नहीं होगा भारत, दुनिया के रुख पर केंद्र सरकार की नजर

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 11:30pm

 जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्रिप्टोकरेंसी के वैश्विक उद्यमियों से मुलाकात की और अपनी बात दोहराई कि वह अमेरिका को क्रिप्टो दुनिया का सरताज देश बनाएंगे। क्रिप्टोकरेंसी में अमेरिका ने अपनी विदेशी मुद्रा रिजर्व भी बनाने की संभावनाएं तलाशने की बात कही है। इससे भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी करने वाले उद्यमी काफी उत्साहित हैं। लेकिन आरबीआई का विचार क्रिप्टो को लेकर बिल्कुल भी नहीं बदला है।

भारत का केंद्रीय बैंक अभी भी मानता है कि वित्त मंत्रालय भी क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मान्यता देने के लेकर कोई कदम जल्दबाजी में उठाने नहीं जा रही है। इस बारे में कोई भी कदम आरबीआई की तरफ से गठित कार्यसमूह की रिपोर्ट का विस्तार से आकलन के बाद ही किया जाएगा। इस कार्य समूह की रिपोर्ट जल्द ही आने की संभावना है।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार चिंतित

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की नीतियों की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार की या आरबीआइ की इस करेंसी को लेकर जो चिंताएं हैं वह तथावत हैं। जिस आधार पर हम क्रिप्टोकरेंसी को भारत में लागू करने का विरोध कर रहे हैं उसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हमारा विरोध है कि क्रिप्टोकरेंसी किसी तरह की करेंसी हैं ही हीं क्योंकि इसको जारी करने वाला कोई नहीं होता और ना ही इसका उत्तरदायित्व लेने वाला कोई होता है। इसलिए इसे ना तो करेंसी माना जा सकता या ना ही वित्तीय परिसंपत्तियां।

क्रिप्टोकरेंसी पूरी इकोनमी को चला सकती है?

शेयर, बांड्स, केंद्रीय बैंकों की तरफ से जारी होने वाले नोट को वित्तीय परिसंपत्तियां या करेंसी इसलिए माना जाता है कि, इसका उत्तरदायित्व किसी न किसी के पास होता है। मसलन, कागत की करेंसी भी केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी होती है।

दूसरा, अभी तक कोई ऐसी शोध रिपोर्ट नहीं है जो यह साबित करे कि क्रिप्टोकरेंसी पूरी इकोनमी को चला सकती है। तीसरा, क्या निजी करेंसी के तौर पर इसका इस्तेमाल हो सकता है? हमारे इस विचार में तभी बदलाव होगा जब कोई यह साबित कर दे कि ये पूरी तरह से गलत हैं। वैसे भी दुनिया काफी तेजी से बदल रही है। दरअसल, यह आरबीआइ का यह रूख काफी पुराना है।

क्रिप्टोकरेंसी को भारत के लिए खतरनाक- पूर्व आरबीआइ गवर्नर

पूर्व आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने कई मौकों पर क्रिप्टोकरेंसी को भारत के लिए खतरनाक बताया। अक्टूबर, 2024 में पीटरसन इंस्टटीयूट फॉर इंटरनेशनल इकोनोमिक्स में एक व्याख्यान में कहा था कि, “मेरा विचार है कि क्रिप्टोकरेंसी को कभी भी वित्तीय व्यवस्था में प्रभुत्व नहीं मिलना चाहिए। क्योंकि इसके साथ बहुत ही ज्यादा वित्तीय जोखिम है। इसका मौद्रिक जोखिम काफी ज्यादा है। यह बैं¨कंग व्यवस्था के लिए भी खतरा है। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है कि केंद्रीय बैंक का मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण समाप्त हो सकता है।''

दरअसल, आरबीआइ के कड़े विरोध के कारण ही केंद्र सरकार को भी क्रिप्टोकरेंसी पर अपने विचार बदलने पड़े थे। इसके पहले केंद्र सरकार की तरफ से पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अध्यक्षता में गठित एक अंतर-मंत्रालीय समिति ने भी वर्ष 2019 में क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल मुद्राओं को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया था।

अमेरिका सरकार की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने पर बात

दैनिक जागरण सरकार के कुछ प्रतिनिधियों से अमेरिका सरकार की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने पर बात की है। सभी यह मान रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों से नहीं सरकार आरबीआइ के सुझाव पर कदम बढ़ाएगी। अब देखना होगा कि अगर आरबीआइ की समिति वर्चुअल करेंसी को लेकर कोई बीच का रास्ता अपनाने का सुझाव देती है या कोई और रास्ता अपनाने का सुझाव देती है।

यह भी देखना होगा कि अमेरिका जैसी बड़ी इकोनमी किस तरह से बिटक्वायन या दूसरे वर्चुअल करेंसी को अपने देश में प्रचलन में लाने का रास्ता निकालती है। अमेरिका ने अपने रिजर्व को भी क्रिप्टोकरेंसी में संरक्षित रखने की बात कही है। इस बारे में उक्त प्रतिनिधियों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति को देखते हुए इसे किसी देश के विदेशी मुद्रा रिजर्व में कैसे समायोजित किया जा सकता है, यह समझ से परे है।

क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल मुद्रा

क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल या डिजिटल मुद्रा है। यह डिजिटल रूप में ही होता है। इस पर किसी सरकार या केंद्रीय बैंक या किसी देश की नियामक एजेंसी का कोई जोर नहीं होता। इसे जिस प्रक्रिया से संचालित किया जाता है उसे तकनीकी भाषा में माइनिंग कहा जाता है जो विशेष तौर पर निर्मित सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर पर आधारित होते हैं।

भारत में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं

बिटक्वायन, डोजक्वायन, इथेरियम इसके उदाहरण हैं। चूंकि इस पर किसी सरकार या नियामक एजेंसी की निगरानी नहीं है, इसलिए इसमें निवेश का जोखिम पूरी तरह से निवेशकों के उपर होता है। भारत में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है। केंद्र सरकार ने आय कर अधिनियम के तहत इसकी खरीद-बिक्री से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसद का टैक्स लगा रखा है।

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'स्वावलंबी और सशक्त नारी के बल पर होगा विकसित भारत का निर्माण', अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मु

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 11:30pm

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि यह दिवस मनाने की परंपरा के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस कालखंड में नारी समुदाय ने अभूतपूर्व प्रगति की है। मैं अपनी जीवन यात्रा को भी इसी प्रगति की कड़ी मानती हूं।

विकसित भारत का संकल्प हम सब का संकल्प है- राष्ट्रपति

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ''''नारी नेतृत्व से विकसित भारत'''' विषय पर आयोजित इस राष्ट्रीय में उन्होंने कहा कि स्वावलंबी, स्वाभिमानी, स्वतंत्र और सशक्त नारी के बल पर ही विकसित भारत का निर्माण हो सकता है। विकसित भारत का संकल्प हम सब का संकल्प है, जिसे हम सभी को मिलकर पूरा करना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश की नारी-शक्ति राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बने और विकसित भारत के हमारे संकल्प को नेतृत्व प्रदान करे, इसके लिए भारत सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। ''''नारी शक्ति वंदन अधिनियम'''' के द्वारा लोक सभा और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रविधान उनके राजनीतिक सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

हमारी बेटियों के लिए अच्छा वातावरण होना चाहिए- राष्ट्रपति

सरकार की महिला केंद्रित योजाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयास विभिन्न स्तरों पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर रहे हैं और उन्हें जीवन में नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमारी बेटियां विकसित भारत के सपने को साकार करने में अपना पूरा योगदान दे सकें, इसके लिए जरूरी है कि समाज उन्हें आगे बढ़ने के लिए और भी अच्छा वातावरण प्रदान करे। उन्हें एक ऐसा वातावरण मिलना चाहिए, जिसमें वे बिना किसी दबाव या भय के अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र निर्णय ले सकें।

भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आव्हान किया कि हमें एक ऐसे आदर्श समाज का निर्माण करना है, जहां कोई भी बेटी या बहन किसी भी समय, कहीं भी अकेले जाने में और कहीं भी रहने में डरे नहीं। महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव ही भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि यह भी एक कटु-सत्य है कि कुछ सामाजिक पूर्वाग्रह, रीति-रिवाज और प्रथाएं महिलाओं की प्रगति में बाधक रही हैं। इसमें महिला को कम करके आंकने वाली मानसिकता का दोष है।

भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर- राष्ट्रपति

संविधान सभा की सदस्य रहीं महिलाओं को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तब देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़नी चाहिए। इसके लिए उन्हें शिक्षा और नौकरी में समान अवसर प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद

इस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे। सम्मेलन में अलग-अलग तकनीकी सत्रों में पंचायत से पार्लियामेंट तक महिला नेतृत्व सहित अलग-अलग विषयों पर तकनीकी सत्र भी हुए।

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Digantara ने लॉन्च किया पहला कॉमर्शियल अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह, पांच सेंमी की चीज भी ट्रैक करने में सक्षम

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 11:30pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। देश की बेंगलुरु स्थित सैटेलाइट कंपनी दिगंतारा ने दुनिया का पहला वाणिज्यिक अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह लॉन्च किया। जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे पांच सेंटीमीटर तक के छोटे ऑब्जेक्ट को ट्रैक करने में सक्षम है, इसको शनिवार को लॉन्च किया गया। सैटेलाइट ने शनिवार को परिचालन शुरू किया।

अंतरिक्ष में छिपने की जगहें खत्म हो गई हैं- दिगंतारा

दिगंतारा ने 14 जनवरी को स्पेसएक्स के ट्रांसपोर्टर-12 रॉकेट पर अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह एससीओटी (ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग के लिए स्पेस कैमरा) लॉन्च किया था। सैटेलाइट ने शनिवार को परिचालन शुरू किया। स्टार्ट-अप ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अंतरिक्ष में छिपने की जगहें खत्म हो गई हैं।

अंतरिक्ष यान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरिक्ष की बाहरी निगरानी महत्वपूर्ण है क्योंकि पृथ्वी के चारों ओर की कक्षाएं कृत्रिम उपग्रहों के साथ-साथ अंतरिक्ष मलबे से भरी हैं। ‘पिक्सल’ के तीन ‘फायरफ्लाई’ उपग्रह 30 मीटर मानक से छह गुना अधिक दक्ष हैं। ‘फायरफ्लाई’ इस समय दुनिया का सर्वाधिक रिजॉल्यूशन वाला व्यावसायिक स्तर का हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह समूह है।

दिगंतारा के सीईओ अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि यह हमारी टीम की मेहनत और आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी की कक्षाओं की सुरक्षा के लिए अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एससीओटी की पहली छवि एक तकनीकी मील का पत्थर से अधिक है।

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मोबाइल कर रहा आपके दिमाग को बीमार, रिसर्च में सामने आए हैरान कर देने वाले नतीजे; पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 11:22pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगर कोई आपसे पूछे कि क्या आपको फोन का एडिक्शन है? तो शायद आप एक झटके में इसे नकार देंगे। लेकिन अगर आप रात को सोने से पहले अपना फोन चेक न करें, तो शायद आपको नींद भी नहीं आएगी।

दरअसल सच्चाई ये है कि आज की तारीख में हर दूसरा शख्स फोन का एडिक्ट हो गया है। आप चाहें दोस्तों-यारों के बीच बैठे हों या कहीं शॉपिंग करने गए हों। नजर उठाकर देखेंगे, तो हर कोई फोन में घुसा नजर आएगा। अब एक रिसर्च में भी फोन एडिक्शन पर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

नोटिफिकेशन के प्रति सेंसिटिव दिमाग

ये स्टडी अमेजन किंडल ने ऑस्ट्रेलिया में की है। इस रिसर्च के नतीजों से पता चलता है कि हमारा दिमाग फोन के नोटिफिकेशन को लेकर कितना सेंसिटिव हो चुका है। कई बार तो ऐसा भी हो जाता है कि फोन में बिना कोई नोटिफिकेशन आए भी हमें उसकी आवाज सुनाई देती है और हम फोन चेक करने लगते हैं।

(फोटो: मेटा एआई)

इसकी तुलना इवान पावलोव के डॉग्स पर किए एक एक्सपेरिमेंट से की जा रही है। दरअसल पावलोव ने डॉग्स को इस तरह ट्रेंड कर दिया था कि घंटी की आवाज सुनते ही वह समझ जाते थे कि अब खाना मिलने की बारी है। इंसानों के लिए भी फोन कुछ इसी तरह का हो गया है।

रिसर्च में क्या पता चला?
  • रिसर्च में हिस्सा लेने वाले 78 फीसदी लोगों ने माना है कि वह हर घंटे एक बार अपना फोन जरूर चेक करते हैं।
  • इसमें से कई लोग ऐसे भी है, जो कम से कम 50 बार अपना स्क्रीन अनलॉक करते हैं।
  • 86 फीसदी लोगों ने माना है कि फोन चेक करने की आदत की वजह से वह शाम होने तक तनाव महसूस करने लगते हैं।
  • 69 फीसदी लोगों ने माना कि हर रात फोन चेक करने के कारण अपने निर्धारित समय से लेट सोते हैं।
मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि फोन चेक करने की आदत हमारे अंदर इतना बस चुकी है कि कोई वाइब्रेशन, पिंग या फोन की लाइट ऑन होते ही हम उसे तुरंत चेक करने लगते हैं। इससे किसी भी एक चीज पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है।

(फोटो: मेटा एआई)

इससे न सिर्फ हमारी नींद पर असर पड़ता है, बल्कि मेंटल हेल्थ भी बुरी होती चली जाती है। समय के साथ इससे प्रोडक्टिविटी कम होती है, बेचैनी बढ़ती है और फिर स्थिति बिगड़ती चली जाती है।

कैसे बनाएं फोन से दूरी?

यूं तो आज के डिजिटल दौर में फोन से दूर रह पाना आसान नहीं है, क्योंकि सुबह दूध की दुकान में पेमेंट करने से लेकर रात में न्यूज पढ़ने तक सब कुछ फोन से ही हो रहा है। लेकिन फिर भी कुछ आदतों में बदलाव करके इसे एडिक्शन को कम किया जा सकता है।

नियम बना लें कि सुबह उठने के एक घंटे बाद और सोने के एक घंटे पहले फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे और इसका कड़ाई से पालन करें। सप्ताह में किसी एक दिन बिना फोन के रहने की आदत डालें। सोशल मीडिया एप्स के नोटिफिकेशन को बंद कर दें। अगर आस-पास कहीं जा रहे हों, तो फोन को घर पर ही छोड़ दें।

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Voter ID को आधार कार्ड से करना पड़ेगा लिंक? गड़बड़ियों को रोकने के लिए EC कर रहा बड़ी तैयारी

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 10:36pm

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ियों के लगातार आरोपों से घिरे चुनाव आयोग के पास अब उसे आधार से जोड़ने के सिवाय और कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि आयोग नए सिरे से इसे अनिवार्य रूप से आधार से जोड़ने का मन बनाया है।

इसे लेकर जल्द ही वह सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रख सकता है। वैसे भी मतदाता सूची में गड़बड़ियों के मुद्दे पर राजनीतिक दल पहले से ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हुए है। माना जा रहा है कि इस मौके पर चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची को आधार से जोड़ने को लेकर नए सिरे से मजबूती के साथ अपना पक्ष रख सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

मतदाता सूची को मौजूदा समय में आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने पर रोक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही लगी हुई है। हालांकि कोर्ट ने चुनाव आयोग को इसे स्वैच्छिक विकल्प के रूप में रखने को था। जिसमें मतदाता स्वेच्छा से इसे आधार से लिंक करा सकते है।

पिछले कुछ सालों में स्वैच्छिक रूप से करीब 65 करोड़ मतदाताओं ने इसे आधार से लिंक करा दिया है। ऐसे में मौजूदा समय में कुल करीब 99 करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ 34 करोड़ ही आधार से अब तक नहीं चुके है, जो पूरी मतदाता सूची में गड़बड़ी की मुख्य वजह है।

निजता में दखल पर विवाद
  • आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें, तो अब जब आधार सभी बैंक खातों से लेकर स्कूलों और मकान की रजिस्ट्री तक में अनिवार्य कर दिया गया है, तो फिर इसे मतदाता सूची से जोड़ने में क्या दिक्कत है। रही बात निजता की तो यदि बैंक और स्कूलों में आधार देने से किसी तरह की निजता का हनन नहीं होता है, तो चुनाव आयोग को देने में कैसे होगा।
  • वह भी तब जब आयोग अपने किसी डाटा को सरकार या किसी दूसरे के साथ साझा नहीं करता है। सूत्रों की मानें तो आयोग ने मतदाता सूची को आधार से जोड़ने से जुड़ी अपनी तैयारी में एक नया सॉफ्टवेयर भी तैयार कराया है।
  • जिसमें आधार का कोई डाटा नहीं लिया जाएगा, सिर्फ मतदाता सूची के नाम को ही आधार से प्रमाणित किया जाएगा। ताकि एक नाम के दो मतदाता हो तो उनकी पहचान की जा सके।
आधार से लिंक करना अंतिम रास्ता

यह फिर एक मतदाता के नाम जो जगह से जुड़े है तो उन्हें भी पहचान कर हटाया जा सके। आयोग से वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो मतदाता सूची से जुड़े विवाद को खत्म करने का सिर्फ एक रास्ता है, वह उसे आधार से लिंक करना है।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की पहल 2015 में की थी, जिस पर कुछ काम भी हुआ था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में इसे निजता का मामला बताते हुए रोक लगा दी थी।

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'पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की ड्यूटी रात में भी हो', पूर्व IPS अधिकारी किरण बेदी ने और क्या कहा?

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 9:09pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी होने के कारण महिलाओं के लिए प्रेरणा-प्रतीक रहीं पुदुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरन बेदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आवाज उठाई कि महिलाओं के लिए सार्वजनिक परिवहन को रात्रि में भी सुरक्षित बनाया जाए।

एसोसिएशन ऑफ स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग्स (एएसआरटीयू) के राष्ट्रीय समारोह में देशभर में आईं चुनिंदा महिला चालकों-परिचालकों को सम्मानित करते हुए उन्होंने दिल्ली के निर्भया कांड का उदाहरण दिया और कहा कि बसों में महिलाओं के साथ रात में ही घटनाएं होती हैं, इसलिए उन्हें सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराने के लिए संवेदनशील और लंबे रूट पर नाइट ड्यूटी महिला चालकों-परिचालकों की अधिक लगाई जाए।

सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा

इंडियन हैबिटेट सेंटर में आयोजित समारोह में एक सर्वे के निष्कर्ष को साझा करते हुए डॉ किरन बेदी ने कहा कि 70 प्रतिशत महिलाएं सार्वजनिक परिवहन को अपने लिए सुरक्षित मानती हैं, लेकिन जैसे ही उनसे रात्रि में सफर के संबंध में पूछा जाए तो यह भरोसा गिरकर 30 प्रतिशत पर आ जाता है। इसका कारण यही है कि महिलाओं के साथ बसों में घटनाएं रात के समय में ही होती हैं।

नाइट ड्यूटी पर भेजी जाएं महिला चालक-परिचालक: किरण बेदी

कार्यक्रम में उपस्थित राज्य सड़क परिवहन निगमों के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर देखते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि महिला चालकों-परिचालकों को दोगुणे वेतन और इंसेंटिव के साथ संवेदनशील और लंबी दूरी के मार्गों पर नाइट ड्यूटी पर भेजें। इससे महिला यात्री खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी। बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। महिला चालकों-परिचालकों से भी उन्होंने कहा कि जब हर मामले में महिला और पुरुष बराबर हैं तो महिलाएं नाइट ड्यूटी क्यों नहीं कर सकतीं? यह जिम्मेदारी उन्हें आगे बढ़कर लेनी चाहिए।

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कर्नाटक में दरिंदगी! हैवानों ने मांगे 100 रुपये, नहीं देने पर इजरायली पर्यटक और होमस्टे मालिक के साथ गैंगरेप; साथी की हत्या

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 8:19pm

पीटीआई, कोप्पल। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर कर्नाटक के हम्पी में मावनता को शर्मसार करने वाली दरिंदगी की विभत्स घटना सामने आई है। कुछ लोगों ने इजरायली टूरिस्ट समेत दो महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म किया, फिर उनके एक पुरुष साथी की हत्या कर दी।

हम्पी में नहर किनारे तीन पुरुष पर्यटकों के साथ महिलाएं संगीत सुन रही थीं, तभी यह वारदात हुई। बाइक से आए तीन लोगों ने पुरुष पर्यटकों को नहर में ढकेल दिया, फिर सामूहिक दुष्कर्म किया।

तीनों अभियुक्त को किया गया गिरफ्तार

पुलिस ने शनिवार को बताया कि हम्पी के पास तारों को निहारने (Star Gazing) और संगीत सुनने के दौरान 27 वर्षीय इजरायली पर्यटक समेत दो महिलाओं के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और उन पर हमला किया गया। महिलाओं के साथ मौजूद तीन पुरुष पर्यटकों पर भी हमला किया गया और उन्हें नहर में ढकेल दिया गया। उनमें से एक की मौत हो गई।

कोप्पल के पुलिस अधीक्षक राम एल. अरासिद्दी ने बताया, ''तीनों आरोपितों में से हमने दो को गिरफ्तार कर लिया है और मामले में तीसरे संदिग्ध को पकड़ने की कोशिश जारी है।''

  • गिरफ्तार आरोपितों की पहचान मल्लेश और चेतन साई के रूप में हुई है।
  • दोनों की उम्र 21 साल है और वे गंगावती इलाके के साई नगर के रहने वाले हैं और राजमिस्त्री का काम करते हैं।
  • घटना गुरुवार रात करीब 11 बजे हुई।

पुलिस ने बताया कि डिनर के बाद 29-वर्षीय होमस्टे ऑपरेटर, इजरायली पर्यटक और तीन पुरुष पर्यटकों के साथ सनापुर झील के पास तुंगभद्र नहर के बाएं किनारे पर बैठ गिटार बजा रही थी। वे सभी संगीत का आनंद ले रहे थे और तारों को निहार रहे थे।

100 रुपये मांगे, नहीं देने पर किया दुष्कर्म

पुलिस ने बताया कि पुरुष पर्यटकों में से एक अमेरिका से था, जबकि अन्य ओडिशा और महाराष्ट्र से थे। पुलिस के अनुसार, अपनी शिकायत में होमस्टे ऑपरेटर ने आरोप लगाया कि जब वे नहर किनारे अपने मनोरंजन में मशगुल थे तो मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोग उनके पास आए और पूछा कि उन्हें पेट्रोल कहां मिलेगा। जब उसने उन्हें बताया कि आस-पास कोई पेट्रोल पंप नहीं है और सुझाव दिया कि वे सनापुर से पेट्रोल ले लें तो आरोपितों ने उससे 100 रुपये मांगे।

एफआईआर के मुताबिक, ''चूंकि होमस्टे ऑपरेटर उन्हें नहीं जानती थी, इसलिए उसने उनसे कहा कि उनके पास पैसे नहीं हैं। जब मोटरसाइकिल सवार तीन लोगों ने बार-बार जोर दिया तो ओडिशा के पुरुष पर्यटकों में से एक ने उन्हें 20 रुपये दे दिए। इसके बाद तीनों ने कथित तौर पर उनसे बहस करना शुरू कर दिया और पत्थरों से उनके सिर फोड़ने की धमकी दी।''

गाली दिया, नहर में ढकेला और दुष्कर्म किया

जब उन लोगों ने उन्हें और पैसे देने से मना कर दिया तो कन्नड़ और तेलुगु बोलने वाले आरोपितों ने उन्हें गाली देना शुरू कर दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इसके बाद उन्होंने होमस्टे ऑपरेटर और इजरायली पर्यटक के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया और तीन पुरुष पर्यटकों को नहर में ढकेल दिया।

एफआईआर में कहा गया है, ''दो आरोपितों ने होमस्टे ऑपरेटर को बुरी तरह से पीटा जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई, जबकि तीसरे आरोपित ने आक्रामक तरीके से तीन पुरुष पर्यटकों को नहर में ढकेल दिया।''

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महिला RPF के पास होगा मिर्च स्प्रे, रेलवे महानिदेशक ने बताई इस फैसले की वजह

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 7:55pm

जेएनएन, भोपाल। महिला यात्रियों की सुरक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने एक अहम कदम उठाया है। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की महिला कर्मियों को अब मिर्च स्प्रे कैन से लैस किया जाएगा, जिससे वे आपातकालीन परिस्थितियों में अधिक सशक्त और प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकेंगी।

यह निर्णय विशेष रूप से महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और महिला आरपीएफ कर्मियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। भारतीय रेलवे ने यह कदम उन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए उठाया है, जहां महिला यात्री असुरक्षित महसूस कर सकती हैं। सुनसान रेलवे स्टेशन, चलती ट्रेनें और दूरस्थ स्थानों पर तैनात महिला आरपीएफ कर्मियों को मिर्च स्प्रे से लैस करना उन्हें संभावित खतरों से निपटने में मदद करेगा।

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के महानिदेशक मनोज यादव ने इस पहल को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा,"यह निर्णय महिला सशक्तिकरण और सार्वजनिक स्थलों को अधिक सुरक्षित बनाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। महिला आरपीएफ कर्मियों को मिर्च स्प्रे देकर हम न केवल उनकी सुरक्षा बढ़ा रहे हैं, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और आत्मविश्वास को भी मजबूत कर रहे हैं।"

भोपाल रेल मंडल में 45 महिला RPF कर्मी तैनात

भोपाल रेल मंडल में कुल 500 से अधिक आरपीएफ जवान हैं, जिनमें करीब 45 महिला जवान कार्यरत हैं। इन महिला कर्मियों को न केवल मिर्च स्प्रे कैन से लैस किया जाएगा, बल्कि उन्हें आत्मरक्षा और संकट प्रबंधन की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जिससे वे किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें।

'मेरी सहेली' टीम का अहम योगदान

भारतीय रेलवे महिला सुरक्षा को लेकर विशेष रूप से सतर्क है। वर्तमान में आरपीएफ में 9% महिलाएं कार्यरत हैं, जो कि किसी भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) में महिलाओं का सबसे अधिक अनुपात है। इनमें से कई महिला आरपीएफ कर्मी 'मेरी सहेली' टीम का हिस्सा हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

देशभर में 250 से अधिक 'मेरी सहेली' टीमें प्रतिदिन लगभग 12,900 महिला यात्रियों से संपर्क स्थापित कर उनकी सहायता करती हैं। संकट की स्थिति में महिला आरपीएफ कर्मी तुरंत सहायता के लिए आगे आती हैं, जिससे यात्रियों को अधिक सुरक्षित यात्रा अनुभव मिलता है।

महिला सुरक्षा पर रेलवे की विशेष योजना

भोपाल रेल मंडल के कमांडेंट प्रशांत यादव ने बताया कि हाल ही में कुछ जोनों में महिला आरपीएफ कर्मियों पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मिर्च स्प्रे उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा,"हमारी महिला कर्मी न केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी, बल्कि अन्य महिला यात्रियों में भी जागरूकता बढ़ाने का कार्य करेंगी।"

इस पहल से न केवल महिला आरपीएफ कर्मियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि महिला यात्रियों को भी अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद माहौल मिलेगा।

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Vernal Equinox 2025: जब दिन और रात होते हैं बराबर, क्या है वैज्ञानिक महत्व?

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 6:27pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 20 मार्च 2025 को वसंत विषुव (Vernal Equinox 2025) होगा। इसे Spring Equinox भी कहा जाता है। यह एक प्राकृतिक घटना है। ये साल भर में दो बार होता है। इस दिन दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। इस दिन सूर्य सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर होता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु की शुरूआत होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध शरद ऋतु में प्रवेश करता है।

यह खगोलीय घटना वर्ष में दो बार होती है, जब दुनिया भर में दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है। ये घटना पृथ्वी के अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुके रहने की वजह से होती है, इसी के जरिए सूर्य की रोशनी का वितरण लगभग बराबर होता है।

साल में दो बार होती है ये घटना

विषुव साल में दो बार लगभग 20 या 21 मार्च और 22 या 23 सितंबर को होता है, जब सूर्य सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर होता है। विषुव के दौरान उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध दोनों में दिन एवं रात बराबर होते हैं। वसंत विषुव उत्तरी गोलार्द्ध में 20 या 21 मार्च को होता है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में यह 22 या 23 सितंबर को होता है।

Vernal Equinox का सांस्कृतिक महत्व

वसंत विषुव वसंत को दुनिया भर की कई सभ्याताओं में एक सौर त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन से ही मौसम में बदलाव की शुरूआत होती है। सदियों से साइप्रस से एफ़्रोडाइट, मिस्र से हैथोर और स्कैंडिनेविया के ओस्टारा और सेल्ट्स ने साल के इस समय उत्सव मनाकर परंपरा को जारी रखा है।

दुनिया भर के बूतपरस्त लोग आज भी इसे त्योहार के तौर पर मनाते हैं। दरअसल इन लोगों को मानना होता है कि मौसम में हो रहे इस बदलाव में ईश्वर की इच्छा है और वह इसके लिए उनका शुक्रिया अदा करते हैं। 

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'सरकारी नौकरी के पद कम, कैंडिडेट ज्यादा', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी; इस मामले में हाईकोर्ट का आदेश पलटा

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 5:50pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि देश में सरकारी नौकरियों की चाह रखने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कहीं अधिक है। कोर्ट ने सिविल भर्ती परीक्षा की 'पवित्रता से खिलवाड़' करने के आरोपी दो व्यक्तियों को जमानत देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को रद कर दिया है।

इसने कहा कि इस कृत्य से संभवत: कई अन्य लोग भी प्रभावित हुए, जिन्होंने नौकरी पाने की उम्मीद में ईमानदारी से प्रयास किया था। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि इस तरह के कृत्य से लोक प्रशासन और कार्यपालिका में लोगों का विश्वास संभवत: कम होता है।

अदालत ने की अहम टिप्पणी

पीठ ने कहा, 'वास्तविकता यह है कि भारत में सरकारी नौकरियों की चाह रखने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कहीं अधिक है। चाहे जो भी हो, प्रत्येक नौकरी जिसमें निर्धारित परीक्षा और/या साक्षात्कार प्रक्रिया के साथ स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रवेश प्रक्रिया है, उसे केवल उसी के अनुसार भरा जाना चाहिए।'

पीठ ने यह भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण ईमानदारी लोगों में इस तथ्य के प्रति विश्वास पैदा करती है कि कतिपय पदों के वास्तविक हकदार ही ऐसे पदों पर नियुक्त किए गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के हाईकोर्ट के पिछले साल मई के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
  • हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और राजस्थान लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2022 के प्रविधानों के तहत कथित अपराधों के लिए दर्ज एफआईआर के संबंध में दो आरोपियों को जमानत दे दी थी।
  • एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2022 की 'पवित्रता' के साथ खिलवाड़ किया था। एफआईआर में दावा किया गया है कि उनमें से एक अभ्यर्थी की जगह एक अन्य व्यक्ति कथित तौर पर डमी कैंडिडेट के रूप में परीक्षा में उपस्थित हुआ था।
  • इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि अटेंडेंस शीट के साथ छेड़छाड़ की गई थी और मूल प्रवेश पत्र पर किसी अन्य व्यक्ति की फोटो चिपका दी गई थी। सात मार्च को दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि दोनों आरोपियों ने पहले ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, जिसने उनकी संबंधित जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

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टायर जलाए, सड़कें खोदी... मणिपुर में फ्री मूवमेंट के पहले ही दिन सुरक्षाबलों और उग्रवादियों में झड़प

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 5:18pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मणिपुर में 8 मार्च यानी आज से सुरक्षित यातायात के लिए Manipur Free Movement का आदेश दिया था। इसके तहत राज्यभर में बस सेवाएं शुरू की गई, जिसमें इंफाल से सेनापति जिले के रास्ते कांगपोकपी और इंफाल से विष्णुपुर तक की बस सेवाएं शामिल हैं। लेकिन इस आदेश के पहले ही रोज कुछ जगहों पर हिंसा भड़क गई।

कुकी जनजातियां अलग प्रशासन की कर रही मांग

बता दें कुकी जनजातियां तब तक स्वतंत्र आवागमन नहीं चाहतीं, जब तक कि राज्य से अलग प्रशासन बनाने की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। कई बसें राज्य की राजधानी इंफाल से 45 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में अवरोधकों को तोड़ते हुए आगे बढ़ते हुए दिखाई दी।

राजमार्ग को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रही कुकी जनजाति की कई महिलाएं सुरक्षा बलों के लाठीचार्ज में घायल हो गईं। केंद्र ने घोषणा की है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन के अधीन आए राज्य में आज से कहीं भी सड़क अवरोध नहीं होगा।

Last week, Home Minster Amit Shah declared that free movement should be allowed across all roads in Manipur from March 8. In a state where so many issues remain unresolved, attempts to move a Manipur transport bus was met with opposition. Women blocked the road pic.twitter.com/Hr7Kp8FEo8

— Greeshma Kuthar (@jeegujja) March 8, 2025

कई इलाके में पत्थरबाजी और टायर जलाए गए

मणिपुर में कुकी बहुल कई इलाकों से झड़पों की खबरें आई हैं। स्थानीय लोगों द्वारा शेयर किए गए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को वाहनों पर पत्थर फेंकते, सड़कें खोदते, टायर जलाते और बैरिकेड लगाते हुए देखा जा सकता है। कुछ लोगों ने सुरक्षा बलों पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें वापस जाने के लिए कहा।

कुकी नेताओं और लगभग दो दर्जन उग्रवादी समूहों, जिन्होंने कार्रवाई स्थगन (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और उनके अग्रणी नागरिक संगठनों ने मांग की है कि केंद्र सरकार समुदायों को मणिपुर में खुलेआम घूमने की इजाजत देने से पहले एक अलग प्रशासन दे।

पहले भी की गई थी आवागमन शुरू करने की कोशिश

दिसंबर 2024 में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी राज्य में आवागमन को फिर से शुरू रखने की लिए कदम उठाए थे लेकिन कोई यात्री ही स्टेशन पर नहीं आया था। उन्होंने इम्फाल से कांगपोकपी और चुराचांदपुर तक सरकारी बसों की सुविधा शुरू की थी. लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली।

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1.3 करोड़ रुपये देकर ललित मोदी ने खरीदी Vanuatu की नागरिकता, यह छोटा देश क्यों है भगोड़ों की पनाहगाह

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 5:08pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व अध्यक्ष और IPL के संस्थापक ललित मोदी को लेकर विदेश मंत्रालय ने एक नया खुलासा किया है।

विदेश मंत्रालय ने बताया है कि ललित मोदी ने अपना भारतीय पासपोर्ट जमा कर दिया है। इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने बताया कि भगोड़े ललित मोदी ने वनातु (Vanuatu, Oceania) की नागरिकता हासिल कर ली है। यानी अब उन्हें भारत लाना और भी मुश्किल होगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए आवेदन किया है. मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के तहत इसकी जांच की जाएगी. हमें यह भी बताया गया है कि उन्होंने वनातु की नागरिकता हासिल कर ली है. हम कानून के तहत उनके खिलाफ मामले को आगे बढ़ा रहे हैं."

ललित मोदी पर क्या हैं आरोप?

ललित मोदी पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष रहते हुए हेराफेरी, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) का उल्लंघन करने का आरोप है। अनधिकृत फंड ट्रांसफर सहित वित्तीय कदाचार के लिए जांच के दौरान उन्होंने 2010 में भारत छोड़ दिया था।

वनातु देश कहां है और भगोड़ों के लिए क्यों खास है यहां की नागरिकता?

वनातु साउथ पैसेफिक आईलैंड में बसा के एक देश है। यह देश 80 द्वीपों को मिलाकर बना है। यह करीब 1300 किलोमीटर के स्ट्रेच पर बसा है। रिपोर्ट के मुताबिक, वनातु की आबादी महज तीन लाख है। कैपिटल इन्वेस्टमेंट इमिग्रेशन प्लान के तहत इस देश की नागरिकता ली जा सकती है। इसके लिए 1 लाख 55 हजार अमेरिकी डॉलर (1.3 करोड़ रुपये) का निवेश करना होता है।

इस देश को टैक्स हैवन देश के तौर पर माना जाता है। यहां नागरिकता लेने के लिए आपको बगैर इस देश में कदम रखे ऑनलाइन माध्यम से नागरिकता मिल जाती है। इस देश में किसी भी तरह का कैपिटल टैक्स, प्रॉपर्टी या इनकम टैक्स नहीं लगता है। यह देश भगोड़ो के लिए पसंदीदा माना जाता है।

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COVID-19 के 5 साल बाद भी उबर नहीं पाई दुनिया की इकोनॉमी, 2019 के बाद से क्या-क्या बदला?

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 5:05pm

रॉयटर्स, नई दिल्ली। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी के तौर पर घोषित किया था, तब लोगों ने नई आदतें अपनानी शुरू कीं। उस दौर को बीते 5 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी भी ग्लोबल इकोनॉमी पर इसका असर महसूस किया जाता है।

कोविड-19 और इससे निपटने के प्रयासों के मद्देनजर सरकारों पर रिकॉर्ड मात्रा में कर्ज बढ़ा, लेबर मार्केट पर असर पड़ा, लोगों ने अपनी आदतें बदलीं, रिमोट वर्क, डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी हुई और ट्रैवल पैटर्न में भी बदलाव देखने को मिला।

सरकारों पर काफी बढ़ गया कर्ज

2020 के बाद से ग्लोबल सरकारी कर्ज में 12 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है। लॉकडाउन हटने के बाद कई सरकारों ने प्रोत्साहन पैकेज दिया। इस दौरान लेबर और रॉ मैटेरियल की कमी के कारण कई देशों में मुद्रास्फीति काफी तेजी से बढ़ी।

भरपाई के लिए केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ा दीं। कई एजेंसियों के डेटा में भी सरकारों द्वारा ज्यादा ऋण लेने की प्रवृत्ति दिखाई देती है। इसके कारण वित्तीय चुनौतियां भी बढ़ी हैं।

रोजगार पर भी पड़ा असर
  • लॉकडाउन के वक्त लाखों लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी। इसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ा। लॉकडाउन खत्म हुआ, तो पुरुष नौकरी पर वापस लौट गए। लेकिन घर-परिवार की जिम्मेदारी के कारण महिलाओं की भागीदारी कम ही रही।
  • वर्क फ्रॉम होम के चलते आज भी लंदन जैसे शहरों में यातायात पर दबाव काफी कम है। लोग पहले की तरह ही घूम-फिर रहे हैं, लेकिन फिर भी शहरों में आवागमन कम हो गया है। हालांकि फ्लाइट और होटलों की कीमतें बढ़ी हैं।
ऑनलाइन खरीदारी में आई तेजी

लॉकडाउन में जब घरों से निकलना संभव नहीं था, तब लोगों ने ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह दी। कोविड खत्म हो गया, लेकिन ये आदत अभी भी बरकरार है। हालांकि यूरोप जैसी जगहों पर लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगहों से समान खरीदारी कर रहे हैं।

दिसंबर 2019 से बिटकॉइन की कीमत 1,233% बढ़ गई है। लोगों ने अब इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर दिया है। महामारी के दौरान डिजिटल और डिलीवरी फर्म के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, साथ ही वैक्सीन बनाने वाली दवा कंपनियों के शेयरों में भी बढ़त दर्ज की गई।

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मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED का एक्शन, नामी उद्योगपति का 14 करोड़ का प्राइवेट जेट किया जब्त

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 4:27pm

पीटीआई, हैदराबाद। Hyderabad money laundering case प्रवर्तन निदेशालय ने हैदराबाद में एक कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने जांच के तहत करीब 14 करोड़ रुपये का एक निजी जेट जब्त किया है। 

फाल्कन ग्रुप के पोंजी घोटाले पर एक्शन

इन प्रमोटरों ने कथित तौर पर पोंजी घोटाले में कई निवेशकों से करोड़ों रुपये ठगे हैं। सूत्रों ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला फाल्कन ग्रुप (कैपिटल प्रोटेक्शन फोर्स प्राइवेट लिमिटेड), इसके सीएमडी अमर दीप कुमार और कुछ अन्य के खिलाफ स्थानीय पुलिस एफआईआर से जुड़ा है। 

जेट का इस्तेमाल विदेश भागा सीएमडी

जानकारी के अनुसार, कंपनी के सीएमडी अमर दीप कुमार इस जेट का इस्तेमाल कर देश से भाग गए हैं। आरोपों पर प्रतिक्रिया के लिए उनसे या उनकी कंपनी से तुरंत संपर्क नहीं किया जा सका।

पीटीआई को मिली जानकारी के अनुसार, ईडी ने पाया कि 8-सीटर बिजनेस जेट 'एन935एच हॉकर 800ए' (कुमार की कंपनी के स्वामित्व वाला) शुक्रवार को शमशाबाद में हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा है, जिसके बाद उसे जब्त कर लिया गया। 

16 लाख डॉलर में खरीदा गया था जेट

2024 में ये जेट करीब 16 लाख डॉलर में खरीदा गया था। ईडी अधिकारियों ने आज जेट की मनी लॉन्ड्रिंग केस के तहत तलाशी की और उन्होंने वहां मौजूद कुमार के चालक दल और कुछ "करीबी सहयोगियों" के बयान भी दर्ज किए। 

उन्होंने बताया कि प्रेस्टीज जेट्स इंक नामक कुमार की निजी चार्टर कंपनी के स्वामित्व वाले व्यावसायिक विमान को जब्त कर लिया गया है। एजेंसी का मानना ​​है कि जेट को कथित पोंजी योजना से कमाए घोटाले के पैसों से खरीदा था।

850 करोड़ के घोटाले का है मामला

ईडी ने सीमा शुल्क विभाग से जेट की आवाजाही के बारे में एक सामान्य घोषणा मांगी, जिसके बाद पता चला कि कुमार एक अन्य व्यक्ति के साथ 22 जनवरी को उक्त विमान में सवार होकर देश से बाहर चले गया था। बता दें कि कथित रूप से इस घोटाले में 850 करोड़ रुपये की निवेश धोखाधड़ी की गई है। 

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'ब्लू कॉलर जॉब, साढ़े तीन लाख की सैलरी...', कैसे एजेंट के जाल में फंस गया केरल का शख्स? जॉर्डन पुलिस ने मारी गोली

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 3:57pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल के रहने वाले थॉमस गैब्रियल परेरा की इजरायल और जॉर्डन बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने गोली मारकर हत्या कर दी। जॉर्डन के सैनिकों ने परेरा को उस वक्त गोली मार दी जब, वो कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से इजराल में दाखिल होने की कोशिश कर रहा था।

परेरा के साथ मेनमकुलम के रहने वाले उनके रिश्तेदार (बहनोई) एडिसन चार्ल्स भी थे। गोलीबारी में एडिसन चार्ल्स भी घायल हो गए। हालांकि, उनकी जान बच गई।

एजेंट को दिए थे लाखों रुपए

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, परेरा को और चार्ल्स को एजेंट ने जॉर्डन में 3,50,000 रुपये प्रति माह वेतन वाली नौकरी दिलाने का वादा किया था। भारत छोड़ने से पहले उन्होंने एजेंट को 2,10,000 रुपये का भुगतान किया था और टूरिस्ट वीजा पर जॉर्डन पहुंचने के बाद 52,289 रुपये ($600) अतिरिक्त दिए थे। हालांकि, जब वे फरवरी की शुरुआत में जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे, तो एजेंट ने उन्हें बताया कि वहां कोई नौकरी उपलब्ध नहीं है।

नौकरी की तलाश में इजरायल में दाखिल होना चाहते थे दोनों

एजेंट ने दोनों भारतीयों से कहा कि इजराइल में नौकरी के बहुत अवसर हैं और उन्हें सुझाव दिया कि वे अवैध रूप से देश में प्रवेश करने का प्रयास करें। 10 फरवरी को जब दोनों ने सीमा पार करने की कोशिश की तो जॉर्डन के सैनिकों ने उन्हें गोली मार दी। परेरा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार्लास बच गया। इलाज के बाद उसे भारत वापस भेज दिया गया। जानकारी के मुताबिक,केरल में दोनों ऑटो रिक्शा चलाते थे।

जॉर्डन स्थित भारतीय दूतावास ने इस घटना पर चिंता जाहिर की। दूतावास ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा,"दूतावास मृतक के परिवार के संपर्क में है और मृतक के पार्थिव शरीर को ले जाने के लिए जॉर्डन के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।"

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जन विश्वास 2.0 में 1000 से अधिक कारोबारी नियमों में हो सकते हैं बदलाव, आम लोगों को होगा फायदा

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 7:43am

राजीव कुमार, नई दिल्ली। कारोबार को बिल्कुल आसान बनाने के लिए सरकार नियम-कानून में बड़े बदलाव लाने पर मंथन कर रही है। औद्योगिक संगठन, एसोसिएशन, राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से विचार-विमर्श शुरू हो गया है। श्रम कानून से लेकर भवन निर्माण, पानी-बिजली कनेक्शन, लॉजिस्टिक एवं पर्यावरण संबंधी नियमों में मुख्य रूप से बदलाव किए जाएंगे।

1000 से अधिक नियम-कानून बदले जा सकते हैं

मामूली नियमों के पालन में चूक पर जेल और जुर्माने का प्रविधान समाप्त किया जाएगा। हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद जन विश्वास बिल 2.0 संसद में पेश किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इस बार 1000 से अधिक नियम-कानून बदले जा सकते हैं। वर्ष 2023 में नियमों में ढील के लिए जन विश्वास बिल 1.0 लाया गया था।

जन विश्वास बिल 1.0 के तहत अब तक 283 नियमों में बदलाव

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) के अनुसार, जन विश्वास बिल 1.0 के तहत अब तक 283 नियमों में बदलाव और सैकड़ों प्रविधान को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। इस बार भी वैसी ही तैयारी है।

आर्थिक सर्वेक्षण से लेकर बजट तक में कारोबारी नियमों में बड़े बदलाव की जरूरत बताई गई थी क्योंकि इनके पालन की वजह से हमारी लागत वियतनाम, जापान, इंडोनेशिया जैसे देशों से अधिक हो जाती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दो दिन पहले मैन्यूफैक्चरिंग, निर्यात में बढ़ोतरी व एमएसएमई को ग्रोथ इंजन बनाने पर नियमों के गैर अपराधीकरण और बड़े बदलाव का संकेत दे चुके हैं। जन विश्वास बिल 2.0 को तैयार करने के लिए राज्यों पर खास फोकस है। कई नियमों में बदलाव के लिए राज्य को केंद्र की इजाजत लेनी होगी।

राज्यों व वहां के स्थानीय निकायों के अलग-अलग नियम हैं, जिन्हें बदलने की जरूरत है। तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने नियमों को काफी आसान बनाया है। उनके माडल से भी चीजें अपनाई जा सकती हैं। मामूली गलती के लिए सजा या जुर्माने वाले सभी प्रविधान खत्म किए जा सकते हैं।

अभी 11,500 नियमों का पालन जरूरी

जानकारों के अनुसार, अगर कोई उद्यमी देश के विभिन्न राज्यों में फैक्ट्री चलाता है तो कार्यस्थल की सुरक्षा, श्रम, टैक्स जैसे विभिन्न नियमों के तहत उसे राज्यों, स्थानीय निकायों व केंद्र सरकार के 11,500 नियमों का पालन करना पड़ता है। इनमें से 7,600 नियमों के पालन में चूक होने पर जुर्माना या कैद का प्रविधान है।

वसूली की भी वजह बने ये नियम

विशेषज्ञों के मुताबिक छोटे-छोटे नियमों के पालन में चूक पर कैद और भारी जुर्माने का डर दिखाकर इंस्पेक्टर उद्यमियों से वसूली करते हैं। उदाहरण के लिए फैक्ट्री के रखरखाव के रिकार्ड को ठीक से नहीं रखने और सुरक्षा संबंधी नियमों में जरा सी अनदेखी पर जुर्माने के साथ कैद तक का प्रविधान है। श्रम कानून के अधिकतर प्रविधान में कैद शामिल है। कैद व जुर्माने की वजह से एक सीमा के बाद श्रमिकों से ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता है और जरूरत के बावजूद उनसे अधिक काम नहीं लिया जा सकता है।

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भीड़ से बचने के लिए देश के 60 रेलवे स्टेशनों पर नई व्यवस्था, कंफर्म टिकट पर ही मिलेगा प्रवेश

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 7:17am

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे स्टेशनों पर भीड़भाड़ और भगदड़ को रोकने के लिए रेलवे ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं। महाकुंभ के दौरान तात्कालिक तौर पर देश भर के 60 प्रमुख स्टेशनों पर बनाए गए प्रतीक्षालय क्षेत्र को स्थायी किया जा रहा है।

सभी अनधिकृत प्रवेश प्वाइंट को सील कर दिया जाएगा

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में गुरुवार को उच्चस्तरीय बैठक में रेलवे स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण के बारे में विमर्श किया गया और कई बड़े निर्णय लिए गए। देश के 60 प्रमुख स्टेशनों के सभी अनधिकृत प्रवेश प्वाइंट को सील कर दिया जाएगा। प्लेटफार्मों पर सिर्फ कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को ही जाने की अनुमति मिलेगी।

इन रेलवे स्टेशनों पर लागू होगी व्यवस्था

पायलट प्रोजेक्ट के तहत नई दिल्ली, आनंद विहार, सूरत, वाराणसी, अयोध्या एवं पटना स्टेशनों पर यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से शुरू की जा रही है। टिकटों की बिक्री ट्रेनों की क्षमता के अनुसार की जाएगी। स्टेशनों पर रेलवे स्टाफ के लिए ड्रेस कोड भी लागू किया गया है। रेलवे द्वारा यह बदलाव महाकुंभ के दौरान दिल्ली स्टेशन पर मची भगदड़ से सबक लेते हुए किया जा रहा है, ताकि त्योहारों के दौरान यात्रियों को कोई दिक्कत नहीं हो।

महाकुंभ के दौरान 60 स्टेशनों के बाहर प्रतीक्षालय बनाए गए थे, जिससे सूरत, पटना और नई दिल्ली में भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिली। यात्रियों को तभी प्लेटफार्म पर जाने की अनुमति दी जाने लगी, जब ट्रेन पहुंच जाती थी। अब इसे स्थायी किए जाने से प्लेटफार्म पर अचानक आने वाली भीड़ को प्रतीक्षालय में रोका जा सकेगा।

बिना टिकट यात्रियों को वेटिंग एरिया में ही रोक दिया जाएगा

बिना टिकट या प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को वेटिंग एरिया में ही रोक दिया जाएगा। स्टेशनों पर एक प्लेटफार्म से दूसरे पर जाने के लिए चौड़े फुट-ओवर ब्रिज का भी निर्माण होगा। इसकी लंबाई 12 मीटर और चौड़ाई छह मीटर होगी। मानक ब्रिज के दो नए डिजाइन तैयार किए गए हैं।

सभी स्टेशनों और आसपास के क्षेत्रों में निगरानी के लिए बड़ी संख्या में कैमरे लगाए जाएंगे। बड़े स्टेशनों पर वार रूम बनाने की भी तैयारी है। भीड़ की स्थिति में वार रूम में काम किया जा सकेगा। आधुनिक डिजाइन वाले डिजिटल संचार उपकरण जैसे वाकी-टाकी आदि लगाए जाएंगे।

कर्मियों के लिए ड्रेस कोड भी तय कर दिया है

रेल मंत्रालय ने स्टेशनों पर काम करने वाले रेलवे स्टाफ एवं सेवा कर्मियों के लिए ड्रेस कोड भी तय कर दिया है। उन्हें नए डिजाइन का परिचय पत्र एवं यूनिफार्म दिया जाएगा, ताकि प्लेटफार्म पर सिर्फ अधिकृत व्यक्तियों का ही प्रवेश हो सके।

आपात स्थिति में यूनिफार्म के जरिये रेलवे स्टाफ को पहचान सकने में सुविधा होगी। स्टेशनों पर व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को स्टेशन निदेशक बनाया जाएगा, जिसे सभी अन्य विभागों के प्रमुख रिपोर्ट करेंगे।

क्षमता से ज्यादा टिकट की बिक्री नहीं होगी

निदेशक को वित्तीय अधिकार भी दिया जाएगा, ताकि व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल निर्णय लिया जा सके। निदेशक के पास स्टेशन की क्षमता एवं उपलब्ध ट्रेनों के अनुसार टिकट बिक्री को भी नियंत्रित करने का अधिकार होगा। क्षमता से ज्यादा टिकट की बिक्री नहीं होगी।

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Ranya Rao: रान्या ने 17 सोने की छड़ें रखने की बात स्वीकारी, डीआरआई की पूछताछ में हो सकते हैं बड़े खुलासे

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 7:07am

 पीटीआई, बेंगलुरु। सोना तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव ने अपने पास 17 सोने की छड़ें होने की बात स्वीकार की है। इस बीच शुक्रवार को आर्थिक अपराधों की विशेष अदालत ने रान्या को डीआरआइ की तीन दिन की हिरासत में भेज दिया।

रान्या ने छह महीनों में 27 बार दुबई की यात्रा की

जांचकर्ताओं ने बताया कि रान्या का पासपोर्ट हर्षवर्दिनी रान्या के नाम से बना है। उसने पिछले छह महीनों में 27 बार दुबई की यात्रा की थी। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) के सूत्रों ने बताया कि रान्या यूरोप, अमेरिका और सऊदी अरब सहित पश्चिम एशिया की यात्रा भी कर चुकी है।

रान्या को डीआरआइ अधिकारियों ने बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर 14.8 किलोग्राम सोने की तस्करी करते हुए उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह सोमवार रात दुबई से बेंगलुरु पहुंची थी। उसके पास से जब्त सोने की छड़ों की कीमत 12.56 करोड़ रुपये है।

अब तक 17.29 करोड़ रुपये की जब्ती हुई

रान्या की गिरफ्तारी के बाद की गई छापेमारी में रान्या के बेंगलुरु के फ्लैट से 2.06 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और 2.67 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई। मामले में अब तक 17.29 करोड़ रुपये की जब्ती की गई है।

रामचंद्र राव की सौतेली बेटी है रान्या

रान्या कर्नाटक के डीजीपी रैंक के अधिकारी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी है। रामचंद्र इस समय कर्नाटक राज्य पुलिस आवास और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।

रियल एस्टेट करोबारी केएस हेगड़ेश की बेटी रान्या

अधिकारियों के अनुसार, रान्या ने बताया कि वह यूरोप, अमेरिका और दुबई तथा सऊदी अरब सहित पश्चिम एशिया की यात्रा कर चुकी है। वह रियल एस्टेट करोबारी केएस हेगड़ेश की बेटी है। रान्या ने यह भी बताया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की है और और वन्यजीव फोटोग्राफर के रूप में भी काम किया है। रान्या ने बताया कि वह अपने पति जतिन हुक्केरी (जो कि आर्किटेक्ट हैं) के साथ बेंगलुरु में रहती है।

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तेलंगाना: खोजी कुत्तों ने सुरंग में इंसानी मौजूदगी वाले दो स्थान पहचाने, बचावकर्मियों ने मलबा निकालना किया शुरू

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 7:07am

 पीटीआई, नगरकुरनूल। आंशिक रूप से ढही एसएलबीसी सुरंग के अंदर शुक्रवार को शवों के खोजी कुत्तों ने इंसानी मौजूदगी के दो संभावित स्थानों की पहचान की। इसके बाद बचावकर्मियों ने वहां का मलबा निकालना शुरू कर दिया है। 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद से अब तक आठ लोग सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं।

टीमें इन स्थानों से मलबा हटा रही हैं

बचाव कार्य में केरल पुलिस के शवों को खोजने वाले कुत्ते शामिल होने के बाद शुक्रवार सुबह उन्हें सुरंग के अंदर ले जाया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुत्ते उन संभावित स्थानों का पता लगा रहे हैं, जहां श्रमिक फंसे हो सकते हैं। उन्होंने दो संभावित स्थान पहचाने हैं और टीमें इन स्थानों से मलबा हटा रही हैं।

मानव शवों को खोजने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं कुत्ते

उन्होंने बताया कि ये कुत्ते लापता इंसानों और मानव शवों को खोजने के लिए विशेषरूप से प्रशिक्षित किए गए होते हैं। केरल पुलिस के ये खोजी कुत्ते बेल्जियन मालिनोइस नस्ल के हैं और 15 फीट गहराई की भी गंध का पता लगा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की मेडिकल टीम को भी मानक संचालन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में भेजा गया है, ताकि उनका पता चलने पर त्वरित कार्रवाई की जा सके।

रोबोटिक्स टीम अपने काम पर लगी हुई है

दिन में खनन कंपनी और रैट माइन्स की टीम भी चुने गए स्थानों पर काम करने अंदर पहुंची। जबकि एक टीम रोबोट के इस्तेमाल की संभावना तलाशने के लिए शुक्रवार सुबह सुरंग में गई और बताया कि चट्टानों की मौजूदगी देखते हुए नेविगेट करने के लिए उसे एक खास तरीके की जरूरत है। रोबोटिक्स टीम अपने काम पर लगी हुई है।

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तीन महीने में दुरुस्त होगी ‘EPIC’ नंबरों की गड़बड़ियां, जारी होंगे यूनिक ईपिक नंबर

Dainik Jagran - National - March 8, 2025 - 2:30am

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपिक) नंबरों में पिछले 25 सालों से चली आ रही गडबड़ी अगले तीन महीने में दुरुस्त हो जाएगी। जल्द ही इसे लेकर संबंधित राज्यों में अभियान शुरू होगा। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को इसे लेकर अहम घोषणा की है।

चुनाव आयोग ने कही ये बात

चुनाव आयोग ने कहा कि राज्यों में एक जैसे ईपिक नंबरों का यह आवंटन वर्ष 2000 में किया गया था। हालांकि इससे न तो किसी भी मतदाता की भौगोलिक पहचान प्रभावित होती है और न ही इसका मतलब यह है कि ये सभी फर्जी मतदाता हैं।

ईपिक नंबर के बावजूद मतदाता केवल उसी मतदान केंद्र पर वोट दे सकता है जिस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में उसका नाम है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से हाल ही में इस मुद्दे को उठाए के बाद चुनाव आयोग ने तुरंत ही इसे लेकर सारी स्थिति साफ की थी। बताया था कि यह सिर्फ राज्यों की चूक है, जिन्होंने एक दूसरे मिलते-जुलते नंबरों की सीरीज आवंटित कर दी।

ईपिक नंबर के आवंटन की कोई केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं

आयोग के मुताबिक अब तक यह मुद्दा इसलिए सामने नहीं आया, क्योंकि ईपिक नंबर के आवंटन की कोई केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं थी। हाल ही में जैसे ही ईपिक नंबरों को एक केंद्रीकृत प्लेटफार्म से जोड़ा गया, तो यह मामला सामने आया।

आयोग ने शुक्रवार को राज्यों को दिए गए निर्देश में कहा है कि वे जल्द ही एक समान ईपिक वाले नंबरों को जांच कर सामने लाएं। ऐसे नंबरों को जगह जल्द ही विशिष्ट ईपिक नंबर आवंटित किए जाएंगे। गौरतलब है कि बंगाल, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों में एक जैसे ईपिक नंबर की गड़बड़ी है।

नई प्रणाली भविष्य के मतदाताओं के लिए भी लागू होगी

चुनाव आयोग ने तकनीकी टीमों और संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद अगले तीन महीनों में इस मुद्दे को सुलझाने का फैसला किया है। नई प्रणाली भविष्य के मतदाताओं के लिए भी लागू होगी।

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