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Bihar Jobs: बिहार में नौकरियों की भरमार, नीतीश सरकार ने कर दी एक और बड़ी घोषणा; इस विभाग में होने जा रही भर्ती

Dainik Jagran - March 10, 2025 - 7:18pm

 

राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए 7279 विशेष शिक्षकों की नियुक्ति जल्द होगी।

इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना भेज दी गई है। इसी तरह अनुकंपा के आधार पर 6481 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी।

वे सोमवार को बिहार विधानसभा में चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के तहत शिक्षा विभाग के तृतीय अनुपूरक बजट 1532 करोड़ 32 लाख 96 हजार रुपये पर हुए चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब दे रहे थे।

हालांकि, विपक्ष ने सरकार के उत्तर का बहिष्कार किया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में सदन में अनुपूरक बजट पारित हुआ।

12 केंद्रीय विद्यालयों को जमीन उपलब्ध कराएगी सरकार

शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 50 केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें ऐसे 12 केंद्रीय विद्यालय हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है।

ऐसे केंद्रीय विद्यालयों को बिहार सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध करायी जाएगी। 358 प्रखंडों में डिग्री महाविद्यालय खोलने हेतु शिक्षा विभाग के स्तर से जल्द ही सारी प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।

वहीं नौ डिग्री महाविद्यालय पहले से स्थापित करने की प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि इस साल अप्रैल में ही सभी बच्चों को पोशाक की राशि दी जाएगी।

यूनाइटेड नेशंस ने साइकिल माडल को अपनाया

शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा की मुख्यधारा से बालक-बालिकाओं को जोड़ने के लिए 2006-07 में पोशाक योजना शुरू की थी।

इससे स्कूली शिक्षा से बच्चों को जोड़ने में अभूतपूर्व कामयाबी मिली। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2008 में नौवीं कक्षा की लड़कियों के लिए साइकिल योजना शुरू की।

वर्ष 2010 में लड़कों के लिए भी साइकिल योजना शुरू की गई। बिहार में साइकिल योजना लागूृ किए जाने के बाद लड़कियों की पढ़ाई के प्रति बढ़े तेजी से रुझान हुआ।

इससे नारी शिक्षा को बढ़ावा देने और नारी सशक्तीकरण में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। बिहार की साइकिल योजना पर अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अध्ययन किया और यूनाइटेड नेशंस को अपनी रिपोर्ट दी।

यूनाइटेड नेशंस ने लड़कियों को शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ाने में साइकिल योजना की भूमिका की प्रशंसा की। इतना ही नहीं, यूनाइटेड नेशंस ने इस माडल के आधार पर अफ्रीका के जाम्बिया और कुछ अन्य देश में लड़कियों में शिक्षा के प्रति रुचि जगाने हेतु साइकिल स्कीम को लागू कराते हुए धनराशि भी उपलब्ध कराया।

इस साल से 29 हजार सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा होगी शुरू

मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा से बच्चों को जोड़ा जा रहा है। इस वर्ष से कक्षा छह से आठ के 29 हजार मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर की पढ़ाई प्रारंभ करायी जाएगी, ताकि हमारे बच्चों को शुरू से कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध हो।

सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर लैब की भी स्थापना की जा रही है। प्रोजेक्ट टेस्ट लर्निंग से बच्चों की पढ़ाई में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।

विधायकों की अनुशंसा पर 563 विद्यालयों को जीर्णोद्धार

मंत्री ने बताया कि शिक्षा विभाग के स्तर से हर विधायक से उनके क्षेत्र के दस-दस सरकारी विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए सूची मांगी गई थी।

प्राप्त सूची के आधार पर विभाग द्वारा 563 विद्यालयों का जीर्णोद्धार कार्य कराया जा चुका है। शेष विद्यालयों को जीर्णोद्धार प्रक्रियाधीन है।

शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी
  • 2005 से पहले शिक्षा का बजट चार हजार करोड़ से कुछ अधिक था
  • 2025-26 में शिक्षा का बजट 60,964.87 करोड रुपये है
  • राज्य के सरकारी विद्यालयों में 44 प्रतिशत महिला शिक्षक कार्यरत
  • 2002 में राज्य में साक्षरता दर 47.5 प्रतिशत थी, 2023 में 80 प्रतिशत साक्षरता
  • 2001 में 34 प्रतिशत महिलाएं थीं साक्षर, आज 74 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित
  • 2005 में उच्च शिक्षा में 1500 करोड़ बजट था, आज 5643 करोड़ का बजट

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बिहार विधानसभा में अचानक क्यों हुई कश्मीरी पंडितों की चर्चा? ओवैसी के विधायक को मंत्री ने दिया करारा जवाब

Dainik Jagran - March 10, 2025 - 5:59pm

राज्य ब्यूराे, पटना। बिहार का विधानसभा बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान सदन में पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर जमकर हमलावर हो रहे हैं।

श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह विधानसभा में सोमवार काे अख्तरूल ईमान द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण में शब्दों पर उलझ गए। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें कहा कि आप अपना उत्तर पढ़िए, तब वह अपने जवाब पर केंद्रित हुए।

दरअसल, अख्तरूल ईमान का प्रश्न बिहार से बाहर जाकर काम करने वाले मजदूरों से संबंधित था। उन्होंने इसे मजदूरों का बिहार से पलायन कहा था। उनके प्रश्न में एक जिक्र था कि अगर बिहारी मजदूर बाहर मरते हैं तो उनके लाश को लाने की क्या व्यवस्था है?

श्रम संसाधन मंत्री ने दिया जवाब

श्रम संसाधन मंत्री ने कहा कि बिहार के मजदूर अगर बाहर के राज्य में काम करने जाते हैं तो यह पलायन नहीं। उसका नाम-पता तो यहीं का है। देश के किसी राज्य में कोई भी काम कर सकता है। पलायन तो कश्मीरी पंडिताें का था। इसी तरह उन्होंने लाश शब्द पर आपत्ति की और कहा कि लाश नहीं, पार्थिव शरीर कहिए।

श्रम संसाधन मंत्री ने कहा कि बिहारी मजदूर अगर किसी दूसरे राज्य में किसी दुर्घटना में मरते हैं तो उनके पार्थिव शरीर को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है। दिल्ली स्थित बिहार भवन में राज्य सरकार ने इसके लिए अधिकारी तैनात कर रखे हैं।

पटना के नियोजन भवन और दिल्ली के बिहार भवन के लिए टोल फ्री नंबर काम करता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इसके लिए 86 लाख रुपए की व्यवस्था की गयी है।

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