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'पॉक्सो मामलों की सुनवाई के लिए पर्याप्त जज नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वर्षों से इनके पद खाली
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि देश के ट्रायल कोर्ट में पॉक्सो कानून के अंतर्गत मामलों की सुनवाई के लिए पर्याप्त जज नहीं हैं, जो इसके खिलाफ यौन अपराधों से निपटने के लिए हर जिले में एक विशेष अदालत स्थापित करने जैसे इसके निर्देशों को लागू कर सकें।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ 2019 के एक मामले को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी, जिसका शीर्षक 'बाल दुष्कर्म की रिपोर्ट की गई घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी' था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों से विशेष रूप से निपटने के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत 100 से अधिक एफआईआर वाले हर जिले में एक केंद्रीय-वित्तपोषित न्यायालय की स्थापना करने समेत कई निर्देश पारित किए थे।
कुछ निर्देश अभी अधूरे हैंमंगलवार को जस्टिस त्रिवेदी ने कहा, 'जिला अदालतों में रिक्त पदों को देखते हुए कुछ निर्देश अभी भी अधूरे हैं। हमारे जिला न्यायालयों में न्यायाधीश नहीं हैं। वर्षों से पद रिक्त पड़े हुए हैं। हमें जिला न्यायपालिका में पर्याप्त न्यायाधीश नहीं मिल रहे हैं।''
25 मार्च को हो सकता मामले का निपटारापीठ ने कहा कि 2019 के अन्य निर्देशों का पालन किया गया है और अब 25 मार्च को इस मामले का निपटारा किया जा सकता है। वहीं, पीठ ने उस रिपोर्ट पर भी ध्यान दिया जिसमें समय पर पॉक्सो मुकदमे पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा फोरेंसिक लैब से रिपोर्ट मिलने में देरी को बताया गया।
रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 30 जून 2019 तक देशभर में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की 24,212 एफआइआर दर्ज की गईं। इनमें से 11,981 मामलों की जांच अभी भी पुलिस कर रही है और 12,231 केसों में चार्जशीट फाइल कर दी गई है।
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केरल हाई कोर्ट ने 'रैगिंग' के खिलाफ सुनवाई लिए गठित की विशेष पीठ, याचिका में Ragging को बताया सामाजिक बुराई
पीटीआई, कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार की अध्यक्षता में एक विशेष पीठ का गठन किया, जो राज्य के विधिक सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी।
विशेष पीठ के गठन का निर्देश दियायाचिका में रैगिंग विरोधी कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन और रैगिंग की घटनाओं की निगरानी के लिए एक तंत्र की स्थापना की मांग की गई है। यह याचिका मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस मनु की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, जिसने विशेष पीठ के गठन का निर्देश दिया।
केएलएसए ने अपनी याचिका में कहा है कि रैगिंग एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जिसका प्रकोप शैक्षणिक संस्थानों में जारी है तथा उसके कारण विद्यार्थियों को गंभीर मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और यहां तक कि शारीरिक नुकसान भी हो रहा है।
रैगिंग को खत्म करने के लिए कानून के बाद भी हो रही घटनाएंप्राधिकरण ने दावा किया है कि रैगिंग को खत्म करने के लिए कानून, नियम और न्यायिक निर्देश होने के बावजूद, ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो उन्हें लागू करने और जवाबदेही तय करने में खामियों को उजागर करती हैं। उसने कहा कि रैगिंग की व्यापकता न केवल विद्यार्थियों की संरक्षा और सुरक्षा को कमजोर करती है बल्कि प्रणालीगत विफलताओं को भी दर्शाती है।
चीन की उड़ी नींद, भारत जापान मिलकर कर रहे जंगी सैन्य अभ्यास 'धर्म गार्जियन'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत-जापान के बीच जापान के पूर्वी फूजी में चल रहा संयुक्त सैन्य अभ्यास 'धर्म गार्जियन' दोनों देशों के सैन्य रणनीतिक संबंधों की गहराई को नया आयाम दे रहा है। दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास की इस छठी कड़ी में भारत और जापान की सेनाओं का इस बार फोकस वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य में शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहे आंतकवाद निरोधी आपरेशन पर है।
वहीं वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र शांति सुरक्षा मिशन से जुड़ी चुनौतियों में प्रभावशाली सैन्य अभियान का संचालन भी इस अभ्यास का अहम हिस्सा है। भारत-जापान का संयुक्त अभ्यास दोनों देशों के सामरिक रिश्ते के साथ-साथ क्वाड के लिए भी महत्वपूर्ण है। विशेषकर इस लिहाज से कि क्वाड देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग की पहल से चीन असहज होता रहा है।
असामान्य नहीं है मित्र देशों में संबंधवैश्विक सामरिक कूटनीति में मित्र देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास असामान्य नहीं है मगर भारत-जापान के बीच मैत्रीपूर्ण सामरिक रिश्तों पर चीन की हमेशा से तिरछी निगाहें रही है। विशेषकर क्वाड देशों का समूह अस्तित्व में आने के बाद इसके सदस्य राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय के साथ बहुपक्षीय सहयोग को लेकर चीन शुरू से आशंकित रहा है क्योंकि बीजिंग हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को थामने की चुनौती के रूप में लेता है।
24 फरवरी को हुई जंगी अभ्यास की शुरुआतक्वाड में भारत और जापान के साथ अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इस परिप्रेक्ष्य में संयुक्त सैन्य अभ्यास के अपने सामरिक निहितार्थ हैं। भारत-जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन की शुरूआत बीते 24 फरवरी को हुई और यह नौ मार्च तक जापान के पूर्वी फूजी सैन्य प्रशिक्षण इलाके में चलेगा।
शहरी इलाकों और आतंकविरोधी अभियान पर फोकसइस सैन्य अभ्यास में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों और सहयोग को कई स्तरों पर मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। सेना के अनुसार इस वर्ष के अभ्यास का प्राथमिक फोकस शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियान है। वर्तमान सुरक्षा वातावरण में शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी आपरेशन नई चुनौती के रूप में सामने आया है।
जंगी अभ्यास में निखार रहे रणनीतिइस लिहाज से अभ्यास में दोनों देशों के सैनिक अपनी रणनीति को निखार रहे हैं और जटिल शहरी परिस्थितियों में संचालन करने की अपनी क्षमता में सुधार कर रहे हैं। इसके साथ ही अभ्यास में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान का पारूप बनाया गया है जिसमें वास्तविक वैश्विक परिदृश्यों का स्वरूप दिखाते हुए बहुराष्ट्रीय सैन्य बलों के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
सैन्य क्षमता को मजबूत बना रहेजाहिर तौर पर दोनों देशों की सेनाएं ऐसे सुरक्षा वातावरण में चुनौतियों से निपटने का प्रभावी तरीका अपनाने का भी अभ्यास कर रही हैं। भारतीय सेना के मुताबिक जैसे-जैसे अभ्यास आगे बढ़ रहा है, दोनों पक्ष सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला में भाग लेते युद्ध के अनुभवों को साझा कर रहे हैं। दोनों देशों के सैनिक अपनी क्षमताओं को मजबूत करते हुए गहन सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
सैन्य अभ्यास के साथ दोनों देशों में बढ़ेगी सांस्कृतिक समझअभ्यास को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय और जापानी सेना भविष्य के शांति या मानवीय मिशनों में सहज रूप से सहयोग कर सकती हैं। सैन्य अभ्यास के साथ-साथ दोनों देशों के सैनिकों के बीच सांस्कृतिक समझ बनाने और सौहार्द को बढ़ावा देते हुए अपनी-अपनी सांस्कृतिक विरासतों को भी साझा कर रहे हैं।
जाहिर तौर पर भारत-जापान के सामरिक सहयोग को दोस्ती की गहराई के मजबूत बंधन में बांधने का लक्ष्य भी अभ्यास का हिस्सा है। सेना के अनुसार भारत-जापान के बीच यह सैन्य सहयोग न केवल उनकी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में अहम है बल्कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
'अपनी ही दुकानों से दवा खरीदने पर मजबूर कर रहे प्राइवेट अस्पताल', अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ये कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों के दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की अधिक कीमतों के संबंध में निर्णय सरकार पर छोड़ दिया। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का फर्ज है। राज्य मरीजों और उनके तीमारदारों का शोषण रोकने को लेकर उचित नीतिगत निर्णय लें।
हम दखल देंगे तो कामकाज में बाधा आ सकतीकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया तो प्राइवेट अस्पतालों के कामकाज में बाधा हो सकती है और इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणियां की।
याचिका में आरोप लगाया गया कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों और उनके तीमारदारों को अस्पताल परिसर में स्थित दवा दुकानों या उनसे संबद्ध दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। इन अस्पतालों में संचालित दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए अत्यधिक कीमतें वसूली जाती हैं।
स्वास्थ्य राज्य का विषयपीठ ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य सरकारें अपनी स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नियामक उपाय कर सकती हैं। अदालत ने इसे नीतिगत मुद्दा करार देते हुए कहा कि नीति निर्माताओं को इस मामले पर समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और उचित दिशा-निर्देश तैयार करने चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मरीजों और उनके तीमारदारों का शोषण न हो और साथ ही, निजी संस्थाओं को स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रवेश करने से हतोत्साहित या अनुचित प्रतिबंध न लगाया जाए।
मरीजों के शोषण पर संवेदनशील हो सरकारेंशीर्ष अदालत ने कहा कि मरीजों और उनके तीमारदारों की मजबूरियों का अनुचित लाभ उठाकर उनका शोषण करने की कथित समस्या के बारे में राज्य सरकारों को संवेदनशील होना होगा। पीठ ने कहा कि संविधान के तहत सरकार का दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के कारण उसे अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राइवेट अस्पतालों की मदद लेनी पड़ी।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा संवैधानिक अधिकारपीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का संवैधानिक अधिकार है। स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राइवेट अस्पतालों के योगदान की सराहना करते हुए पीठ ने कहा कि न्यायालय द्वारा दिया गया कोई भी अनिवार्य निर्देश उनके कामकाज में बाधा उत्पन्न कर सकता है तथा इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है।
खास दुकान से दवा लेने की बाध्यता नहींअदालत ने केंद्र के इस रुख पर गौर किया कि मरीजों या उनके स्वजन पर अस्पताल की दवा दुकानों या किसी खास दुकान से दवाइयां, चिकित्सा उपकरण लेने की कोई बाध्यता नहीं है। पीठ ने हैरानी जताते हुए सवाल किया कि क्या केंद्र या राज्यों के लिए ऐसी नीति बनाना विवेकपूर्ण होगा जो प्राइवेट अस्पतालों की प्रत्येक गतिविधि को नियंत्रित करे।
2018 में सुनवाई पर सहमत हुआ था सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट 14 मई, 2018 को उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दवा निर्माताओं के सहयोग और मिलीभगत से दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सामग्रियों की कीमतें बढ़ा दी गई थीं। याचिकाकर्ता के पिता ने दलील दी कि देशभर के अस्पतालों में मरीजों की मजबूरियों का फायदा उठाकर लोगों को अस्पताल परिसर स्थित दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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Trade War News: दुनिया में सबसे बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत, लेकिन भारत को होगा फायदा; जानिए कैसे
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अत्याधुनिक काल में सबसे बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत मंगलवार को तकरीबन हो गई है। अमेरिकी प्रशासन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा पर अमल करते हुए मंगलवार को कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है।
अमेरिकी समयानुसार मंगलवार को कनाडा और मैक्सिको से स्टील, अल्यूमिनियम समेत कई धातुओं व अन्य उत्पादों के आयातों पर 25 फीसद का शुल्क लगेगा जबकि वहां से ऊर्जा उत्पादों के आयात पर 10 फीसद का टैक्स लगेगा।
कारोबारी युद्ध की नौबतइसके जबाव में कनाडा ने भी अमेरिका से होने वाले तकरीबन 155 डॉलर के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। यह पहला मौका है जब किसी नाटो के दो सदस्य देशों के बीच कारोबारी युद्ध की नौबत आई है। पिछले हफ्ते वॉशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की के बीच सार्वजनिक बहसबाजी के बाद अमेरिका व नाटो के अन्य सदस्यों के बीच पहले से ही तलवॉरें खींची हुई हैं।
कैसा होगा ट्रेड वॉर का असर- ट्रेड वॉर की शुरुआत तनाव में और जहर घोलने का काम कर सकता है। ट्रेड वॉर सिर्फ नाटो तक सीमित नहीं है। चीन से होने वाले हर आयात पर भी प्रशासन ने 20 फीसद टैक्स लगाने की घोषणा की है।
- इसके बाद चीन ने अमेरिका से आयातित कई तरह के कृषि उत्पादों (चिकन, सोया, मक्का, बीफ) आदि पर 15 फीसद का अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है।
- चीन ने वर्ष 2023 में अमेरिका से 33 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया था। इस पर असर पड़ना तय है। लेकिन इस कारोबारी युद्ध में ज्यादा घाटा चीन को होने की संभावना विशेषज्ञ मान रहे हैं।
वर्ष 2024 में चीन का अमेरिका को कुल निर्यात 437 अरब डॉलर का रहा था। अमेरिका व चीन के बीच प्रौद्योगिकी व कुछ दूसरे क्षेत्रों में कभी-कभार एक दूसरे की कंपनियों या उनके उत्पादों पर अंकुश लगाने की कोशिश हुई है लेकिन कृषि व दूसरे उत्पादों के निर्यात पर नीतिगत तरीके से शुल्क आयद नहीं किया गया है।
एक-दूसरे के हितों को नुकसानवैसे देखा जाए तो जी-20 संगठन (दुनिया के शीर्ष 20 अमीर देश) के चार देशों (अमेरिका, चीन, मैक्सिको और कनाडा) के बीच पहली बार एक दूसरे के आयात को महंगा करने के लिए सीधे शुल्क बढ़ाने का कदम उठाया गया है। कारोबारी स्तर पर एक दूसरे के हितों को नुकसान पहुंचाने का काम तब शुरू हुआ है जब भूराजनैतिक तौर पर काफी अस्थिरता है।
पश्चिम एशिया में हालात में काफी तनावपूर्णयूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर अमेरिका की यूरोपीय देशों के साथ रिश्ते तलहटी में पहुंच चुके हैं। अमेरिका और रूस के एक दूसरे के करीब आने के संकेत हैं। पश्चिम एशिया में हालात में काफी तनावपूर्ण पहले से हैं। वैश्विक इकोनॉमी की स्थिति भी काफी नाजुक है।
दो देशों के बीच कारोबारी युद्ध समाप्त करने में अहम भूमिका निभाने वाला विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) भी अपना प्रभाव गंवा चुका है। ऐसे में इस ट्रेड वॉर के लंबा खींचने की आशंका भी विशेषज्ञ जता रहे हैं।दुनिया के दो सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों (अमेरिका व चीन) समेत चार प्रमुख देशों के बीच शुरू हुए इस ट्रेड वॉर का भारत पर सीधा तो नहीं लेकिन परोक्ष तौर पर कई तरह से असर पड़ने की बात जानकार मान रहे हैं।
सोच-समझकर आगे बढ़ेगा भारतवैश्विक कारोबार पर शोध एजेंसी जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका का यह कदम भारत के लिए चेतावनी है। राष्ट्रपति ट्रंप की छवि पुराने कारोबारी समझौतों को रद्द करने की है। उन्होंने वर्ष 2018 में नाफ्टा को रद्द करके अमेरिका-कनाडा-मैक्सिको समझौता लागू किया था। ट्रंप इस तरह का कदम दूसरे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने के लिए करते हैं। भारत ने अभी तक ट्रंप प्रशासन के इस दबाव को टाल कर रखा है। भारत को सोच विचार कर आगे कदम बढ़ाना चाहिए।
भारत को होगा फायदाभारत के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मंगलवार को वॉशिंगटन में हैं जहां उनकी दोनों देशों के बीच संभावित कारोबारी समझौते पर बात होने वाली है। निर्यातकों के संगठन फियो के आगामी अध्यक्ष एस सी रल्हन का कहना है कि अमेरिका व दूसरे देशों के बीच शुरु हुए ट्रेड वॉर से भारत के लिए कृषि, इंजीनीयिरंग, मशीन, गार्मेंट्स , रसायन व चमड़े के निर्यात के लिए ज्यादा अवसर खुलेंगे। भारत को इस अवसर का फायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए।
दोषी करार नेताओं के चुनाव लड़ने से जुड़े मामले पर SC में हुई सुनवाई, पढ़ें चुनाव आयोग ने क्या कहा?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह दोषी ठहराए गए सजायाफ्ता नेताओं की सजा कम करने या समाप्त कर चुनाव लड़ने की अयोग्यता हटाए जाने के मामलों का ब्योरा पेश करे। कोर्ट ने आयोग को दो सप्ताह में ब्योरा देने को कहा है और उसके बाद याचिकाकर्ता के पास प्रतिउत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय होगा।
मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने ये आदेश वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
दो वर्ष से ज्यादा की कैद होने पर नेता नहीं लड़ सकते छह वर्ष चुनावअश्वनी उपाध्याय की 2016 से लंबित याचिका में दोषी करार सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। साथ ही चुनाव आयोग को मिली दोषी नेताओं की सजा कम करने और समाप्त करने की शक्ति पर भी सवाल उठाया गया है।
ज्ञातव्य हो कि मौजूदा कानून में दो वर्ष से ज्यादा की कैद होने पर सजा भुगतने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होता है। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 11 में चुनाव आयोग को सजा कम या समाप्त कर चुनाव लड़ने की अयोग्यता हटाने का विवेकाधिकार है। आयोग कारण दर्ज कर ऐसा कर सकता है।
हालांकि अश्वनी उपाध्याय की याचिका में विशेषतौर पर कानून की धारा 11 को चुनौती नहीं दी गई है लेकिन गैर सरकारी संगठन लोकप्रहरी की एक अन्य याचिका लंबित है, जिसमें इस धारा को चुनौती दी गई है। लोकप्रहरी की याचिका दूसरी पीठ के समक्ष विचाराधीन है।
कोर्ट ने मामले को सीजेआई के सामने पेश करने का दिया आदेशमंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि इसी तरह की एक याचिका लोकप्रहरी की भी एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है जिसके बाद कोर्ट ने दूसरी पीठ के समक्ष भी एक याचिका लंबित होने को देखते हुए मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है ताकि वे दोनों केसों को साथ संलग्न कर साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के बारे में उचित आदेश दे सकें।
मामले में कोर्ट की मदद कर रहे न्यायमित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने पीठ से कहा कि दोषी ठहराए गए सजायाफ्ता नेताओं की सजा कम या हटा कर अयोग्यता समाप्त करने का ब्योरा उपलब्ध नहीं है। यह ब्योरा मंगाया जाना चाहिए। जिसके बाद कोर्ट ने आयोग से ब्योरा पेश करने को कहा।
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि उन्हें उन मामलों का ब्योरा देने में कोई परेशानी नही है जिनमें चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सजा घटाई है या सजा समाप्त करके अयोग्यता की अवधि खत्म की है। लेकिन इस याचिका में धारा 11 की वैधानिकता को चुनौती नहीं दी गई है।
वहीं याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि राजनीति के अपराधीकरण को रोकने की जरूरत है।दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध के मामले में केंद्र सरकार ने हाल ही में दाखिल किये गए जवाब में याचिका में की गई मांग का विरोध किया था।
सरकार का कहना है कि दोषियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।याचिका में की गई मांग एक प्रकार से कानून के पुनर्लेखन की मांग है। केंद्र ने ऐसी एक याचिका लोकप्रहरी की लंबित होने का जिक्र किया है।
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ICMAI ने किया दो दिन का सिम्पोजियम आयोजित, लोकसभा स्पीकर बोले-देश की प्रगति में ऐसे संस्थानों का अहम योगदान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कॉस्ट एकाउंटेंसी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान 'दि इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया', नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल (आईसीएमएआई) द्वारा दो दिवसीय सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। इस सिम्पोजियम का उद्देश्य भारत की तरक्की और उत्थान में आईसीएमएआई की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान पर मंथन करना है।
'अडॉप्शन टू चेंजिंग लैंड स्केप- माई विकसित भारत 2047' के नाम से आयोजित इस दो दिन तक चलने वाले सिम्पोजियम का आयोजन 28 फरवरी और 1 मार्च 2025 को नई दिल्ली के आईसीएआर कन्वेंशन सेंटर, एनएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा रोड पर किया गया। यह कार्यक्रम नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल (आईसीएमएआई) द्वारा आयोजित किया गया।
मंच पर बांसुरी स्वराज समेत ये सदस्य रहे मौजूददो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उनके साथ मंच पर गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में एस सी और एस टी के वेलफेयर के लिए गठित संसदीय कमेटी के चेयरपर्सन फग्गन सिंह कुलस्ते और लोकसभा सदस्य बांसुरी स्वराज भी उपस्थित रहीं।
इनके अलावा आईसीएमएआई के नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन और कन्वीनर संतोष पंत, सेंट्रल काउंसिल मेंबर एम के आनंद, राजेंद्र सिंह भाटी, नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल के वाइस चेयरमैन एस एन मित्तल, को कन्वीनर एस के भट्ट, सेक्रेटरी राकेश यादव, ट्रेजरार जीवन चंद्रा, भारत सरकार में चीफ एडवाइजर कॉस्ट पवन कुमार के साथ मनीष कांडपाल, हनी सिंह, माधुरी कश्यप भी मंच पर पर मौजूद रहे।
इन सभी गणमान्य अतिथियों के अलावा बड़ी संख्या में युवाओं, उद्योगपतियों, नौकरशाहों और आईसीएमएआई के छात्रों ने हिस्सा लिया। सभी गणमान्य अतिथियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत 2047' विजन की सराहना करते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किए।
'पीएम की विकसित भारत योजना को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं'सबसे पहले आईसीएमएआई के नॉर्दन इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन और कन्वीनर संतोष पंत ने मुख्य अतिथि एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। संतोष पंत ने अपने स्वागत भाषण के दौरान कहा कि, "आईसीएमएआई एक मजबूत संबल बनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत योजना को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
कॉस्ट एकाउंटेंसी के क्षेत्र में हमारा 65 वर्षों का अनुभव निश्चित रूप से राष्ट्र के विकास में काम आएगा और इस दिशा में हम निरंतर अपना योगदान दे भी रहे हैं
'दुनियाभर में भारत की शक्ति बढ़ी है'लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि,"देश की प्रगति में आईसीएमएआई जैसे संस्थानों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान हैl आर्थिक निवेश बढ़ सके। उन्होंने यह भी कहा कि अपने आर्थिक सुधारों की बदौलत दुनियाभर में भारत का सामर्थ्य और शक्ति बढ़ी है।
कार्यक्रम में एससी एसटी के वेलफेयर के लिए गठित संसदीय कमेटी के चेयरपर्सन फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आईसीएमएआई जैसे संगठनों का देश के विकास में अमूल्य योगदान है।
'किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इससे धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती
एजेंसी, नई दिल्ली। SC on Miyan Tian सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना भले ही गलत हो, लेकिन धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा अपराध नहीं है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ मामला बंद करते हुए यह टिप्पणी की।
आरोपी के खिलाफ केस बंदयह शिकायत झारखंड के एक उर्दू अनुवादक और एक कार्यवाहक क्लर्क ने दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, जब वह सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के बारे में जानकारी देने के लिए आरोपी से मिलने गया, तो आरोपी ने उसके धर्म का हवाला देकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया।
उन्होंने ये भी कहा कि उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन को रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया।
इसके चलते उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना) और 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा,
अपीलकर्ता पर 'मियां-तियान' और 'पाकिस्तानी' कहकर सूचनाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। निस्संदेह, दिए गए बयान सही नहीं हैं। हालांकि, यह सूचनाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बराबर नहीं है।
शीर्ष अदालत के अनुसार, आरोपी की ओर से ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया जिससे शांति भंग हो सकती हो।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि स्पष्ट रूप से अपीलकर्ता द्वारा कोई हमला या बल का प्रयोग नहीं किया गया, जिससे उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) लगाई जा सके।
असम के पूर्व सीएम की बेटी ने ड्राइवर को चप्पल से पीटा, वीडियो वायरल हुआ तो बोलीं- नशे में रहकर करता था गलत कमेंट
गुवाहाटी, पीटीआई। असम के पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी की तरफ से ड्राइवर पर हमला करने का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस मामले में महिला ने ड्राइवर पर आरोप लगाया है कि वह नशे की हालत में उसके साथ गाली-गलौज करता था।
वीडियो क्लिप में एक व्यक्ति घुटनों के बल बैठा हुआ है, जबकि पूर्व सीएम प्रफुल्ल कुमार महंत की बेटी प्रजोयता कश्यप उसे गाली दे रही हैं और चप्पल से भी मार रही हैं। यह वीडियो राजधानी दिसपुर क्षेत्र में हाई सिक्योरिटी वाले एमएलए हॉस्टल के परिसर में फिल्माया गया था, जहां अन्य कर्मचारी इस घटना को देख रहे थे।
लंबे समय से कर रहा था कामसोमवार को जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो महिला ने दावा किया कि वह व्यक्ति लंबे समय से उनके परिवार के लिए काम कर रहा ड्राइवर है। लेकिन वह हमेशा नशे में रहता है और मुझ पर टिप्पणी करता है। हर कोई इसके बारे में जानता है।
हमने उसे समझाने की कोशिश की और उसे ऐसा न करने के लिए कहा। लेकिन जब उसने आज हमारे घर का दरवाजा पीटना शुरू किया तो उसने सारी हदें पार कर दीं।
पुलिस के पास क्यों नहीं गई महिला?इसके बाद जब महिला से पूछा गया कि वह शिकायत लेकर पुलिस के पास क्यों नहीं गईं, तो कश्यप ने सीधा जवाब देने से परहेज किया और कहा कि ज्यादातर मामलों में ऐसे मामलों में महिला पर ही आरोप लगाए जाते हैं।
Shocking visuals emerge allegedly, showing former #Assam CM @PrafullaKumarMahanta’s daughter allegedly assaulting a staff member with a chappal. Such behavior is unacceptable and must be condemned. Authorities should take swift action! #Assam #viralvideo pic.twitter.com/P2kg75Va7i
— Afrida Hussain (@afridahussai) March 3, 2025- महिला ने यह भी बताने से इनकार कर दिया कि ड्राइवर किसके साथ काम कर रहा था, उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाया था।
- यह स्पष्ट नहीं है कि ड्राइवर सरकारी कर्मचारी था या परिवार द्वारा व्यक्तिगत रूप से नियुक्त किया गया था।
बता दें कि असम गण परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत अब विधायक नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपने परिवार के साथ एमएलए हॉस्टल में रहने की अनुमति दी गई है। वह 1985 से 1990 तक और फिर 1996 से 2001 के बीच दो बार असम के मुख्यमंत्री रहे ।
Rohit Sharma ही नहीं, कोहली पर भी विवादित बयान दे चुकी हैं शमा मोहम्मद; अब कांग्रेस प्रवक्ता का एक और पोस्ट वायरल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद (Shama Mohamed) ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) पर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने रोहित को 'मोटा खिलाड़ी' कहा। उनके इस टिप्पणी के बाद नया विवाद खड़ा होगा। कांग्रेस ने इससे खुद को अलग कर लिया।
ये कोई पहला मौका नहीं है, जब शमा मोहम्मद ने किसी क्रिकेटर पर विवादित टिप्पणी की हो। इससे पहले भी उनका विवादों से नाता रहा है। रोहित शर्मा पर की गई टिप्पणी के बाद उनका एक पुराना सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में उन्होंने क्रिकेटर विराट कोहली को भला-बुरा कहा था।
विराट पर की थी टिप्पणीबता दें कि सोशल मीडिया कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद का एक पुराना सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रहा है। ये पोस्ट साल 2018 का बताया जा रहा है। उस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता ने तत्कालीन भारतीय कप्तान विराट कोहली की आलोचना की थी। अपने एक पोस्ट में शमा ने विराट कोहली को उनके 'जो लोग अंग्रेजी और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को पसंद करते हैं उन्हें भारत में नहीं रहना चाहिए' टिप्पणी के लिए भला बुरा कहा था।
जानिए क्या था मामलादरअसल, नवंबर 2018 में विराट कोहली ने प्रशंसकों द्वारा भेजे गए संदेशों को पढ़ा उनका जवाब दिया। अपने जवाब के कारण वह विवादों में आ गए। विराट कोहली को भेजे गए एक मैसेज में प्रशंसक ने कहा था कि मुझे इन भारतीय बल्लेबाजों से ज़्यादा इंग्लिश और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को देखना पसंद है। इसके साथ ही प्रशंसक ने कोहली को ओवर-रेटेड बल्लेबाज भी कहा था।
विराट कोहली ने इसको लेकर कहा था कि मुझे नहीं लगता कि आपको भारत में रहना चाहिए, कहीं और जाकर रहना चाहिए। आप हमारे देश में क्यों रह रहे हैं और दूसरे देशों से प्यार क्यों कर रहे हैं? मुझे इससे कोई परेशानी नहीं कि आप मुझे पसंद नहीं करते, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपको हमारे देश में रहकर दूसरी चीजों को पसंद करना चाहिए। अपनी प्राथमिकताएं सही रखें।
शमा मोहम्मद ने दिया था जवाबविराट कोहली की इस टिप्पणी पर शमा मोहम्मद ने उन्हें आड़े हाथों लिया था। एक पोस्ट में शमा ने कहा था कि विराट कोहली ब्रिटिश आविष्कृत खेल खेलते हैं, विदेशी ब्रांडों के विज्ञापन से करोड़ों कमाते हैं, इटली में शादी करते हैं, हर्शेल गिब्स को अपना पसंदीदा क्रिकेटर और एंजेलिक कर्बर को सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी बताते हैं, लेकिन विदेशी बल्लेबाजों को पसंद करने वालों को भारत छोड़ने के लिए कहते हैं।
शमा मोहम्मद का ये 6 साल पुरान पोस्ट एक बार फिर से वायरल होने लगा है। बतां दें कि उन्होंने गत भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा को लेकर विवादित टिप्पणी की थी और उनको मोटा कहा था।
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भारत सरकार ने बदले पासपोर्ट के नियम, अब इस दस्तावेज के बिना नहीं होगा आवेदन; पढ़ें डिटेल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Passport Rule Change: पासपोर्ट को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के तौर पर माना जाता है। पासपोर्ट के होने से किसी भी शख्स की आसानी से पहचान हो जाती है, इसके साथ ही उसकी नागरिकता भी साबित होती है।
पासपोर्ट किसी भी अन्य देश की यात्रा करने के लिए सबसे मुख्य दस्तावेज में आता है। इसकी मदद से कोई भी शख्स किसी दूसरे देश में घूमने, पढ़ने या नौकरी-पेशा के लिए आसानी से जाता है। इस बीच भारत सरकार ने पासपोर्ट को लेकर नियमों में बदलाव किया है। इसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
भारत सरकार ने बदले नियमकेंद्र सरकार ने पासपोर्ट बनवाने के नियमों में बदलाव किया है। नए नियम के तहत अब पासपोर्ट बनवाने के लिए बर्थ सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना जरूरी होगी। केवल जन्म प्रमाण पत्र ही जन्मतिथि के लिए वैध प्रमाण होगा।
हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात है कि ये नियम सभी लोगों पर लागू नहीं होगा। ये नए नियम केवल उन लोगों पर ही लागू होंगे जो 01 अक्टूबर 2023 या उसके बाद पैदा हुए हैं। इससे पहले बर्थ सर्टिफिकेट की जगह मार्कशीट या स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रयोग कर लिया जाता था।
इन लोगों पर नहीं लागू होगा नियमध्यान देने वाली बात है कि पासपोर्ट बनवाने के लिए बर्थ सर्टिफिकेट उन लोगों के लिए आवश्यक नहीं हैं, जिनका जन्म इस तिथि से पहले हुआ है। वे पहले के जैसे ही ड्राइविंग लाइसेंस, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जैसे अन्य डॉक्यूमेंट देकर पासपोर्ट बनवा सकते हैं।
इन नियमों में भी हुए बदलावबता दें कि अब पासपोर्ट के आखिरी पन्ने पर आवासीय पते नहीं छापे जा सकेंगे। आव्रजन अधिकारी अब बारकोड स्कैन कर जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। वहीं, पासपोर्ट के अंतिम पन्ने पर से माता-पिता के नाम को भी नहीं छापा जाएगा। इस नियम से एकल अभिभावक या अलग-थलग परिवारों के बच्चों को राहत मिलेगी।
कैसे बनवाएं पासपोर्ट?पासपोर्ट बनवाने के लिए नियम काफी आसान हैं। इसके लिए आपको कुछ स्टेप्स को फॉलो करना होगा।
- सबसे पहले आपको ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा या पहले से बने अपने अकाउंट पर लॉग इन करें।
- नए पासपोर्ट/ पासपोर्ट को फिर से जारी करने के लिए आवेदन पर क्लिक करें।
- इसके बाद जरूरी जानकारी को भरें और सबमिट करें।
- इसके आगे भुगतान करें और अपॉइंटमेंट को बुक करने के लिए शेड्यूल लिंक पर क्लिक करें।
- इसके बाद अपना अपॉइंटमेंट चुने।
- इसके बाद आप अपने चुने गए अपॉइंटमेंट के समय पासपोर्ट सेवा केंद्र में जाएं।
- ध्यान रहे कि अपॉइंटमेंट के समय जरूरी दस्तावेज को साथ में रखें।
- इसके बाद आपका पुलिस वेरिफिकेशन होगा, फिर आपका पासपोर्ट आपको मिल जाएगा।
कर्नाटक के बेलगावी में 'छावा' की स्क्रीनिंग पर लगी रोक, पुलिस के एक्शन पर बढ़ा विवाद; क्या है पूरा मामला?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के बेलगावी में 'छावा' की स्क्रीनिंग को लेकर विरोध जारी है। बेलगावी में शनिवार शाम को उस समय तनाव फैल गया जब पुलिस विभाग ने बेलगावी के विभिन्न इलाकों में विक्की कौशल अभिनीत हिंदी फिल्म ‘छावा’ के रिकॉर्डेड वर्जन की स्क्रीनिंग रोक दी।
'छावा' बड़े पर्दे पर ब्लॉकबस्टर बन गई और तीसरे हफ्ते में भी सफलतापूर्वक चल रही है। इस बीच,कुछ युवा संगठन बिना पूर्व इजाजत के प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करके जनता के लिए सड़कों पर फिल्म का रिकॉर्डेड वर्जन दिखा रहे थे। पुलिस विभाग ने बेलगावी शहर, कडोली गांव और निप्पनी कस्बे में विभिन्न स्थानों पर फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी।
लोगों का फूटा गुस्सा- कार्रवाई के दौरान पुलिस को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
- खासकर कडोली के चंद्रशेखर आजाद गली में शनिवार रात पुलिस को जनता और आयोजकों को समझाने में चार घंटे लग गए।
- निप्पनी कस्बे में पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
- बेलगावी शहर में कई युवा संगठनों ने व्हाइट स्क्रीन लगाने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली का इस्तेमाल करके रिकॉर्ड किए गए वर्जन के साथ सड़कों पर शो का आयोजन किया।
- वर्तमान में, फिल्म बेलगावी शहर के चार सिनेमाघरों में दिखाई जा रही है।
'छावा' फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज के मुगलों के खिलाफ संघर्ष की कहानी है। संभाजी मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक और छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे।
शहर के पुलिस आयुक्त इदा मार्टिन मारबानियांग ने कहा, 'हमें फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर या किसी अन्य अधिकारी से फिल्म की अवैध स्क्रीनिंग के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है। हमने पुलिस की अनुमति के बिना आयोजित सार्वजनिक स्थानों पर फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी है।
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फिर से लौटेगी ठंडक? सक्रिय हो रहा नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी वाली फरवरी के बाद मार्च का महीना भी पिछले कुछ साल के मुकाबले ज्यादा गर्म होने का अनुमान को मौसम विभाग ने पहले ही जता दिया था। लेकिन बीते कुछ समय से पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और मैदानी इलाकों में हो रही बारिश से तापमान में गिरावट देखने को मिली है।
मौसम विभाग के मुताबिक, एक नया पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय हो रहा है, जो आने वाले दिनों में अपना प्रभाव दिखा सकता है। विभाग ने अनुमान जताया है कि 9 मार्च के लगभग पश्चिमी विक्षोभ का असर पश्चिमी हिमालयी रीजन में देखने को मिल सकता है।
बारिश और बर्फबारी की चेतावनीपश्चिमी विक्षोभ के कारण 4 मार्च को पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी देखने को मिल सकती है। वहीं मैदानी इलाकों के कई हिस्सों में भारी बारिश की संभावना भी जताई गई है। राजस्थान में अगले 3 दिनों में अधिकतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट देखने को मिलेगी।
हालांकि इसके बाद तापमान में फिर से वृद्धि होगी। गुजरात के इलाकों में अगले 24 घंटे तक तापमान सामान्य बना रहेगा, लेकिन इसके बाद यहां भी तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। देश के अन्य हिस्सों में फिलहाल 4-5 दिनों तक तापमान में अधिक बदलाव नहीं होगा।
विदर्भ में सबसे अधिक तापमान दर्ज- 4 मार्च को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। कोंकण क्षेत्र और कोस्टल कर्नाटक के लिए तापमान काफी अधिक हो सकता है। बता दें कि पिछले 24 घंटे में जम्मू क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी देखने को मिली है।
- तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में भी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है। महाराष्ट्र के विदर्भ के ब्रह्मपुरी में देश का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। यहां अधिकतम तापमान 38.6 डिग्री सेल्सियस था।
- कुछ दिन पहले मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट डीएस पाई ने बताया था कि मार्च के महीने में देश के ज्यादातर हिस्सों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान औसत से ऊपर रहने वाला है। इससे सर्दियों में बोई जाने वाली गेहूं, चना और रेपसीड जैसी फसलों को नुकसान हो सकता है।
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तेलंगाना सुरंग हादसे में 10 दिन बाद भी हाथ खाली, रोबोट के इस्तेमाल पर हो रहा विचार
पीटीआई, नगरकुरनूल। तेलंगाना सुरंग हादसे में दस दिन बाद भी बचावकर्मियों को कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। प्रदेश सरकार बचाव अभियान के लिए रोबोट के इस्तेमाल की संभावनाएं तलाश रही है, ताकि बचावकर्मयों को किसी भी संभावित खतरे से सुरक्षित किया जा सके।
सुरंग के अंदर अभी भी भारी मात्रा में गाद और पानी के रिसाव के कारण चुनौती बनी हुई है। पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ ने कहा कि बचाव कार्य में रोबोट को शामिल करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है क्योंकि बचावकर्मियों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
रोबोट को शामिल करने पर विचारउन्होंने कहा, 'हम सभी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। बेहतरीन उपकरण, बेहतरीन मानव शक्ति, विशेषज्ञों पर शुरू से ही हमारा जोर रहा है। हम इन सभी को बचाव अभियान में शामिल कर रहे हैं। रविवार को चर्चा के दौरान रोबोट के इस्तेमाल का मुद्दा उठा। हम उस विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में रोबोट उपयोगी हो सकते हैं।'
हाईकोर्ट ने खारिज की याचिकातेलंगाना हाई कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सुरंग के अंदर फंसे आठ लोगों को सुरक्षित और तेजी से निकालने के लिए अधिकारियों को सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता नेशनल यूनियन फॉर माइग्रेंट वर्कर्स ने अन्य दलीलों के अलावा, बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए हर संभव उपाय सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी।
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पोस्ट-बजट वेबिनार में शामिल होंगे पीएम मोदी, औद्योगिक, व्यापार और ऊर्जा रणनीतियों पर होगी चर्चा
एएनआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बजट बाद होने वाले तीन वेबिनार में शामिल होंगे। वेबिनार के विषयों में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) और कारोबारी सुगमता शामिल है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा दोपहर लगभग 12:30 बजे होने वाला वेबिनार एमएसएमई विकास के इंजन, विनिर्माण, निर्यात और परमाणु ऊर्जा मिशन, नियामक, निवेश और कारोबार सुगमता विषय पर आयोजित किया जा रहा है।
कई रणनीतियों पर होगा विचार-विमर्शइसमें कहा गया है कि वेबिनार सरकारी अधिकारियों, उद्योगपतियों और व्यापार विशेषज्ञों को भारत की औद्योगिक, व्यापार और ऊर्जा रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा।
चर्चा नीति लागू करना, निवेश सुविधा और प्रौद्योगिकी अपनाने पर केंद्रित होगी, जिससे बजट के परिवर्तनकारी उपायों का निर्बाध रूप से लागू करना सुनिश्चित होगा।
इसमें कहा गया है कि बजट घोषणाओं के प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए वेबिनार में प्राइवेट क्षेत्र के विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और विषय विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
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ब्रिटेन और आयरलैंड के दौरे पर जाएंगे जयशंकर, यूक्रेन-रूस की स्थिति पर करेंगे चर्चा; जानिए कितना अहम है ये Visit
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर छह दिनों के लिए ब्रिटेन और आयरलैंड के दौरे पर जा रहे हैं। उनका यह दौरा मंगलवार को शुरू होगा। जयशंकर इन दो यूरोपीय देशों की यात्रा पर तब होंगे, जब लंदन कूटनीतिक गतिविधियों के केंद्र में है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सार्वजनिक तौर पर बहस होने के बाद रविवार को लंदन में ही यूरोपीय देशों की महत्वपूर्ण बैठक हुई है।
मौजूदा वैश्विक हालात पर भी होगी चर्चाराष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका से लंदन पहुंचे और वहीं पर यूरोप के तकरीबन हर देश के शीर्ष नेता पहुंचे हैं। जयशंकर की लंदन में होने वाली आधिकारिक मुलाकातों में भारत व ब्रिटेन के द्विपक्षीय रिश्तों के अलावा यूक्रेन-रूस की स्थिति और मौजूदा वैश्विक हालात पर भी चर्चा होगी।
विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि जयशंकर की इस यात्रा के दौरान ब्रिटेन-भारत के रक्षा और कारोबारी संबंधों पर खास तौर पर विमर्श होगा। जयशंकर की ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के अलावा पीएम स्टार्मर के कैबिनेट के कुछ दूसरे वरिष्ठ सदस्यों से भी मुलाकात करेंगे।
पिछले हफ्ते ही भारत और ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। दोनों देशों ने इस वर्ष के अंत तक इस समझौते को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस दौरान जयशंकर ब्रिटेन और आयरलैंड में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से भी अलग अलग मुलाकात करेंगे।
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'CISF की महिला अधिकारी ने किया यौन शोषण', इंस्टाग्राम पर वीडियो बना युवक ने की खुदकुशी
आईएएनएस, मंगलुरु। कर्नाटक के मंगलुरु में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की एक महिला अधिकारी पर यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। उसकी पहचान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निवासी अभिषेक सिंह के रूप में हुई है। उसे सोमवार सुबह मंगलुरु शहर स्थित राव एंड राव सर्कल के पास एक लॉज में लटका हुआ पाया गया।
इंस्टाग्राम वीडियो में बताई पूरी कहानीपुलिस ने बताया कि चेन्नई में एक निजी कंपनी का कर्मचारी सिंह एक प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए अपने साथियों के साथ यहीं आया था। आत्महत्या करने से पहले उसने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें उसने महिला आधिकारी पर यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। पुलिस ने कहा है कि सिंह और महिला एक दूसरे को कैसे जानते थे, यह ज्ञात नहीं है। यह जांच के बाद ही सामने आएगा।
भाई ने दर्ज कराई शिकायतपुलिस ने बताया कि महिला सीआईएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर कार्यरत है। मृतक चेन्नई में एक निजी कंपनी में काम करता था। वहीं उसकी मुलाकात सीआईएसएफ अधिकारी से हुई थी। आरोप है कि महिला अधिकारी ने इस बात को छिपाया कि वह शादीशुदा है और उसने सिंह से संबंध बनाए। आत्महत्या के बाद मृतक के भाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि महिला अधिकारी को हिरासत में लेने के लिए जल्द ही एक टीम चेन्नई भेजी जाएगी।
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केरल में शराब पीने वाले नेताओं पर गिरेगी गाज, इन दो दलों ने बनाया गजब का प्लान
आईएएनएस, तिरुवनंतपुरम। केरल की दो कम्युनिस्ट पार्टियों-माकपा और भाकपा ने शराब पीने वाले पार्टी नेताओं के लिए अपने नियम बनाए हैं। माकपा ने कहा है कि अगर मीडिया ने हमारे किसी भी साथी को शराब पीते हुए दिखाया तो उसे पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
उधर, भाकपा ने कहा है कि उनकी पार्टी के किसी भी सदस्य को सार्वजनिक रूप से नशे की हालत में नहीं होना चाहिए। वे अपने घरों में शराब पी सकते हैं और घर के अंदर ही रह सकते हैं। सत्तारूढ़ पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार में माकपा सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि भाकपा दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है।
पार्टी ने नेताओं के लिए बनाए नियमसोमवार को माकपा के राज्य सचिव, वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व आबकारी मंत्री एमवी गोविंदन ने शराब पीने वालों के प्रति पार्टी के रुख पर खुलकर बात की। गोविंदन ने कहा कि हम एक ऐसी पार्टी हैं जिसकी विचारधारा बहुत स्पष्ट है कि हमारे साथियों को धूम्रपान नहीं करना चाहिए या शराब नहीं पीना चाहिए। अगर आप (मीडिया) हमारे किसी साथी को शराब पीते हुए दिखाते हैं तो उसे पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
भाकपा ने भी नियम बनाएगोविंदन इस सप्ताह के अंत में होने वाले पार्टी सम्मेलन से पहले संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। पार्टी के राज्य सचिव के रूप में उन्हें एक और कार्यकाल मिलने वाला है। गौरतलब है कि भाकपा के राज्य सचिव बिनय विश्वम ने इस साल की शुरुआत में यह कहकर हलचल मचा दी थी कि अपने साथियों के लिए उनकी पार्टी का रुख यह है कि वे शराब पी सकते हैं, लेकिन किसी भी कीमत पर उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं पीना चाहिए।
सार्वजनिक स्थान पर कोई नशे में ना रहेबहरहाल, उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी के किसी भी सदस्य को सार्वजनिक रूप से नशे की हालत में नहीं होना चाहिए। वे अपने घरों में शराब पी सकते हैं और घर के अंदर ही रह सकते हैं। यह साल 1964 की बात है जब भाकपा विभाजित हुई थी और माकपा का गठन हुआ था। उसके बाद माकपा ने कम्युनिस्टों के बीच लंबे समय तक राज किया। माकपा ने तीन दशकों से अधिक समय तक पश्चिम बंगाल में शासन किया और लगभग इसी तरह का प्रदर्शन त्रिपुरा में भी देखा गया। लेकिन, बाद में इन दोनों ही राज्यों में पार्टी के लिए चीजें आसान नहीं रह गईं।
माकपा और भाकपा में कई बार हुईं झड़पेंवर्तमान में अब उनका एकमात्र गढ़ केरल है जहां पिनाराई विजयन ने 2021 के विधानसभा चुनावों में सत्ता बरकरार रखते हुए इतिहास रच दिया। पिछले नौ वर्षों में माकपा और भाकपा के बीच छोटी-मोटी झड़पें होती रही हैं। पहली विजयन सरकार में भाकपा ने तब हलचल मचा दी थी, जब उसके चारों मंत्रियों ने विजयन के साथ मतभेद होने के बाद साप्ताहिक कैबिनेट बैठक का बहिष्कार कर दिया था। हालांकि, यह मुद्दा जल्द ही सुलझा लिया गया था।
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क्या कुछ बड़ा होने वाला? चिकन नेक की सुरक्षा मजबूत करने में जुटी सेना; टी-90 टैकों के साथ बड़ा अभ्यास
एएनआई, गुवाहाटी। सेना की त्रिशक्ति कोर ने सिक्किम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा मजबूत करने के लिए एक महीने तक ऊंचाई वाले क्षेत्र में लाइव-फायरिंग अभ्यास किया। इस दौरान सेना ने टी-90 टैंकों की शक्ति को परखा।
गौरतलब है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है। यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है।
एक महीने तक चला लाइव फायरिंग अभ्यासपीआरओ (रक्षा) ने बयान में कहा कि टी-90 टैंकों के साथ एक महीने तक चलने वाला लाइव-फायरिंग अभ्यास आयोजित किया गया। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सेना की युद्ध क्षमता और मजबूत करना और बख्तरबंद युद्ध रणनीतियों को परखना था। इस दौरान सेना ने आधुनिक हथियारों और तकनीकों के साथ अभ्यास किया।
क्यों खास है टी-90 टैंक?टी-90 टैंक भारतीय सेना के अत्याधुनिक मुख्य युद्धक टैंकों में से एक है। यह उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम और मजबूत सुरक्षा क्षमताओं से लैस है। यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) दागने में सक्षम है, जिससे यह दूर से ही दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर सकता है। इसमें थर्मल इमेजिंग और आधुनिक सेंसर लगे हैं। इस कारण यह किसी भी मौसम में चौबीसों घंटे युद्ध के लिए सक्षम है।
अभ्यास में सेना ने क्या-क्या किया?अभ्यास में सटीक हमले की क्षमता का परीक्षण, उन्नत गोला-बारूद और गाइडेड मिसाइलों का उपयोग, ड्रोन के साथ समन्वय बनाने, मानव और मशीन के बीच तालमेल बढ़ाने, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध की तैयारी को बेहतर करने की तैयारी परखी गई। सेना ने इस अभ्यास के माध्यम से 'आत्मनिर्भर भारत' को भी बढ़ावा दिया, जिसमें स्वदेशी रक्षा तकनीकों और स्थानीय स्तर पर निर्मित गोला-बारूद का अधिक उपयोग किया गया।
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'कुछ लोग खुद को ओवर स्मार्ट समझते हैं', समय रैना पर SC की तल्ख टिप्पणी; रणवीर इलाहाबदिया को सशर्त राहत
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंडिया गॉट लेटेंट शो में अभिवावकों के बारे में अश्लील टिप्पणी करने के आरोपी यूट्यूबर रणवीर इलाहाबदिया को सशर्त शो चलाने की इजाजत दे दी है।
रणवीर की ओर से सोमवार को जब स्वयं और 280 अन्य कर्मचारियों की रोजी रोटी की दुहाई देते हुए शो पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई गई, तो कोर्ट ने इजाजत तो दी, लेकिन शर्त लगाई की उसे अंडरटेकिंग देनी होगी कि शो में शालीनता और नैतिकता के मानकों को बनाए रखा जाएगा।
केंद्र से रेगुलेशन के उपाय करने को कहाइसके साथ ही कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हो रही अभद्रता और अश्लीलता पर अंकुश की जरूरत बताते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के साथ कर्तव्य भी जुड़ा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम सेंसरशिप नहीं चाहते लेकिन फ्री फॉर ऑल (खुली छूट) भी नहीं हो सकता। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसके नियमन के उपाय करने और सभी हितधारकों से परामर्श कर एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई का दायरा बढ़ा दिया है।
सॉलिसिटर जनरल ने किया विरोध- ये आदेश सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एनके सिंह की पीठ ने रणवीर इलाहाबदिया और उसके साथी आशीष चंचलानी की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिये।
- पिछली सुनवाई गत 18 फरवरी को कोर्ट ने इलाहाबदिया को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत तो दे दी थी, लेकिन शो में उसके द्वारा प्रयुक्त भाषा को अभद्र और विकृत बताते हुए कड़ी फटकार लगाई थी।
- इतना ही नहीं कोर्ट ने इलाहाबदिया और उसके साथियों के आगे शो करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने विदेश जाने की अर्जी पर फिलहाल आदेश नहीं दिया।
- सुनवाई के दौरान केंद्र के अलावा असम और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रोक हटाने का विरोध करते हुए कहा कि रणवीर द्वारा शो में प्रयुक्त की गई भाषा सिर्फ अश्वलील ही नहीं बल्कि विकृत थी।
- लेकिन पीठ ने इस संबंध में कुछ दिशा-निर्देश तय करने की मेहता की दलील से सहमति जताई। सरकार इस पर विचार करे और ड्राफ्ट तैयार करे जिसमें सभी हितधारकों से परामर्श किया जाए।
कोर्ट ने शो के एक अन्य साथी द्वारा विदेश जाकर कोर्ट में लंबित मामले की चर्चा करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कुछ युवा स्वयं को ओवर स्मार्ट समझते हैं लेकिन हमें उन्हें डील करना आता है।
पीठ ने कहा संभवत: वे इस अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं जानते । कोर्ट ने कहा कि वह सुधर जाएं वरना उन्हें डील करना आता है। कोर्ट ने रणवीर से कहा कि वह लंबित मामले पर शो में कोई टिप्पणी नहीं करेगा।
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