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New analysis casts doubt on 'biosignatures' found on planet K2-18b - Buffalo Toronto Public Media
- New analysis casts doubt on 'biosignatures' found on planet K2-18b Buffalo Toronto Public Media
- No aliens yet, but signs from distant planet are interesting Hindustan Times
- 'Alien oceans confirmed?': K2-18b's chemical fingerprints spark life-on-exoplanet frenzy Business Today
- Strongest hints yet of biological activity outside the solar system University of Cambridge
- Scientists claim to have found evidence of alien life. But 'biosignatures' might hide more than they reve Times of India
'हमला याद दिलाता है कि आंतकवाद...', पहलगाम अटैक पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्या कहा?
पीटीआई, तमिलनाडु। पहलगाम हमले में मारे गए 26 नागरिकों की मौत के बाद से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। हमले को लेकर नेताओं की प्रतिक्रिया जारी है। अब भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का पहलगाम हमले पर बयान सामने आया है।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला एक भयानक याद दिलाता है कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है, जिसका समाधान मानवता को एकजुट होकर करना होगा। उन्होंने लोगों से राजनीतिक, व्यक्तिगत और अन्य हितों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने की अपील की।
'भारत दुनिया का सबसे शांतिप्रिय देश'जगदीप धनखड़ ने आगे कहा,
'भारत दुनिया का सबसे शांतिप्रिय देश है और 'वसुधैव कुटुंबकम' (दुनिया को एक परिवार के रूप में देखने का सिद्धांत) में परिलक्षित इसकी सभ्यता की भावना वैश्विक स्तर पर गूंज रही है।
पहलगाम हमले पर जताया दुखउपराष्ट्रपति ने राजभवन, उदगमंडलम में तमिलनाडु के राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों के दो दिवसीय कुलपतियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कहा, 'हमने इस सम्मेलन की शुरुआत में मौन रखा। मैं पहलगाम में हुए जघन्य हमले पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त करने में राष्ट्र के साथ हूं, जिसमें निर्दोष लोगों की जान चली गई।'
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि और कुलपतियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों की स्मृति में एक मिनट का मौन धारण करने में उपराष्ट्रपति के साथ भाग लिया।
'अंतरिम आदेश के खिलाफ...', वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में क्या बोली केंद्र सरकार?
नई दिल्ली, पीटीआई। वक्फ अधिनियम के तहत वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। वहीं, अब कोर्ट के अंतरिम आदेश पर केंद्र सरकार ने चुप्पी तोड़ी है। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का सख्त विरोध किया है।
सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत को वैधानिक प्रावधानों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगाने का कोई अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेशदरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी किया था। कोर्ट के अनुसार, केंद्र के जवाब देने तक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री नहीं होगी। आज इसी मामले पर कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने साफ शब्दों में कहा कि यह एक वैधानिक मामला है, जिसमें कोर्ट को रोक लगाने का अधिकार नहीं है।
यह भी पढ़ें- 'पाकिस्तानियों का पता लगाओ और वापस भेजो', पहलगाम हमले के बाद एक्शन में अमित शाह; सभी CM को दिया निर्देश
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा-
संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है। ऐसे में अंतरिम रोक शक्ति संतुलन के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह कानून संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों पर बनाया गया है, जिसके बाद दोनों सदनों में कई घंटों की बहस हुई और फिर इस कानून को पास किया गया था।
केंद्र सरकार ने दिया जवाबकेंद्र सरकार के अनुसार, निस्संदेह सर्वोच्च न्यायालय के पास संवैधानिकता की जांच करने का अधिकार है। हालांकि, अतंरिम चरण में किसी भी प्रावधान पर रोक लगाना सही नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ अधिनियम को लेकर कोर्ट में जो भी याचिकाएं दायर हैं, उनमें किसी भी व्यक्तिगत मामले में अन्याय की शिकायत नहीं की गई है। इसलिए अंतरिम आदेश के जरिए कोई भी सरंक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हैं 5 याचिकाएंबता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ अधिनियम को चुनौती देने के लिए पांच याचिकाएं दायर की गईं थीं। इनमें गैर मुस्लिम सदस्यों की वक्फ में परिषद में एंट्री और केवल मुसलमानों द्वारा ही वक्फ को दान किए जाने के प्रावधानों को चुनौती मिली थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
गंभीराया था विवादसुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र से जवाब मांगा था। ऐसे में सत्तापक्ष के कई नेताओं ने सु्प्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया था। इसके बाद पश्चिम बंगाल हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा था कि हम पहले ही आरोप लग रहे हैं।
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ISRO के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन का निधन, महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने 84 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बेंगलुरु में अंतिम सांस ली।
27 अप्रैल को लोग कर सकेंगे अंतिम दर्शन
के कस्तूरीरंगन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मसौदा समिति के अध्यक्ष भी थे। अधिकरियों ने बताया कि आज सुबह उनका निधान हुआ है। 27 अप्रैल को अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में रखा जाएगा।
एनईपी में सूचीबद्ध शिक्षा सुधारों के पीछे के व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था।
राष्ट्रपति ने शोक व्यक्त किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने डॉ. कस्तूरीरंगन के निधन पर शोक व्यक्त कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "यह जानकर दुख हुआ कि डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन अब हमारे बीच नहीं रहे। इसरो के प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।"
Saddened to learn that Dr. Krishnaswamy Kasturirangan is no more. As head of ISRO, he played a stellar role in the evolution of India’s space programme. With his passion for knowledge, he also contributed greatly in diverse fields. He helped draft the National Education Policy,…
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 25, 2025राष्ट्रपति ने दुख जताते हुए लिखा, "ज्ञान के प्रति अपने जुनून के साथ, उन्होंने विविध क्षेत्रों में भी बहुत योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में मदद की, जो पहले से ही अगली पीढ़ी के निर्माण पर गहरा प्रभाव डाल रही है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।"
पीएम मोदी ने दुख प्रकट किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूर्व इसरो प्रमुख के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "मैं भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से बहुत दुखी हूं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।"
I am deeply saddened by the passing of Dr. K. Kasturirangan, a towering figure in India’s scientific and educational journey. His visionary leadership and selfless contribution to the nation will always be remembered.
He served ISRO with great diligence, steering India’s space… pic.twitter.com/GPdFKPU7b5
पीएम मोदी ने लिखा, "उन्होंने इसरो में बहुत मेहनत से काम किया, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जिसके लिए हमें वैश्विक मान्यता भी मिली। उनके नेतृत्व में महत्वाकांक्षी उपग्रह प्रक्षेपण भी हुए और नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया।"
राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं कस्तूरीरंगन
डॉ. कस्तूरीरंगन साल 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे और तत्कालीन भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी कार्य किया था। कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बैंगलोर के निदेशक भी रहे।
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