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Digital Arrest कर लोगों को लगाता था चूना, दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा योगेश दुआ; देशभर में 930 से अधिक मामले दर्ज

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 8:25pm

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कोलकाता पुलिस की साइबर टीम ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर सैकड़ों लोगों को ठगने वाले को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। उसका नाम योगेश दुआ है। उसके खिलाफ कोलकाता समेत देशभर के कई थानों में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर वित्तीय धोखाधड़ी के 930 से अधिक मामले दर्ज हैं। आरोप है कि वह फर्जी सीबीआइ, ईडी और आयकर अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर लोगों को अपना शिकार बनाता था।

कोलकाता पुलिस की साइबर टीम ने खुफिया सूचना के आधार पर विशेष अभियान चलाकर शुक्रवार देर रात उसे दिल्ली से दबोचा। उसके पास से नकद दो लाख रुपये, विदेशी मुद्रा, लैपटाप, कई विदेशी सिम कार्ड समेत कई सामान जब्त किए गए हैं। आरोपित को शनिवार को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता लाया गया है। यहां उससे पूछताछ की जा रही है।

गिरोह के साथ देता है घटना को अंजाम

पुलिस का अनुमान है कि योगेश का एक गिरोह है, जिसने कोलकाता समेत विभिन्न शहरों में डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर लोगों को ठगा है। विभिन्न शिकायतों के आधार पर कोलकाता पुलिस की साइबर टीम उसे काफी दिनों से तलाश रही थी। पुलिस उससे पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। पुलिस के अनुसार, योगेश का भाई आदित्य दुआ भी इस धोखाधड़ी का एक मास्टरमाइंड है। पुलिस उसकी भी तलाश कर रही है।

मालूम हो कि कोलकाता पुलिस ने इससे पहले नौ जनवरी को बेंगलुरु से डिजिटल अरेस्ट के एक अन्य मास्टरमाइंड चिराग कपूर को गिरफ्तार किया था। उसके एक सहयोगी ओंकार सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था।

गोल्फग्रीन की घटना के बाद हुई गिरफ्तारी

हाल में कोलकाता के गोल्फग्रीन थाना क्षेत्र में डिजिटल अरेस्ट की एक घटना घटी थी। गोल्फग्रीन के एक निवासी ने इस संबंध में कोलकाता पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि साइबर अपराधियों ने उन्हें धमकाकर करीब 47 लाख रुपये ठग लिए।

जनवरी की शुरुआत में यह घटना घटी थी। काल करने वाले ने खुद को दिल्ली पुलिस से होने का दावा करते हुए कहा था कि दंपती को डिजिटल अरेस्ट किया गया है। इससे बचने के लिए 47 लाख रुपये की मांग की गई थी। दंपती ने डर से रुपये भेज दिए थे। इसी मामले की जांच में पुलिस ने आरोपित को दिल्ली से गिरफ्तार किया।

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'अकेली न पड़ जाए प्रेमिका...इसलिए कर दी हत्या', केरल हत्याकांड को लेकर पुलिस ने किए चौंकाने वाले खुलासे

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 8:03pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल में 23 वर्षीय युवक ने 14 लोगों से 65 लाख रुपये का कर्ज लिया हुआ था और इस वजह से ही उसने अपने परिवार के 5 लोगों को मौत की नींद सुला दी थी और सरेंडर कर दिया था। अब पुलिस ने इस मामले में नया खुलासा किया है कि आरोपी ने अपनी प्रेमिका इसलिए मार दिया था कि क्योंकि उसका मानना था कि वह उसके बगैर अकेली हो जाएगी।

पुलिस ने कहा है कि उस व्यक्ति पर 14 लेनदारों से 65 लाख रुपये का कर्ज था और उसने शुरू में अपनी मां और भाई के साथ आत्महत्या करने की योजना बनाई थी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि युवक अफान ने हत्याओं को अंजाम देने के बाद खुद को मारने की योजना बनाई थी और उसने अपनी प्रेमिका को मार डाला क्योंकि उसे लगा कि वह उसके बिना नहीं रह पाएगी।

बेरहमी से परिवार को मार डाला

अफान ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम के एक कस्बे वेंजरामूडू में और उसके आसपास के तीन घरों में अपनी दादी, चाचा-चाची, 13 वर्षीय भाई और प्रेमिका की हत्या कर दी। उसने अपनी मां को भी मारने की कोशिश की, लेकिन वह बच गई। हत्या करने के बाद 23 वर्षीय अफान वेंजरामूडू पुलिस स्टेशन में गया और सरेंडर कर दिया।

अफान के पिता सऊदी अरब में रहते थे और अधिकारियों ने बताया कि परिवार को कर्ज के कारण लेनदारों ने परेशान किया हुआ था। उन्होंने बताया कि अफान इस बात से परेशान था कि उसकी दादी और चाचा-चाची परिवार की आर्थिक मदद नहीं कर रहे थे और जब उसे एहसास हुआ कि वे अपना कर्ज नहीं चुका पाएगा, तो उसने अपनी मां और 13 वर्षीय भाई को अपने साथ आत्महत्या करने के लिए मनाने की कोशिश की।

उसकी मां इसके लिए राज़ी नहीं हुई और फिर अफान ने फैसला किया कि वह अपनी मां और अपने भाई को मार देगा और फिर खुद भी आत्महत्या कर लेगा। अपनी मां पर हमला करने के बाद, वह यह सोचकर घर से निकल गया कि वह मर चुकी है और अपनी दादी के घर चला गया, जहां उसने अपनी दादी की हत्या कर दी और एक सोने का हार चुरा लिया।

इसके बाद अफान अपने चाचा-चाची के घर गया और उन्हें भी मार डाला। वह घर लौटा, जहां उसका 13 वर्षीय भाई और प्रेमिका फरसाना मौजूद थे। पुलिस अधीक्षक केएस सुदर्शन ने कहा कि उसने अपने भाई और फिर फरसाना को मार डाला क्योंकि उसे लगा कि "वह उसके बिना अकेली हो जाएगी"।

'मानसिक स्थिति की होगी जांच'

सुदर्शन ने कहा कि वे इस बात की भी जांच करेंगे कि वित्तीय बोझ के अलावा हत्याओं के पीछे कोई अन्य कारण तो नहीं था। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने के बाद भी अफान का व्यवहार असामान्य था।

अधिकारी ने कहा, "मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मौजूदगी में अफान से पूछताछ की जाएगी और उसकी मानसिक स्थिति की भी जांच की जाएगी। ऐसा नहीं लगता कि फरसाना के प्रति उसकी कोई दुश्मनी थी। उसने सामूहिक आत्महत्या की अपनी योजना के बारे में भी उसे नहीं बताया था।"

माता-पिता ने आरोपी बेटे को लेकर बयान में क्या कहा?

अफान की मां शमीना ने शुरू में पुलिस को बताया कि अफान ने उन पर हमला किया था और वह अपने बिस्तर से गिर गई थी। एक अधिकारी ने कहा, "उन्हें नहीं पता था कि उनके बेटे ने उन पर हमला करने के बाद क्या किया।"

हत्या के बाद सऊदी अरब से लौटे उसके पिता रहीम ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि उसे नहीं पता था कि परिवार का कर्ज 65 लाख रुपये तक बढ़ गया है। उसने कहा कि उसे पता था कि अफान पर 15 लाख रुपये का कर्ज है, जिसमें बैंक का कर्ज और एक रिश्तेदार से लिया गया कर्ज शामिल है।

पिता ने कहा कि अफान ने उस कर्ज को चुकाने के लिए लड़की के पास मौजूद सोने का हार गिरवी रख दिया था और उसने हार वापस लेने के लिए अपने बेटे को 60,000 रुपये भेजे थे।

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मार्च के पहले दिन आई गुड न्यूज, GST से भर गया सरकार का खजाना; कितना हुआ कलेक्शन?

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 7:46pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फरवरी के महीने में जीएसटी कलेक्शन में उछाल देखने को मिला है। इस साल फरवरी में जीएसटी संग्रह 1,83, 646 करोड़ रहा है जो पिछले साल के समान महीने के मुकाबले 9.1 प्रतिशत अधिक है।

जीएसटी संग्रह में लगातार बढ़ोतरी वस्तुओं में बिक्री में वृद्धि को दर्शाता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान अब तक जीएसटी संग्रह में गत वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 9.4 प्रतिशत का इजाफा रहा। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 का कुल जीएसटी संग्रह 20,12,720 करोड़ रुपये रहा।

क्या कहते हैं आंकड़े?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल फरवरी में जीएसटी संग्रह में एसजीएसटी की हिस्सेदारी 43,704 करोड़, सीजीएसटी की 35,204 करोड़ तो आइजीएसटी की हिस्सेदारी 90,870 करोड़ रुपये रही है। सेस के मद में 13,868 करोड़ रुपये वसूले गए हैं।

फरवरी कितने करोड़ रुपये का हुआ रिफंड?

फरवरी के दौरान 20,889 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है। इसमें पिछले वर्ष फरवरी के मुकाबले 17.3 प्रतिशत की वृद्धि रही है। इस प्रकार पिछले महीने शुद्ध जीएसटी संग्रह 8.1 प्रतिशत बढ़कर 1.63 लाख करोड़ रुपये रहा है।

GST कलेक्शन से होंगे फायदे

टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विस के पार्टनर विवेक जालान के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में लगातार मजबूती की वजह से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.8 प्रतिशत तक रखने में मदद मिलेगी। चालू वित्त वर्ष के आरंभ में राजकोषीय घाटे का बजटीय अनुमान 4.9 प्रतिशत रखा गया था।

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'पहले जो विदेश से मंगवाते थे... वो सामान आज देश में ही बन रहा', PM मोदी बोले- भारत को समझना चाहती दुनिया

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 7:06pm

पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि विश्व 21वीं सदी के भारत की ओर बेहद उत्सुकता से देख रहा है। वोकल फॉर लोकल अब वास्तविकता में बदल रहा है। भारत आज विश्व का नया विनिर्माण केंद्र बन रहा है और आज यह केवल कार्यबल नहीं, बल्कि विश्व शक्ति बन रहा है। पहले जिस सामान का आयात किया जाता था, अब वो देश में ही निर्मित किया जा रहा है तथा भारत अब इन उत्पादों के निर्यात के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभर रहा है।

देश में हर दिन कुछ नया हो रहा

नई दिल्ली में शनिवार को भारत मंडपम में एनएक्सटी कान्क्लेव को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर से लोग भारत आना और उसे समझना चाहते हैं। भारत एक ऐसा देश है, जहां सकारात्मक खबरें बन रही हैं, रोजाना नए रिकॉर्ड बन रहे हैं और हर दिन कुछ नया हो रहा है।

प्रयागराज में एकता के संगम - महाकुंभ का हाल ही में समापन हुआ। महाकुंभ ने पूरे विश्व को चकित कर दिया कि कैसे नदी के किनारे एक अस्थायी शहर में करोड़ों लोगों ने पवित्र स्नान किया। दुनिया भारत के आयोजन और नवाचार कौशल को देख रही है।

दुनिया की नई फैक्ट्री बन रहा भारत

भारत सेमीकंडक्टर से लेकर एयरक्राफ्ट कैरियर तक सब कुछ बना रहा है और विश्व भारत की सफलता के बारे में विस्तार से जानना चाहता है। उन्होंने कहा कि दशकों से दुनिया भारत को अपना बैक आफिस कहती रही है, लेकिन आज भारत दुनिया की नई फैक्ट्री बन रहा है, जो देश कभी कई उत्पादों का आयात करता था, वह अब एक निर्यात केंद्र के रूप में उभर रहा है।

वैश्विक बाजार में पहुंच रही किसान की उपज

किसान, जो कभी स्थानीय बाजारों तक सीमित थे, अब अपनी उपज के साथ वैश्विक बाजारों तक पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री ने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के मंत्र को श्रेय दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में उन्होंने कहा कि भारत का युवा सरकार की मुख्य प्राथमिकता है और शिक्षा नीति ने विद्यार्थियों को पुस्तकों से हटकर सोचने का अवसर दिया।

'75 साल तक चुप क्यों था खान मार्किट गैंग व लूटियंस जमात?'

मोदी ने कहा कि बीते एक दशक में हमने करीब डेढ़ हजार ऐसे कानूनों को खत्म किया है जो अपना महत्व खो चुके थे। इनमें से बहुत सारे कानून अंग्रेजी शासन के दौरान बने थे। ड्रैमेटिक परफारमेंस एक्ट अंग्रेजों ने डेढ़ सौ साल पहले बनाया था, तब अंग्रेज चाहते थे कि ड्रामे और थियेटर का उपयोग तत्कालीन सरकार के खिलाफ ना हो। इस कानून में प्रविधान था कि अगर सार्वजनिक स्थल पर 10 लोग डांस करते मिल जाएं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता था।

यानी, शादी के दौरान बारात भी निकले और 10 लोग डांस कर रहे हों तो दूल्हा सहित पुलिस उनको अरेस्ट कर सकती थी। यह कानून आजादी के 70-75 साल बाद तक चलन में था। इस कानून को हमारी सरकार ने हटाया। 'मुझे तो ये लूटियंस जमात और खान मार्किट गैंग पर आश्चर्य हो रहा है कि ये लोग 75 साल तक ऐसे कानून पर चुप क्यों थे? ये जो आए दिन कोर्ट जाते रहते हैं, पीआइएल के ठेकेदार बने फिरते हैं, ये लोग क्यों चुप थे? तब उनको लिबर्टी ध्यान नहीं आती थी क्या?'

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कब शुरू होगी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन? रेल मंत्री ने दिया अहम अपडेट, कहा- 360 किमी का काम लगभग पूरा

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 12:44pm

एएनआई, अहमदाबाद। देश की पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली है। देशवासियों को काफी समय से इस ट्रेन का इंतजार है। इस बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुलेट ट्रेन को लेकर अपडेट दिया है।

रेल मंत्री ने बताया कि 360 किलोमीटर का काम लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि इसे पूरा करने में ढाई वर्षों की देरी महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने की वजह से हुई है।

इस बीच, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने शनिवार को "पहली बार" मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना का निरीक्षण किया और भारत के बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में इस पहल की सराहना की।

#WATCH | Ahmedabad, Gujarat | Railway Minister Ashwini Vaishnaw says, "Work of almost 360 km of Bullet train has been completed, and the loss of two and half years that we had due to the permission denied by (Uddhav) Thackeray, we are trying to make up that as well. The… pic.twitter.com/a7tvrMClnX

— ANI (@ANI) March 1, 2025

'ये पीएम मोदी का विजन है'

रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधुनिक रेलवे नेटवर्क के दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसने लगभग एक लाख लोगों को रोजगार दिया है।

मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय रेल राज्य मंत्री ने परियोजना के कार्यान्वयन के लिए प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने कहा "मैं यहां पहली बार आया हूं। ये पीएम मोदी का विजन है। उनका जो आइडिया है वो बहुत अच्छा है और उन्होंने जो विजन बनाया है वो बहुत अच्छा है। एक लाख लोगों को रोजगार मिला है। ये बहुत अच्छा प्रोजेक्ट है।"

13 नदियों पर बनाए गए पुल

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन देश का पहला हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर है। यह कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा है। इस परियोजना की लागत करीब 1.08 लाख करोड़ रुपये है, लेकिन परियोजना में हो रही देरी की वजह से इसकी लागत बढ़ती जा रही है।

मुंबई से अहमदाबाद तक चलने वाली बुलेट ट्रेन के रेल मार्ग पर 13 नदियां पड़ रही हैं, जिनके ऊपर पुल बनाए गए हैं। पांच स्टील पुल और दो पीएसएसी पुल के माध्यम से कई रेलवे लाइनों और राजमार्ग को पार किया गया है। गुजरात में ट्रैक निर्माण कार्य तेजी से आग बढ़ चुका है।

लगाए गए नॉइज बैरियर

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत 11 जनवरी 2025 तक 253 किमी वायाडक्ट, 290 किमी गर्डर कास्टिंग के अलावा 358 किमी पियर का काम पूरा हो चुका है। इस रेल मार्ग पर लगभग 112 किमी के हिस्से में नॉइज बैरियर लगाए गए हैं।

महाराष्ट्र में बीकेसी और ठाणे के बीच 21 किमी का सुरंग का काम निर्माणाधीन है। एनएटीएम के माध्यम से महाराष्ट्र के पालघर जिले में सात पर्वतीय सुरंगों का निर्माण कार्य किया जा रहा है। गुजरात के वलसाड में एक पर्वतीय सुरंग बनकर तैयार है।

कब शुरू होगी बुलेट ट्रेन?

साल 2026 में बुलेट ट्रेन का ट्रायल रन शुरू होने की संभावना है। गुजरात के सूरत और अहमदाबाद बुलेट ट्रेन स्टेशन का काम एडवांस स्थिति में पहुंच चुका है। इसके साथ ही साबरमती मल्टीमॉडल ट्रांजिट हब भी बनकर तैयार है।

बता दें, मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन की हाई स्पीड 350 किमी प्रति घंटे की होगी। बुलेट ट्रेन 12 स्टेशनों पर रुकते हुए 508 किमी का सफर तय करेगी, जिसमें सिर्फ 3 घंटे का समय लगेगा।

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'रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी नहीं मिल रही, अंदर भी जाने नहीं दिया', सुरंग में फंसे मजदूरों के घरवालों की बढ़ी बेचैनी

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 11:40am

एएनआई, नगरकुरनूल। तेलंगाना में हादसे के आठ दिन बाद भी सुरंग में फंसे 8 लोगों को बाहर नहीं निकाला जा सका है। इसी बीच अधिकारियों का कहना है कि बचाव अभियान तेज कर दिया गया है। सुरंग के अंदर से लगातार गाद को निकाला जा रहा है। वहीं अंदर फंसे लोगों के परिजनों की बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है। सभी परिवारों को अपनों की सुरक्षित वापसी का इंतजार है।

रेस्क्यू ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं मिली

सुरंग में फंसे गुरप्रीत सिंह के रिश्तेदारों ने दावा किया कि उन्हें बचाव अभियान से जुड़ा कोई अपडेट नहीं मिला है। एक अन्य रिश्तेदार ने कहा कि हमने अधिकारियों से आग्रह किया था कि सुरंग के अंदर जाने की अनुमति दी जाए, मगर हमारे अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया।

सुरंग से गाद को हटाया जा रहा

उधर, अधिकारियों का कहना है कि बचाव अभियान तेज कर दिया गया है। सेना की मेडिकल टीमें वर्तमान में एसएलबीसी सुरंग में तैनात हैं। पानी और कीचड़ की वजह से ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। सुरंग से गाद को हटाया जा रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सिंगरेनी के खनन विशेषज्ञों, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF), भारतीय सेना और अन्य एजेंसियों के साझा प्रयास से बचाव अभियान जारी है।

अभियान में 200 लोगों को लगाया गया

बचाव दल के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि शुरू में 20 लोगों को तैनात किया था और कल और आज 200 कर्मियों को तैनात किया जा रहा। सिंगरेनी के हमारे सभी बचाव दल के कर्मियों को भूमिगत और आपातकालीन स्थितियों में काम करने का अनुभव है। वे चट्टान काटने में विशेषज्ञ हैं।

सभी टीमें घटनास्थल पर मौजूद

नगरकुरनूल के एसपी गायकवाड़ वैभव रघुनाथ ने बताया कि सिंगारेनी की सभी टीमें, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और कंपनी के अधिकारी मौजूद हैं। कल से ही कीचड़ बाहर निकाला जा रहा है। उम्मीद है कि हमें जल्द ही अच्छे नतीजे मिलेंगे। संयुक्त टीमें यहां काम कर रही हैं। कांग्रेस विधायक डॉ. चिक्कुडु वामशी का कहना है कि बचाव अभियान में 12 विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। सिंगरेनी खदानों के अनुभवी कर्मचारी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

22 फरवरी की सुबह हुआ हादसा

22 फरवरी की सुबह तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में निर्माणाधीन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग का तीन मीटर लंबा हिस्सा अचानक ढह गया था। यह हादसा सुरंग में लगभग 14 किमी अंदर हुआ था। हादसे के वक्त कुल 50 मजदूर लीकेज के ठीक करने में जुटे थे। इनमें से 42 सकुशल भागने में सफल रहे। मगर 8 मजदूर अंदर ही फंस गए। पिछले आठ दिनों से इन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है।

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केरल में छात्र के गुटों के बीच हुई झड़प, घायल 16 वर्षीय स्कूली छात्र की हुई मौत

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 11:39am

पीटीआई, केरल। कोझिकोड जिले में एक निजी ट्यूशन सेंटर के पास छात्रों के बीच हुई झड़प में सिर में गंभीर चोट लगने से घायल 10वीं कक्षा के एक छात्र की शनिवार को मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी है।

छात्रों की लड़ाई में एक की मौत

कोझिकोड सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज करा रहे 16 वर्षीय मुहम्मद शाहबास की रात करीब 1 बजे मौत हो गई। घटना के सिलसिले में पांच छात्रों को हिरासत में लिया गया है और उनके खिलाफ हत्या का आरोप लगाया जाएगा। सभी को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा।

बता दें, यह विवाद कथित तौर पर 23 फरवरी को थामरस्सेरी के एक ट्यूशन सेंटर में एक विदाई पार्टी के दौरान हुए विवाद से उपजा था। यह बहस इतनी बढ़ गई कि गुरुवार को एक और विवाद हो गया था।

मंत्री का बयान आया सामने

इस मामले को लेकर सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने शनिवार को सामान्य शिक्षा निदेशक को घटना की विभागीय जांच शुरू करने का निर्देश दिया। बयान जारी कर मंत्री ने छात्र की मौत पर शोक व्यक्त किया है।

उन्होंने कहा, "पुलिस घटना की गहन जांच कर रही है। इसके अलावा, कोझिकोड के शिक्षा उप निदेशक ने जांच के बाद प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी है।" बता दें गुरुवार शाम करीब 5 बजे थमारस्सेरी के वेझुप्पुर रोड पर हुई इस घटना में दो स्थानीय स्कूलों के छात्र शामिल थे।

क्यों हुई छात्रों के बीच झड़प?

पुलिस ने कहा कि गुरुवार शाम को ट्यूशन सेंटर के छात्रों के साथ मुहम्मद शाहबास सहित लगभग 15 छात्र दूसरे समूह से भिड़ गए थे, जिसके परिणामस्वरूप हिंसक झड़प हुई।

शुरुआत में ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि शहाबास को गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें थमारसेरी तालुक अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, घर लौटने के बाद उसकी हालत बिगड़ गई और उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वे कोमा में चला गया था।

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Telangana: रंगारेड्डी में इमारत में भीषण आग लगने से बच्ची समेत तीन लोगों की मौत, दो घायल

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 10:27am

एएनआई, रंगारेड्डी (तेलंगाना)। रंगारेड्डी के पुप्पलगुडा में उस्मान किराना दुकान में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और दो घायल हो गए हैं। इसकी जानकारी पीएस नरसिंगी के SHO हरि कृष्ण ने दी है।

पुलिस के अनुसार, घटना 28 फरवरी को शाम करीब 5:30 बजे हुई जब शॉर्ट सर्किट के कारण किराना दुकान के अंदर एक रेफ्रिजरेटर फट गया, जिससे आग लग गई, जो तेजी से तीन मंजिला इमारत की ऊपरी मंजिलों तक फैल गई।

ग्राउंड फ्लोर से उठी आग की लपटें

पुलिस ने कहा कि उन्हें गांधीपेट मंडल के निवासी तमीज़ खान से एक शिकायत मिली, जिसमें कहा गया कि उनके चचेरे भाई उस्मान खान की दुकान पुप्पलगुडा के पाशा कॉलोनी में जी +2 इमारत के भूतल पर स्थित है।

आग लगने की जानकारी मिलने पर शिकायतकर्ता घटनास्थल पर पहुंचा और पाया कि आग की लपटें पहली मंजिल तक बढ़ गई थीं, जहां उस्मान खान के परिवार के सदस्य मौजूद थे।

Telangana | 3 people lost their lives, and 2 others are injured in a fire accident in Rangareddy

A fire broke out at Osman Kirana Shop in Puppalguda, Rangareddy, yesterday evening around 6 PM due to a short circuit, resulting in three fatalities and two injuries: Narsingi…

— ANI (@ANI) March 1, 2025

पहली मंजिल पर मौजूद 3 लोगों की हुई मौत

शिकायत में कहा गया है कि घटना के समय उस्मान खान के परिवार के सदस्य जमीला खातून (65), शहाना खानम (30) और सिदरा फातिमा (6) पहली मंजिल पर मौजूद थे और अधिक धुएं के कारण उनकी मौत हो गई।

इस बीच, दूसरी मंजिल पर रहने वाले यूनिस खान (44) और उनकी पत्नी आसिया खातून (36) आग से बचने की कोशिश में इमारत से कूदने के बाद घायल हो गए।

Telangana Tunnel Collapse:सुरंग में फंसे लोगों का रेस्क्यू जारी, रेलवे साथ लाया प्लाज्मा कटर और ब्रॉचो कटिंग मशीन

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Weather Update: बारिश से दिल्लीवालों का वीकेंड हुआ सुहावना, यूपी में पड़े ओले; हिमाचल-उत्तराखंड में आफत बनी बरसात

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 8:13am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में मौसम ने पलटी मार ली है। कई राज्यों में बारिश के चलते तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। आज सुबह होते ही राजधानी में तेज बारिश होने लगी, जिससे ठंडक फिर महसूस होने लगी है। 

वहीं, पहाड़ों में भी तेज बारिश और बर्फबारी ने मौसम का मिजाज बदल दिया है। कई राज्यों में तो आफत की बरसात हो रही है।

दिल्लीवालों वीकेंड हुआ सुहावना

दिल्ली-एनसीआर में बारिश के चलते तापमान में गिरावट आई है। कई दिनों से तापमान बढ़ने के चलते फरवरी में ही गर्मी का अहसास होने लगा था, लेकिन आज बारिश के आते ही ठंडी हवाएं चलने लगी हैं।

यूपी-बिहार में भी बदला मौसम

यूपी में भी मौसम का मिजाज बदल चुका है। हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश ने यूपी के मौसम पर असर छोड़ा है। ज्यादातर इलाकों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार, अभी अगले दो दिन तक आसमान में छिटपुट बादल जमे रहेंगे। पश्चिमी यूपी में जोरदार बार‍िश होगी।

आज नोएडा, मेरठ, गाज‍ियाबाद व आसपास के ज‍िलों में गरज-चमक के साथ तेज बार‍िश हुई। 

वहीं, बिहार में भी आंशिक रूप से बादल छाए रहे। इसके साथ ही मौसम विभाग ने कुछ जगहों पर यलो अलर्ट भी जारी किया है। कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर व नवादा जिले के एक या दो स्थानों पर बादल गरजने के साथ बिजली गिरने की संभावना है।

पहाड़ों पर बर्फ का गिरना जारी, हिमाचल में बादल फटा

उत्‍तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बर्फबारी और बारिश के कारण कर्फ्यू जैसी स्थित हो गई है। बर्फबारी के चलते कई मार्ग बंद हो गए हैं। सड़कों पर कई किमी तक बर्फ ही बर्फ पसरी हुई है। जिससे जन-जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। शनिवार को भी मौसम विभाग ने पूरे दिन भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी की है।

चंबा के पांगी घाटी के कोकरोलू गांव में हिमस्खलन से एक व्यक्ति बर्फ में दब गया था, जिसे ग्रामीणों ने सुरक्षित निकाला।

वहीं, कांगड़ा के बड़ा भंगाल घाटी के लुहारड़ी में बादल फटने से ऊहल नदी का जलस्तर बढ़ गया और इसके कारण बरोट बांध के गेट खोलने पड़े। रोहतांग में छह फीट, अटल टनल रोहतांग में साढ़े चार फीट,कोठह में चार फीट, किन्नौर में करीब डेढ़ फीट ताजा हिमपात हुआ है।

ला-नीना से मौसम प्रभावित

आइएमडी ने मौसम में इस व्यापक बदलाव को ला-नीना का असर बताया है, जो प्रशांत महासागर के सतही जल के सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाने के चलते बनता है और भारतीय महाद्वीप के मौसम को गहरे रूप से प्रभावित करता है। 

ला-नीना के चलते ही इस बार दिसंबर-जनवरी में ठंड भी ज्यादा नहीं पड़ी। फरवरी के पहले हफ्ते से ही मौसम ने करवट ले ली है और अप्रत्याशित रूप से तापमान बढ़ना शुरू हो गया।

अगले तीन महीने का मौसम पूर्वानुमान

भारत मौसम विभाग (आइएमडी) ने शुक्रवार को अगले तीन महीने का अनुमान जारी करते हुए कहा है कि गर्मी के मौसम में इस बार सामान्य से अधिक तापमान रह सकता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में दिन के समय हीट वेव (लू) भी चल सकती है।

साथ ही लू चलने के दिन पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अधिक रह सकते हैं। तापमान में तीव्रता मार्च के दूसरे सप्ताह से शुरू हो सकती है। ऐसी स्थिति में रबी एवं गर्मा फसलों को नुकसान हो सकता है।

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मौसम ने मारी पलटी… दिल्ली में तेज बारिश और यूपी में गिरे ओले; पहाड़ों पर बर्फबारी; IMD ने जारी किया अपडेट

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 7:08am

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में करीब नौ बजे तेज बारिश ने मौसम बदल दिया और ठंड बढ़ गई, अभी भी दिल्ली के कई इलाकों में बारिश हो रही है। इसके साथ ही यूपी के अलीगढ़ और आगरा समेत कई जिलों में तेज बारिश के साथ ओले गिरे जिसकी वजह से ठंड बढ़ गई है।

पहाड़ों पर बर्फ का गिरना जारी

उत्‍तराखंड के पर्वतीय इलाकों में लगातार हो रही बर्फबारी के कारण कर्फ्यू जैसी स्थित हो गई है। बर्फबारी के चलते कई मार्ग बंद हो गए हैं। सड़कों पर कई किमी तक बर्फ ही बर्फ पसरी हुई है। जिससे जन-जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। शनिवार को भी मौसम विभाग ने पूरे दिन भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी की है।

मार्च से मई तक देश के बड़े हिस्से में प्रचंड गर्मी पड़ेगी

प्रशांत महासागर में ला-नीना की सक्रियता का असर दिखने लगा है। इस बार मौसम बहुत अव्यवस्थित है। आगे भी रह सकता है। सामान्य ठंड के बाद अब असामान्य गर्मी के लिए तैयार रहना होगा। मार्च से मई तक देश के बड़े हिस्से में प्रचंड गर्मी पड़ सकती है।

आइएमडी ने जारी किया अगले तीन महीने का मौसम पूर्वानुमान

भारत मौसम विभाग (आइएमडी) ने शुक्रवार को अगले तीन महीने का अनुमान जारी करते हुए कहा है कि गर्मी के मौसम में इस बार सामान्य से अधिक तापमान रह सकता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में दिन के समय हीट वेव (लू) भी चल सकती है।

साथ ही लू चलने के दिन पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अधिक रह सकते हैं। तापमान में तीव्रता मार्च के दूसरे सप्ताह से शुरू हो सकती है। ऐसी स्थिति में रबी एवं गर्मा फसलों को नुकसान हो सकता है।

#WATCH | Delhi: Rain lashes several parts of the National Capital.

(Visuals from Central Secretariat) pic.twitter.com/8MajN4O8tD

— ANI (@ANI) March 1, 2025

आइएमडी ने मौसम में इस व्यापक बदलाव को ला-नीना का असर बताया है, जो प्रशांत महासागर के सतही जल के सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाने के चलते बनता है और भारतीय महाद्वीप के मौसम को गहरे रूप से प्रभावित करता है। ला-नीना के चलते ही इस बार दिसंबर-जनवरी में ठंड भी ज्यादा नहीं पड़ी। फरवरी के पहले हफ्ते से ही मौसम ने करवट ले ली है और अप्रत्याशित रूप से तापमान बढ़ना शुरू हो गया।

मौसम विज्ञानियों ने वर्ष 2024 को सबसे ज्यादा गर्म बताया है

मौसम विज्ञानियों ने वर्ष 2024 को सबसे ज्यादा गर्म बताया है। पिछले तीन-चार महीने के दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव के साथ वृद्धि बता रही है कि इस वर्ष भी स्थिति कुछ अलग नहीं रह सकती है। सिर्फ उत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों, दक्षिण के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर के क्षेत्र में सामान्य तापमान रहने का अनुमान है, क्योंकि इन हिस्सों में कभी-कभी बारिश होते रहने के कारण तापमान नियंत्रित रह सकता है।

आइएमडी ने जिन क्षेत्रों में तापमान अधिक रहने की आशंका जताई है, उनमें एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तेलंगाना शामिल हैं। हालांकि मौसम विज्ञानियों का मानना है कि मार्च के पहले हफ्ते में एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के चलते तापमान नियंत्रित रह सकता है, लेकिन दूसरे हफ्ते से ही न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान का ग्राफ बढ़ना शुरू हो जाएगा।

हीट वेब करेगी परेशान

लू की स्थिति के बारे में मौसम विज्ञानियों का मानना है कि अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न पैमाना होता है। मैदानी क्षेत्रों का अधिकतम तापमान अगर 44-45 डिग्री या उससे अधिक हो जाए या उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से लगभग पांच-छह डिग्री से ज्यादा ऊपर चला जाए और तीन दिनों तक लगातार ऐसी स्थिति बनी रहे तो उसे हीट वेव माना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों का पैमाना अलग होता है, वहां 30 डिग्री से अधिक तापमान के ही दो-तीन तक स्थिर रहने पर हीट वेव मान लिया जाता है।

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India-EU: इसी वर्ष मुक्त व्यापार समझौता करेंगे भारत-ईयू, PM मोदी और यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट के बीच बनी सहमति

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 7:00am

 जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सला वोन लेयेन ने दोनों पक्षों के बीच कारोबार एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) को लेकर जारी किंतु-परंतु को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। दोनों नेताओं ने इस बारे में प्रतिबद्धता जताते हुए अपने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों के हितों के मुताबिक भारत-ईयू व्यापार समझौते पर इस वर्ष के अंत तक मुहर लगाई जाए।

भारत ने ब्रिटेन के साथ एफटीए पर वार्ता की नए सिरे से शुरुआत की

सोमवार को ही भारत ने ब्रिटेन के साथ एफटीए पर वार्ता की नए सिरे से शुरुआत की है, जिसे 2025 में ही अंतिम रूप देने का लक्ष्य है। साफ है कि जब कई देश अपनी इकोनमी बंद करने में जुटे हैं और दूसरे देशों पर आयात शुल्क लगाकर वैश्वीकरण की राह में अड़ंगे डाल रहे हैं, तब भारत एफटीए को लेकर मुखर है। संभवत: यही कारण है कि प्रेसिडेंट उर्सला ने भारत को मौजूदा वैश्विक अस्थिरता में निश्चतता का स्तंभ करार दिया है।

प्रेसिडेंट उर्सला के साथ यूरोपीय संघ (ईयू) के 27 देशों में से 22 देशों के आयुक्त भारत दौरे पर आए हैं। पहली बार ईयू का इतना बड़ा दल किसी दूसरे देश की यात्रा पर आया है। उर्सला की तरफ से यूरोपीय आयोग की सत्ता दोबारा संभालने के बाद पहली बार वह विदेश दौरे पर अपनी टीम के साथ निकली हैं।

यूरोपीय संघ व भारत के बीच अभी 120 अरब यूरो का द्विपक्षीय कारोबार

उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा को दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों के उदाहरण के तौर पर पेश किया। मोदी ने एक पारस्परिक लाभकारी एफटीए व निवेश सुरक्षा समझौते को संपन्न किए जाने को प्राथमिकता बताया, जबकि प्रेसिडेंट उर्सला ने इस समझौते को मौजूदा भूराजनीतिक माहौल को इस निर्णायक फैसले के पीछे का कारण बताया।

यूरोपीय संघ व भारत के बीच अभी 120 अरब यूरो का द्विपक्षीय कारोबार होता है जो एफटीए के बाद कई गुना बढ़ सकता है। यह पहली बार है कि एफटीए करने का सीधा निर्देश दोनों पक्षों के शीर्ष नेताओं ने दिया है।

जापान एवं द. कोरिया जैसे रक्षा संबंध चाहता है ईयू

भारत और ईयू के बीच बैठक में पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद और चीन की तरफ से दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन का मुद्दा भी उठा। वैसे उक्त दोनों देशों का नाम नहीं लिया गया। प्रेसिडेंट उर्सला ने कहा, 'हम भारत के साथ रक्षा व सुरक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करना चाहते हैं। मौजूदा अस्थिर विश्व में भारत निश्चतता का स्तंभ है।

हमें मालूम है कि अधिनायकवादी शक्तियां मजबूत हो रही हैं, सीमाओं का उल्लंघन कर रही हैं और समुद्र में शांति के लिए खतरा बन गई हैं। ऐसे में हमें जमीन, समुद्र व अंतरिक्ष में सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है।' उन्होंने भारत के साथ वैसे ही रक्षा संबंध बनाने की बात कही, जैसे यूरोपीय देशों के जापान व दक्षिण कोरिया से हैं।

भारत-ईयू स्वाभाविक रणनीतिक साझीदार : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज विश्व अभूतपूर्व बदलाव के दौर से गु•जर रहा है। भू-आर्थिकी एवं राजनीतिक परिस्थितियों में तेज गति से बदलाव आ रहे हैं। पुराने समीकरण टूट रहे हैं। हमारी साझेदारी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक स्वायत्ता व कानून आधारित वैश्विक व्यवस्था में साझा विश्वास भारत व ईयू को जोड़ता है। एक तरह से हम स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार हैं।'

आठ महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति

ईयू के आयुक्तों के साथ पिछले दो दिनों में मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की अलग-अलग कई स्तरों पर बात हुई है। शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद एक लीडर्स स्टेटमेंट जारी किया गया जो एक तरह से भारत-ईयू के भावी संबंधों का रोडमैप है। इसमें आठ महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति बनी है।

एफटीए को सबसे ऊपर रखा गया है। भारत से मध्य पूर्व होते हुए यूरोपीय देशों तक ढांचागत नेटवर्क बनाने की परियोजना (आइएमईसी) पर सभी साझीदारों से बात करना भी शामिल है। दोनों पक्ष एशिया प्रशांत और अफ्रीकी देशों में मिलकर सहयोग करेंगे। स्वच्छ ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग भी इसमें शामिल है।

हाइड्रोजन बस से ले जाए गए ईयू के आयुक्त

यूरोपीय आयोग के आयुक्त शुक्रवार को हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी से संचालित एक बस में सवार होकर दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस पहुंचे। हैदराबाद हाउस में ही प्रधानमंत्री मोदी और प्रेसिडेंट उर्सला के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक हुई।

भारत-ईयू में बढ़ता रक्षा सहयोग पारस्परिक विश्वास का प्रतीक : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''हमने 2025 से आगे की अवधि के लिए भारत-ईयू साझेदारी के लिए एक साहसिक और महत्वाकांक्षी रोडमैप बनाने का फैसला किया है। इसे अगले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन के दौरान लांच किया जाएगा।''

भारत इस वर्ष के अंत में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। प्रधानमंत्री ने रक्षा और सुरक्षा पर बढ़ते भारत-ईयू सहयोग को पारस्परिक विश्वास का प्रतीक बताया और कहा कि दोनों पक्ष साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में सहयोग बढ़ाएंगे। कनेक्टिविटी के बारे में मोदी ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आइएमईईसी) को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

मोदी ने ईयू के फैसले का स्वागत किया

उन्होंने विश्वास जताया कि आइएमईईसी वैश्विक वाणिज्य, सतत विकास और समृद्धि को आगे बढ़ाने का इंजन साबित होगा। मोदी ने भारत समर्थित 'इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव' में शामिल होने के ईयू के फैसले का स्वागत किया। वहीं, उर्सला ने हिंद महासागर को वैश्विक व्यापार के लिए जीवन रेखा बताया और कहा कि इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।

पश्चिम एशिया व यूक्रेन पर भी चर्चा

मोदी और उर्सला ने पश्चिम एशिया की स्थिति और यूक्रेन युद्ध पर भी विचार-विमर्श किया। बैठक के बाद बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता के सम्मान के आधार पर यूक्रेन में न्यायपूर्ण व स्थायी शांति के लिए समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप मान्यता प्राप्त सीमाओं में शांति व सुरक्षा के साथ इजरायल एवं फलस्तीन के साथ रहने और द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।

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SC: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के सिख नेता को बरी किए जाने पर लगी रोक हटाई, पीठ ने कहा खारिज किया पुराना फैसला

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 5:54am

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2021 में नेशनल कांफ्रेंस के नेता त्रिलोचन सिंह वजीर की हत्या के आरोपित जम्मू-कश्मीर के राजनेता सुदर्शन सिंह वजीर को बरी किए जाने पर लगी रोक हटा दी है।

पीठ ने कही ये बात

जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा बरी किए जाने पर लगी रोक बहुत कठोर है और यह आरोपित को दी गई स्वतंत्रता को कम या खत्म करने जैसी है।

पीठ ने कहा, ''इसलिए 21 अक्टूबर 2023 और 4 नवंबर 2024 को जारी विवादित आदेश को खारिज कर अलग रखा जाता है। हाई कोर्ट अब इस आदेश से प्रभावित हुए बिना पुनरीक्षण आवेदन पर निर्णय लेगा। पुनरीक्षण अदालत केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही बरी किए जाने के आदेश पर रोक लगा सकती है, जहां ऐसे आदेश प्रथम दृष्टया गलत हों।''

वजीर को  दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था

वजीर को फरवरी 2023 में नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व एमएलसी की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि बरी किए जाने पर रोक ने सत्र न्यायालय को आरोपित के खिलाफ आरोप तय करने और मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।

ट्रायल कोर्ट द्वारा अक्टूबर 2023 को वजीर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी और 21 अक्टूबर को एकपक्षीय आदेश में इस राहत पर रोक लगा दी गई। दिल्ली हाई कोर्ट ने वजीर को ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के बाद जमानत के लिए आवेदन को कहा था।

अभी न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''आरोपित को पहले सुनवाई का मौका दिए जाने के बाद ही बरी करने के आदेश पर रोक लगाई जा सकती है। हम आरोपित को चार सप्ताह के भीतर सत्र न्यायालय में उपस्थित होने और अदालत द्वारा तय किए गए नियमों पर पुनरीक्षण आवेदन के निपटारे तक प्रभावी जमानत देने का निर्देश देते हैं।'' अगर अपीलकर्ता ऐसा नहीं करता है तो उसे तुरंत हिरासत में ले लिया जाएगा और पुनरीक्षण आवेदन के निपटारे तक न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा।

'रोहिंग्या बच्चों को सरकारी स्कूलों में मिल सकेगा प्रवेश', सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश

देश के शीर्ष न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि रोहिंग्या बच्चे प्रवेश के लिए सरकारी स्कूलों से संपर्क कर सकते हैं और इनकार किए जाने की स्थिति में वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

दरअसल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) कार्ड रखने वाले रोहिंग्या बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका का निपटारा किया।

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इस साल 20 हजार करोड़ रुपये तक जा सकती है साइबर धोखाधड़ी, डिजिटल इकोनमी के लिए बनी गंभीर खतरा

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 2:00am

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। देश की डिजिटल इकोनमी के लिए गंभीर खतरा बन चुकी साइबर धोखाधड़ी के कारण इस साल 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। आम लोगों पर तो इसका खतरा है ही, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भी जोखिम कम नहीं है। यह राशि पिछले साल के सरकारी आंकड़ों के मुकाबले लगभग दो गुनी है।

साइबर खतरों के प्रति आगाह करने वाली एआइ कंपनी क्लाउडसेक ने पिछले साल के आंकड़ों और भावी रुझानों का अध्ययन करने के बाद अनुमान लगाया है कि इस साल नौ हजार करोड़ रुपये केवल ब्रांड एब्यूज यानी नामी-गिरामी ब्रांड से मिलते-जुलते नामों के जरिये होने वाली धोखाधड़ी के भेंट चढ़ सकते हैं।

साइबर अपराध के सभी मामलों में ब्रांड एब्यूज की हिस्सेदारी एक तिहाई

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराध के सभी मामलों में ब्रांड एब्यूज की हिस्सेदारी एक तिहाई है। इसका सीधा मतलब है कि लोग जागरूकता और सतर्कता के अभाव में ब्रांड को लेकर धोखा खा जाते हैं। धोखाधड़ी करने वाले लोग मामली और हल्के हेर-फेर के साथ डोमेन बना लेते हैं और लोग उनके जाल में फंस जाते हैं, क्योंकि उन्हें बड़े ब्रांड पर भरोसा होता है। बड़ी धनराशि वाली धोखाधड़ी में 70 प्रतिशत का संबंध इसी ब्रांड एब्यूज से है।

2025 में साइबर क्राइम की शिकायतें 25 लाख से अधिक

क्लाउडसेक के शोधकर्ता पवन कार्तिक एम. का कहना है कि यह पूरे देश के लिए आंखें खोल देने वाला खतरा है। इसके प्रति सभी को सतर्क हो जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार 2025 में साइबर क्राइम की शिकायतें 25 लाख से अधिक हो सकती हैँ। इनमें से पांच लाख खास तौर पर ब्रांड के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी से संबंधित होंगी। फ्राड करने वाली वेबसाइटें, फिशिंग का बढ़ता दायरा और संदिग्ध एप्लीकेशनों के कारण खतरा हर दिन गहराता जा रहा है।

17 लाख शिकायतें दर्ज होने का आंकड़ा

क्लाउडसेक ने यह निष्कर्ष इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) के पिछले साल के डाटा के साथ ही 200 से अधिक कंपनियों और पांच हजार से अधिक डोमेन तथा लगभग 16 हजार ब्रांड एब्यूज के मामलों का विश्लेषण करने के बाद निकाला है। आइ4सी ने अधिकृत रूप से 2024 में 11,333 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी और 17 लाख शिकायतें दर्ज होने का आंकड़ा दिया था।

5800 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है

क्लाउडसेक ने बैंकिंग और फाइनेंसियल सर्विसेज पर साइबर धोखाधड़ी की सबसे अधिक (8200 करोड़) मार पड़ने की आशंका व्यक्त की है। इसके बाद रिटेल और ई-कॉमर्स का नंबर आता है। इन्हें 5800 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इसी तरह सरकारी सेवाओं के नाम पर की जाने वाली धोखाधड़ी 3400 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। फ्रॉड वाले डोमेनों में पिछले साल के मुकाबले 65 प्रतिशत और ऐसे एप में 83 प्रतिशत की वृद्धि होने की आशंका है।

सतर्कता ही समाधान

साइबर फ्राड को रोकने के लिए केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय ने आइ4सी के नोडल अफसरों को फर्जी और संदिग्ध डोमेनों को हटाने की शक्ति दी है। कार्रवाई में देरी को भी घटाने की कोशिश हो रही है। बैंकों और वित्तीय सेवाओं को अपने डोमेन दुरुस्त करने के साथ ही खुद भी निगरानी करने के लिए कहा गया है। लेकिन इस सबके साथ ही सबसे अधिक सतर्कता खुद लोगों को दिखानी होगी।

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'बंगाल के नवाब की संपत्तियां भागीरथी नदी में समा रही', कलकत्ता HC ने हेरिटेज कमीशन को लगाई फटकार

Dainik Jagran - National - March 1, 2025 - 12:00am

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुर्शिदाबाद में बंगाल के अंतिम नवाब सिराजुद्दौला की स्मृतियों के संरक्षण को लेकर कोई पहल नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने सिराजुद्दौला की स्मृतियों के संरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि मुर्शिदाबाद में बंगाल के नवाब की संपत्तियां भागीरथी नदी में समा रही हैं।

उन्होंने कहा कि ये ऐतिहासिक विरासत हैं। इनका संरक्षण जरूरी है। राज्य को एक सप्ताह के भीतर इस मामले में अपनी स्थिति से कोर्ट को अवगत कराना होगा। इसके अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भी इस मामले में शामिल करने का आदेश दिया गया है।

हेरिटेज कमीशन को फटकार

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सिराजुद्दौला की स्मृतियों के संरक्षण को लेकर राज्य के हेरिटेज कमीशन ने भी कोई पहल नहीं की है। इस संदर्भ में उन्होंने महाबलीपुरम और कन्याकुमारी में विवेकानंद स्मारक शिला के संरक्षण की याद दिलाई। पुराने इतिहास को संरक्षित करने के बजाय उसे नष्ट किया जा रहा है।

सरकारी वकील सुमिता बंद्योपाध्याय ने दावा किया कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1758 में बंगाल के अंतिम नवाब सिराजुद्दौला की स्मृतियों को नष्ट कर दिया था। केवल नौ बीघा जमीन थी। वह भी भागीरथी के कटाव में बह रही है। इसके लिए थोड़े और समय की जरूरत है।

अगले सप्ताह मामले पर पुन: सुनवाई होगी। मालूम हो कि सिराजुद्दौला स्मृति सुरक्षा ट्रस्ट की प्रमुख समर्पिता दत्ता की ओर दायर याचिका में मुर्शिदाबाद में भागीरथी के पश्चिमी तट पर सिराजुद्दौला की संपत्तियों के जीर्णोद्धार, नवीनीकरण और संरक्षण की मांग की गई है।

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केरल कांग्रेस में पड़ गई दरार? नये विवाद में फंसे शशि थरूर, पार्टी बोली- लाइन क्रॉस करेंगे तो...

Dainik Jagran - National - February 28, 2025 - 11:27pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर अब एक नये विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक लेख में केरल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार की तारीफ कर दी थी।

इसके बाद से ही वह पार्टी के कुछ नेताओं की रडार पर आ गए थे। तब कयान लगने लगे थे कि केरल कांग्रेस में दरार पड़ गई है। हालांकि अब पार्टी ने इससे इंकार कर दिया है। राज्य इकाई ने कहा कि पार्टी पूरी तरह से एकजुट है।

कांग्रेस आलाकमान ने ली बैठक

कांग्रेस के आलाकमान ने अगले साल केरल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य इकाई के नेताओं के साथ एक लंबी बैठक की। इसके बाद कांग्रेस की केरल इंचार्ज दीपा दसमुंशी ने कहा कि शशि थरूर ने जो स्पष्ट किया है, वह बहुत सीधे तरीके से किया गया है और उस पर कोई भ्रम नहीं है।

(फोटो: एएनआई)

उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि आप सभी हमेशा शशि थरूर का नाम क्यों लेते हैं। यह आम तौर पर सभी को बताया गया है कि पार्टी लाइन क्रॉस करने और पार्टी के खिलाफ कुछ कहने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'

राहुल और प्रियंका भी हुए शामिल
  • बता दें कि केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी क्रम में पार्टी आलाकमान में बैठक बुलाई थी। यह बैठक करीब 3 घंटे तक चली। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी शामिल हुईं।
  • कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे में बैठक की तस्वीरें शेयर कर आगामी चुनाव में जीत का दावा किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि हर कोई एकजुट होगा और केरल के लोगों के लिए लड़ेगा, क्योंकि राज्य सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है।
थरूर ने जताई थी नाराजगी

अभी कुछ दिन पहले भी शशि थरूर अपने एक बयान को लेकर चर्चा में थे। उन्होंने एक अंग्रेजी समाचार पत्र से बातचीत में कहा था कि अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है, तो उनके पास अन्य विकल्प भी हैं। इस पर कयास लगने लगे थे कि थरूर दूसरी पार्टी में जा सकते हैं।

हालांकि बाद में थरूर मीडिया की हेडलाइन पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि समय बिताने से उनका तात्पर्य साहित्यिक गतिविधियों में समय बिताने से था। थरूर ने कहा कि मीडिया ने ऐसी हेडलाइन बना दी और इससे उन्हें परेशानी उठानी पड़ी।

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Supreme Court: 'रोहिंग्या बच्चों को सरकारी स्कूलों में मिल सकेगा प्रवेश', सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश

Dainik Jagran - National - February 28, 2025 - 11:12pm

पीटीआई, नई दिल्ली। देश के शीर्ष न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि रोहिंग्या बच्चे प्रवेश के लिए सरकारी स्कूलों से संपर्क कर सकते हैं और इनकार किए जाने की स्थिति में वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

दरअसल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) कार्ड रखने वाले रोहिंग्या बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका का निपटारा किया।

कोर्ट ने क्या कहा?

जानकारी दें कि इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने एनजीओ 'रोहिंग्या मानवाधिकार पहल' की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस से कहा कि हम चाहते हैं कि बच्चे पहले सरकारी स्कूलों का रुख करें। अगर उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता है, तो वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

पीठ ने यह भी कहा कि हाल में कोर्ट ने इसी राहत की मांग करने वाली एक अन्य जनहित याचिका में भी इसी तरह का आदेश पारित किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने इस दौरान कोर्ट से कहा कि अदालत अपने निर्देश को आदेश में दर्ज कर सकती है, जिससे 500 छात्रों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। गोंजाल्विस ने कहा कि मैं 2018 से इस मुद्दे के लिए लड़ रहा हूं और एक सीधे आदेश से अदालत 500 छात्रों को प्रवेश देगी।

बच्चों के साथ कोई भेदभाव नहीं

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि वह वही आदेश पारित कर रही है, जो उसने रोहिंग्या बच्चों के मामले में एक जनहित याचिका पर पारित किया था। पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि बच्चे ही आगे आएं। 12 फरवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि शिक्षा प्राप्त करने में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

जनहित याचिका में क्या की गई मांग

बता दें कि इस याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे शहर में रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच प्रदान करें। शीर्ष अदालत ने पहले यह जानना चाहा था कि ये शरणार्थी किस क्षेत्र में रह रहे हैं और उनका विवरण भी मांगा था।

कोर्ट ने मांगी थी ये जानकारी
  • 31 जनवरी को सर्वोच्च न्यायलय ने एनजीओ से कहा कि वह अदालत को बताए कि रोहिंग्या शरणार्थी शहर में कहां बसे हैं और उन्हें कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं। कोर्ट ने एनजीओ के वकील गोंसाल्वेस से भी हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें दिल्ली में उनके बसने के स्थानों का उल्लेख हो।
  • इस दौरान एनजीओ की ओर से पेश वकील गोंसाल्वेस ने कहा था कि एनजीओ ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच की मांग की थी, क्योंकि आधार कार्ड न होने के कारण उन्हें इससे वंचित कर दिया गया था।
  • उन्होंने कहा था कि वे शरणार्थी हैं जिनके पास यूएनएचसीआर कार्ड हैं और इसलिए उनके पास आधार कार्ड नहीं हो सकते। लेकिन आधार के अभाव में उन्हें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच नहीं दी जा रही है।
दिल्ली में कहां रहते हैं रोहिंग्या शरणार्थी?

एनजीओ 'रोहिंग्या मानवाधिकार पहल' की ओर से पेश वकील ने पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रोहिंग्या शरणार्थी दिल्ली के शाहीन बाग, कालिंदी कुंज और खजूरी खास इलाकों में रहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया था कि शाहीन बाग और कालिंदी कुंज में वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं, जबकि खजूरी खास में वे किराए के मकान में रहते हैं।

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Manipur Violence: मणिपुर में फिर शुरू हुई हिंसा, कुकी उग्रवादियों ने मैतेई मंदिर में लगाई आग

Dainik Jagran - National - February 28, 2025 - 10:55pm

डि़जिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने मैतई कोंगबा मारू मंदिर में आग लगा दी है। ये हमला तब किया गया है कि जब एक रोज पहले राज्य के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सभी समुदायों के लोगों को लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को जमा करने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा 6 मार्च तक बढ़ा दी थी।

यह वारदात सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुई। भारी सुरक्षा घेरे में श्रद्धालुओं का समूह प्रार्थना करने के लिए मैतेयी के पवित्र स्थल कोंगबा मारू में पहुंचा था। आसपास की पहाड़ियों से कुल सात राउंड गोलियां चलाई गईं, लेकिन इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ।

घटना के तुरंत बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों सहित सुरक्षा बल इलाकों में पहुंचे और गोलीबारी के सिलसिले में चार आरोपितों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान कांगपोकपी जिले के निवासी लुंगौसेम किपगेन, लेटमिनलाल किपगेन, सतमिनलुन तुबोईऔर थांगगौलुन किलोंग के रूप में की गई। इस बीच गोलीबारी के विरोध में आसपास के गांवों के गुस्साए स्थानीय लोगों ने वाहनों का आवागमन अवरुद्ध कर दिया।

हथियारों को सरेंडर करने की समय सीमा बढ़ाई

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए और अवैध हथियारों को सरेंडर करने की समय सीमा छह मार्च शाम चार बजे तक बढ़ा दी है। बयान में कहा गया है, हथियारों के स्वैच्छिक समर्पण के लिए सात दिन की समयसीमा समाप्त होने पर घाटी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों से इस अवधि को बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। इन अनुरोधों पर विचार कर समयसीमा बढ़ाने का फैसला किया गया है।

कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी

इस अवधि में हथियार सरेंडर करने वालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इससे पहले राज्यपाल ने 20 फरवरी को अल्टीमेटम दिया था कि लोग सात दिनों के भीतर लूटे हुए और अवैध हथियारों को स्वेच्छा से सौंप दें तो हथियार सौंपने वालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन सात दिनों की अवधि बीतने के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह समयसीमा गुरुवार को समाप्त हो गई। सात दिनों की अवधि में लोगों ने 300 से अधिक हथियार सरेंडर किए। इस बीच मणिपुर के कांगपोकपी जिले के एसपी ने पुलिसकर्मियों को अवैध संगठनों की मांगों के आगे न झुकने का निर्देश दिया है।

कांगपोकपी के एसपी मनोज प्रभाकर द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, पता चला है कि कुछ अवैध संगठन कांगपोकपी में पुलिसकर्मियों से पैसे की मांग कर रहे हैं। कांगपोकपी जिला पुलिस के सभी कर्मियों को निर्देश दिया जाता है कि वे मांग पूरी न करें। पीडि़त कर्मियों को किसी भी आपात स्थिति में एसपी कांगपोकपी के कार्यालय से संपर्क करने का निर्देश दिया गया है।

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चेन्नई एयरपोर्ट पर भी खुला उड़ान यात्री कैफे; जल्द अन्य हवाई अड्डों पर भी सस्ते दामों में मिलेगा पानी, चाय और स्नैक्स

Dainik Jagran - National - February 28, 2025 - 10:21pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के एयरपोर्ट्स पर महंगे खानपान का मुद्दा उठाने के बाद सरकार ने कोलकाता के बाद अब चेन्नई में भी उड़ान यात्री कैफे शुरू करने का फैसला लिया था। इसकी पहली शुरुआत कोलकाता एयरपोर्ट से हुई थी, और अब चेन्नई एयरपोर्ट भी इस पहल में शामिल हो गया है। इससे यात्रियों को सस्ती दरों पर पानी, चाय और स्नैक्स मिलने लगे हैं, जिससे उन्हें राहत मिलेगी।

सांसद राघव चड्ढा ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई है और इस मुहिम के लिए आम जनता के समर्थन पर धन्यवाद व्यक्त किया है। सांसद राघव चड्ढा ने अपने X (ट्विटर) सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, "एक छोटी सी चिंगारी भी अंधकार को रोशन कर सकती है… पहले कोलकाता, अब चेन्नई! खुशी है कि एयरपोर्ट्स पर सस्ती कैंटीन शुरू की जा रही हैं। इस मांग को समर्थन देने वाले सभी लोगों का आभार। हर छोटी कोशिश एक बड़ा बदलाव लाती है।"

A small spark can light up the darkest skies…

First Kolkata, now Chennai!

Glad to see affordable food canteens being set up at Airports. Grateful to everyone who supported my demand for affordable food and drinks at airports. Congratulations to each one of you - every drop… pic.twitter.com/EN8L1ESYnL

— Raghav Chadha (@raghav_chadha) February 28, 2025

पानी की बोतल 100 रुपये में, चाय 200-250 रुपये में

पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र में राघव चड्ढा ने एयरपोर्ट्स पर महंगे खानपान का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया था कि एयरपोर्ट्स पर एक पानी की बोतल 100 रुपये में, चाय 200-250 रुपये में और अन्य स्नैक्स बेहद महंगे दामों पर बेचे जाते हैं, जिससे आम यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग की थी कि एयरपोर्ट्स पर किफायती कैंटीन शुरू की जाएं, ताकि हर वर्ग के लोग हवाई यात्रा के दौरान उचित दामों पर भोजन और चाय-काफी पी सकें।

सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और "उड़ान यात्री कैफे" की शुरुआत की। पहले यह कोलकाता एयरपोर्ट पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ, जहां अब सस्ते दामों पर पानी, चाय, कॉफी और स्नैक्स उपलब्ध हैं। वहीं, अब चेन्नई एयरपोर्ट भी इस पहल में शामिल हो गया है।

सांसद राघव चड्ढा ने संसद में कहा था, "सरकार ने वादा किया था कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज से यात्रा कर सकेगा, लेकिन हकीकत यह है कि बाटा के जूते पहनने वाला भी हवाई किराए और एयरपोर्ट्स के महंगे खानपान का खर्च वहन नहीं कर सकता।" उन्होंने संसद में इस बात पर ज़ोर दिया था कि हवाई यात्रा को सस्ता करने की बजाय, सरकार एयरपोर्ट्स पर महंगाई को बढ़ावा दे रही है।

यात्रियों की जीत – अब सस्ते में मिलेगा खाना

इस पहल के बाद यात्रियों को अब चाय-काफी के लिए ज्यादा रुपये खर्च नहीं करने पड़ेंगे। उड़ान यात्री कैफे" में अब पानी की बोतल, चाय, कॉफी और स्नैक्स आम कीमतों पर उपलब्ध होंगे। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि इसे अन्य एयरपोर्ट्स पर भी लागू किया जाएगा, जिससे देशभर के यात्रियों को फायदा होगा।

संसद में छाया था राघव चड्ढा का भाषण

राघव चड्ढा के इस मुद्दे को उठाने के बाद सोशल मीडिया पर भी उनकी जमकर सराहना हुई थी। कई लोगों ने इसे यात्रियों के हक की लड़ाई बताया। लद्दाख से चुशुल के काउंसलर कोंचोक स्टेनजिन ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा था, "लद्दाख के लोग सर्दियों में महंगे हवाई टिकटों से पहले ही परेशान हैं, अब एयरपोर्ट पर महंगे खाने ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। राघव चड्ढा का यह प्रयास सराहनीय है।"

राघव चड्ढा ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन यह भी कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। उन्होंने मांग की कि उड़ान यात्री कैफे को जल्द से जल्द दिल्ली समेत देश सभी बड़े और छोटे एयरपोर्ट्स पर लागू किया जाए, ताकि हर यात्री को इस सुविधा का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा, मैं जनता की आवाज को संसद में उठाता रहूंगा। आपकी राय और सुझाव मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं। हम सब मिलकर बदलाव ला सकते हैं।"

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'पिता-चाचा ने मेरी मां और चाची की काटी कलाई', नाबालिग ने बताया वाकया, कहा- मैंने रोक ली थी सांस

Dainik Jagran - National - February 28, 2025 - 9:46pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोलकाता में ट्रिपल सुसाइड-मर्डर में बचे इकलौते चश्मदीद ने पुलिस के सामने ऐसे राज खोले जिसे सुनकर सब सन्न रह गए। इस हादसे में जीवित बचे चौदह वर्षीय प्रतीप डे ने राज्य बाल अधिकार कार्यकर्ता को बताया कि उसकी मां सुदेशना और चाची रोमी को उसके पिता और चाचा ने कलाई काट कर आत्महत्या करने के लिए कहा, लेकिन जब वो दोनों नहीं मानीं तो दोनों भाईयों ने मिलकर उनका कलाई काट दिया।

बच्चे का कहना है कि उसके पिता और चाचा ने लेनदारों से तंग आकर सुदेशना और रोमी को आत्महत्या करने के लिया कहा था। प्रतीप ने पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (WBCPCR) की सलाहकार अनन्या चक्रवर्ती को यह भी बताया कि उसके चाचा ने उसके पिता के कहने पर तकिये से उसका गला घोंटने की कोशिश की थी। लड़के ने कथित तौर पर उन्हें बताया कि वह केवल सांस थामने की "योग तकनीक" का इस्तेमाल करके और मरने होने का नाटक करके बच गया था।

पहले नशीली दवाईयां और फिर छत से कूदकर जान देने की थी प्लानिंग

अनन्या चक्रवर्ती ने प्रतीप की ओर से बताई गई बातों को बताते हुए कहा कि डे भाईयों ने खीर में नशीली दवाईयां खाई थीं, लेकिन जब उससे उनकी जान नहीं गई तो दोनों भाईयों ने अपने चार मंज़िला घर की छत से कूदने की योजना बनाई थी।

प्रतीप ने उन्हें बताया कि सुदेशना और रोमी ने आत्महत्या से मना कर दिया था, इसी वजह से उनकी हत्या कर दी गई। 

"प्रतीप ने कहा कि वह बेहोश था और उसे दोषी महसूस हो रहा था कि वह अपनी मां और चाची को नहीं बचा सका, हालांकि वह उन्हें तड़पते हुए सुन सकता था जब उसके पिता और चाचा उन्हें मार रहे थे।" अनन्या चक्रवर्ती, WBCPCR

तकिए से चाचा ने मारने की कोशिश की

जब उसके पिता और चाचा उसे मारने आए थे, तो प्रतीप ने कहा कि उसने गहरी सांस ली और उसे जितना हो सका रोके रखा। जब उसके चाचा ने तकिया हटाया और जाँच की कि वह साँस ले रहा है या नहीं, तो उसने मरने का नाटक किया। प्रतीप ने बताया कि जब वे यह सोचकर अपने कमरे से बाहर निकले कि वह मर चुका है, तभी उसने फिर से सांस ली।

चचेरी बहन की जहरीली खीर खाने से मौत

पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (WBCPCR) की सलाहकार अनन्या चक्रवर्ती को बताया कि जब उसके चाचा और पिता उसे मरा हुआ समझकर कमरे से बाहर निकले, तो प्रतीप डे ने अपनी चचेरी बहन प्रियंवदा को मृत हालत में देखा। प्रतीप ने बताया कि प्रियंवदा के मुंह से झाग निकल रहा था। वह इकलौती थी जिसकी मौत खीर में मौजूद जहर से हुई थी।

प्रतीप ने बताया कि वह फिर ऊपर गया और उसने देखा कि उसके पिता और चाचा आत्महत्या करके मरने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने उसे भी अपने साथ शामिल होने के लिए मना लिया।

"जब हमने उससे पूछा कि वह क्यों राजी हुआ, तो उसने कहा कि उसके सभी प्रियजन मर चुके हैं। उसने कहा: 'उसके जीने का क्या मतलब था?' "अनन्या चक्रवर्ती, WBCPCR

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या आया सामने?

लालबाजार में पुलिस ने बताया कि उन्हें गुरुवार को विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली और उन्होंने तीनों जीवित बचे लोगों के बयानों से उनका मिलान किया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों भाइयों के बयानों में विसंगतियां थीं। प्रसून ने पुलिस के सामने दावा किया है कि सुदेशना और रोमी ने खुद अपनी कलाई काटी थी।

पुलिस अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भरोसा कर रही है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि महिलाओं के हाथों पर कट खुद नहीं लगाए गए थे। एक अधिकारी ने कहा, "किसी और ने महिलाओं के हाथों की नसें काटी थीं।"

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नई टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होने वाले खनिजों के निर्यात पर चीन का अंकुश, अब यूक्रेन के भंडार पर अमेरिका की नजर

Dainik Jagran - National - February 28, 2025 - 8:53pm

एस.के. सिंह, नई दिल्ली।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्सकी वॉशिंगटन में हैं, जहां वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच एक समझौता होने की उम्मीद है, जिससे अमेरिका को यूक्रेन के कुछ महत्वपूर्ण खनिजों की एक्सेस मिल जाएगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि समझौते के बदले अमेरिका, यूक्रेन को रूस के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी देगा या नहीं। समझौते के मुताबिक एक फंड बनाया जाएगा जिसमें यूक्रेन तेल, गैस तथा अन्य खनिजों से मिलने वाले राजस्व का आधा जमा करेगा। अमेरिका और यूक्रेन दोनों मिलकर इस फंड को मैनेज करेंगे और इसका प्रयोग यूक्रेन के विकास में किया जाएगा। ट्रंप के पहले प्रस्ताव के मुताबिक इस फंड का पैसा अमेरिका की तरफ से अब तक दी गई मदद को लौटाने में किया जाना था। ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को 500 अरब डॉलर की मदद की है। इस लिहाज से देखा जाए तो समझौते की नई शर्तें यूक्रेन के लिए आसान हुई हैं। ट्रंप की पुरानी शर्तों पर जेलेन्सकी ने कहा था कि मैं ऐसे किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला जिसका बोझ यूक्रेन की आने वाली 10 पीढ़ियों पर पड़े।

यूक्रेन में महत्वपूर्ण (क्रिटिकल) और दुर्लभ (रेयर अर्थ) दोनों तरह के खनिजों का भंडार है। इन खनिजों का प्रयोग सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी से लेकर रक्षा टेक्नोलॉजी तक में होता है। अभी चीन दुर्लभ और महत्वपूर्ण खनिजों का दुनिया का सबसे बड़ा सप्लायर है। अमेरिका और यूरोप चीन पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो क्रिटिकल यानी महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई लगातार मुश्किल होती जा रही है। यही नहीं, युद्ध के बाद यूक्रेन का लगभग 53% खनिज भंडार इस समय रूस के नियंत्रण में चला गया है। विशेषज्ञ यूक्रेन पर रूस के हमले को भी खनिजों पर नियंत्रण की लड़ाी से जोड़कर देखते हैं।

बाइडेन प्रशासन के सख्ती बढ़ाने के बाद दिसंबर 2024 में चीन ने अमेरिका को कई महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी। इनमें सेमीकंडक्टर में इस्तेमाल होने वाला गैलियम, सेमीकंडक्टर और इन्फ्रारेड टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होने वाला जर्मेनियम, मिसाइलों में प्रयोग किया जाने वाला एंटीमनी और ईवी बैटरी बनाने के लिए जरूरी ग्रेफाइट भी शामिल हैं। चीन इनका सबसे बड़ा सप्लायर है। वह दुनिया का 60 फीसदी जर्मेनियम, 80 फीसदी गैलियम और 78 फीसदी एंटीमनी उत्पादन करता है। दुर्लभ खनिजों में 17 तत्व आते हैं। सेल फोन और हार्ड ड्राइव से लेकर इलेक्ट्रिक तथा हाइब्रिड वाहनों तक अनेक कंज्यूमर टेक्नोलॉजी में इनका इस्तेमाल होता है।

अमेरिका ने 50 खनिजों को क्रिटिकल श्रेणी में डाल रखा है और इनमें से 26 का आयात वह चीन से करता है। चीन के पास 4.4 करोड़ टन रेयर अर्थ मिनरल का भंडार है जबकि अमेरिका के पास 18 लाख टन का। दुर्लभ खनिजों का 90 प्रतिशत उत्पादन (रिफाइनिंग के बाद) चीन ही करता है। इन पर सरकारी अंकुश बढ़ाने के लिए चीन ने हाल ही एक नए नियम का ड्राफ्ट जारी किया है। सरकार के निर्देश पर चाइनीज कंपनियां खनिजों की प्रोसेसिंग करने वाली मशीनों का निर्यात भी बंद कर रही हैं।

यूरोपियन यूनियन ने 34 खनिजों को क्रिटिकल श्रेणी में रखा है और इनमें से 22 के भंडार यूक्रेन में हैं। यूक्रेन के पास बैटरी बनाने में काम आने वाले लिथियम और कोबाल्ट, एयरोस्पेस इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण स्कैनडियम, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट में प्रयोग होन वाला टेंटेलम, एयरोस्पेस, मेडिकल, ऑटोमोबाइल और मरीन इंडस्ट्री में प्रयुक्त होने वाले टाइटेनियम का भंडार है। इनके अलावा एयरोस्पेस, डिफेंस और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में प्रयोग होने वाले निकल, मैंगनीज, बेरिलियम, हैफियम, मैग्नीशियम, जिरकोनियम का भंडार भी उसके पास है। परमाणु हथियार और लेजर में इस्तेमाल होने वाले मिनरल अर्बियम और यिट्रियम भी उसके पास हैं। वैसे तो यूक्रेन के कुल भंडार का सही आकलन अभी तक नहीं हुआ है, फिर भी माना जाता है कि दुनिया का पांच प्रतिशत और यूरोप का सबसे बड़ा क्रिटिकल मिनरल भंडार यूक्रेन के पास है।

यहां यूरोप का सबसे बड़ा टाइटेनियम भंडार भी है जिसका प्रयोग एयरोस्पेस, मेडिकल और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में होता है। अनुमान है कि यूक्रेन के पास 5 लाख टन लिथियम का भंडार है जो यूरोप में सबसे बड़ा है। ईवी बैटरी और न्यूक्लियर रिएक्टर में इस्तेमाल होने वाले ग्रेफाइट का दुनिया का 20% भंडार मध्य और पश्चिमी यूक्रेन में है।

खनिजों के कारण ही है यूक्रेन में ट्रंप की रुचि

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चीन मामलों के विशेषज्ञ प्रो. बी.आर. दीपक जागरण प्राइम से कहते हैं, “राष्ट्रपति ट्रंप की यूक्रेन में रुचि वहां मौजूद लिथियम, टाइटेनियम, मैंगनीज जैसे महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ खनिजों के समृद्ध भंडार के कारण है। ये खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे उद्योगों के लिए बेहद जरूरी हैं। यूक्रेन के खनिजों तक पहुंच सुनिश्चित करके अमेरिका, चीन पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है। अभी तक चीन, अमेरिका को इन खनिजों का बड़ा सप्लायर रहा है।”

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर और चीन मामलों की जानकार डॉ. गुंजन सिंह कहती हैं, “अमेरिका के बिना अकेला यूरोप यूक्रेन की मदद नहीं कर सकता है। इसलिए संभव है कि अमेरिकी मदद हासिल करने के लिए यूक्रेन समझौता कर ले। लेकिन यहां यह सवाल भी उठेगा कि यूक्रेन को क्या मिल रहा है।”

यूक्रेन के पास 15 लाख करोड़ डॉलर का खनिज भंडार

अगर यूक्रेन के डोनेट्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और काला सागर क्षेत्र में खनिज भंडारों को देखें तो पता चलता है कि रूस ने इन इलाकों पर नियंत्रण क्यों किया है। ये इलाके हाइड्रोकार्बन के अलावा ग्रेफाइट, लिथियम और यूरेनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों से समृद्ध हैं। एक आकलन के अनुसार यूक्रेन के खनिज भंडारों की वैल्यू 15 लाख करोड़ डॉलर के आसपास है। ये खनिज भंडार यूक्रेन की संप्रभुता के साथ ऊर्जा में यूरोप की आत्मनिर्भरता और अमेरिका तथा चीन के बीच तकनीकी वर्चस्व की प्रतिस्पर्धा के लिए भी अहम हैं।

यूक्रेन ने 2013 में तेल और गैस के निजीकरण की पहल शुरू की थी, तो 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया और डोनबास में सैन्य अभियान चलाया था। उसके बाद यूक्रेन 2017 में नई ऊर्जा रणनीति लेकर आया और वर्ष 2021 में जेलेन्सकी ने इन खनिजों के खनन के लिए बाहरी निवेशकों को टैक्स में छूट देने की घोषणा की, तो रूस ने 2022 में फिर हमला कर दिया।

यूक्रेन को महत्वपूर्ण खनिजों का पावर हाउस कहा जाता रहा है। यूक्रेन में खनिज भंडार तो काफी हैं लेकिन इनको लेकर अभी तक जो अध्ययन हुए हैं उन्हें खनन के लिहाज से पर्याप्त नहीं माना जाता है। कनाडाई गैर-सरकारी संगठन सेकडेव (SecDev) के प्रिंसिपल रॉबर्ट मुग्गाह और सीईओ रफाल रोहोजिंस्की ने एक लेख में बताया है कि 2022 में रूस के आक्रमण से पहले, यूक्रेन ने करीब 20,000 खनिज भंडारों को पंजीकृत किया था। इनमें कोयला, गैस, लोहा, मैंगनीज, निकेल, अयस्क, टाइटेनियम और यूरेनियम के भंडार शामिल हैं। युद्ध से पहले यूक्रेन माइक्रोचिप बनाने में काम आने वाली नियॉन जैसी नोबल गैस के सबसे बड़े सप्लायर में एक था। यूरोप में लिथियम और दुर्लभ खनिजों के सबसे बड़े भंडार वहीं हैं। इनमें से अधिकांश भंडार लुहान्स्क, डोनेट्स्क, जापोरिज्झिया, निप्रोपेत्रोव्स्क, पोल्टावा और खारकीव तक फैले हैं।

अमेरिकी हस्तक्षेप का व्यापक भूराजनीतिक असर

प्रो. दीपक के अनुसार, यूक्रेन के खनिज संसाधनों में राष्ट्रपति ट्रंप की रुचि को व्यावसायिक और भू-राजनीतिक, दोनों नजरिए से देखा जाना चाहिए। व्यावसायिक दृष्टि से यूक्रेन के समृद्ध खनिज संसाधनों में हिस्सेदारी लेना एक सौदागर (डील मेकर) ट्रंप की पृष्ठभूमि के अनुरूप है। इसका उद्देश्य अमेरिका को आर्थिक लाभ दिलाना और महत्वपूर्ण खनिजों के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करना है। भू-राजनीतिक रूप से देखें तो इसके रणनीतिक प्रभाव हैं। यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर नियंत्रण से न केवल इन खनिजों की अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि ये पूरी तरह से रूस के हाथों में न चले जाएं। यदि रूस इन संसाधनों पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लेता है, तो आगे चलकर उसमें चीन की हिस्सेदारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

रूस के नियंत्रण के कारण कितनी सफलता मिलेगी

रिपोर्ट्स के अनुसार यूक्रेन का लगभग 53% खनिज भंडार रूस के कब्जे में है। प्रो. दीपक कहते हैं, यूक्रेन के अधिकांश खनिज भंडार इसके पूर्वी क्षेत्र में स्थित हैं, जहां का बड़ा इलाका अभी रूसी नियंत्रण में है। इसलिए यह सौदा कई चुनौतियों और जोखिमों से भरा हो सकता है। कुछ जटिल मुद्दे जिनका समाधान आवश्यक होगा, वे हैं सुरक्षा गारंटी, विवादित क्षेत्रों में निवेश से जुड़े खतरे और इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित समस्याएं।

रॉबर्ट-रफाल के अनुसार, यूक्रेन पर 2022 में आक्रमण करने के कुछ ही महीनों के भीतर रूस ने 12.5 लाख करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य के यूक्रेन के खनिजों पर नियंत्रण कर लिया था। दुनिया के सबसे बड़े कोयला भंडारों में एक यूक्रेन का है। इसके 56 प्रतिशत हिस्से पर रूस का नियंत्रण है। यूक्रेन के पास यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा गैस और तेल भंडार है और रूस ने यूक्रेन की 20 प्रतिशत गैस फील्ड और 11 प्रतिशत ऑयल फील्ड पर भी कब्जा कर लिया। रूस ने 2022 के अंत तक यूक्रेन के लिथियम, टैंटलम, सीजियम और स्ट्रोंशियम के 50 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत भंडारों पर नियंत्रण कर लिया था। ये धातुएं ग्रीन एनर्जी के साथ रक्षा उद्योगों के लिए भी आवश्यक हैं। युद्ध से पहले यूक्रेन यूरोप का लौह अयस्क, लिथियम, मैंगनीज और स्टील का प्रमुख आपूर्तिकर्ता था।

यूक्रेन के पास यूरोप का सबसे बड़ा में यूरेनियम भंडार भी है, जो विश्व भंडार का अनुमानित 2 प्रतिशत है। यूरेनियम परमाणु ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण है। परमाणु ऊर्जा के लिए अहम बेरिलियम का भंडार भी यूक्रेन के पास है। वह गैलियम का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक रहा है। यूक्रेन सेमीकंडक्टर ग्रेड की नियॉन गैस का भी बड़ा उत्पादक है और अमेरिका को 90 प्रतिशत सप्लाई वही करता रहा है। माना जाता है कि यूरोप का सबसे बड़ा लिथियम भंडार भी यूक्रेन में ही है। एक अनुमान के अनुसार यूक्रेन के काला सागर रिजर्व में लगभग दो लाख करोड़ घन मीटर प्राकृतिक गैस है और इसके लगभग 80 प्रतिशत हिस्से पर रूस का नियंत्रण है। यूक्रेन के ड्नीपर-डोनेट्स्क क्षेत्र में ही तेल, गैस और कोयले का 80 प्रतिशत भंडार का है। यूक्रेन की तरक्की के लिए इन खनिजों पर उसका नियंत्रण होना जरूरी है।

रॉबर्ट-रफाल लिखते हैं, “उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य में यूक्रेन के संसाधनों पर जिसका नियंत्रण होगा, वह वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। यूक्रेन के खनिजों पर नियंत्रण का मतलब है कि रूस इनकी सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है। इसलिए युद्धविराम हो या शांति समझौता, यूक्रेन की खनिज संपदा उसके केंद्र में रहेगी। अगर यूक्रेन को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा गारंटी के बदले रूस के नियंत्रण वाले इलाकों को छोड़ना पड़ा, तो इससे उसकी आर्थिक नींव कमजोर हो सकती है। इन क्षेत्रों को छोड़ने का मतलब है कि यूक्रेन को अपनी तरक्की के लिए यूरोपीय और अमेरिकी सहायता पर निर्भर रहना पड़ेगा।””

यूक्रेन पहले कह चुका है कि रूस के नियंत्रण से बाहर के हिस्से को विकसित करना ट्रंप के हित में है ताकि रूस आगे न बढ़े। यूरोपीय यूनियन का कहना है कि अगर यूक्रेन यूनियन में शामिल हो जाए तो यूरोप की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

अमेरिका-रूस सहयोग कितना संभव

विशेषज्ञ यूक्रेन पर रूस के हमले को भी खनिजों की लड़ाई से जोड़ते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले सोमवार को कहा था कि वे रूस के साथ यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों में भी अमेरिकी कंपनियों के साथ मिलकर दुर्लभ खनिजों का खनन करने के लिए तैयार हैं। पुतिन ने यह भी कहा कि रूस में यूक्रेन की तुलना में काफी अधिक खनिज भंडार है।

प्रो. दीपक के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों और रूस के बीच दुर्लभ खनिजों के खनन में सहयोग को देखना दिलचस्प होगा। हालांकि किसी भी सौदे के लिए भू-राजनीतिक बाधाओं को पार करना और अमेरिका-रूस तथा यूरोपीय संघ-यूक्रेन-रूस के बीच आपसी अविश्वास को दूर करना आवश्यक होगा। महत्वपूर्ण खनिजों के खनन में इस सहयोग के बदले रूस विभिन्न प्रतिबंधों को हटाने की मांग कर सकता है।

वे कहते हैं, “यह असंभव नहीं है, फिर भी इन जटिलताओं को देखते हुए खनन पर अमेरिका-रूस के बीच किसी समझौते के लिए बड़े राजनयिक प्रयासों, संभावित रियायतों और विश्वास बहाली के उपायों की आवश्यकता होगी। इस प्रकार के सहयोग को व्यवहार्य बनाने के लिए भू-राजनीतिक परिदृश्य को अधिक सहयोगात्मक (कोऑपरेटिव) बनाना होगा।”

रूस और चीन के रिश्तों पर कितना असर

प्रो. दीपक कहते हैं, पुतिन और रूस के प्रति राष्ट्रपति ट्रंप के ‘अति सौहार्दपूर्ण’ रुख पर काफी बहस हो रही है। यदि ट्रंप प्रशासन रूस के साथ घनिष्ठ संबंधों की दिशा में कदम उठाता है, जिसमें खनिजों के खनन में सहयोग भी शामिल है, तो इसका व्यापक भू-राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा। इससे रूस को अमेरिकी प्रभाव में लाया जा सकेगा। तब रूस-चीन की रणनीतिक साझेदारी भी कमजोर हो सकती है। यदि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने रूस के करीब जाने का संकेत दिया है, तो उसने चीन-रूस संबंधों की मजबूती की भी परीक्षा की होगी।

वे कहते हैं, चीन और रूस के बीच ‘असीमित साझेदारी’ की गहराई को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह चीन-रूस संबंधों को गंभीर चोट नहीं पहुंचाएगा, हालांकि यह निश्चित रूप से एक नया परिप्रेक्ष्य जोड़ सकता है। फिर भी यह मेल-मिलाप 1972 में रिचर्ड निक्सन की ऐतिहासिक चीन यात्रा के बाद अमेरिका-चीन संबंधों में आए परिवर्तन जैसे नतीजे नहीं दे सकता। चीन इस समय अमेरिका, यूरोपीय संघ और रूस समेत वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। इसलिए 1972 के भू-राजनीतिक बदलाव जैसा अभी कुछ होने की संभावना नहीं दिखती। हालांकि, यह चीन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य कर सकता है। न सिर्फ अमेरिका और रूस के साथ संबंधों के संदर्भ में, बल्कि यूक्रेन और यूरोपियन यूनियन के साथ भी। यह चीन को अन्य देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए भी प्रेरित कर सकता है, ताकि वह शक्ति संतुलन में संभावित बदलावों का मुकाबला कर सके। भारत-चीन संबंधों के पुनर्मूल्यांकन को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।

डॉ. गुंजन भी कहती हैं, “अमेरिका के रूस के करीब आने से चीन और रूस के संबंधों पर असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि सब जानते हैं कि ट्रंप सिर्फ 4 साल के लिए हैं। ट्रंप जो कर रहे हैं वह रिपब्लिकन पार्टी की भी पॉलिसी नहीं रही है। आने वाले समय में ट्रंप पर घरेलू दबाव भी बन सकता है।”

वे कहती हैं, ट्रंप की नीतियों से एक तरह से चीन को दूसरे देशों के साथ संबंध बढ़ाने में मदद मिल रही है। यूक्रेन युद्ध में चीन ही रूस के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। वह रूस से यह भी कह सकता है कि हम ज्यादा पैसे देंगे, हमें वहां खनन की इजाजत दी जाए।

विशेषज्ञों के अनुसार चीन इस बात से चिंतित हो सकता है कि अगर रूस के साथ अमेरिका के मतभेद खत्म हुए, तो ट्रंप प्रशासन का पूरा फोकस चीन पर आ जाएगा। तब उसकी मुश्किलें ज्यादा बढ़ सकती हैं।

अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल

डॉ. गुंजन के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी बात है कि अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगा है। संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग के दौरान पहली बार अमेरिका उत्तर कोरिया के साथ खड़ा दिखा। ट्रंप के अब तक के व्यवहार को देखें तो पुतिन के साथ उनके संबंध वैसे नहीं जैसे दूसरे नेताओं के रहे। वे पुतिन के साथ बात भी करना चाहते हैं। अगर ट्रंप रूस के साथ इतनी बात करने के बाद भी युद्ध खत्म करवाने में नाकाम रहते हैं तो अमेरिका की कोई विश्वसनीयता नहीं रह जाएगी। जिस तरह ट्रंप यूक्रेन के खिलाफ रूस का समर्थन कर रहे हैं, उससे यह सवाल भी उठने लगा है कि कहीं वे ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की अपनी बात को वाजिब ठहरने की कोशिश तो नहीं कर रहे। गौरतलब है कि ग्रीनलैंड में भी महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार हैं।

वे कहती हैं, “ट्रंप ने पहले कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को 500 अरब डॉलर दिए। ट्रंप खनिजों से वह रकम वसूलना चाहते थे। इस तरह के अप्रोच की उम्मीद अमेरिका से नहीं की जाती है। वह भी तब जब पैसे दिए जाने के समय अमेरिका ने ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी। अभी तक अमेरिका को ग्लोबल लिबरल ऑर्डर का समर्थक माना जाता था, लेकिन लगता है ट्रंप को उन सबसे कोई मतलब नहीं है। वे बिजनेस की मानसिकता से कम कर रहे हैं। अमेरिका की नीति इतनी अनप्रेडिक्टेबल कभी नहीं रही, ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी नहीं।

डॉ. गुंजन कहती हैं, “राष्ट्रपति ट्रंप एक तरह से एडहॉक फैसले ले रहे हैं। इनके आधार पर कोई दीर्घकालिक नजरिया बनाना मुश्किल है। अब ताइवान को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि अगर चीन उस पर नियंत्रण करता है तो शायद अमेरिका ताइवान की मदद के लिए न आए। वैसे भी अमेरिका वन चाइना पॉलिसी के तहत आधिकारिक रूप से ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है।”

जो भी हो, विशेषज्ञ इतना तो मानते हैं कि यूक्रेन युद्ध के समाधान में ट्रंप प्रशासन की भूमिका उसकी व्यापक ऊर्जा रणनीति के अनुरूप होगी। अब तक के फैसलों से लगता है कि ट्रंप ऊर्जा के मामले में अमेरिका पर यूरोप की निर्भरता बढ़ाना चाहते हैं। साथ ही वे रिसोर्स-पॉलिटिक्स के जरिए मित्र देशों पर रक्षा खर्च बढ़ाने का दबाव भी डालना चाहते हैं।

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